अमेरिकी सेना में पहली बार कोई अश्वेत वायुसेना प्रमुख बनाया गया है। अमेरिकी संसद ने मंगलवार को जनरल चार्ल्स क्यू ब्राउन जूनियरकी इस पद पर नियुक्ति को मंजूरी दे दी। उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने संसद में उन्हें अगला वायुसेना प्रमुख बनाने पर वोटिंग कराई गई। 96 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट किया, जबकि एक भी सांसद विरोध में नहीं आए।
फिलहाल अमेरिका में अश्वेतों के समर्थन में कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं। अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की एक पुलिस अफसर के घुटने से गले दबाए रखने के बाद हुई मौत के बाद अश्वेतों को समान हक देने की मांग उठ रही है।
मैं भावुक हूं: जनरल ब्राउन
वायुसेना प्रमुख के लिए नाम तय होने पर जनरलब्राउन ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि मैं भावुक हूं। मैं कई ऐसे अफ्रीकी अमेरिकियों के बारे में सोच रहा हूं, जिन्हें जॉर्ज फ्लॉयड जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। मैं नस्लभेदी मुद्दों से जुड़े इतिहास और अपने अनुभवों के बारे में सोच रहा हूं। वायुसेना प्रमुख के तौर पर मुझे नामित किए जाने पर मुझे कुछ उम्मीद नजर आ रही है। हालांकि, यह एक बड़ा बोझ भी होगा। मैं अपने पेशेवर रवैये से नस्लीय भेदभाव खत्म करने की कोशिश करूंगा।
अमेरिकी सेना में बड़े पदों पर अश्वेतों की संख्या कम
अमेरिकी सेना में बड़े पदों पर अश्वेत अफसरों की संख्या कम है। पेंटागन के हालिया आंकड़ों के मुताबिक सेना में 18.7% जवान अश्वेत हैं। बड़े पदों पर 71.6 फीसदी श्वेत अफसर हैं जबकि अश्वेत अफसर महज 8.8% हैं। देश में अश्वेतों के समर्थन में प्रदर्शन के बीच सेना में भी इस भेदभाव को खत्म करने की कोशिश शुरू हो गई है। सभी मिलिट्री सेवाओं के प्रमुखों ने फ्लॉयड की मौत के बाद अपनी इकाइयों में इस मुद्दे का समाधान ढूंढने की बात कही है। सेना दर्जन भर से ज्यादा ऐसे बेस और संस्थान का नाम बदलने की योजना बना रही हैजो अमेरिकी सेना कमांडरों के नाम पर रखे गए हैं।
In the last week, the Trump campaign hired Jason Miller, communications director in 2016, to focus on strategy and coordinate between the campaign and the White House. Miller has co-hosted a pro-Trump podcast with the president's former campaign chief executive, Steve Bannon.
The vote came as the Trump administration and the mostly white Senate Republican conference grapple with the aftermath of the killing of George Floyd in police custody in Minneapolis. Protests have convulsed the nation alongside the coronavirus pandemic, with racial discrimination being the common thread between them. The vote in Washington overlapped with Floyd's funeral in Houston.
अमेरिकी अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड को मंगलवार को उनके होमटाउन ह्यूस्टन में दफनाया गया। फ्लायड की अंतिम यात्रा के लिएह्यूस्टन में 6 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए। यहां फाउंटेन ऑफ प्राइज चर्च में छह घंटे तक उनका ताबूत रखा गया। चर्च से कब्रिस्तान तक उनके शव को बग्घी में ले जाया गया। उन्हें उनकी मां की कब्र के पास ही दफनाया गया।
25 मई को धोखाधड़ी के आरोप में फ्लॉयड को मिनेपोलिस में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस अफसर डेरेक चॉविन ने उन्हें हथकड़ी पहनाई और जमीन पर उल्टा लिटाकरगर्दन को घुटने से 8 मिनिट 46 सेकंड तक दबाए रखा। इससे जॉर्ज की सांसें रुक गईं और वे बेहोश हो गए। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गए।
पूर्व उपराष्ट्रपतिबिडेन ने जारी किया वीडियो संदेश
अंतिम संस्कार से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बिडेन ने वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने फ्लॉयड के परिवार के प्रति संवेदना जताई। बिडेन ने यह बात जॉर्ज की 6 साल की बेटी गियाना से कहा, “आप लोग वास्तव में बहादुर हैं। किसी बच्चे को वेसवाल नहीं पूछने चाहिए, जो अश्वेत बच्चे पीढ़ियों से पूछते आ रहे हैं।वो सवाल यह है कि हमारे पिता कहां चले गए?”
दफनाने से पहले गूंजे फ्लॉयड के आखिरी शब्द
फ्लॉयड की अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने ‘आई कांट ब्रीद’ और ‘‘कीप योर नी ऑफ माई नेक’’ के नारे लगाए। ये उनके आखिरी शब्द थे। उनकी मौत ने अंतरराष्ट्रीय आंदोलन को जन्म दे दिया है। दुनियाभर के कई देशों में नस्लीय भेदभाव का मुद्दा फिर से गरमाने लगा है। कई देशों में पिछले दो हफ्तों से प्रदर्शन हो रहे हैं। फ्लॉयड के आखिरी शब्दआंदोलनों के अहम नारे बन गए हैं।
Floyd died in Minneapolis on May 25 after white police officer Derek Chauvin handcuffed and pinned him to the ground, and knelt on his neck for more than eight minutes while the 46-year-old from Houston gasped for breath. The footage, which went viral, showed Floyd pleading with the officer, saying he can't breathe. The four police officers seen in the footage have since been charged.
The military's heightened profile comes as Prime Minister Imran Khan sees his influence and popularity dwindle due to a slowing economy, high consumer prices and corruption investigations involving his close aides.
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 13 हजार 623 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 73 लाख 16 हजार 770 हो गया है। अब तक 36 लाख 02 हजार 480 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। पाकिस्तान के लिए दोहरी मुसीबत सामने है। डब्ल्यूएचओ ने इमरान खान सरकार से फिर लॉकडाउन लगाने और इसे सख्ती से लागू करने को कहा है। खास बात ये है कि प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही कई बार इससे इनकार कर चुके हैं। उनका कहना है कि इससे देश की इकोनॉमी तबाह हो जाएगी।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
20,45,549
1,14,148
7,88,862
ब्राजील
7,42,084
38,497
3,25,602
रूस
4,85,253
6,142
2,42,397
ब्रिटेन
2,89,140
40,883
उपलब्ध नहीं
स्पेन
2,89,046
27,136
उपलब्ध नहीं
भारत
2,76,146
7,750
1,34,670
इटली
2,35,561
34,043
1,66,646
पेरू
2,03,736
5,738
92,929
जर्मनी
1,86,516
8,831
1,70,200
ईरान
1,75,927
8,425
1,38,457
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पाकिस्तान : डब्ल्यूएचओ का दबाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाकिस्तान सरकार से फिर लॉकडाउन लगाने और इसका सख्ती से पालन कराने को कहा है। कहने को तो पिछले महीने भी पाकिस्तान ने आंशिक लॉकडाउन लगाया था लेकिन, इसका असर कहीं नहीं दिखा। रमजान के दौरान मस्जिदें खुली रहीं और ईद के दौरान बाजारों में बेहद भीड़ रही। यहां के डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पिछले मई की शुरुआत में ही सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर लॉकडाउन लागू नहीं किया गया तो हालात बदतर हो सकते हैं।
इमरान की मजबूरी
पाकिस्तान में मार्च के पहले हफ्ते में संक्रमण शुरू हुआ। मामले बढ़े तो प्रधानमंत्री इमरान खान पर दबाव बढ़ा। अलग-अलग प्रांतों में दिखावे का आंशिक लॉकडाउन रहा लेकिन, इसका फायदा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि लोगों ने इसका पालन नहीं किया। इमरान ने कहा कि देश लॉकडाउन से पड़ने वाला आर्थिक बोझ सहन नहीं कर सकता। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि पाकिस्तान में 1 लाख 8 हजार से ज्यादा मामले और 2 हजार 172 मौतें बताई गई हैं। लेकिन, असली आंकड़े इससे काफी ज्यादा हो सकते हैं।
ब्राजील : 32 हजार मामले
मंगलवार का दिन ब्राजील के लिए बेहद चिंताजनक रहा। यहां कुल 32 हजार 91 नए मामले सामने आए। देश में अब तक 7 लाख 39 हजार 503 संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी है। खास बात ये है कि यह लगातार चौथा दिन था जब देश में एक दिन में 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। देश में अब तक 38 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपति बोल्सोनोरो के खिलाफ देश और दुनिया में आवाजें उठने लगी हैं। दूसरी तरफ, बोल्सोनोरो का कहना है कि महामारी की वजह से देश बंद नहीं किया जा सकता।
पेरू : दो लाख से ज्यादा मामले
पेरू में अब कुल मामलों की संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई है। मंगलवार रात जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 2 लाख 3 हजार 736 संक्रमित हैं। 24 घंटे में 167 लोगों की मौत हुई। अब मरने वालों का आंकड़ा 5738 हो गया है। अमेरिका और लैटिन अमेरिका संक्रमण बेहद तेजी से फैला है। ब्राजील, पेरू और मैक्सिको में मामले बढ़ते जा रहे हैं।
चीन : 3 नए मामले
यहां बुधवार को तीन नए मामलों की पुष्टि हुई। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, तीनों मामले उन लोगों के हैं जो दूसरे देशों से चीन आए। दूसरे देशों से आने वाले कुल 1786 मामले सामने आ चुके हैं। बयान के मुताबिक, दूसरे देशों से आए कुल 54 लोग अब भी अस्पताल में हैं। बाकी को डिस्चार्ज किया जा चुका है।
"As of today, Pakistan does not meet any of the pre-requisite conditions for opening the lockdown", the WHO said in a letter to Punjab's provincial health minister Yasmin Rashid. The health body recommended an intermittent lockdown cycle of two weeks on, two weeks off.
पुलिस के हाथों जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में प्रदर्शन हो रहे हैं। साथ ही अमेरिकियों की सोच में भी बदलाव दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि करीब 10 में 8 अमेरिकियों ने माना है कि नस्लवाद और भेदभाव बड़ी समस्या है। 2015 के बाद यानी महज 5 साल में ऐसा मानने वालों की संख्या 26% बढ़ गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि 71% श्वेत ऐसा मानते हैं।
नस्लवाद और भेदभाव पर अमेरिकी इतिहास की यह सबसे बड़ी सहमति है। 10 में 6 अमेरिकी यह भी मानते हैं कि पुलिस भी श्वेत की तुलना में अश्वेतों के साथ ज्यादा बर्बरता करती है। जॉर्ज फ्लॉयड के साथ जिस मिनोपोलिस में घटना हुई, वहां की 20% आबादी अश्वेत है। इनमें से करीब 9 फीसदी अश्वेत पुलिस में हैं।
इसके बावजूद मिनोपोलिस में पुलिस के अत्याचारों का सबसे ज्यादा शिकार अश्वेत ही हैं। वे 7 गुना ज्यादा अत्याचार झेलते हैं।
नागरिक अधिकारों पर काम करने वाले वकील और डेमोक्रेसी फॉर कलर के संस्थापक स्टीव फिलिप कहते हैं, "देश में जो कुछ हो रहा है, वह ऐतिहासिक है। यह निश्चित तौर पर एक बड़े बदलाव की तैयारी है। मेरा मानना है कि पुलिस की फंडिंग को कम कर सामाजिक कामों में इस्तेमाल की जानी चाहिए।'
कैलिफोर्निया में हार्वे मड कॉलेज के सोशल साइकोलॉजिस्ट अनूप गम्पा कहते हैं, "मैंने लोगों के रवैए में इतना बड़ा बदलाव कभी नहीं देखा, चाहे वे किसी भी उम्र के हो, उदारवादी हो या संकीर्ण मानसिकता वाले। इस बात से हैरानी होती है।'
2020 के चुनावों की दिशा तय करने में इस मुद्दे की भूमिका होगी
न्यूयॉर्क टाइम्स पोल वॉच के मुताबिक, ब्लैक लाइव्ज मैटर आंदोलन ने बड़ी तेजी से अमेरिकियों की सहानुभूति हासिल कर ली है। इसने स्थानीय सरकारों और नेताओं को नीतियों में बदलाव लाने पर मजबूर कर दिया है। यह 2020 के चुनावों की दिशा तय कर सकता है।
चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण पिछले साल अगस्त में ही शुरू हो गया था। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की स्टडी में यह दावा किया गया है। हालांकि चीन ने दुनिया को इस संक्रमण की जानकारी 31 दिसंबर को दी थी। स्टडी करने वाली टीम ने कमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी की मदद से वुहान शहर की कुछ तस्वीरों की स्टडी की है।
ये तस्वीरें अगस्त 2019 और इससे ठीक एक साल पहले की हैं। इनमें वुहान शहर के अस्पतालों के बाहर बड़ी संख्या में वाहन दिख रहे हैं। इससे पहले वुहान में इस तरह भीड़ सिर्फ संक्रमण के चलते ही दिखी है। स्टडी के अनुसार संभव है कि रिपोर्ट किए जाने से बहुत पहले ही चीन में कोरोना का प्रकोप शुरू हो चुका था।
डॉक्टर्स शुरुआती तौर पर बीमारी पहचानने में नाकाम रहे
अगस्त से ही वुहान के 5 बड़े अस्पतालों के बाहर आश्चर्यजनक तौर पर वाहनों की भीड़ थी। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि जो लोग अस्पताल पहुंचे उन्हें मौसम की वजह से खांसी-बुखार और डायरिया के मरीज समझकर इलाज किया गया हो। संभव है कि डॉक्टर्स को इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं चला होगा।
भारत में चीन से नहीं फैला कोरोना: आईआईएससी
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) की ताजा स्टडी में पता चला है कि भारत में कोरोना चीन से नहीं, बल्कि यूरोप, मध्य पूर्व, ओशिनिया और दक्षिण एशियाई देशों से आाया है। इन्हीं देशों से भारत में सबसे ज्यादा लोगआए। वैज्ञानिकों ने यह दावा जीनोमिक्स स्टडी के आधार पर किया है।
अमेरिका में अगस्त तक 1.45 लाख मौतें संभव
अमेरिका में कोरोना प्रकोप के बीच यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अगस्त तक देश में 1.45 लाख लोगों की मौत हो सकती है।
इक्वेटर के करीब होने के कारण सिंगापुर में तापमान सामान्य तौर पर 32 डिग्री सेल्सियस (90 डिग्री फारेनहाइट) तक पहुंच जाता है। लेकिन, यहां अवॉर्ड विनिंग बॉटनिकल गार्डन के पास मौजूद कई बहुमंजिला इमारतों में अधिकतम तापमान सिर्फ 24 डिग्री सेल्सियस ही रहता है।
यहां भी एयर कंडीशनर की बदौलत ही तापमान को नियंत्रित रखा जा रहा है, लेकिन खासियत यह है कि यहां का एसी सिस्टम इको फ्रेंडली हैं। ये न सिर्फ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और परिसर को ठंडा रख रहा है बल्कि धरती को भी ग्लोबल वार्मिंग से बचा रहा है। इस सिस्टम का नाम है मरीना बे कूलिंग सिस्टम। यह पूरी तरह अंडरग्राउंड है। इससे ऊर्जा की 40 फीसदी तक बचत होती है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी बड़ी कमी आई है।
यह कूलिंग सिस्टम इको-फ्रेंडली है
यह सिस्टम पाइप के जरिए आसपास के पांच किलोमीटर तक के इलाके में मौजूद घरों को कूलिंग की सुविधा उपलब्ध कराता है। इस सिस्टम से जितनी ऊर्जा बचती है उससे आम एयरकंडीशनर के जरिए 24 हजार अतिरिक्त घरों में कूलिंग दी जा सकती है। यह बचत ऐसी है मानों शहर की सड़कों से 10 हजार कारों को स्थाई रूप से हटा लिया गया हो।
ऊर्जा खपत को नियंत्रित करने में कारगर सिस्टम
सिंगापुर को इस तरह की पहल इसलिए करनी पड़ी क्योंकि कुछ सालों से कूलिंग की डिमांड लगातार बढ़ रही थी। इससे ऊर्जा की खपत ज्यादा हो रही थी और साथ ही पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। पिछले दो दशक में दुनियाभर में एयर कंडीशनिंग का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है।
एसी के डिमांड में इजाफे की अगुवाई चीन कर रहा है। वहां स्पेस कूलिंग के लिए ऊर्जा की डिमांड हर साल 13 फीसदी की दर से बढ़ रही है। ऊर्जा की डिमांड में यह बढ़ोतरी यूके की सालाना खपत से ज्यादा है।
दुनिया में हर सेकंड बिकते हैं 10 नए एयर कंडीशनर
अन्य विकासशील देश भी तेजी से चीन की राह पर जा रहे हैं। एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में आय का स्तर बढ़ रहा है। इन देशों में जो परिवार मध्यम वर्ग में प्रवेश करता है उनके लिए एसी रखना स्टेटस सिंबल जैसा है।
एक अनुमान के मुताबिक अब से साल 2050 तक दुनिया भर में हर सेकंड में 10 नए एयर कंडीशनर बिकेंगे। 2050 तक दुनिया के दो तिहाई परिवारों के पास एयर कंडीशनर होगा। इनमें से आधे एयर कंडीशनर भारत, चीन और इंडोनेशिया में होंगे। दुनिया में यही ट्रेंड जारी रहा तो कुल उपलब्ध ऊर्जा का एक तिहाई सिर्फ घरों और वाहनों की कूलिंग पर खर्च करना होगा।
अमेरिका की 68 साल की डॉ. कैथी सुलिवान दुनिया की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिन्होंने न केवल अंतरिक्ष में चहल-कदमी की, बल्कि समुद्र के सबसे गहरे स्थल मारियाना ट्रेंच में 35 हजार 810 फुट नीचे चैलेंजर डीप की सतह को भी छुआ है। उन्होंने यह कारनामा इयोस एक्सपेडिशंस नामक लॉजिस्टिक कंपनी के साथ मिलकर किया।
उनके साथ विक्टर एल वेस्कोवो भी गए थे। दोनों ने चैलेंजर डीप पर करीब डेढ़ घंटा बिताया। फिर करीब 4 घंटे बाद वे वापस अपने जहाज पर पहुंचे और करीब 254 मील ऊपर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों से बात भी की। डॉ. कैथी ने रविवार को यह उपलब्धि हासिल की। मारियाना ट्रेंच गुआम से करीब 200 मील दूर है।
उपलब्धि हासिल कर डॉ. कैथी ने कहा- ‘एक अंतरिक्ष यात्री और समुद्री वैज्ञानिक होने की वजह से मेरे लिए यह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन था। जीवन में एक बार होने वाले चैलेंजर डीप को देखना और फिर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के साथियों के साथ नोट्स की तुलना करना सचमुच नहीं भूलने वाला पलहै।
समुद्र की सतह से 20 से 36 हजार फुट की गहराई पर हमने जो तस्वीरें ली हैं, वह वास्तव में अभूतपूर्व हैं। अगर आप एवरेस्ट को चैलेंजर डीप में रखते हैं, तो इसकी चाेटी समुद्र तल से एक मील से भी अधिक नीचे होगी। एवरेस्ट की चाेटी और चैलेंजर डीप के निचले हिस्से तक पहुंचना बेहद चुनाैतीपूर्ण है, क्याेंकि दाेनाें जगह हवा के दबाव में काफी अंतर हाेता है।
एक ओर समुद्र तल और दूसरी ओर एवरेस्ट की चाेटी। समुद्र तल की तुलना में एवरेस्ट की चाेटी पर हवा का दबाव 70% तक कम हाेता है। समुद्र तल में दबाव का स्तर 1013 मिलीबार हाेता है, जबकि एवरेस्ट पर यह 253 मिलीबार ही हाेता है।
1984 में अंतरिक्ष में चलने वाली अमेरिका की पहली महिला बनी थीं
डॉ. कैथी ने 1978 में नासा ज्वाइन किया था। 11 अक्टूबर, 1984 को वह अंतरिक्ष में चलने वाली पहली अमेरिकी महिला बनीं। इस मिशन के दौरान हबल स्पेस टेलिस्कोप को लॉन्च किया गया था। हबल पृथ्वी की कक्षा में घूमती ऑब्जर्वेटरी है, जिसने पिछले 30 साल में अद्भुत नजारे कैमरे में कैद किए हैं।
ईरान ने अपने एक नागरिक को अमेरिका और इजराइल के लिए जासूसी का दोषी पाए जाने के बाद सजा-ए-मौत सुनाई। दोषी का नाम महमूद मुसावी माजिद है। माजिद पर आरोप था कि उसने देश के सबसे लोकप्रिय जनरल कासिम सुलेमानी के इराक में होने की जानकारी अमेरिका को दी थी। सुलेमानी को अमेरिका ने इराक के बगदाद एयरपोर्ट के करीब ड्रोन से मिसाइल दागकर मार गिराया था। उस वक्त सुलेमानी कार में बैठकर जा रहे थे। तब ईरान ने अमेरिका को बदला लेने की धमकी भी दी थी।
दुश्मन को हमारे जनरल की जानकारी दी
माजिद को सजा-ए-मौत सुनाए जाने की जानकारी ईरान के कानून मंत्रालय के प्रवक्ता हुसैन इस्माइल ने मंगलवार को दी। इस्माइल ने कहा, “माजिद कुद्स सेना प्रमुख की लोकेशन और मूवमेंट की जानकारी हमारे दुश्मन अमेरिका को देता था। इसके बदले उसे अमेरिकी डॉलर मिलते थे। हमने उसे सजा-ए-मौत सुनाई है।” माना जा रहा है कि माजिद की सजा पर जल्द अमल हो सकता है।
रॉकेट हमले में हुई थी सुलेमानी की मौत
सुलेमानी ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख थे। तीन जनवरी को वह सीरिया से इराक के बगदाद एयरपोर्ट पर पहुंचे। यहां वो एक कार में बैठे। कई और गाड़ियां भी उनके काफिले में थीं। इसी दौरान अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन से दागी गई मिसाइल उनकी गाड़ी से टकराई। हमले में सुलेमानी की मौत हो गई। ईरान में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक रहा। लोग सड़कों पर उतर आए। कुद्स फोर्स मुख्य तौर पर खुफिया एजेंसी है। ईरानी सेना में इसकी अलग यूनिट है।
गहन जांच का दावा
सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने अमेरिका से बदला लेने की धमकी दी थी। आमतौर पर सुलेमानी की यात्राएं बेहद गुप्त होती थीं। लेकिन, उनके बगदाद में होने की जानकारी अमेरिका को मिल गई। ईरान का दावा है कि उसने सुलेमानी की मौत के मामले में गहन जांच कराई। इसमें कुछ लोगों पर शक हुआ। जांच के बाद माजिद को दोषी पाया गया। हालांकि, केस और सुनवाई की जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं की गई। माजिद पर एक आरोप इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद करने का भी था।
However, it immediately raised questions about how Majd would have had access to Soleimani's travel information. Esmaili accused Majd of allegedly sharing security information on the Guard and its expeditionary unit, called the Quds, or Jerusalem, Force, which Soleimani commanded.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की घटना को अपमानजनक करार दिया। उन्होंने सोमवार को व्हाइट हाउस में इससे जुड़ा सवाल पूछे जाने पर यह बात कही मूर्ति को 2 जून की रात अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत केखिलाफ विरोध करने वालों ने नुकसान पहुंचाया था। वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के बाहर लगी मूर्ति पर स्प्रे पेंट कर ग्रैफिटि बना दिए थे।
महात्मा गांधी की यह मूर्ति वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास के सामने 16 सितंबर 2000 को लगाई गई। भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मौजूदगी में इसका अनावरण हुआ था। यह यहां लगाई गई चंद विदेशी नेताओं की मूर्तियों में से एक है।
भारतीय दूतावास ने मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की शिकायत की थी
भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने भी मूर्ति को नुकसान पहुंचाने पर माफी मांगी थी। उन्होंने कहा कि था गांधी की मूर्ति को तोड़ना काफी दुखद है। हमारी माफी कबूल करें। इसके साथ कई सांसदों ने और ट्रम्प के कैंपेन ने भी इसके लिए माफी मांगी थी। अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने 3 जून को मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की शिकायत की थी। पुलिस इसकी जांच कर रही है। भारतीय दूतावास ने अमेरिकी विदेश विभाग, मेट्रोपॉलिटन पुलिस और नेशनल पार्क सर्विस के साथ मिलकर मूर्ति की मरम्मत का काम शुरू किया है।
ट्रम्प ने पुलिस का बचाव किया
अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हत्या के बावजूद ट्रम्प ने पुलिस की तारीफ की। कहा- पुलिस ने शानदार काम किया है। अमेरिका जॉर्ज की मौत को 14 दिन हो चुके हैं। अमेरिका में उसे इंसाफ दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अब एक नई मांग उठ रही है कि पुलिस को मिलने वाली फंडिंग यानी सरकारी बजट पर रोक लगाई जाए। लेकिन, ट्रम्प ने इसका विरोध किया। कहा- पुलिस की फंडिंग बंद नहीं की जाएगी। न ही इस डिपार्टमेंट को बंद किया जाएगा। हम चाहते हैं कि वहां अच्छे अफसर रहे। 99.99 फीसदी अच्छे अफसर ही हैं। जो कुछ (फ्लॉयड मामले में) हुआ वो भयानक और दुखद था।
25 मई को जॉर्ज की मौत हुई थी
मिनेसोटा राज्य की मिनीपोलिस शहर की पुलिस ने 25 मई को जॉर्ज फ्लॉयड को धोखाधड़ी के आरोप में पकड़ा था। इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने उसे हथकड़ी पहनाई और जमीन पर उल्टा लिटाकर उसकी गर्दन को घुटने से 8 मिनिट 46 सेकंड तक दबाए रखा। इससे जॉर्ज की सांसें रुक गईं और वे बेहोश हो गए। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गए।
अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के हत्यारे पुलिस अफसर डेरेक चॉविन को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया। टेलिकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 15 मिनट चली सुनवाई के दौरान आरोपी चुप रहा।कोर्ट नेशर्त और बिना शर्त जमानत के विकल्प दिए। बिना शर्त जमानत के लिए डेरेक को1.25 डॉलर ( करीब 9.5 करोड़ रुपए) देने होंगे। दूसरे विकल्प में चार शर्तें हैं।
डेरेके के वकील एरिक नेल्सन ने जमानत राशि या शर्तों पर कोई आपत्ति नहीं जताई। अगली सुनवाई29 जून को होगी। इसमें उसकी तरफ से अपील दायर की जा सकती है।
सशर्त जमानत में 7.5 करोड़ देने होंगे
बर्खास्तपुलिस अफसर अगर सशर्त जमानत के लिए तैयार होता है तो उसे 10 लाख डॉलर (करीब 7.5 करोड़ रुपए) देने होंगे। इसके अलावा चार शर्तें माननी होंगी। मिनेपोलिस शहर छोड़ने पर पाबंदी रहेगी, फ्लॉयड के परिवार से दूर रहना होगा, सिक्योरिटी एजेंसी में काम नहीं कर सकेगा औरहथियार सरेंडर करने होंगे।
जॉर्ज के अंतिम संस्कार से पहले 6 हजार लोग इकट्ठा हुए
फ्लायड के अंतिम संस्कार से पहले ह्यूस्टन में 6 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए। यहां फाउंटेन ऑफ प्राइज चर्च में छह घंटे तक उसका ताबूत रखा गया। ह्यूस्टन में ही जॉर्ज का बचपन बीता था।
अटार्नी जनरल ने कहा- एंटीफा की जांच चल रही
अमेरिका में हुए प्रदर्शनों में एंटीफा की मिलीभगत होने की जांच चल रही है। एंटीफा का मतलब एंटी फॉसिस्ट मूवमेंट होता है। यह एक कट्टर वामपंथी संगठन है। एंटीफा जर्मनी के साथ अमेरिका में भी सक्रिय है। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से एंटीफा उनकी आलोचना करता रहा है। अटार्नी जनरल विलियम बार ने कहा- इस मामले में तेजी से जांच चल रही है। पिछले हफ्ते बार ने कहा था कि हिंसक घटनाओं में एंटीफा के सदस्य शामिल थे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी एंटीफा को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग कर चुके हैं।
25 मई को जॉर्ज की मौत हुई थी
मिनेसोटा राज्य की मिनेपोलिस शहर की पुलिस ने 25 मई को जॉर्ज फ्लॉयड को धोखाधड़ी के आरोप में पकड़ा था। इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने उसे हथकड़ी पहनाई और जमीन पर उल्टा लिटाकर उसकी गर्दन को घुटने से करीब 9 मिनट तकदबाए रखा। इससे जॉर्ज की सांसें रुक गईं और उसकी मौत हो गई। घटना का वीडियो वायरल होते ही प्रदर्शन शुरू हो गए।
18वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भारत को गुलामी के दलदल में धकेलने में अहम भूमिका निभाने वाले रॉबर्ट क्लाइव की मूर्ति हटाने की मांग तेज हो गई। क्लाइव की ये मूर्ति लंदन के श्र्यूसबेरी में है। मूर्ति हटाने के लिएऑनलाइन प्लेटफॉर्म change.org के जरिए सोमवार कोएक पिटीशन श्रोपशायर काउंटी काउंसिल को भेजी गई। एक घंटे में इस पर 1700 लोगों ने दस्तखत यानी सिग्नेचर किए। यह मुहिम अश्वेतों के समर्थन में चलाई जा रही है।
पिटीशन के मुताबिक, क्लाइव भारत समेत दक्षिण पूर्व एशिया में ब्रिटिश हुकूमत का विस्तार करने वाले शुरुआती लोगों में था। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान इन देशों में लाखों निर्दोष लोगों की हत्या हुई, उन पर जुल्म हुए। ऐसे में ब्रिटिश राष्ट्रवाद का जश्न मनाने के लिए उनकी मूर्ति लगाना गलत है। पिटीशन में ब्रिटिश हुकूमत के समय बंगाल और भारत के संसाधनोंको लूटने में क्लाइव की भूमिका बताई गईहै।
सांसद ने शांति से चर्चा करने की अपील की
श्र्यूजबरी के सांसद डेनियल कॉजिंस्की ने इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण ढंग से चर्चा की अपील की। कहा, “मैं हाउस ऑफ कॉमन्स के जरिए क्लाइव के जीवन पर रिसर्च करूंगा। जब तक रिसर्च पेपर तैयार नहीं हो जाता, मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।हम ब्रिटिश शासन स्थापित करने में मदद करने वालों का सम्मान करते हैं। वे हमारे इतिहास का हिस्सा हैं। मैं जानता हूं कुछ लोग ब्रिटिश शासन के इतिहास से जुड़ी चीजों को मिटाना चाहते हैं।लेकिन, मैंने दुनिया भर में इसके हक में हुए बहुत सारे काम भी देखे हैं।”
चर्चिल और कॉल्स्टन की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया था
ब्रिटेन में कुछ दिनों से अश्वेतों के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। रविवार कोप्रदर्शनकारियों ने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया था। लंदन केपार्लियामेंट स्क्वेयर पर लगी उनकी मूर्ति पर लिख दिया था- वे नस्लभेदी थे। इसके साथ ही विरोध करने वालों ने 17वीं सदी के ब्रिटिश मानव तस्कर (स्लेव ट्रेडर) एडवर्ड कॉल्स्टन की मूर्ति तोड़ दी, इसे नदी में फेंक दिया। कॉल्स्टन 17वीं शताब्दी में अफ्रीकी लोगों को अमेरिका और दूसरे देशों में बेचता था।
कौन थेरॉबर्ट क्लाइव?
रॉबर्ट क्लाइव ईस्टइंडिया कंपनी के कर्मचारी थे। 1757 में प्लासी और 1764 में बक्सर की लड़ाई जीतने में उनकी अहम भूमिका थी।इसके बाद ब्रिटिशों का भारत में पैर जमाने का रास्ता साफ हो गया। इससे पहले तक ब्रिटिश भारत में कारोबारी के तौर पर रह रहे थे। क्लाइव बंगाल प्रेसिडेंसी के पहले गवर्नर थे। क्लाइव की मौत 22 नवम्बर को 1774 को हुई। इस वक्त उसकी उम्र सिर्फ28 साल थी।भारत में उसने न सिर्फ ब्रिटिश शासन को मजबूत बनाया बल्कियहां से कई कीमती सामान ब्रिटेन भी ले गया।
George Floyd, who was 46 when he was killed, will be laid to rest next to his mother. His funeral will be private. A public memorial service was held Monday in Houston, where he grew up. Some 6,000 people attended.