वॉशिंगटन/रोम/बीजिंग. अमेरिका में कोरोनावायरस से संक्रमण का आंकड़ा एक लाख चार हजार है। यह संख्या इटली और चीन से भी ज्यादा हो गई है। यहां 24 घंटे में 402 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि संक्रमण के 18,691 नए मामले सामने आए हैं। सीएनएन के मुताबिक, अमेरिका में 1588 व्यक्तियों की जान गंवाई है। उधर, संक्रमण के खतरे को देखते हुए पाकिस्तान करीब 1200 कैदियों को रिहा करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2.2 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज पर हस्ताक्षर कर दिया है। यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा राहत पैकेज है। इसका इस्तेमाल कोरोनावायरस के कारण जूझ रहे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए किया जाएगा। यह बिल दो दिन पहले अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में पारित हो गया था। अमेरिका इस वक्त की सबसे बड़ी बेरोजगारी की समस्या से भी जूझ रहा है। देश में करीब 33 लाख लोगों ने खुद के बेरोजगार होने का रजिस्ट्रेशन करवाया है।
न्यूज एजेंसी मुताबिक, अमेरिका ने कोरोनावायरस से प्रभावित 64 देशों को महामारी से निपटने में मदद के लिए 174 मिलियन डॉलर देने का ऐलान किया है। इसके तहत भारत को 2.9 मिलियन डॉलर की सहायता राशि दी जाएगी।
पाकिस्तान में 1373 लोगों संक्रमित
बीबीसी के मुताबिक, पाकिस्तान के कोर्ट ने 1200 से ज्यादा कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है। जरूरत से ज्यादा कैदियों वाले जेलों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह फैसला किया गया है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने 408 उन कैदियों को भी रिहा करने के लिए कहा है जो कम गंभीर मामले में सजा काट रहे हैं या फिर जिनका ट्रायल चल रहा है। सिंध हाईकोर्ट ने भी राज्य के विभिन्न जेलों में बंद 829 ऑन-ट्रायल कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए एक समिति गठित की है कि कोई खतरनाक अपराधी इस प्रक्रिया में रिहा न हो। पाकिस्तान में 1373 लोग संक्रमित हैं, जबकि 11 लोगों की मौत हुई है।
President Donald Trump signed an unprecedented $2.2 trillion economic rescue package into law Friday, after swift and near-unanimous action by Congress to support businesses, rush resources to overburdened health care providers and help struggling families during the deepening coronavirus epidemic.
Donald Trump on Friday invoked wartime Defense Production Act to force General Motors to manufacture ventilators, amid a supply shortage of the life-saving medical equipment in view of the mounting coronavirus cases. Thousands of ventilators are being required in the treatment of coronavirus patients, the number of which has surged from just 8,000 about 10 days ago to nearly one lakh.
बीजिंग. चीन के वुहान से निकला कोरोनावायरस पूरी दुनिया को चपेट में ले चुका है। इस बीच, चाइनीज सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल की एक रिपोर्ट सामने आई। इसके मुताबिक, कोरोना का खतरा महिलाओं के मुकाबले पुरुषों पर काफी ज्यादा है। संक्रमण का शिकार सबसे ज्यादा पुरुष हुए हैं। मरने वालों की संख्या भी इनकी महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा है। वैज्ञानिकों ने इटली, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान और साउथ कोरिया के जिन 88 हजार संक्रमितों पर अध्ययन किया उनमें से 2.8 फीसदी पुरुषों की और 1.7 फीसदी महिलाओं की मौत हुई है। जबकि 0.2 फीसदी बच्चों ने इससे दम तोड़ा। इटली के नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट के मुताबिक देश में कुल संक्रमितों में से 60 फीसदी संख्या पुरुषों की है। संक्रमण से मरने वालों में 70 फीसदी से ज्यादा संख्या पुरुषों की थी। साउथ कोरिया में भी कुछ यही हालात हैं। यहां भी संक्रमण से मरने वाले 54 फीसदी पुरुष ही थे। चीन में कोरोना पॉजिटिव पाए गए 68 फीसदी पुरुष हैं। यहां पुरुषों में संक्रमण फैलने का अनुपात 3 और 2 है। ईरान में संक्रमित मरीजों में 64 फीसदी पुरुष हैं।
विशेषज्ञ बोले- महिलाओं में संक्रमण से लड़ने की क्षमता ज्यादा
यह रिपोर्ट यूएस में भी पेश की गई। व्हाइट हाउस में कोरोनावायरस रिस्पांस कोआर्डिनेटर डॉ. डेब्रोह ब्रिक्स बताते हैं कि संक्रमण का असर सभी पर होता है। हालांकि जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन पर इसका ज्यादा असर पड़ता है। महिलाओं और बच्चों की अपेक्षा पुरुष ज्यादा सिगरेट, शराब और नशे का सेवन करते हैं। इससे उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और कोई भी वायरस ऐसे लोगों पर तेजी से प्रभाव डालताहै। चाइनीज सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल के निदेशक जॉर्ज एफ गाओ बताते हैं, "धूम्रपान फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। एक आंकड़े के मुताबिक 52 फीसदी पुरुष और सिर्फ 12 फीसदी महिलाएं ही धूम्रपान करती हैं। इसका भी काफी असर रहता है।'' यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंगलिया के प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं कि महिलाओं में आतंरिक रूप से पुरुषों से अलग प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं होती हैं। महिलाओं को ऑटो-इम्यून डिजीज (प्रतिरक्षा तंत्र के अति सक्रिय होने के कारण होने वाली बीमारियां) होने का ज्यादा खतरा होता है। महिलाएं फ्लू के टीकों के लिए बेहतर एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं।
सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को
रिपोर्ट के अनुसार कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को है। उन बुजुर्गों के लिए यह वायरस बहुत खतरनाक है, जिन्हें पहले से हाइपरटेंशन और दिल की बीमारी है। फरवरी के मध्य तक इस वायरस से 44700 मामलों में से 80 फीसदी से ज्यादा 60 साल की उम्र के लोगों से जुड़े थे। आधे मामले 70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों से जुड़े थे। 80 साल से ज्यादा उम्र के 15 फीसदी संक्रमित मरीजों की मौत हुई है।
इटली में 70 लाख पुरुष धूम्रपान करते हैं
चाइनीज सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक चीन में करीब 36 करोड़ लोग धम्रपान करते हैं। 50 फीसदी से ज्यादा पुरुष जबकि 3 फीसदी से कम महिलाएं नशा करतीहैं। वहीं इटली के नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट (आईएसएस) के अनुसार यहां 70 लाख पुरुष जबकि 40 लाख के करीब महिलाएं धूम्रपान करती हैं। इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती संक्रमितों में एक तिहाई धूम्रपान करते हैं और इनकी हालत अन्य की अपेक्षा ज्यादा गंभीर है। इनके इलाज के लिए अन्य की अपेक्षा ज्यादा वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
"It is clear that we have entered a recession" that will be worse than in 2009 following the global financial crisis, IMF chief Kristalina Georgieva said in an online press briefing. With the worldwide economic "sudden stop," she said the estimate "for the overall financial needs of emerging markets is $2.5 trillion" and "we believe this is on the lower end."
British PM Boris Johnson said on Friday that he has tested positive for coronavirus after experiencing "mild symptoms", becoming the first world leader to announce the infection. Minutes after Johnson's announcement, his health secretary Matt Hancock tweeted that he too was infected and was in self-isolation. Johnson said he will continue to lead the UK govt's response to the virus.
France will extend a national lockdown until April 15 after reporting its biggest daily death toll from coronavirus, its prime minister said on Friday, and officials warned that hospitals around Paris could be overwhelmed in 48 hours.
लोम्बार्डी. दुनियाभर में फैले कोरोनावायरस संक्रमण के खौफ के बीच इटली से उम्मीद की खबर आई है। यहां के रेमिनि शहर में एक 101 साल केबुजुर्ग ने कोरोनावायरस को मात दी है। संक्रमण की चपेट में आने के बादपूरी तरहठीक होने वाले यह दुनिया के सबसे उम्रदराज पुरुष हैं। येबुजुर्ग दो बार वर्ल्ड वार का सामना भी कर चुकेहैं। हालांकि,बुजुर्ग का नाम नहीं बताया गया है, लेकिन लोग उन्हेंमिस्टर पीकह रहे हैं।रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिस्टर पीको पिछले हफ्ते कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर रेमिनि के इन्फर्म हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
मिस्टर पी की मां स्पेनिश फ्लू से संक्रमित होने के बाद बच गई थीं
मिस्टर पी के बारे में एक और खुलासा हुआ है कि1918 में उनकी मां स्पेनिश फ्लू सेसंक्रमित होने के बाद ठीक हो गईं थीं। स्पेनिश फ्लू ने इटली में करीब 6 लाख लोगों की जान ली थी। इसके बाद 1919 में मिस्टर पीका जन्म हुआ था। शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने बताया कि बुधवार को उनका परिवार उन्हें घर ले आया।
चीन और ईरान में 103 साल की दो महिलाओं ने भी कोरोना को मात दी थी
चीन के वुहान में 103 साल की बुजुर्ग महिला झांग गुआंगफेंक ने भी कोरोना को मात दी थी।कोरोना पॉजिटिव होने का पता लगते ही उन्हें भर्ती कराया गया। वे महज छह दिन में पूरी तरह ठीक हो गई थीं। वहीं, ईरान में भी एक 103 साल की बुजुर्ग महिला के कोरोना से पूरी तरह ठीक होने का मामला सामने आया था। उसकी पहचान नहीं हो पाई है। वह सेमनान शहर के अस्पताल में भर्ती थीं। पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उन्हेंअस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
लंदन. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। शुक्रवार को उन्होंने वीडियो के जरिए यह बात सभी के साझा की। कुछ देर बाद यहां के हेल्थ मिनिस्टर मैट हैनकॉक भी संक्रमित पाए गए। जॉनसन ने बताया किउन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी क्रिस व्हिट्टी के कहने पर अपना टेस्ट कराया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।इसके बाद उन्होंनेखुदको आइसोलेट कर लिया है। उन्होंने कहा कि वह घर से ही काम करेंगे औरवीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिएअपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे।
ऐसे में अब उनके कैबिनेट के कई मंत्रियों के भी पॉजिटिव होने की आशंका बढ़ गई है। सबसे ज्यादा खतरा उनकी गर्भवती गर्लफ्रेंड कैरी साइमंड्स को है। अधिकारियों के मुताबिक, सभी केस्वास्थ्यको लेकर सावधानी बरती जा रही है। कैरी साइमंडस् को आइसोलेट किया गया है। जरूरत पड़ने पर सबकी जांच भी कराई जाएगी। हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि जॉनसन को संक्रमण कहां से हुआ। पिछले एक हफ्ते से उन्होंने कोई भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है। यहां तक की मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी।इससे पहले,ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स और स्वास्थ्य सचिव नडाइन डोरिस कोरोना में संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
ब्रिटेन के स्वास्थ मंत्री भी कोरोना पॉजिटिव
23 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी
जॉनसन ने बीते सोमवार 23 मार्च को ब्रिटेन में लॉकडाउन की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि जब तक बहुत जरूरी न हो कोई भी अपने घरों से न निकले। वहीं, वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने बतायाथा कि सरकार ने उन कर्मचारियों का वेतन देने का फैसला किया है जो इस हालात में काम नहीं कर पा रहे हैं।सरकार उन कर्मचारियों के वेतन का 80 प्रतिशत हिस्सा कंपनियों को देगी, जिससे उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। इसके तहत 2500 पाउंड यानी लगभग दो लाख 20 हजार रुपए प्रति महीने तक का वेतन कवर किया जाएगा।
ब्रिटने के प्रिंस चार्ल्स 25 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे
ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी 25 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उनकी पत्नी कैमिला को भी आइसोलेट कर दिया गया है। कैमिला की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। प्रिंस चार्ल्स को यह संक्रमण मोनाको के प्रिंस एल्बर्ट से हुआ है। दोनों कीमुलाकात 10 मार्च को हुई थी। एल्बर्ट 20 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सचिव भी कोरोना पॉजिटिव पाई गईं थीं
मोनाको के प्रिंस एल्बर्ट भी संक्रमित
यूरोपीय देश मोनाको के प्रिंस एल्बर्ट 20 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। अगर वेटिकन सिटी को छोड़ दें तो मोनाको दुनिया का सबसे छोटा देश है। मोनाको की आबादी 38,000 है।
कनाडा के पीएम की पत्नी सोफी भी संक्रमित पाई गई थीं
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पत्नी सोफी ट्रूडो भी संक्रमित पाई गईं थीं। इसके बाद जस्टिन ट्रूडो ने खुद को आइसोलेट कर लिया था और वर्क फ्राम होम की शुरुआत की थी।
Civil liberties group Big Brother Watch said the police must behave within the rule of law after it also emerged that road checkpoints had been set up to quiz drivers about their journeys. Social media users compared Britain's police actions to "the Stasi", East Germany's notorious state police.
न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत. क्या कोरोनावायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों का ब्लड इस महमारी से लड़ने में मदद करेगा? न्यूयॉर्क के डॉक्टर जल्द ही इसकी टेस्टिंग कोरोना के कारण गंभीर स्थिति में पहुंच चुके मरीजों पर करेंगे। डॉक्टरों का मानना है कि जो भी कोरोना पॉजिटिव अब पूरी तरह ठीक हो चुके हैं, उनका ब्लड एंटीबॉडीज का बड़ स्त्रोत हो सकता है। ब्लड के प्लाज्मा में एंटीबॉडीज होती हैं। दशकों से इसी प्लाज्मा की एंटीबॉडीज के जरिए संक्रमित बीमारियों को इलाज होता रहा है। इबोला और इनफ्लूएंजा जैसी बिमारी भी इसी प्लाज्मा के जरिए ठीक हुई है।
माउंट सिनाई हॉस्पिटल के प्रेसिडेंट और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉ. डेविड एल. रिक कहते हैं कि, 'जब तक इसकी टेस्टिंग नहीं हो जाती, तब तक यह कहना मुश्किल है कि यह कितना कारगर होगा। हॉस्पिटल में भर्ती किए गए और सांस लेने में दिक्कत आने वाले किसी सामान्य मरीज पर इसकी टेस्टिंग हो सकती है। लेकिन, वे मरीज जो बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं, उन पर यह प्रयोग नहीं करना चाहिए। सही समय पर सही मरीज चुनकर ही इसका टेस्ट किया जाना चाहिए।'
न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर ही प्लाज्मा इकट्ठा करने और उसे यहां के हॉस्पिटल्स को बांटने का काम करेगा
न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. ब्रूस साचेज कहते हैं, ‘मंगलवार को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोनावायरस के इमरजेंसी वाले मामलों में प्लाज्मा का प्रयोग करने की मंजूरी दी और इसके ठीक बाद न्यूयॉर्क के हॉस्पिटल इस प्रयोग में हिस्सा लेने के लिए कहने लगे।’
डॉ. साचेज ने बताया, 'हमारी पहली कोशिश यही है कि जल्द से जल्द हॉस्पिटलों को अपने मरीजों का इलाज करने के लिए यह प्रोडक्ट मिल सके।' वे बताते हैं, ‘हमारे पास न्यू इंग्लैंड, डेलावेयर और मिडवेस्ट में भी ब्लड सेंटर हैं, इसलिए हम बाकी क्षेत्रों में भी यह काम कर सकते हैं। हम अन्य ब्लड सेंटर और अस्पतालों के साथ भी काम कर रहे हैं, जो ब्लड इकट्ठा करने और ऐसा करने में सक्षम हैं। हम पूरे देश की मदद करने के लिए न्यूयॉर्क में पर्याप्त प्लाज्मा इकट्ठा नहीं कर सकते, इसलिए हम देशभर के अन्य ब्लड सेंटर के साथ यह साझा करना चाहते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा जगहों पर यह सुविधा मिल सके।'
डोनर का चुनाव भी सावधानी से करना होगा
डॉ. रिक कहते हैं कि ‘वे मरीज जो बीमारी के दौरान कोरोना पॉजीटिव पाया गया हो, फिर ठीक हुआ हो, इसके बाद अगले 14 दिनों तक उसमें कोरोना के किसी तरह के लक्षण नहीं दिखाई दिए हों और अब उसकी रिपोर्ट पूरी तरह नेगेटिव हो, साथ ही उसके प्लाज्मा में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडिज का भी अच्छा लेवल हो। ऐसे ही लोग का चुनाव प्लाज्मा डोनेट करने के लिए होगा।टेस्टिंग में देरी और कमी के कारण ऐसे लोगों की संख्या शुरुआत में कम ही रहेगी।
डोनर के एक हाथ से ब्लड निकाला जाएगा, प्लाज्मा निकालकर दूसरे हाथ से ब्लड फिर से चढ़ा दिया जाएगा
डॉ. साचेज कहते हैं, 'जो भी लोग प्लाज्मा डोनर के क्राइटेरिया को पूरा करेंगे, उन्हें ब्लड सेंटर भेजा जाएगा। यह ब्लड डोनेट करने जैसी ही प्रक्रिया होगी, बस अंतर यह होगा कि मरीज के शरीर से निकाला गया ब्लड एक मशीन से गुजरेगा, जहां इसके प्लाज्मा को अलग कर लिया जाएगा और लाल व सफेद रक्त कोशिकाएं फिर से ब्लड डोनर के शरीर में पहुंचा दी जाएगी। डोनर के दोनों हाथों में सुई लगी होगी। एक हाथ से ब्लड निकाला जाएगा, यह मशीन से गुजरेगा और दूसरे हाथ से वापस यह डोनर के शरीर में पहुंचा दिया जाएगा। यह प्रक्रिया 60 से 90 मिनट लेगी।
साचेज कहते हैं, 'एक मरीज से इतना प्लाज्मा मिल जाएगा कि तीन अन्य मरीज ठीक हो सके। इससे डोनर को कोई नुकसान नहीं होगा, कोरोना से लड़ने के लिए उसके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडीज बनती रहेंगी। डोनर के शरीर से सिर्फ 20% एंटीबॉडीज ली जाएगी जो 2-4 दिनों में ही उसके शरीर में फिर से बन जाएगी।’
एक कोरोना संक्रमित मरीज के ब्लड में एक कप के बराबर प्लाज्मा पहुंचाया जाएगा
कोरोना संक्रमित मरीज के ब्लड में एंटीबॉडिज वाला प्लाज्मा देने से पहले इसका टेस्ट भी होगा। यह देखा जाएगा कि प्लाज्मा में हेपेटाइटिस या एचआईवी जैसी बीमारियां या ऐसे प्रोटीन जो रोग प्रतिरोध क्षमता को कमजोर करें वह तो समाहित नहीं हैं? अगर प्लाज्मा हर टेस्ट में पास होता है तो फिर इसे तुरंत यूज किया जा सकता है या इसे स्टोर (फ्रोजन) भी किया जा सकता है। कोरोना संक्रमित के हर मरीज को एक यूनिट प्लाज्मा दिया जाएगा, यह लगभग एक कप के बराबर होगा। इसे ब्लड की तरह ही मरीज के शरीर में पहुंचाया जाएगा। ब्लड के मामले में डोनर और रिसिवर का ब्लड ग्रुप एक जैसा होना चाहिए लेकिन प्लाज्मा के मामले में यह जरूरी नहीं होगा।
साचेज कहते हैं, 'हमे लगता है कि यह कोरोना संक्रमित कुछ मरीजों के लिए यह एक बेहतर इलाज हो सकता है, लेकिन वास्तव में अब तक हम कुछ नहीं जानते। उम्मीद है अगले कुछ हफ्तों में हम इससे जुड़ा डेटा हासिल कर पाएंगे। पहले मरीज पर हुए प्रयोग के परिणाम सही दिशा में हैं या नहीं, यही आगे की योजना का आधार बनेगा।
चीन में ज्यदातर मरीज इसी आधार पर ठीक हुए
डॉ. साचेज कहते हैं, 'हमारी उम्मीदें उन रिपोर्ट्स पर आधारित हैं, जिनमें चीन के ज्यादातर मरीजों को इसी तकनीक से ठीक होने की बात सामने आई है। जो भी लोग ठीक हुए हैं उनके प्लाज्मा में एक महीने के अंदर अच्छी संख्या में एंटीबॉडीज बन जाती है। एक जर्नल में छपे आर्टिकल के मुताबिक, चीन में प्लाज्मा के एक-एक यूनिट से 10 मरीजों के पूरी तरह ठीक होने की बात कही गई थी।’
एक रिसर्चर कहते हैं कि कोरोना पॉजीटिव होने के बादजीवित बचे लोगों के प्लाज्मा कोकोरोना संक्रमितों को ठीक करने के उपयोगके समर्थन में पर्याप्त सबूत हैं। टेक्सास मेडिकल ब्रांच यूनिवर्सिटी के वायरलोजिस्ट विनित मेनाकरी बताते हैं, 'चार से आठ सप्ताह के अंदर इनके ब्लड में एंटीबॉडीज की प्रचूर मात्रा हो जानी चाहिए, जो कि वायरस को पूरी तरह निष्क्रिय कर देगा या ये कहें कि संक्रमण को थाम देगा।' चूहों पर हुए एक प्रयोग के आधार पर वे कहते हैं, ‘अगर आप वायरस के बढ़ने की गति को 10 से 100 गुना तक कम कर सकते हैं तो यह जीने और मरने के बीच अंतर पैदा कर सकता है।’
एक संभावित खतरा यह भी
विनित यह भी बताते हैं कि, ‘अच्छी मात्रा में एंटीबॉडीज वाले अच्छी संख्या में डोनर मिल जाते हैं तो कोरोना से लड़ने का यह एक प्रभावी तरीका बन जाएगा। हालांकि इसमें एक संभावित जोखिम भी है। अगर मरीज का इम्यून सिस्टम डोनर के प्लाज्मा के किसी तत्व के विरोध में प्रतिक्रिया करता है, तो इससे उसके अन्य किसी बिमारी से पीड़ित होने की संभावना रहेगी। हालांकि हॉस्पिटलरोगियों काइलाज करने से पहले उनके बारे में जानकारी इकट्ठा करेंगे। प्रक्रिया एक प्रयोग के तौर पर बिल्कुल नहीं होगी।
सवाल: यह बीमारी से लड़ने का कोई उपाय है या नया प्रयोग करने का मौका?
डॉ. रिक कहते हैं, 'अभी लोग बहुत बीमार हैं, इस प्रयोग का यह सही समय नहीं है। लोग अस्पताल में हैं, वेंटिलेटर पर लेटे हुए हैं।’ वे यह भी कहते हैं कि, ‘अगर कोई स्टीम रोलर आपकी ओर बढ़ रहा है तो आप निष्क्रिय होकर नहीं बैठना चाहेंगे। आप इससे लड़ने की कोशिश में जल्द से जल्द सारे उपाय अपनाएंगे। इन उपायों से मदद भी मिल सकती है और नुकसान भी बहुत हो सकता है। इन सब के बीच हमें यह जानना होगा कि यह उपया बीमारी से लड़ने के लिए अपनाया जा रहा है या इसेअलग-अलग चीजों को आजमाने का एक मौका माना जा रहा है?
कोरोना से ठीक हुए लोग मदद करने के लिए उत्साहित
डॉ. साचेज कहते हैं, 'जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हो गए हैं, वे मदद के लिए उत्साहित हैं। हमें ऐसे कई निवेदन मिल रहे हैं। एक सेंटर ने मरीजों पर सर्वे कराया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्लाज्मा डोनेट करने की इच्छा जताई। यह कोशिश लोगों को एक साथ लेकर आएगी। जो लोग इस महामारी से बच रहे हैं वो अपने बाकी साथियों को भी इससे उबारना चाहते हैं।'
Hungarian Prime Minister Viktor Orban on Friday ordered a nationwide lockdown for two weeks to fight the spread of the new coronavirus. Exemptions include trips to shops and pharmacies for necessities, with infringements liable to police fines of up to 500,000 forints (1,400 euros, $1,550).
"In the past 24 hours, we've had 2,926 new confirmed cases of COVID-19 infections across the country," health ministry spokesman Kianoush Jahanpour said in a televised news conference.
वॉशिंगटन. अमेरिका के द वाशिंगटन डीसी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हैरान कर देने वाला 3 डी वीडियो जारी किया है। यह वीडियो 59 साल के एक कोरोना संक्रमित मरीज के फेफड़ों की है। डॉक्टरों नेइसके जरिए यह समझाने की कोशिश की है कि कैसे कोरोनावायरस इंसान के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसे पता करने के लिए सीटी इमेजिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया। अभी तक यह टेक्नोलॉजी केवल कैंसर की जांच या फिर ऑपरेशन के समय प्रयोग में लाई जाती थी।पहली बार किसी कोरोना संक्रमित मरीज की इससे जांच हुईहै।द वाशिंगटन डीसी हॉस्पिटल के डॉक्टरकीथ मॉर्टमैन बताते हैं कि जिस मरीज की यह वीडियो जारी की गई हैकुछ दिन पहले बिल्कुल ठीक था।संक्रमित होने के बादउसकी हालत काफी गंभीर है। आईसीयू में इलाज चल रहा है। वायरस ने उसकेदोनों फेफड़ों को पूरी तरह से जकड़ लिया है। वीडियो में दिख रहा पीला धब्बा इसका खुलासा कर रहा है। इसके चलते फेफड़े सही से काम करना बंद कर देते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर के अलावा कोई बीमारी नहीं थी
डॉ. मॉर्टमैन बताते हैं कि''59 साल का यह संक्रमित मरीजपहले बिल्कुल ठीक था। उसे केवल हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। लेकिन संक्रमित होते हीउसके दोनों फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया।उसे हाई सेटिंग वाले वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। फिर एक अन्य मशीन का प्रयोग किया गया जो उसके शरीर में रक्त संचार करने में मदद करती है।''डॉ. मॉर्टमैन कहते हैं आगे कहते हैं कि"यह कोई70 या 80 साल का बीमार व्यक्ति नहीं था। इसेमधुमेह भीनहीं था। इसके बावजूद वायरस ने इसके पूरे शरीर को काफी कमजोर बना दिया।अगर एक सप्ताह बाद फिर से इनके फेफड़ों का 360VR इमेज निकाला जाए तो हो सकता है इससे कहीं ज्यादा बदतर हालात मिले।''
काफी तेजी और आक्रमक तरीके से फैलता है वायरस
डॉ. मॉर्टमैन कहते हैं कि,''वीडियो में फेफड़ों पर पीले रंग का धब्बा संक्रमणऔर सूजन की स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।3 डी इमेज से यह स्पष्ट है कि संक्रमण केवल एक ही हिस्से में नहीं रूका बल्कि उसने दोनों फेफड़ों को पूरी तरह से जकड़ लिया। यह बताता है किइंसान के शरीर में संक्रमण कितनी तेजी से और आक्रामक रूप से फैलता है। जब वायरस शरीर में पहुंचता है तो इंसान कीरोग प्रतिरोधक शक्ति (Imunity) उससे डटकर मुकाबला करती है। इसके चलते शरीर के अंग में सूजन आ जाती है।अगर इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हुआ तो वायरस हावी होने लगता है। फेफड़ों में भी इसी वजह से सूजन आ जाता है।यह ब्लड और ऑक्सीजन को फेफड़ों तकपहुंचने में रूकावट बन जाती है। फेफड़े से कार्बन डाइऑक्साइड को निकलने से भी रोकती है। मतलब फेफड़ा का काम करना बंद हो जाता है।''
केवल 2-4 प्रतिशत मरीजों ही हो पाएंगे रिकवर
डॉक्टर मॉर्टन ने अमेरिका के सीएनएन न्यूज चैनल को ई-मेल के जरिए इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी है। बताया है कि जिन मरीजों के फेफड़ों पर इस तरह के असर पड़ेंगेउन्हें सही होने में काफी समय लगेगा। इनमें से केवल 2-4 प्रतिशत मरीज ही रिकवर हो पाते हैं।
सेल्फ डिस्टेंसिंग की इससे बचने का एकमात्र उपाय
डॉ. मॉर्टन कहते हैं कि '' 3 डी ईमेज कोरोना के लक्षण को स्पष्टकरने के लिए काफी है। खांसी और सांस की तकलीफ होनाचिंता की बात है।'' डॉ. मॉर्टन कहते हैं कि ''इससे बचने का अभी केवल एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है। इसलिए मैं चाहता हूं कि लोग इसे देखें और समझें कि वायरस क्या कर सकता है। लोगों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।"
US President Donald Trump has signed into law an act that requires increased US support for Taiwan internationally, prompting a denunciation by China, which said it would strike back if the law was implemented.
न्यूयॉर्क. कोरोनावायरस को लेकर अमेरिका से बुरी खबर आ रही है। शुक्रवार तक अमेरिका में संक्रमितों की संख्या 85,500 से ज्यादा हो गई है। यह आंकड़ा चीन और इटली से भी ज्यादा है। चीन में 81,285 संक्रमित हैं, वहीं, इटली में यह आंकड़ा 80,589 है। अमेरिका में न्यूयॉर्क राज्यकोरोनावायरस का एपिसेंटर बनता जा रहा है। न्यूयॉर्क में अब तक 387 लोगों की मौत हो चुकी है और 37,000 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। पूरे देश की बात करें तो गुरुवार को एक दिन में 150 जानें गईं और करीब 15 हजार नए केस सामने आए हैं। अब तक यहां 1300 लोगों की मौतहो चुकी है।
सीएनएन ने इंस्टीटयूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्युएशन के हवाले से बताया कि अगर अमेरिका में कोरोना संक्रमण फैलने की यही रफ्तार रही तो जुलाई तक 80 हजार से ज्यादा मौतें हो सकती हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह महामारी अप्रैल तक अपने चरम पर पहुंच जाएगी। तब हर दिन 2,300 मरीजों की मौत हो सकती है। यह आंकड़ा सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारैंटाइन के नियमों का पालन होने के बाद भी होगा। ऐसी ही चेतावनीवर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने जारी की है।डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अमेरिका कोरोना के ग्लोबल एपिसेंटर के रूप में सामने आ सकता है।
उधर,दुनिया के सभी 195 देश कोरोनावायरस की चपेट में हैं। 5 लाख 36 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। 24 हजार 114 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक लाख 24 हजार से ज्यादा मरीज ठीक भी हुए हैं।
अमेरिका ने चीन और इटली को पीछे छोड़ा
संक्रमित केस
मौतें
अमेरिका
85,500
1300
चीन
81,285
3,291
इटली
80,589
8,215
*सभी आंकड़े शुक्रवार सुबह तक के हैं।
अमेरिका में न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित
अमेरिका में 50 से ज्यादा राज्य हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यह महामारी हर राज्य में पहुंच चुकी हैं। न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अमेरिका की जनसंख्या 33 करोड़ (330 मिलियन) है। उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने बताया कि देश के सभी 50 राज्यों में कोरोनावायरस टेस्ट किए जा रहे हैं। पूरे देश में 5.52 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं।
राज्य
मामले
मौतें
न्यूयॉर्क
37,269
387
न्यूजर्सी
6,876
81
कैलिफोर्निया
3,944
80
वॉशिंगटन
3,207
151
मिशीगन
2,877
62
इलिनोइस
2,538
26
फ्लोरिडा
2,477
28
मैसाचुसेट्स
2,417
25
लुसियाना
2,305
83
पेंसिल्वेनिया
1,690
16
* अमेरिका के सभी 50 राज्यों में कोरोना के केस मिले हैं। यहां टॉप टेन राज्यों की जानकारी दी गई है।
बोस्टन. दुनियाभर में कोरोनावायरस पर तापमान के असर को लेकर डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने कई दावे किए हैं। अब अमेरिका की मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफटेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने बताया है कि मौसम जितना ज्यादा गर्म होगा और हवा में जितनी ज्यादा नमी होगी, संक्रमण उतना ही कम फैलेगा। इस दावे के अनुसार जिन देशों मेंनमी ज्यादा है, अभी तक वहां वायरस का संक्रमण कम फैला है।
वैज्ञानिकों ने दुनिया के कई हिस्सों से कोरोना संक्रमण का डेटा इकट्ठा कर उसकी दो पैरामीटर- तापमान और नमी से तुलना की।इससे पता चला कि वायरस का 90% संक्रमण 3 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान वाले क्षेत्रों (स्पेन, इटली, ब्रिटेन आदि)में हुआ। इन क्षेत्रों में 4 से 9 g/m3 (ग्राम प्रति मीटर क्यूब) नमी थी। मतलब एक घन मीटर हवा में 4 से 9 ग्राम पानी मौजूद है। एमआईटी के वैज्ञानिकों के अनुसार,ऐसे देश जहां पर तापमान 18 डिग्री सेल्सियस और नमी 9 g/m3 से ज्यादा है, वहां पर संक्रमण के 6% मामले कम आए हैं।
नमी इस तरहसंक्रमण को फैलने से रोकती है
वैज्ञानिकों ने बताया कि जब कोरोनावायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैल जाते हैं। इन्हीं कणों के जरिए संक्रमण फैलता है। व्यक्ति के छींकने पर एक वक्त पर थूक के 3,000 से अधिक कण निकलते हैं। नमी होने पर हवा संघनित होती है और ऐसे में उसमें किसी की वायरस या बैक्टीरिया का संचरण बहुत दूर तक नहीं हो पाता है। उदाहरण के तौर पर ऐसे समझिए- एक कमरे में हवा है और उसमें नमी नहीं है। ऐसे में हवा हल्की हो जाएगी। यदि हवा में वाष्प शामिल हो जाएगी तो उसमें नमी आ जाएगी, ऐसे में वह भारी हो जाएगी। हल्की हवा में कोई भी वायरस या बैक्टीरिया दूर तक पहुंचता है। वहीं, भारी हवा में यह एक सीमा से आगे नहीं बढ़ पाता है।
ज्यादा तापमान इस तरह से संक्रमण की रफ्तार रोकता है
कोविड-19 एक रेस्पिरेटरी वायरस है। इस तरह के वायरस ज्यादातर सर्दियों में पनपते है और गर्मियों में खत्म हो जाते हैं। गर्मी से वायरस के मरने का कोई ठोस सुबूत तो नहीं हैं। लेकिन, पिछली कुछ बीमारियों में इसका असर देखा गया है। 2002 के नवंबर में सार्स महामारी शुरू हुई थी जो जुलाई में खत्म हो गई थी। लेकिन, ये तापमान बदलने की वजह से हुआ यह कहना मुश्किल है।
एशिया के कई देशों में 10 g/m3 की नमी मौजूद है
वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण के आधार पर पाया कि कई एशियाई देशों में संक्रमण फैलने की दर बाकी देशों जितनी तेज नहीं है। यहां के वातावरण में 10 g/m3 की नमी मौजूद है। इन देशों में वेस्टर्न डिस्टर्बेंसकी वजह से नमी आई है। आमतौर पर विंटर मानसून फरवरी से पहले खत्म हो जाता है। लेकिन, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से काफी समय बाद तक बारिश होती रहती है। वैज्ञानिकोंने यह भी कहा कि भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अफ्रीका के देशों में कम संख्या में कोरोना टेस्ट होना बहस का मुद्दा बन सकता है। लेकिन, कई देश जैसे- सिंगापुर, यूएई और सऊदी अरब में अमेरिका, इटली की तुलना में कहीं ज्यादा टेस्ट किए। इसके बावजूद यहां संक्रमण के उतने मामले सामने नहीं आए। वैज्ञानिकों ने कहा कि कम टेस्ट होना कोई मुद्दा नहीं है। साथ ही, कम कनेक्टिविटी की बात भी निराधार है। कम संक्रमण वाले कई देश ट्रैवल हब भी हैं और हजारों लोग यहां रोजाना प्रवेश करते हैं।
तापमान में उतार-चढ़ाव से बिगड़ते हैं हालात
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में फार्मेसी के प्रोफेसर डॉ. अमित वर्मा ने कोविड-19 पर एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि तापमान में उतार-चढ़ाव से हालात ज्यादा बिगड़ते हैं। जहां दिन और रात के तापमान में अंतर होता है, वहां परेशानी बढ़ सकती है। उदाहरण के तौर पर जहां दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 7 डिग्री हो जाता है,वहां संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। ईरान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। फरवरी में ईरान का दिन का तापमान 17 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड और रात का 1 से 2 सेंटीग्रेड हो जाता है। डॉ. अमित ने बताया कि संक्रमण कम करने के लिए जरूरी है कि तापमान ज्यादा हो और उसके साथ हवा में नमी भी ज्यादा हो। शुष्क हवा हमारी एपिथेलियल (ऊपरी त्वचा) को नुकसान पहुंचाती है, जिससे संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।
अमेरिका में भी दिखा संक्रमण का अलग-अलग स्तर
अमेरिका में भी उत्तर और दक्षिण के क्षेत्रों में संक्रमण का अलग-अलग स्तर है। यहां दक्षिण की तुलना में उत्तर के राज्य ठंडे हैं। उत्तरी राज्यों- न्यूयॉर्क (33,033 संक्रमित), न्यूजर्सी (4,407 संक्रमित ) में संक्रमण का स्तर ज्यादा है। वहीं, दक्षिण के राज्यों - टेक्सास (1,345 संक्रमित) न्यू मैक्सिको (113) और एरिजोना (401) में संक्रमण का स्तर कम है। यहां तक कि कैलिफोर्निया जो कि बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, उसके दक्षिण और उत्तर में संक्रमण के स्तर में दोगुने का अंतर है। वैज्ञानिकों ने कहा कि मध्य पूर्व, दक्षिणी अमेरिकी देश और एशिया के कई क्षेत्रों में संक्रमण का स्तर कम है। इसमें से कई देशों ने चीन और यूरोप की तरह सख्त लॉकडाउन भी नहीं किया है।
Iranian media reports nearly 300 people have been killed and more than 1,000 sickened so far by ingesting methanol across the Islamic Republic, where drinking alcohol is banned and where those who do rely on bootleggers. Iran has reported over 29,000 confirmed cases and more than 2,200 deaths from the virus.
South Korea reported 91 new coronavirus cases on Friday, taking the national tally to 9,332. The government has sought to convince a restless public that several more weeks of social distancing and self-isolation may be needed to allow health authorities to tamp down the smaller but still steady stream of new cases.
Tokyo has seen a surge in coronavirus cases this week, reporting a record 47 cases on Thursday for a total of 259. While that’s not much for a city of nearly 14 million, experts have warned of a high risk of an “overshoot” - or explosive rise - given that more than half of the newest cases could not be traced.