Sunday, October 4, 2020
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज की पार्टी ने कहा- इमरान की भ्रष्ट सरकार के खिलाफ बोलने वाले नेताओं को चुप कराया जा रहा October 04, 2020 at 07:23PM
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पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियों और सरकार के बीच विवाद थम नहीं रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएलएन) ने रविवार को कहा कि इमरान सरकार विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है। पार्टी की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने कहा- इमरान की भ्रष्ट सरकार के खिलाफ बोलने वाले विपक्षी नेताओं को चुप कराया जा रहा है। साजिश के तहत उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है।
पाकिस्तान के विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) गठबंधन बनाया है। इसकी अगुआई की जिम्मेदारी मौलाना फजलू रहमान को दी गई है। फजलू पहले भी इमरान सरकार के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन कर चुके हैं। हाल के दिनों में इस गठबंधन में शामिल फजलू समेत दो अहम नेताओं पर इमरान सरकार ने कार्रवाई की है।
‘विपक्ष के आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश हो रही’
मरियम ने कहा कि सरकार जरूरी सामान जैसे कि चीनी और गेंहूं की कालाबाजारी करने वाले माफिया के आगे झुक गई है। देश में मंहगाई बढ़ गई है, लेकिन इस पर बोलने से रोका जा रहा है। हमारी पार्टी के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ को एक साजिश के तहत फंसाकर जेल भेजा गया है। वहीं, सरकार के खिलाफ मुहीम चलाने वाले जमियत उलेमा ए- इस्लाम के नेता फजलू रहमान को भी नोटिस जारी किया गया है। यह सभी सरकार के खिलाफ शुरू किए गए आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की है।
11 अक्टूबर को होगी पीडीएम की पहली रैली
इस बीच पीडीएम ने कहा है कि सरकार के खिलाफ इसकी पहली रैली 11 अक्टूबर को क्वेटा में होगी। पीडीएम विपक्षी पार्टियों को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भी मनाने में जुटा है। इसके साथ ही सरकार पर दबाव बनाने के लिए विपक्षी सांसद एक साथ इस्तीफा भी दे सकते हैं। देश की राजनीति में सेना के दखल को लेकर विपक्षी पार्टियां नाराज हैं। फिलहाल लंदन में इलाज करवा रहे नवाज ने कुछ दिनों पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि देश में दो पावर सेंटर हैं, एक सरकार और दूसरी सेना।
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पेरिस में आज से सभी बार और कैफे बंद करने का आदेश; जापानी फैशन डिजाइनर केंजो तकाडा की मौत, दुनिया में अब तक 3.53 करोड़ केस October 04, 2020 at 05:36PM
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दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3 करोड़ 53 लाख 96 हजार 479 हो गया है। राहत की बात है कि इनमें 2 करोड़ 66 लाख 19 हजार 998 लोग ठीक भी हो चुके हैं। अभी 79 लाख 90 हजार 309 मरीजों का इलाज चल रहा है। मरने वालों का आंकड़ा 10.41 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में सोमवार से सभी बार और कैफे बंद करने को कहा गया है। देश के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरन ने रविवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राजधानी पेरिस में संक्रमण दर कम करना जरूरी है। ऐसा नहीं किया गया तो शहर को दोबारा लॉकडाउन करने की नौबत आ सकती है। फ्रांस में अब तक 6 लाख 19 हजार 190 मामले सामने आए हैं और 32 हजार 230 लोगों की जान गई है।
फ्रांस में रह रहे जापानी फैशन डिजाइनर केंजो तकाडा की रविवार को कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई। तकाडा अपने केंजो फैशन ब्रांड के लिए दुनिया भर में मशहूर थे। 81 साल के केंजों को संक्रमित होने के बाद पेरिस के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तकाडा 1965 में बोट से फ्रांस आए थे और फ्रांस में ही रह रहे थे।
‘साउथ अफ्रीका के 54 देशों में 10.5 लाख से ज्यादा संक्रमित’
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को कहा कि अफ्रीका के 54 देशों में संक्रमितों का आंकड़ा 10.5 लाख के पार हो गया। अब तक इन देशों में 36 हजार 319 मौतें हुई हैं। इनमें से आधे से ज्यादा करीब 6 लाख 80 हजार मामले और 16 हजार 938 मौतें साउथ अफ्रीका में हुई हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ज्यादातर अफ्रीकी देशों में अस्पतालों की सुविधा कम है। इन देशों में संक्रमण की चपेट में आने वाले युवाओं की संख्या ज्यादा है। यही वजह है कि यहां पर मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
वेनेजुएला: राष्ट्रपति के बेटे लगवाएंगे रूस की वैक्सीन
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोल मैडुरो ने रविवार को कहा कि उनके बेटे रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-वी के ट्रायल में शामिल होंगे। वेनेजुएला ने हाल ही में अपने देश में रूस की वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी दी है। बीते शुक्रवार को वेनेजुएला में स्पुतनिक-वी के 2000 डोज पहुंच गए। मैडुरो ने कहा कि मेरे बेटे ने मुझे बताया है कि वह वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होना चाहता है। यह अच्छी बात है। मैडुरो की बहन भी वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलेंटियर बनेंगी।
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ब्रिटेन: 24 घंटे में 22 हजार से ज्यादा मामले
ब्रिटेन में बीते 24 घंटे में संक्रमण के 22 हजार 961 मामले सामने आए हैं। देश के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा कि नए मामले का सामने आना चिंता की बात है। कुछ मामलों को आंकड़ा उपलब्ध नहीं होने के कारण नए मामले जोड़े गए हैं। देश में 25 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच 15 हजार 841 मामलों का पता नहीं चल सका था ऐसे में इन मामलों को शनिवार और रविवार के नए मामले में शामिल किया गया। ब्रिटेन में अब तक 5 लाख से ज्यादा संक्रमित मिले हैं और 42 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं।
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कोरोना संक्रमित ट्रम्प इलाज जारी होने के बावजूद अस्पताल के बाहर नजर आए; गाड़ी में बैठकर समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया October 04, 2020 at 05:08PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प संक्रमित होने के बावजूद कोरोनावायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे। अपना इलाज जारी होने के बावजूद वह रविवार दोपहर वॉल्टर हीड अस्पताल के बाहर नजर आए। काली रंग की एसयूवी में ट्रम्प मास्क लगाकर पिछली सीट पर बैठे थे। उन्होंने अस्पताल के बाहर मौजूद अपने समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। यह सबकुछ बस एक मिनट में हो गया। ऐसा करने से पहले उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर इसकी जानकारी भी दी थी।
मास्क को लेकर गैर जिम्मेदारी दिखाने के कारण पहले से ही ट्रम्प से विपक्षी पार्टियां और हेल्थ एक्सपर्ट नाराज हैं। इलाज के बीच अस्पताल से बाहर निकलने पर उनकी एक बार फिर आलोचना हो रही है। विपक्षी डेमोक्रेट्स का कहना है कि ट्रम्प ने यह दिखाने की कोशिश की है कि वे संक्रमित होने के बावजूद बिल्कुल ठीक हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट ने ट्रम्प की इस हरकत पर नाराजगी जाहिर की
वॉल्टर हीड अस्पताल के फिजिशियन डॉ जेम्स फिलिप्स ने ट्वीट किया- ट्रम्प के साथ गाड़ी में मौजूद सभी लोगों को अब 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन होगा। वे बीमार पड़ सकते हैं, उनकी मौत तक हो सकती है। अपनी राजनीतिक नौटंकी के लिए ट्रम्प ने दूसरे लोगों की जान को खतरा में डाला है। यह पूरी तरह से पागलपन है। राष्ट्रपति की एसयूवी न सिर्फ बुलेटप्रूफ है, बल्कि यह केमिकल हमले से बचने के लिए सील भी है। ऐसे में इसके अंदर कोरोना संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा है।
ट्रम्प के साथ एसयूवी में हमेशा मौजूद होते हैं सिक्रेट एजेंट्स
अमेरिकी राष्ट्रपति की गाड़ी में उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा सिक्रेट सर्विस के एजेंट्स मौजूद होते हैं। ट्रम्प ने गाड़ी का इस्तेमाल कर और सेल्फ क्वारैंटाइन के नियमों को तोड़कर उनकी जान को खतरा में डाला है। विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट्स का कहना है कि यह सब कुछ नहीं बल्कि चुनाव को देखते हुए ट्रम्प का एक फोटो ऑपरेशन है। इस बीच, ट्रम्प की पत्नी और फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प ने अपने सभी दौरे कैंसल कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि संक्रमण दूसरों में न फैले इसलिए उन्होंने यह फैसला किया है।
‘राष्ट्रपति हैं, इसलिए हॉस्पिटल भेजा’
ट्रम्प के अस्पताल से निकलने से पहले उनके पर्सनल फिजिशियन ने कहा था- प्रेसिडेंट बिल्कुल ठीक हैं। इलाज का असर हो रहा है। इससे हमारी टीम खुश है। अगले 24 घंटे में उनका बुखार उतर जाएगा। ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट भी नॉर्मल हो जाएगा। कोनले से जब पूछा गया कि सब ठीक था तो ट्रम्प को हॉस्पिटल लाने की जरूरत क्यों पड़ी? इस पर जवाब मिला- क्योंकि, वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं।
ट्रम्प शुक्रवार को संक्रमित मिले थे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पत्नी मेलानिया ट्रम्प कोरोना शुक्रवार को पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद दोनों को क्वारैंटाइन कर दिया गया था। इससे एक दिन पहने ट्रम्प की सीनियर एडवाइजर होप हिक्स संक्रमित पाई गईं थीं। पिछले दिनों उन्होंने राष्ट्रपति के साथ कई यात्राएं की थीं। इसके बाद राष्ट्रपति और उनकी पत्नी का भी कोरोना टेस्ट किया गया था। शुक्रवार को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
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ट्रम्प की कैम्पेन टीम कोई इवेंट रद्द नहीं करेगी, कुछ राज्यों में रिपब्लिकन्स अब डेमोक्रेट्स से पिछड़े October 04, 2020 at 04:18PM
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चुनाव में सिर्फ एक महीना बाकी है। लेकिन, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोविड-19 से पॉजिटिव होने के बाद कैम्पेन से फिलहाल अलग हो चुके हैं। बहरहाल, उनकी पार्टी के कैम्पेन पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता। यह इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि कैम्पेन टीम को ट्रम्प ही लीड कर रहे थे। प्रचार पहले जैसा ही चल रहा है। राष्ट्रपति हॉस्पिटल में हैं। 2016 में जिन राज्यों में ट्रम्प आगे थे, उनमें से कुछ में वे पिछड़ रहे हैं। हालांकि, विस्कॉन्सिन की एक रैली रद्द कर दी गई है।
पेन्स ने संभाली कमान
अब उप राष्ट्रपति माइक पेन्स कैम्पेन को लीड कर रहे हैं। शनिवार को उन्होंने देशभर में कैम्पेन स्टाफ से मीटिंग की। नई तस्वीर क्या होगी, यह एक या दो हफ्ते में साफ हो जाएगा। पेन्स यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि ट्रम्प की गैरमौजूदगी के बावजूद रणनीति में ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं होगी।
पेन्स ने शनिवार को कहा- मेक अमेरिका ग्रेट अगेन....। यह सिर्फ नारा नहीं, ये हमारा मिशन है। कुछ वक्त के लिए हमारा नेता यहां नहीं है। लेकिन, लोग वोटिंग कर रहे हैं। कार्यकर्ता डोर टू डोर कैम्पेन कर रहे हैं, फोन कर रहे हैं। हमारी टीम बिना रुके और थके काम कर रही है।
ये बदलाव हुआ
ट्रम्प की गैरमौजूदगी में उनके परिवार का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है। समर्थकों में भी ये लोकप्रिय हैं। कैम्पेन बिल स्टेपाइन पॉजिटिव हैं और घर से कमान संभाल रहे हैं। राष्ट्रपति के दामाद जैरेड कुशनर ज्यादा एक्टिव नजर नहीं आते। डिप्टी कैम्पेन मैनेजर जस्टिन क्लार्क वर्जीनिया में हैं। लोगों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश हो रही है कि ट्रम्प जल्द स्वस्थ हो जाएंगे और फिर मैदान संभालेंगे।
राष्ट्रपति के बेटे एरिक और बहू लारा ने शनिवार को कहा- प्रेसिडेंट की सेहत बेहतर है। लारा ने कहा- मीडिया का कुछ हिस्सा गलत खबरें दे रहा है। इनसे परेशान या दुखी होने की जरूरत नहीं है। 3 नवंबर को वे बाइडेन को चुनाव में जरूर हराएंगे।
ट्रम्प आज भी बाइडेन से बेहतर
एरिक ने कहा- पावर ट्रांसफर की कोई जरूरत नहीं है। मेरे पिता आज भी बाइडेन से बहुत बेहतर हैं। कैम्पेन मैनेजर स्टेपाइन ने कहा- फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि चुनावी दौड़ में कौन आगे है। अब वर्चुअल इवेंट्स पर फोकस ज्यादा किया जा रहा है। ज्यादातर में माइक पेन्स ही कमान संभालेंगे। एरिजोना में रैली होगी। आयोवा और दूसरे राज्यों में इनडोर कैम्पेन चल रहे हैं। बाइडेन खेमा फेसबुक पर ट्रम्प के खिलाफ निगेटिव कैम्पेन चला रहा है।
पिछड़ गए हैं ट्रम्प
28 सितंबर को पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद रिपब्लिकन पार्टी की इंटरनल पोलिंग बताती है बाइडेन बढ़त बना चुके हैं। बहस में ट्रम्प ने कई बार बाइडेन को रोकने की कोशिश की, मॉडरेटर की बातों को भी अनदेखा किया। हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ लोग मानते हैं कि ट्रम्प को सहानुभूति मिल सकती है। बोरिस जॉनसन के साथ यही हुआ था। हालांकि, ये भी सही है कि ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि ट्रम्प ने महामारी से निपटने के लिए सही कदम नहीं उठाए।
न्यूयॉर्क की रैली
ट्रम्प कैम्पेन के बड़े इवेंट्स पर सवालिया निशान लगे। आलोचना भी हुई। लेकिन, उन्होंने बदलाव नहीं किए। शनिवार को न्यूयॉर्क में रैली हुई। रिपब्लिकन पार्टी के सीनियर स्ट्रैटजिस्ट मैट गोरमन कहते हैं- अब गलतियों की गुंजाइश नहीं है। हर किसी को मास्क पहनना होगा, सोशल डिस्टेंसिंग रखनी होगी।
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22 साल की नदीन ने शुरू किया मी-टू अभियान; यौन शोषण करने वालों को पहुंचाया जेल, महिलाओं के सम्मान का प्रतीक बनीं October 04, 2020 at 03:01PM
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मिस्र में 22 साल की नदीन अशरफ महिलाओं के आत्म-सम्मान और गौरव का प्रतीक बन गई हैं। काहिरा की अमेरिकन यूनिवर्सिटी में फिलाॅसफी की इस छात्रा ने यूनिवर्सिटी में यौन उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ न केवल ‘हैशटेग मीटू अभियान’ शुरू किया बल्कि उन्हें जेल की सलाखों में भेजकर बड़े सामाजिक बदलाव का सबब भी बनीं।
सोशल मीडिया पर नया पेज बनाकर अभियान शुरू किया
नदीन बताती हैं कि ‘जुलाई में मैंने एक सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर एक पोस्ट देखी थी, जिसमें यूनिवर्सिटी के एक छात्र पर यौन शोषण का आरोप लगा था। वह काफी अमीर था। अचानक उसकी पोस्ट गायब हो गई थी। चूंकि उस आदमी पर यह भी इल्जाम लगा था कि वह यौन शोषण करने के बाद पीड़िता को ब्लैकमेल भी किया करता था, इसलिए मुझे अंदाजा हो गया कि बिना किसी स्पष्टीकरण के वो पोस्ट कैसे डिलीट हो गई।
मैं इतनी आक्रोशित हो गई कि मैंने रातभर जागकर एक अन्य प्लेटफाॅर्म पर ‘@असाल्टपोलिस’ के नाम पर एक पेज बनाया। इसमें उस व्यक्ति के नाम से उस पर लगे आरोपों का विवरण डाल दिया। उसका नाम अहमद बसम जकी था। मैंने उसकी फोटो के साथ उसके कारनामों का विवरण भी डाला। ये शख्स जब दसवीं कक्षा में था, तब से यौन शोषण करता रहा है। लेकिन जैसे ही कोई पीड़िता अपना मुंह खोलती, कोई न कोई उसका मुंह बंद करवा देता। मैं इसे रोक देना चाहती थी।
इस पोस्ट के जवाब में मुझे सैकड़ों पॉजिटिव नोटिफिकेशंस और करीब 30 महिलाओं के संदेश भी मिले, जिन्होंने जकी के शिकार होने की बात कबूली। कुछ ने यह भी कहा कि उनके साथ भी दुष्कर्म हुआ है। और इस तरह मीटू अभियान की शुरुआत हो गई। हफ्तेभर के भीतर मेरे पेज पर 70 हजार फॉलोअर्स जुड़ चुके थे। ऐसी कहानियों की बाढ़ आ गई जिनका आशय ये था कि मिस्र की औरतें यौन शोषण और बेइज्जती से तंग आ चुकी थीं।
इसी बीच मैंने 6 साल पहले 5 युवकों द्वारा एक महिला से फाइव स्टार होटल में किए गए दुष्कर्म की जानकारी भी पेज पर डाल दी। इसके आरोपी भी पकड़े गए। मुझे धमकियां भी मिलीं। कुछ दिनों पहले मुझे पता चला कि कुछ लोग मेरी पहचान लीक कर रहे हैं, इसलिए मैंने खुद को उजागर करने का फैसला लिया। अगर बुरे लोगों को पता चल सकता है कि मैं कौन हूं तो अच्छे लोगों को भी पता चलना चाहिए कि मैं कौन हूं। इसी में मेरी सुरक्षा निहित है।’
अभियान का मकसद- महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी हो
नदीन का कहना है कि मेरे अभियान का मकसद सिर्फ इतना है कि महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी मिले। मैं खुद 11 साल की थी तब लाॅन्ड्री वाले ने मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश की थी। तब मुझे नहीं पता था कि मेरे साथ क्या हो रहा है लेकिन आज समझ में आ रहा है कि उस छोटी सी उम्र में मैं भी यौन शोषण का शिकार हुई थी।
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अमेरिका का नेता कैसा हो, जो बाइडेन जैसा हो, अबकी बार ट्रम्प सरकार जैसे नारे हिंदी में लग रहे October 04, 2020 at 03:01PM
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अमेरिकी चुनाव में इस बार भारतीय और दक्षिण एशियाई वोटर्स को लुभाने के कोई मौके पॉलिटिकल पार्टियां नहीं छोड़ रही हैं। ‘अमेरिका का नेता कैसा हो, जो बाइडेन जैसा हो’, ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ जैसे हिंदी संबोधन इन दिनों अमेरिकी टीवी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर देखने-सुनने को मिल रहे हैं।
ऐसा पहली बार है, जब दोनों पार्टियां भारतीयों को ध्यान में रखकर कैंपेन लॉन्च कर रही हैं। यहीं नहीं एक ओर जहां मौजूदा राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प प्रधानमंत्री मोदी से दोस्ती को भुनाने के लिए ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ कैंपेन चला रहे हैं, वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन की टीम ने 14 भारतीय भाषाओं में रेडियो, टीवी पर कैंपेन ‘हिंदू अमेरिकंस फॉर बाइडेन’ कैंपेन लॉन्च किया है। इस कैंपेन के बाद ट्रम्प के रणनीतिकारों ने ‘हिंदू वोट्स फॉर ट्रम्प’ कैंपेन शुरू किया है।
हिंदू अमेरिका में चौथा सबसे बड़ा धर्म है
अमेरिका में हिंदी नारों की वजह यह है कि हिंदू अमेरिका में चौथा सबसे बड़ा धर्म है। देश की कुल जनसंख्या में इनकी भागीदारी 1% है। बाइडेन की टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारत और एशियाई वोटरों से सीधा संपर्क बनाने के लिए स्थानीय भाषा का सहारा लिया गया है। बाइडेन की टीम के प्रमुख सदस्य अजय भतूरिया ने भास्कर से कहा कि इस कैंपेन के जरिए हम भारतीय वोटरों को दिखाना चाहते हैं कि हम उनकी परवाह ट्रम्प से ज्यादा करते हैं।
कैंपेन टीम ने यह भी वादा किया है कि अगर बाइडेन सत्ता में आते हैं तो न्याय विभाग में भारतीय अमेरिकियों की नियुक्ति करेंगे, जिससे भारतीयों के विरुद्ध हेट-क्राइम के मामलों में सही न्याय हो पाएगा।
मोदी से दोस्ती ट्रम्प के लिए फायदेमंद
कई सर्वे बताते हैं कि मोदी से दोस्ती चुनावों में ट्रम्प के लिए मददगार साबित हो रही है। ताजा सर्वे के मुताबिक 66% भारतीय अमेरिकी बाइडेन के पक्ष में हैं और 28% ट्रम्प की तरफ। इससे बाइडेन खेमे की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि 2016 में 77% ने हिलेरी और 16% ने ट्रम्प को वोट किया था।
2012 में 84% ने ओबामा के पक्ष में वोट किया था। 2016 में ट्रम्प के पक्ष में भारतीयों की वोटिंग ने फर्क डाला था। इस बार उन्हें इस वर्ग से दोगुना समर्थन मिलता दिख रहा है। हाल के दिनों में डोनाल्ड ट्रम्प कई बार कह चुके हैं कि भारतीय अमेरिकियों का उन्हें समर्थन मिला है, जिसके कारण उन्होंने कमला हैरिस को चुना है। बीते महीने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था- ‘मुझे पीएम मोदी और भारत का पूरा समर्थन है।
मुझे भरोसा है कि भारतीय अमेरिकी हमें ही वोट देंगे।’ टेनेसी राज्य के छट्टानूगा शहर में रेस्तरां मालिक विक्रम मल्होत्रा कहते हैं- ‘मैं इस चुनाव में बाइडेन के पक्ष में हूं। ट्रम्प खुद को मोदी का दोस्त जरूर बता रहे हैं, लेकिन उनकी नीतियां हम जैसे प्रवासियों के खिलाफ हैं।’ लेकिन लुइसविले में बिजनेसमैन रिक मेहता इससे इत्तेफाक नहीं रखते। वो कहते हैं कि ट्रम्प की पॉलिसी बिजनेस फ्रेंडली है और वे परिवारिक वैल्यू को महत्व देते हैं।
अमेरिका में एशियाई वोटर्स 50 लाख, कई जगह पर निर्णायक
- अमेरिका में रह रहे भारतीय देश में दूसरे सबसे बड़े प्रवासी हैं, जिन्हें वोट देने की पात्रता है। 2011 के बाद दक्षिण एशियाई जनसंख्या में 43% की बढ़त हुई है, जो 2018 में बढ़कर 50 लाख से ज्यादा हो गई। इस दौरान 4.7% अमेरिकी बढ़े।
- अमेरिका में 20 लाख भारतीय मूल के वोटर हैं। इनमें से 5 लाख वोटर एरिजोना, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, मिशिगन, नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिलवेनिया, टेक्सास और विस्कोन्सिन में रहते हैं। इन जगहों पर भारतीय निर्णायक हो सकते हैंं। 2016 में ट्रम्प ने मिशिगन 10 हजार से जीता था।
- भारतीय वोटरों से प्रभावित सीटें कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी और इलिनोइस, ह्यूस्टन के कुछ उपनगरों में हैं, जो ट्रम्प के लिए मुश्किल मानी जा रही हैं।
ट्रम्प की तरह 10 से ज्यादा राष्ट्रपति अपनी गंभीर बीमारी छिपा चुके हैं...
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं। पहले तो व्हाइट हाउस ने बताया कि उनमें संक्रमण के ‘आंशिक लक्षण’ हैं। लेकिन शुक्रवार शाम तक उन्हें भर्ती होना पड़ा। यहां राष्ट्रपतियों का बीमारी छिपाने का लंबा इतिहास है। पढ़ें रिपोर्ट...
ट्रम्प की ही तरह विल्सन ने भी संक्रमण की सूचना छिपाई थी
वुडरो विल्सन अप्रैल 1919 में पेरिस गए थे और बीमार पड़ गए। डॉक्टर कैरी ग्रैसन ने रात भर विल्सन की देखरेख के बाद वॉशिंगटन को बताया कि उनकी स्थिति गंभीर है। वे स्पेनिश फ्लू के शिकार थे, इससे अमेरिका में 6.75 जानें गई थीं।
रूजवेल्ट ने 1944 में अपनी बीमारी छिपाई, दूसरा टर्म पूरा नहीं कर पाए
फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट को 1944 में उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का पता चला था। इसी बीच चुनाव आ रहा था तो व्हाइट हाउस ने कहा कि उनकी बीमारी गंभीर नहीं है। रूजवेल्ट चुनाव जीते लेकिन कुछ महीनों बाद निधन हो गया।
ग्रोवर ने आइलैंड में जाकर निजी जहाज में कराया था ऑपरेशन
राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने अपनी बीमारी को गुप्त रखते हुए एक निजी जहाज में मुंह का ऑपरेशन कराया था, जिसमें कैंसर वाले हिस्से को हटाया गया था। उन्हें डर था कि जनता को पता चला तो उन्हेें कमजोर राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाएगा।
1841 में हेनरी ने बीमारी छिपाई और 9 दिन बाद मौत हो गई
1841 में विलियम हैरिसन निमोनिया से बीमार पड़े। लेकिन व्हाइट हाउस ने उनकी गंभीर बीमारी छिपाई। बीमार पड़ने के 9 दिन बाद उनकी मौत हो गई। उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लिए हुए भी सिर्फ एक महीना ही बीता था।
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