Saturday, October 3, 2020
इमरान के स्पेशल एडवाइजर का दावा- मोदी और नवाज शरीफ ने नेपाल में सीक्रेट मीटिंग की थी; ब्रिटेन का नवाज के खिलाफ वारंट जारी करने से इनकार October 03, 2020 at 06:31PM
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के स्पेशल एडवाइजर शाहबाज गिल ने शनिवार को दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत से मिले हुए हैं। गिल ने कहा कि- मैं यह नहीं कहता कि नवाज शरीफ पाकिस्तान विरोधी हैं, लेकिन वे एक छोटी सोच वाले बिजनेसमैन हैं। क्या एक पाकिस्तानी ट्रेडर भारतीय पीएम मोदी से मिलेगा, लेकिन नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री रहते हुए नेपाल की राजधानी काठमांडू में मोदी से गुपचुप मुलाकात की थी। उन्होंने इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय तक को नहीं दी।
उधर, पाकिस्तान को शरीफ को ब्रिटेन में नॉन-बेलेबल अरेस्ट वारंट जारी करवाने की कोशिशों में झटका लगा है। ब्रिटेन सरकार ने पाकिस्तानी अधिकारियों से कहा है कि वह पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति से जुड़े मामलों में दखल नहीं दे सकती। नवाज पिछले साल नवंबर से ही लंदन में अपना इलाज करवा रहे हैं। पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाईकोर्ट रिश्वत के एक मामले में नवाज को भगोड़ा घोषित कर चुकी है।
नवाज के भारतीयों के साथ बिजनेस रिलेशन: गिल
गिल ने कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी भी हुई है कि नवाज शरीफ ने हाल ही में लंदन स्थित एक देश के दूतावास में मीटिंग की थी। उन्होंने कहा- पठानकोट पर हमले के बाद भारत के बिजनेसमैन सज्जन जिंदल और नवाज ने एक जैसे बयान दिए थे। नवाज शरीफ और उनके परिवार का भारतीयों के साथ निजी तौर पर बिजनेस रिलेशन है। उन्हें इसका फायदा हुआ है। दो दिन पहले इमरान ने कहा था कि नवाज भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान की फौज को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
पिछले साल नवंबर से लंदन में हैं नवाज
70 साल के नवाज का लंदन में पिछले साल नवंबर से इलाज चल रहा है। लाहौर हाईकोर्ट से उन्हें सिर्फ 4 हफ्ते के लिए देश से बाहर जाने की इजाजत दी गई थी, लेकिन वे अब तक नहीं लौटे हैं। कोर्ट की ओर से बार-बार सम्मन भेजे जाने के बाद भी नवाज पेश नहीं हुए। इसे देखते हुए उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया। कोर्ट ने विदेश मंत्रालय को लंदन के पाकिस्तान दूतावास के जरिए नवाज के खिलाफ वारंट जारी करवाने को कहा है।
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Trump says he is 'starting to feel good' and vows 'to be back' soon October 03, 2020 at 05:31PM
Trump making progress but not out of danger: Doctor October 03, 2020 at 05:00PM
ट्रम्प ने कहा- मैं ठीक हूं, उनके चीफ ऑफ स्टाफ बोले- उनके लक्षण चिंताजनक; रिपब्लिकन पार्टी ने प्रचार की नई रणनीति तैयार की October 03, 2020 at 04:33PM
तीन दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड की सेहत पर सस्पेंस है। दरअसल, शनिवार को तीन बयान आए। तीनों में अलग-अलग बातें कही गईं। ट्रम्प ने एक वीडियो जारी कर कहा- मैं ठीक हूं। उनके चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मेडोस ने कहा- राष्ट्रपति में जो लक्षण देखे गए हैं, वे फिक्र बढ़ाने वाले हैं। उनका इलाज कर रहे हैं पर्सनल फिजिशियन डॉक्टर सीन कॉनले के मुताबिक- प्रेसिडेंट बेहतर महसूस कर रहे हैं।
ट्रम्प का इलाज मेरीलैंड के मिलिट्री हॉस्पिटल में चल रहा है, जबकि पत्नी मेलानिया व्हाइट हाउस में ही क्वारैंटाइन हैं। बेटी इवांका और दामाद जेरार्ड कुश्नर की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। दूसरी तरफ, रिपब्लिकन पार्टी ने प्रचार के लिए नई रणनीति तैयार की है। सीनेटर्स की एक टीम बनाई गई है।
ट्रम्प ने वीडियो जारी किया
राष्ट्रपति ने शनिवार रात हॉस्पिटल से एक वीडियो जारी कर कहा- अब मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं। एक-दो दिन में देखते हैं क्या होता है। मुझे लगता है कि तब स्थिति ज्यादा साफ हो पाएगी। ट्रम्प सूट में नजर आए, लेकिन उन्होंने टाई नहीं पहनी थी। इसमें दो बातें हैं। शुक्रवार रात जब वे हॉस्पिटल आए थे, तब उन्होंने कहा था- मैं बहुत बेहतर महसूस नहीं कर रहा हूं। शनिवार को कहा- अब मैं बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं। जल्द ही फिर काम संभाल लूंगा।
डॉक्टर और एडवाइजर के बयान अलग
शनिवार को ही उनके डॉक्टर्स ने कहा- राष्ट्रपति का इलाज चल रहा है और वे अब काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं। लेकिन, शंका उनके चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मेडोस के बयान ने बढ़ाई। मेडोस ने कहा- अगले दो दिन बहुत अहम हैं। इस दौरान हमें बीमारी की गंभीरता के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी। फिलहाल, हम रिकवरी के बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कह सकते। साफ तौर पर बयानों में विरोधाभास है और शायद इसीलिए राष्ट्रपति ने खुद बयान जारी कर कहा- मैं ठीक हूं। ट्रम्प का एक और मैसेज उनके दोस्त और वकील रुडोल्फ गिउलियानी के जरिए सामने आया। गिलानी के मुताबिक- ट्रम्प ने मुझसे कहा- मैं इस बीमारी को हरा दूंगा।
बयानों से सिर्फ भ्रम बढ़ा
जिस तरह के बयान आ रहे हैं, उनसे सिर्फ भ्रम बढ़ रहा है। समझना मुश्किल है कि वास्तव में ट्रम्प की स्थिति कैसी है। एक बात और हुई। वॉल्टर रीड हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मीडिया को राष्ट्रपति से जुड़ी ज्यादा जानकारी या टाइमलाइन नहीं बताई। कुछ खबरों के मुताबिक, ट्रम्प पहले से बीमार थे। और इसकी सही जानकारी आधिकारिक तौर पर नहीं दी गई।
व्हाइट हाउस से जुड़े दो सूत्रों का कहना है कि ट्रम्प को शुक्रवार सुबह से ही सांस लेने में दिक्कत थी। उनका ऑक्सीजन लेवल भी कम है। व्हाइट हाउस में ही उनको ऑक्सीजन दी गई थी। इसके बाद हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर कोनले इन बातों को खारिज कर रहे हैं। वे कहते हैं कि राष्ट्रपति को अलग से ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं है। सवाल तो ये भी उठ रहे हैं कि ट्रम्प बुधवार को संक्रमित हुए या गुरुवार को। बुधवार और गुरुवार को तो वे कई प्रोग्राम्स में शामिल भी हुए थे।
राष्ट्रपति हैं, इसलिए हॉस्पिटल भेजा
सही मायनों में ट्रम्प के पर्सनल फिजिशियन ही भ्रम फैला रहे हैं। शनिवार को उन्होंने कहा- प्रेसिडेंट बिल्कुल ठीक हैं। इलाज का असर हो रहा है। इससे हमारी टीम खुश है। अगले 24 घंटे में उनका बुखार उतर जाएगा। ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट भी नॉर्मल हो जाएगा। कोनले पूछा गया- सब ठीक था तो ट्रम्प को हॉस्पिटल लाने की जरूरत क्यों पड़ी? इस पर जवाब मिला- क्योंकि, वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं।
रिपब्लिकन पार्टी की नई कैम्पेन स्ट्रैटेजी
चुनाव में सिर्फ एक महीना बाकी है। राष्ट्रपति बीमार हैं और हॉस्पिटल में हैं। कब ठीक होंगे, ये फिलहाल नहीं कहा जा सकता। लिहाजा, उनकी पार्टी ने इलेक्शन कैम्पेन के लिए नई रणनीति तैयार की है। वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंसी और स्पीकर नेंसी पेलोसी के साथ सीनेटर्स की एक टीम हर राज्य में जाएगी। संभव हुआ तो ट्रम्प वीडियो मैसेज करते रहेंगे।
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अब ये तय हो गया है कि कोरोनावायरस अहम मुद्दा होगा; ट्रम्प राष्ट्रपति के तौर पर जिम्मेदारियां न निभा पाए तो क्या हालात बनेंगे October 03, 2020 at 04:27PM
चुनाव में अब सिर्फ एक महीना बाकी रह गया है। पहले इस बात पर बहस हो सकती थी कि कोरोनावायरस मतदाताओं के लिए कितना बड़ा मुद्दा है। लेकिन, अब नहीं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और फर्स्ट लेडी मेलानिया संक्रमित हो चुके हैं। वे आगे कैम्पेन कर पाएंगे या नहीं, कहना मुश्किल है। लेकिन, यह तय है कि अब कोरोनावायरस सबसे अहम मुद्दा बन गया है।
पिछले कुछ दिनों में ट्रम्प का बर्ताव देखें तो लगता है कि वे लोगों का ध्यान इस मुद्दे से हटाना चाहते थे। लेकिन, अब ऐसा चाहकर भी नहीं हो सकता। नस्लवाद, हिंसा, व्हाइट सुप्रीमेसी, सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति ट्रम्प के पर्सनल टैक्स पर खुलासे। ये मुद्दे पीछे छूट गए हैं।
महामारी इसलिए सबसे बड़ा मुद्दा
‘न्यू अमेरिका’ थिंक टैंक की हेड एनी मेरी स्लैटर कहती हैं- पब्लिक हेल्थ सबसे जरूरी है। और अगर आप इस मुद्दे पर पास नहीं हो पाते तो लोगों के लिए बाकी चीजों का कोई महत्व नहीं है। सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी लोगों की हिफाजत करना है। साउथ कोरिया की मिसाल हमारे सामने है। वहां सरकार ने वायरस पर कंट्रोल किया। चुनाव हुए तो फिर सत्ता में आई। लोगों ने हेल्थ के मसले पर उसके अच्छे काम को सराहा। महामारी के दौर में अमेरिकी चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव है। लेकिन, यहां ट्रम्प सरकार इस मुद्दे पर मुश्किल में नजर आती है।
समस्या ये है कि महामारी से कई मुद्दे जुड़ते चले गए। हेल्थ के साथ इकोनॉमी और फ्रीडम भी जुड़ गए। सरकार की नाकामी नजर आने लगी। खुद राष्ट्रपति ने इसे कितनी गंभीरता से लिया। ये भी सामने आ गया। उन्होंने दुनिया में सबसे बुलंद आवाज में इसके खतरे को नकारा। अब वोटर्स क्या फैसला करते हैं, इसका इंतजार रहेगा।
कुछ सवाल उठने लगे हैं...
अगर राष्ट्रपति का निधन हो जाए तो...
25वें संविधान संशोधन के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति का निधन हो जाता है, इस्तीफा दे देते हैं या वे काम करने के काबिल नहीं रह जाते हैं तो इन हालात में वाइस प्रेसिडेंट राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाते हैं। अमेरिकी इतिहास में अब तक 8 बार ऐसा हो चुका है। आखिरी बार 1963 में हुआ था। जॉन एफ कैनेडी की हत्या के बाद लिंडन जॉनसन राष्ट्रपति बने थे।
अगर उप राष्ट्रपति की भी मौत हो जाए या वे काम करने के काबिल न हों तो, फैसला सीनेट करती है कि क्या करना है। वैसे सीनेट के स्पीकर को सत्ता सौंपे जाने की व्यवस्था है।
अगर प्रेसिडेंट गंभीर रूप से बीमार हो जाएं तो...
इन हालात में प्रेसिडेंट सीनेट को यह बताएंगे कि वे गंभीर रूप से बीमार हैं और राष्ट्रपति के तौर पर अपनी शक्तियां उप राष्ट्रपति को सौंपना चाहते हैं। सीनेट इस पर मुहर लगाएगी। ट्रम्प भी ऐसा कर सकते हैं। हालांकि, व्हाइट के प्रवक्ता ने शुक्रवार को ही साफ कर दिया कि ट्रांसफर ऑफ पावर की जरूरत नहीं क्योंकि ट्रम्प ही इनचार्ज हैं।
क्या राष्ट्रपति तो जबरदस्ती हटाया जा सकता है....
25वें संविधान संशोधन के मुताबिक, ऐसा हो सकता है। अगर वो गंभीर रूप से बीमार हो और फिर भी इस्तीफा न दे। 1919 में कुछ ऐसे ही हालात थे। वुडरो विल्सन पैरालाइज्ड हो गए थे। आंखों की रोशनी भी न के बराबर हो गई थी। संविधान के मुताबिक, इस स्थिति में वाइस प्रेसिडेंट कैबिनेट के साथ सरकार चलाएगा। कांग्रेस सरकार चलाने के लिए कमेटी भी बना सकती है। यह प्रशासन तब तक जारी रह सकता है जब तक प्रेसिडेंट सीनेट को यह न बता दे कि वो स्वस्थ हो गया है और अपना काम कर सकता है।
अगर सत्ता को लेकर कुछ तय हो सके तो...
सवाल उठता है कि अगर दोनों बड़े नेता (राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति) सरकार चलाने के काबिल न हों (किसी भी वजह से) तो क्या होगा। हार्वर्ड लॉ स्कूल के प्रोफेसर जैक गोल्डस्मिथ कहते हैं- इन हालात में सीनेट स्पीकर या सरकार के सबसे बड़े मंत्री (ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो) सत्ता संभाल सकते हैं।
अगर, ट्रम्प अब सरकार ने चला पाएं तो..
रिपब्लिकन पार्टी की नेशनल कमेटी कार्यकाल पूरा होने तक नया नाम तक कर सकती है। इसमें 168 मेंबर हैं। हर राज्य के तीन मेंबर हो सकते हैं। लेकिन, चूंकि चुनाव प्रक्रिया जारी है। लिहाजा, ऐसा करना आसान नहीं होगा। क्योंकि, बैलट पर नाम प्रिंट हो चुके हैं।
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ब्रिटेन में एक यूनिवर्सिटी के 700 से ज्यादा बच्चे संक्रमित, स्पेन की राजधानी मैड्रिड में एक साथ 6 लोगों के जुटने पर रोक; दुनिया में अब तक 3.51 करोड़ केस October 03, 2020 at 04:18PM
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3 करोड़ 49 लाख 8 हजार 687 हो गया है। राहत की बात है कि इनमें 2 करोड़ 59 लाख 89 हजार 759 लोग ठीक भी हो चुके हैं। अभी 79 लाख 36 हजार 938 मरीजों का इलाज चल रहा है। मरने वालों का आंकड़ा 10.33 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।
ब्रिटेन के नार्थम्बुरिया यूनिवर्सिटी के 700 से ज्यादा स्टूडेंट्स संक्रमित मिले हैं। पॉजिटिव पाए गए सभी स्टूडेंट्स को सेल्फ आइसोलेशन में जाने के लिए कहा गया है। ऐसा नही करने पर उन्हें बाहर किया जा सकता है। स्टूडेंट्स के साथ ही उनके फ्लैट में रहने वालों और उनके संपर्क में आए लोगों को सभी सेल्फ आइसोलेट होने के लिए कहा गया है। ब्रिटेन में अब तक 4 लाख 80 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित मिले हैं और 42 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं।
स्पेन की राजधानी मैड्रिड में पाबंदियां सख्त कर दी गई हैं। यहां पर रविवार रात 10 बजे के बाद जरूरी कामों को छोड़कर घर से बाहर निकलने पर रोक है। नए नियमों के मुताबिक, बार और रेस्टोरेंट में पहले के मुकाबले अब 50% कम लोगों को ही सेवाएं दी जा सकेंगी। सभी दुकानें रात 10 बजे तक बंद करनी होंगीं। निजी और सार्वजनिक स्थानों पर 6 से ज्यादा लोग नहीं जुट सकेंगे। देश में अब तक 8 लाख 10 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित मिले हैं और 32 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं।
कोलंबिया : स्लम एरिया में खतरा
कोलंबिया में पांच महीने से लॉकडाउन है। हालांकि, प्रतिबंधों में काफी हद तक ढील दी जा चुकी है। सितंबर से कुछ रेस्टोरेंट्स भी खोले गए हैं। सरकार का कहना है कि छोटे शहरों और स्लम एरिया में संक्रमण का खतरा टला नहीं है। कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में संक्रमण की दूसरी लहर का खतरा बाकी शहरों के मुकाबले ज्यादा घातक साबित हो सकता है। हालांकि, राजधानी की मेयर क्लाउडिया ने शनिवार को कहा- महामारी की दूसरी लहर नवंबर या दिसंबर या इसके पहले भी राजधानी को गिरफ्त में ले सकती है, लेकिन हमने तैयारियां की हैं। उम्मीद है कि यह पहली लहर की तरह खतरनाक साबित नहीं होगी।
रूस: 24 घंटे में 9 हजार मामले
रूस में बीते 24 घंटे में 9 हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आए हैं। यह देश में 1 जून के बाद सामने आए सबसे ज्यादा मामले हैं। यहां पर राजधानी मॉस्को सबसे ज्यादा प्रभावित है। बीते 24 घंटे में सिर्फ मॉस्को में ही 2704 संक्रमित मिले हैं। देश में 5 अक्टूबर से सभी निजी कंपनियों को अपने 30% कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत देने के लिए कहा गया है। देश में अब तक संक्रमण के 12 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 21 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
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सर्वे में ट्रम्प अपने गढ़ में ही बाइडेन से पिछड़े, इन राज्यों में प्रतिद्वंद्वी से 10 गुना ज्यादा पैसा खर्च कर रहे October 03, 2020 at 02:44PM
नए सर्वे ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी की मुसीबतें बढ़ा दी है। क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी के गढ़ माने जाने वाले टेक्सास, आइयोवा, जॉर्जिया जैसे राज्यों में भी जो बाइडेन ने ट्रम्प के मुकाबले सात अंक तक की बढ़त बना ली है। इसी वजह से ट्रम्प की पार्टी का अपने ही गढ़ में खर्चा कई गुना बढ़ गया है।
टेक्सास में पार्टी 1976 और जार्जिया में 1992 से कभी नहीं हारी है। नेशनल स्तर पर भी ज्यादातर पोल में बाइडेन बढ़त बनाए हुए हैं। विस्कोंसिन, पेनिसिल्विया, मिशिगन, नेवादा और ओहियो जैसे स्विंग स्टेट्स जहां हार-जीत तय होती है, वहां भी बाइडेन आगे चल रहे हैं।
2016 में ट्रम्प ने टेक्सास में 9.2 अंक से जीता था
2016 में ट्रम्प ने टेक्सास में 9.2 अंक से लड़ाई जीती थी और 38 इलेक्टोरल वोट हासिल किए थे। यह ट्रम्प को किसी राज्य से मिली दूसरी सबसे बड़ी जीत थी। इसी तरह जॉर्जिया में 5.7% अंक की बढ़त हासिल कर सभी 16 इलेक्टोरल मत हासिल किए थे। टेक्सास में ट्रम्प की पार्टी ने अकेले अगस्त में ही 13 लाख डॉलर खर्च किए हैं।
टेक्सॉस में डेमोक्रेटिक पार्टी की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मैनी गर्शिया बताती हैं कि क्षेत्र में रिपब्लिकन पार्टी का सक्रिय होना सामान्य बात नहीं है। क्योंकि यहां रिपब्लिकन अपनी जीत को लेकर हमेशा आश्वस्त रहते हैं। इससे पहले पार्टी ने कभी भी इतनी बड़ी रकम चुनाव प्रचार में खर्च नहीं की। वहीं इस राज्य में डेमोक्रेटिक पार्टी ने 1.5 लाख डॉलर ही खर्चे।
इस पर रिपब्लिकन पार्टी के हेड रोना मेक्डेनियल का कहना है कि हम किसी भी राज्य को हल्के में नहीं लेना चाहते। इसी तरह जार्जिया में ट्रम्प की पार्टी सितंबर अंत तक 12.8 मिलियन डॉलर खर्च कर चुकी हैं। वहीं बाइडेन ने करीब 50 हजार डॉलर खर्च किए हैं।
ट्रम्प की मेडिकल रिपोर्ट
एंटीबॉडी दवा देकर ट्रम्प पर क्लीनिकल ट्रायल हो रहा
- ट्रम्प की उम्र, 110 किलो वजन और बढ़ा कोलेस्ट्रोल चिंता का विषय है
- ट्रम्प जैसी बीमारियों वाले संक्रमितों में 65% भर्ती हुए और 32% की जान गई
74 साल के ट्रम्प को हल्का बुखार है। बल्गम बढ़ने से नाक बंद है। उनका 110 किलो वजन, बढ़े कोलेस्ट्रोल के चलते कोरोना उनकी समस्या बढ़ा सकता है। वे बढ़े कोलेस्ट्रोल की वजह से स्टैटिन और दिल के दौरे से बचने के लिए ऐस्प्रिन लेते रहे हैं।
ट्रम्प के डॉ. शॉन पी कॉन्ली ने बताया कि एंटीबॉडी दवा देकर उन पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया, जिसके रिजल्ट सही रहे हैं। उन्हें विटामिन डी, जिंक, मेलाटोनिन, फेमोटिडाइन व ऐस्प्रिन दी जा रही है। सेंटर फॉर डिजीज कन्ट्रोल ऐंड प्रिवेंशन के आंकड़े बताते हैं कि ट्रम्प की उम्र वर्ग और उनके जैसी बीमारियों वाले संक्रमितों में 65% भर्ती हुए हैं और 32% को जान गंवानी पड़ी।
2016 में सर्वे गलत रहे थे, इस बार स्विंग स्टेट में ज्यादा सर्वे हो रहे हैं
राष्ट्रपति चुनाव की असल लड़ाई स्विंग स्टेट्स में होती है। सर्वे में ऐसे 8 राज्यों में ट्रम्प पीछे हैं। यहां से 125 इलेक्टोरल वोट आते हैं। 2016 के सर्वे में हिलेरी को बढ़त दिखाई थी लेकिन लोगों ने वोट ट्रम्प को दिया। इस गलती से बचने के लिए एजेंसियां इस बार ज्यादा पोल करा रही हैं।
50 में 48 राज्य में जिस पार्टी को बहुमत मिलता है, उसके खाते में विरोधी के भी वोट जुड़ जाते हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हमेशा उस उम्मीदवार की नहीं होती है जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं। हर राज्य में आबादी के लिहाज से निश्चित इलेक्टोरल कॉलेज वोट तय किए गए हैं। 50 राज्य 538 इलेक्टोरल चुने जाते हैंं। राष्ट्रपति बनने के लिए 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरल वोट चाहिए होते हैं। जो भी पार्टी जिस राज्य में ज्यादा वोट पाती है, उसे राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट उसे मिले जाते हैं। पढ़िए इस पर नॉलेज रिपोर्ट...
क्या पॉपुलर वोट ज्यादा पाने के बाद भी प्रत्याशी हार सकता है?
हां, यह संभव है। प्रत्याशी को राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिले, लेकिन हो सकता है वो पर्याप्त 270 इलेक्टोरल वोट हासिल न कर सके।
19वीं सदी से अब तक ट्रम्प समेत 5 राष्ट्रपति कम वोट पाकर बनें राष्ट्रपति
19वीं सदी से अब तक एेसा 5 बार हुआ है। बीते पांच चुनावों में दो बार। 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर हिलेरी क्लिंटन को ट्रम्प से करीब 30 लाख ज्यादा वोट मिले थे। पर वे पर्याप्त इलेक्टोरल वोट नहीं जुटा सकीं। 2000 में जार्ज डब्ल्यू बुश के प्रतिद्वंद्वी अल गोर को 5 लाख ज्यादा वोट मिले थे।
यह सिस्टम क्यों चुना गया ?
1787 में अमेरिकी संविधान पारित हुआ था, तब कहा गया था राष्ट्रीय पॉपुलर वोट के आधार पर राष्ट्रपति चुनना अनुचित है। क्योंकि देश बड़ा था और लोगों तक पहुंचना मुश्किल था। इसी समय लोग सांसदों द्वारा राष्ट्रपति चुनने के पक्ष में भी नहीं थे। इसलिए यह इलेक्टोरल कॉलेज की व्यवस्था बनाई गई।
चुने गए इलेक्टोरेट अपनी पार्टी को वोट देने के लिए बाध्य नहीं हैं?
पार्टी को जिस राज्य में बहुमत मिलता है, उसे उस राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट मिल जाते हैं। मान लीजिए, टेक्सास में कुल 38 इलेक्टोरल चुने जाते हैं। अगर रिपब्लिकन के 20 इलेक्टोरेट चुने जाते हैं, तो रिपब्लिकन के खाते में पूरे 38 गिने जाएंगे। हालांकि संवैधानिक तौर पर चुने गए इलेक्टोरेट जीती हुई पार्टी के उम्मीदवार को चुनने के लिए बाध्य नहीं हैं। लेकिन वे शिष्टाचार के नाते वे एेसे उदाहरण कम दिखते हैं।
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चीन ने नेपाल से 512 प्रोडक्ट्स इम्पोर्ट करने का समझौता किया था, अब सिर्फ 188 वस्तुएं आयात करने की लिस्ट थमाई October 02, 2020 at 08:46PM
चीन और नेपाल के बीच ट्रेड डील पर भी विवाद शुरू हो गया है। दो साल पहले हुई डील के मुताबिक, चीन को नेपाल से 512 वस्तुओं का आयात करना था। लेकिन, अब चीन की शी जिनपिंग सरकार इससे पलट गई है। चीन ने नेपाल को इम्पोर्ट लिस्ट भेजी है। लेकिन, इसमें 512 की बजाए सिर्फ 188 वस्तुओं के आयात का भरोसा दिलाया गया है। छोटे और गरीब देश नेपाल के लिए यह आर्थिक तौर पर बहुत बड़ा घाटा होगा।
नेपाल के कारोबारियों को भारी घाटा
नेपाल के अखबार ‘माय रिपब्लिका’ ने चीन की इस वादाखिलाफी और धोखाधड़ी को एक रिपोर्ट में उजागर किया है। अखबार के मुताबिक, चीन नेपाल के खिलाफ अजीब तरह की रणनीति अपना रहा है। चीन की नीतियों से नेपाल के कारोबारियों के भारी घाटा हो रहा है। चीन ने 512 वस्तुओं के आयात का करार किया था। अब सिर्फ 188 प्रोडक्ट्स की इम्पोर्ट लिस्ट भेजी है। इनके निर्यात में भी चीन की तरफ से कई अड़ंगे लगाए जाते हैं। ड्यूटी फ्री और कोटा फ्री इम्पोर्ट का वादा किया गया था। अब हेवी ड्यूटी लगाई जा रही है।
खत्म हो गई इम्पोर्ट लिस्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन गए थे। तब दोनों देशों की ट्रेड डील हुई थी। चीन ने 8030 वस्तुओं के आयात का भरोसा दिलाया था। इनमें कपड़े, बर्तन, फुटवियर, टूथपेस्ट और ब्रश, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, प्रिंटिंग पेपर और जानवरों की हड्डियों से बने बटन आदि शामिल थे। बाद में मेडिकल ऑयल, पेन, रोजमर्रा के इस्तेमाल की कुछ चीजें और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को इसमें जोड़ा गया।
नेपाल को फायदा नहीं हुआ
डील को नेपाल को कोई फायदा नहीं हुआ। क्योंकि, ज्यादातर सामान मंगाया ही नहीं गया। इसके बाद नेपाल ने चीन सिर्फ 512 एक्सपोर्ट की जाने वाली वस्तुओं की लिस्ट भेजी। इन्हें कोटा और ड्यूटी फ्री करने को कहा। नेपाल के पूर्व इंडस्ट्री सेक्रेटरी रवि शंकर साइनजू ने हमने कई बार चीन से अपील की। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ। मंगलवार को दोनों देशों के बीच इस बारे में बातचीत हुई। चीन ने 512 की लिस्ट में से 188 प्रोडक्ट्स को ही इम्पोर्ट करने की मंजूरी दी। हालांकि, ये भी ड्यूटी फ्री नहीं होंगे। नेपाल ट्रांस हिमालय बॉर्डर कॉमर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बच्चू पौडेल ने कहा- हम अपने कारोबारी हितों की रक्षा के लिए चीन पर दबाव नहीं बना पाए।
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