Sunday, June 14, 2020
Macron rejects tearing down statues in France June 14, 2020 at 07:49PM
पूर्व डिप्लोमैट बोले- महामारी पर इमरान की नाकामी से फौज नाखुश, मार्शल लॉ का ऐलान ही बाकी June 14, 2020 at 07:17PM
पाकिस्तान में महामारी तेजी से पैर पसार रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 लाख 42 हजार संक्रमित हैं। 2 हजार 663 की मौत हो चुकी है। इमरान खान सरकार महामारी रोकने में नाकाम साबित हुई है। देश के पूर्व डिप्लोमैट वाजिद शम्स उल हसन के मुताबिक, सरकार की नाकामी से फौज सख्त नाखुश है। तमाम बड़े ओहदों पर फौज के बड़े अफसरों की तैनाती की जा चुकी है। देश में मार्शल लॉ यानी सैन्य शासन की औपचारिक घोषणा बाकी है।
प्रशासन के पदों पर लेफ्टिनेंट जनरल
वाजिद डिप्लोमैसी से पत्रकारिता में आए हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, “फौज महामारी रोकने में सरकार की नाकामी से सख्त नाखुश है। इसलिए सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के तमाम बड़े ओहदों पर 12 से ज्यादा लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अफसरों की तैनाती या तो हो चुकी है, या फिर की जा रही है। हालांकि, अब तक औपचारिक तौर पर मार्शल लॉ का ऐलान नहीं किया गया है। सरकारी एयरलाइंस पीआईए, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ जैसे सबसे बड़े महकमों के प्रमुख फौजी अफसर हैं। यह सब दो महीनों में हुआ है।”
इमरान को कुछ नहीं पता
वाजिद के मुताबिक, प्रधानमंत्री इमरान खान को महामारी से निपटने के मामले में कुछ नहीं पता। हसन कहते हैं, “सिंध प्रांत की सरकार ने लॉकडाउन की मांग की। इमरान ने इसका विरोध किया। हालात बिगड़े तो प्रधानमंत्री स्मार्ट लॉकडाउन की बात करने लगे। अब देखिए मुल्क कहां पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों को ही देख लें। मरने वालों का आंकड़ा 3 हजार के करीब है। संक्रमित भी एक लाख 30 हजार के आसपास हो चुके हैं।”
डब्ल्यूएचओ की भी नहीं सुनते
पाकिस्तान में महामारी के खतरे को लेकर हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी जारी की थी। संगठन ने कहा था- पाकिस्तान में हालात बहुत बदतर हो सकते हैं। वहां सरकार को फौरन सख्त लॉकडाउन घोषित करना चाहिए। वाजिद कहते हैं- इमरान देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब बता रहे हैं। वो कहते हैं कि अगरलॉकडाउन किया तो लोग भूखे मर जाएंगे। मार्च से यही राग अलापा जा रहा है। जबकि, डब्ल्यूएचओ कह रहा है कि पाकिस्तान ऐसी स्थिति में नहीं है कि कोई शर्त थोप सके। देश की डॉक्टरों की बात भी नहीं मानी जा रही।
ऐसे चल रही है सरकार
वाजिद कहते हैं- इमरान सरकार कई छोटे दलों के भरोसे चल रही है। यह पार्टियां वास्तव में सेना के इशारे पर चलती हैं। पाकिस्तान में अगर कोई ताकतवर है तो वह फौज है। इमरान हर मोर्चे पर नाकाम रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर लॉकडाउन लगाया तो मुल्क दिवालिया हो जाएगा। हालांकि, सेना कारोल नया नहीं माना जाना चाहिए। पाकिस्तान में शुरू से ही यह होता रहा है। पहले भी सरकारें ऐसे ही चली हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- हम चीन के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं, लेकिन उसने हमेशा अपना वादा तोड़ा है June 14, 2020 at 06:35PM
अमेरिकी विदेश विभाग ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हवाले से रविवार को कहा कि अमेरिका चीन के साथ खुला और बेहतर संबंध चाहता है। लेकिन, उस रिश्ते को हासिल करने के लिए हमें अपने राष्ट्रीय हितों की सख्ती से रक्षा करने की जरूरत है। हालांकि, चीनी सरकार ने लगातार हमारे वादों का तोड़ा है।
हाल ही में, ट्रम्प ने कोरोनावायरस और हॉन्गकॉन्ग मामले को लेकर चीन के खिलाफ कई पाबंदियां लगाने की घोषणा की। चीन की संसद ने हॉन्गकॉन्ग में विरोधियों को दबाने और प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का प्रस्ताव पारित किया है।
चीन-अमेरिका के बीच महामारी के चलते तनाव बढ़ा
कोरोनावायरस महामारी को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गए हैं। अमेरिका महामारी फैलाने का आरोप चीन पर लगाता रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प का कहना है कि चीन ने दुनिया को कोरोना की जानकारी समय पर नहीं दी, जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हुई। उन्होंने कहा थाकिवायरस को वुहान केलैब में तैयार किया गया था। वहीं, चीन इन आरोपों से इनकार करता रहा है।
चीन ने हॉन्गकॉन्ग की आजादी छीन ली: पोम्पियो
उधर, कुछ दिनों पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अब भी वुहान से फैले कोरोनावायरस की जानकारी छिपा रही है। इससे दुनियाभर में महामारी को रोकने में देरी हुई। वहीं, चीन ने हॉन्गकॉन्ग के लोगों की आजादी बर्बाद कर दी। चीन क्या सोचता है, इसकी बानगी इन दो चीजों से मिल सकती है। चीन की दूसरों की बौद्धिक संपत्ति चुराने की कोशिशें बदस्तूर जारी है। वह दक्षिण चीन सागर में भी अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है। चीन के ये ऐसे काम है, जिसका पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
US records 382 virus deaths in 24 hours, lowest in weeks: Johns Hopkins June 14, 2020 at 04:20PM
चीन के 10 शहरों के लोगों को बीजिंग की यात्रा न करने का आदेश, यहां 3 दिन में 79 केस; दुनिया में अब तक 79.84 लाख संक्रमित June 14, 2020 at 04:41PM
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 35 हजार 177 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 79 लाख 84 हजार 432 हो गया है। अब तक 41 लाख 04 हजार 373 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। चीन की राजधानी बीजिंग में रविवार तक 3 दिन में 57 नए मामले सामने आए। अब 10 शहरों के प्रशासन ने अपने नागरिकों से कहा है कि वो अगले आदेश तक बीजिंग की यात्रा से परहेज करें। राजधानी के तीन बड़े होलसेल मार्केट पहले ही बंद किए जा चुके हैं।
10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश |
कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 21,62,144 | 1,17,853 | 8,67,849 |
ब्राजील | 8,67,882 | 43,389 | 4,37,512 |
रूस | 5,28,964 | 6,948 | 2,80,050 |
भारत | 3,33,008 | 9,520 | 1,69,689 |
ब्रिटेन | 2,95,889 | 41,698 | उपलब्ध नहीं |
स्पेन | 2,91,008 | 27,136 | उपलब्ध नहीं |
इटली | 2,36,989 | 34,345 | 1,76,370 |
पेरू | 2,29,736 | 6,688 | 115,579 |
जर्मनी | 187,671 | 8,870 | 1,72,200 |
ईरान | 1,87,427 | 8,837 | 1,48,674 |
ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4Lसे लिए गए हैं।
चीन : बीजिंग जाने से बचें
हार्बिन और डालियान समेत चीन के 10 शहरों ने अपने नागरिकों से कहा है कि वो अगले आदेश तक बीजिंग की यात्रा न करें। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हुआजियांग के बड़े कार मार्केट को भी बंद करने पर विचार किया जा रहा है। यह बीजिंग के करीब है और यहां हर दिन हजारों लोग जाते हैं। इसे हाई रिस्क लेवल पर रखा गया है। बीजिंग में भी लो रिस्क लेवल को बढ़ाकर मीडियम रिस्क लेवल दिया गया है।
बीजिंग : अब टेस्टिंग पर फोकस
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राजधानी बीजिंग को लेकर सरकार बहुत सतर्क है। यहां 46 हजार लोगों के टेस्ट किए जाएंगे। माना जा रहा है कि ये वह लोग हैं जो बीते दिनों उन होलसेल मार्केट गए, जहां से संक्रमण फैलने का शक है। इसके लिए 24 टेस्टिंग स्टेशन्स बनाए गए हैं। रविवार शाम तक कुल 10 हजार 881 लोगों के सैंपल लिए जा चुके थे। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को बीजिंग में 36 मामलों की पुष्टि हुआ। तीन दिन में 79 संक्रमित सामने आ चुके हैं।
ब्राजील : संक्रमण पर काबू नहीं
24 घंटे में ब्राजील में 612 लोगों की मौत हो गई। देश में मरने वालों का आंकड़ा 43 हजार 332 हो गया। ब्राजील की हेल्थ मिनिस्ट्री ने रविवार रात जारी आंकड़ों में बताया कि कुल 17 हजार 110 नए मामले सामने आए। अब संक्रमितों की संख्या 8 लाख 67 हजार 624 हो गई है। हेल्थ मिनिस्ट्री नई गाईडलाइंस जारी कर सकती है। इसमें शहरों में भीड़ कम करने के उपाय शामिल हो सकते हैं।
इजरायल : नए मामले सामने आए
इजरायल में रविवार को 83 नए मामले सामने आए। कुल संक्रमितों की संख्या 19 हजार 55 हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी है। बयान के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती 133 मरीजों में से 33 की हालत गंभीर है। इसी दौरान 18 मरीज स्वस्थ हुए। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 15 हजार 375 हो गई। यहां 3 हजार 380 एक्टिव केस हैं।
चिली : एक हजार से ज्यादा वेंटिलेटर पर
चिली में अब तक 1 लाख 74 हजार 293 मामले सामने आ चुके हैं। 3 हजार 323 मरीजों की मौत हुई। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, एक दिन में करीब 6 हजार 938 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 222 और मरीजों की मौत हुई है। फिलहाल 1 हजार 465 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 399 लोगों की हालत गंभीर है।
पाकिस्तान: 6 हजार से ज्यादा मामले
पाकिस्तान में रविवार को 6 हजार 825 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। देश में 1 लाख 39 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, यहां अब तक 2 हजार 632 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, अब तक 51 हजार 735 लोग ठीक हो चुके हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
भारतवंशी वित्त मंत्री ऋषि सुनाक ने कहा- जब मैं बच्चा था, तब मेरे साथ भी भेदभाव हुआ June 14, 2020 at 04:30PM
ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनाक ने रविवार को कहा कि एक बच्चे के तौर उन्हें भी नस्लीय टिप्पणी का सामना करना पड़ा है। हालांकि, तबसे देश ने काफी प्रगती कर ली है। ब्रिटेन में जन्मे भारतवंशी वित्त मंत्री सुनक ने कहा कि उन्हें तब और बुरा लगता था, जब उनके छोटे भाई-बहनों के सामने उनके साथ ऐसा होता था।
नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लंदन में शनिवार को हुए प्रदर्शनों को लेकर उनसे टिप्पणी करने को कहा गया था। सुनक ने स्काई न्यूज से कहा- यह ऐसी चीजें हैं, जो अपने आप हो रही हैं। यह काफी तकलीफदेह है। लेकिन, छोटे भाई-बहनों के सामने और भी बुरा लगता था। मैं उन्हें इससे बचाना चाहता था।
उन्होंने कहा कि वे केवल शब्द थे। लेकिन, ये जिस तरह चुभते थे, उतनी कुछ और नहीं चुभती थी। इसके बारे में कुछ है जो आपके कलेजे को छलनी कर देते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि लंदन में शनिवार को जिस तरह के हिंसक प्रदर्शन देखे गए वे स्तब्ध करने वाली और घृणित दोनों थी। जो भी इसके लिए दोषी हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
‘यह हमेशा से सहिष्णु देश रहा’
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन हमेशा से खुला और सहिष्णु देश रहा है और हमने जो शनिवार को देखा, वह यह नहीं था। हमेशा एक छोटा अल्पसंख्यक समूह होता है जो पूर्वाग्रह को बनाए रखता है। वास्तव में वे नस्लवादी हैं, लेकिन यह पूरा विवरण नहीं है जो मैं अपने देश के लिए देना चाहूंगा।
ब्रिटेन ने काफी प्रगती की: सुनक
सुनक ने कहा- मुझे लगता है जब मेरे दादा यहां आए थे, तब से अब तक देश और समाज ने काफी प्रगति कर ली है। सुनक कोरोनोवायरस महामारी को लेकर ब्रिटेन की आर्थिक प्रतिक्रिया का नेतृत्व कर रहे हैं। सोमवार से ब्रिटेन में कुछ शर्तों के साथ गैर-जरूरी चीजों के दुकान भी खोल दिए जाएंगे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
बच्चों को स्कूल भेजने पर हेल्थ एक्सपर्ट बोले- सितंबर तक करेंगे इंतजार; कुछ विशेषज्ञों ने कहा- टीका आने के बाद भेजेंगे स्कूल June 14, 2020 at 02:36PM
दुनियाभर में माता-पिता इस ज्वलंत सवाल से जूझ रहे हैं कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं या नहीं? कोरोना वायरस महामारी के बीच लोग अब लॉकडाउन से बाहर निकल रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिका में 500 से अधिक महामारी विदों और संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञों से पूछा कि उन्हें दैनिक जीवन की 20 गतिविधियों के कब तक शुरू होने की संभावना लगती है।
बच्चों को स्कूल भेजने के सवालपर अधिकतर विशेषज्ञों ने कहा कि वे कुछ समय तक इंतजार करना चाहेंगे। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वे बाद में गौर करेंगे। कई एक्सपर्ट की राय यह है कि वे सितंबर तक इंतजार करेंगे।
कुछने कहा-वैक्सीन के आने तक इंतजार करेंगे
ज्यादातर ने कहा कि वे बड़े समूहों के साथ गतिविधियां शुरू करना चाहेंगे। कुछ अन्य ने कहा कि वे वैक्सीन के आने तक इंतजार करेंगे। वैक्सीन आने में एक साल या अधिक समय लग सकता है।कई विशेषज्ञों ने कहा कि वे अपने इलाके में इंफेक्शन की दर और स्कूलों द्वारा सुरक्षा के लिए किए उपायों पर नजर रख रहे हैं।
कुछ ने कहा-बच्चों के लिए स्कूल बहुत महत्वपूर्ण
कुछ विशेषज्ञअपनी स्थितियों जैसेपरिवार के स्वास्थ्य को खतरा, उनका काम और बच्चों के शैक्षणिक, सामाजिक जीवन पर भी विचार कर रहे हैं। कुछ ने कहा कि बच्चों के लिए स्कूल बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए वे जोखिम उठाने के लिए भी तैयार हैं। महामारी विशेषज्ञों का मूल मंत्र है- यह स्थितियों पर निर्भर करेगा। उनका कहना है कि सभी कारणों को ध्यान में रखकर वे अपनी योजना बदल सकते हैं।
उनके अनुमान किसी के लिए सलाह नहीं हैं, पर उनकी राय से समझा जा सकता है कि विशेषज्ञ अपने जीवन के इस कठिन प्रश्न पर क्या सोच रहे हैं।
जॉन हॉपकिंस जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ अपने बच्चों के स्कूल जाने पर क्या कह रहे हैं?
- वाशिंगटन स्थित कैसर परमानेंटे हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट कीलीसा हैरिनटन ने कहा-बच्चे सुरक्षित हैं। मुझे उनसे ज्यादा शिक्षकों की चिंता है।
- एपिफी कंसल्टिंग केकार्ल फिलिप्स ने कहा-वर्तमान स्थिति को देखते हुए सितंबर में भी स्कूल खोलना बेवकूफी होगी।
- मैकगिल यूनिवर्सिटी केअरिजीत नंदी ने कहा- बच्चों को स्कूल से बाहर रखना अभिभावकों को महंगा पड़ सकता है।
- कोलोरेडो स्टेट यूनिवर्सिटी केब्रुक एंडरसन ने कहा-मौजूदा स्थिति के अनुसार, मैं बच्चों को अगस्त में स्कूल भेजना चाहूंगा।
- जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सटी कीस्टीफेन हेलेरिंगर ने कहा-बच्चों को अभी स्कूल भेजने के मामले में अभी बहुत हिचकहै।
- कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी कीएमी पडुला ने कहा-मेरे बच्चों का डे केयर सेंटर जून के अंत में खुलेगा। वहां अच्छी व्यवस्था है।
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी कीहाना लेजली ने कहा- सितंबर में एलिमेंट्री स्कूल में लोगों के जाने से खतरा अधिक हो सकता है।
- पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी कीक्रिस्टीना मायर ने कहा-सितंबर तक इस मामले में जोखिम लिया जा सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अमेरिका: जहां प्रदर्शन होते हैं, वहां पहुंचते हैं स्ट्रीट मेडिक्स; घायल प्रदर्शनकारियों और पुलिस सभी का उपचार करते हैं June 14, 2020 at 02:36PM
अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लाॉयड की मौत को लेकर तकरीबन सभी राज्यों में प्रदर्शन हुए। मिनेपोलिस के प्रदर्शन में पहुंची मेडिकल स्टूडेंट सफा अब्दुल कादिर ने बताया कि वह भी प्रदर्शन के लिए गईथी। पर वहां देखा कि एक महिला रबर बुलेट से घायल होकर रो रही थी।
जब सफा ने एक समूह से मदद मांगी और खुद के मेडिकल छात्रा होने की जानकारी दी, तो समूह के लोगों ने सफा को ही उस महिला को उपचार देने के लिए कहा। समूह के लोगों की मदद से सफा ने महिला की मरहमपट्टी की और उसे दवा भी दी। इस वाकये के बाद सफा ने भी स्ट्रीट मेडिक्स से जुड़ने का फैसला लिया।
20 देशों में ये वॉलेंटियर सक्रिय
स्ट्रीट मेडिक्स वॉलेंटियर्स का समूह हर उस जगह पर मौजूद रहता है, जहां प्रदर्शन होने जा रहे हैं। पिछले दो हफ्तों से ये संगठन अमेरिका के सभी राज्यों में लोगों का उपचार करते दिखा। अमेरिका समेत 20 देशों में ये वॉलेंटियर सक्रिय हैं। इनमें फिजिशियन से लेकर नए युवा तक शामिल हैं।
ये लोग प्रदर्शनों के बारे में पहले ही पता कर लेते हैं और उनमें शामिल होते हैं। प्रदर्शनकारी हो या पुलिस सभी का इलाज करते हैं। समूह से जुड़ने के लिए 20 दिन की ट्रेनिंग लेनी होती है। अकेले कैलिफोर्निया में 3000 से ज्यादा लोग इसके लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग ले चुके हैं।
ओहियो के कोलंबस में समूह से जुड़े डक बार्बाडस बताते हैं कि ऐसे प्रदर्शनों में सभी के पास मदद नहीं पहुंच पाती। ऐसे में स्ट्रीट मेडिक्स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पिछले दो हफ्तों में ये 250 लोगों की मदद कर चुके हैं।
कोरोनावायरस के कारण वॉलेंटियर्स की जिम्मेदारी बढ़ गई
मिनेपोलिस में स्ट्रीट मेडिक्स और मिनेसोटा यूनिवर्सिटी में पढ़ रहीं अश्वेत छात्रा डॉमनिक इयरलैंड बताती हैं कि कोरोना के कारण हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। प्रदर्शनों में आंसू गैस और पेपर स्प्रे जैसी चीजें डालते हैं। इससे लोगों को छींक और खांसी की समस्या होती है। कोरोना के दौर में यह जोखिम भरा है। वैसे भी अश्वेतों को कोरोना के दौरान अनदेखा किया जा रहा है। इसलिए हमें सजग रहने की जरूरत है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today