Sunday, November 1, 2020
Will never forget what China did to US: Donald Trump November 01, 2020 at 08:16PM
कार में हुए धमाके में सरकार समर्थित विद्रोही गुट के 2 सदस्यों की मौत, 2 जख्मी November 01, 2020 at 07:54PM
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अफगानिस्तान के पक्तिया प्रांत के रोहानी बाबा जिले में रविवार रात हुए बम ब्लास्ट में सरकार समर्थित विद्रोही गुट के दो सदस्यों की मौत हो हो गई। दो अन्य जख्मी हुए हैं। इस हमले के पीछे आतंकी संगठन तालिबान हो सकता है।
तोलो न्यूज के मुताबिक, अभी तक किसी आतंकी गुट ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इस बीच, सोमवार सुबह काबुल के ख्वाजा सब्ज पोश इलाके में हुए बम धमाके में भी दो लोग जख्मी हुए हैं। इनमें एक आम नागरिक और दूसरा सुरक्षा बल का जवान है।
15 दिन पहले भी कार में धमाका हुआ था
अफगानिस्तान के पश्चिमी गोर प्रांत की राजधानी फिरोज कोहा में 18 अक्टूबर को एक कार में धमाका हुआ था। इसमें 16 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। धमाके से आसपास की इमारतों को भी नुकसान पहुंचा। यह एक आत्मघाती हमला था। गोर प्रांत में तालिबान अक्सर हमले करता है।
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WHO प्रमुख ने खुद को सेल्फ क्वारैंटाइन किया, पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए थे; अब तक 4.68 करोड़ केस November 01, 2020 at 06:12PM
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमुख टेड्रोस गेब्रयेसस (55) ने खुद को सेल्फ क्वारैंटाइन कर लिया है। वे एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे। गेब्रयेसस ने बताया कि मैं अच्छा हूं, मुझमें कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं हैं, लेकिन मैंने खुद को कुछ दिन के लिए क्वारैंटाइन कर लिया है।
अब तक दुनिया में कोरोना के 4 करोड़ 68 साल 9 हजार 252 मामले सामने आ चुके हैं। 12 लाख 5 हजार 194 मौतें हो चुकी हैं। 3 करोड़ 37 लाख 53 हजार 770 लोग ठीक भी हो चुके हैं।
ब्रिटेन: प्रिंस विलियम अप्रैल में पॉजिटिव निकले थे
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बीबीसी के मुताबिक, ब्रिटेन के प्रिंस विलियम अप्रैल में कोरोना पॉजिटिव आए थे। यह तभी हुआ था, जब उनके पिता प्रिंस चार्ल्स संक्रमित निकले थे। यह भी बताया गया है कि देश में हड़कंप न मचे, इसलिए विलियम ने चुपचाप इलाज करा लिया। हालांकि, इस पर प्रिंस विलियम के ऑफिस और घर केन्सिंगटन पैलेस ने कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया है। ‘सन’ के मुताबिक, विलियम ने किसी को भी अपने पॉजिटिव होने की जानकारी नहीं दी थी, क्योंकि वे किसी को परेशानी में नहीं डालना चाहते थे। अप्रैल में विलियम ने 14 फोन और वीडियो कॉल किए थे।
चीन: 24 नए केस
चीन में रविवार को 24 नए केस सामने आए, जिसमें 21 विदेशों से आए लोग हैं। ये सभी लोग शिनजियांग में सामने आए। अफसरों ने कहा है कि काशगर समेत दो अन्य शहरों में दूसरे राउंड की टेस्टिंग शुरू की जा रही है। एक 17 साल के फैक्ट्री वर्कर के पॉजिटिव मिलने के बाद 47.5 लाख टेस्ट किए गए, जिसमें ज्यादातर एसिम्प्टोमैटिक (जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं) पाए गए।
सिंगापुर-हॉन्गकॉन्ग: जल्द शुरू होगी हवाई यात्रा
हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में जल्द ही हवाई यात्रा शुरू हो सकती है। हॉन्गकॉन्ग के मंत्री एडवर्ड याउ ने बताया कि नवंबर के मध्य तक उड़ानें शुरू की जा सकती हैं। ट्रैवल एजेंसियां टिकटों की बिक्री शुरू कर सकती हैं। वहीं, सिंगापुर के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ओंग ये कुंग के मुताबिक, हम मलेशिया से ट्रैवल बबल शुरू करेंगे। वहां काफी केस सामने आए हैं, लेकिन उन्होंने अच्छा कंट्रोल किया है। सिंगापुर में पिछले महीने से एक दिन में 20 से कम लोग संक्रमित निकल रहे हैं।
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कब तक होगी वोटिंग, क्या वास्तव में वोटिंग फ्रॉड हो रहा है; जानें ऐसे 16 सवालों के जवाब November 01, 2020 at 04:08PM
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अमेरिका में 3 नवंबर (भारतीय समयानुसार 4 नवंबर सुबह 6 बजे) को राष्ट्रपति चुनाव है। यहां अर्ली वोटिंग (यानी तय तारीख से पहले) सिस्टम भी है। इसका इस्तेमाल करते हुए लगभग 50% वोटिंग तो हो चुकी है। बाकी तीन दिन में बाकी वोटिंग भी हो जाएगी। वोटिंग डेडलाइन खत्म होते ही काउंटिंग भी शुरू होगी। अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो 4 नवंबर शाम तक यह साफ हो जाएगा कि डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति बने रहेंगे या उनकी जगह डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडेन व्हाइट हाउस पहुंचेंगे।
यहां हम आपको वर्तमान में अमेरिकी चुनाव से जुड़े अहम सवाल और उनके जवाब दे रहे हैं।
Q. क्या अब भी लोग मतदान के लिए रजिस्टर कर सकते हैं?
A. यह राज्य की व्यवस्था पर निर्भर करता है। राज्यों में अलग-व्यवस्था है। राज्यों या इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट से जानकारी लें।
Q. क्या अब मेल इन बैलट (वोट) काउंट होगा?
A. अगर यह तय वक्त (वोटिंग क्लोज डेडलाइन) से पहले पहुंच गया तो इसकी गिनती जरूर होगी। यानी गिना जाएगा।
Q. क्या इलेक्शन डे यानी 3 नवंबर को पोलिंग स्टेशन पर जाकर वोटिंग करना सुरक्षित है?
A. महामारी का खतरा तो है। हेल्थ गाइडलाइन का पालन करें। मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करें। सैनेटाइजर यूज करें।
Q. क्या वोटिंग फ्रॉड यानी मतदान में धांधली वास्तव में हो सकती है?
A. अमेरिका में आमतौर पर ये संभव नहीं। अपवाद हो सकते हैं। इस साल न्यूजर्सी म्युनिसिपल इलेक्शन और 2018 में नॉर्थ कैरोलिना कांग्रेस इलेक्शन में कुछ शिकायतें जरूर मिली थीं।
Q. पोल वॉचर्स का क्या मतलब है?
A. कुछ राज्य मतदान के वक्त कुछ लोगों को इसे देखने की इजाजत देते हैं। अगर कुछ दिक्कत सामने आती है तो ये लोग इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को देते हैं। प्रशासन इन्हें हल करता हैं। इन लोगों को पोल वॉचर्स कहा जाता है।
Q. नेकेड बैलट क्या होता है।
A. पोस्टल बैलेट दो लिफाफों का एक पैक होता है। पहले लिफाफे के ऊपर इलेक्शन ऑफिस का पता और दूसरी जानकारी होती है। अंदर वाले यानी दूसरे लिफाफे में बैलट पेपर होता है। अगर ऊपरी लिफाफा खराब होता है तो इसे मिसिंग बैलट माना जाता है। यानी गिनती नहीं होती। ऐसा माना जाता है कि वोट सीक्रेसी खत्म हो गई है। यह व्यवस्था कुछ राज्यों में ही है।
Q. क्या 3 नवंबर (भारत में 4 नवंबर) को ही विनर का नाम कन्फर्म हो जाएगा?
A. पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता। इसमें कई तकनीकि पेंच हैं। खासतौर पर राज्यों के अलग कानून और पोस्टल के साथ मेल इन बैलट की गिनती। पेन्सिलवेनिया और मिशिगन के अफसर कह चुके हैं कि काउंटिंग में उन्हें तीन दिन लग सकते हैं। लेकिन, यह जरूर है कि नतीजों का अंदाजा इलेक्शन डे यानी 3 नवंबर को लग जाएगा।
Q. अगर कोई कैंडिडेट नतीजे स्वीकार करने से इनकार कर दे तो?
A. 2016 में ट्रम्प जीते। तब भी उन्होंने कहा था कि मतदान में धांधली हुई। बहरहाल, अगर ऐसा कुछ होता तो मामला फिर मोटे तौर पर सुप्रीम कोर्ट ही जाएगा।
Q. सुप्रीम कोर्ट का क्या रोल हो सकता है?
A. अगर नतीजों पर सवाल उठें तो सुप्रीम कोर्ट का रोल जरूर हो सकता है। आपको याद होगा विपक्ष के विरोध के बावजूद ट्रम्प ने सुप्रीम कोर्ट में नई जज एमी कोने बैरेट को अप्वॉइंट किया। वे पहले ही कह चुके हैं कि शायद इस बार नतीजों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। इसलिए 9 जजों का कोरम पहले ही पूरा कर दिया।
Q. ट्रम्प और बाइडेन में किसका पलड़ा फिलहाल भारी है?
A. नेशनल पोल्स के मुताबिक, बाइडेन की जीत की संभावना 50% जबकि ट्रम्प की 41% है। 9% वे वोटर हैं, जो कुछ नहीं कहना चाहते।
Q. क्या ये पोल 2016 की तरह गलत साबित हो सकते हैं?
A. इस बार राजनीतिक पंडितों ने मैथड में कई सुधार किए हैं। लेकिन, राजनीतिक विज्ञान का यह सूत्र बदल भी सकता है।
Q. क्या रूस के हैकर्स या वहां की सरकार चुनाव में दखलंदाजी कर सकती है?
A. लगता है कि वे इसकी कोशिश तो कर रहे हैं। राष्ट्रपति को छोड़ दें तो उनके अफसर तो इसकी आशंका जता रहे हैं। कुछ सबूत भी इस तरफ इशारा कर रहे हैं। लेकिन, साजिश कामयाब होगी....? इसमें संदेह है।
Q. क्या बाइडेन ने यह कहा है कि वे अगर जीते तो सिर्फ एक कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति रहेंगे?
A. नहीं। लेकिन, अगर वे जीते तो शपथ लेते वक्त 78 साल के हो चुके होंगे। उन्होंने ये जरूर कहा है कि वे पार्टी और आने वाली पीढ़ी के लिए सेतु यानी ब्रिज का काम करेंगे। इसके चाहे जो मायने निकाल सकते हैं।
Q. चुनाव से जुड़े कानूनी मुकदमों का क्या होगा?
A. कुछ खास नहीं। दरअसल, ये दोनों पार्टियों के आरोप-प्रत्यारोप के तौर पर देखे जाने चाहिए। ये कई राज्यों में चल रहे हैं।
Q. क्या नतीजों में कुछ गड़बड़ हो सकती है? यानी ये साफ ही न हो पाए कि कौन जीता?
A. ये भी मुमकिन है। आप कह सकते हैं कि इसकी आशंका भी है।
Q. और आखिरी सवाल? आखिर हम कब जान पाएंगे कि कौन जीता?
A. फिलहाल, ये तय नहीं है। इसलिए इत्मीनान यानी धैर्य रखें।
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ट्रम्प सेल्समैन हैं और डर बेच रहे हैं, वे नहीं जानते कि अब महिलाएं, नौजवान-बुजुर्ग उनका माल खरीदने को तैयार नहीं November 01, 2020 at 02:51PM
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ऐन्टुआं स्काइराइट अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल कैंपेन कमेटी के वरिष्ठ सलाहकार हैं। वे 2016 में हिलेरी क्लिंटन के चुनाव सलाहकार थे। उनका कहना है कि इस बार डेमोक्रेटिक पार्टी चुनावी पोल के रथ पर सवार नहीं है। हासारे पोल बाइडेन की ट्रम्प पर लगातार बढ़त दिखा रहे हैं। 2016 कि तुलना में 2020 के चुनावी समीकरण पर ऐन्टुआं ने दैनिक भास्कर के रितेश शुक्ल से बात की। पढ़िए संपादित अंश।
- क्या अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कुछ ऐसा है, जो पोल और मीडिया नहीं दिखा पा रहा है?
सारे चुनावी पोल तकरीबन वैसा ही दृश्य पेश कर रहे हैं, जैसा 2016 में देखने मिला था। लेकिन, हमारी पार्टी इस चुनाव में पोल के रथ पर सवार नहीं है। 2016 के चुनाव में ट्रम्प एक सेल्समैन और मार्केटिंग जीनियस के तौर पर उभरे थे। 2020 में भी वे वही पुराने हथकंडे अपना रहे हैं।
ट्रम्प असल में एक टीवी एंटरटेनर हैं, लेकिन, उनके दर्शकों का एक बड़ा वर्ग उनसे टूट रहा है। ट्रम्प चुनाव में होने वाली गड़बड़ी का डर बेच रहे हैं। ऐसे दौर में जब लोग पहले ही महामारी से डरे हुए हैं। लेकिन, महिलाएं, पढ़े-लिखे युवा और बुजुर्ग भी अब उनका माल खरीदने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि वे चुनाव हारने से होने वाले नुकसान की बात कर रहे हैं।
- आप ये कैसे कह सकते हैं कि ट्रम्प सिर्फ अपने फायदे या नुकसान की ही बातें कर रहे हैं?
अगर ट्रम्प को चुनाव हारने का डर नहीं होता तो वे डाक से भेजे जा रहे वोटों को फर्जी क्यों बताते? क्यों उनकी पार्टी द्वारा शासित टेक्सास जैसे राज्यों में भी पोलिंग स्टेशनों कि संख्या घटाई गई है। अगर ट्रम्प जनता के हिमायती हैं, तो वे जनता को वोट देने से रोकना क्यों चाहते हैं। ट्रम्प जानते हैं कि अगर जनता ने खुलकर वोट दिया, तो वे हार जाएंगे।
- 2016 और अब के चुनावों में क्या अंतर है?
2016 में ट्रम्प बाहरी के तौर पर देखे जा रहे थे। एक बड़ा वर्ग मानता था कि मंझे हुए नेताओं की तुलना में ट्रम्प जनता की समस्याओं को बेहतर समझेंगे। लेकिन, जनता ने उनका 4 साल का कार्यकाल देख लिया है। उनके अपने वोटरों की उम्मीद भी टूट गई है। ट्रम्प ने अपनी बात और व्यवहार से स्पष्ट कर दिया है उनमें गंभीरता नहीं है और वे जिम्मेदारी उठाने के लायक नहीं हैं।
- क्या ये अंतर चुनावी निष्कर्ष को बदल पाएगा?
ट्रम्प को 2016 में 52% महिलाओं, युवकों और बुजुर्गों ने बढ़त दिलाई थी। हमारी पार्टी के वोटरों का एक हिस्सा भी हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में नहीं था। लिहाजा, उसने वोट ही नहीं किया। इन कारणों से ट्रम्प जीते थे। 2020 में ये तीनों वर्ग ट्रम्प पर फिर से दांव लगाते नहीं दिख रहे।
- इस बार का चुनाव संस्थागत ढांचेे में बदलाव की मंशा से हो रहा है...
ऐन्टुआं ने कहा कि ये चुनाव अमेरिकियों की एकजुट हो रही निराशा की अभिव्यक्ति है। इसे खुद ट्रम्प ने हवा दी है। लेकिन, अब समय आ गया है कि अमेरिका में हर स्तर पर मूलभूत बदलाव किए जाएं। जनता आश्वस्त है कि बदलाव ट्रम्प के नेतृत्व में संभव नहीं है। ट्रम्प हटेंगे, लेकिन ये चुनाव संस्थागत ढांचे में बदलाव की मंशा से हो रहा है।
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ट्रम्प ने फिर कहा- चुनाव परिणाम कई सप्ताह तक नहीं आएगा; देश में अव्यवस्था फैल जाएगी November 01, 2020 at 02:51PM
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अमेरिका में चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में दोनों उम्मीदवारों ने एक-दूसरे के गढ़ में पूरी ताकत लगा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पेनसिल्वानिया में कहा कि मतदान के बाद कई हफ्ते तक परिणाम स्पष्ट नहीं होगा। देश में अराजकता और अव्यवस्था का माहौल रहेगा।
दूसरी ओर डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जोसेफ बाइडेन ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मिशिगन में प्रचार किया। वायरस महामारी पर दोनों प्रत्याशियों के बुनियादी रुख में एक बार फिर अंतर सामने आया है। बाइडेन महामारी को गंभीरता से लेने की बात कर रहे हैं। वहीं ट्रम्प ने वायरस पर फोकस करने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी की खिल्ली उड़ाई है।
3 नवंबर को मतदान के बाद भी फैसला नहीं
पेनसिल्वानिया के न्यूटाउन और रीडिंग में ट्रम्प ने कहा कि 3 नवंबर को मतदान के बाद भी चुनाव का फैसला नहीं हो पाएगा। मतपत्रों की गिनती नहीं हो सकेगी। न्यूटाउन में उन्होंने कहा, लोगों को कई सप्ताह तक परिणाम का इंतजार करना पड़ेगा। समय पर नतीजा नहीं आएगा क्योंकि पेनसिल्वानिया बहुत बड़ा राज्य है। 3 नवंबर चला जाएगा और हमें जानकारी नहीं मिलेगी। हम अपने देश में अव्यवस्था फैलते हुए देखेंगे।
राष्ट्रपति ने रीडिंग में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया। उन्होंने बताया, कोर्ट ने पेनसिल्वानिया के रिपब्लिकन नेताओं द्वारा 3 नवंबर के तीन दिन बाद तक डाक मतपत्र गिनती में शामिल करने के आग्रह को नामंजूर कर दिया। राष्ट्रपति ने फैसले को निराशाजनक बताया।
फिलाडेल्फिया में धांधली की आशंका जताई
ट्रम्प ने अश्वेत बहुल शहर फिलाडेल्फिया में सुरक्षित और निष्पक्ष मतदान पर संदेह जताया। उन्होंने कहा,क्या वोटिंग खत्म होने के बाद रहस्यमय तरीके से कुछ और मतपत्र मिलने वाले हैं। फिलाडेल्फिया में विचित्र घटनाएं होती रहती हैं। ट्रम्प ने 2016 में भी यह रणनीति अपनाई थी।
देश में लंबे समय से इस सवाल पर चर्चा हो रही है कि महत्वपूर्ण राज्यों में कितने लंबे समय तक मतपत्रों का इंतजार किया जाए। यह सवाल भी उठे हैं कि चुनाव के दिन कुछ राज्यों में आगे होने की स्थिति में क्या ट्रम्प अपनी विजय की घोषणा कर देंगे। वे पूरे परिणाम की प्रतीक्षा नहीं करेंगे।
ओबामा संग बाइडेन ने की रैली
फ्लिंट, मिशिगन में ओबामा ने बाइडेन के साथ ड्राइव इन रैली में हिस्सा लिया। पिछले दो सप्ताह से ओबामा अकेले प्रचार कर रहे थे। शनिवार को पहली बार चुनाव में ओबामा और बाइडेन एक साथ नजर आए। ओबामा ने भीड़ भरी रैलियां करने के लिए ट्रम्प का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, क्या फॉक्स न्यूज ट्रम्प का ध्यान नहीं रख रहा है।
पेनसिल्वानिया और मिशिगन को तथाकथित ब्लू वॉल (डेमोक्रेटिक समर्थक) का हिस्सा कहा जाता है। इसमें एक अन्य राज्य विस्कांसिन शामिल है। अभी हाल हुए संसदीय चुनावों में दोनों राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी को जीत मिली थी। वैसे, 2016 के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन पर ट्रम्प की जीत में इन राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। 2020 के चुनाव अभियान में तीनों राज्यों में ट्रम्प की स्थिति सर्वेक्षणों में कमजोर दिखाई पड़ रही है। वैसे, ट्रम्प के सलाहकार पेनसिल्वानिया में जीत की आशा रखते हैं।
सर्वे बता रहे चार निर्णायक राज्यों में अब तक बाइडेन ही आगे
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एरिजोना, फ्लोरिडा, पेन्सिलवेनिया और विस्कोन्सिन निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इस बार इन चारों राज्यों में डेमोक्रेटिक कैंडिडेट जो बाइडेन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। अभी तक के सभी सर्वे बता रहे हैं कि बाइडेन इन राज्यों में क्रमश 6,3,6 और 12 अंकों की लीड ले चुके हैं।
हालांकि, पिछले महीने वे इन राज्यों में थोड़े कमजोर दिख रहे थे। फ्लोरिडा में बेशक बाइडेन की लीड सिर्फ 3 अंकों की है। लेकिन, चुनावी विशेषज्ञ इसे बेहद अहम बता रहे हैं। क्योंकि, फ्लोरिडा में ट्रम्प लगातार संघर्ष कर रहे हैं। सर्वे में यह भी सामने आया है कि कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से ट्रम्प की स्थिति खराब हुई है।
क्योंकि, वे 2.36 लाख लोगों की मौत के बाद भी इसे साधारण फ्लू बता रहे हैं। दूसरी ओर, बाइडेन अपने हर संबोधन में कोरोना से होने वाली मौतों का जिम्मेदार ट्रम्प को ठहरा रहे हैं। चुनावी विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कोरोना का मुद्दा ट्रम्प पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि महामारी के वजह से बढ़ रही बेरोजगारी दर के आंकड़े ट्रम्प भी छिपा नहीं पा रहे हैं।
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बाइडेन सर्वे में शुरू से आगे, लेकिन ट्रम्प की तस्वीरों वाली टोपियां-मास्क ज्यादा बिक रहे; वह भी ‘मेड इन चाइना’ November 01, 2020 at 02:51PM
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अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। यहां अब तक के सभी सर्वे में डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बाइडेन बढ़त बनाते दिख रहे हैं। लेकिन, आश्चर्य यह कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए बनाई गई प्रचार सामग्री सबसे ज्यादा बिक रही है। वह भी चीन में बनी हुई। वह चीन जिसे ट्रम्प ने प्रचार में अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है।
चीन में दुनिया के सबसे बड़े प्रचार सामग्री के थोक बाजार यिवू शहर की एक फैक्ट्री में काम करने वाले लोग मानते हैं कि इस बार भी ट्रम्प ही जीतेंगे। वजह ये है कि ट्रम्प के कैंपेन के लिए बंट रहीं टोपियां, बैनर, मग, मास्क जैसी प्रचार सामग्री इनकी फैक्ट्री से ही बनकर सप्लाई हो रही है।
चीन में भी खूब बिक रहीं हैं
प्लास्टिक के बने डायनासोर और ‘किस माय बेस’ जुमले के साथ ट्रम्प की तस्वीर वाली टोपियां भी अमेरिका और चीन में खूब बिक रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ यिवू के दुकानदार बताते हैं कि बाइडेन की फोटो वाली टोपियां इत्यादि की बिक्री नाम मात्र की भी नहीं है। यिवू की 100 दुकानों में से सिर्फ एक दुकानदार ने कहा कि बाइडेन की फोटो वाली सामग्री खरीदने के लिए इस पूरे साल में केवल एक ही खरीददार आया है।
2016 के चुनाव में अमेरिका के बैटल ग्राउंड राज्यों में हिलेरी क्लिंटन के बैनर और कटआउट आम जनता के घरों से नदारद थे। जबकि ये सारे राज्य ट्रम्प की फोटो और उनके स्लोगन ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ से पटे पड़े थे। इस साल इन राज्यों में बाइडेन के पोस्टर-बैनर हर दूसरे-तीसरे घर में दिखाई पड़ रहे हैं। कुछ तो घर ऐसे भी हैं, जहां दोनों के पोस्टर एक साथ लगे हैं। यानी पत्नी बाइडेन समर्थक है, तो पति ट्रम्प समर्थक।
खास बात यह है कि 2016 के चुनाव की तरह इस बार भी डेमोक्रेटिक पार्टी ने बैनर-पोस्टर पर कोई खास बजट नहीं लगाया। बाइडेन समर्थकों ने खुद अपने खर्च से घर पर पोस्टर-बैनर बनाकर न सिर्फ घरों में लगाया, बल्कि जिन्होंने मांगा, उन्हें भी दिया। यही वजह है कि बाइडेन की पार्टी को किसी बड़े निर्माता से भारी मात्रा में चुनाव प्रचार सामग्री मंगवाने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
65 से ज्यादा उम्र वाले दो-तिहाई लोग पहले ही वोट कर चुके
यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के पाॅलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डेनियल स्मिथ कहते हैं कि यहां 65 वर्ष की उम्र के ऊपर के दो-तिहाई लोगों ने पहले से ही वोटिंग कर ली है। ये परिस्थिति उन क्षेत्रों में भी है, जहां ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है। लेकिन, अभी यह कहना मुश्किल है कि इन सारे बुजुर्गों ने 2016 की तरह इस साल भी ट्रम्प को ही वोट किया है या इनमें से कुछ हिस्सा बाइडेन के पक्ष में झुका है। ट्रम्प को जरूरत है कि 3 नवंबर को उनके वोटर बड़ी संख्या में निकलें और वोट करें। क्योंकि, ऐसा नहीं हुआ तो वे बढ़त नहीं बना सकेंगे।
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73 साल की ममितू अनपढ़ हैं, पर सर्जरी में महारथ से इथियोपिया की टॉप सर्जन बनीं November 01, 2020 at 02:50PM
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अफ्रीकी देश इथियोपिया के पहाड़ों में रहने वाली ममितू गाशे 16 साल की उम्र में गर्भवती थीं। पढ़ना-लिखना न जानने वाली ममितू पहाड़ी गांवों में मजदूरी करने जाती थीं। प्रेग्नेंसी के वक्त चार दिन तक असहनीय दर्द झेलने के बाद ममितू का बच्चा नहीं बचा।
बच्चा तो चला गया लेकिन ममितू के शरीर में रह गए भयानक जख्म। यानी ऑब्स्टेट्रिक फिस्टुला। मतलब एक ऐसी बीमारी जिसमें योनि और मलाशय के बीच छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं। अनियंत्रित रूप से मल-मूत्र का रिसाव होता रहता है।
दर्द और तेज दुर्गंध से जिंदगी बद से बदतर बन जाती है। नरक बन गई जिंदगी को किस्मत राजधानी अदीस अबाबा ले आई। यहां महान आस्ट्रेलियाई डॉक्टर कैथरीन हैमलिन ने उनका इलाज किया। ममितू ठीक हो गईं और डॉ. कैथरीन उनकी मेंटर, सरोगेट मां और आजीवन दोस्त बन गईं। ममितू का फिस्टुला इतना ज्यादा था कि 10 ऑपरेशन के बावजूद वो पूरी तरह ठीक नहीं हो पाईं।
डॉ. कैथरीन और उनके पति ने औरतों के लिए अभिशाप बनी इस बीमारी को देखकर इथियोपिया में फिस्टुला हॉस्पिटल खोला। डॉ. कैथरीन ऑपरेशन थियेटर में ममितू को लेकर भी जाने लगी। उनकी लगन और ललक देख कैथरीन ने उनको इलाज करना सिखाना शुरू किया। कई बार कैथरीन ने हाथ पकड़ कर ऑपरेट करना भी सीखाया।
इसी अभ्यास से ममितू इथियोपिया में फिस्टुला की टॉप सर्जन बनीं। अपने जैसी बीमार औरतों को बचाने के संकल्प ने अनपढ़ ममितू गाशे को ‘फ्यूचर ऑफ अफ्रीकन मेडिसिन’ बना दिया। ममितू को 1989 में लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन ने सर्जरी के लिए गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया। दूसरी और बीबीसी ने 2018 के प्रतिष्ठित 100 वूमेन की लिस्ट में ममितू को 32वें स्थान पर रखा। मरीजों की जरूरत को देखकर 73 की उम्र में भी वो ऑपरेशन थियेटर में मौजूद रहती हैं।
बेयरफुट सर्जन: बिना किसी विशेष पढ़ाई के हुनर से बदल रहे तस्वीर
ममितू एक ऐसे अनोखे ग्रुप का हिस्सा हैं, जिसे प्यार से लोग ‘बेयरफुट सर्जन’ कहते हैं। इसके सदस्य बिना किसी फॉर्मल ट्रेनिंग के ऑपरेशन करते हैं। वो एक एरिया के विशेषज्ञ होते हैं, जो नेचुरल स्किल और देख-देख कर इलाज करना सीखे होते हैं। इंटरनेशनल मेडिकल कम्युनिटी से भी इनको मान्यता और तारीफ मिली हुई है।
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इस्लामिक देश फ्रांसीसी सामान के बहिष्कार की धमकी दे रहे; बायकॉट में उनको भी फ्रांस के बराबर घाटा November 01, 2020 at 02:50PM
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बुर्के पर रोक, धार्मिक स्थलों पर विभिन्न फैसलों की वजह से फ्रांस की पहले से ही इस्लामिक देशों के साथ तनातनी चलती रही है। पैगंबर के कार्टून बनाने पर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा शिक्षक सहित चार लोगों की हत्या से इस बार मामला गंभीर हो गया है। कई इस्लामिक देशों ने फ्रांस के उत्पादों के बॉयकॉट का ऐलान किया है। इनमें तुर्की, पाकिस्तान, बांग्लादेश और ईरान सबसे आगे हैं।
खास बात है कि फ्रांस का इन देशों के साथ कारोबार 100 अरब डॉलर यानी साढ़े 7 लाख करोड़ रु. से भी ज्यादा है। अगर सभी इस्लामिक देश फ्रांस का पूरी तरह बायकॉट कर दें, तो उसे बड़ा झटका लग सकता है। लेकिन इसका असर दोनों पक्षों पर होगा क्योंकि इसमें 55% हिस्सा फ्रांस उनसे आयात भी करता है। वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा- पैगंबर का कार्टून बनाने वाले का समर्थन नहीं, पर हिंसा बर्दाश्त नहीं।
इस्लामिक देशों को होने वाले प्रमुख निर्यात- इंडस्ट्रियल मशीनरी, गैस टर्बाइन, वाहन, ऑटो पार्ट्स, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम, हथियार, एविएशन प्रोडक्ट्स, बॉयलर्स, ट्रैक्टर, आयरन-स्टील प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा आदि।
फ्रांस के कारोबार में इन 5 देशों की बड़ी भूमिका- फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में इन मुस्लिम देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। खास तौर पर तुर्की, मोरक्को, अल्जीरिया, सऊदी अरब और ट्यूनीशिया का इसमें बड़ा हिस्सा है।
सबसे ज्यादा मशीनरी का आयात- निर्यात
सेक्टर | निर्यात | आयात |
मशीनरी | 12% | 13% |
एविएशन | 9.6% | 00 |
वाहन | 9.5% | 11.5% |
उपकरण | 7.8% | 8.9% |
मेडिसिन | 6.4% | 3.9% |
विभिन्न ऑयल | 00 | 10.3% |
तुर्की, फ्रांस का सबसे बड़ा व्यापारिक दोस्त
देश | आयात | निर्यात |
तुर्की | 73,500 | 49,950 |
मोरक्को | 47,250 | 40,000 |
सऊदी अरब | 56,250 | 25,000 |
अल्जीरिया | 35,250 | 41,250 |
ट्यूनीशिया | 37,500 | 28,000 |
(आंकड़े करोड़ रुपए में।)
पाकिस्तान की जीडीपी से दोगुनी कीमत एफिल टॉवर की
फ्रांस के खिलाफ तुर्की के बाद पाकिस्तान सबसे ज्यादा गुस्सा दिखा रहा है, लेकिन उसका फ्रांस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। ट्रेंडिंग इकोनॉमिक्स के मुताबिक 2020 में पाकिस्तान की जीडीपी 27,000 करोड़ डॉलर रहने का अनुमान है। वहीं, पेरिस के एफिल टॉवर का वैल्यूएशन करीब 58,000 करोड़ डॉलर है, यानी पाकिस्तान की जीडीपी से दोगुना। एफिल टॉवर को देखने सालाना 10 लाख लोग आते हैं। फ्रांस के इस्लामिक देशों के साथ कारोबार में पाकिस्तान शीर्ष 20 देशों में भी नहीं है।
- 7 प्रमुख अरब देशों को फ्रांस का एक्सपोर्ट 2900 करोड़ डॉलर, इनमें सबसे ज्यादा मोरक्को और अल्जीरिया को।
- यूएई, सऊदी अरब, कतर और मिस्र को करीब 1400 करोड़ डॉलर का एक्सपोर्ट, इनमें से 429 करोड़ का अकेले कतर को।
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दुनिया में सबसे लंबे 112 दिन के लॉकडाउन के बाद काम पर लौटेंगे दो लाख लोग November 01, 2020 at 01:39PM
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(भास्कर के लिए मेलबर्न से अमित चौधरी) दुनिया के सबसे लंबे लॉकडाउन से निकलने वाले मेलबर्न शहर अब सामान्य दिख रहा है। 112 दिनों की कड़ी पाबंदियों के बाद 50 लाख आबादी ने खुली हवा में सांस लेना शुरू कर दिया है। बाजार और स्टोर्स खुल गए हैं, लोग 5 किमी की जगह 25 किमी तक आ-जा सकते हैं। इस बीच करीब 1.80 लाख से ज्यादा कामगार भी अपने काम पर लौट आए हैं।
हजारों भारतीय और पर्यटक उड़ानें बंद होने और वीसा न मिलने से मेलबर्न में फंसे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उड़ानें जल्द बहाल होंगी और वे घर लौट सकेंगे। मेलबर्न विक्टोरिया राज्य की राजधानी है, जो ऑस्ट्रेलिया में कोविड-19 का एपिक सेंटर रहा है। संक्रमण का एक भी नया केस न मिलने पर विक्टोरिया प्रशासन ने 26 अक्टूबर को छूट के पहले फेज की घोषणा की है।
सरकार की रणनीति काम करती दिख रही है। जून के बाद रविवार को पूरे देश में एक भी केस नहीं मिला। ऑस्ट्रेलिया में अब तक 27,590 मरीजों में से 20 हजार से ज्यादा विक्टोरिया के ही थे। मार्च में यहां संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। 16 मार्च को ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 2 हफ्तों का आपातकाल घोषित किया, जिससे संक्रमण फैलने पर अंकुश लगा। अप्रैल में हालात फिर बिगड़ने लगे। विक्टोरिया में ही 905 में से 817 मरीजों की मौत हो गई। इनमें से 682 बुजुर्ग थे।
2 अगस्त को कड़ी पाबंदियों की घोषणा हुई और 7 अगस्त से रात्रिकालीन कर्फ्यू लग गया। स्कूल-कॉलेज, धार्मिक स्थल और रिटेल सेक्टर बंद हो गए। एयरपोर्ट भी बंद कर दिए गए। हालांकि कुछ ग्रॉसरी स्टोर्स को होम डिलीवरी की शर्त पर अनुमति मिली। ऑस्ट्रेलिया पोस्ट के मुताबिक ऑनलाइन खरीदी करने वाले 10 लाख नए ग्राहक जुड़े।
112 दिन लंबे लॉकडाउन में ऑस्ट्रेलिया सरकार ने काफी कड़ाई बरती। सख्ती का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विक्टोरिया राज्य ने मार्च से अब तक लॉकडाउन तोड़ने वालों पर 20 करोड़ रुपए (27.8 मिलियन डॉलर) से ज्यादा जुर्माना लगाया। 5 किमी के नियम को तोड़ने पर 1.25 लाख रुपए का जुर्माना था, जबकि मास्क न पहनने पर 15 हजार रुपए का। इसी तरह गैरकानूनी ढंग से लोगों के जुटने पर 3.72 लाख का जुर्माना था।
हाउसवाइफ नवजोत कौर बताती हैं कि इतना लंबा लॉकडाउन उनके लिए किसी बुरे सपने जैसा था, लेकिन अब राहत है। उनके लिए 2 और 4 साल के बच्चों के साथ घर में रहना काफी मुश्किल था। वहीं मेलबर्न में ही लाइसेंस ऑफिसर सिमरनजीत लॉकडाउन को बेहद जरूरी मानते हैं।
उनके मुताबिक, संक्रमण पर अंकुश के लिए ये जरूरी था। कुछ ही महीनों पहले नौकरी की तलाश में सिडनी से मेलबर्न शिफ्ट हुए परविंदर सिंह लॉकडाउन हटने से खुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब उन्हें नौकरी मिल सकेगी और अपनी मंगेतर से शादी भी कर सकेंगे। स्थानीय सरकार ने गुरुद्वारे सहित सभी धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया था, जिसके कारण उनकी शादी टल गई थी।
मार्च 2021 तक घर खाली नहीं करा पाएंगे मकान मालिक, किराया सरकार देगी
लॉकडाउन में नौकरियां भी गईं और बिजनेस भी बंद हुए। एक आंकड़े के मुताबिक, मेलबर्न में रोजाना 1200 लोगों की नौकरियां गईं। पूरे लॉकडाउन में 10 लाख नौकरियां गईं और 100 से ज्यादा बिजनेस बंद हुए। राज्य सरकार ने विक्टोरिया के लोगों को 3000 डॉलर तक के किराए में राहत देने के लिए एक रेंट रिलीफ फंड बनाया। यह राशि सीधे मकान मालिक या एजेंट को दी गई ताकि वे किराएदारों को घर में ही सुरक्षित रहने दें।
पूरा इलाज फ्री, 14 दिन आइसोलेशन में रहने वाले शख्स को 1500 डॉलर: इसके अलावा 14 दिन तक आइसोलेशन में घर पर रहने वाले बेरोजगारों को 1500 डॉलर तक भुगतान किया गया है। पूरे ऑस्ट्रेलिया में किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में कोविड टेस्ट और इलाज फ्री किया गया।
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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों बोले- मुस्लिमों का सम्मान करता हूं, लेकिन हिंसा बर्दाश्त नहीं करूंगा October 31, 2020 at 10:09PM
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इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने के कारण आलोचना झेल रहे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का अहम बयान आया है। मैक्रों ने शनिवार को कहा कि वे मुस्लिमों का सम्मान करते हैं। मैं समझ सकता हूं कि मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाए जाने से आहत हैं। इन सबके बावजूद इसकी प्रतिक्रिया में हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
धार्मिक टकराव के कारण दो हफ्ते के अंदर हुए दो हमलों ने फ्रांस को हिला दिया है। पहले क्लास में विवादित कार्टून दिखाने वाले टीचर का सिर उन्हीं के छात्र ने कलम कर दिया। इसके बाद नीस शहर में चर्च के बाहर चाकू मारकर एक महिला समेत तीन लोगों की हत्या कर दी गई। शनिवार को भी एक अज्ञात बंदूकधारी ने चर्च में पादरी को गोली मार दी थी। इस मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है।
हमलों को बताया था इस्लामिक आतंकवाद
लगातार हो रहे हमलों के कारण सरकार ने फ्रांस में तैनात सैनिकों की संख्या दोगुनी कर दी है। मैक्रों ने इन घटनाओं को इस्लामिक आतंकवाद करार दिया था। इसके बाद से ही वे मुस्लिम देशों के नेताओं के निशाने पर हैं। कई देशों में फ्रांसीसी सामान के बहिष्कार के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।
'कार्टून का समर्थन नहीं करते'
एक मीडिया हाउस से बातचीत में फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे मामले को गलत तरीके से समझा जा रहा है। वे मोहम्मद पैगंबर के कार्टून का समर्थन नहीं करते। इस कार्टून से कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसके बाद भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की जाएगी। इसमें कार्टून छपना भी शामिल है।
फ्रांस के बाद कनाडा में चाकूबाजी, 2 की मौत
फ्रांस के बाद कनाडा में एक व्यक्ति ने कुछ लोगों पर चाकू से हमला कर दिया। क्यूबेक सिटी में रविवार को हुई इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई। 5 लोग घायल भी हुए हैं। हमलावर को पकड़ने के लिए पुलिस ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर ली है। एक संदिग्ध को पकड़ लिया गया है। बताया जाता है कि हमलावर ने प्राचीन योद्धाओं जैसी पोशाक पहन रखी थी। इस हमले के बाद पुलिस ने लोगों से घर में रहने और हमले वाली जगह की ओर न जाने की अपील की है।
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