Wednesday, September 23, 2020
Canada is in second wave of pandemic: Trudeau September 23, 2020 at 07:37PM
काठमांडू में चीन की एम्बेसी के सामने विरोध प्रदर्शन; जिनपिंग सरकार ने कहा- हमने नेपाल की जमीन पर कब्जा नहीं किया September 23, 2020 at 07:42PM
नेपाल में चीन के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे की खबरें सामने आने के बाद बुधवार को राजधानी काठमांडू में चीनी दूतावास के सामने लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद चीन ने बयान जारी किया। कहा- हमने नेपाल की जमीन पर किसी तरह का कब्जा नहीं किया। केपी शर्मा ओली सरकार इस बारे में फिर जांच करे।
विरोध प्रदर्शन में ज्यादातर छात्र
काठमांडू में चीन की एम्बेसी के बाहर सैकड़ों लोगों ने हाथ में बैनर और पोस्टर लेकर जिनपिंग सरकार की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। ये लोग हुमला जिले में चीनी सेना के कब्जे से नाराज थे। विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों लोगों में ज्यादातर छात्र थे। इन लोगों का आरोप है कि चीन हुमला जिले के बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है। यहां उसने इमारतें खड़ी की हैं और इस क्षेत्र के लोगों को यहां जाने से रोका जाता है।
चीन की सफाई
नेपाल में अपने खिलाफ विरोध प्रदर्शन से चीन परेशान होने लगा है। काठमांडू में करीब तीन घंटे चले विरोध प्रदर्शन के बाद चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर सफाई देने की कोशिश की। कहा- हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि नेपाल के साथ हमारा किसी तरह का सीमा विवाद नहीं है। हुमला जिले में चीन ने जो निर्माण किया है, वो अपनी सीमा में किया है। नेपाल सरकार को इस बारे में जांच कर तस्वीर साफ करनी चाहिए।
विवाद की वजह क्या
नेपाल के अखबार ‘काठमांडू पोस्ट’ में बुधवार सुबह एक रिपोर्ट पब्लिश हुई। इसके मुताबिक, हुमला जिले में चीन ने 11 बिल्डिंग्स बनाई हैं। स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत अफसरों से की। इसके बाद गृह मंत्रालय की एक टीम यहां पहुंची। वहां चीनी सैनिक मौजूद थे। स्थानीय लोगों को चीनी सैनिक यहां आने भी नहीं देते। बताया जाता है कि नेपाल की जमीन पर कब्जा करने के लिए चीनी सैनिकों ने यहां लगे कई पिलर गायब कर दिए।
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नवाज की बेटी मरियम ने कहा- सियासी फैसले संसद में होने चाहिए, आर्मी हेडक्वॉर्टर में नहीं September 23, 2020 at 06:15PM
पाकिस्तान में फौज पर सवाल खड़े करना लगभग नामुमकिन माना जाता है। लेकिन, अब पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज और पीपीपी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी खुलकर फौज की सियासत में दखलंदाजी का विरोध कर रहे हैं। इन लोगों के निशाने पर प्रधानमंत्री इमरान खान से ज्यादा आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा हैं। मरियम ने बुधवार को मीडिया से कहा- सियासी या मुल्क से जुड़े मामलों का फैसला संसद में होना चाहिए, आर्मी हेडक्वॉर्टर में नहीं।
आर्मी और विपक्ष में टकराव क्यों
विपक्ष ने एक फौज की मदद से सत्ता पाने वाले इमरान खान की सरकार को गिराने के लिए कमर कस ली है। 1 अक्टूबर से तमाम विपक्षी दल आंदोलन शुरू करने वाले हैं। 21 सितंबर को विपक्षी नेताओं की बैठक हुई थी। इसमें आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। बुधवार को खुलासा हुआ कि आर्मी और आईएसआई चीफ ने 16 सितंबर को विपक्ष के कुछ नेताओं से मुलाकात की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों अफसर विपक्ष पर आंदोलन रोकने और फौज का नाम न लेने का दबाव बना रहे थे। हालांकि, जाहिर तौर पर यह गिलगित-बाल्टिस्तान को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए बुलाई गई मीटिंग थी।
मरियम का जवाब
फौज ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा- नवाज की पार्टी के एक सदस्य मदद के लिए आर्मी चीफ से मिलने आए थे। मरियम ने इस बयान में किए गए दावे को नकार दिया। कहा- मेरे परिवार का कोई सदस्य जनरल बाजवा से मिलने नहीं गया। न ही हमने किसी को उनसे मिलने भेजा। इसके कुछ देर बाद मरियम ने फौज पर सीधा निशाना साधा और देश में लोकतंत्र की हिफाजत करने की नसीहत दी। कहा- सियासी मामले संसद में ही तय होने चाहिए। इसके लिए आर्मी हेडक्वॉर्टर नहीं जाना चाहिए।
बैकफुट पर बाजवा
हाल के दिनों में इमरान और फौज के खिलाफ विपक्षी दलों ने काफी बयानबाजी की है। नवाज और बिलावल कई बार इमरान को इलेक्टेड नहीं, सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर बता चुके हैं। नवाज ने 21 सितंबर को ऑल पार्टी मीटिंग में कहा था- हमें दिक्कत इमरान के स्पॉन्सर्स (आर्मी) से ज्यादा है। मुल्क में लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए। डिक्टेटरशिप का दौर बीत चुका है। इसके बाद फौज ने कहा- हमारा काम देश को अंदर और बाहर से सुरक्षित रखना है। फौज को सियासत में नहीं घसीटना चाहिए।
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North Korea shot dead South Korean in its waters: Seoul September 23, 2020 at 05:59PM
New bid but little hope to reform UN Security Council September 23, 2020 at 05:34PM
इलेक्शन के बाद शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता सौंपने पर ट्रम्प बोले- मैं इसका वादा नहीं करता, हो सकता है पॉवर ट्रांसफर की जरूरत ही न पड़े September 23, 2020 at 05:16PM
नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर चिंता जाहिर की है। ट्रम्प के मुताबिक, परिणाम आने के बाद शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण (पॉवर ट्रांसफर) होने का वे वादा नहीं कर सकते। राष्ट्रपति ने कहा- मैं वोटिंग को लेकर पहले ही अपनी शिकायतें बता चुका हूं। इसलिए ये देखना होगा कि आखिर में क्या होता है। ट्रम्प ने कहा- हो सकता है कुछ चीजों को फैसला सुप्रीम कोर्ट में हो। इसलिए, वहां जजों की पूरी बेंच होनी चाहिए।
कोई भरोसा नहीं दिला सकता
बुधवार रात व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रम्प से इलेक्शन के बाद पॉवर ट्रांसफर पर कुछ सवाल किए गए। एक रिपोर्टर ने पूछा- क्या आप भरोसा दिला सकते हैं कि चुनाव के बाद शांतिपूर्ण तरीके से पॉवर ट्रांसफर होगा? इस पर राष्ट्रपति ने कहा- देखते हैं क्या होता है। मैं वोटिंग को लेकर कुछ मुद्दों पर अपनी चिंता पहले ही बता चुका हूं। कुछ जगह दंगे हो रहे हैं। वैसे मुझे नहीं लगता कि पॉवर ट्रांसफर की जरूरत पड़ेगी। जो अभी है, वही जारी रहेगा।
ट्रम्प के बयान का मतलब साफ तौर पर ये है कि चुनाव में जीत उन्हीं की होगी। राष्ट्रपति पहले मेल इन बैलट से वोटिंग का विरोध करते रहे हैं, बीच में कुछ शर्तों के साथ इसका समर्थन करने लगे।
डेमोक्रेट्स को यही फिक्र
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी कैंडिडेट ने चुनाव परिणाम और सत्ता हस्तांतरण के बारे में खुले तौर पर इस तरह की बातें की हों। डेमोक्रेट पार्टी के लिए भी यह फिक्र की बात है क्योंकि ट्रम्प चुनाव से पहले ही पॉवर ट्रांसफर और वोटिंग पैटर्न को लेकर इतनी सख्त बयानबाजी कर रहे हैं। डेमोक्रेट्स को लगता है कि अगर ट्रम्प हार गए तो वे नतीजों को नहीं मानेंगे और इससे संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का पेंच
कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस गिन्सबर्ग का निधन हो गया था। अब वहां 8 जज हैं। डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि नए जज की नियुक्ति चुनाव के बाद हो। ट्रम्प ये अभी करना चाहते हैं। इसकी वजह ये है कि अगर चुनाव के बाद कोई मामला फंसा तो नए जज उनके पक्ष में खड़े हो सकते हैं। उनका वोट निर्णायक होगा। प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जूलियन कहते हैं- ट्रम्प खुलेआम धमकी दे रहे हैं। लोग उनकी बात का मतलब समझने लगे हैं। इसके मायने ये हुए कि अगर नतीजा उनके पक्ष में नहीं हुआ तो वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
अपने ही साथ नहीं देते
ट्रम्प के बयान पर उनके साथ साथी सीनेटर मिट रोमनी ही साथ नहीं हैं। रोमनी ने कहा- आखिर लोकतंत्र की यही तो खूबी है कि चुनाव के बाद शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का हस्तांतरण हो। यह अमेरिका है, बेलारूस तो नहीं। राष्ट्रपति के तौर पर ट्रम्प को अपनी जिम्मेदारियों और गरिमा का ध्यान रहना चाहिए।
ये बयान पहली बार नहीं
सत्ता हस्तांतरण पर ट्रम्प का बयान पहली बार नहीं आया है। जुलाई में फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में भी उन्होंने यही कहा था। इसके पहले यूएसए टुडे से भी उन्होंने कहा था- चुनाव के बाद के हालात पर मैं कोई भरोसा नहीं दिला सकता। यह निर्भर करता है कि चुनाव और वोटिंग कैसे होती है। क्या सब कुछ पारदर्शी तरीके से होगा। 2016 में ट्रम्प को पॉपुलर वोट कम मिले थे। तब भी उन्होंने कहा था- चुनाव में धांधली हुई है। अमेरिका में दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं रह सकता लेकिन ट्रम्प कहते हैं कि वे 2025 के बाद भी प्रेसिडेंट रहेंगे।
2018 में चीन में राष्ट्रपति पद पर रहने की दो बार की समय सीमा हटा दी गई थी। तब ट्रम्प ने इसका समर्थन किया था। कहा था- ये बिल्कुल सही कदम है। जुलाई में तो उन्होंने चुनाव टालने तक का सुझाव दिया था। जबकि, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव टाले नहीं जा सकते।
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Police officer shot during Breonna Taylor protests in Louisville September 23, 2020 at 04:12PM
ट्रम्प ने कहा- अमेरिका के लोग वैक्सीन के फाइनल ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन कराएं; दुनिया में 3.20 करोड़ केस September 23, 2020 at 03:43PM
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.20 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 36 लाख 68 हजार 981 से ज्यादा हो चुकी है। अब तक 9 लाख 81 हजार 244 मौतें हो चुकी हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने देश के लोगों से अपील में कहा है कि वे कोरनावायरस वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कराएं।
अमेरिका : ट्रम्प की अपील
ट्रम्प के मुताबिक, जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी कह चुकी है कि उनके ट्रायल फाइनल स्टेज में हैं और अब लोगों को इसमें हिस्सा लेने के लिए आगे आना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा- हम वैक्सीन की चौथी और फाइनल स्टेज में पहुंच चुके हैं। यह हमारे देश के लिए खुशखबरी है। ट्रम्प ने इस दौरान वैक्सीन को मंजूरी देने वाली संस्था एफडीए पर निशाना साधा। आरोप लगाया कि एफडीए वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में राजनीति विचारों से प्रभावित हो रही है। ट्रम्प के मुताबिक, उनकी सरकार वैक्सीन के लिए पहले ही बजट तय कर चुकी है। लिहाजा, इस मामले में अब सिर्फ लोगों की भलाई के बारे में सोचा जाना चाहिए।
यूएन : गलत जानकारी देने वालों से सतर्क रहें
यूएन सेक्रेटरी जनरल एंतोनियो गुटेरेस के मुताबिक, कुछ लोग कोरोनावायरस को लेकर गलत जानकारियां फैला रहे हैं और यह महामारी से निपटने में दिक्कतें पैदा कर रही हैं। यूएन चीफ ने कहा कि महामारी साफ तौर पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है और अगर गलत जानकारियां फैलती रहीं तो इससे नुकसान होगा। गुटेरेस ने कहा- महामारी हेल्थ इमरजेंसी है और हम इसे कम्युनिकेशन इमरजेंसी भी मानकर चल रहे हैं क्योंकि गलत जानकारी से सभी को नुकसान होगा।
कनाडा : देश में दूसरी लहर
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर चल रही है। बुधवार को जारी बयान में ट्रूडो ने कहा- यह कहना सही नहीं है कि वायरस की दूसरी लहर शुरू होने वाली है। मैं साफ तौर पर बताना चाहता हूं कि हमारे देश में इसकी दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। कनाडा की हेल्थ मिनिस्ट्री ने बुधवार को बताया कि देश में एक लाख 47 हजार मामले सामने आ चुके हैं। बुधवार को 19 नए मामले सामने आए। सितंबर की शुरुआत से अब तक 20 हजार मामले सामने आ चुके हैं। पिछले हफ्ते ही 7500 मामले सामने आए।
ब्रिटेन : टैक्सी सर्विस के लिए भी गाइडलाइन जारी होगी
ब्रिटेन में संक्रमण की दूसरी लहर की पुष्टि खुद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कर चुके हैं। अब खबर है कि ब्रिटेन में सरकार ने जो प्रतिबंध लगाए हैं वे 6 महीने तक भी जारी रह सकते हैं। हालांकि, लोग इसका विरोध कर रहे हैं। शादियों और खेल आयोजनों पर लगे प्रतिबंध भी जारी रह सकते हैं। मंगलवार को एक प्रोग्राम के दौरान बोरिस ने कहा- फुटबॉल मैचों के बारे में फिर से विचार किया जाएगा। वहां बहुत ज्यादा लोग जुटते हैं। अंतिम संस्कार में 30 से ज्यादा लोग नहीं आ सकेंगे। मास्क अनिवार्य होगा। लंदन और देश के बाकी हिस्सों में चलने वाली टैक्सियों को लेकर भी नई गाइडलाइन्स जारी की जा सकती हैं।
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सुगा के प्रधानमंत्री बनने पर देश में शुरू हो सकता है अल्पकालिक सरकारों का दौर, अगर वे आबे की विदेश नीतियों पर काम करें तो भारत के लिए फायदेमंद September 23, 2020 at 02:38PM
71 साल के योशिहिदे सुगा के जापान का प्रधानमंत्री बनने के साथ ही कहा जा रहा है कि देश में एक बार फिर अल्पकालिक सरकारों का दौर शुरू हो सकता है। 2012 से 2020 तक शिंजो आबे देश के प्रधानमंत्री रहे। वहीं, 2012 से पहले जापान में 19 प्रधानमंत्री बने। 8 साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री आबे ने 28 अगस्त को स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जापान के पूर्व सेक्रेटरी योशिहिदे सुगा को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाया गया। इस खबर में हम सुगा और उनके पीएम बनने से जापान और भारत के संबंधों पर क्या असर होगा, इसके बारे में जानेंगे।
सुगा की छवि पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले लीडर की तरह है। उन्हें जापान के ब्यूरोक्रेसी की अच्छी समझ है। नौरशाहों के बीच उनका दबदबा है। वे आबे के बेहद करीबी माने जाते हैं। हालांकि, आबे और अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह वे करिश्माई वक्ता नहीं माने जाते। उनके बारे में कहा जाता है कि सुगा जिन सवालों को पसंद नहीं करते, उनका जवाब देने से मना कर देते हैं। इस वजह से उन्हें आयरन वॉल भी कहा जाता है।
कौन हैं योशिहिदे सुगा?
जापान के अकिता राज्य में 6 दिसंबर 1948 को योशिहिडे सुगा का जन्म हुआ था। वे अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले व्यक्ति हैं। सुगा के पिता वासाबुरो द्वितीय विश्व युद्ध के समय साउथ मंचूरिया रेलवे कंपनी में काम करते थे। जंग में अपने देश के सरेंडर करने के बाद वे वापस जापान लौट आए। उन्होंने अकिता राज्य के युजावा कस्बे में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। बड़े बेटे होने के नाते सुगा बचपन में खेतों में अपने पिता की मदद करते थे। उनकी मां टाटसु एक स्कूल टीचर थीं।
सिक्योरिटी गार्ड और फिश मार्केट में काम किया
सुगा अपने पिता की तरह खेती नहीं करना चाहते थे। इसलिए, वे स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर से भागकर टोक्यो आ गए। यहां आने के बाद उन्होंने कई पार्ट टाइम नौकरियां की। उन्होंने सबसे पहले कार्डबोर्ड फैक्ट्री में काम शुरू किया। कुछ पैसे जमा होने पर 1969 में होसेई यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया। पढ़ाई जारी रखने और यूनिवर्सिटी की फीस भरने के लिए उन्हें कई और पार्टटाइम किया। सुगा ने एक लोकल फिश मार्केट में और सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर भी काम किया।
राजनीति में एंट्री?
ग्रेजुएशन करने के बाद सुगा एक इलेक्ट्रिकल मेंटनेंस कंपनी में काम करने लगे। लेकिन जल्द ही एक सांसद के सचिव बनने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। एक दशक से ज्यादा समय के बाद उन्होंने पोर्ट ऑफ योकोहामा सिटी असेंबली में एक सीट पर जीत मिली। यह 1966 का समय था, जब उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में सफलता हासिल की। वे लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए।
जब आबे जुलाई 2006-सितंबर 2007 और दिसंबर 2012 के बाद से अब तक पीएम थे, तब सुगा पर्दे के पीछे से उनके लिए काम कर रहे थे। वे नीति निर्माण और ब्यूरोक्रेसी के लिए अहम काम करते थे। आबे जहां एक करिश्माई नेता थे, वहीं सुगा एक आत्म-उत्साही हैं।
सुगा की रूटीन
सुगा हर दिन सुबह 5 बजे जगते हैं और 40 मिनट तक सैर करते हैं। कहा जाता है कि वे हर दिन 100 सिट-अप्स लगाते हैं हैं। वह सुबह 9:00 बजे तक ऑफिस पहुंच जाते हैं। इसके बाद वे प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और अधिकारियों के साथ बैठकें करते हैं। वे दोपहर के भोजन में सोबा नूडल्स खाना पसंद करते हैं।
सुगा के पीएम बनने के बाद भारत के साथ संबंधों पर असर
अगर सुगा आबे की विदेश नीतियों पर चलते हैं तो ही यह भारत के लिए एक अच्छी खबर होगी। आबे के प्रधानमंत्री रहने के आखिरी दिनों में भारत और जापान के बीच कई समझौते हुए। इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत हुए। भारत और जापान ने दोनों देशों की सेना के बीच लॉजिस्टिक सपोर्ट का समझौता किया। आबे और मोदी दोनों ने यह बात कही थी कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के क्षेत्र में मजबूती आएगी। इंडो पैसिफिक क्षेत्र में शांति आएगी और इसकी सुरक्षा बढ़ेगी।
- जापान के पास समुद्री इलाकों में चीन की ओर से दबदबा बनाने की कोशिश को देखते हुए इस क्षेत्र की शांति और सुरक्षा भारत और जापान दोनों के हित में हैं। लद्दाख समेत कुछ दूसरे इलाके भी हैं जो दोनों देशों के हितों से जुड़े हैं। ऐसे में आबे ने चीन के खिलाफ हमेशा भारत का समर्थन किया
- आबे ने भारत को एशियाई देशों के बीच एक अहम सहयोगी समझा। वे इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत की काट के तौर पर भारत को रणनीतिक साझेदार समझते थे। इंडो पैसिफिक विजन 2025 के जरिए उन्होंने भारत और जापान के रिश्ते को आगे ले जाने की कोशिश की। इसके जरिए उन्होंने अपनी कूटनीतिक ताकत दिखाने की कोशिश की।
- क्वाडिलेट्रल सिक्योरिटी डॉयलॉग या क्वाड के बाद उन्होंने इसमें शामिल देशों के बीच मेलजोल बढ़ाने की कोशिश की। आबे ने ऑर्क ऑफ फ्रीडम एंड प्रॉस्पैरिटी में भारत की भूमिका को मजबूत बनाने की कोशिश की। भारत के आर्थिक विकास में भी जापान ने साथ दिया।
- अंडमान निकोबार से पूर्वोत्तर तक कई परियोजनाओं में जापान ने निवेश किया। मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को जापान के साथ मिलकर पूरा करने पर सहमति बनी। जब 2006-07 में आबे प्रधानमंत्री थे तो वे भारत के दौरे पर पहुंचे थे।
सुगा ज्यादातर घरेलू मुद्दों पर फोकस करते हैं: सुगा
एक्सपर्ट्स का मानना है कि नए पीएम विदेश नीतियों के मामले में ज्यादा नहीं परखे गए हैं। टोक्यो के मुसाशिनो यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डोना वीक्स के मुताबिक, सुगा ज्यादातर घरेलू मुद्दों पर फोकस करते हैं। विदेश संबंधों और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में उनकी दिलचस्पी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सुगा तथ्यों के आधार पर काम करने वाले माने जाते हैं। उनकी पार्टी एलडीपी के सांसद उन्हें एक न्यूट्रल फिगर के तौर पर देखते हैं, जो न तो किसी का समर्थन करता है और न विरोध।
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J&J kicks off final study of single-shot Covid-19 vaccine in 60,000 volunteers September 23, 2020 at 01:29AM
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भारत ने कहा- तुर्की के राष्ट्रपति का बयान हमारे अंदरूनी मामलों में दखल, वे पहले अपनी नीतियों पर गौर करें September 23, 2020 at 12:30AM
यूएन में तुर्की की ओर से कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर भारत ने नाराजगी जाहिर की है। तुर्की के राष्ट्रपति रेजेप तैयप एर्दोआन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा(यूएनजीए) के 75 वें सेशन में यह मुद्दा उठाया था। इस पर यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया- हमने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के बारे में तुर्की के राष्ट्रपति का बयान देखा है। यह भारत के अंदरूनी मामलों में बड़ी दखलअंदाजी है। ऐसी बातें मानने योग्य नहीं है। तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए। वे अपनी नीतियों पर गहराई से गौर करें।
एर्दोआन ने मंगलवार को यूएन में कश्मीर के मुद्दे को ज्वलंत बताया था। उन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की आलोचना करते हुए कहा था कि इससे समस्या और गंभीर हो गई है। दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए कश्मीर का मामला बेहद अहम है। इसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए।
15 सितंबर से शुरू हुआ है यूनजीए सेशन
यूएनजीए का 75वां सेशन इस साल महामारी को देखते हुए ऑनलाइन हो रहा है। इसकी शुरुआत 15 सितंबर से शुरू हुई है। दुनियाभर के नेता इसमें अपना भाषण रिकॉर्ड करके भेज रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण 24 सितंबर को होगा। इसके एक दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भाषण होगा। पाकिस्तान कई बार यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठा चुका है।
पिछले सेशन में चार देशों ने कश्मीर मुद्दा उठाया था
यूएनजीए के पिछले सेशन में चार देशों ने कश्मीर मुद्दा उठाया था। इनमें पाकिस्तान, चीन, मलेशिया और तुर्की शामिल है। इन देशों ने कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन होने की बात कही थी। हालांकि, यूनजीए के कई सदस्य देशों ने इसे भारत और पाकिस्तान का अंदरूनी मामला बताया था।
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ऑल पार्टी मीटिंग में हिस्सा लेने वाले मौलाना रहमान पर इमरान सरकार ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जांच एजेंसी ने समन भेजा September 22, 2020 at 11:02PM
रविवार को इमरान खान सरकार के खिलाफ ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस करने वाले पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। इस गठबंधन के एक अहम नेता मौलाना फजल-उर-रहमान को एंटी करप्शन यूनिट नेशनल अकांटेबिलिटी ब्यूरो (नैब) ने पूछताछ के लिए तलब कर लिया है। मौलाना पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगाए गए हैं। उन्हें 1 अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
मौलाना पर भ्रष्टाचार के आरोप
‘द डॉन’ न्यूज के मुताबिक, मौलाना फजल-उर-रहमान पर नैब ने भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगाए हैं। नैब प्रधानमंत्री इमरान खान के मातहत काम करती है। मौलाना दूसरी बार सरकार के खिलाफ आंदोलन करने जा रहे हैं। पिछले साल भी उन्होंने इमरान सरकार के खिलाफ मार्च निकाला था। लेकिन, आखिरी वक्त पर इसे रोक दिया था। तब कहा गया था कि फौज को दबाव में उन्होंने मार्च वापस लिया। लेकिन, इस बार मौलाना के साथ नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो की भी पार्टियां हैं।
1 अक्टूबर को पेश होने का आदेश
मौलाना को भेजे समन में उन्हें 1 अक्टूबर को जांच एजेंसी के इस्लामाबाद स्थित दफ्तर में पेश होने को कहा गया है। उन्हें बयान दर्ज कराना होगा और इसके बाद अफसर उनसे पूछताछ करेंगे। जवाब से संतुष्ट न होने पर उनकी गिरफ्तारी भी की जा सकती है। ऐसा दो पूर्व प्रधानमंत्रियों शाहिद खकान अब्बासी और यूसुफ रजा गिलानी के साथ हो चुका है।
लेकिन, आंदोलन जारी रहेगा
विपक्ष ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) बनाया है। एक बैनर तले तमाम विपक्षी नेता सरकार के इस्तीफे की मांग करेंगे। 1 अक्टूबर से आंदोलन शुरू होगा। जनवरी में इस्लामाबाद तक मार्च निकाला जाएगा। विपक्ष आईएसआई के पूर्व चीफ और वर्तमान में सीपैक के चेयरमैन आसिम सलीम बाजवा के इस्तीफे की मांग कर रहा है। उन पर लाखों डॉलर की विदेशी कंपनियों का मालिक होने के आरोप हैं। बाजवा इमरान के सलाहकार पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन सीपैक चेयरमैन पद पर बने हुए हैं।
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मोदी और आयुष्मान खुराना दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल, लेकिन टाइम ने लिखा- भाजपा ने मुसलमानों को टार्गेट किया September 22, 2020 at 10:20PM
अमेरिका की टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया है। लेकिन, कई तीखे कमेंट भी किए हैं। टाइम के एडिटर कार्ल विक ने लिखा है कि भारत की 1.3 अरब की आबादी में ईसाई, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और दूसरे धर्मों के लोग शामिल हैं। नरेंद्र मोदी ने इन्हें संशय में डाल दिया है।
'विरोध को दबाने के लिए भाजपा को महामारी का बहाना मिल गया'
विक लिखते हैं, "भारत के ज्यादातर प्रधानमंत्री हिंदू समुदाय (देश की 80% आबादी) से रहे हैं, लेकिन सिर्फ मोदी इस तरह कामकाज कर रहे हैं जैसे उनके लिए कोई और मायने ही नहीं रखता। मोदी एम्पावरमेंट के वादे के साथ सत्ता में आए। उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा ने न सिर्फ एलीटिज्म, बल्कि प्लूरलिज्म को भी खारिज कर दिया। इसमें खासतौर से मुसलमानों को टार्गेट किया गया। विरोध को दबाने के लिए महामारी का बहाना मिल गया और इस तरह दुनिया का सबसे वाइब्रेंट लोकतंत्र अंधेरे में चला गया।"
आयुष्मान खुराना भी लिस्ट में शामिल
आयुष्मान खुराना अकेले भारतीय एक्टर हैं, जिन्हें इस साल टाइम की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में जगह मिली है। उनके लिए दीपिका पादुकोण ने लिखा है कि आयुष्मान उन कैरेक्टर्स में भी बहुत अच्छी तरह ढल गए जो बहुत स्टीरियोटाइप समझे जाते हैं। उन्होंने कई यादगार फिल्में दी हैं।
शाहीन बाग की दादी को भी जगह
नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन में शामिल रहीं 82 साल की बिल्किस बानो को भी टाइम की लिस्ट में जगह दी गई है। पत्रकार राणा अय्यूब ने उनके बारे में लिखा है कि बिल्किस एक हाथ में तिरंगा थामे और दूसरे हाथ से माला जपती हुई सुबह 8 बजे से लेकर रात 12 बजे तक धरने पर बैठी रही थीं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का भी नाम
भारतीय मूल के पिचाई भी टाइम की लिस्ट में शामिल किए गए हैं। उनके बारे में कहा गया है कि भारत से आकर अमेरिका में काम करने और 1 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी का सीईओ बनने तक की उनकी कहानी खास है। यह दिखाती है कि हम अपनी सोसाइटी के लिए क्या इच्छा रखते हैं। उन्होंने अपनी कुदरती खूबियों का बखूबी इस्तेमाल किया।
टाइम की लिस्ट में शामिल 10 बड़ी हस्तियां
- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
- डोनाल्ड ट्रम्प, अमेरिका के राष्ट्रपति
- जो बाइडेन, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार
- कमला हैरिस, अमेरिका की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
- नैन्सी पेलोसी, अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर
- एंजेला मर्केल, जर्मनी की चांसलर
- शी-जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति
- नाओमी ओसाका, जापान की टेनिस खिलाड़ी
- सुंदर पिचाई, गूगल के सीईओ
- आयुष्मान खुराना, एक्टर
- रविंद्र गुप्ता, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर
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