Monday, July 27, 2020
कोरोना के बहाने नेपाल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को करीब लाने में जुटा चीन, भारत की इस पर पैनी नजर July 27, 2020 at 06:32PM
चीन कोरोना महामारी की आड़ में भारत को अपने पड़ोसियों से अलग करने की साजिश रच रहा है। सोमवार को चीन के विदेश मंत्री ने नेपाल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों से वर्चुअल मीटिंग की। इसके बहाने वह भारत को इन देशों से दूर करना चाहता है। इस मीटिंग में बांग्लादेश और म्यांमार के अलावा श्रीलंका शामिल नहीं हुए। हालांकि, यह साफ नहीं है कि इन देशों को मीटिंग में शामिल होने का न्योता दिया गया था या नहीं।
सीपैक पर नजर
मीटिंग का एजेंडा भले ही कोविड-19 की रोकथाम बताया गया हो, लेकिन चीन ने अपने इरादे साफ कर दिए। उसके विदेश मंत्री वांग यी ने कहा- चारों देशों को मिलकर सीपैक का निर्माण पूरा कराने में मदद करनी चाहिए। इसे अफगानिस्तान तक ले जाना इन सभी देशों के लिए फायदेमंद होगा। चीन ने चार प्वॉइंट्स वाला एक प्लान भी इस मीटिंग में पेश किया। इन सभी में सीपैक और वन बेल्ट वन रोड का जिक्र है।
भारत को दूर रखा गया
भारत को इस मीटिंग से दूर रखा गया। पाकिस्तान के अखबार द ट्रिब्यून के मुताबिक, इसकी वजह यह है कि भारत ने हमेशा सीपैक का विरोध किया है और चीन को यह नगवार गुजरता है। नेपाल और अफगानिस्तान भी इस क्षेत्र के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण देश हैं। हालांकि, दोनों ही सीपैक का हिस्सा नहीं हैं। दरअसल, चीन दक्षिण एशिया में दबदबा कायम करने के लिए कोविड-19 के बहाने छोटे देशों को मदद दे रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री का भारत के प्रति बदला रुख उसकी मंशा के संकेत दे चुका है।
भारत की हर हरकत पर नजर
भारत इस मीटिंग में शामिल नहीं हुआ। लेकिन, भारतीय विदेश मंत्रालय इस मीटिंग पर पैनी नजर रख रहा है। अब देखना यह है कि भारत इसका जवाब किस तरह देता है। हालांकि, पाकिस्तान और चीन की राह आसान नहीं है। क्योंकि, सार्क के ज्यादातर देश भारत के साथ हैं। अफगानिस्तान पर अमेरिकी दबाव है। लिहाजा, इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि वो चीन के झांसे में आएगा। नेपाल के बारे में भारत सरकार अब तक खामोश है।
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मिस्र ने पांच महिलाओं को दो साल के लिए जेल भेजा, हर एक पर 14 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया; कहा- ये समाज का माहौल खराब कर रहीं July 27, 2020 at 06:30PM
मिस्र में सोमवार को पांच महिलाओं को टिकटॉक के इस्तेमाल पर दो-दो साल की सजा सुनाई गई। इन पर समाज का माहौल खराब करने का आरोप है। हर महिला पर तीन लाख इजिप्शियन पाउंड ( करीब 14 लाख रुपए) का जुर्माना भी लगाया गया है।
इन महिलाओं में हनीम होसाम और मोवादा अल-अधम भी शामिल हैं। सोशल मीडिया पर इनके लाखों फॉलोअर हैं। होसाम ने टिकटॉक पर तीन मिनट का वीडियो डालकर 13 लाख फॉलोवर्स से कहा था- लड़कियां मेरे साथ काम करके पैसे कमा सकती हैं। वहीं, अधम ने टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर कई वीडियो डालकर सरकार पर तंज कसे थे। ये वीडियो सामने आने के बाद अप्रैल में होसाम को और मई में अधम को गिरफ्तार किया गया था।
देश में शुरू हुई बहस
इन महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद देश में रूढ़िवाद के साथ ही सामाजिक विभाजन को लेकर बहस छिड़ गई है। लोगों का कहना है कि ये महिलाएं बहुत अमीर घरों से नहीं थीं, इसीलिए इन्हें निशाना बनाया गया। मानवाधिकार वकील तारेक अल-अवदी ने कहा- इन गिरफ्तारियों से पता चलता है कि मॉडर्न कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के समय में एक रूढ़िवादी समाज कैसे लोगों पर काबू पाना चाहता है। तकनीकि क्रांति हो रही है और सरकार को इसे स्वीकारना चाहिए।
40% आबादी की इंटरनेट तक पहुंच
मिस्र में इंटरनेट के इस्तेमाल के बहुत सख्त नियम हैं। अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताकर कोई भी वेबसाइट बंद कर सकते हैं। यहां पांच हजार से ज्यादा फॉलोअर वाले हर सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी की जाती है। मिस्र के 10 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 40% की पहुंच इंटरनेट तक हो गई है।
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मिस्र ने पांच महिलाओं को 2 साल के लिए जेल भेजा, सभी पर 14 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया; कहा- ये समाज का माहौल खराब कर रहीं July 27, 2020 at 06:27PM
मिस्र में सोमवार को पांच महिलाओं को टिकटॉक के इस्तेमाल पर दो साल की सजा सुनाई गई है। इन पर समाज का माहौल खराब करने का आरोप लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक हर एक महिला पर तीन लाख इजिप्टियन पाउंड ( करीब 14 लाख रुपये) का जुर्माना भी लगाया गया है।
इन महिलाओं में हनीम होसाम, मोवादा अल-अधम भी शामिल हैं। सोशल मीडिया पर इनके लाखों फॉलोअर हैं। होसाम ने टिकटॉक पर तीन मिनट का वीडियो डालकर अपने 13 लाख फॉलोअर्स से कहा था कि लड़कियां उसके साथ काम करके पैसे कमा सकती हैं। वहीं, अधम ने टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर कई वीडियो डालकर सरकार पर व्यंग किया था। ये वीडियो सामने आने के बाद अप्रैल में होसाम को और मई में अधम को गिरफ्तार किया गया था।
देश में शुरू हुई नई बहस
इन महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद देश में रूढ़िवाद के साथ ही सामाजिक विभाजन को लेकर बहस छिड़ गई है। लोगों का कहना है कि ये महिलाएं बहुत अमीर घरों से नहीं थी इसलिए इन्हें निशाना बनाया गया। मानवाधिकार वकील तारिक अल-अवदी ने कहा कि इन गिरफ्तारियों से पता चलता है कि मॉडर्न कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के समय में एक रूढ़िवादी समाज कैसे लोगों पर काबू पाना चाहता है। उन्होंने कहा कि तकनीकि क्रांति हो रही है और देश के माननीयों को इसे स्वीकारना चाहिए।
40% आबादी की इंटरनेट तक पहुंच
मिस्र में इंटरनेट के इस्तेमाल के बहुत कड़े नियम बनाए गए हैं। अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताकर कोई भी वेबसाइट बंद कर सकते हैं। यहां पांच हजार से ज्यादा फॉलोअर वाले हर सोशल मीडिया अकाउंट की निगरानी की जाती है। मिस्र के 10 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 40% की पहुंच इंटरनेट तक हो गई है।
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Canada's Covid-19 cases surpass 114,000, death toll exceeds 8,890 July 27, 2020 at 05:21PM
चीन के थिंक टैंक का दावा- अमेरिकी फाइटर जेट्स शंघाई से महज 100 किमी. दूर उड़ान भर रहे, चीन के लिए यह बहुत बड़ा खतरा July 27, 2020 at 05:25PM
अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों पर विवाद बढ़ रहे हैं। लेकिन, अमेरिका के एक कदम से चीन दहशत में आ गया है। चीन के सरकार समर्थित एक थिंक टैंक ने दावा किया है कि रविवार को एक अमेरिकी फाइटर जेट ने शंघाई के करीब उड़ान भरी। यह फाइटर जेट चीन की इस कमर्शियल सिटी से महज 100 किलोमीटर दूर था। चीन के विदेश या रक्षा मंत्रालय ने अब तक आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी।
जैसे को तैसा
चीन अकसर दक्षिण चीन सागर में ताइवान, फिलीपींस और मलेशिया जैसे को फाइटर जेट्स उड़ाकर धमकाता आया है। अब अमेरिका ने उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बीजिंग के स्ट्रैटेजिक सिचुएशन प्रोबिंग इनिशिएटिव (एससीएसपीआई) थिंक टैंक की रिपोर्ट पब्लिश की है। यह थिंक टैंक सीधे तौर पर चीनी फौज से भी जुड़ा है और उसे रणनीति बनाने में मदद करता है।
किस तरह के थे अमेरिका फाइटर जेट्स
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नेवी के पी-8ए और ईपी-3ई एयरक्राफ्ट्स ने साउथ चाइना सी में उड़ान भरते हुए चीन के झेजियांग और फुजियान तक उड़ान भरी। इसके बाद पी-8ए वापस लौटा और फिर यह शंघाई से 100 किलोमीटर दूर तक उड़ान भरता रहा। इस फाइटर जेट की सबसे खास बात यह है कि यह किसी भी सबमरीन को चंद सेकंड में न सिर्फ खोज निकालता है बल्कि पलक झपकते ही उसे अपनी मिसाइलों से तबाह कर देता है।
नीचे वॉरशिप ऊपर फाइटर जेट
दक्षिण चीन सागर में अमेरिका कितनी तेजी से आक्रामक रुख अपना रहा है, उसकी जानकारी इसी थिंक टैंक ने दी है। इसके मुताबिक, जब अमेरिकी नेवी के फाइटर जेट्स उड़ान भर रहे थे। उसी वक्त साउथ चाइना सी के संवेदनशील हिस्से में अमेरिकी वॉरशिप भी ड्रिल कर रहे थे। फाइटर जेट्स कई बार इन वॉरशिप्स के ठीक ऊपर नजर आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के वॉरशिप अब दक्षिणी चीन के किसी भी पोर्ट या शहर को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं। खास बात ये है कि चीन ने अब तक इस पर कुछ नहीं कहा है।
तनाव कम होने की उम्मीद नहीं
अमेरिका ने ताइवान और फिलीपींस से कुछ दिनों पहले ही साफ कह दिया था कि वे चीन की ताकत के आगे खुद को कमजोर महसूस न करें। अमेरिकी नेवी कमांडर इन दोनों देशों की सेनाओं से लगातार बातचीत कर रहे हैं। 2017 से अब तक अमेरिका और चीन की नेवी कई बार आमने-सामने आ चुकी हैं। हालांकि, अब तक सीधा टकराव नहीं हुआ। अब ऑस्ट्रेलिया भी चीन को चुनौती देने के लिए सामने आ गया है। इस क्षेत्र में अब चीन अकेला पड़ गया है।
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ट्रम्प और बिडेन के बीच 29 सितंबर को होगी पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट, दूसरी 15 और तीसरी 22 अक्टूबर को होगी July 27, 2020 at 04:38PM
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 3 नवंबर को होने वाला है। इसके लिए बेहद अहम प्रेसिडेंशियल डिबेट की तस्वीर साफ हो चुकी है। वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उन्हें चुनौती दे रहे डेमोक्रेट पार्टी के कैंडिडेट जो बिडेन के बीच पहली बहस 29 सितंबर को होगी। इसके बाद 15 और 22 अक्टूबर को क्रमश: दूसरी और तीसरी बहस होगी। बहस के लिए तीन शहरों को चुना गया है।
कमीशन ने जारी किया शेड्यूल
बहस के लिए कमीशन ऑन प्रेसिडेंशियल डिबेट (सीपीडी) ने शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके मुताबिक, पहली बहस 29 सितंबर को ओहियो के क्लीवलैंड में होगी। इसका आयोजन वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी और क्लीवलैंड क्लीनिक मिलकर करेंगे।
दूसरी और तीसरी डिबेट
दूसरी डिबेट 15 अक्टूबर को फ्लोरिडा के मियामी और तीसरी 22 अक्टूबर को बेलमॉन्ट यूनिवर्सिटी टेनेसी में होगी। वाइस प्रेसिडेंशियल डिबेट 7 अक्टूबर को उटाह की साल्ट लेक सिटी में होगी। इसमें वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार हिस्सा लेंगे। हालांकि, जो बिडेन ने अब तक वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट का नाम तय नहीं किया है।
90 मिनट की बहस
हर बहस 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे की होगी। रात 9 बजे (लोकल टाइम) शुरू होगी और 10.30 तक चलेगी। व्हाइट हाउस पूल नेटवर्क पर हर बहस का लाइव टेलिकास्ट और बाद में एनालिसिस पेश किया जाएगा।
इस पर नजर क्यों
बिडेन ने हाल ही में ट्रम्प की नीतियों पर कई सवाल किए। महामारी और चीन को लेकर उन्हें घेरा। वे यहां तक कह गए कि ट्रम्प अमेरिका के पहले रंगभेदी राष्ट्रपति हैं। दूसरी तरफ, ट्रम्प ने बिडेन को राष्ट्रपति पद के लिए नाकाबिल करार दिया। ट्रम्प का कहना है कि डेमोक्रेट पार्टी की वजह से आज चीन हमारे देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
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Trump bets on Covid-19 vaccine for political shot in arm July 27, 2020 at 04:50PM
Global coronavirus deaths pass 650,000 as new surges prompt fresh curbs July 27, 2020 at 04:36PM
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- दो हफ्ते में कोविड-19 के इलाज से जुड़ी अच्छी खबर मिलेगी; दुनिया में अब तक 1.66 करोड़ मरीज July 27, 2020 at 04:32PM
दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 1 करोड़ 66 लाख 29 हजार 727 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 2 लाख 20 हजार 889 ठीक भी हो चुके हैं। वहीं, 6 लाख 55 हजार 880 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि उनका प्रशासन दो हफ्ते में कोविड-19 के इलाज से जुड़ी अच्छी खबर देगा। इससे पहले सोमवार को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने कहा था कि अमेरिकी वैज्ञानिक कोविड-19 वैक्सीन के ट्रायल का तीसरा फेज शुरू कर चुके हैं। इस वैक्सीन को बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडेर्ना ने बनाया है। इसका ट्रायल 30 हजार वॉलंटियरों पर होना है।
10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश |
कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 44,32,627 | 1,50,432 | 21,36,326 |
ब्राजील | 24,43,480 | 87,679 | 16,67,667 |
भारत | 14,82,503 | 33,448 | 9,53,189 |
रूस | 8,18,120 | 13,354 | 6,03,329 |
द.अफ्रीका | 4,52,529 | 7,067 | 2,74,925 |
मैक्सिको | 3,90,516 | 43,680 | 2,51,505 |
पेरू | 3,84,797 | 18,229 | 2,67,850 |
चिली | 3,47,923 | 9,187 | 3,19,954 |
स्पेन | 3,25,862 | 28,434 | उपलब्ध नहीं |
ब्रिटेन | 3,00,111 | 45,759 | उपलब्ध नहीं |
ब्राजील: 24 घंटे में 614 संक्रमितों की मौत
ब्राजील में 24 घंटे में 23 हजार 284 नए संक्रमित मिले और 614 की मौत हो गई। यहां वायरस की चपेट में अब तक 24 लाख 43 हजार 480 लोग आ चुके हैं। मरने वालों का आंकड़ा 87 हजार 679 पर पहुंच गया है। अमेरिका के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्राजील ही है।
इजराइल: 63 हजार से ज्यादा संक्रमित
इजराइल में 24 घंटे में 2029 नए संक्रमित मिलने के साथ कुल आंकड़ा 63 हजार 985 पर पहुंच गया है। यह तीसरी बार है जब एक दिन में 2 हजार से ज्यादा संक्रमित मिले हैं। देश में अब तक 474 लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार ने सभी नागरिकों को एक ऐप इंस्टाल करने को कहा है। यह ऐप आसपास फैल रहे संक्रमण की जानकारी देता है।
मिस्र: एक दिन में 420 संक्रमित मिले
मिस्र में एक दिन में 420 नए संक्रमित मिले हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 16 मई के बाद से यह एक दिन में सामने आने वाले सबसे कम मरीज हैं। 16 मई को 491 मामले सामने आए थे। यहां अब तक 92 हजार 482 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 4652 की मौत हो चुकी है।
यूएई: 264 नए मामले आए
यूएई में 24 घंटे में संक्रमण के 264 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही देश में संक्रमितों की संख्या 59 हजार 177 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक नए मिलने वाले मरीजों की हालत ठीक है। 24 घंटे में 328 मरीज ठीक भी हुए। यहां अब तक कुल 52 हजार 510 मरीज ठीक हो चुके हैं। देश में संक्रमण से 345 लोगों की जान गई है।
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चीनी प्रोफेसर ने कहा- महामारी को लेकर जानकारी छिपाई गई, जांचकर्ताओं के जाने से पहले ही मार्केट साफ कर दिया गया था July 27, 2020 at 04:57AM
पूरी दुनिया में फैल चुके कोरोना वायरस को लेकर चीनी प्रोफेसर ने चीन को लेकर खुलासा किया है। चीनी प्रोफेसर ने दावा किया है कि कोरोना महामारी को लेकर चीनी प्रशासन ने अहम जानकारियां छिपाई। यहीं नहीं जांचकर्ताओं के वुहान की मार्केट पहुंचने से पहले ही सारे सबूत मिटा दिए गए।
चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने समय रहते वायरस की जानकारियां किसी को नहीं बताई। इससे ये महामारी पूरी दुनिया में फैल गई। हालांकि, चीन इन आरोपों का खंडन करता आया है।
शुरुआती मामलों को छिपाया गया
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर क्वॉक-युंग येन ने बताया कि उन्हें लगता है कि वुहान प्रशासन की तरफ से कोरोना के शुरुआती मामलों को छिपाने के लिए हरसंभव प्रयास किए गए। चीनी प्रोफेसर उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने सबसे पहले दावा किया था कि वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
कोरोना के वुहान मार्केट से फैलने के बारे में उन्होंने बताया कि जब वह वायरस के सबूत जुटाने वुहान के सीफूड मार्केट पहुंचे। उससे पहले ही लोकल प्रशासन ने उस जगह पूरी तरह साफ कर दिया था। आप कह सकते हैं कि क्राइम सीन को पहले ही बदला जा चुका था। क्योंकि सीफूड मार्केट को पूरी तरह साफ कर दिया गया, जिससे हम यह पता नहीं लगा सके कि किस जानवर से यह वायरस आम आदमी तक पहुंचा।
हमें पहले से ही प्रशासन पर शक हो गया था : प्रोफेसर
प्रोफेसर ने एक इंटरव्यू में बताया कि इलाके में बढ़ते मामलों को लेकर वुहान की धीमी कार्रवाई से हमें शक हुआ था कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारी जिन्हें तत्काल मामले को गंभीरता से लेना चाहिए था, उन्होंने इसमें लापरवाही बरती।
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उमर अब्दुल्ला ने कहा- जब तक जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश हैं, तब तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा July 27, 2020 at 12:24AM
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार से नाखुश हैं। उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर जब तक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, तब तक वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को अलग करते हुए इन्हें तीन हिस्से में बांटा और केंद्र शासित प्रदेश बनाया। उमर कई महीनों तक नजरबंद रहे।
फैसला थोपने का आरोप
उमर ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल लिखा। इसमें जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 के बारे में नजरिया पेश किया। उमर के मुताबिक- 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को लेकर बदलाव किया गया, वो राज्य की जनता पर थोपा गया फैसला था। मुझे पहले हाउस अरेस्ट किया गया। बाद में सरकारी गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया। केंद्र द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों ने चुने हुए लोगों की जगह ले ली। एक दिन से भी कम वक्त में राज्यसभा और लोकसभा ने 70 साल का इतिहास बदल दिया। जम्मू कश्मीर की सम्प्रभुता के वादे खत्म हो गए। राज्य को तोड़ दिया गया।
शक पहले से था
उमर ने लिखा- नरेंद्र मोदी जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। तभी से बातें होने लगीं थीं कि भाजपा आर्टिकल 370 और 35-ए से जुड़े अपने चुनावी वादे पूरे करेगी। लोकसभा में उसके पास पूर्ण बहुमत था। एयरक्राफ्ट्स के जरिए पैरा मिलिट्री के जवानों को भेजा गया। इन्हें पूरे राज्य में तैनात किया गया। राज्यपाल कहते रहे कि जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस बना रहेगा। ये कहा गया कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर की जा रही है। 5 अगस्त की घटना के कुछ दिन पहले हमने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। मैं इसे जल्द नहीं भूल पाउंगा। हम अंदाजा नहीं लगा पाए कि अगले 72 घंटे में क्या होना वाला है।
एक ही झटके में सब बदल गया
अब्दुल्ला आगे लिखते हैं- एक ही बार में सब बदल गया। जम्मू कश्मीर और उसका विशेष दर्जा अलग नहीं किए जा सकते थे। यह तो वो शर्त थी जिसके आधार पर हम भारत का हिस्सा बने थे। लेकिन, सच्चाई भी बदली नहीं जा सकती। कई दशक से यह भाजपा के एजेंडे में था। अब तक केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य बनाया जाता रहा था। यह पहली बार है जब किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया।
इसका फायदा क्या है..
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम आगे कहते हैं- आज तक मैं यह समझ नहीं पाया कि इसकी जरूरत क्या थी। सिवाए इसके कि कश्मीरियों को सजा दी जाए, उन्हें परेशान किया जाए। अगर बौद्धों के लिए लद्दाख को अलग राज्य बनाने की मांग को पूरा करना था तो जम्मू के लोग भी काफी पहले से यह मांग कर रहे हैं। अगर मजहब के आधार पर मांग पूरी की जानी थी तो लेह और करगिल को नजरअंदाज क्यों किया गया करगिल के लोगों ने तो जम्मू और कश्मीर के विभाजन का विरोध किया है।
कई तर्क दिए गए
उमर ने लिखा- आर्टिकल 370 हटाने के समर्थन में कई तर्क दिए गए। कहा गया कि इसकी वजह से अलगाववाद पैदा हुआ। इसकी वजह से आतंकवाद और हिंसा बढ़ी। और ये भी कहा गया कि इस आर्टिकल के हटने से आतंकवाद खत्म हो जाएगा। अगर ऐसा है तो आर्टिकल हटने के करीब एक साल बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट में ये क्यों कहती है कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा बढ़ रही है। गरीबी खत्म होने के दावे भी किए गए। ये कहा जाता है कि आर्टिकल 370 की वजह से यहां इन्वेस्टमेंट नहीं आता था। ये ध्यान रहना चाहिए कि आतंकवाद शुरू होने से पहले यहां जम्मू-कश्मीर देश के सबसे विकासशील प्रदेशों में से एक था। टूरिज्म के वजह से यहां इन्वेस्टमेंट्स अपने-आप आते थे। आर्टिकल हटने के बाद से अब तक इस बारे में कुछ नहीं हुआ।
आर्टिकल 370 के वजह से नहीं पिछड़ा जम्मू कश्मीर
उमर कहते हैं- यह दावा किया जाता है कि अनुच्छेद 370 के चलते जम्मू कश्मीर पिछड़ गया। सच्चाई ये है कि हम ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में ‘विकसित’ गुजरात से काफी बेहतर हैं। आखिर में। ये कहा जाता है कि अनुच्छेद 370 तो अस्थायी था। लेकिन, यह तर्क देने वाले 1947-48 में यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के रेजोल्यूशन को क्यों भूल जाता है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि इतने साल बाद इस आर्टिकल को खत्म करना असंभव है क्योंकि यह स्थायी रूप धारण कर चुका है। बहरहाल, 5 अगस्त 2019 को जो कुछ हुआ, उसका सिर्फ राजनीतिक आधार था। चुनावी वादा पूरा किया गया। इसका कोई संवैधानिक, कानूनी, आर्थिक या सुरक्षा से जुड़ा आधार नहीं था। हमने सुप्रीम कोर्ट में यही बातें कहीं हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी
नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया ने आगे कहा- विशेष संवैधानिक दर्जा हमारे फेवर में नहीं रहा। न इससे राज्य को कोई फायदा हुआ। बंटवारे के वक्त दो देशों में से किसी एक में शामिल होना था। मजहब इसमें एक फैक्टर था। जम्मू कश्मीर में मुस्लिम मेजॉरिटी थी। 1947 में जब पाकिस्तान ने घुसपैठ की तो हमने उसके खिलाफ जंग लड़ी। 30 साल से आतंकवाद चला आ रहा है। इसको खत्म करने के लिए जो वादे किए गए, वे पूरे नहीं हुए। स्पेशल स्टेटस छीनना लोकप्रिय कदम तो हो सकता है, लेकिन सही कदम नहीं।
हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे
नेशनल कांफ्रेंस आर्टिकल 370 हटाए जाने के विरोध में थी और है। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हमने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। लोकतंत्र में हमारा भरोसा है। शांतिपूर्ण विरोध जारी रहेगा। दुख की बात यह है कि इस शांतिपूर्ण विरोध को दबाने की कोशिशें जारी हैं। कई नेता गिरफ्तार कर लिए गए। कुछ तो अब भी गैर कानूनी तौर पर कैद में हैं। आतंकवाद के खिलाफ जंग में हमने अपने हजारों कार्यकर्ता खो दिए। क्योंकि हम मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में रहना चाहते थे।
चुनाव नहीं लड़ूंगा
उमर आखिर में कहते हैं- जहां तक मेरा सवाल तो है तो मेरा रुख बिल्कुल साफ है। जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है, तब तक मैं कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं 6 साल इस विधानसभा का नेता रहा। अब इसकी ताकत छीन ली गई है। मैं अब यहां नहीं रहूंगा। मेरे ज्यादातर वरिष्ठ सहयोगी अपने घरों में कैद हैं। इसलिए हम आगे की सियासी रणनीति नहीं बना पाए हैं। मैं पार्टी को मजबूत करूंगा। लोगों का सहयोग लेकर नाइंसाफी के खिलाफ जंग लड़ूंगा।
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परमाणु हमला करने में सक्षम फाइटर; 12 पायलटों को ट्रेंड किया, चीन सीमा से 200 किमी दूर अम्बाला में तैनाती होगी July 26, 2020 at 11:31PM
चीन के साथ जारी तनाव के बीच परमाणु हमला करने में सक्षम राफेल विमान जल्द ही भारत को मिल जाएंगे। फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से 5 राफेल फाइटर विमानों का पहला बैच रवाना हो चुका है। यह बैच बुधवार 29 जुलाई को भारत पहुंचेगा।
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