रोम/मिलान. चीन के बाद कोरोनावायरस की वजह से इटली में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। पूरा देश ठहर सा गया है। 6 करोड़ से ज्यादा लोग घरों में बंद हैं। इस बीच इटलीवासियों में जर्बदस्त जोश देखने को मिल रहा है। रोम, मिलान और सिसिली में लोग अपनी छतों और बालकनी से गाना गा रहे हैं। वे 'डोट गिव अप' गाना गा रहे हैं। ताकि लोगों का हौसला कम न हो।
ताकि लोगों का हौसला कम न हो। इसमें आम लोगों के साथ इटली की सेलिब्रिटी शामिल हैं। ओपेरा गायिका लौरा बलदासारी अपनी बॉलकनी में गाना गाती दिखीं। हौसला बढ़ाते वक्त लो गिटार, बांसुरी, ढपली और अन्य वाद्य यंत्र बजाते देखे गए। कुछ इटली का नेशनल एंथम भी गा रहे थे। इटली में 15 मार्च सुबह तक मरने वालों का आंकड़ा 1,441 तक पहुंच गया है। 21157 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
Begona Gomez, the wife of Spanish Prime Minister Pedro Sanchez, was tested positive for coronavirus on Sunday. The condition of both the Prime Minister and his wife are assessed as "good". Both are now in their residence, following the health authorities' advice. Spain has had over 6,250 confirmed cases of the COVID-19 illness and 193 people have died.
बोस्टन.स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनियाक ने 1976 में एपल कंपनी की स्थापना कैलिफोर्निया में की थी। इसी साल जॉब्स और वोजनियाक ने पहला रेयर फुली फंक्शनल एपल-1 कम्प्यूटर बनाया था। यह अब इस हफ्ते बोस्टन में होने वाली निलामी के लिए रखा गया है। नीलामी के लिए शुरुआती कीमत 3 करोड़ 39 लाख रुपए (458,711 डॉलर) रखी गई है। यह पहला उत्पाद था जिसे कंपनी ने एपल नाम के साथ विकसित किया था। यह कंपनी के थिंक डिफरेंट (अलग सोचो) अभियान का हिस्सा था।
नीलामी में डिजाइन इंजीनियर जेरी मैनॉक के जीवनकाल के संग्रह की बिक्री भी होगी। इस नीलामी में एपल के लाइफटाइम कलेक्शन प्रोडक्ट को रखा गया है। इनमें स्टीव जॉब्स द्वारा दस्खत की गई पावरबुक, कीमत- 9 लाख ($12,671) 37 हजार रुपए और निऑन एपल लोगो 1 लाख 41 हजार रुपए की सबसे ऊंची बोली पर खरीदा गया।
एपल-1 की 200 यूनिट में 175 बिकी थी
आरआर ऑक्शन के एक्जीक्यूटिव वीपी बॉबी लिविंगस्टन के मुताबिक, ‘‘शुरुआत में इस कंप्यूटर की 200 यूनिट डिजाइन की गई थी, जिनमें 175 यूनिट वोजयानिक ने बेची थी और 25 बचे हुए थे। एपल-1 की डिजाइनिंग में कंपनी के को-फाउंडर स्टीव वोजनियाक का भी अहम योगदान था। इसी वजह से एपल-1 वोज नाम से भी जाना जाता है। इस कम्प्यूटर को 1976 में बनाया गया था और उस वक्त इसकी कीमत 666.66 डॉलर थी, जो आज के हिसाब से 46 हजार रुपए होती है। इस कम्प्यूटर सिस्टम को पश्चिमी मिशिगन कंप्यूटर स्टोर सॉफ्टवेअरहाउस ने 1980 के दशक में खरीदा था।’’
पहले भी नीलाम हुआ
मैसेचुएट्स के बोस्टन में दो साल हुई नीलामी में एपल-1 को अमेरिकी बिजनेसमैन ने 3,75,00 डॉलर (2 करोड़ 72 लाख से ज्यादा) में खरीदा था। तब कंपनी ने इसकी बेस प्राइस 3 लाख डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपए) रखी थी। हालांकि, इसे खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की गई थी।
इससे पहले दिसम्बर 2014 में यह न्यूयॉर्क में नीलाम हुआ। तब एपल-1 को 36.5 लाख डॉलर (करीब 22 करोड़) रुपए में अमेरिका के एक व्यक्ति ने खरीदा था। इस कंप्यूटर को नीलामी में दुनिया के 50 दुर्लभ कंप्यूटर की कैटेगरी में रखा गया था।
पिछले साल 8 घंटे तक चलाया गया था
पिछले साल एपल-1 विशेषज्ञ कोरी कोहेन ने कैलिफोर्निया में 2019 विंटेज कंप्यूटर फेस्टिवल वेस्ट में प्रदर्शित किया गया था। इसे बिना किसी परेशानी के आठ घंटे तक चलाया गया था। इस कम्प्यूटर में 1979 में कैसेट इंटरफेस की सुविधा आई गई थी जिससे कि डेटा स्टोरेज किया जा सकता था। यह इंटरफेस अपने समय में क्रांतिकारी था। इसमें परंपरागत 50-100 के बजाय केवल छह इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) लगे थे, जो उस समय के कंप्यूटर की तुलना में लगभग चार गुना तेजी से चलता था।
वॉशिंगटन. कोरोनावायरस के मामले फिलहाल, थमते नजर नहीं आ रहे। रविवार सुबह तक दुनिया में कुल 1,56,533 मामले सामने आए। सभी मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दो संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए थे। उनका भी टेस्ट किया गया। हालांकि, राहत की बात ये कि टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई।
फ्रांस ने देश के सभी रेस्टोरेंट और कैफे बंद कर दिए हैं। स्पेन, जर्मनी और इजराइल ने सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की आवाजाही पर सख्त दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
पहले टेस्ट से इनकार
ट्रम्प कुछ दिन पहले ब्राजील के डेलीगेशन से मिले थे। इस दौरान उन्होंने वहां के संचार प्रमुख फेबिओ वानगार्टन के साथ डिनर भी किया था। बाद में वानगार्टन कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। पहले ट्रम्प और उपराष्ट्रपति पेंस ने टेस्ट से इनकार करा दिया। जब मीडिया में चर्चा हुई तो जांच को तैयार हुए। शनिवार दोपहर सैंपल दिया। देर रात रिपोर्ट निगेटिव आई। ट्रम्प की बेटी और उनकी सीनियर एडवाइजर इवांका ट्रम्प ऑस्ट्रेलिया के संक्रमित गृह मंत्री पीटर डटन से मिलने के बाद घर के काम कर रही हैं। वे इसी हफ्ते डटन और अन्य अधिकारियों से मिली थीं, डटन को कोरोनावायरस पॉजिटिव पाया गया है। अमेरिका ने अब ब्रिटेन और आयरलैंड को लेकर भी नए वीजा प्रतिबंध लागू किए हैं। पहले इन दोनों देशों को वीजा रिस्ट्रिक्शन लिस्ट से बाहर रखा गया था।
फ्रांस की मंत्री भी पॉजिटव
फ्रांस की एक उपमंत्री ब्रुने पोयरसन को कोरोनावायरस पॉजिटिव पाया गया है। वो देश की दूसरी मंत्री हैं जो इस वायरस की चपेट में आई हैं। सरकारी प्रवक्ता ने कहा, “पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद ब्रुने की हालत में सुधार है। डॉक्टर उन पर नजर बनाए हुए हैं। चिंता की कोई बात नहीं है। उन्हें क्वॉरन्टाइन किया गया है।” बता दें कि इस सप्ताह के शुरू में सांस्कृतिक मंत्री फ्रेंक रीस्टर को भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था।
स्पेन के प्रधानमंत्री की पत्नी भी संक्रमित
स्पेन सरकार ने शनिवार देर रात एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज की पत्नी डोना को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। डोना के साथ पीएम भी फिलहाल क्वॉरन्टाइन किए गए हैं। हालांकि, उनमें वायरस के कोई लक्षण नहीं पाए गए हैं। स्पेन के राष्ट्रपति के भी संक्रमित होने की खबरें थीं लेकिन सरकार ने उन्हें स्वस्थ बताया है। बता दें कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की पत्नी सोफी भी कोरोना पॉजिटव पाई जा चुकी हैं। उनके साथ जस्टिन को भी आईसोलेशन में रखा गया है।
इजराइल में सभी शॉपिंग सेंटर और रेस्टोरेंट बंद
फ्रांस के बाद इजराइल ने भी सभी शॉपिंग सेंटर, रेस्टोरेंट, कैफे और थिएटर बंद कर दिए हैं। सीएनएन के मुताबिक, सरकार ने इन सभी के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इन्हें फूड एंड ड्रग मिनिस्ट्री से जांच करानी होगी। इसके बाद एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। लेकिन, इसके बावजूद ये अगले आदेश तक खुल नहीं सकेंगे।
ताइपे.चीन के पड़ोसी देश ताइवान ने कोरोनावायरस से बचाव के लिए ऐसे कदम उठाए, जिनसे दुनिया सीख ले सकती है। चीन के वुहान शहर से कोरोनावायरस फैला था। यहां से ताइवान केवल 130 किमी दूर है। जब वुहान में कोरोनावायरस फैला, तब कई लोग चीन से लूनर न्यू ईयर मनाकर ताइवान लौटे थे। उसी दौर में रोज चीन से 2 हजार पर्यटक ताइवान आ रहे थे। इसके बावजूद ताइवान में अब तक सिर्फ 50 मामले सामने आए हैं। इनमें से एक की मौत हुई है। ताइवान की आबादी 2.30 करोड़ है।
इन उपायों से हुए सफल
चीन ने 31 दिसंबर को बताया कि वुहान में निमोनिया मरीज बढ़ रहे हैं। इस पर ताइवान ने एयरपोर्ट पर यात्रियों की गहन जांच शुरू कर दी। अस्पतालों में इलाज की पूरी व्यवस्था की। ताइवान ने 2003 के सार्स संक्रमण से सबक लिया था।
ताइवान में पहला केस 21 जनवरी को आया तो 124 एक्शन टीम तैनात की गईं। चीन से यात्रियों के आने पर रोक लगाई। वुहान से आए उन लोगों पर 70 हजार रु. जुर्माना लगाया, जिन्होंने फ्लू को छुपाया।
मास्क का निर्यात रोका। टीवी, रेडियो चैनलों ने कोरोनावायरस से बचाव के हर घंटे संदेश जारी किए। सार्वजनिक स्थानों पर सैनिटाइजर रखे गए। स्कूलों में विद्यार्थियों को प्लास्टिक के डिवाइडर दिए गए, जिनके घेरे में बच्चे पढ़ते रहे।
नई दिल्ली.कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के लिए केंद्र सरकार ने नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार से सटी जमीनी सीमाएं सील करने के आदेश दिए हैं। गृह मंत्रालय ने शनिवाररात 12 बजे से चारों पड़ोसी देशों से भारत आने-जाने के लिए बनाई गई 20 बॉर्डर पोस्ट बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान की सीमा पर स्थित अटारी पोस्ट से लोगों की आवाजाही पर 16 मार्च की आधी रात से रोक लगाने के आदेश भी हैं।
भारत सरकार हवाई मार्ग से आने वाले सभी विदेशियों की देश में एंट्री पर पहले ही रोक लगा चुकी है। अब संक्रमण की आशंका के चलते पड़ोसी देशों से जुड़े सड़क मार्ग को भी सील किया जा रहा है। इसके तहत असम, मेघालय और त्रिपुरा में बांग्लादेश सीमा सील करने के आदेश दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में नेपाल सीमा को बंद किया जा रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल की बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की बॉर्डर पोस्ट बंद की जाएंगी। मिजोरम में बांग्लादेश और म्यांमार सीमा भी सील करने के आदेश दिए गए हैं।
भारत-बांग्लादेश रेल सेवा भी बंद
इस आदेश के बाद, भारत-नेपाल के बीच सबसे ज्यादा आवाजाही वाले बिहार के रक्सौल बॉर्डर, उत्तर प्रदेश के सनौली बॉर्डर और पश्चिम बंगाल के रानीगंज बॉर्डर को आज रात से ही बंद कर दिया जाएगा। सड़क मार्ग के अलावा भारत और बांग्लादेश के बीच रेल सेवा को भी रोका जा रहा है। गृह मंत्रालय की एडवाइजरी के आधार पर भारत-बांग्लादेश के बीच चलने वाली मैत्री एक्सप्रेस और बंधन एक्सप्रेस को 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच रद्द किया जा रहा है।
वॉशिंगटन.अमेरिकी में शनिवार तक कोरोनावायरस के संक्रमण के 2499 मामले सामने आए। यहां 55लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपतिडोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश में इमरजेंसी घोषित कर दी। सभी राज्यों को 50 बिलियन डॉलर (करीब 3.69 लाख करोड़ रुपए) की सहायता कीमंजूरी दी गई। ट्रम्प ने भी शनिवार को कोरोना के लिए टेस्ट कराया। इसकी रिपोर्ट कुछ दिनों में आएगी। व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया है कि ट्रम्पऔर उपराष्ट्रपति माइक पेंस के संपर्क में आने वाले सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी।
दोनों नेता बीते हफ्ते ब्राजीलियन डेलीगेशन से मिले थे। इसमें वे ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के संचार प्रमुख फेबिओ वानगार्टन के साथ डिनर कर रहे थे। बाद में वानगार्टन कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। पहलेट्रम्प और पेंस ने अपनी जांच कराने से इनकार कर दिया था,लेकिन शुक्रवार को रिपोर्टर द्वारा स्वार्थी कहे जाने के बाद ट्रम्प ने जांचकराई।
कोरोना की जांच फ्री में कराई जाएगी: ट्रम्प
अमेरिका में 11 साल बाद हेल्थ इमरजेंसी लगाई गई है। इससे पहले अप्रैल 2009 में स्वाइन फ्लू के चलते बराक ओबामा ने हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने राज्यों से अपील में कहा, “सभी राज्य इस संकट की घड़ी में कोरोनावायरस से निपटने के उपायों पर फौरन उपाय करें। हम राज्यों को इससे निपटने के लिए 50 अरब डॉलर का फंड रिलीज कर रहे हैं। एक नेशनल डेटा सेंटर और स्पेशल यूनिट तैयार की गई है। इसमें पूरे देश की मॉनिटरिंग की जाएगी। अमेरिकी सरकार हर वो कदम उठाने जा रही है जो देश को इस महामारी से सुरक्षित रख सके। हर नागरिक की जांच फ्री में की जाएगी।इसके अलावा कोरोनावायरस के पीड़ितों के परिजन को भी मेडिकल लीव दी जाएगी।”उन्होंने कहा कियह वायरस चीन से आया है, लेकिन इसमें किसी की गलती नहीं है।
अमेरिकी बंदरगाहों पर आने वाले शिप पर रोक
ट्रम्प ने विदेश से अमेरिकी बंदरगाहों पर आने वाले शिप पर रोक लगा दी है। मैक्सिको और दूसरे देशों से लगने वाली सीमाओं पर हाई थर्मल स्कैनर लगाए गए हैं। अमेरिकी सेना की स्पेशल मेडिकल यूनिट को भी हालात पर नजर रखने के लिए अलर्ट पर रहने को कहा गया है।
संक्रमित ऑस्ट्रेलियाई गृहमंत्री से मिलने के बाद घर से काम कर रहीं इवांका
राष्ट्रपति ट्रम्प की बेटी और उनकी सीनियर एडवाइजर इवांका ट्रम्पऑस्ट्रेलिया के संक्रमित गृह मंत्री पीटर डटन से मिलने के बाद घर के काम कर रही हैं।वे इसी हफ्ते डटन और अन्य अधिकारियों सेमिली थीं, डटन को कोरोनावायरस पॉजिटिवपाया गया है।
Sri Lanka on Saturday cancelled all public events and gatherings for two weeks as the number of coronavirus cases in the country rose to eight, the health minister said. Director General of Health Services Dr Anil Jasinghe said two more cases of COVID-19 were identified on Saturday.
भास्कर रिसर्च डेस्क. अमेरिका में कोरोनावायरस के अब तक 2,170 मामले आ चुके हैं, 48 लोगों की जान गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते अमेरिका में नेशनल इमरजेंसी घोषित कर दी है। यह इमरजेंसी स्टैनफोर्ड एक्ट के तहत घोषित की गई है। इमरजेंसी लागू होने के बाद फेडरल गवर्नमेंट (संघीय सरकार) देश के सभी 50 राज्यों को 50 अरब डॉलर (करीब 3.69 लाख करोड़ रुपए) तक की मदद दे सकेगी। इससे पहले अप्रैल 2009 में स्वाइन फ्लू के चलते बराक ओबामा ने हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान किया था।
ट्रम्प ने नेशनल इमरजेंसी एक्ट के तहत भी इसे इमरजेंसी घोषित किया है। इससे हेल्थ और ह्यूमन सर्विस डिपार्टमेंट स्वास्थ्यसुविधाएं, मेडिकलऔर दूसरी सुविधाओं के लिए नियमों को बदल सकेगा या उसमें छूट दे सकेगा। इमरजेंसी घोषित होने के बाद कोरोनावायरस से लड़ने के लिए फेडरल गवर्नमेंटके पास ज्यादा फंड के साथ, अतिरिक्त कर्मचारी और सुविधाएं होंगी।
स्टैफोर्ड एक्ट से क्या होगा? लोगों को तुरंत वित्तीय सहायता और इलाज की सुविधा मिलेंगी, अस्थाई अस्पताल खोले जा सकते हैं
स्टैफोर्ड एक्ट के तहत अमेरिकी प्रशासन देश के सभी 50 राज्यों, नगर पालिकाओं, अस्पतालों और आम लोगों को कई तरह की मदद दे सकता है।
एसोसिएशन ऑफ स्टेट एंड टेरिटोरियल हेल्थ ऑफिशियल्स के अनुसार स्टैफोर्ड एक्ट के तहत अमेरिकी लोगों को तुरंत वित्तीय मदद दी जा सकेगी।
आम लोगों को हाउसिंग और आपदा के समय दी जाने वाली सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
महामारी में एक्ट के लागू होने से फेडरल गवर्नमेंटपूरे देश में नागरिकों को सीधे आपातकालीन चिकित्सा की सुविधा दे सकती है।
गहन देखभाल के लिए अस्पतालों में बेड की मांग को देखते हुए अस्थायी अस्पताल भी खोले जा सकते हैं।
अमेरिकी सरकार नागरिकों को भोजन, पानी, दवा और अन्य सुविधाएं दे सकती है।
इस दौरान इस्तेमाल होने वाले सार्वजनिक सुविधा केंद्रों के खर्च को सरकार वापस करती है। ऐसे सुविधा केंद्रों में अस्पताल, स्कूल और कस्टोडियल केयर फैसिलिटीजशामिल हैं।
सुविधा केंद्रों को लागत का 75% फेडरल गवर्नमेंटऔर 25% उनके संबंधित राज्यों से मिलता है।
नेशनल इमरजेंसी क्या है? राष्ट्रपति इसे किसी विशेष कार्रवाई के लिए लागू करते हैं
अमेरिका में नेशनल इमरजेंसी वह स्थिति है, जब संघीय सरकार किसी विशेष कार्रवाई के लिए इसे लागू करती है, इसे सामान्य स्थिति में लागू नहीं किया जा सकता है। विभिन्न कानूनी जरूरतों के लिए 1976 में नेशनल इमरजेंसी एक्ट को लागू किया गया था। नेशनल इमरजेंसी अमेरिकी राष्ट्रपति लागू कर सकते हैं।
कितनी बार लागू हुई? अमेरिका में 44 साल में अब तक 61 बार नेशनल इमरजेंसी लागू की गई है, इनमें 34 अभी भी जारी हैं
एक्ट के आने के बाद से अब तक अमेरिका में विभिन्न विषयों के लिए 61 बार नेशनल इमरजेंसी लागू की गई है। इनमें 34 अभी भी जारी हैं। 27 इमरजेंसी रद्द की जा चुकी हैं। राष्ट्रपति हर साल इन इमरजेंसी की समीक्षा करते हैं, जरूरत नहीं होने पर उन्हें खत्म कर देते हैं, नहीं तो जारी रखते हैं। अधिकतर इमरजेंसी विदेशी हित, अंतरराष्ट्रीय विवाद और आंतरिक संकट की स्थिति में ही लगाई गई हैं। ट्रम्प ने तीसरी बार इमरजेंसी लगाई है। इससे पहले मैक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर नेशनल इमरजेंसी लगाई थी।
कितनी तरह की इमरजेंसी हैं? अमेरिका में 136 तरह की इमरजेंसी हैं, अब तक सिर्फ 60 लागू हुई हैं
यूएस नेशनल इमरजेंसी एक्ट के तहत अमेरिकी संसद कांग्रेस को 136 तरह की इमरजेंसी पावर हासिल है। मार्च 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में अब तक 60 तरह की नेशनल इमरजेंसी लगाई जा चुकी हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा इमरजेंसी ट्रेड, सैंक्शन और मिलिट्री को लेकर लगाया गया है। पब्लिक हेल्थ, लीगल और हथियारों को भी लेकर इमरजेंसी लगाई गई है।
Greece said on Saturday it would suspend all flights that were still operating to and from Italy, after reporting two more fatalities from a coronavirus infection, raising the total number of deaths in the country to three. There were 190 confirmed cases of coronavirus in Greece by late Friday.
Switzerland's armed forces said Saturday that the army is prepared to deploy to help in the battle against the COVID-19 pandemic, which has infected more tha 1,000 people in the country. The army will as of Monday deploy one of its four hospital battalions, army chief Thomas Sussli said in a tweet.
भास्कर रिपोर्ट(नई दिल्ली/बीजिंग). उस वक्त जब दुनिया के ज्यादातर देश कोरोनावायरस से या तो जूझ रहे हैं या फिर बचने के तरीके ढूंढ रहे हैं, तब चीन में जिंदगी दोबारा पटरी पर लौट रही है। क्योंकि चीन ने कोरोना पर काफी हद तक काबू पा लिया है। कोरोना पर काबू पाने के लिए चीन ने पहले धड़ाधड़ नए अस्पताल बनाए, उसके बाद जिस वुहार शहर और हुबेई प्रांत से यह वायरस फैलना शुरू हुआ, उसे पूरी तरह लॉकडाउन(लोगों के घर से बाहर निकलने पर रोक) कर दिया। सोशल मीडिया ऐपस के जरिए लोगों को बताया कि किन जगहों पर जाएं, कहां न जाएं। इसका असर दिखने भी लगा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 16 फरवरी को चीन में करीब 1900 कोरोना केस आए थे और 200 से ज्यादा मौतें हुई थीं। पिछले 24 घंटे में चीन में कोरोना के सिर्फ 11 केस ही सामने आए हैं, 13 मौतें हुई हैं। चीन में अब दुनिया के करीब 15 देशों से कम कोरोना केस सामने आ रहे हैं। धीरे-धीरे लोग एक बार फिर कामकाज पर लौटना शुरू हो गए हैं।
जिनपिंग कोरोना वायरस शुरू होने के बाद पहली बार वुहान पहुंचे
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वायरस फैलने के बाद पहली बार वुहान का दौरा भी किया है। उन्होंने अस्पतालों और ऑफिसों का दौरा किया।
चीन में कोरोना के कम होते केस, इसकी जद में आ चुके देशों के लिए केस स्टडी का विषय बन गया है कि कैसे इस पर नियंत्रण पाया जाए। चीन में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के चीफ रिप्रजेंटेटिव अधिकारी डेविड ऐकमैन कहते हैं कि शी जिनपिंग सरकार ने दुनिया के तमाम देशों को आईना दिखाया है कि कैसे कड़े फैसलों से हर मुश्किल को आसान बनाया जा सकता है, बशर्ते इच्छाशक्ति और गुड-गवर्नेंस होनी चाहिए। चीन ने इस वायरस को देश के अन्य हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए गजब का काम किया है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को दोबारा रफ्तार देने और लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षा देने के दिशा में भी शानदार संतुलन बनाया है। मुझे लगता है कि दुनिया के अन्य बहुत से देशों को चीन के अनुभव से सीखना चाहिए। ताकि कोरोना को समय रहते रोका जा सके।'
चीन ने इन चार फैसलों से कोरोना को अन्य हिस्सों में फैलने से रोका
लॉकडाउन: 23 जनवरी को हुबेई प्रांत के वुहान समेत 15 शहरों को कोरोनावायरस फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन कर दिया गया। इससे 5 करोड़ से ज्यादा लोग यहां के घरों में कैद हो गए। लोगों की मदद के लिए चीन के अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी गए। एक सप्ताह में यहां दो नए अस्पताल बनाए गए, ताकि कोरोना पीड़ित लोगों का इलाज हो सके।
ट्रांसपोर्ट पर रोक: पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस पूरी तरह से बंद कर दिया। इनमें बस, ट्रेन, फ्लाइट्स, फेरी सेवा शामिल हैं। वुहान एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन ओर मेट्रो ट्रांजिट सिस्टम को भी बंद कर दिया। प्रशासन की अनुमति के बिना कोई भी शहर से बाहर नहीं जा सकता है।
ऑफिसों और स्कूलों में बंदी: कुछ दिनों के अंदर ही फैक्टरियों, ऑफिसों, स्कूलों को भी बंद कर कर दिया गया। साथ ही प्रशासन ने कुछ बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल लोगों की निगरानी करने के लिए शुरू किया। लोगों के मोबाइल पर ग्रीन, येलो और रेड ट्रैफिक लाइट सिस्टम दे दिया, ताकि वे यदि रेलवे स्टेशन या चेक प्वाइंट्स की ओर निकलते हैं, तो उन्हें अलर्ट भेजा जा सके।
आम नागरिकों का सहयोग:प्रशासन के हर कदम में मदद की, भीड़ वाले इलाकों में खुद ही जाना बंद किया
डेविड ऐकमैन कहते हैं कि चीन द्वारा वायरस के फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कुछ कदम काफी कारगर रहे हैं, इनमें वर्क फ्राम होम, स्कूलों को बंद करना, किसी जगह पर भीड़ को जमा होने से रोकना आदि शामिल हैं। इसके अलावा आम नागरिकों द्वारा उठाए गए कदम भी काफी अहम हैं, लोगों ने नियमित हाथ धुलना शुरू किया, खुद ही यात्रा भी बंद कर दी और स्वास्थ्य विभाग पर जबरदस्ती का दबाव बनाना छोड़ दिया। आम लोगों के इस सहयोग से प्रशासन को वायरस फैलने रोकने में काफी मदद मिली है।
जिसने चीन से सीखा: सिंगापुर में कोरोना केस के बढ़ने की दर से ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं
चीन सिर्फ अकेला देश नहीं है, जिसने कोरोनावायरस पर तुरंत काबू पाने में कामयाबी हासिल की है। सिंगापुर ने भी कोरोना को रोकने के लिए बिना कोई देरी किए, कई अहम कदम उठाए हैं। जिसके चलते वहां अब तक सिर्फ 150 कोरोना केस ही सामने आए। वायरस के फैलने की दर से िरकवरी दर से ज्यादा बेहतर है। इसलिए अब तक 93 लोग पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं, उन्हें अस्पताल से वापस भेज दिया गया है। प्रशासन ने इसके लिए देश के सभी प्रमुख जगहों पर ट्रैकिंग प्वाइंट्स बना दिए हैं। प्रभावित देशों से आने वाले नागरिकों को अलग-थलग रखा जा रहा है। फरवरी में स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो नागरिकों पर यात्रा की जानकारी नहीं देने पर फाइन भी लगा दी थी। ऐसे अपराधों के लिए देश में 7000 हजार डॉलर फाइन और छह महीने की सजा का भी प्रावधान है।
बड़ी बात: गोल्डमैन सॉक्स के पूर्व अधिकारी ने कहा- भगवान का शुक्र है कि कोरोनावायरस भारत से नहीं, चीन से शुरू हुआ
गोल्ड मैन सॉक्स के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट जिम ओ नेल ने कहा है कि भगवान का शुक्र है कि कोरोनावायरस चीन से शुरू हुआ, भारत जैसे देश से नहीं शुरू हुआ। क्योंकि भारतीय सरकार की व्यवस्थाओं को देखते हुए वहां ऐसा कोई रास्ता नहीं है, जिससे कोरोनावायरस को रोका जा सके। जैसा कि चीन ने कर दिखाया। यह चीन का बहुत ही शानदार मॉडल है, ऐसा ही कुछ ब्राजील के बारे में कह सकते हैं।
चीन में कोरोना का ग्राफ: 84% केस अकेले हुबई प्रांत में आए हैं, 96% मौतें भी इसी प्रांत में हुई हैं
चीन में कोरोनावायरस के 80,824 केस अब तक आए हैं, जबकि 3,189 लोगों की जान जा चुकी है। 80,824 केसों में करीब 84% केस अकेले चीन के हुबई प्रांत से आए हैं। 96% मौतें भी इसी प्रांत में हुई हैं। देश में 65,541 केस रिकवर हो गए हैं। यह सभी मौतें हुबेई में हुई हैं। चीन में रोजाना औसतन 412 मरीज ठीक हो रहे हैं।
दुनिया का ग्राफ: 10 में से 7 केस चीन से बाहर के आ रहे हैं
कोरोना के 10 में से 7 केस चीन से बाहर के आ रहे हैं। चीन के बाहर सबसे खराब स्थिति यूरोप की है। यूरोप में 35000 हजार से ज्यादा केस सामने आए हैं। शुक्रवार सुबह तक इटली में 15,113 केस सामने आ चुके हैं। फ्रांस में 24 घंटे में 800 केस सामने आए हैं।
चीन और यूरोप से बाहर किस देश में कितने वायरस आए
दुनिया 122 देशों मेें अब तक कोरोनावायरस के 143,600 लाख केस सामने आए हैं। जबकि 5,406 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 2,217 मौतें चीन के बाहर हुई हैं।
The World Health Organization (WHO) says Europe has become the pandemic's current epicentre after reporting more cases and deaths than the rest of world combined, apart from China where the coronavirus originated last December.
लंदन. यूके के नॉर्थ मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में एक मां और नवजात कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नवजात कोरोना से संक्रमित होने वाला सबसे छोटा मरीज है। फिलहाल एक को स्पेशलिस्ट सेंटर में रखा गया है, वहीं दूसरे को आइसोलेशन में भेजा गया है। कोरना के चलते अब तक दुनियाभर में 5436 मौतें हो चुकी हैं और एक लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं।
महिला को निमोनिया के चलतेबच्चे के जन्म से कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था। फिलहाल डॉक्टर कोशिश कर रहे हैं कि बच्चा जन्म के समय कोरोना का शिकार हुआ है या फिर मां के गर्भ में ही उसे संक्रमण हो गया था।
गुरुवार को मेडिकलएक्सपर्ट्स ने बताया कि गर्भवती महिला कोरोना से ग्रस्त बाकी लोगों की तरह नहीं दिख रही थी इसलिए इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते कि बच्चा गर्भ में ही वायरस की चपेट में आ गया था।
वहीं, रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्सट्रीशियन्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट, रॉयल कॉलेज ऑफ मिडवाइव्ज और रॉयल कॉलेज और पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ ने बताया कि इस वायरस से कोई भी गर्भवती महिला की मौत नहीं हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि, प्रेग्नेंट महिला को कोरोनावायरस की पुष्टि या संदेह होने पर सावधानी के तौर पर ऑब्सटेट्रिक यूनिट में जाना चाहिए।
चीन में सबसे बुजुर्ग मरीज ठीक हुआ
न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक कोरोना का सबसे बुजुर्ग मरीज ठीक हो गया है। चीन के 100 साल के इस व्यक्ति को 24 फरवरी को हुबेई मेटर्निटी एंड चाइल्ड हेल्थ केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां शनिवार को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।