Tuesday, December 1, 2020
Word leaders to address special session of UNGA on Covid pandemic December 01, 2020 at 07:25PM
न्यूजीलैंड सरकार ने क्लाइमेट इमरजेंसी का ऐलान किया, 2025 तक सरकारी उपक्रम कार्बन न्यूट्रल होंगे December 01, 2020 at 07:31PM
न्यूजीलैंड की संसद ने बुधवार को क्लाइमेट इमरजेंसी बिल पास कर दिया। अक्टूबर में दोबारा सत्ता संभालने वाली प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने यह ऐलान किया। इसके मुताबिक, देश के सभी सरकारी विभागों और इंस्टीट्यूशन्स को साल 2025 तक कार्बन न्यूट्रल किया जाएगा। यानी यहां कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा।
दुनिया में करीब 30 देशों ने क्लाइमेट इमरजेंसी का ऐलान किया है। इनमें ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस भी शामिल हैं। न्यूजीलैंड इस कड़ी में सबसे नया सदस्य है।
पब्लिक सेक्टर को तवज्जो
न्यूजीलैंड सरकार ने जो क्लाइमेट इमरजेंसी डिक्लेयर की है। उसमें सबसे पहले सरकारी विभागों को कार्बन न्यूट्रल किया जाना है। पीएम जेसिंडा के मुताबिक- यह बिल ग्लोबल वार्मिंग के एवरेज लेवल को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने के लक्ष्य में मददगार साबित होगा। सबसे पहले सरकारी विभागों को इसके तहत लाया जाएगा। इन्हें 2025 तक कार्बन न्यूट्रल बनाया जाएगा। यह आने वाली पीढ़ी को बेहतर जलवायु देने में मददगार साबित होगा।
विरोध भी हुआ
बुधवार को संसद में जब इस बिल पर बहस हुई तो इसका विरोध भी हुआ। विरोधी दल नेशनल पार्टी ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया। उनका कहना था कि सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है। क्योंकि, इसके लिए न तो फंड अलॉट किया गया है और न पहले से कोई तैयारियां की गई हैं।
चुनावी वादा
अर्डर्न ने अक्टूबर में सत्ता में वापसी की है और क्लाइमेट इमरजेंसी बिल उनके चुनावी एजेंडे में शामिल था। एक चुनावी रैली में उन्होंने इसे सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा था- यह हमारी पीढ़ी के लिए न्यूक्लियर फ्री वर्ल्ड जैसा कॉन्सेप्ट है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने जीरो कार्बन बिल पेश किया था। इसमें वादा किया गया था कि देश 2050 तक कार्बन मुक्त हो जाएगा। ऑयल और गैस एक्सप्लोरेशन पर रोक लगाई जाएगी।
2 करोड़ डॉलर खर्च होंगे
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगर न्यूजीलैंड सरकार इस वादे को पूरी तरह लागू करती है तो इस पर करीब 2 करोड़ डॉलर खर्च होंगे। इलेक्ट्रिक कार और हायब्रिड व्हीकल्स खरीदने होंगे। इसके अलावा तमाम सरकारी दफ्तरों और दूसरी बिल्डिंगों को ग्रीन एनर्जी से लैस करना होगा। पॉलिसीज बनाने से ज्यादा इन्हें लागू करना चुनौती होगी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
नेतन्याहू के गठबंधन सहयोगी ने कहा- PM ने लगातार वादे तोड़े, अब सरकार चलाना मुश्किल December 01, 2020 at 06:17PM
इजराइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार खतरे में पड़ गई है। गठबंधन सहयोगी बेनी गेंट्ज ने नेतन्याहू पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। गेंट्ज ने कहा है कि वे संसद में सरकार के खिलाफ वोट करेंगे और अब बेहतर यही होगा कि देश में नए चुनाव कराए जाएं।
बेंजामिन के लिए यह मुश्किल भरी घड़ी है। उन पर पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और पिछली बार तीन महीने इंतजार के बाद बड़ी मुश्किल से सरकार बना पाए थे।
वादे नहीं निभाते नेतन्याहू
गेंट्ज ने मंगलवार रात आरोप लगाया कि जब से सरकार बनी है, तभी से बेंजामिन गठबंधन के वादे नहीं निभा रहे। गेंट्ज ने कहा अगर यही हाल रहा तो आगे साथ चलना मुश्किल होगा। बेनी ने कहा- गठबंधन सहयोगियों को पता होना चाहिए कि उनका नेता क्या कर रहा है। गेंट्ज देश के रक्षा मंत्री हैं। उनके मुताबिक, वे नहीं चाहते कि सरकार फौरन गिर जाए।
आगे क्या होगा
दो संभवनाएं हैं। पहली- नेतन्याहू और गेंट्ज मतभेद दूर करें। दूसरी- सरकार गिर जाएगी और नए सिरे से चुनाव होंगे। अगर ऐसा होता है तो यह दो साल में चौथा मौका होगा जब इजराइल के लोग नई सरकार चुनेंगे।
गेंट्ज ने कहा- अब अगर सरकार और गठबंधन बचाने की किसी पर जिम्मेदारी है तो वो नेतन्याहू हैं। उन्हें यह तय करना होगा कि वे क्या चाहते हैं। जाहिर तौर पर उन्होंने यह दबाव खुद अपने ऊपर लिया है।
मई में बनी थी सरकार
नेतन्याहू लिकुड पार्टी के अध्यक्ष हैं। गेंट्ज ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के लीडर हैं। मई में दोनों दलों ने एक कॉमन प्रोग्राम के जरिए सरकार बनाने पर सहमित जताई थी। एक डील भी हुई थी। इसके तहत नेतन्याहू पहले 18 महीने प्रधानमंत्री रहेंगे। अगले 18 महीने गेंट्ज पीएम होंगे। सरकार बनने के बाद से ही दोनों पार्टियों के कई मतभेद सामने आ चुके हैं।
गेंट्ज ने कहा- मैं किसी गलतफहमी में नहीं हूं और पहले दिन से जानता था कि नेतन्याहू के साथ सरकार चलाना कितना मुश्किल है। लेकिन, यह वक्त की मांग थी। उन्होंने सिर्फ मुझसे नहीं, बल्कि पूरे देश से झूठ बोला है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
जर्मनी के ट्रियर शहर में कार फुटपाथ पर चढ़ी, पांच लोगों की मौत; नशे में था ड्राइवर December 01, 2020 at 05:38PM
जर्मनी के ट्रियर शहर में मंगलवार रात एक बेकाबू कार फुटपाथ पर चढ़ गई। घटना में पांच लोगों की मौत हो गई। मारे गए लोगों में एक बच्चा भी शामिल है। पुलिस के मुताबिक, कार का ड्राइवर काफी नशे में था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना की जांच चल रही है। बताया गया है कि आरोपी काफी देर से ट्रैफिक पुलिस को चकमा दे रहा है और बेहद लापरवाही से गाड़ी चला रहा था।
क्रिसमस की शॉपिंग पर निकले थे लोग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के वक्त बाजार में काफी भीड़ थी। लोग यहां क्रिसमस की शॉपिंग के लिए निकले थे। इसी दौरान एक कार काफी तेजी से आई और बैरिकेड्स तोड़ती हुई फुटपाथ पर चढ़ गई। घटना में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। दो लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। घटना में 14 लोग घायल भी हुए हैं।
51 साल का है आरोपी
पुलिस के मुताबिक, आरोपी की उम्र 51 साल है और वह इसी ट्रियर शहर का रहने वाला है। घटना के वक्त वह काफी नशे में था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस जानबूझकर हत्या करार दिया गया है, लेकिन पुलिस ने यह दलील खारिज कर दी। पुलिस के मुताबिक, आरोपी का ट्रैफिक पुलिस पीछा कर रही थी। उसने भागने की कोशिश की और इसी दौरान यह हादसा हो गया। पुलिस आरोपी का मेंटल चेकअप भी कराएगी।
ट्रियर के मेयर ने वोल्फॉर्म लेवी ने घटना पर शोक जताते हुए कहा- फेस्टिव सीजन में यह हादसा दुखद है। नौ महीने के एक बच्चे और 73 साल की बुजुर्ग महिला भी हादसे का शिकार हुई। हमारे शहर में यह बड़ा हादसा है। मारे गए बच्चे की मां भी गंभीर हालत में है और हम उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिकी अटॉर्नी जनरल बोले- राष्ट्रपति चुनाव में ऐसी कोई धांधली नहीं हुई जिससे नतीजा बदल जाता December 01, 2020 at 05:06PM
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उन दावों को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए थे। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल ने कहा- जस्टिस डिपार्टमेंट को अपनी जांच में अब तक इस तरह के कोई सबूत नहीं मिले हैं, जिनके आधार पर ये कहा जा सके कि धांधली की वजह से चुनाव नतीजा बदल सकता था।
अटार्नी जनरल विलियम बार का यह बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि ट्रम्प और उनकी कैम्पेन टीम लगातार चुनाव में व्यापक धांधली के आरोप लगा रहे हैं। ट्रम्प के वकीलों में कई राज्यों में चुनावी धांधली को लेकर केस भी दर्ज कराए हैं।
हार मानने को तैयार नहीं ट्रम्प
अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडेन 306 इलेक्टोरल वोट हासिल करके चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि, औपचारिक घोषणा 14 दिसंबर को इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग के बाद ही होगी। ट्रम्प को 232 वोट मिलने की संभावना है। वोटिंग और इसके बाद काउंटिंग को लेकर ट्रम्प कैम्पेन कई राज्यों में शिकायत और केस दर्ज करा चुका है। उसका आरोप है कि कई राज्यों में मेल इन बैलट्स में व्यापक गड़बड़ी हुई। कैलिफोर्निया और टेक्सास की दो अदालतें इन आरोपों को खारिज भी कर चुकी हैं। लेकिन, ट्रम्प और उनकी टीम हार मानने तैयार नहीं है।
नतीजा नहीं बदल सकता
ट्रम्प के आरोपों पर पहली बार जस्टिस डिपार्टमेंट और अटॉर्नी जनरल का रिएक्शन आया। मंगलवार को न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में विलियम बार ने ट्रम्प का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनके आरोपों को खारिज कर दिया। कहा- आज की तारीख में हमें इस तरह के कोई सबूत नहीं मिले, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि चुनाव में व्यापक धांधली हुई और इससे चुनाव नतीजा बदल जाता।
जांच जारी रहेगी
बार ने कहा- हमें जिस तरह की शिकायतें मिलती हैं, उस आधार पर कार्रवाई जरूर की जाती है। इस मामले में भी अब तक जो शिकायतें मिली हैं, उनकी एफबीआई और डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की टीमें जांच कर रही हैं। दूसरी तरफ, ट्रम्प के वकील ने बार के बयान को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- मुझे नहीं लगता हमारे अटॉर्नी जनरल को सारे फैक्ट्स की जानकारी है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिकी अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा मरीज, तुर्की में एक दिन में 190 की मौत December 01, 2020 at 04:06PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.41 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 44 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 14 लाख 85 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है। इस बीच, सरकार ने कहा है कि वैक्सीन को जैसे ही अप्रूवल मिलता है तो सबसे पहले ये हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी।
अमेरिकी अस्पतालों पर दबाव
अमेरिका से तीन अहम अपडेट मिल रहे हैं। पहला- टेक्सास और कैलिफोर्निया के बाद फ्लोरिडा तीसरा ऐसा राज्य हो गया है जहां संक्रमितों की संख्या 10 लाख से ज्यादा हो गई है। हालांकि, यहां के गर्वर्नर ने साफ कर दिया है कि सख्त प्रतिबंध नहीं लगाए जाएंगे।
दूसरा- देश में अस्पतालों पर दबाव काफी बढ़ गया है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, आंकड़े 96 हजार बता रहे हैं लेकिन देश के अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा मरीज हैं। इनमें से कुछ की हालत गंभीर है।
तीसरा- वैक्सीन या दवाइयों को अप्रूवल देने वाली फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंसी यानी एफडीए के कमिश्नर को मंगलवार रात व्हाइट हाउस तलब किया गया। अफसरों ने उनसे पूछा कि वैक्सीन के अप्रूवल में देर क्यों हो रही है? इस पर कमिश्नर स्टीफन हान का जवाब था- यहां बहुत मेहनत और तेजी से काम किया जा रहा है। कोई हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा। हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते।
बेल्जियम में 25 गिरफ्तार
बेल्जियम में कर्फ्यु उल्लंघन के मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। ये सभी पार्टी कर रहे थे। पुलिस के मुताबिक, पार्टी करने वालों में एक नेता भी थे, जो एक गंदे नाले का सहारा लेते हुए भाग निकले। उनकी तलाश की जा रही है। घटना ब्रसेल्स के एक बार की बताई गई है। इस पार्टी में यूरोपीय यूनियन के दो डिप्लोमैट भी शामिल थे।
तुर्की में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा
तुर्की में लगातार नौवें दिन मरने वालों की संख्या बढ़ी। मंगलवार को यहां कुल 190 संक्रमितों की मौत हो गई। सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि जिन संक्रमितों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर अधिक उम्र के लोग हैं। इस बीच, हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि जो प्रतिबंध लागू किए गए हैं, उनका सख्ती से पालन कराया जाएगा। सरकार आज इस मामले में अहम बैठक करने जा रही है।
हेल्थ वर्कर्स को पहले वैक्सीन मिलेगी
अमेरिकी हेल्थ मिनिस्ट्री का कहना है कि जैसे ही वैक्सीन को अप्रूवल मिलता है तो यह सबसे पहले देश के लाखों हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी, क्योंकि वे खतरनाक हालात में काम कर रहे हैं। इस बारे में सरकार ने अपने स्तर पर पूरी तैयारियां भी कर ली हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भी इस बारे में तस्वीर साफ कर दी है। माना जा रहा है कि दो हफ्ते के अंदर अमेरिका में पहली वैक्सीन आ जाएगी।
स्कॉट एटलस का इस्तीफा
डोनाल्ड ट्रम्प के कोरोनावायरस मामलों के स्पेशल एडवाइजर स्कॉट एटलस ने इस्तीफा दे दिया है। वे चार महीने पहले इस पद पर नियुक्त किए गए थे। एटलस की शुरुआत से ही आलोचना की जा रही थी। उन्होंने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे जरूरी उपायों को कभी तवज्जो नहीं दी। एक बार एटलस ने अमेरिका में कोरोना से हुई मौतों पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। एटलस पेशे से न्यूरोलॉजिस्ट हैं और ट्रम्प के करीबी माने जाते हैं।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 14,108,490 | 276,976 | 8,333,018 |
भारत | 9,499,710 | 138,159 | 8,931,798 |
ब्राजील | 6,388,526 | 173,862 | 5,656,498 |
रूस | 2,322,056 | 40,464 | 1,803,467 |
फ्रांस | 2,230,571 | 53,506 | 164,029 |
स्पेन | 1,673,202 | 45,511 | उपलब्ध नहीं |
यूके | 1,643,086 | 59,051 | उपलब्ध नहीं |
इटली | 1,585,178 | 54,904 | 734,503 |
अर्जेंटीना | 1,418,807 | 38,473 | 1,249,843 |
कोलंबिया | 1,308,376 | 36,584 | 1,204,452 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
चंद्रमा की सतह पर उतरा चीन का अंतरिक्ष यान, सतह से मिट्टी के नमूने लेकर लौटेगा December 01, 2020 at 03:46PM
चीन का अंतरिक्षयान चांग ई-5 मंगलवार को चंद्रमा की सतह पर उतर गया। चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि अंतरिक्षयान चंद्रमा की सतह पर पूर्व निर्धारित जगह के बिलकुल पास उतरा है। इस मिशन को चीन के सबसे शक्तिशाली रॉकेट लांग मार्च-5 के जरिए 24 नवंबर को लॉन्च किया गया था। इस मिशन के जरिए चीन चंद्रमा की सतह से मिट्टी के नमूनों को धरती पर लाएगा। चंद्रमा की कक्षा में पंहुचने के बाद चांग-ई-5 ने अपने लैंडर को उसकी सतह पर भेजा।
जो सुरक्षित रूप से पूर्व निर्धारित जगह पर उतर गया, जबकि उसका ऑर्बिटर चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। लैंडर चांद की जमीन में खुदाई कर मिट्टी और चट्टान निकालेगा। फिर से इस नमूने का लेकर असेंडर के पास जाएगा। असेंडर नमूने लेकर चंद्रमा की सतह से उड़ेगा और अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे अपने मुख्य यान से जुड़ जाएगा। करीब 4 दशक बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब कोई देश चंद्रमा के सतह की खुदाई करके वहां से चट्टान और मिट्टी पृथ्वी पर लाने जा रहा है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिकी बच्चे गणित में पिछड़े, रिजल्ट 10% तक घटा, 25% ने परीक्षा नहीं दी; ऑनलाइन क्लास से भी गायब December 01, 2020 at 03:41PM
अमेरिका में काेराेना के चलते शिक्षा से जुड़े हालात भी बेहद गंभीर हाे गए हैं। शिक्षा से जुड़ी 40 साल पुरानी संस्था एनडब्ल्यूईए ने हाल में किए गए सर्वे में पाया कि कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चाें की सीखने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। संस्था ने अमेरिका के 3 से 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले 44 लाख बच्चों का मूल्यांकन किया। रिपोर्ट से पता चलता है कि बच्चे सबसे ज्यादा गणित में पिछड़ गए हैं जबकि अधिकांश बच्चे पढ़ना उसी रफ्तार से सीख रहे हैं जैसा कि वो कोविड के दौर से पहले सीख रहे थे।
2019 की तुलना में इस साल 25% बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी। संस्था की रिसर्चर मेगन कुफेल्ड ने बताया कि अधिकांश जिलों में ऑनलाइन क्लास के बावजूद छोटे बच्चों की अनुपस्थिति तेजी से बढ़ गई है। जिन बच्चों ने 2020 में परीक्षाएं दी हैं, उनका रिजल्ट 2019 की तुलना में बहुत खराब रहा है। गणित में रिजल्ट 10% तक घट गया है।
संस्था के सीईओ क्रिस मिनिश ने बताया कि पढ़ने-लिखने की क्षमता तो देर-सवेर सुधर जाती है, लेकिन अगर गणित में बच्चों को शुरुआती दौर में दिक्कत आती है, तो वो आगे भी बरकरार रहती है। एक समय ऐसा भी आता है जब बच्चों के मन में गणित के प्रति खौफ पैदा हो जाता है और वे हमेशा के लिए कमजोर हो जाते हैं। चूंकि अमेरिका में अंग्रेजी प्रमुख भाषा है, इसलिए उनका अंग्रेजी का रिजल्ट वैसा ही रहा, जैसा 2019 में था। आमतौर पर जो छात्र 1.5 ग्रेड पीछे होते हैं वह अब दो ग्रेड पीछे हो गए हैं। अब हमें फिर एक बार आधारभूत पाठ्यक्रम और गणित को मजबूत करने पर जोर देना होगा।
अश्वेत और गरीब बच्चों का रिजल्ट खराब, इंटरनेट स्पीड भी बाधा बना
रेनेसां नामक एक और संस्था ने कक्षा 1 से 8वीं के बीच के 50 लाख बच्चों का सर्वे किया। उनकी रिपोर्ट बताती है कि कोविड के कारण बच्चे पढ़ाई में 12 हफ्ते की देरी से चल रहे हैं। सबसे ज्यादा असर अश्वेत बच्चों पर पड़ा है। इनमें अफ्रीकी, हिस्पेनिक और अमेरिकी मूल के भारतीय बच्चे भी शामिल हैं। कैलिफोर्निया के सेंट जोकिन जिले के असिस्टेंट सुप्रींटेंडेंट आंद्रे पेसिना का कहना है कि धीमी इंटरनेट स्पीड के कारण बच्चों को परेशानी हो रही है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
डिजिटल संसाधन से फ्लाइट का वजन घटा रहे विमान कंपनियां; किसी ने मैग्जीन बंद की तो कोई फोन से ले रही फूड-ड्रिंक्स का ऑर्डर December 01, 2020 at 02:51PM
कोरोना काल में दुनियाभर में विमानन गतिविधियां सीमित हैं या बंद हैं। ऐसे में एविएशन इंडस्ट्री पर भी खर्चों में कमी के साथ विमान में संक्रमण का खतरा कम करने की जिम्मेदारी है। कई कंपनियों ने अपनी गतिविधियां डिजिटल कर ली हैं, जिससे लोगों के बीच परस्पर संपर्क में तो कमी आई ही है, कंपनियों का खर्च और विमानों का वजन घटाने में भी सफलता मिली है।
कंपनियां अपने स्तर पर लागत कम करने के हरसंभव उपाय कर रही हैं। प्रमुख बात यह है कि विमान में जितना कम वजन होगा, लैंडिंग और टेकऑफ में ईंधन की खपत उतनी ही कम होती है। सिंगापुर एयरलाइन्स ने डिजिटल इनफ्लाइट सिस्टम ‘स्कूट हब’ शुरू किया है। इसमें यात्री मोबाइल फोन से फूड और ड्रिंक्स के ऑर्डर देने, ड्यूटी-फ्री सामान और अन्य सेवाओं का एक्सेस कर सकते हैं।
इससे सालाना 156 मीट्रिक टन कागज की बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में भी 41 टन की कमी आएगी। 13 टन ईंधन की सालाना बचत अलग होगी। ब्रिटिश एयरवेज ने फ्लाइट में दी जा रही मैग्जीन ‘हाई लाइफ’ बंद कर दी है। यह मैग्जीन अब यात्रियों को ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही है। अमेरिकन एयरलाइंस ने सलाद की प्लेट से सिर्फ एक ऑलिव कम करके सालाना 30 लाख रुपए बचाए।
एडवांस टेक्नोलॉजी ने अब विमानन कंपनियों के लिए इनफ्लाइट मेन्यू, मैग्जीन और एंटरटेनमेंट कंसोल को हटाना आसान कर दिया है। इनका वजन 6 किलो तक होता है। ऑनबोर्ड रिटेल के बजाय जमीन पर उतरने के बाद इनफ्लाइट खरीद की डिलीवरी के लिए ई-कॉमर्स एप और कुरिअर का उपयोग करके विमानन कंपनियां वजन कम कर रही हैं। फिनएयर प्लास्टिक कटलरी को हटा कर सालाना 25 लाख रुपए बचा रही है।
भारत में भी एयरलाइंस ने उठाए कदम, अब वेब चेकइन सिस्टम
इधर, भारत में लगभग सभी एयरलाइंस इसी तरह के कदम उठा कर घाटा कम कर रही हैं। इंडिगो और विस्तारा एयरलाइंस में बोर्डिंग पास के बजाए वेब चेकइन शुरू किया गया है। फ्लाइट मैग्जीन बंद कर दी गई और ऑर्डर भी एप से लिए जा रहे हैं। इसके अलावा एयर सिकनेस बैग की संख्या भी कम की जा रही है फ्लाइट में पहले से ऑर्डर किए गए फूड और ड्रिंक्स ही रखे जा रहे हैं। विमानन विशेषज्ञ वासुदेवन एस का कहना है कि कोविड-19 ने विमानन कंपनियों की लागत घटाने के नए साधन ढूंढ़ने और टच फ्री टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की जरूरत बढ़ाई है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
BioNTech, Pfizer ask Europe to OK vaccine for emergency use December 01, 2020 at 12:45AM
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह ने चीन में बनी और बिना अप्रूवल वैक्सीन खुद और परिवार को लगवाई November 30, 2020 at 11:57PM
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और उनके परिवार ने बिना अप्रूवल वाली वैक्सीन लगवाई है। अमेरिकी एनालिस्ट्स ने यह दावा खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर किया है। किम और उनके परिवार के अलावा नॉर्थ कोरिया के कुछ दूसरे अहम लोगों ने भी यह वैक्सीन लगवाई है। दुनिया में अभी किसी भी वैक्सीन को पूरी तरह अप्रूवल नहीं मिला है।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन ने पिछले महीने की शुरुआत में ही अपने हेल्थ वर्कर्स और कुछ दूसरे लोगों को वैक्सीन दे दी थी।
जापान के खुफिया सूत्रों का दावा
वॉशिंगटन के नेशनल इंटररेस्ट थिंक टैंक के एक्सपर्ट हैरी कैजियानिस ने किम के बारे में यह खुलासा किया है। हैरी नॉर्थ कोरिया मामलों के जानकार हैं और तानाशाह के बारे में उन्होंने यह दावा जापान से मिली दो इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के आधार पर किया है। हैरी के मुताबिक, चीन से मिली अनाधिकृत वैक्सीन (Unapproved Vaccine) नॉर्थ कोरिया में कुछ खास लोगों को ही लगाई गई है। इनमें किम और उनका परिवार शामिल है।
कंपनी के बारे में जानकारी नहीं
फिलहाल, यह साफ नहीं हो सका है कि किम को चीन की किस कंपनी की वैक्सीन लगाई गई है। एक आर्टिकल में हैरी ने कहा- किम के अलावा नॉर्थ कोरिया के हाई रैंकिंग ऑफिशियल्स को यह वैक्सीन दो या तीन हफ्ते के भीतर दी गई है। यह वैक्सीन चीन सरकार ने नॉर्थ कोरिया को भेजा।
तीन कंपनियां बना रहीं वैक्सीन
अमेरिकी मेडिकल साइंटिस्ट पीटर जे होज के मुताबिक, चीन की कम से कम तीन कंपनियां कोरोना वैक्सीन बना रही हैं। इनमें साइनोवैक बायोटेक लिमिटेड, केनसाइनोबायो और साइनोफार्मा ग्रुप शामिल हैं। साइनोफार्म का कहना है कि करीब 10 लाख लोगों ने उसका वैक्सीन लगवाया है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि किसी भी चीनी कंपनी ने फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
नॉर्थ कोरिया का दावा
नॉर्थ कोरिया ने अब तक किसी संक्रमित के मिलने का दावा नहीं किया है। लेकिन, साउथ कोरिया की नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस का दावा है कि नॉर्थ कोरिया में कई लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि चीन और नॉर्थ कोरिया के बीच कारोबारी और आपसी रिश्ते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले महीने कहा था कि नॉर्थ कोरियाई हैकर्स उन देशों की वैक्सीन संबंधित जानकारी चुराने की कोशिश कर रहे हैं, जो इन्हें तैयार कर रहे हैं। इनमें ब्रिटेन की एस्ट्राजेनिका कंपनी भी शामिल है। साउथ कोरिया ने एक बार यह साजिश नाकाम कर दी थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने कहा- हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में, स्थिति चिंताजनक November 30, 2020 at 10:28PM
दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों का कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी समर्थन किया है। गुरुनानक देव के 551वें प्रकाश पर्व पर एक ऑनलाइन इवेंट के दौरान ट्रूडो ने कहा कि वे हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं। उन्होंने हालात को चिंताजनक बताया।
ट्रूडो ने कहा- भारत से किसानों के आंदोलन के बारे में खबर आ रही है। स्थिति चिंताजनक है और सच्चाई ये है कि आप भी अपने दोस्तों और परिवारों को लेकर फिक्रमंद हैं। मैं याद दिलाना चाहता हूं कि कनाडा ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन किया।
किसानों का समर्थन करने वाले पहले विदेशी नेता
48 साल के ट्रूडो किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले पहले विदेशी नेता और राष्ट्राध्यक्ष हैं। दिल्ली की सीमाओं पर लगातार छठवें दिन किसान अपनी मांगों को लेकर मौजूद हैं। सरकार ने पहले इन्हें हटाने के लिए वॉटर कैनन्स का इस्तेमाल किया। लेकिन, किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन ने एक वीडियो जारी किया। इसमें ट्रूडो ने कहा- हम बातचीत का महत्व जानते हैं और यही वजह है कि हमने इस बारे में भारत सरकार को अपनी चिंताओं के बारे में बता दिया है। यह सभी के साथ आने का मौका है।
शिवसेना नेता नाराज
पिछले साल कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुईं प्रियंका चतुर्वेदी को जस्टिन ट्रूडो का बयान नागवार गुजरा। उन्होंने इसे भारत के मामलों में दखलंदाजी बताया। कनाडाई पीएम को टैग करते हुए प्रियंका ने सोशल मीडिया पर लिखा- डियर ट्रूडो, आपकी फिक्र समझ सकती हूं। लेकिन, अपनी सियासत चमकाने के लिए दूसरे देश की सियासत में दखलंदाजी सही नहीं है। मेहरबानी करके उस परंपरा का पालन कीजिए जो हम दूसरे देशों के मामले में करते हैं। मैं प्रधानमंत्री मोदी से भी अपील करती हूं कि इस मसले को सुलझाएं ताकि दूसरे देशों का टांग अड़ाने का मौका न मिले।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today