Sunday, March 1, 2020
ईरान ने कहा- अमेरिका को अफगानिस्तान के भविष्य का फैसला करने का कोई अधिकार नहीं March 01, 2020 at 09:09PM
तेहरान. ईरान ने अमेरिका और तालिबान के बीच हुए अफगानिस्तान समझौते कारविवार को विरोध किया। 18 साल से जारी लड़ाई को खत्म करने के लिए अमेरिका और अफगानिस्तान के आतंकी गुट तालिबान के बीच शनिवार को कतर में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कहा कि अमेरिका के पास शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने या अफगानिस्तान के भविष्य का फैसला करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
समझौते के मुताबिक, अमेरिका 14 महीने में अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाएगा। इसके अलावा समझौते में शामिल अन्य शर्तें भी 135 दिन में पूरी कर ली जाएंगी। इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि अफगानिस्तान से अपनी सेना पूरी तरह से तभी हटाएंगे, जब पूरी तरह से पुख्ता कर लेंगेकितालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय परआतंकीहमले नहीं करेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ईरान को समझौते में बाधा डालने की कोशिश करने को लेकर चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा था कि ईरान का इतिहास रहा है कि वह हमेशा से अफगानिस्तान में अशांतिफैलाने के लिए काम करता रहा है।
‘तालिबान समेत पड़ोसी देशों की भागीदारी से ही स्थायी शांति संभव’
जरीफ ने कहा कि अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी गैर-कानूनी है। विदेशी सैनिकों की उपस्थिति उस देश में युद्ध और असुरक्षा के मुख्य कारणों में से एक है। एक स्थायी शांति समझौता तभी संभव है जब तालिबान समेत सभी राजनीतिक समूहों की भागीदारी और पड़ोसी देशों के विचारों को ध्यान में रखते हुए इंटर-अफगान डायलॉग किया जाए।
तेहरान और वॉशिंगटन के बीच मई 2018 से तनाव
ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के पास अफगानों के बीच बातचीत को सुगम बनाने और उन समझौतों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और उन्हें सुनिश्चित करने की क्षमता है।’’ तेहरान और वॉशिंगटन के बीच मई 2018 से तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान ने परमाणु संधी से खुद को अलग कर लिया था।
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तुर्की ने कहा- 80 हजार से ज्यादा अवैध प्रवासी अब तक हमारे देश की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं से यूरोप जा चुके हैं March 01, 2020 at 05:42PM
अंकारा. तुर्की सरकार ने एक बयान में कहा है कि 80 हजार से ज्यादा अवैध प्रवासी अब तक तुर्की की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं से यूरोप जा चुके हैं। तुर्की के संचार निदेशक फहार्टिन अल्टुन ने रविवार को कहा कि आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि मानवीय पीड़ा, सीरिया में पलायन की चुनौती और अभूतपूर्व विस्थापन न केवल तुर्की, बल्कि यूरोप और पूरी दुनिया के लिए समस्या बना हुआ है।
न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, अल्तुन ने कहा कि तुर्की गंभीर और मजबूती से शरणार्थी संकट से निपटने के लिए तत्पर हैऔर वह इसके लिए काम करेगा। लेकिन अन्य देशों को भी इस मुद्दे परकाम करना चाहिए।सीरिया, इराक, ईरान और पाकिस्तान के हजारों शरणार्थी बेहतर जीवन के लिए तुर्की के उत्तर-पश्चिमी प्रांत एडिरने से यूरोपजाने के लिए मजबूर हैं। तुर्की ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अब प्रवासियों को यूरोप जाने से नहीं रोकेगा, इसके बाद हजारों शरणार्थी पजारकुल सीमा द्वार के पास जमा हो गए हैं।
मछली पकड़ने वाली नावों से शरणार्थी पहुंच रहे
स्थानीय पत्रकारों के अनुसार, ज्यादातर शरणार्थी एवरोस नदी के माध्यम से मछली पकड़ने वाली नावों से ग्रीक सीमा तक पहुंच रहे हैं। शिन्हुआ के एक फोटो पत्रकार यासीन अकुल ने कहा कि तुर्की के ग्रामीण मछली पकड़ने वाली नावों से शरणार्थियों को नदी के दूसरी ओर ले जा रहे हैं।बताया जाता है कि ग्रामीण नदी पार कराने के लिए एक व्यक्ति से 35 से 70 अमेरिकी डॉलर ले रहे हैं। बच्चों के लिए कोई पैसे नहीं लिए जा रहे हैं। कई शरणार्थी नदी के किनारे दिन और रातें मछुआरों के साथ मोलभाव करने में बिता रहे हैं।
अवैध प्रवासियों के लिए तुर्की ने अपनी सीमा खोली
ग्रीक सुरक्षा बलों द्वारा जिन लोगों को पकड़ लिया गया, उन्हें वापस तुर्की भेज दिया गया। तुर्की ने सीरिया के उत्तर-पश्चिमी प्रांत इदलिब में सीरिया के एयरस्ट्राइक में अपने 33 सैनिकों के मारे जाने के बाद अवैध प्रवासियों के लिए अपनी सीमा खोलने का फैसला किया। तुर्की में इस समय 37 लाख से ज्यादा सीरियाई शरणार्थी हैं। सरकार ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि वह अब अकेले शरणार्थियों का ठिकाना नहीं बनेगा।
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बगदाद में अमेरिकी दूतावास के पास 2 रॉकेट दागे गए, अक्टूबर के बाद से यह 20वां हमला March 01, 2020 at 04:41PM
बगदाद. इराक की राजधानी बगदाद में स्थित ग्रीन जोन में सोमवार तड़के दो रॉकेटदागेगए। इनमें से एक रॉकेट अमेरिकी दूतावास के पास गिराया गया। हमले में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। जानकारी के मुताबिक, कत्यूषा रॉकेटउच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र ग्रीन जोन में गिराया गया था। यहां सरकारी इमारतें और कई देशों के दूतावास स्थित हैं। इराक में अक्टूबर के बाद से अमेरिकी ठिकानों पर यह 20वां हमला है।
इराक के किरकुक प्रांत में 27 दिसंबर को सैन्य ठिकाने पर हुए रॉकेट हमले में अमेरिकी ठेकेदार की मौत हो गई थी। इस हमले में कई अमेरिकी और इराकी सैनिक घायल भी हुए थे। जानकारी के मुताबिक, सैन्य ठिकाने पर 30 रॉकेटों से हमला किया गया था। हालांकि, किसी भी हमले का अब तक दावा नहीं किया गया है, लेकिन अमेरिका अक्सर ईरान समर्थित ग्रूप हशद अल-शाबी को दोषी ठहराता रहा है।
7 जनवरी को अमेरिकी दूतावास पर 22 मिसाइलें दागी गईं
अमेरिका ने तीन जनवरी को बगदाद एयरपोर्ट पर ड्रोन हमला कर ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी। सुलेमानी की मौत के बाद बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास पर 7 और 8 जनवरी को हमले किए गए थे। 7 जनवरी को ईरान ने इराक स्थित दो अमेरिकी सैन्य बेसों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने दावा किया था कि अनबर प्रांत में ऐन अल-असद एयर बेस और इरबिल के एक ग्रीन जोन पर हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए थे।
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इटली में 85 भारतीय छात्रों को निगरानी में भेजा गया, दुनियाभर में मौतों का आंकड़ा 3 हजार के पार March 01, 2020 at 04:27PM
नई दिल्ली/रोम.चीन से बाहरअन्य देशों में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इरान में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत यहां से अपने लोगों को निकालने की तैयारी कर रहा है। वहीं, इटली के लोम्बार्डी क्षेत्र में 85 भारतीय छात्रों को हफ्तेभर के लिए क्वारैंटाइन (अलग-थलग)कर दिया गया है। कुछ छात्रों ने भारत लौटने के लिए हवाई टिकट बुक किए थे, लेकिन कोरोनाके खतरे के कारण हर दिन फ्लाइट रद्द हो रही हैं। इटली में अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है और1694 मामले सामने आए हैं। वहीं, दुनियाभर में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 3 हजार के पार हो गया है, जबकि 88,385 लोग संक्रमित हो चुके हैं।
लोम्बार्डी में पाविया के इंजीनियरिंग विभाग के एक नन-टीचिंग फैकल्टीमें संक्रमण के बाद से छात्रों में दहशत बढ़ गईहै। 15 अन्य स्टाफ को अलग-थलग कर दिया गया है। बेंगलुरु की एक छात्रा अंकिता केएस ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, ‘‘हम में से आधे छात्रों ने टिकट बुक कराई थी, लेकिन फ्लाट्स हर दिन कैंसिल हो रही हैं। नई टिकट काफी महंगी हैं। यहां किराने की दुकानों में तेजी से स्टॉक खत्म हो रहाहै। हमें डर है कि स्थिति और खराब हो सकती है, इसलिए, भारत सरकार से अपील है कि वह हमें निकालने के लिए कदम उठाए।’’
जानकारी के मुताबिक, पाविया में फंसे 85 भारतीय छात्रों में 25 तेलंगाना, 20 कर्नाटक, 15 तमिलनाडु, 4 केरल, 2 दिल्ली और राजस्थान, गुड़गांव और 1-1 देहरादून के हैं। इनमें से करीब 65 इंजीनियरिंग छात्र हैं।
‘भारत पहुंचने के बाद भी लोगों को अलग-थलग रखा जा रहा’
इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन के छात्र पुरुषोत्तम कुमार मधु 10 मार्च को भारत के लिए उड़ान भरने वाले हैं, लेकिन इस बात को लेकर संशय है कि फ्लाइट संचालित होगी या नहीं। पुरुषोत्तम ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि खाड़ी देशों से जाने वाली ज्यादतर उड़ानें रद्द की जा रही हैं। वहीं, भारतीय हवाईअड्डों पर पहुंचने के बाद वहां भी 10-15 दिन के लिए क्वारैंटाइन किया जाना भी चिंता का विषय है।’’
चीन में एक दिन में 42 लोगों की मौत
चीन के बाहर सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले दक्षिण कोरिया में सामने आए हैं। यहां 3,736 संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, 17 लोगों की मौत हो गई। चीन में एक दिन में 42 लोगमारे गए हैं। मौतों का आंकड़ा अब 2912 हो गया है।
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Afghanistan peace deal hits first snag over prisoner releases March 01, 2020 at 04:13AM
पूर्व गृह मंत्री मुहिद्दीन यासीन देश के आठवें प्रधानमंत्री बने, पूर्व पीएम महातिर ने कहा- यह गैरकानूनी February 29, 2020 at 11:48PM
कुआलालंपुर. मलेशिया के पूर्व गृह मंत्री मुहिद्दीन यासीन रविवार को देश के आठवें प्रधानमंत्री बनें। उन्होंने राष्ट्रीय महल में मलेशिया के राजा सुल्तान अहमद शाह की मौजूदगी में शपथ ली। यासीन ने देश और जनता की सेवा करने का संकल्प लिया। शपथ ग्रहण समारोह में यासीन के राजनीतिक सहयोगी भी मौजूद थे। यासीन को प्रधानमंत्री बनाने पर पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने नाराजगी जाहिर कीऔर इसे गैर कानूनी बताया। महातिर ने राजा पर लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को गिराने का आरोप लगाया है।
2018 में हुए आम चुनाव में जीत हासिल कर 94 साल के महातिर मोहम्मद मलेशिया के प्रधानमंत्री बने थे। 24 फरवरी को अचानक उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजा ने शनिवार को मुहिद्दीन यासीन को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लिया था।
यासीन2009 से 2015 के बीचउपप्रधानमंत्री थे
यासीन ने 2009 से 2015 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक के साथ उपप्रधानमंत्री के तौर पर सेवाएं दी थीं। बाद में उन्होंने महातिर के साथ मिलकर पेरिबू बेरसाटू मलेशिया (पीपीबीएम) पार्टी की स्थापना की थी। यासीन महातिर के मंत्रीमंडल में गृह मंत्री भी रहे थे। तीन दिन पहले ही यासीन ने महातिर की जगह खुद को पार्टी प्रेसिडेंट घोषित कर दिया था। देश की कई विपक्षी पार्टियों ने भी उनका समर्थन किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री पद के लिए उनका दावा मजबूत हो गया था।
मलेशिया में प्रधानमंत्री की नियुक्ति राजा करते हैं
राजा की ओर से शनिवारको यासीन को प्रधानमंत्री चुनने पर महातिर के सहयोगियों ने हैरानी जताई थी। मलेशिया में राजा ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। इस पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना जाता है जो सबसे ज्यादा सांसदों का समर्थन जुटाने में सक्षम हो। शुक्रवार को महातिर ने बयान जारी कर कहा थाकि उनके पास संसद और पार्टी दोनों जगह बहुमत है। वो दोनों के मुखिया बने रहेंगे। लेकिन, राजमहल ने उनके दावे पर ध्यान नहीं दिया और सांसदों से चर्चा के बाद यासीन को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। इसके पहले यासीन खुद को पार्टी प्रेसिडेंट घोषित कर चुके थे। पार्टी अध्यक्ष ही आमतौर पर प्रधानमंत्री बनता है।
महातिर की चाल
जब महातिर को लगा कि वेफिर पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे तो उन्होंने एक सियासी दांव खेला। अपने घोर विरोधी और विपक्षी पीपुल्स जस्टिस पार्टी के नेता अनवर इब्राहिम को समर्थन देने का ऐलान किया। हालांकि, राजमहल ने इसे भी खारिज कर दिया। खास बात ये है कि यासीन 2008 में नजीब रज्जाक सरकार में उपप्रधानमंत्री थे। इसी साल हुए चुनाव में नजीब की पार्टी हारी और महातिर प्रधानमंत्री बने। यासीन महातिर के साथ आ गए।
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