Thursday, January 7, 2021
Pfizer study suggests vaccine works against virus variant January 07, 2021 at 08:06PM
व्हाइट हाउस से निकलकर क्या जेल जाएंगे ट्रम्प? उनके सामने दो संकट और दो ही रास्ते January 07, 2021 at 07:38PM
गुरुवार को कैपिटल हिल में हुई हिंसा के लिए ज्यादातर लोग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। ट्रम्प की वजह से अमेरिका की जगहंसाई हुई। जख्म गहरा है, शायद भर भी जाए। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका के सख्त कानून हिंसा के गुनहगारों को सजा दे सकेंगे। और इससे भी बड़ा सवाल यह है कि ट्रम्प का क्या होगा? क्या व्हाइट हाउस के बाद जेल उनका नया पता होगा? क्या कार्यकाल के बचे हुए 12 दिन वे पूरे करेंगे, या उन्हें हटा दिया जाएगा? आइए इन दो बेहद अहम सवालों के जवाब तलाशते हैं...
12 दिन कुर्सी पर रहेंगे या नहीं?
अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन के मुताबिक, राष्ट्रपति को उनकी ही कैबिनेट पद से हटा सकती है। इसमें कैबिनेट के बहुमत के साथ ही उपराष्ट्रपति का समर्थन भी जरूरी है।
अब इसे ट्रम्प के मामले में तौलने की कोशिश करते हैं। CNN की रिपोर्ट दावा करती है कि ट्रम्प की कैबिनेट गुरुवार को उनके भड़काऊ भाषण को संसद पर हमले की घटना का जिम्मेदार मान रही है। ट्रम्प को पद से हटाने के लिए चर्चा ही नहीं, बैठकें भी शुरू हो चुकी हैं।
अब सवाल यह है कि ट्रम्प बाकी बचे 12 दिन का कार्यकाल पूरा करेंगे या नहीं? सवाल कठिन है, लेकिन जवाब आसान और हालात पर आधारित है। और वो यह है कि ट्रम्प पर महाभियोग चलाना मुश्किल है। उन्हें हटाना भी कठिन है। इसकी वजह यह है कि वाइस प्रेसिडेंट उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। वो भी तब जबकि ट्रम्प ने गुरुवार को उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाईं।
लेकिन, पेंस ट्रम्प को क्यों बचा रहे हैं?
गुरुवार को हुई घटना को पेंस ने ‘अमेरिकी इतिहास का काला दिन’ बताया। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पेंस नहीं चाहते कि ट्रम्प पर महाभियोग चले या वे कुर्सी से हटें। इसकी वजह यह है कि अगर ऐसा हुआ तो रिपब्लिकन पार्टी की साख पर बट्टा लगेगा। दूसरी बात यह कि हो सकता है चार साल बाद पेंस ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनें। अगर उन्होंने आज ट्रम्प के खिलाफ कुछ किया तो उन्हें पार्टी में ट्रम्प समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ेगा। लिहाजा, इन दोनों मामलों में ट्रम्प बच जाएंगे।
चलिए मान लिया, तो क्या जेल भी नहीं जाएंगे ट्रम्प
USA TODAY की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी जांच एजेंसियों के पास इस बात के पुख्ता और तमाम सबूत हैं कि गुरुवार की हिंसा ट्रम्प के भड़काऊ भाषण के बाद भड़की। कॉर्नेल लॉ इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डेविड ओह्लिन ने कहा- बिल्कुल, हिंसा के लिए ट्रम्प जिम्मेदार हैं। उन्होंने अपराध किया है और उन पर केस चलना चाहिए। जॉर्ज वॉशिंगटन लॉ यूनिवर्सिटी के डीन फ्रेडरिक लॉरेंस भी यही कहते हैं। कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल माइकल शेरविन ने कहा- जो जिम्मेदार हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
ये बात तो हुई जुबानी जमाखर्च की। लेकिन, अब इसे तथ्यों की कसौटी पर कसते हैं। इसमें दो बातें हैं। राष्ट्रपति के तौर पर ट्रम्प के पास दो ‘ट्रम्प कार्ड’ हैं। पहला- राष्ट्रपति के तौर पर वे किसी गलती के लिए खुद को माफ कर सकते हैं। दूसरा- अगर माफी नहीं भी मिली तो केस काफी लंबा चलेगा। और बहुत मुमकिन है कि ट्रम्प कानूनी खामियों का फायदा उठाकर बच जाएं। उनके खिलाफ सीधे और पुख्ता सबूत भी नहीं हैं जिनसे ये साबित हो सके कि उन्होंने समर्थकों से सीधा हिंसा करने को कहा हो। गवाह मिलना मुश्किल हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
WHO blames spiked Italy report on error, 'overlooked' rule January 07, 2021 at 06:14PM
सहयोगियों के इस्तीफे से भारी दबाव में ट्रम्प, नए वीडियो में कहा- हिंसा गलत, 20 जनवरी को कुर्सी छोड़ दूंगा January 07, 2021 at 05:34PM
अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में गुरुवार को हुई हिंसा के बाद अब असहज सी शांति है। कैपिटल हिल जिसे आम भाषा में संसद भवन परिसर कह सकते हैं, वहां बेहद सख्त सुरक्षा है। हिंसा के जिम्मेदार माने जा रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी उनका साथ छोड़ रहे हैं, इस्तीफे दे रहे हैं। मांग उठ रही है कि ट्रम्प को 12 दिन का बचा हुआ कार्यकाल भी पूरा नहीं करने देना चाहिए। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक हो चुके ट्रम्प ने एक नया वीडियो जारी किया। इसमें पहली बार हिंसा की निंदा की और दोहराया- 20 जनवरी को पावर ट्रांजिशन यानी सत्ता हस्तांतरण नियमों के मुताबिक ही होगा।
हर तरफ विरोध
रिपब्लिकन पार्टी के करीब 100 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने साफ तौर पर गुरुवार की हिंसक घटनाओं के लिए सीधे तौर पर अपने नेता और राष्ट्रपति ट्रम्प को जिम्मेदार ठहराया। व्हाइट हाउस के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर, एजुकेशन मिनिस्टर और तमाम मेंबर्स ऐसे हैं जिन्होंने इस्तीफे दे दिए। बहुत मुमकिन है कि NSA रॉबर्ट ब्राउन और चीफ ऑफ स्टाफ भी आज पद छोड़ दें। कुल मिलाकर ट्रम्प पर भारी दबाव है कि वो कोई बड़ा फैसला लें।
तो क्या करेंगे ट्रम्प
CNN की एक स्पेशल रिपोर्ट के मुताबिक, सीनेट स्पीकर नैंसी पेलोसी ट्रम्प पर महाभियोग चलाने की मांग कर रही हैं। रिपब्लिकन नेताओं और ट्रम्प के कुछ कैबिनेट सहयोगियों ने गुरुवार को दो बार मीटिंग की। इनका मानना है कि ट्रम्प पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया जाए। बहुत मुमकिन है कि इस हफ्ते के आखिर में वे कुर्सी छोड़ भी दें। लेकिन, इसके पहले वे खुद को पाक-साफ बताने की कवायद जरूर करेंगे।
‘ट्रम्प कार्ड’ खेलेंगे ट्रम्प
अमेरिकी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति खुद की गलतियां खुद ही माफ कर सकता है। गुरुवार की घटनाओं के लिए दोषी करार दिए जाने से बचने के लिए ट्रम्प खुद को माफ करने वाला ऑर्डर जारी कर सकते हैं। अमेरिका में इसे self-pardon power यानी खुद को माफ करने की शक्ति कहा जाता है। इसका फायदा ये होगा कि भविष्य में ट्रम्प पर हिंसा भड़काने के आरोप में केस नहीं चलाया जा सकेगा।
CNN के मुताबिक, ट्रम्प ने इस बारे में अपने वकीलों और व्हाइट हाउस काउंसिल पैट सिल्फोने से लंबी बातचीत कर ली है। एक या दो दिन में इसका ऐलान भी हो सकता है।
उपराष्ट्रपति बचाव में
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस बिल्कुल नहीं चाहते कि ट्रम्प के खिलाफ संविधान के आर्टिकल 25 का इस्तेमाल करते हुए उन्हें हटाया जाए। इन हालात में बाकी बचे 12 दिन पेंस को ही राष्ट्रपति पद संभालना होगा। इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति की कैबिनेट ही उन्हें पद से हटा सकती है। लेकिन, इसके लिए वजह पुख्ता होनी चाहिए। मसलन राष्ट्रपति बहुत बीमार हो या अचानक उसका निधन हो जाए आदि।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ब्रिटेन आने वाले हर व्यक्ति को टेस्ट कराना होगा, ब्राजील में मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख के पार January 07, 2021 at 04:36PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 8.84 करोड़ के ज्यादा हो गया। 6 करोड़ 35 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 19 लाख 05 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन सरकार ने गुरुवार रात एक सख्त फैसला लिया। दूसरे देशों से आने वाले नागरिकों के लिए कोविड-19 टेस्ट जरूरी कर दिया है। इसके पहले कुछ शर्तों के साथ यह नियम लागू था।
ब्रिटेन सरकार का नया फरमान
ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार ने गुरुवार रात जारी एक बयान में साफ कर दिया कि अब दूसरे देशों से आने वाले हर नागरिक को कोविड-19 टेस्ट से गुजरना ही होगा। इनमें ब्रिटिश नागरिक भी शामिल हैं। ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ग्रांट शेप्स ने कहा- यह नियम सोमवार से लागू होगा। सिर्फ वही रिपोर्ट मान्य होंगी जो 72 घंटे पहले जारी की गई हों। इसमें यह भी ध्यान रखा जाएगा कि पैसेंजर किस देश से आया है। अगर अराइवल पर कोई व्यक्ति पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे 10 दिन आइसोलेशन में रहना होगा।
ब्राजील में मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख के पार
ब्राजील में गुरुवार को संक्रमण की दूसरी लहर का सबसे घातक रूप सामने आया। यहां मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख के पार हो गया। ब्राजीलियन हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, यहां अब तक एक दिन में सबसे ज्यादा 87 हजार 843 मामले सामने आए। एक दिन में 1 हजार 524 लोगों की मौत भी हो गई। अब हेल्थ मिनिस्ट्री ने साफ कर दिया है कि किसी भी संक्रमित के आइसोलेशन पीरियड की सख्त निगरानी की जाएगी।
6 से 12 महीने में फिर कराना होगा वैक्सीनेशन
ब्रिटेन के हेल्थ मिनिस्टर मैट हनूक ने कहा है कि पेशेंट्स को 6 से 12 महीने के बीच फिर वैक्सिनेशन कराना पड़ सकता है। हाउस ऑफ कॉमन्स की हेल्थ कमेटी के सामने बयान में हनूक ने कहा- हम फिलहाल ये नहीं कह सकते कि जो वैक्सीन लगाई जा रही है वो कितने वक्त तक कारगर रहेगी। एक अनुमान के मुताबिक, मरीजों को 6 से 12 महीने के बीच फिर वैक्सिनेशन कराना पड़ सकता है। ब्रिटेन सरकार ने वैक्सीन के दूसरे डोज को 12 हफ्ते बाद लगाने के फैसले का बचाव किया। कहा- इससे बाकी लोगों को पहला डोज आसानी से मिल जाएगा।
इजराइल का अहम ऐलान
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि मार्च तक देश में 16 साल से ज्यादा के सभी उम्र वालों को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा- हमारे पास बेहतरीन हेल्थ सिस्टम है। हम चाहते हैं कि पहले वैक्सीन बुजुर्गों को मिले। हम अपने सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे और मार्च तक 16 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीनेट कर देंगे।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 22,132,045 | 374,124 | 13,143,317 |
भारत | 10,414,044 | 150,606 | 10,036,722 |
ब्राजील | 7,961,673 | 200,498 | 7,096,931 |
रूस | 3,332,142 | 60,457 | 2,709,452 |
UK | 2,889,419 | 78,508 | 1,364,821 |
फ्रांस | 2,705,618 | 66,565 | 198,756 |
तुर्की | 2,296,102 | 22,264 | 2,172,251 |
इटली | 2,220,361 | 77,291 | 1,572,015 |
स्पेन | 1,982,544 | 51,430 | N/A |
जर्मनी | 1,860,019 | 38,852 | 1,474,000 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
साइड इफेक्ट की जवाबदेही से बच रहीं कंपनियां, पेरू और फाइजर के बीच एक करोड़ वैक्सीन खरीदी की बात अधर में January 07, 2021 at 03:47PM
कुछ देशों में कोरोना वैक्सीन लगने लगी है, लेकिन कई देशों में इस वजह से शुरुआत नहीं हो पाई है क्योंकि वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट की जवाबदेही कंपनियां लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठा है कि जान या माल का नुकसान हुआ तो जिम्मेदारी कौन लेगा वैक्सीन निर्माता या सरकारें?
दरअसल, सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने इस जवाबदेही से कंपनी को अलग रखने की बात कही है। लैटिन अमेरिकी देश पेरू में फाइजर और सरकार के बीच एक करोड़ वैक्सीन खरीदी की बात अधर में हैं। कंपनी ने करार में लीगल इम्युनिटी (वैधानिक बचाव) का प्रावधान किया है।
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी सवाल उठा चुके हैं कि फाइजर कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती। अर्जेंटीना ने भी ऐसी ही चिंता जताई गई है।
गिफ्ट में मिली वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल
इस मुश्किल का एक पहलू यह भी है कि वैक्सीन की कमी से जूझ रहे कई गरीब देशों को यूरोपियन यूनियन ने 5% डोज दान करने की बात कही है। ऐसे में गिफ्ट में मिली वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होगा। ये हालात उन देशों के साथ भी है, जो कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीद रहे हैं।
पिछली महामारियों के दौरान टीके के प्रतिकूल प्रभाव को लेकर अलग-अलग मापदंड अपनाए जाते रहे हैं। स्वाइन फ्लू आने के चार साल बाद 2003 में यूके सरकार ने ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन की वैक्सीन पैंडेरामिक्स से सुरक्षा को लेकर नीति बदली थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जवाबदेही से बच रहीं कंपनियां January 07, 2021 at 02:45PM
कुछ देशों में कोरोना वैक्सीन लगने लगी है, लेकिन कई देशों में इस वजह से शुरुआत नहीं हो पाई है क्योंकि वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट की जवाबदेही कंपनियां लेने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठा है कि जान या माल का नुकसान हुआ तो जिम्मेदारी कौन लेगा वैक्सीन निर्माता या सरकारें?
दरअसल, सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने इस जवाबदेही से कंपनी को अलग रखने की बात कही है। लैटिन अमेरिकी देश पेरू में फाइजर और सरकार के बीच एक करोड़ वैक्सीन खरीदी की बात अधर में हैं। कंपनी ने करार में लीगल इम्युनिटी (वैधानिक बचाव) का प्रावधान किया है। ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी सवाल उठा चुके हैं कि फाइजर कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती। अर्जेंटीना ने भी ऐसी ही चिंता जताई गई है।
इस मुश्किल का एक पहलू यह भी है कि वैक्सीन की कमी से जूझ रहे कई गरीब देशों को यूरोपियन यूनियन ने 5% डोज दान करने की बात कही है। ऐसे में गिफ्ट में मिली वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभाव की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होगा। यह स्थिति उन देशों के साथ भी है, जो कंपनियों से सीधा टीका खरीद रहे हैं। पिछली महामारियों के दौरान टीके के प्रतिकूल प्रभाव को लेकर अलग-अलग मापदंड अपनाए जाते रहे हैं।
स्वाइन फ्लू आने के चार साल बाद 2003 में यूके सरकार ने ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन की वैक्सीन पैंडेरामिक्स से सुरक्षा को लेकर नीति बदली थी। एक अध्ययन में जब पता चला कि इससे नार्कोलेप्सी हो सकता है, तो प्रभावित लोगों को मुआवजे के लिए आवेदन करने को कहा गया था। वहीं 2011 में 20 वर्ष से कम के लोगों को इसके इस्तेमाल से रोक दिया गया था।
दूसरी तरफ, 2009 में एच1एन1 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन लेने वाले देशों से एक दस्तावेज पर दस्तखत करने के लिए कहा था। इसके तहत डब्ल्यूएचओ के मानकों का पालन करने पर वैक्सीन दान करने वाले देश की कोई जवाबदेही नहीं थी। मौजूदा दौर की जटिल स्थिति को देखते हुए अब नए तरह के समझौते की जरूरत पड़ रही है। एक विकल्प नेशनल कंपन्सेशन फंड बनाना भी है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
तस्वीरों में देखिए कैसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग पर धावा बोला January 07, 2021 at 02:36PM
2020 में हुए चुनाव के नतीजों को पलटने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कोशिशें बुधवार को खतरनाक हालात में पहुंच गईं। उनके समर्थकों की भीड़ ने एक रैली के बाद US कैपिटल बिल्डिंग पर धावा बोल दिया। इस रैली में ट्रम्प ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर चुनाव में धांधली का दावा किया।
अमेरिका के इतिहास में ऐसी अस्थिरता के नजारे कम ही देखने को मिले हैं। भीड़ के उपद्रव की वजह से बुधवार दोपहर वॉशिंगटन में कर्फ्यू लगा दिया गया। इलेक्टोरल कॉलेज की काउंटिंग रोकने के इरादे से सैकड़ों लोग बैरिकेड्स पर चढ़ गए। इसके बाद पुलिस अफसरों से भी उनकी झड़प हुई।
शोर मचाती भीड़ सीनेट चैंबर की दूसरी मंजिल पर पहुंची
शोर मचाते प्रदर्शनकारी सीनेट चैंबर के ठीक बाहर दूसरी मंजिल की लॉबी में घुस गए। इस दौरान लॉ इन्फोर्समेंट ऑफिसर्स ने खुद को चैंबर के दरवाजे के सामने कर लिया। कैपिटल बिल्डिंग के अंदर एक महिला को गोली लगी। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। वहीं, पुलिस ने बताया कि कैपिटल ग्राउंड में तीन और लोगों की मौत हुई।
कैपिटल बिल्डिंग के बाहर
कैपिटल बिल्डिंग का गोल आकार कक्ष
हाउस चैंबर
पुलिस ने हाउस चैंबर के मेन गेट पर बैरिकेडिंग कर रखी थी। इसकी सिक्योरिटी के लिए तैनात अफसरों ने हथियार डाल दिए, क्योंकि गेट के बाहर काफी भीड़ जमा थी।
सीनेट चैंबर
स्पीकर का ऑफिस सुइट
स्पीकर नैंसी पेलोसी के ऑफिस में भी तोड़फोड़
दोपहर बाद हाउस चैंबर के पास बने स्पीकर नैंसी पेलोसी के ऑफिस में भी तोड़फोड़ की गई। एक शख्स ऑफिस की मेज पर पैर रखकर उनकी कुर्सी पर बैठा नजर आया। भीड़ कैपिटल ग्राउंड पर कई घंटे तक मौजूद रही। बाद में पुलिस ने उन्हें हटाया।
रात करीब आठ बजे इलेक्टोरल कॉलेज रिजल्ट के लिए कांग्रेस की बैठक फिर शुरू हुई। ट्रम्प समर्थकों को दोबारा कैपिटल बिल्डिंग में घुसने से रोकने के लिए DC और वर्जीनिया के नेशनल गार्ड को बुलाया गया।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
हिंसा के बाद उठी ट्रम्प को 20 जनवरी से पहले हटाने की मांग? जानिए यह कैसे संभव है? January 07, 2021 at 02:36PM
अमेरिका में लोकतंत्र रक्तरंजित हो गया। वही हुआ जिसका डर था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उकसावे पर उनके समर्थक अमेरिकी संसद में घुस गए। इसके बाद कई सांसद प्रेसिडेंट-इलेक्ट जो बाइडेन के 20 जनवरी को इनॉगरेशन से पहले ही ट्रम्प को हटाने की मांग कर रहे हैं। औपचारिक रूप से ट्रम्प का कार्यकाल 20 जनवरी तक रहेगा। आइए, जानते हैं कि अमेरिका में हुआ क्या और आगे क्या हो सकता है-
अमेरिका में विवाद क्या है?
- अमेरिका में 3 नवंबर को वोटिंग हुई। बाइडेन ने 306 और ट्रम्प ने 232 इलेक्टोरल वोट्स जीते। लग रहा था कि ट्रम्प हार नहीं मानेंगे। हुआ भी कुछ ऐसा ही। ट्रम्प ने वोटिंग और काउंटिंग में धांधली के आरोप लगाए। अदालतों में कई मुकदमे दाखिल किए। ज्यादातर केस में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट भी दो मामलों में ट्रम्प समर्थकों की याचिकाएं खारिज कर चुका है।
- वोटिंग के 64 दिन बाद अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी तो ट्रम्प के समर्थक संसद में घुस गए। वहां तोड़फोड़ और हिंसा की। हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। रिपब्लिकन ट्रम्प का दावा है कि चुनावों में धांधली की वजह से वे हारे हैं।
अमेरिकी संसद में हमला हुआ क्यों?
- यह सबको पता था कि संसद में जो बाइडेन की जीत की औपचारिक घोषणा होनी है। इसके लिए इलेक्टोरल कॉलेज के वोट्स को सर्टिफाई किया जाएगा। इसी दिन ट्रम्प ने सेव अमेरिका रैली का आयोजन किया। इसमें सैकड़ों ट्रम्प समर्थकों ने भाग लिया।
- एलिप्स पार्क में रैली के दौरान ट्रम्प ने समर्थकों को संसद तक मार्च करने की अपील की थी। इससे पहले ट्रम्प ने करीब एक घंटे भाषण दिया, जिसके बाद हजारों लोगों ने संसद की ओर मार्च किया। इस बीच, सांसद भी जॉइंट सेशन में इलेक्टोरल वोट्स गिनने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई तो संसद की लाइब्रेरी, मेडिसन बिल्डिंग और कैनन हाउस ऑफिस बिल्डिंग खाली करवा ली गई।
- ट्रम्प ने कहा था कि हम संसद तक चलकर जाएंगे। मैं भी आपसे वहीं पर मिलूंगा। आप लोगों को ताकत दिखानी होगी। आपको मजबूती दिखानी होगी। आप नहीं चाहेंगे कि हमारा देश एक बार फिर कमजोर हो जाए। ट्रम्प ने रैली में बार-बार दोहराया कि वे चुनावों में हारे नहीं हैं। उन्हें रेडिकल डेमोक्रेट्स और फेक न्यूज मीडिया ने हराया है।
- ट्रम्प अपने समर्थकों से बार-बार रिजल्ट्स स्वीकार न करने की अपील करते दिखे। हम हार नहीं मानेंगे। यह नहीं होने वाला। इसके बाद ट्रम्प समर्थक संसद की ओर बढ़ गए। न केवल ऐतिहासिक इमारत में घुसे बल्कि चुनाव के नतीजों के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को भी रोकने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों को दंगाइयों को बाहर निकालने में करीब चार घंटे लग गए।
संसद पर हमले के बाद क्या हुआ?
- संसद से दंगाइयों को बाहर करने के बाद सांसद फिर जुटे। जॉइंट सेशन में राष्ट्रपति चुनावों में मिले इलेक्टोरल वोट्स की गिनती हुई और जो बाइडेन की जीत की औपचारिक तौर पर पुष्टि की गई। संसद में जो कुछ हुआ, उसके बाद रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसद मांग कर रहे हैं कि इनॉगरेशन डे (20 जनवरी) से पहले ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग लाया जाए। उन्हें पद से हटा दिया जाए।
क्या ट्रम्प को 20 जनवरी से पहले हटाया जा सकता है?
- हां। प्रेसिडेंट ट्रम्प को पद से हटाने के दो ही तरीके हैं- 1. अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन को लागू करना होगा, और 2. महाभियोग। दोनों ही स्थितियों में वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वे ही बाइडेन के इनॉगरेशन (पदभार ग्रहण करने) तक राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि कुछ कैबिनेट सदस्यों और ट्रम्प के समर्थकों में 25वें संशोधन पर अमल करने पर बातचीत भी शुरू हो गई है।
अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन क्या कहता है?
- अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन 1967 में स्वीकार किया गया था। 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के बाद राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी पर सवाल उठे थे। इस संकट को दूर करने के लिए संशोधन लाया गया था। इसका सेक्शन 4 बताता है कि अगर राष्ट्रपति काम करने योग्य नहीं रहता और खुद पद नहीं छोड़ता है तो क्या होगा?
- विशेषज्ञों का कहना है कि 25वें संशोधन में स्पष्ट है कि अगर राष्ट्रपति शारीरिक या मानसिक रूप से अपनी जिम्मेदारी को निभाने में अक्षम होता है तो क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए? कुछ स्कॉलर्स की यह भी दलील है कि उस राष्ट्रपति को भी हटाया जा सकता है, जो अपने पद पर रहते हुए देश के लिए गंभीर खतरा बन जाए।
- 25वें संशोधन को लागू करने के लिए पेंस और ट्रम्प कैबिनेट के अधिकांश सदस्यों को घोषित करना होगा कि ट्रम्प अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं है और उन्हें हटाया जाना चाहिए। उस परिस्थिति में पेंस जिम्मेदारी संभाल लेंगे।
- ट्रम्प तब यह दावा भी कर सकते हैं कि वह काम करने में सक्षम हैं। पेंस और कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य विरोध नहीं करते तो ट्रम्प राष्ट्रपति बने रहेंगे। अगर उन्होंने ट्रम्प का विरोध जारी रखा तो मामला संसद में जाएगा। तब तक पेंस ही राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाएंगे।
क्या ट्रम्प को महाभियोग लाकर हटाया जा सकता है?
- हां। हकीकत यह है कि महाभियोग की कार्यवाही संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से शुरू होती है। इसके लिए राष्ट्रपति पर आपराधिक मामले में दोषी होने जैसे आरोप लगाने होंगे।
- 435 सदस्यों वाले हाउस में बहुमत से आरोप तय हो सकते हैं। इसे आर्टिकल्स ऑफ इम्पीचमेंट कहते हैं। प्रक्रिया ऊपरी सदन यानी सीनेट जाती है। वहां प्रेसिडेंट के खिलाफ सुनवाई होगी। वहां ही साबित होगा कि प्रेसिडेंट दोषी है या नहीं। संविधान के तहत सीनेट में ट्रम्प को दोषी ठहराने और हटाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।
- ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट्स के नेतृत्व वाले हाउस में दिसंबर 2019 में महाभियोग के आरोप लगे थे। उनके खिलाफ अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव डालने का आरोप था। लेकिन, फरवरी 2020 में रिपब्लिकन नेतृत्व वाले सीनेट में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया था।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
रिपब्लिकन महिला सांसदों ने कहा- संसद में हिंसा करने वालों को शर्म आनी चाहिए, ऐसा काला दिन दोबारा न आए January 06, 2021 at 11:28PM
अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में बुधवार रात ट्रम्प समर्थकों के बवाल से रिपब्लिकन पार्टी की महिला सांसद भी नाराज हैं। सीनेटर कैली लोफ्लेर ने कहा- मैं प्रार्थना करती हूं कि अमेरिकी नागरिकों को ऐसा काला दिन फिर न देखना पड़े। एक और सीनेटर कैथी मैक्मॉरिस रोजर्स ने कहा- इस घटना में जो भी लोग शामिल रहे हों, उन्हें शर्म आनी चाहिए।
बुधवार को इलेक्टरोल कॉलेज वोट काउंटिंग के दौरान सैकड़ों ट्रम्प समर्थक संसद में घुस गए थे। हिंसा और तोड़फोड़ की। संसद परिसर के अंदर और बाहर हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी।
इरादा बदल दिया
ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी की सांसद कैली लोफ्लेर ने संसद में बुधवार को हुई घटना पर अफसोस जाहिर किया। इसे शर्मनाक घटना बताया। साथ ही ये भी साफ कर दिया कि वे इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग के दौरान सर्टिफिकेशन पर विरोध जताना चाहती थीं लेकिन, इस घटना के बाद उन्होंने इरादा बदल दिया।
कैली ने कहा- बुधवार सुबह मैं वॉशिंगटन यह तय करके पहुंचीं कि इलेक्टोरल सर्टिफिकेशन प्रॉसेस में आपत्ति दर्ज कराउंगी। लेकिन, यहां जो कुछ देखा उसके बाद अपना फैसला बदल दिया। मेरा ईमान मुझे अब सर्टिफिकेशन प्रॉसेस में अड़ंगा लगाने की इजाजत नहीं देता। ये हिंसा, कानून तोड़ना हमारे लोकतंत्र की पवित्रता पर हमला है।
कैली ने आगे कहा- मैं फैसला बदल रही हूं। अब किसी सर्टिफिकेशन पर ऑब्जेक्शन दर्ज नहीं कराउंगी। मैं यह मानती हूं कि लोकतंत्र में इस तरह की चीजों के लिए कोई जगह नहीं होती। ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि अमेरिकी लोगों को ये काला दिन फिर न देखना पड़े।
पागलपन खत्म करें ट्रम्प
ट्रम्प की पार्टी की एक और सांसद कैथी मैक्मॉरिस रोजर्स भी बुधवार की घटनाओं से दुखी हैं। उन्होंने एक बयान में कहा- आज जो कुछ देखा वो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मैं चाहती हूं कि इलेक्टोरल कॉलेज के नतीजे सब कबूल करें। मैं चाहूंगी कि राष्ट्रपति ट्रम्प भी इन घटनाओं की निंदा करें और इस पागलपन पर रोक लगाएं।
रोजर्स ने आगे कहा- आज हमारे देश की राजधानी में जो कुछ हुआ वो अपमानजनक है। यह हमारा कल्चर नहीं है। भीड़ पुलिस पर हमला कर रही थी। संसद को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। लोगों की जिंदगी खतरे में थी। मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि जो लोग इस घटना में शामिल थे, उन्हें शर्म आनी चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today