वॉशिंगटन.अमेरिकी सांसद बॉब मेनेंडेज ने भारत में नागरिकता कानून लाने और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) पर चिंता प्रकट की है। उन्होंने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को पत्र लिखकर कहा है कि वे भारत पर इन दोनों कानूनों को तत्काल वापस लेने का दबाव बनाएं। मेनेंडेज अमेरिका उच्च सदन में न्यू जर्सी का प्रतिनिधित्व करते हैं और देश की फॉरेन रिलेशन्स कमेटी के सदस्य हैं।
मेनेंडेज ने कहा है कि कि अमेरिका को लोकतांत्रिक मूल्यों, आजादी और मानवाधिकार की रक्षा केलिए आगे आना चाहिए। मैं प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि वह उच्च स्तर पर भारत सरकार से इन मुद्दों पर बात करे।
धर्म आधारित नागरिकता भारतीय संविधान के खिलाफ: मेनेंडेज
मेनेंडेजे ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, ‘‘सीएए के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना से तंग आकर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। भारत सरकार का दावा है कि नागरिकता विधेयक धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए है। लेकिन, इसमें पाकिस्तान के अहमदिया और बर्मा के रोहिंग्या मुसलमानों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इससे यह एक मुसलिम विरोधी कानून लग रहा है। धर्म के आधार पर नागरिकता देना भारत के अंदरूनी कानूनी बाध्यताओं और संविधान के खिलाफ है। ’’
‘सिटिजन रजिस्ट्री से भारतीय मुसलमान प्रभावित’
मेनेंडेज ने कहा है कि नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी)से भारत के मुसलमान प्रभावित हैं। यह भारत के सेकुलर और लोकतांत्रिक इतिहास पर खतरा है। भारत सरकार ने असम में इसे लागू किया है। इसके कारण करीब 10.9 लाख बंगाली भाषी मुसलिम स्टेटलेस हो गए हैं। सरकार अब इसे पूरे देश में लागू करना चाह रही है। मेनेंडेज ने कहा है कि पिछले साल अक्टूबर में मैंने भारत का दौरा किया था। इस दौरान सिविल सोसाइटी एक्टिविस्ट ने मुझसेएनआरसी से भविष्य में भारत के लोकतंत्र पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया था।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment