अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की अमेरिका में हुई मौत के विरोध में दुनियाभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। रविवार को सेंट्रल लंदन में लोगों ने अश्वेतों के समर्थन में प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प हो गई। इसके बाद लंदन के वेस्टमिंस्टर डिस्ट्रिक्ट में कर्फ्यू लागू कर दिया गया।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस प्रदर्शन के तरीके पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का हक है, लेकिन पुलिस पर हमला करने का नहीं। विरोध जताने वालों ने इन प्रदर्शनों का दम घोंट दिया है। वे अपने मकसद को पूरा नहीं करते। जो भी हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई होगी।’’
लंदन में मानव तस्कर की मूर्ति तोड़कर नदी में फेंकी
लंदन में रविवार को प्रदर्शनकारियों ने 17वीं सदी के ब्रिटिश मानव तस्कर (स्लेव ट्रेडर) एडवर्ड कॉल्स्टन की मूर्ति तोड़ दी और इसे नदी में फेंक दिया। इससे पहले मूर्ति के गले पर ठीक वैसे ही पैर रखा गया, जैसे फ्लॉयड की गर्दन पर पुलिसवाले ने रखा था। यह मूर्ति ब्रिस्टल में लगाई गई थी। कॉल्स्टन 17वीं शताब्दी में अफ्रीकी लोगों को अमेरिका और दूसरे देशों में बेचता था। हालांकि, बाद में वह भलाई के काम करने लगा, जिससे उसे समाज में सम्मानित दर्जा हासिल हुआ।
ट्रम्प ने नेशनल गार्ड्स हटाने का आदेश दिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को वॉशिंगटन से नेशनल गार्ड्स को हटाने का आदेश जारी कर दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैंने अभी-अभी नेशनल गार्ड्स को वॉशिंगटन से वापस आने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। अब सबकुछ सही ढंग से नियंत्रण में है। वे घर जा रहे हैं लेकिन, जरूरत पड़ने पर तुरंत वापस भी आ सकते हैं।’’ नेशनल गार्ड्स हटाए जाने के बावजूद यहां प्रदर्शन शांति से हो रहे हैं। नेशनल गार्ड्स अमेरिकी सेना की रिजर्व विंग है।
मिनेपोलिस में पुलिस विभाग खत्म करने की योजना
अमेरिका की मिनेपोलिस नगर परिषद आने वाले महीनों में पुलिस विभाग को खत्म कर सकता है। सिटी पार्क में रविवार को परिषद सदस्यों की बैठक हुई। इसमें सुरक्षा का नया मॉडल तैयार करने का प्रस्ताव रखा गया। इस दौरान सदस्यों ने कहा कि दशकों की कोशिशों के बावजूद साबित हो गया है कि मिनेपोलिस पुलिस नहीं सुधर सकती। हम शहर में पुलिसिंग व्यवस्था को खत्म करने की योजना बना रहे हैं।
It has been 17 days since the last new case was reported in New Zealand, and Monday also marked the first time since late February that there have been no active cases. New Zealand has tested almost 40,000 people in the past 17 days and no one has been in a hospital with Covid-19 for 12 days, Ardern said at a news conference.
Demonstrators scrawled "was a racist" on the statue of the wartime British Prime Minister in Parliament Square on Sunday afternoon as thousands descended on London for another protest over American George Floyd's death. Activists surrounded the monument and jeered "Churchill was a racist", despite others intervening to protect it from further defacement.
The police department in the US city of Minneapolis will be dismantled and rebuilt, city councilors said late Sunday, after the death in custody of George Floyd sparked nationwide protests about racism in law enforcement. The MPLS City Council through a veto agreed that the police department "is not reformable and that we're going to end the current policing system."
James Bennet, the New York Times editorial page editor responsible for publishing a column that advocated using the military to quiet protests over US racial inequality, resigned on Sunday, the newspaper announced. The NYT has come under fire after it published an editorial on June 3 from a Republican Senator Tom Cotton from Arkansas, titled "Send in the Troops."
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 5 हजार 272 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 70 लाख 85 हजार 702 हो गया है। अब तक 34 लाख 59 हजार 830 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। रविवार को यह 20 लाख से ज्यादा हो गया। अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भड़के विरोध प्रदर्शनों में भीड़ ने ट्रम्प प्रशासन की चिंता और बढ़ा दी है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान में भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर साफ कर दिया है कि वो सख्त लॉकडाउन लागू नहीं करेंगे।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
19,97,358
1,12,226
7,52,925
ब्राजील
6,78,360
36,078
3,02,084
रूस
4,67,673
5,859
2,26,731
स्पेन
2,88,630
27,136
उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन
2,86,194
40,542
उपलब्ध नहीं
भारत
2,57,161
7,206
1,23,785
इटली
2,34,998
33,899
1,65,837
पेरू
1,91,758
5,301
82,731
जर्मनी
1,85,759
8,770
1,69,100
ईरान
1,71,789
8,281
1,34,349
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अमेरिका: बढ़ते मामले
अमेरिका में ट्रम्प सरकार दो मोर्चों पर जूझती नजर आ रही है। यहां संक्रमितों का आंकड़ा 20 लाख से ज्यादा हो गया है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। न्यूयॉर्क राज्य और न्यूयॉर्क शहर सबसे ज्यादा प्रभावित है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कहा था कि उनके देश में मामले इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि यहां टेस्ट ज्यादा हो रहे हैं। दूसरी तरफ, अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हत्या के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। यहां लोग मास्क लगाए तो दिख जाते हैं लेकिन, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो रहा।
पाकिस्तान: अर्थव्यवस्था की फिक्र
पाकिस्तान में संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख से ज्यादा हो गया है। दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 24 घंटे में ही 4960 मामले सामने आए। प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर लॉकडाउन से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में गरीबों की तादाद काफी ज्यादा है। अगर सरकार लॉकडाउन जैसे कदम उठाती है तो इससे इकोनॉमी तबाह होने का खतरा है। दूसरी तरफ, पीपीपी सांसद शेरी रहमान ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वो दूसरे देशों से आ रहे नागरिकों का टेस्ट नहीं कर रही। उनका कहना है कि इन लोगों की वजह से मामले ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं।
ब्राजील : सरकार से नाराजगी
यहां रविवार को 904 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही मरने वालों का आंकड़ा 36 हजार से ज्यादा हो गया। इस दक्षिण अमेरिकी देश में सरकार के खिलाफ भी गुस्सा बढ़ रहा है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील सरकार ने 4 जून के बाद महामारी पर विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी है। आरोप है कि सरकार देश और दुनिया से जानकारी छिपा रही है। यहां एक पूर्व जज और मीडिया ने इस मामले में सरकार का विरोध किया है।
चीन : डब्ल्यूएचओ को वक्त पर जानकारी दी
अमेरिका और कुछ दूसरे देश चीन पर संक्रमण से संबंधित जानकारी छिपाने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन, चीन ने एक बार फिर इससे इनकार किया है। चीन के मुताबिक, जैसे ही कोरोनावायरस की जानकारी सामने आई, उसने डब्ल्यूएचो को इसके बारे में बता दिया था। रविवार को एक सरकारी बयान में कहा गया- वायरस का पता लगते ही चीन ने डब्ल्यूएचओ के अलावा कुछ देशों और क्षेत्रीय संगठनों को इसकी जानकारी दे दी थी। बयान में कहा गया है कि 8 जनवरी को वायरस की पुष्टि हुई। 11 जनवरी से हर रोज डब्ल्यूएचओ को इसकी जानकारी दी गई।
मेक्सिको : 24 घंटे में 188 लोगों की मौत
मेक्सिको में 24 घंटे के दौरान 188 और लोगों की मौत हो गई। मरने वालों का कुल आंकड़ा अब 13 हजार 699 हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि देश में इस दौरान इस संक्रमण के 3484 नए मामले दर्ज किए गए। कुल संक्रमितों की संख्या 1 लाख 17 हजार 103 हो गई। यहां 19 हजार 629 एक्टिव केस हैं।
दुनियाभर में लॉकडाउन के दौरान जानवरों के नए रूप देखने को मिले हैं। लेकिन, ब्रिटेनवासीकोरोना के साथ-साथबड़े चूहों से बेहद परेशान और खौफ में हैं। 18 इंच तक लम्बे इन चूहों को जाइंट रेट कहा जाता है और लॉकडाउन के दौरान इन्होंने अपने व्यवहार को आक्रामक बनाकरसंख्या और पहुंच दोनों ही खूब बढ़ा ली है।
बीते दो महीनों से ये सीवर-अंडरग्राउंड नालियों से निकल कर रहवासी इलाकों में घुस रहे हैं। बंद शहरों से दूर ये उपनगरीय कस्बों की ओर बढ़ रहे हैं। पता चला है कि ये इतने भूखे हैं कि अब एक-दूसरे को खाने लगे हैं।इन पर रेट पॉयजन का भी असर नहीं हो रहा है। बड़े और ताकतवर चूहे छोटे और कमजोर को मार रहे हैं। जहर के प्रति इन्होंने एकइम्यूनिटी हासिल कर ली है।
भारत में भी मप्र, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों से चूहों के आतंक और करोड़ो के माल कीनुकसानकी खबरें मिली है, हालांकि हमारे यहां के चूहे ब्रिटेन के चूहेजितने बड़ेनहीं है।
चीन के जिस वुहान शहर से कोरोनावायरस निकला, वहां से महज 950 किमी दूरी पर ताइवान की राजधानी ताइपेइ है। जबकि, वुहान से करीब 12 हजार किमी से भी ज्यादा दूर है, अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर।
एक तरफ वुहान से इतनी दूर स्थित न्यूयॉर्क में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 3.96 लाख से भी ज्यादा है। मौतों का आंकड़ा भी 30 हजार के ऊपर है। लेकिन, ताइवान में, सिर्फ 453 केस और 7 मौत।
खास बात ये भी है कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए यहां टोटल लॉकडाउन नहीं लगाया गया था। सिर्फ स्कूल-कॉलेज और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर ही रोक लगाई गई थी। वो भी कुछ समय के लिए।
लेकिन, ये सब कैसे हुआ? तो इसका कारण है ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन। साई ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। साई मई 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बनीं और जनवरी 2020 में दूसरी बार। साई ने तुरंत फैसले लिए और कोरोना जैसी महामारी से निपट लिया।
1) जिस डॉक्टर की चेतावनी चीन ने नजरअंदाज की, ताइवान ने उसे माना
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोरोनावायरस का पहला मरीज 8 दिसंबर को चीन के वुहान शहर में मिला था। हालांकि, उस समय पता नहीं था कि ये कोरोनावायरस है। इसलिए उस समय इसे निमोनिया की तरह देखा गया।
दिसंबर के आखिर में वुहान के एक अस्पताल में डॉक्टर ली वेनलियांग ने सबसे पहले कोरोनावायरस के बारे में बताया। पर चीन की सरकार ने ली को नजरअंदाज किया और उन पर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया। बाद में ली की मौत भी कोरोना से हो गई।
उस समय ली की चैट के स्क्रीनशॉट भी वायरल हुए थे। जिसमें, उन्होंने निमोनिया की तरह एक नई बीमारी के बारे में आगाह किया था। जिस समय सारी दुनिया नए साल के जश्न की तैयारी कर रही थी, उसी समय 31 दिसंबर की शाम को ताइवान के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने नई बीमारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया।
2) जनवरी में ही चीन से आने-जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी
31 दिसंबर को चीन में अचानक 27 मामले सामने आए थे। उसके बाद ताइवान सरकार ने एडवाइजरी जारी कर वुहान से आने वाले हर शख्स की स्क्रीनिंग शुरू कर दी। इसके साथ ही जो भी लोग पिछले 15 दिन में वुहान से लौटकर आए थे, उन सभी की निगरानी होने लगी।
ताइवान में 21 जनवरी को कोरोना का पहला मरीज मिला। इसके बाद ही यहां की सरकार ने वुहान जाने वाले लोगों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी। और लोगों से बिना जरूरत बाहर न घूमने की अपील की।
मामले बढ़ते देख सरकार ने 26 जनवरी को ही चीन से आने वाली और चीन जाने वाली सभी तरह की उड़ानों पर रोक लगा दी। साथ ही चीन से लौटने वाले हर शख्स के लिए क्वारैंटाइन गाइडलाइन जारी की।
3) मास्क की कमी न हो, इसलिए एक्सपोर्ट पर रोक लगाई; ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया
मास्क की जरूरत को समझते हुए सरकार ने 24 जनवरी को ही मास्क के एक्सपोर्ट पर टेंपररी बैन लगा दिया। इस बैन को बाद में जून तक बढ़ा दिया गया। मास्क के एक्सपोर्ट पर बैन लगने और कोरोना के मामले बढ़ने के कारण लोगों में मास्क खरीदने की होड़ मच गई।
इससे बचने के लिए 3 फरवरी को सरकार ने ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू कर दिया। दरअसल, यहां लोगों के पास नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड होता है। इसी का इस्तेमाल हुआ। जिनका कार्ड ऑड नंबर का था, वो लोग सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मास्क खरीद सकते थे। और जिनका नंबर ईवन था, वो लोग मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को ही मास्क खरीद सकते थे। रविवार के दिन सभी को छूट थी।
4) मास्क नहीं पहनने पर 38 हजार रुपए से ज्यादा का फाइन लगाया
ताइवान में लॉकडाउन नहीं लगा और यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट जारी रहा। 31 मार्च को यहां के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर लिन चीआ-लुंग ने ट्रेन और बसों में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों के लिए मास्क पहनना जरूरी कर दिया।
3 अप्रैल को सरकार ने साफ कह दिया कि जो भी बिना मास्क पहने बस-ट्रेन में यात्रा करने की कोशिश करेगा, उससे 15 हजार ताईवान डॉलर यानी करीब 38 हजार रुपए का फाइन वसूला जाएगा।
5) अपने देश में कमी न हो, इसलिए आत्मनिर्भर बना
फरवरी में देश और दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने टोबैको एंड लिकर कॉर्पोरेशन और ताइवान शुगर कॉर्पोरेशन से एल्कोहल का प्रोडक्शन 75% बढ़ाने का आदेश दिया, ताकि सैनेटाइजेशन में इस्तेमाल हो सके।
मार्च में सरकार ने डिजिटल थर्मामीटर के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी। इसी महीने यहां की राष्ट्रपति साई ने ताइवान की कंपनियों को पीपीई किट का मास प्रोडक्शन शुरू करने को कहा, ताकि अमेरिका से इम्पोर्ट न करना पड़े।
इतना ही नहीं, 1 मई से यहां की सरकार ने हैंड सैनेटाइजर और डिसइन्फेक्टेंट का एक्सपोर्ट भी बंद कर दिया।
मेहनत का नतीजा : कई देश बोले- ताइवान मॉडल अपनाएंगे
ये ताइवान की सरकार और यहां के लोगों की मेहनत का ही नतीजा था कि चीन के इतने नजदीक होने के बाद भी यहा 450 से भी कम केस और 10 से भी कम मौतें हुई हैं।
कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने कोरोना से निपटने पर ताइवान की तारीफ की। डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री एंडर्स फोग ने टाइम मैग्जीन में आर्टिकल के जरिए ताइवान के काम को सराहा।
जर्मनी की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता सैंड्रा बबेनडोर्फर-लिच ने भी ताइवान के काम को कमाल का बताया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने तो ये तक कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए उनकी सरकार ताइवान का मॉडल अपनाएगी।
अमेरिका की टाइम मैग्जीन ने भी लिखा कि कोरोना से निपटने में ताइवान ने अमेरिका से ज्यादा बेहतर काम किया है।
भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच चीन का सरकारी मीडिया भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने रविवार को हजारों सैनिकों के युद्धाभ्यास का वीडियो शेयर किया। इसके जरिए चीन का मीडिया यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि सीमा पर चीन किसी भी समय अपने सैनिक और हथियार इकट्ठा कर सकता है। भारतीय एक्सपर्ट ने कहा कि यह चीन की पुरानी आदत है। वक्त आ गया है कि हमें भी उसके दिमाग से खेलना चाहिए।
मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने चीनके उत्तर-पश्चिम में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास किया है। इसमें हजारों पैराट्रूपर्स और बख्तरबंद गाड़ियां शामिल हैं।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में यह दिखाने की कोशिश की गई की जरूरत पड़ने पर चीन अपनी सीमा सुरक्षा को कितनी जल्दी मजबूत कर सकता है।शनिवार को चाइन सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) ने भी बताया कि पीएलए एयरफोर्स की एयरबोर्न ब्रिगेड ने हुबेई प्रांत से हजारों किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम चीन के पठारों में एक अज्ञात स्थान पर युद्धाभ्यास किया।
विशेषज्ञों ने कहा- चीन की यह पुरानी आदत
भारतीय रक्षा विश्लेषक नितिन गोखले ने ट्वीट किया, ‘‘चीन एक धारणा बनाने की कोशिश करने पर तुला हुआ है कि उसके सिपाहीऊंचाई के क्षेत्रों में लड़ाई के लिए तैयार हैं। शायद यह वह समय है कि हमें भी उनके दिमाग से खेलना चाहिए।’’
भारत के चीन विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने चेतावनी देते हुए कहा- भारत ने चीन से दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन चीन की कम्युनिस्ट तानाशाही ने लद्दाख में आक्रामकता दिखाई। यह घटना माओ के 1962 के सैन्य आक्रमण की याद दिलातीहै। भारत को सतर्क रहना चाहिए।
दोनों सेनाओं में शांतिपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाने पर सहमति
पूर्वी लद्दाख में सेनाओं के बीच तनाव खत्म करने पर भारत और चीन के बीच शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल के सैन्य कमांडरों के बीच चर्चा हुई। रविवार को विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि अब चीन शांति से पूरे विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है।
बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- दोनों पक्षों ने कूटनीतिक संबंधों की 70वीं सालगिरह को भी याद किया। इस बात पर सहमति बनी कि मसले का जल्द हल निकलने से रिश्ते आगे बढ़ेंगे। मई में दोनों सेनाओं के बीच तीन बार झड़प हुई
भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की लंबाई 3488 किलोमीटर की है। इसी पर दोनों देशों में विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। इसके साथ ही कई जगहों पर सीमा विवाद है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच मई में तीन बार झड़प हो चुकी है। इन घटनाओं पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधियों को अंजाम देते हैं। भारतीय सेना की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पार एक्टिविटीज की बातें सही नहीं हैं। वास्तव में यह चीन की हरकतें हैं, जिनकी वजह से हमारी रेगुलर पेट्रोलिंग में रुकावट आती है।
Colin Powell, who served as America's top military officer and top diplomat under Republican presidents, said Sunday he will vote for Democrat Joe Biden, accusing Donald Trump of drifting from the US constitution.
हफ्तेभर पहले ही संविधान संशोधन का बिल पेश करने के बाद नेपाल ने भारत से बातचीत की मांग की है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक नेपाल की सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत की मांग कर रहा है। हालांकि, अभी ऐसा नहीं लग रहा कि भारत इस पर सहमत होगा।
नेपाल पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने हमेशा बातचीत की पेशकश की है, लेकिन यह बातचीत सार्थक होनी चाहिए। अगर नेपाल पहले से ही अकेले ही कोई कदम उठा लेता है तो बातचीत की क्या जरूरत?
नेपाल ने संविधान संशोधन की प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाया है। सरकार ने संविधान संशोधन का प्रस्ताव भी पेश कर दिया है। 9 जून तक इस प्रस्ताव के पास होने की संभावना है। इस मुद्दे को राष्ट्रवाद से जोड़ने के बाद विपक्ष भी प्रधानमत्री केपी शर्मा ओली को समर्थन दे रहा है।
1 जून को पेश किया था संविधान संशोधन का बिल
नेपाल सरकार ने 1 जून को अपने नए नक्शे को संविधान में शामिल करने के लिए संसद में बिल पेश किया है। इस नए नक्शे में भारत के तीन इलाके लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा शामिल हैं।इससे पहले 27 मई को ओली संविधान संशोधन का बिल पेश नहीं कर पाए थे। मधेसी पार्टियों ने बिल पर असहमति जताई थी।
बिल को पास होने के लिए संसद में सरकार को दो तिहाई समर्थन चाहिए। सरकार के पास अभी 10 वोट कम हैं। हालांकि, इस बार इस बिल के 9 जून तक पास हो जाने के पूरे आसार हैं। इस मुद्दे को राष्ट्रवाद से जोड़ने के बाद विपक्ष भी प्रधानमत्री केपी शर्मा ओली को समर्थन दे रहा है।
नेपाल ने 18 मई को नया नक्शा जारी किया था
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था, इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया मानचित्र जारी किया था। इसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में बताया।
भारत ने नेपाल के सभी दावों को खारिज करते हुए कहा था कि नेपाल का नया नक्शा ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और (चीन) के कहने पर किया। भारत और नेपाल 1800 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करते हैं।
140 से भी ज्यादा वैज्ञानिकों ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से कहा है कि फेसबुक पर राष्ट्रपति ट्रम्प को काबू में रखें। उन्होंने जुकरबर्ग से फेसबुकपर गलत सूचनाएं और ट्रम्प के हिंसा को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को रोकने के लिए कहा है। ये वे वैज्ञानिक हैं, जिनको मार्क जुकरबर्ग की कंपनी ‘चॉन जुकरबर्ग इनीशिएटिव (सीजेडआई)’ फंडिंग करती है।अमेरिकी न्यूज वेबसाइट द वर्ज के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने जुकरबर्ग को लेटर लिखा है। इनमें हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा- फेसबुक अपनी नीतियों का पालन नहीं कर रही
वैज्ञानिकों ने लेटर में लिखा, ‘‘हमें यह देखकर निराशा हुई है कि आपने राष्ट्रपति ट्रम्प की पोस्ट पर अपनी नीतियों का पालन नहीं किया। ट्रम्प के हिंसा को बढ़ाने वाले वाले पोस्ट ‘जब लूट शुरू होगी, तो शूटिंग शुरू होगी’ पर आपने कुछ नहीं किया।’’
बता दें कि अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा और लूटपाट बढ़ गई थी। इस पर ट्रम्प ने धमकी देते हुए लूटपाट करने वालों को गोली मारने की चेतावनी देते हुए यह पोस्ट किया था। ट्विटर ने ट्रम्प के पोस्ट को हाइड करते हुए उसके ऊपर एक नोटिसलगा दिया था। ट्विटर ने इस पर कहा था कि हम हिंसा को बढ़ावा नहीं देते।
फेसबुक से कई कर्मचारी नाराज
फेसबुक के कई वर्तमान और पूर्व कर्मचारी कंपनी से नाराज हैं। उन्होंने ट्रम्प के पोस्ट पर फेसबुक की ओर से कोई एक्शन न लिए जाने पर आलोचना की है। कर्मचारियों की नाराजगी को भांपते हुए जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक अमेरिका और दुनिया भर में नस्लीय हिंसा पर काबू पाने में मदद करेगा। इस पर काम शुरू हो चुका है।
2015 में ‘चान जुकरबर्ग इनिशिएटिव’ की स्थापना हुई
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान ने ‘चान जुकरबर्ग इनिशिएटिव’ की स्थापना 2015 में की थी। इसकी स्थापना जुकरबर्ग की बेटी मैक्सिमा चान जुकरबर्ग के जन्म के दिन हुई थी। यह फेसबुक की एक परोपकारी संस्था है। इसका काम वैज्ञानिकों को शोध के लिए फंडिंग उपलब्ध करना होता है।
Britain's failure to impose a nationwide lockdown to tackle the spread of the coronavirus sooner has cost many lives, one of the government's scientific advisers said on Sunday.
अमेरिका में अश्वेत व्यक्ति की मौत के बाद नस्लवाद की आगअब ब्राजील में भी भड़क गई है। यहां मंगलवार को एक पांच साल के अश्वेत बच्चे की छत से गिरने से मौत हो गई थी। इसके विरोध मेंशुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने मार्च निकाला। सिक्युरिटी फुटेज के मुताबिक, अश्वेत महिला जहां काम करती है, उसी अपार्टमेंट के टॉप फ्लोर से गिरकर उसके बच्चे कीमौत हुई।
जाकारी के मुताबिक, अश्वेत महिला अपने बच्चे को एक श्वेत महिला कीदेखरेख में छोड़कर काम कर रही थी।कोरोनावायरस के चलते स्कूल बंद होने के कारण पांच वर्षीय मिग्युल डा सिल्वा अपनी मां के साथ काम पर गया था।
श्वेत महिला अपने कुत्ते को घूमाने चली गई
जर्मन न्यूज वेबसाइट डीब्ल्यू के मुताबिक, उसकी मां ने बच्चे को श्वेत महिला के हवाले छोड़कर काम कर रही थी। उस समय महिला अपने कुत्ते को बाहर घूमाने चली गई। फुटेज के मुताबिक, सिक्युरिटी कैमरा फुटेज में श्वेत औरत को बिल्डिंग के सर्विस एलिवेटर में एक बटन दबाते हुए और बच्चे को ऊपरी मंजिल पर भेजते हुए दिखाया गया है।
डीब्ल्यू के मुताबिक, लिफ्ट से बाहर निकलने के बाद लड़का एक बालकनी की रेलिंग पर चढ़ गया। इसके बाद उसने अपना संतुलन खो दिया और वह गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ के नारे लगे
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, उसकी मौत के तुरंत बाद ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ नारे लगाते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारीरेसिफ शहर की सड़कों पर उतर आए। इस दौरान प्रदर्शनकारी मास्क पहने नजर आए। उन्होंने सिटी कोर्ट से लेकर जिस बिल्डिंग से गिरने से डिसिल्वा की मौत हुई, वहां तक प्रदर्शन किया।
अमेरिका में कई दिनों से प्रदर्शन
25 मई कोअमेरिका के मिनेसोटा में अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद वहां पूरे देशभर में प्रदर्शन चल रहा है। कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। हर जगहनेशनल गार्ड तैनात हैं। कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई है।
Singapore on Sunday reported 383 new coronavirus cases, six of which were identified as a result of proactive testing of school staff and students, taking the country's total count to 37,910. The city-state on Saturday reported its 25th death due to Covid-19. The new infections include 14 community cases, of whom 10 are Singapore citizens and four are foreigners.
German Foreign Minister Heiko Maas voiced regret Sunday at reports that President Donald Trump plans to cut the number of US troops stationed in Germany, stressing that close cooperation was in the interests of both countries. Other senior politicians in Berlin were more blunt in their criticism, slamming the plan as the latest blow to US-German ties and a potential security risk.
अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। ट्रम्प ने प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई की धमकी दी थी, इसके बाद व्हाइट हाउस और रक्षा विभाग पेंटागन के बीच तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ट्रम्प के इस बयान के खिलाफ खिलाफ अमेरिकी रक्षा विभाग के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलर ने इस्तीफा दे दिया। रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी ट्रम्प के विरोध में खड़े हो गए हैं।
व्हाइट हाउस और पेंटागन के बीच यह संघर्ष सामान्य नहीं है। ट्रम्प के कार्यकाल में यह दूसरा मौका है, जब पेंटागन और व्हाइट हाउस के बीच तनाव पैदा हुआ है। इससे पहले 2018 में रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने ट्रम्प से असहमत होकर इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे।कार्रवाई कामकसद व्हाइट हाउस के सामने सेप्रदर्शनकारियों को हटाना था ताकि ट्रम्प चर्च जाकर फोटो खिंचा सकें। इससेसेदुखी जेम्स जूनियर मिलर ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस्तीफा देते हुए लिखे एक लेटर में राष्ट्रपति ट्रम्प और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर का भी विरोध किया था। इसके बाद से पेंटागन और व्हाइट हाउस के बीच मतभेद और गहरा गया है।
रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ट्रम्प के विरोध में
इस घटना के बाद अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी ट्रम्प के विरोध में आ गए। उन्होंने पेंटागन में पत्रकार वार्ता के दौरान ट्रम्प की ओर से प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विद्रोही कानून लागू करने पर असहमति जताई। इस कानून के लागू होने पर ट्रम्प प्रदर्शन को कुचलने के लिए सेना का इस्तेमाल कर पाते।
सेना के ट्रम्प का राजनीतिक हथियार बनने का खतरा
ट्रम्प के अपने ही नागरिकों के खिलाफ सेना के इस्तेमाल की धमकी पर बहस छिड़ गई है। लोगों में राष्ट्रपति के इस नजरिए पर नराजगी और बेचैनी है। आलोचकों का कहना है कि सेना को मजबूत बनाने में देश वाशियों का बड़ा योगदान है। लोगों की सेना के प्रति आस्था है, इसलिए सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करना बहुत चिंता की बात है।
वहीं, मीलिट्री लीडर्स का मानना है कि सैनिकों को केवल सबसे बुरी स्थितियों में कानून लागू करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए। हाल ही में रिटायर हुए फोर स्टार जनरल विनसेंट के ब्रूक्स कहते हैं कि ट्रम्प की धमकी से लोगों का सेना पर विश्वास खत्म होगा।
पहले भी रक्षा मंत्री ट्रम्प से असहमत होकर इस्तीफा दे चुके हैं
ट्रम्प प्रशासन में पहले रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने दिसंबर 2018 में ट्रम्प से असहमति जताते हुए इस्तीफा दे दिया है। वह सीरिया में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती घटाए जाने से नाराज थे। उन्होंने ट्रम्प को लिखे पत्र में कहा था, “क्योंकि आपको (ट्रम्प) अपने विचारों से मेल खाने वाले किसी व्यक्ति को रक्षा मंत्री रखने का अधिकार है। इसलिए मुझे यह पद छोड़ देना चाहिए।”