Tuesday, December 15, 2020
बांग्लादेश की PM ने कहा- देश की आजादी की जंग सबने लड़ी, मजहब के आधार पर बंटवारा नहीं होने देंगे December 15, 2020 at 06:29PM
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16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को जंग में शिकस्त दी और एक नए देश बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इस जंग में बांग्लादेश के नागरिकों को पाकिस्तानी सेना की हैवानियत का शिकार होना पड़ा था। ये जख्म वहां के लोगों के दिलों में आज भी ताजा हैं। उन दिनों को याद करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को कहा- वो बहुत मुश्किल और खौफनाक दौर था। हम अब देश को मजहब के आधार पर नहीं बंटने देंगे।
जंग में हर मजहब के लोग शामिल थे
हसीना ने कट्टरपंथी और और आजादी के विरोधी लोगों को सीधी चेतावनी दी। कहा- बांग्लादेश की आजादी की जंग हिंदू, मुस्लिम, बुद्ध और ईसाई, सभी ने मिलकर लड़ी। अब हम मजहब के आधार पर देश को बांटने की इजाजत नहीं दे सकते। देश अब विकास और समृद्धि की तरफ बढ़ रहा है। हमें सांप्रदायिक सद्भाव बनाकर रखना होगा। इसके बिना विकास के रास्ते पर चलना नामुमकिन है। बांग्लादेश में आज आजादी की 50वी सालगिरह मनाई जा रही है।
मजहब के नाम पर कट्टरता सहन नहीं
देश के नाम एक संदेश में शेख हसीना ने कहा- मैं कभी भी मजहब के नाम पर देश में कट्टरता और अराजकता नहीं फैलने दूंगी। हम सब को यह सोचना होगा कि मजहबी मूल्यों का स्तर कैसे बनाकर रखें और इस देश को विकास के रास्ते पर बढ़ाएं। बांग्लादेश के लोग बेहतरीन और पवित्र हैं। इस मुल्क में हर किसी को अपने धर्म का पालन करने की इजाजत है। यहां कट्टरता की कोई इजाजत नहीं। देश के 16.5 करोड़ लोग शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के साथ रहना चाहते हैं।
शहीदों का याद कीजिए
18 मिनट के संबोधन में हसीना ने आगे कहा- यह वो दिन है जब हमें अपने शहीदों को याद करना चाहिए। उन्होंने देश की आजादी के लिए अनगिनत कुर्बानियां दीं। हमें धार्मिक भेदभाव या कट्टरता से दूर रहना होगा। युवाओं को भी यह समझना होगा कि ये आजादी कितनी बेशकीमती है। इसे सहेज कर रखना होगा। हमें अपने मुल्क और इसके ध्वज का अपमान सहन नहीं कर सकते।
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अमेरिका ने कहा- यह डराने वाला, उन्होंने शांति और न्याय के लिए संघर्ष किया December 15, 2020 at 05:21PM
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अमेरिका ने कुछ दिन पहले वॉशिंगटन डीसी में महात्मा गांधी की प्रतिमा के अपमान पर दुख जताया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्केनी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- हम महात्मा गांधी सम्मान करते हैं। उन्होंने शांति, न्याय और आजादी के लिए संघर्ष किया। पिछले दिनों वॉशिंगटन डीसी में जो कुछ हुआ, वो डराने वाला है।
12 दिसंबर को किसान आंदोलन के समर्थन में कुछ लोगों ने वॉशिंगटन डीसी में प्रदर्शन किए थे। खालिस्तान समर्थक नारेबाजी के बीच महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया था।
यह डराने वाला है
गांधी प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की घटना पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कैली ने कहा- यह वास्तव में भयभीत करने वाला है। किसी भी प्रतिमा या स्मारक को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। गांधी प्रतिमा को तो बिल्कुल नहीं। उन्होंने उन्हीं मूल्यों के लिए जंग लड़ी जिनका अमेरिका भी समर्थन करता है। शांति, न्याय और आजादी। गांधी का सम्मान किया जाना चाहिए।
विदेश विभाग ने भी यही कहा
कैली की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले विदेश विभाग ने भी एक बयान जारी किया। कहा- अमेरिका में विदेशी दूतावासों की सुरक्षा को लेकर हम सतर्क हैं और इसे गंभीरता से लेते हैं। हालिया घटना के बारे में हम भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। हमें मालूम है कि इंडियन एम्बेसी के सामने प्रदर्शन के दौरान क्या हुआ था।
भारतीय दूतावास के सामने है गांधी प्रतिमा
12 दिसंबर को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में किसान बिल का विरोध कर रहे कुछ लोगों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया। विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों के खालिस्तानी झंडे दिखाने की बात भी सामने आई। किसानों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने शनिवार को भारतीय दूतावास के सामने लगी गांधी प्रतिमा पर स्प्रे से पेंट कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने गांधी के चेहरे को खालिस्तानी झंडे से ढक दिया था। इस घटना के बाद भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने स्थानीय एजेंसियों को शिकायत दर्ज कराई थी।
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बदलने लगे अमेरिकी चर्च, अब यहां स्टूडियो और कैफे चल रहे हैं December 15, 2020 at 04:29PM
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(अमेलिया नीरेनबर्ग). कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका में अब आस्था स्थलों ने रूप बदलना शुरू कर दिया है। संक्रमण के चलते ज्यादातर चर्च या तो बंद हो चुके हैं या फिर नए रूप में ढल चुके हैं। अब इन इबादतगाहों में रिकार्डिंग स्टूडियो, नाइट क्लब, रेस्त्रां, कैफे और सर्वर रूम तक बन चुके हैं। स्थानीय स्तर पर अब इन्हें मल्टीपर्पज चर्च कहा जा रहा है।
इबादत की ये इमारतें अब व्यवसायिक स्थलों में तब्दील हो गई हैं। साउथ चार्ल्सटन का अप्लासिया कैफे सेंट जॉन यूनाइटेड चर्च में चल रहा है। यह कैफे पोलेन-8 नाम की एक स्वयंसेवी संस्था चला रही है। लकड़ी की बनी ऊंची छत और दीवार पर लगे रंगीन कांच के बीच अब यहां रोजाना लोग कॉफी के साथ लंच और डिनर कर रहे हैं। इसी तरह न्यू ओरलेंस के प्रेब्सटियन चर्च में इन दिनों एस्प्लांडे स्टूडियो चल रहा है।
14 हजार स्क्वैयर फीट की इस इमारत में चार स्टूडियो बनाए गए हैं। एक हिस्से में म्यूजिक ग्रुप भी प्रैक्टिस करता है। वहीं सैन फ्रांसिस्को का क्रिस्टीन साइंस चर्च अब एक टेक्नो कंपनी का सर्वर रूम बन गया है। जबकि डेनवर का पिक्सकोपल चर्च, जो 1889 में बना था, अब नाइट क्लब में तब्दील हो चुका है।
इस चर्च की पार्किंग में स्थानीय कलाकारों के लिए गैलरी की जगह निकाली गई है। इसी तरह अमेरिका के नेवार्क में 1811 में बना कैथेड्रल डिजिटल ऑडियो बुक और पॉडकास्ट सर्विस देने वाली कंपनी का दफ्तर बन चुका है। कंपनी ने अपने स्टाफ के लिए यहां तीन लेवल का स्ट्रक्चर अलग से तैयार किया है। कोरोना काल में चर्च के इस बदलते स्वरूप को लोगों ने भी अपना लिया है।
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अमेरिकियों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करेंगे ट्रम्प, तुर्की में एक दिन में 32 हजार मामले December 15, 2020 at 04:09PM
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दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7.37 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 17 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 16 लाख 40 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प देश के नागरिकों में वैक्सीन संबंधी डर खत्म करने की कोशिश करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्केनी ने यह जानकारी दी है। तुर्की में संक्रमण का खतरा अप्रैल के स्तर पर पहुंच गया है। यहां एक दिन में 32 हजार से ज्यादा मामले सामने आए।
वैक्सीन लगवाने से न करें अमेरिकी
डोनाल्ड ट्रम्प जल्द ही अमेरिकी नागरिकों से वैक्सीनेशन में हिस्सा लेने की अपील करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्केन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कैली ने एक सवाल के जवाब में कहा- बिल्कुल। राष्ट्रपति चाहते हैं कि अमेरिकी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में हिस्सा लें और इससे बचने की कोशिश न करें। उनकी मेडिकल टीम जब भी कहेगी वे खुद भी वैक्सीन लगवाएंगे। हालांकि, उनकी प्राथमिकता यह है कि जिन लोगों को सबसे ज्यादा वैक्सीन की जरूरत है, वे पहले इसे लगवाएं। हम चाहते हैं कि सिक्योरिटी ऑफिशियल्स को भी वक्त पर यह वैक्सीन मिले।
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तुर्की में हालात बिगड़े
‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की में संक्रमण के हालात काफी खराब हो गए हैं। यहां मंगलवार को 235 संक्रमितों की मौत हो गई। देश में तेज सर्दी पड़ रही है और ऐसे में डॉक्टरों की सामने कठिन हालात हैं। एक ही दिन में 32 हजार 102 नए केस सामने आए। तुर्की सरकार का कहना है कि देश में ज्यादातर मामले ऐसे सामने आ रहे हैं जिनमें लक्षण नहीं हैं।
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अब घर में कर सकेंगे कोरोना टेस्ट
ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना की होम टेस्ट किट तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। यह किट एल्यूमे कंपनी ने तैयार की है। खास बात यह है कि अमेरिकी सरकार ने इसको अपने देश में इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है। अमेरिका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एक बयान में कहा- इस टेस्ट किट से 20 मिनट में कोविड-19 का टेस्ट रिजल्ट आ जाएगा। इस टेस्ट किट में नाक से स्वाब लेकर टेस्ट किया जाता है। इसके लिए स्मार्टफोन ऐप की जरूरत होगी क्योंकि इस्तेमाल का तरीका इसी ऐप में दिया गया है। यूजर को कुछ जानकारियां देनी होंगी।
नीदरलैंड्स में लॉकडाउन शुरू
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने मंगलवार से देश में पांच हफ्ते का सख्त लॉकडाउन घोषित कर दिया। रूट ने साफ कर दिया कि फिलहाल, कोरोनावायरस को रोकने के लिए इससे ज्यादा असरदार कोई उपाय नहीं है। उन्होंने कहा- हम सख्त लॉकडाउन लगाने जा रहे हैं। इस दौरान स्कूल, दुकानें, म्यूजियम और जिम बंद रहेंगे। 19 जनवरी के पहले किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हम चाहते हैं कि भविष्य में हालात भयावह होने से रोके जाएं और इसके लिए सख्त कदम तो उठाने ही होंगे।
जिस समय मार्क लॉकडाउन का ऐलान कर रहे थे, उसी वक्त उनके ऑफिस के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी सख्ती के विरोध में नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार ने कहा है कि किसी भी घर में ज्यादा से ज्यादा दो मेहमान ही आ सकते हैं और इसके लिए भी लोकल अथॉरिटीज को जानकारी देनी होगी। हालांकि, माना जा रहा है कि सरकार 24 से 26 दिसंबर के बीच कुछ राहत दे सकती है।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 17,143,779 | 311,068 | 10,007,853 |
भारत | 9,932,908 | 144,130 | 9,455,793 |
ब्राजील | 6,974,258 | 182,854 | 6,067,862 |
रूस | 2,707,945 | 47,968 | 2,149,610 |
फ्रांस | 2,391,447 | 59,072 | 179,087 |
तुर्की | 1,898,447 | 16,881 | 1,661,191 |
ब्रिटेन | 1,888,116 | 64,908 | N/A |
इटली | 1,870,576 | 65,857 | 1,137,416 |
स्पेन | 1,771,488 | 48,401 | N/A |
अर्जेंटीना | 1,510,203 | 41,204 | 1,344,300 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
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8 हफ्ते के बच्चे को जेनेटिक बीमारी, इलाज के लिए चाहिए दुनिया की सबसे महंगी दवा; एक डोज की कीमत 16 करोड़ रु. December 15, 2020 at 02:46PM
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ब्रिटेन में जन्मे आठ हफ्ते के एडवर्ड को जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) बीमारी है। इसका इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक जोलगेनेस्मा इंजेक्शन से होना है। इस इंजेक्शन की कीमत 1.7 मिलियन पाउंड यानी 16 करोड़ रुपए हैं। एडवर्ड के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग से पैसे जुटाने के लिए मुहिम शुरू की है। उन्हें अब तक 1.17 करोड़ रुपए मिल भी चुके हैं।
कोलचेस्टर, ससेक्स में रहने वाले एडवर्ड के माता-पिता जॉन हॉल और मेगन विलीस कहते हैं कि उनके लिए बेटे की जिंदगी बेशकीमती है। उसकी जान बचाने के लिए वे हर मुमकिन कोशिश करेंगे। मेगन कहती हैं कि इंजेक्शन महंगा है, लेकिन रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि यह बेहद कारगर भी है। इसने कई बच्चों की उम्र बढ़ाई है।
तीन साल पहले ही मिली SMA की दवा
तीन साल पहले तक SMA का इलाज मौजूद ही नहीं था। लेकिन, 2017 में 15 बच्चों को यह दवा दी गई थी, जिससे सभी 20 हफ्ते से ज्यादा समय तक जीवित रहे। जिन 12 बच्चों को हाई डोज दिए गए थे, उनमें से 11 बिना सहारे के बैठ सके और दो अकेले चल पाने में सक्षम हुए। यह इंजेक्शन ब्रिटेन में उपलब्ध नहीं है। इसे अमेरिका, जर्मनी, ब्राजील या जापान से मंगाया जाता है।
ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाते मरीज
जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी होने पर शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी हो जाती है। छाती की मांसपेशियां कमजोर होने के चलते सांस लेने में दिक्कत होती है। समय बढ़ने के साथ दिक्कतें बढ़ने से मरीज की मौत हो जाती है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को ही होती है। ब्रिटेन में हर साल ऐसे 60 बच्चों का जन्म होता है।
जोलगेनेस्मा सबसे महंगा इंजेक्शन
जोलगेनेस्मा उन तीन जीन थैरेपी में से एक हैं, जिनके इस्तेमाल की अनुमति यूरोप में दी गई है। इसे बनाने वाली कंपनी का कहना है कि SMA जैसी दुर्लभ बीमारी के इलाज में यह दवा एक बार ही रोगी को दी जाती है, इसलिए यह महंगी है। महंगी दवाओं के मामले में 16 करोड़ के जोलगेनेस्मा इंजेक्शन के बाद ग्लिबेरा थैरेपी (7.3 करोड़) और लक्सटुर्ना इंजेक्शन (6 करोड़ रुपए) का नंबर आता है।
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पाकिस्तान में एंटी रेप ऑर्डिनेंस पास; रेपिस्ट को नपुंसक बनाने की सजा दी जाएगी December 15, 2020 at 06:57AM
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पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने मंगलवार को एंटी रेप ऑर्डिनेंस-2020 को मंजूरी दे दी। इसके तहत पूरे देश में ऐसे मामलों की सुनवाई और जांच के लिए सिस्टम बनाया जाएगा। अदालतों को रेप के मामलों का स्पीडी ट्रायल करना होगा। साथ ही सजा के तौर पर रेपिस्ट को नपुंसक बनाने का भी प्रावधान है।
प्रेसिडेंट हाउस की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि ऑर्डिनेंस के मुताबिक, पूरे देश में स्पेशल कोर्ट बनाई जाएंगी, ताकि रेप विक्टिम के मामलों की तेजी से सुनवाई की जा सके। इन अदालतों को चार महीने में सुनवाई पूरी करनी होगी।
बच्चों के सामने महिला से गैंगरेप के बाद देश में गुस्सा
यह ऑर्डिनेंस मोटर-वे गैंगरेप के कुछ महीने बाद लाया गया है। सितंबर में कुछ लोगों ने बच्चों के साथ जा रही एक विदेशी महिला से कथित तौर पर गैंगरेप किया था। उनकी कार हाइवे पर खराब हो गई थी।इस घटना के बाद पूरे पाकिस्तान में गुस्सा भड़क गया था। इससे सरकार पर रेप के मामलों में सख्त कानून बनाने के लिए दबाव बना।
सिंध के काशमोर जिले में महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ रेप की घटना के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने नवंबर में घोषणा की थी कि सरकार एंटी रेप ऑर्डिनेंस लाएगी।
ऑर्डिनेंस की खास बातें
- इस अध्यादेश के तहत, एंटी रेप क्राइसिस सेल बनाए जाएंगे। ये घटना के छह घंटे के अंदर विक्टिम की मेडिकल जांच के लिए जिम्मेदार होंगे।
- नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NADRA) के जरिए यौन अपराधियों की देश भर में लिस्ट तैयार की जाएगी।
- अध्यादेश के तहत, रेप विक्टिम की पहचान उजागर नहीं की जा सकेगी। ऐसा करना दंडनीय अपराध घोषित किया जाएगा।
- मामलों की जांच में लापरवाही करने वाले पुलिस और सरकारी अधिकारियों को जुर्माना लगाने के साथ तीन साल की जेल होगी।
- इसके अलावा झूठी जानकारी देने वाले पुलिस और सरकारी अधिकारियों को भी सजा देने का प्रावधान किया गया है।
- लगातार यौन अपराध करने वालों को नोटिफाइड बोर्ड की सलाह पर केमिकल की मदद से नपुंसक बना दिया जाएगा।
- प्रधानमंत्री एक फंड बनाएंगे, इसका इस्तेमाल स्पेशल कोर्ट बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्र और राज्य सरकारें भी इसमें योगदान देंगी।
- इस काम में गैर-सरकारी संगठनों, आम लोगों के साथ लोकल, नेशनल और इंटरनेशनल एजेंसियों से भी मदद ली जाएगी।
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ब्रिटेन के PM बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि होंगे, G-7 समिट के लिए मोदी को आमंत्रित किया December 15, 2020 at 12:37AM
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस साल रिपब्लिक डे पर होने वाले समारोह के चीफ गेस्ट होंगे। उन्होंने इसके लिए भारत का न्योता स्वीकार कर लिया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मंगलवार को डेलीगेशन लेवल की बातचीत में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि PM जॉनसन को भारत की ओर से गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा गया था। उन्होंने इसे कबूल कर लिया है। यह हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है। साथ ही PM बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल ब्रिटेन की मेजबानी में होने वाली जी-7 समिट में शामिल होने के लिए बुलावा भेजा है।
चार दिन के दौरे पर आए हैं ब्रिटेन के फॉरेन मिनिस्टर
डोमिनिक राब सोमवार को चार दिन के दौरे पर भारत आए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर बताया कि मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री का स्वागत किया। दोनों की मुलाकात का एजेंडा रीजनल और इंटरनेशनल मुद्दों पर बातचीत करना है।
भारत यात्रा के दौरान डोमिनिक राब पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल के साथ भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा के बारे में कहा कि कोरोना और ब्रेक्जिट के दौर में डोमिनिक राब का यह दौरा बिजनेस, डिफेंस, क्लाइमेट, माइग्रेशन, एजुकेशन और हेल्थ के क्षेत्र में साझेदारी का रास्ता तैयार करेगा।
आतंकवाद और कट्टरपंथ पर बातचीत
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बैठक के बाद एस जयशंकर ने कहा कि डोमिनिक राब बहुत अहम समय में भारत आए हैं। हम कोरोना और ब्रेक्जिट के बाद की दुनिया की ओर देख रहे हैं। यह इन मसलों पर चर्चा का सबसे अच्छा वक्त है। मीटिंग के दौरान दोनों देशों ने अफगानिस्तान के हालात के अलावा गल्फ और इंडो पैसेफिक रीजन के डेवलपमेंट का रिव्यू किया।
उन्होंने कहा कि भारत के पास इंडो-पैसेफिक एरिया के लिए अपना एक विजन है। यह अच्छी बात है कि अब इंडो-पैसेफिक के विचार की मान्यता बढ़ रही है। मीटिंग में आतंकवाद और कट्टरपंथ से उभरी चुनौतियों पर भी बात की गई। दोनों देशों की ये साझा चिंताएं हैं।
'भारत के साथ गहरे रिश्ते चाहते हैं'
राब ने कहा कि मीटिंग में इस बात पर फोकस किया गया है कि भारत और यूके के रिश्तों को कैसे ऊंचाई पर ले जाना है। हमने 5 सब्जेक्ट पर ज्यादा ध्यान दिया है। इनमें कनेक्टिंग पीपुल, ट्रेड एंड प्रॉसपेरिटी, डिफेंस एंड सिक्योरिटी, क्लाइमेट चेंज और हेल्थ शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि हम 2021 में ब्रिटेन की अध्यक्षता में होने वाली जी-7 बैठक और UN क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस के दौरान होने वाली बातचीत का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन UN सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की वापसी का स्वागत करता है। ब्रिटेन भारत के साथ आर्थिक संबंधों को और गहरा करना चाहता है।
भारत G-7 ग्रुप का सदस्य नहीं
दुनिया की सात सबसे बड़ी इकोनॉमी वाले देशों के G-7 ग्रुप में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है।
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विदेश मंत्री पोम्पियो बोले- कोरोना के लिए सभी देश चीन को जिम्मेदार ठहराएं, भारत से सबक ले दुनिया December 14, 2020 at 09:33PM
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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक बार फिर कोरोनावायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया। पोम्पियो ने कहा- इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीन ने कोरोनावायरस फैलाया और फिर इस साजिश पर पर्दा डालने की कोशिश की। पोम्पियो ने दुनिया के देशों को भारत से सीख लेने की सलाह दी। कहा- हमारे सामने भारत की मिसाल है। उसने चीन के ऐप्स समेत बाकी सामानों को बैन कर दिया।
अमेरिका के साथ आएं बाकी देश
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के इस तेजतर्रार मंत्री ने चीन को घेरा। कहा- कोरोनावायरस के प्रसार के लिए चीन के अलावा कोई जिम्मेदार नहीं है। दुनिया के बाकी देशों को अमेरिका का साथ देना चाहिए ताकि हम मिलकर चीन की जवाबदेही तय कर सकें। उसने अपनी साजिश को छिपाने के लिए कई झूठ बोले।
भारत और ऑस्ट्रेलिया बेहतरीन उदाहरण
एक सवाल के जवाब में पोम्पियो ने कहा- चीन को जिम्मेदार ठहराने के मामले में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारे सामने दो देशों के बेहतरीन उदाहरण हैं। दुनिया अब चीन को पीछे धकेलना चाहती है। आप ऑस्ट्रेलिया को देखिए। उसने चीन को सही जवाब दिया। भारत को देखिए। उसने चीनी ऐप्स को बैन कर दिया। उनका सामान खरीदने से इनकार कर दिया। बाकी देशों को भी अब यही करना चाहिए। बहुत सीधा मामला है। यह वायरस चीनी है, यह वुहान से निकला वायरस है। चीन इस पर पर्दा डालने की साजिश रच रहा है।
ऐसा फैला वायरस
पोम्पियो ने आगे कहा- चीन को वायरस के बारे में सब पता था। इसके बावजूद उसने अपने नागरिकों को दूसरे देशों में जाने की मंजूरी दी। इससे वायरस फैलता गया। उसको दुनिया को वायरस के बारे में जानकारी देकर अलर्ट करना चाहिए था। आज लाखों लोग इसकी वजह से मारे गए हैं। अर्थ व्यवस्था चरमरा गई हैं। अब दुनिया को चाहिए कि वो चीन को जिम्मेदार ठहराए।
पोम्पियो ही नहीं, राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन भी कोविड-19 को लेकर चीन पर हमलावर रहे हैं। ट्रम्प ने तो साफ कहा था कि चीन ने जानबूझकर यह वायरस फैलाया और इसकी आड़ में छोटे देशों पर हमले की साजिश रची। बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ठग बताया था।
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