यूरोपियन फूड-ऑर्डर करने वाली फर्म जस्ट ईट टेकअवे डॉट कॉम ने बुधवार को कहा कि उसने यूएस पीयर ग्रूबहब इंक को खरीदने के लिए सहमति व्यक्त की है। कंपनी ने कहा कि यह सौदा स्टॉक डील के तहत होगा। ये सौदा अगर पूरा हो जाता है तो चीन के बाहर दुनिया की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी बनाएगी। ये डील 55.3 हजार करोड़ रुपए में हो सकती है।
कंपनियों ने एक संयुक्त बयान में कहा, यह सौदा एक नई कंपनी बनाएगा जो खाद्य वितरण में दुनिया के सबसे बड़े 4 प्रॉफिट वाले पूल यू.एस., यूके, नीदरलैंड और जर्मनी को साथ लेकर बनाया जाएगा। ग्रूबहब ने फूड चेन को मजबूत करने के लिए राइड-हाइलिंग फर्म उबर ईट से बात की है।
उबर ने मई में ग्रूबहब से किया था संपर्क
उबर ने मई में शिकागो स्थित ग्रूबहब से संपर्क किया था लेकिन बात नहीं बनी थी। एक बयान में, उबर ने कहा था कि खाद्य वितरण उद्योग को समेकन (एकसाथ लाना) की आवश्यकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के भी साथ किसी भी कीमत पर, किसी भी सौदे को करने में रुचि रखते हैं। "
2007 से ग्रूबहब के संपर्क में है जस्ट ईट टेकएवे
ग्रूबहब के सीईओ मैट मालोनी ने कहा कि वो जस्ट ईट टेकअवे के चीफ एक्जीक्यूटिव जित्स ग्रोएन को 2007 से जानते हैं, और दोनों कंपनियों के पास एक समान मॉडल है, जो ग्राहकों को रेस्टोरेंट खोजने और उनसे ऑर्डर लेने के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध कराता है। जस्ट ईट ने जनवरी में ही टेकअवे को 7.8 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया है।
जस्ट ईट टेकएवे के शेयरों में आई गिरावट
इस खबर के सामने आने के बाद ग्रूबहब के शेयर की कीमत लगभग 6 फीसदी बढ़ी, वहीं जस्ट ईट टेकअवे के शेयर एम्स्टर्डम में 13 फीसदी से अधिक नीचे आ गए।
2019 में जस्ट ईट टेकअवेके पास ग्रुबहब से ज्यादा राजस्व
कंपनियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि जस्ट ईट टेकअवे के पास ग्रुबहब के 1.2 बिलियन यूरो की तुलना में 1.5 बिलियन यूरो (1.7 बिलियन डॉलर) का 2019 राजस्व था। एक ट्रेडिंग अपडेट में, कंपनियों ने कहा कि अप्रैल और मई में कंपनियों के ऑर्डर में 41 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। क्योंकि कोरोनवायरस के कारण लोग घर पर ही खाना मंगवा रहे थे।
इराक की राजधानी बगदाद में स्थित ग्रीन जोन में बुधवार को दो रॉकेट दागे गए। यहां पर अमेरिकी दूतावास और ईराक के सरकारी ऑफिस हैं। हमले में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है। हमले के बाद यहां पुलिस के सायरन की आवाज सुनी गई। अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
इराक और अमेरिका आजसे बातचीत करने वाले थे। इनमें दोनों देशों के सबंधों को मजबूत करने और इराक से अमेरिकी सैनिकों को हटाने पर चर्चा होनी थी। बातचीत से ठीक एक दिन पहले यह हमला किया गया।
इराक में अमेरिकी सैन्य बेसों पर अक्सर हमले होते रहते हैं। पिछले साल अक्टूबर से लेकर अब तक 25 से ज्यादा बार इन बेसों पररॉकेट हमले हो चुके हैं। आखिरी बार बगदाद में ग्रीन जोन में 20 मई को रॉकेट दागे गए थे। अमेरिका के 5000 सैनिक इराक में मौजूद हैं। यहां पर अमेरिका के कई सैन्य बेस भी हैं। इराक की सेना यहां के कुछ आतंकी संगठनों का समर्थन करती है। ये संगठन चाहते हैं कि अमेरिकी सेना वापस लौट जाएं।
2011 में अमेरिका ने इराक से सेना वापस बुलाई थी
2011 में अमेरिका ने अपने सैनिक वापस भी बुला लिए थे। 2014 में इराक ने अमेरिका से आतंकी संगठन आइएस से लड़ने में मदद मांगी थी। इसके बाद अमेरिका के उस समय के राष्ट्रपति बराक ओबामा के आदेश पर अमेरिकी सैनिक दोबारा यहां लौटे थे। आईएस ने इराक के उत्तरी और पश्चिमी हिस्से में कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। यही वजह थी कि इसने अमेरिका की मदद मांगी थी।
जनवरी से अमेरिका इराक के रिश्तों में तल्खी आई
अमेरिका ने 3 जनवरी को बगदाद एयरपोर्ट पर ड्रोन हमला कर ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी। सुलेमानी की मौत के बाद बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास पर 7 और 8 जनवरी को हमले किए गए थे। 7 जनवरी को ईरान ने इराक स्थित दो अमेरिकी सैन्य बेसों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। इसके बाद से इराक संसद में अमेरिकी सैनिकों को देश से बाहर निकालने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
अमेरिका में अश्वेतजॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद रंगभेद के खिलाफ एक नयी लड़ाई शुरू हो चुकी है। प्रदर्शनकारियों के निशाने पर अब ऐतिहासिक लोगों की मूर्तियां हैं। लोगों का आरोप है कि इन लोगों ने दास प्रथा को बढ़ावा दिया और गुलामों की खरीद फरोख्त की। दुनियाभर में अब तक 45 मूर्तियां तोड़ी जा चुकी हैं।
सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका और ब्रिटेन की मूर्तियों को हुआ है। अमेरिका के बोस्टन में क्रिस्टोफर कोलम्बस की मूर्ति को उखाड़ फेंक दिया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोलम्बस ने अमेरिकी मूल के लोगों का नरसंहार किया। वहीं, ब्रिटेन में भी प्रदर्शनकारियों ने क्वीन विक्टोरिया की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया। आरोप है कि उनके समय में उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया गया। ब्रिटेन में प्रदर्शनकारियों ने 60 ऐसी मूर्तियों की सूची बनाई है, जिन्हें वे गिराना चाहते हैं।
खैबर पख्तूनख्वा राज्य में पाकिस्तान-अफगान सीमा पर बम धमाके में बुधवार को दो पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई और दो घायल हो गए। सेना ने बताया कि सैनिकों की गाड़ियों को निशाना बनाने के लिए बम सड़क किनारे रखे गए थे। उत्तरी वजिरिस्तान जिले में मिरान शाह के पास गश्त पर निकले सैनिकों की गाड़ी चपेट में आ गई। घायल सैनिकों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अभी तक किसी भी संगठन नेहमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, सेना के अधिकारियों को शक है कि यह स्थानीय गुटों का काम हो सकता है।
उत्तरी वजिरिस्तान में तालीबान का बेस रहा है
उत्तरी वजिरिस्तान में कुछ महीनों पहले तक तालीबानी लड़ाकों का बेस रहा है। सेना ने एक ऑपरेशन चलाकर इस बेस को तबाह किया था। हालांकि, पिछले कुछ समय से यहां पर हिंसा बढ़ गई है। ऐसे में स्थानीय लोगों में इस बात का डर है कि सेना फिर से कोई ऑपरेशन चला सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को कहा कि वे 19 जून को ओक्लाहोमा में राजनीतिक रैलियों की नई श्रृंखला की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि वे फ्लोरिडा, एरिजोना और उत्तरी कैरोलिना में भी रैलियां करेंगे। रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन उत्तरी कैरोलिना की बजाए किसी दूसरे जगह पर किया जाएगा। जल्द ही नए जगह की घोषणा की जाएगी।
महामारी को लेकर बनाए गए सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देशों को लेकर ट्रम्प और उत्तरी कैरोलिना के गवर्नर के बीच विवाद हो गया है। इस कारण ट्रम्प रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन को कहीं और कराना चाहते हैं। वहीं, व्हाइट हाउस में उन्होंने राज्य को धीमी गति से खोले जाने को लेकर उत्तरी कैरोलिना के डेमोक्रेटिक गवर्नर की आलोचना भी की।
उन्होंने कहा कि कई सारे राज्य हैं जो नेशनल कन्वेंशन कराना चाहते हैं।इनमें टेक्सास, जर्जिया और फ्लोरिडा शामिल हैं। हम उत्तरी कैरोलिना में रहना चाहते थे। यह हमें बहुत पसंद है। यह एक महान राज्य है, जिसे मैंने जीता है। यहां मेरे कई दोस्त औररिश्तेदार रहते हैं।
रैलियों में जबरदस्त बढ़त हासिल की: ट्रम्प
77 वर्षीय ट्रम्प नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए फिर से चुनावी मैदान में हैं। उनके और डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हमने रैलियों में जबरदस्त बढ़त हासिल की है।
सही समय आने पर हम उत्तरी कैरोलिना जाएंगे: ट्रम्प
राष्ट्रपति ने कहा- हम ओक्लाहमा के टुल्सा से रैली की शुरुआत करेंगे। यह एक खूबसूरत जगह है। हम फ्लोरिडा भी जा रहे हैं। फ्लोरिडा, टेक्सास में भी बड़ी रैलियां करेंगे। हम एरिजोना भी जाएंगे। सही समय आने पर हम उत्तरी कैरोलिना जाएंगे।
ट्रम्प की आखिरी रैली 2 मार्च को हुई थी
अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी के लिए भीड़ जुटाने वाले सबसे बड़े नेता रहे हैं। साथ ही वे रैलियों में अपने प्रतिद्वंदी जो बिडेन से ज्यादा भीड़ जुटा चुके हैं।ट्रम्प गुरुवार को फंड जुटाने के लिए एक कार्यक्रम में डलास जाने वाले हैं। उनकी आखिरी चुनावी रैली 2 मार्च को चार्लोट मेंहुई थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि देश के सैन्य बेसों का नाम नहीं बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर सोचा तक नहीं जाएगा, येमहान अमेरिकी विरासत हैं। अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बादअश्वेतों के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन जारी हैं। कुछ लोग इन बेसों का नाम अमेरिकी अफसरों के नाम पर रखने को नस्लभेदी बता रहे हैं। ऐेसे में अटकलें थी कि सरकार अमेरिकन सिविल वार में लड़ने वाले कॉन्फेडरेट आर्मी जनरल के नाम वाले सैन्य बेसों का नाम बदल सकती है।
ट्रम्प ने ट्वीट किया,‘‘ अमेरिकी अफसरों के नाम वाले सैन्य बेस हमारीविरासत का हिस्सा हैं। हमारी जीत और आजादी का इतिहास बतानेवालीहैं। दुनिया के महान देश के तौर पर हमारे इतिहास और सेना के सम्मान से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।’’
कन्फेडरेट सैन्य अफसरों की मूर्तियां नफरत फैलाने वाली: पेलोसी
अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने बुधवार को कन्फेडरेटसैन्य अफसरों की मूर्तियां हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से जुड़े धरोहर नहीं होने चाहिए जिन्होंने सिर्फ नस्लभेद करने के लिए क्रूरता का पक्ष लिया। उनकी मूर्तियां नफरत को याद दिलाने वाली हैं, विरासत नहीं। इन्हें हटाया जाना चाहिए।
क्यों उठ रही है मांग?
अमेरिका में 1861 से 1865 के बीच सिविल वॉर हुआ था। यह दक्षिणी राज्यों और उत्तरी राज्यों के बीच था। दक्षिणी राज्य को उस समय कन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका कहा जाता था। कन्फेडरेट चाहते थे कि दक्षिणी राज्यों में नस्लभेद बरकरार रहे। वहां अश्वेतगुलामों की खरीद बिक्री की आजादी हो, जबकि उत्तर राज्य इन राज्यों को दास प्रथा से मुक्त करना चाहते थे। फ्लॉयड की मौत के बाद नस्लभेद का मुद्दा फिर से चर्चा में है। ऐसे मेंकन्फेडरेट सेना अफसरों के नाम वाले धरोहरों पर आपत्ति जताई जा रही है।
पुलिस सुधारों में घोषणा हो सकती है
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कायली मैकनेनी ने कहा कि सरकार पुलिस सुधारों की घोषणा कर सकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रदर्शनकारियों की ओर से उठाए गए वास्तविक मुद्दों पर गौर किया है। उन्होंने मुद्दों के समाधान के लिए 10 दिनों तक शांति से मेहनत की है। मुझे इसकी अंतिम रूपरेखा तैयार करने को कहा गया है। हमें उम्मीद है कि हम आने वाले दिनों में आपके सामने पुलिस में विभाग में किए जाने वाले सुधार सामने रखेंगे।
With Americans more conscious about race issues in the wake of the death of African American George Floyd while in Minneapolis police custody, President Trump drew a line in favor of keeping the names of 10 military bases from Virginia to Texas that are named for Confederate military leaders. The announcement slapped down Pentagon officials open to discussing the issue.
Torrential downpours unleashed floods and mudslides that caused nearly 230,000 people to be relocated and destroyed more than 1,300 houses in South China, official state news agency Xinhua reported citing govt stats. The bad weather has wreaked havoc on popular tourist areas that had already been battered by months of travel restrictions during the coronavirus outbreak.
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 18 हजार 872 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 74 लाख 51 हजार 523 हो गया है।37 लाख 33 हजार 376 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। उधर, संक्रमण के चलते श्रीलंका में एक बार फिर संसदीय चुनाव टाल दिए गए हैं। यह 20 जून को होने वाला था, जो अब पांच अगस्त को होगा। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 19 जून सेओकाहोमा सेचुनावी रैली की शुरुआत करेंगे।
अमेरिका में महामारी के कारण तीन महीने से रैलियां स्थगित कर दी गई थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि फ्लोरिडा, एरिजोना, उत्तरी कैरोलीना और ओकाहोमा से 19 जून को रैली की शुरुआत करेंगे। अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। यहां संक्रमण के 20.66 लाख से ज्यादा मामले हैं, जबकि 1.15 लाख मौतें हो चुकी हैं।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
20,66,401
1,15,130
8,08,494
ब्राजील
7,75,184
39,797
3,80,300
रूस
4,93,657
6,358
2,52,783
ब्रिटेन
2,90,143
41,128
उपलब्ध नहीं
स्पेन
2,89,360
27,136
उपलब्ध नहीं
भारत
2,87,155
8,107
1,40,979
इटली
2,35,763
34,114
1,69,939
पेरू
2,03,736
5,738
92,929
जर्मनी
1,86,866
8,844
1,70,700
ईरान
1,77,938
8,506
1,40,590
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ब्राजील: एक दिन में 1274 मौतें
ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में महामारी से 24 घंटे में 1274 लोगों की मौत हुई है। बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 39 हजार 680 हो गई है। बुधवार को 32,913 नए मामलों की पुष्टि हुई। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या 7 लाख 72 हजार 416 हो गई है। यहां एक दिन पहले 32,091 नए मामले सामने आए थे और 1272 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिका के बाद ब्राजील दूसरा सबसे संक्रमित देश है।
इटली: 4564 बच्चे संक्रमित
इटली में नागरिक सुरक्षा विभाग के प्रमुखएगोस्टिनो मियोजो ने कहा कि देश में महामारी की शुरुआत से अब तक 4564 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, चार की मौत हो चुकी है। सक्रमित बच्चों में ज्यादातर 7 से 17 साल के हैं। बीमारी से मारे गए सभी बच्चे सात साल से कम उम्र के थे। सभी संक्रमित बच्चों को इलाज घर पर ही किया गया, केवल 100 बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। यदि स्कूलों को बंद नहीं किया गया होता तो संक्रमित बच्चों की संख्या ज्यादा हो सकती थी।
महामारी पर मौसम का प्रभाव नहीं: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख माइक रेयान ने बुधवार को कहा कि इसके बेहद कम सबूत हैं कि महामारी पर मौसम बदलने का प्रभाव पड़ेगा। हम मौसम के बदलने या तापमान बढ़ने के भरोसे नहीं बैठे रह सकते। हमारे पास इसके कई सबूत ही नहीं हैं कि मौसम में बदलाव से संक्रमण और तेजी से फैलेगा या फिर रूक जाएगा। शुरुआत में कुछ लोगों का मानना था कि गर्मियों के मौसम में महामारी का प्रकोप कम हो जाएगा।
फ्रांस: 8 लाख लोगों की नौकरी खतरे में
फ्रांस यूरोप के सबसे प्रभावित देशों में से एक है। वित्त मंत्री ने बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगले कुछ महीनों में देश में आठ लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। यहां संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं, लेकिन मौतों में कमी आई है। देश में अब तक 1.55 लाख संक्रमित मिले हैं, जबकि 29 हजार 319 जानें जा चुकी हैं।
"You see what's going on with NASDAQ. We just broke another record yesterday. Some good news came out of the Federal Reserve today, I think some very good news," the President said. The US, he said, is doing well in "so many ways".
मलेशिया सरकार ने कोरोनावायरस फैलने के डर से बांग्लादेश से आए रोहिंग्या को वापस भेजने का फैसला किया है। वह जल्द ही बांग्लादेश से इन 300 शरणार्थियों को वापस ले जाने के लिए कहेगा। ये रोहिंग्या फरवरी में बांग्लादेश से निकले थे। महीनों तक समुद्र में सफर के बाद मलेशिया पहुंचने पर इन्हें दो दिन पहले ही लैंगकावी द्वीप पर हिरासत में लिया गया था।
इनके साथ सैकड़ों रोहिंग्या निकले थे। पर उनकी खबर नहीं मिली। मलेशिया के रक्षामंत्री ने इस मामले में बयान दिया कि रोहिंग्या को पता होना चाहिए कि वे यहां पर नहीं रह सकते। उधर बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन ने कहा कि हम रोहिंग्या को वापस लेने के लिए बाध्य नहीं हैं। न ही हम उन्हें रखने की स्थिति में हैं।
मलेशिया रोहिंग्या को शरण देकर जोखिम नहीं उठाना चाहता
वहीं, मलेशिया ने कोरोना को काबू में कर रखा है। देश में कोरोना के करीब 8 हजार मामले हैं, वहीं अब तक 118 लोगों की मौत हुई है। ऐसे में सरकार रोहिंग्या को शरण देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। उधर हेल्थ एक्सपर्ट्स भी चेतावनी देते रहे हैं कि रोहिंग्या जैसी घनी बस्तियों में स्थिति गंभीर हो सकती है।
यूएन के मुताबिक मलेशिया में 90 हजार रोहिंग्या: यूएन मानवाधिकार संगठन की फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक, मलेशिया में करीब 90 हजार रोहिंग्या मुसलमान है। 2017 में म्यांमार से 7.3 लाख रोहिंग्या ने देश छोड़ा था। इससे पहले भी लाखों पलायन कर चुके थे। बांग्लादेश के कैंपों में करीब 10 लाख रोहिंग्या रहते हैं।
मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक की पत्नी रोशमा मंसूर के वकील ने पुलिस पर मैडम के कीमती पर्स और हैंडबैग की देखभालनहीं करने, उन्हें खराब करने और नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने इसके लिए सरकार से भरपाई की मांग भी की है। बता दें कि रजाक पर पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए करीब 5000 करोड़ रुपए के गबन के आरोप हैं।
बुधवार को कुआलालंपुर हाईकोर्ट में इन पर सुनवाई हुई। नजीब के वकील मुहम्मद शफी अब्दुल्ला ने बचाव की तैयारी के लिए मलेशिया के केंद्रीय बैंक में रखे जब्त सामान को देखने की इजाजत मांगी थी।
वकील ने कहा-सरकार भरपाई करें, या नया सामान लाकर दें
इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट से कहा,‘पुलिस ने मैडम के कीमती सामान के लिए जरा भी सम्मान नहीं दिखाया। उन्होंने इसे खराब कर दिया है। मार्कर से नंबर डाल दिए हैं। अधिकारियों ने इन अनमोल चीजों को संभालने के मामले में लापरवाही बरती। इसकी जिम्मेदारी सरकार की है, इसलिए सरकार भरपाई करें, या नया सामान लाकर दें।’
हालांकि हाईकोर्ट ने इस पर कोई फैसला नहीं दिया, लेकिन मामले में सहआरोपी नजीब के करीबी और यूएमएनओ के नेता मुसा अमन को बरी कर दिया।
पर्स और ज्वैलरी की कीमत करीब 2000 करोड़ रु.
मलेशिया पुलिस नजीब रजाक की करोड़ों की संपत्ति जब्त कर चुकी है। उनके 6 परिसरों में छापा मारकर 5 ट्रक सामान जब्त किया गया था। इनमें नजीब की पत्नी के 500 पर्स और 12,000 ज्वैलरी आइटम्स भी हैं। इनकी कीमत करीब 2000 करोड़ रुपए आंकी गई है।
कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच भीड़भाड़ से बचने के लिए दुनिया भर में साइकिल का इस्तेमाल बढ़ रहा है। जापान में कई कंपनियां होम डिलीवरी के लिए साइकिल इस्तेमाल कर रही हैं। टोक्यो की एक कंपनी की बिक्री दो महीने में 19% बढ़ी है। ऐसे में जापान सरकार ने ट्रैफिक के नए नियम बनाए हैं, जिनमें साइकिल पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
नए नियमों के मुताबिक, बार-बार घंटी बजाना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा, जिसके लिए जुर्माने का प्रावधान है। 14 साल से ज्यादा उम्र के साइकिल चालकों के लिए ट्रैफिक सेफ्टी कोर्स जरूरी होगा। वरना करीब 35 हजार रुपए जुर्माना चुकाना होगा। दरअसल, लगातार बढ़ते हादसे सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं।
ट्रैफिक सुधारने के लिए सरकार को नए नियम बनाने पड़े
पिछले साल खतरनाक साइक्लिंग के 26,687 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से सिर्फ 328 लोगों ने सेफ्टी कोर्स किया था। इन पर लगाम और ट्रैफिक सुधारने के लिए सरकार को नए नियम बनाने पड़े हैं। अन्य वाहन चालकों के लिए भी नियम सख्त किए गए हैं।
तेज या लापरवाही से दोपहिया या अन्य वाहन चलाने पर लाइसेंस दो साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा। अन्य वाहन का रास्ता रोकना भी दंडनीय होगा। नए नियम 30 जून से पूरे देश में लागू हो जाएंगे।
शराब पीकर साइकिल चलाना, रास्ता रोकना मना
नए नियमों के मुताबिक, 14 प्रक्रियाओं या गतिविधियों पर रोक लगाई है और इनके उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इनमें शराब पीकर साइकिल चलाने और दूसरों का रास्ता रोकने पर भी पाबंदी रहेगी। साइकिल चलाते वक्त मोबाइल फोन नहीं चला सकते।
Sri Lanka's National Elections Commission Chairman Mahinda Deshapriya announced on Wednesday that the twice-postponed parliamentary elections will be held on August 5.
Pakistan on Wednesday summoned a senior Indian diplomat to register its protest over the alleged ceasefire violations by the "Indian forces" along the Line of Control (LoC).
पाकिस्तान सरकार पर अन-ऑथराइजतरीके से वहां कीसेना का कंट्रोलहै। ब्लूमबर्ग मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान की सरकार में 12 से ज्यादा प्रमुख पदों पर आर्मी के मौजूदा या पूर्व अफसर काबिज हैं। ये अफसर एयर कैरियर, बिजली विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान जैसे विभागों में नियुक्त हैं।तीन अपॉइंटमेंट पिछले 2 महीनों में हुएहैं।
इमरान की लोकप्रियता घटी
पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाईऔर सरकारी लोगों के भ्रष्टाचार में शामिल होने से प्रधानमंत्री इमरान खान का प्रभाव और लोकप्रियता कम हुई है। इसके चलते सेना का कद बढ़ गया है। विश्लेषकों ने लंबे समय से सेना के समर्थन को इमरान की पार्टी के लिए अहम माना है।
पाकिस्तान में येकोई नई बात नहीं है। यहां सेना सबसे पावरफुल है और उसने अपने सात दशक के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक देश पर शासन किया है। 2018 में जब इमरान प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने नया पाकिस्तान बनाने का वादा किया, ये वादा अब उन पर भारी पड़ने लगा है।
देश की नीतियों में आम लोगों की कोई जगह नहीं
अटलांटिक काउंसिल में नॉन-रेसिडेंट सीनियर फैलो उजैर युनूस के मुताबिक अहम पदों पर आर्मी अफसरों की नियुक्ति कर सरकार ये जता रही है कि देश में नीति बनाने और उन्हें लागू करने में आम लोगों की कोई जगह नहीं है।पाकिस्तान में इस वक्त कई आर्मी अफसरों को टीवी पर ब्रीफिंग करते देखा जा सकता है। ये अफसर महामारी रिस्पॉन्स टीम की मदद करते देखे जा सकते हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा अब इमरान खान के कम्युनिकेशन एडवाइजर हैं।
आर्थिक संकट की वजह से तनाव बढ़ रहा
इमरान लंबे समय से इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं कि 2017 के चुनाव से पहले से वे सेना के करीबी थे। हालांकि, पिछले साल उन्होंने मीडिया से कहा था कि सेना उनके साथ खड़ी है। महामारी के चलते पाकिस्तान में आर्थिक संकट की स्थिति है। इस वजह से तनाव बढ़रहा है। भारत के बाद पाकिस्तान एशिया में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित देशों में से एक है। वहां मरीजों की संख्या अब तक 1.13 लाख पहुंच चुकी है, जबकि 2,200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी।
जीडीपी ग्रोथ माइनस में पहुंची
पाकिस्तान में आर्थिक विकास दर पहली बार माइनस में पहुंच गई है। वहां के सेंट्रल बैंक का मानना है कि जून के आखिर तक जीडीपी में 1.5% गिरावट आएगी। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से अप्रैल में 1.4 अरब डॉलर का इमरजेंसी फंड मिला था। न्यूयॉर्क की रिस्क एडवाइजरी फर्म वाइजर कंसल्टिंग के अध्यक्ष आरिफ रफीक का कहना है कि पाकिस्तान में आर्थिक चुनौतियां लगातार बढ़ रही है। अहम पदों पर सेना के अफसरों की नियुक्ति करने से इमरान की सत्ता पर पकड़ कमजोर होती रहेगी और वे दबाव में आ जाएंगे।
अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस अफसर के हाथों मौत के विरोध मेंअमेरिका में प्रदर्शन जारी हैं।इस बीच, डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन विरोध की आवाजों को अपनेहक में भुनाने की कोशिश में जुट गए हैं। वे अश्वेत युवाओं को अपने पक्ष में करने के लिए 5 मिलियन डॉलर( करीब 38 करोड़ रुपए) खर्च करकेडिजिटल प्रचार मुहिम चलाएंगे। इसके लिए विज्ञापन तैयार कर लिए गए हैं। ये अलग-अलगसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाएंगे। बिडेन का चुनाव प्रचार देखने वाली कमेटी ने इस मुहिम का नाम ‘प्रोग्रेस’ रखा है।
फिलहाल, अश्वेतों के समर्थन में अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं। 25 मई को जॉर्ज की मौत मिनेपोलिस शहर में हुई थी। पुलिस अफसर डेरेक चॉविन ने उसके गले पर अपना घुटना करीब 9 मिनट तक रखा था। जॉर्ज सांस नहीं ले पाया और उसने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया।
फिल्डेल्फिया में दिखी बिडेन के कैंपेन की झलक
बिडेन के विज्ञापन में प्रदर्शन की अलग-अलग तस्वीरों को शामिल किया गया है। इसकी शुरुआतप्रदर्शन के दौरान फिल्डेल्फिया में दिएगएबिडेन केभाषण के साथ होती है। इसमें उन्होंनेकहा था, ‘‘इस देश का इतिहास हमें सिखाता है कि हमने निराशा के काले दौर के बाद कुछ काफी तरक्की की है। सिविल वॉरके बाद संविधान में 13वें, 14वें और 15वें संशोधन हुए। अश्वेतों पर बर्मिंघम के पब्लिक सेफ्टी कमिश्नर कॉनर के जुल्म सामने आने के बाद सिविल राइट्स एक्ट 1964 और वोटिंग राइट्स एक्ट 1965 बनाए गए।’’
कोरोना की वजह से चुनाव प्रचार पर असर पड़ा था
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 3 नवंबर को होना है। महामारी के चलते वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और जो बिडेन के कैंपेन पर असर पड़ा है। दोनों ही रैलियां नहीं कर पा रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी को उम्मीद के मुताबिक फंड भी नहीं मिला। ऐसे में अश्वेतों के आंदोलन से बिडेन और उनकी पार्टी को मौका मिल गया। बिडेन ने अश्वेतों को समान हक देने का समर्थन किया। वह प्रदर्शनों में शामिल भी हुए। जब ट्रम्प ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना उतारने की धमकी दी तो बिडेन ने इसका विरोध किया। डेमोक्रेटिक पार्टी ने बिडेन के प्रचार के लिए चुनाव खर्च भी बढ़ा दिया है।
The European Union will recommend its member states begin to reopen their external frontiers to travellers from outside the bloc from July 1, diplomatic chief Josep Borrell said Wednesday.
Election officials in the isolated region of Chukotka in Russia's Far East announced they had dispatched employees to collect votes from deer herders in the tundra.
पाकिस्तान की वायुसेना इन दिनों एक वॉर गेम में हिस्सा ले रही है। इसका कोड नेम हाई मार्क है। भारतीय वायुसेना इस पर पैनी नजर रख रही है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस वॉर गेम का मकसद फरवरी 2019 में हुई बालाकोट जैसीएयर स्ट्राइक से निपटना है। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैम्प को तबाह कर दिया था।
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान एयरफोर्स (पीएएफ) के इस वॉर गेम में उसके सभी फाइटर जेट हिस्सा ले रहे हैं। इनमें जेएफ-17, एफ-16 और मिराज 3 शामिल हैं। पीएएफ ने अभ्यास की जानकारी, वहां की एविएशन मिनिस्ट्री को भी दी है।
रात में उड़ान भर रहे पाकिस्तानी फाइटर जेट
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी एयरफोर्स रात में उड़ान भरने का अभ्यास कर रही है। मंगलवार रात कराची के आसमान पर पाकिस्तानी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान दिखाई दे रहे थे। पिछले हफ्ते भी पाकिस्तान ने ऐसी ही एक एयरफोर्स ड्रिल की थी। तब हंदवाड़ा के एक एनकाउंटर में भारतीय सेना के एक कर्नल शहीद हो गए थे। पाकिस्तान को डर था कि भारतीय वायुसेना फिर कोई एयर स्ट्राइक कर सकती है।
पुलवामा हमले के बाद भारत नेएयर स्ट्राइक की थी
वायुसेना ने12 फरवरी 2019 को हुएपुलवामा हमले के बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। अगले दिन 27 फरवरी को पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई की कोशिशों को वायुसेना ने विफल कर दिया था। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश ने ली थी। इसके 12 दिन बाद वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की थी।
मिनेपोलिस शहर में पिछले हफ्ते 46 साल के अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े प्रदर्शन हुए। इस घटना से जनता में आक्रोश की सीमाएं टूट गईं। पूरे देश के 40 से भी अधिक शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए। मंगलवार को ह्यूस्टन में फ्लॉयड को दफनाया गया।
इन सबके बीच यह सवाल उठताहै कि क्या फ्लॉयड वास्तव में इस सम्मान के काबिल था? जॉर्ज कई अपराध में शामिल होने के कारण 7 बार जेल जा चुका था। इसे नहीं भूलना चाहिए। हालांकि, उसकी मौत सामान्य नहीं थी, लेकिनयह भी सच हैउसकी मौत के बाद हुए प्रदर्शनों मेंकई लोगों को नुकसान सहना पड़ा, इसे कैसे भुलाया जा सकता है। उसे हीरो बनाकर राजनीति की जा रही है।
मीडिया जैसा बता रहा, वैसी स्थिति नहीं
मीडिया जितना बता रहा है, यहां उतनी रंगभेद की स्थिति नहीं है। यदि ऐसा होता तो अफ्रीकन-अमेरिकन के साथ दूसरे देशों के लोग यहां प्रेम, सम्मान के साथ नौकरियों में ऊंचे पदों पर न बैठे होते। इस देश की कई होमलेस सुविधाओं का सबसे अधिक लाभ भी यही लोग उठा रहे हैं।फ्लॉयड की मौत के बाद हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले कई युवा ऐसे हैं, जो ड्रग्स, चोरी जैसे अपराधों में शामिल हैं। आंदोलन में इनके शामिल होने से जनता को भी बहुत नुकसान उठाना पड़ा।
अंतिम संस्कार में निकली रैलियां
फ्लॉयड के अंतिम संस्कार पर मिनेपोलिस, ह्यूस्टन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, फिलाडेल्फिया, अटलांटा और सिएटल में भी कई रैलियां निकाली गईं। रैली में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें ह्यूस्टन की रैली में 60 हजार लोग शामिल हुए। न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में ब्रिज बंद कर दिया गया। कुछ ऐसा ही नजारा अमेरिका के अन्य शहरों में भी दिखाई दिया।
8 मिनट 46 सेकंड का मौन रखा गया
ह्यूस्टन में फ्लॉयड को मंगलवार दोपहर दफनाया गया। इस दौरान 8 मिनट और 46 सेकंड का मौन धारण किया गया, क्योंकि इतनी ही देर पुलिस ने घुटने से फ्लॉयड की गर्दन दबाए रखी थी। दम घुटने से उसकी मौत हो गई थी। इसके साथ ही मिनेसोटा राज्य के मिनेपोलिस में फ्लॉयड का एक स्मारक भी बनाया जाएगा।
आंदोलन सामान्य जनता का आक्रोश
अफ्रीकन-अमेरिकन, श्वेत, लैटिन, एशियन और मूल अमेरिकन सभी फ्लॉयड की मौत के बाद शुरू हुए आंदोलन में शामिल हुए हैं। यह प्रदर्शन केवल एक अफ्रीकन-अमेरिकन की मौत के लिए नहीं हुए। सही मायने में यह आंदोलन अब तक दबेहुए आम आदमी का आक्रोश है। अमेरिका जैसेआजादी वाले देश में न्याय की गुहार लगाने की गुजारिश है। कई लोग अपने आप को हमेशा से व्हाइट अमेरिकन से नीचा मानकर अपनी भावनाओं को दबाते रहे हैं। आखिर ऐसे समय में उनका आक्रोश इस तरह से बाहर आया और आंदोलन का हिस्सा बना। फ्लॉयड की मौत अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी नागरिक अशांति मानी गई है।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे आंदोलन
अमेरिका में पहले भी ऐसे आंदोलन हो चुके हैं। ऐसे आंदोलन इतिहास बनाते हैं। 1955 में एक अश्वेत महिला रोजा मोंटगोमेरी अल्बामा स्टेट में बस में श्वेतोंकी विशेष सीट पर बैठ गई थी। सीट खाली करने को कहा गया तो उन्होंने इनकार करते हुए विरोध कर दिया। रोजा पर केस दर्ज हुआ। उन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ी। आखिर 1956 में उन्हें अपना हक मिला। अमेरिकन सिविल राइट्स की लड़ाई में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। अमेरिका की संसद ने उन्हें ‘मदर ऑफ फ्रीडम मूवमेंट ’ नाम दिया।
आखिर में 1960 में मार्टिन लूथर किंग की लड़ाई के बाद अश्वेतों को कई हक मिलने लगे। इसमें भी अमेरिकन सिविल राइट्स मूवमेंट की यह महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके बाद वे राष्ट्रीय हीरो बन गए।
भारत में रंग नहीं, लेकिन जाति के आधार पर हुआ विभाजन
हमारे देश में भी एक ही तरह के रंग-रूप और बोली वाले लोगों के बीच ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र जैसे चार वर्ण हैं। सब इन्हीं में बंटे हुए हैं। इससे एक जैसे दिखने होने के बाद भी अलगाव का बीज रोपा गया। उन दिनों में अगर निचले तबके का कोई आदमी ऊंची जाति के लोगों के सामने से गुजरता, तो उसे अपने सिर पर चप्पल रखकर गुजरना पड़ता। सवर्णों के अलावा अन्य लोगों को गांव के कुओं से पानी लेने की भी मनाही थी। इस जातीयभेदभाव ने हजारों सालसे इंसान को इंसान से अलग करने में बड़ीभूमिका निभाई है। भारत में, किसी व्यक्ति के उपनाम से तय होता है कि वह किस समुदाय से है।
अमेरिका में कम हो रहा रंगभेद
अमेरिका में उपनामों के आधार पर लोगों में छोटे-बड़े जैसी कोई बात नहीं है। यहां पर रंग और किस देश के मूल निवासी हैं, इस आधार पर भेदभाव किया जाता रहा है। तमाम देशों से लाखों लोग अमेरिका आए हैं और यहां के निवासी बने हैं। अंतर्विवाह के कारण यहां मिश्रित लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जिसके चलते यहां रंगभेद कम हो रहा है। यहां रंगभेद नहीं, उनके व्यवहार के कारण भेदभाव किया जाता है। इसके अलावा अमेरिका का पहला और अंतिम नियम है कि चाहे कोई भी वजह हो इंसानियत को नहीं छोड़ा जाएगा।
(रेखा ने कई किताबें लिखी हैं। पिछले 20 सालों से वे कई मैगजीन और न्यूज पेपर से जुड़ी हुई हैं।)
पाकिस्तान में मंगलवार रात सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि भारतीय वायुसेना के जेट फाइटर्स कराची और बहावलपुर के करीब उड़ान भर रहे हैं। कुछ लोग दहशत में आ गए। दावा तो यहां तक था कि कराची में भारत के हमले के डर से ब्लैकआउट कर दिया गया है। यह अफवाहें बुधवार सुबह तक चलती रहीं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार कर दिया है।
सच्चाई बताइए
पाकिस्तान में एनबीसी के पूर्व रिपोर्टर वाज खान ने ट्विटर पर लिखा, ‘प्रिय, भारत और पाकिस्तान। अफवाहें हैं कि भारतीय वायुसेना ने पीओके और सिंध-राजस्थान सेक्टर में घुसपैठ की है। दोनों देशों को मामले की जानकारी देना चाहिए। मेरी गुजारिश है कि शांत रहें और इस हफ्ते का मजा लें।’
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जेट फाइटर्स देख भी लिए
कराची के एक यूजर को तो भारत के जेट फाइटर्स नजर भी आ गए। लराइब मोहिब ने कहा- मैंने खुद जेट फाइटर्स को उड़ान भरते देखा। ये हो क्या रहा है। आयशा जफर ने लिखा- कराची के करीब शायद काफी जेट फाइटर्स उड़ान भर रहे हैं। आयशा भी कराची में ही रहती हैं। एक यूजर के मुताबिक, भारत ने नहीं बल्कि पाकिस्तान एयरफोर्स ने राजस्थान बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश की है। भारतीय वायुसेना एक्शन में आई तो पाकिस्तान के जेट फाइटर्स दुम दबाकर लौट गए।
विंग कमांडर अभिनंदन का भी जिक्र हुआ
कुछ यूजर्स ऐसे भी थे जिन्होंने मंगलवार रात की कथित घटना को विंग कमांडर अभिनंदन से जोड़ दिया। फरवरी में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इसके पहले हुई झड़प में विंग कमांडर अभिनंदन का एमआईजी-21 पाकिस्तान में क्रैश हुआ था। अभिनंदन को बंदी बना लिया गया था। बाद में पाकिस्तान उन्हें छोड़ने पर मजबूर हुआ। कराची के एक यूजर ने कहा कि पाकिस्तानी एयरफोर्स भारत को सरप्राइज दे सकती है।
"Now, if racism is something that exists everywhere, racism also exists within the United Nations... We have very robust policies in relation to discrimination, harassment, abuse of authority... But we have not paid enough attention within the organisation to the specific question of racist bias and racist discrimination," Guterres said during the meeting.