Friday, May 1, 2020
अमेरिका ने एच1-बी वीजाधारकों और ग्रीनकार्ड आवेदकों को 60 दिन की छूट दी, इस दौरान एप्लीकेंट सबूत और दस्तावेज जमा कर सकेंगे May 01, 2020 at 08:14PM
अमेरिकी सरकार ने कोरोनावायरस के चलते एच-1बी वीजाधारकों और ग्रीनकार्ड आवेदकों को 60 दिन की छूट दी है। हालांकि, यह छूट सिर्फ उन लोगों को दी गई है, जिन्हें दस्तावेजों को जमा करने के चलते नोटिस दिया गया है। अमेरिका में कोरोनावायरस से स्थिति गंभीर है। देश में 11 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं, करीब 66 हजार लोगों की जान जा चुकी है।अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने शनिवार को कहा कि आवेदकों को 60 दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाएगा। छूट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, इसमें आवेदक अपना दस्तावेज जमा कर सकेंगे या फिर अपना आवेदन वापस ले सकेंगे। अमेरिकी इमिग्रेशन सर्विस ने बयान में यह भी कहा कि हम अमेरिकियों की नौकरियों की सुरक्षा करना चाहते हैं। साथ ही इमिग्रेंटस को दी जाने वाली सुविधाओं को कम करना है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
New York nursing home reports 98 deaths linked to coronavirus May 01, 2020 at 07:57PM
Trump bans use of foreign power grid equipment citing security risk May 01, 2020 at 07:26PM
US hospitals using HCQ in treatment of COVID 19 patients May 01, 2020 at 06:54PM
Hong Kong police use pepper spray to clear May Day protest May 01, 2020 at 05:23PM
अब तक 34 लाख संक्रमित और 2.39 लाख मौतें: ट्रम्प ने कहा- अमेरिका में संक्रमण से कम से कम 1 लाख लोगों की जान जा सकती है May 01, 2020 at 04:44PM
दुनिया में कोरोना से 34 लाख 607 लोग सक्रमित हैं। दो लाख 39 हजार 586 जान जा चुकी है, जबकि 10 लाख 81 हजार 588 ठीक हो चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि देश में संक्रमण से कम से कम एक लाख लोगों की जान जा सकती है। उम्मीद है हम इसे इस आंकड़े तक नहीं पहुंचने देंगे। देश में अब तक 65 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 11,31,280 |
65,766 |
1,61,563 |
स्पेन | 2,42,988 | 24,824 | 1,42,450 |
इटली | 2,07,428 | 28,236 | 78,249 |
ब्रिटेन | 1,77,454 | 27,510 | उपलब्ध नहीं |
फ्रांस | 1,67,346 | 24,594 | 50,212 |
जर्मनी | 1,64,077 | 6,736 | 1,26,900 |
तुर्की | 1,22,396 | 3,258 | 53,808 |
रूस | 1,14,431 | 1,169 | 13,220 |
ईरान | 95,646 | 6,091 | 76,318 |
ब्राजील |
92,109 |
6,410 | 38,039 |
ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4L से लिए गए हैं।
अमेरिका: 24 घंटे में 1883 मौतें
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में 24 घंटे में 1883 लोगों की मौत हुई है। यहां 11 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं। यहां अकेले न्यूयॉर्क स्टेट (24,069) में स्पेन (24,824) और फ्रांस (24,594) के बराबर मौतें हुई हैं। वहीं, तीन लाख 15 हजार 222 संक्रमित हैं। ट्रम्प ने कहा कि वे चीन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। संक्रमण से निपटने में चीन नाकाम रहा है।
अमेरिका में इलाज के लिए रेमडेसिविर दवा को मंजूरी
अमेरिका के फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने महामारी के इलाज के लिए इबोला की दवा रेमडेसिविर के इस्तामल को आपातकालिन मंजूी दे दी। एफडीए प्रमुख स्टेफन हान ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। ट्रम्प ने रेमडेसिविर के उपयोग को सही सोच करार दिया और कहा कि इससे बहुत उम्मीद है। इसे बनाने वाली कपनी गिलीड के कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डेनियल ओ डे ने घोषणा की हमने लगभग 10.50 लाख रेमडेसिविर की शीशियां दान करने का फैसला लिया है।
अल्जीरिया: संक्रमण बढ़ता रहा, तो कड़े कदम उठाए जाएंगे: राष्ट्रपति
अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलमदजीद टेब्बौने कहा है कि देश में यदि वायरस का प्रसार जारी रहा, तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है। साथ ही सभी बिजनेस बंद कराए जा सकते हैं। अब्देलमदजीद ने कहा, "सरकार ने व्यापारी संघ के अनुरोध पर आर्थिक संकट को कम करने के लिए व्यवसायों को फिर से खोलने की अनुमति दी है, लेकिन यदि इस फैसले से लोगों के जीवन को खतरा होता है, तो फिर से सब कुछ बंद किया जा सकता है। साथ औऱ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। अल्जीरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि देश में 4151 लोग अब तक संक्रमित हुए हैं और 453 की मौत हुई है।
रूस: मास्को में अब तक 695 की मौत
रूस में अब तक 1,169 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में सबसे ज्यादा मॉस्क में 695 जान गई है। मॉस्को की कोरोनावायरस रिस्पॉन्स सेंटर ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अब तक 34 लाख संक्रमित और 2.39 लाख मौतें: ट्रम्प ने कहा- अमेरिका में संक्रमण से कम से कम 1 लाख लोगों की जान जाएगी May 01, 2020 at 04:18PM
दुनिया में कोरोना से 34 लाख 607 लोग सक्रमित हैं। दो लाख 39 हजार 586 जान जा चुकी है, जबकि 10 लाख 81 हजार 588 ठीक हो चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि देश में संक्रमण से कम से कम एक लाख लोगों की जान जा सकती है। उम्मीद है हम इसे इस आंकड़े तक नहीं पहुंचने देंगे। देश में अब तक 65 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 11,31,280 |
65,766 |
1,61,563 |
स्पेन | 2,42,988 | 24,824 | 1,42,450 |
इटली | 2,07,428 | 28,236 | 78,249 |
ब्रिटेन | 1,77,454 | 27,510 | उपलब्ध नहीं |
फ्रांस | 1,67,346 | 24,594 | 50,212 |
जर्मनी | 1,64,077 | 6,736 | 1,26,900 |
तुर्की | 1,22,396 | 3,258 | 53,808 |
रूस | 1,14,431 | 1,169 | 13,220 |
ईरान | 95,646 | 6,091 | 76,318 |
ब्राजील |
92,109 |
6,410 | 38,039 |
ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4L से लिए गए हैं।
अमेरिका: 24 घंटे में 1883 मौतें
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में 24 घंटे में 1883 लोगों की मौत हुई है। यहां 11 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं। यहां अकेले न्यूयॉर्क स्टेट (24,069) में स्पेन (24,824) और फ्रांस (24,594) के बराबर मौतें हुई हैं। वहीं, तीन लाख 15 हजार 222 संक्रमित हैं। ट्रम्प ने कहा कि वे चीन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। संक्रमण से निपटने में चीन नाकाम रहा है।
अमेरिका में इलाज के लिए रेमडेसिविर दवा को मंजूरी
अमेरिका के फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने महामारी के इलाज के लिए इबोला की दवा रेमडेसिविर के इस्तामल को आपातकालिन मंजूी दे दी। एफडीए प्रमुख स्टेफन हान ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। ट्रम्प ने रेमडेसिविर के उपयोग को सही सोच करार दिया और कहा कि इससे बहुत उम्मीद है। इसे बनाने वाली कपनी गिलीड के कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डेनियल ओ डे ने घोषणा की हमने लगभग 10.50 लाख रेमडेसिविर की शीशियां दान करने का फैसला लिया है।
अल्जीरिया: संक्रमण बढ़ता रहा, तो कड़े कदम उठाए जाएंगे: राष्ट्रपति
अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलमदजीद टेब्बौने कहा है कि देश में यदि वायरस का प्रसार जारी रहा, तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है। साथ ही सभी बिजनेस बंद कराए जा सकते हैं। अब्देलमदजीद ने कहा, "सरकार ने व्यापारी संघ के अनुरोध पर आर्थिक संकट को कम करने के लिए व्यवसायों को फिर से खोलने की अनुमति दी है, लेकिन यदि इस फैसले से लोगों के जीवन को खतरा होता है, तो फिर से सब कुछ बंद किया जा सकता है। साथ औऱ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। अल्जीरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि देश में 4151 लोग अब तक संक्रमित हुए हैं और 453 की मौत हुई है।
रूस: मास्को में अब तक 695 की मौत
रूस में अब तक 1,169 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में सबसे ज्यादा मॉस्क में 695 जान गई है। मॉस्को की कोरोनावायरस रिस्पॉन्स सेंटर ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
इजरायल में सरकार की नाकामी के खिलाफ प्रदर्शन; तुर्की में वेतन की मांग कर उग्र कामगार सड़कों पर उतरे May 01, 2020 at 02:27PM
तस्वीर इजरायल के तेल अवीव शहर की है। लॉकडाउन के दौरान हजारों कलाकारों और छोटे कारोबारियों ने सरकार के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रदर्शन किया। इन लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार कोराेना संकट का मुकाबला ठीक से नहीं कर सकी है। बता दें कि इजरायल में अब तक कोरोनावायरस के 16 हजार से ज्यादामामले सामने आ चुके हैं। जबकि 223 लोगों की मौत हुई है।
सुविधाओं की मांग को लेकर उग्र कामगार सड़कपर उतरे
मजदूर दिवस पर तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में हजारों कामगारों ने वेतन और सुविधाओं की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस बीच, ट्रेड यूनियन के कुछ नेताओं की पुलिस से हिंसक झड़प हो गई। इसमें कुछ लोग घायल हो गए। सरकार ने लॉकडाउन के मद्देनजर रैलियों पर रोक लगाई है। इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतरे। तुर्की में कोरोना के 1 लाख 20 हजार 204 मामले आए हैं। अब तक 3,174 मौतें हो चुकी हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
बच्चा मास्क से डरे, ताे उसे मजेदार चित्राें वाले मास्क दें, इससे जुड़ी क्राफ्ट एक्टिविटी करवाएं, उसके खेल में भी मास्क को शामिल करें May 01, 2020 at 02:22PM
(पेरी क्लास, एम.डी).काेराेना संक्रमण के दाैर में एक महीने में लाेगाें की जीवनशैली में शामिल हुए मास्क काे वयस्काें ने ताे अपना लिया है, लेकिन बच्चाें के लिए यह किसी खाैफ से कम नहीं है। कई बच्चाें काे यह डरा सकता है। मुखाैटाें से डरने वाले बच्चे मास्क काे लेकर ऐसी हीप्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसे में बड़ा संकट है बच्चों को मास्क से परिचित करवाना।हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में साइकाेलाॅजी के लेक्चरर राेबर्टाे ओलिवर्डिया कहते हैं, ‘करीब एक प्रतिशत बच्चे मास्काफाेबिया से पीड़ित हाे सकते हैं। यह ऐसा डर है, जाे बच्चाें में छह महीने तक रह सकता है। यह काॅस्ट्यूम औरसुपरहीराे से भी जुड़ा हाे सकता है।’
हालांकि, कई बच्चे अपने माता-पिता काे मास्क पहने देखकर डर सकते हैं।
छाेटे बच्चाें में चेहरा पहचानने की शक्ति कम हाेती है- प्रो. कांग ली
बच्चाें के चेहरा पहचानने के काैशल के विकास का अध्ययन करने वाले टाेरंटाे यूनिवर्सिटी के प्राे. कांग ली के मुताबिक, मास्क से डरने का एक कारण चेहरा न पहचान पाना हाे सकता है। छाेटे बच्चाें में चेहरा पहचानने की शक्ति कम हाेती है। छह वर्ष की उम्र से बच्चाें में यह काैशल विकसित हाेता है। 14 वर्ष की उम्र तक वे वयस्काें जैसे काैशल तक पहुंच पाते हैं। छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे किसी व्यक्ति के पूरे चेहरे काे पहचानने की बजाय चेहरे की किसी विशेषता से याद रखते हैं। जैसे नाक के आकार, आंख के प्रकार आदि।
बच्चों के सामने मास्क उतारें और लगाएं- डायरेक्टर मोंडलोक
ओंटेरियाे स्थित ब्राेक यूनिवर्सिटी में फेस परसेप्शन लैब की डायरेक्टर कैथरीन जे. माेंडलाेक के मुताबिक, बच्चाें के सामने बार-बार मास्क उतारें और लगाएं, ताकि वे पहचान सकें कि आप उनके माता-पिता हैं।
डॉ. विलार्ड ने कहा- फोबिया के इलाज के लिए एक्सपोजर थेरेपी बेहतर
कैंब्रिज में साइकाेथेरेपिस्ट डाॅ. क्रिस्टाेफर विलार्ड कहते हैं, ‘फाेबिया के इलाज के लिए एक्सपाेजर थेरेपी बेहतर है। परिजन मास्क से पहचान कराने का अनाैपचारिक तरीका अपना सकते हैं। मजेदार चित्राें वाले मास्क उन्हें दें। उन्हें अपना मास्क डिजाइन करने दें। इससे जुड़ी क्राफ्ट एक्टिविटी भी करवा सकते हैं। उन्हें मास्क पहनने और उतारने का अभ्यास कराएं। घर में घूमते-खेलते समय भी उन्हें मास्क पहनाएं। मास्क पहने हुए आंखोंके इशाराें से उन्हें समझाएं और उन्हें भी उसी तरह संवाद करने के लिए कहें।’
डॉ. कोपलिवक्ज के मुताबिक,बच्चों को समझा सकते हैं कि डॉक्टर और नर्स हीरोहैं
चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट के प्रेसिडेंट डाॅ. हाराेल्ड काेपलिवक्ज कहते हैं, ‘सुपरहीराे से संबंध जाेड़ने से भी मदद मिल सकती है। उन्हें समझा सकते हैं कि डाॅक्टर और नर्स हीराे हैं, जाे लाेगाें की सुरक्षा करते हैं और मदद करते हैं। हम भी सुपरहीराे बन सकते हैं और मास्क पहनकर दूसराें की रक्षा कर सकते हैं।’
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कोरोना के दौर में रोबोट टीचर्स, वर्क फ्रॉम होम, डिस्टेंस लर्निंग जैसे ट्रेंड बने जिंदगी का अहम हिस्सा May 01, 2020 at 02:22PM
कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन, क्वारैंटाइन या आइसोलेशन के समय में समाज को गतिशील रखने में रखने में टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, कोरोना महामारी ने प्रमुख टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स को रफ्तार दे दी है। इनमें डिजिटल पेमेंट, टेलीहेल्थ और रोबोटिक्स भी शामिल हैं।कारोबार खुले रहने के बावजूद ये टेक्नोलॉजी संक्रमण को फैलने से रोकने में काम आ रही हैं। ये अन्य खतरों से निपटने के लिए समाज को लचीला बनाने में मदद भी कर रही हैं।
इन 8 प्रमुख ट्रेंड्स से जानिए कि कोरोनावायरस और लॉकडाउन से कैसे हर क्षेत्र में कैसे हो रहा है बदलाव
1 ऑनलाइन शॉपिंग और रोबोट डिलीवरी: 2002 में सार्स ने चीन में ऑनलाइन मार्केटप्लेस में जबरदस्त इजाफा किया। कोरोना ने इसे अगले स्तर पर पहुंचाया है।
2 डिजिटल पेमेंट: करेंसी से वायरस फैलने की संभावना है, इसलिए कार्ड या ई-वॉलेट से कॉन्टैक्टलेस पेमेंट बढ़ा है।
3 क्लाउड टेक्नोलॉजी, वीपीएन: वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा है। इसमें वीपीएन, इंटरनेट प्रोटोकॉल, वर्चुअल मीटिंग्स, क्लाउड टेक्नोलॉजी बढ़ी है।
4 डिस्टेंस लर्निंग, एआई वाले रोबोट टीचर्स: स्कूल, कॉलेज बंद होने से 191 देशों में करीब 157 करोड़ छात्र घरों में बंद हैं। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई बढ़ी है। वर्चुअल रियलिटी, एआई टीचर्स का चलन बढ़ा है।
5 टेलीहेल्थ: टेलीहेल्थ संक्रमण नियंत्रित करने का प्रभावी तरीका है। वियरेबल डिवाइस और चैटबोट्स मरीजों के लक्षणों के आधार पर शुरुआती निदान कर रहे हैं।
6एंटरटेनमेंट: फिल्में ऑनलाइन रिलीज हो रही हैं। म्यूजियम वर्चुअल टूर करवा रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग भी बढ़ी।
7 सप्लाई चेन: कोरोना ने सबसे ज्यादा असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर डाला है। ऐसे में बिग डाटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन जैसी टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम में मदद कर रही हैं।
8 3डी प्रिंटिग: सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति पर रोक के झटके को 3डी प्रिंटिंग ने कम किया है। एक ही प्रिंटर कई डिजाइन फाइलों और सामग्रियों के आधार पर विभिन्न उत्पादों को बना सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कोरोना संक्रमण के 5 से 10 दिन बेहद चिंताजनक, सतर्कता जरूरीः डॉक्टर May 01, 2020 at 02:21PM
(तारा पार्कर-पोप).जब मेरे एक रिश्तेदार हाल ही में गंभीर रूप से बीमार हुए, तो कोरोना संक्रमण लग रहा था। मेरा पहला सवाल समय के बारे में था कि आपको कितने दिन पहले लक्षण दिखने शुरू हुए थे? बीमारी के पहले संकेत पर रोज का कैलेंडर बनाना संक्रमण की निगरानी के महत्वपूर्ण कदम हैं। जैसे- कब क्या हुआ, बुखार और ऑक्सीजन के स्तर को ट्रैक करना आदि।
अल्बर्टा यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. इलाना श्वार्ट्ज कहते हैं,“ज्यादातर लोग एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग बीमारी की “एक बहुत बुरी दूसरी लहर” में प्रवेश कर जाते हैं। हालांकि, हर मरीज अलग होता है, लेकिन संक्रमण के 5 से 10 दिन सांसों की जटिलता के लिए सबसे चिंताजनक समय होता है।” डॉ. श्वार्ट्ज के मुताबिक, ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज और मोटापे से जूझ रहे लोगों की स्थिति 10 से 12 दिन में मुश्किल हो सकती है।
मॉनिटरिंग से बेहतर इलाज में मिलेगी मदद
1-3 दिनःकोरोना के शुरुआती लक्षण भिन्न होते हैं। यह गले में खुजली, खांसी, बुखार, सिरदर्द और छाती में दबाव से शुरू हो सकता है। कभी-कभी यह लूज मोशन से शुरू होता है। कुछ लोग थकान महसूस करते हैं और स्वाद और गंध पहचान नहीं पाते।
4-6 दिनःकभी-कभी बुखार, दर्द, ठंड लगना, खांसी और बेचैनी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। कुछ बच्चों और युवाओं के शरीर पर चकते पड़ सकते हैं। हाथ-पैर की उंगलियों पर खुजलीदार लाल धब्बे, सूजन या छाले हो सकते हैं।
7-8 दिनःसीडीसी के मुताबिक, जिन रोगियों के लक्षणों में सुधार है और 3 दिनों से बुखार नहीं है, वे आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं। कुछ की स्थिति बनी रह सकती है। ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करनी चाहिए। अस्वस्थ महसूस करने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
8-12 दिनःइस दौरान मरीज को पेट के बल या करवट पर लेटने से बेहतर नींद महसूस हो सकती है। माउंट सिनाई के डॉ. चार्ल्स पॉवेल कहते हैं,‘8-12 दिन में पता चल जाता है कि मरीज की स्थिति बेहतर है या बिगड़ने वाली है। ऑक्सीजन का स्तर महत्वपूर्ण है।’
13-14 दिनःहल्की बीमारी वाले मरीजों को ठीक हो जाना चाहिए। जिनमें लक्षण बदतर थे, लेकिन ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखा, वे दो हफ्ते में ठीक होने चाहिए। हालांकि, जिन्हें कम ऑक्सीजन के कारण अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता हो, अभी भी अस्वस्थ और थके हुए महसूस कर रहे हो, तो उन्हें ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
हांगकांग में 100% लोग मास्क पहन रहे; मास्क कम न हो, इसलिए जेल में कैदी भी हर महीने 25 लाख मास्क बना रहे May 01, 2020 at 02:16PM
ऐलेन यू. विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन में कोरोना से बचने का सबसे अच्छा विकल्प सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धुलना और मास्क पहनना है। दुनिया में जब तक इन तीनों विकल्पों पर पूर्ण रूप से अमल किया जाता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस सबके बीच चीन से लगे एक छोटे से देश हांगकांग ने लोगों की सुरक्षा के लिए सक्रियता दिखाई। रातोंरात स्कूल बंद कर दिए, शहर भर में पोस्टर लगा दिए कि हर दो घंटे में हाथ धोते रहें। घर से बाहर निकलने पर फेस मास्क जरूर लगाएं। लोग भी पीछे नहीं रहे। यहां पर मास्क पहनने का आंकड़ा 100 फीसदी दर्ज किया गया है। इसका नतीजा भी सबके सामने है। 75 लाख की आबादी वाले इस देश में कोरोना से सिर्फ 4 जाने गई हैं। 1038 संक्रमितों में से830 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं। देशवासियों को सर्जिकल मास्क की कमी न पड़े, इसके लिए यहां के जेल में बंद कैदी हर महीने 25 लाख मास्क बना रहे हैं। लेकिन, इस दौरान पश्चिम देशों में मास्क की जरूरत और उसकी क्षमता पर ही बहस होती रही और कई सप्ताह इसी में निकल गए।
17 साल पहले आए सार्स महामारी से हांगकांग के लोगोंने सीखासबक
हांगकांग के लोगों ने मास्क पर भरोसा इसलिए जताया, क्योंकि वे 17 साल पहले सार्स महामारी ने यहां कहर बरपाया था। इससे सबक लेते हुए यहां प्रशासन ने व्यापक स्तर पर मास्क बनाने का काम शुरू किया। हांगकांग के सर्वव्यापी मास्क के पीछे की कहानी भी काफी अनोखी है। दरअसल, हांगकांग में लाखों की संख्या में सर्जिकल मास्क यहां के कैदी बना रहे हैं, जिनमें से अनेक तो अतिरिक्त पैसों के लिए देर रात तक काम कर रहे हैं। चीन से लगने वाली सीमा पर मध्यम स्तर की सुरक्षा वाली लो वु जेल में फरवरी से 24 घंटे मास्क बनाने का काम चल रहा है। कैदियों के साथ-साथ रिटायर्ड कर्मचारी और काम से छूटने वाले अधिकारी भी मास्क बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। महामारी के हांगकांग पहुंचने से पहले यहां हर महीने 11 लाख मास्क तैयार किए जाते थे।
2018 में कैदियों द्वारा बनाए गए सामानों की कीमत 432 करोड़ रुपए थी
- हांगकांग के कैदी जेल में अपना समय काम करते हुए बिताते हैं, जिससे न केवल उनके आलस और तनाव में कमी आती है, बल्कि काम से मिले पैसे से उन्हें अपने पुनर्वास में मदद मिलती है। यहां 4000 से अधिक कैदी हर साल ट्रैफिक चिह्न, पुलिस की वर्दी, अस्पताल कपड़े और सरकारी दफ्तरों में दी जाने वाली चीजें तैयार करते हैं।
- 2018 में कैदियों द्वारा तैयार किए सामानों की कीमत 432 करोड़ रुपए आंकी गई थी। कैदी पूरी रात या अतिरिक्त शिफ्टों में यह काम स्वैच्छिक रूप से करते हैं। इसके लिए उन्हें ज्यादा मजदूरी दी जाती है। हालांकि दो साल की सजा पूरी कर पिछले ही महीने जेल से निकलीं यानीस कहती हैं कि उसे रोज की मजदूरी 4.30 डॉलर थी, जो हांगकांग में तय न्यूनतम मजदूरी का आठवां हिस्सा थी।
- हांगकांग ह्यूमन राइट्स मॉनिटर के निर्देशक लॉ युक-काई कहते हैं कि समाज की अत्यावश्यक जरूरतों की पूर्ति के लिए इस तरह के सस्ते श्रम पर निर्भरता ठीक नहीं है। कैदी हमारी जरूरतों की पूर्ति के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो उन्हें उनके काम का मामूली मेहनताना नहीं दिया जाना चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम 20 दिन बाद सबके सामने आए, फर्टिलाइजर फैक्ट्री का उद्घाटन किया May 01, 2020 at 12:17PM
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (36) शुक्रवार को20 दिन बाद पहली बार सबके सामने आए। उन्होंने यहां एक फर्टिलाइजर फैक्ट्री का उद्घाटन किया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, किम 11 अप्रैल को पार्टी पोलितब्यूरो की मीटिंग के बाद से पब्लिक प्लेस पर नजर नहीं आए थे। स्टेट मीडिया के मुताबिक, इसी दिन किम ने एयर डिफेंस यूनिट और फाइटर जेट्स का निरीक्षण भी किया था। किम 15 अप्रैल को अपने दादा किम इल सुंग की याद में होने वाले सालाना कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। ऐसा पहली बार हुआ था। इसके बाद से ही उनको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन, अब साफ हो गया है कि किम स्वस्थ और जिंदाहैं।
15 अप्रैल से ही किम से जुड़ी कई सैटेलाइट तस्वीरें और रिपोर्ट्स सामने आईं। इनमें उनकी मौत होने से लेकर उनकी कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी होने तक का दावा किया गया था। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि उन्हें किम की सेहत के बारे में सब कुछ पता है, लेकिन फिलहाल वे इस पर कुछ नहीं कहेंगे।
बीते दिनों में किम जोंग के बारे में सामने आईं थीं 5 थ्योरी..
1. सर्जरी के बाद ठीक हो रहे किम
13 दिन में किम के बारे में पहली जानकारी उत्तर कोरिया के मामलों पर नजर रखने वाले दक्षिण कोरियाईअखबार डेली एनके ने 20 अप्रैल को दी। इसके मुताबिक, 12 अप्रैल को किम की कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, किम काफी सिगरेट पीते हैं। उन्हें मोटापे की समस्या है और वे ज्यादा काम करते हैं। उनका हायंग्सन काउंटी स्थित विला में इलाज हुआ। इसके बाद उनकी स्थिति में सुधार की खबरें आईं। उनके इलाज में लगी मेडिकल टीम के ज्यादातर सदस्य 19 अप्रैल को राजधानी प्योंगयांग लौट आए। कुछ सदस्य उनकी देखभाल करने के लिए वहीं रुके रहे।
2. किम जोंग की जिंदगी खतरे में
डेली एनके की रिपोर्ट के कुछ घंटे बाद ही सीएनएन ने किम के स्वास्थ्य को लेकर जानकारी दी। इसमें बताया गया कि सर्जरी के बाद उनकी जिंदगी खतरे में है। रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी किम की सेहत पर नजर रख रहीहैं। वहीं ब्लूमबर्ग न्यूज ने खबर दी कि अमेरिकी अधिकारियों को किम के गंभीर स्थिति के बारे में बताया गया। हालांकि, उनके स्वास्थ्य के ताजा हालात के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया। उधर, चीन ने भी किम के स्वास्थ्य को लेकर इंटरनेशनल मीडिया में कई तरह की अटकलों के बीच डॉक्टरों की एक टीम उत्तर कोरिया भेजने की बात कही।
3. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे
किम के बारे में ऐसा भी कहा जा रहा है कि वे कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। उत्तर कोरिया की ओर से अभी तक देश में संक्रमण की जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, चीन की मेडिकल टीम और दक्षिण कोरिया का दावा है कि यहां संक्रमण पहुंच गया है। इस बीच दक्षिण कोरिया के सियोल आधारित अखबार जूंगांग डेली ने दावा किया कि किम का एक बॉडीगार्डसंक्रमित है। इसके बाद वे सेल्फ क्वारैंटाइन हो गए हैं। अखबार ने चीन के एक अज्ञात व्यक्ति के हवाले से यह दावा किया है। हैंकूक इल्बो अखबार के मुताबिक 11 अप्रैल को वहां सोशल डिस्टेंसिंग का आदेश भी जारी किया गया था। इसमें तीन लोगों के एक साथ कहीं जुटने पर पाबंदी लगाई गई थी।
4. सेना के मॉक ड्रिल में घायल हुए किम
सेना कीमॉक ड्रिल मेंकिम के घायल होने की बात भी सामने आई है। किम की तलाश शुरू होने के बाद से ही वोन्सान रिजॉर्ट चर्चा में है। वोन्सान में किम परिवार का एक परिसर है, जहां पर मिसाइलें टेस्ट की जाती है। इस बीच एक सैटेलाइट तस्वीर भी सामने आई है, जिसमेंकिम की ट्रेन वोन्सान के रेलवे स्टेशन में खड़ी दिख रही है। 38 नार्थ वेबसाइट की ओर से जारी यह तस्वीर पिछले हफ्ते की बताई जा रही है। अमेरिका में रह रहे उत्तर कोरिया के एक सैनिक ने डूंगा डेली को बताया कि 14 अप्रैल को वोन्सान में सेना की मॉक ड्रिल हुई थी। किम इसमें घायल हो गए। यही वजह रही कि एक दिन बाद वे अपने दादा के कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके।
5. यह महज किम का ध्यान आकर्षित करने का पैंतरा
दक्षिण कोरियाके सांसद यून सांग-ह्युन के मुताबिक- हो सकता है कि किम खुद लापता होकर अपने शासन की ओर ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहे हो। ऐसे में अगले दो हफ्ते के अंदर वे सामने आ सकते हैं, क्योंकिसत्ता परउनकी पकड़ ढीली होने और उनके उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू हो गई है।यून ने डोंगा डेली से कहा है कि अगर किम कुछ हफ्ते में सामने नहीं आए तो यह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता कभी भी किम के इस तरह गायब होने की वजह सामने ही नहीं आए। इससे पहले भी 2014 में वे 6 हफ्तेतक नजर नहीं आए थे। इसकी वजहआज तक सामने नहीं आई।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बिडेन ने यौन शोषण के आरोप नकारे, कहा- अगर ये सही, तो सबूत दें May 01, 2020 at 05:59AM
पूर्व राष्ट्रपति और आगामी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन ने खुद पर लगे यौन शोषण के आरोपों को गलत बताया। बिडेन के मुताबिक- अगर ये आरोप सही हैं तो इनके सबूत दिए जाने चाहिए।बिडेन पर ये आरोप उनके स्टाफ में शामिल रहीं टारा रेड ने पिछले महीने लगाए थे। रेड के मुताबिक, 27 साल पहले बिडेन ने उनका यौन उत्पीड़न किया था।
बिडेन बोले- ऐसा कभी नहीं हुआ
बिडेन ने कुछ हफ्तों बाद इन आरोपों पर चुप्पी तोड़ी और सफाई दी। एमएसएनबीसी के मार्निंग शो में बिडेन ने कहा, ‘‘मैं एक वकील और एक नेता के तौर पर जिम्मेदारी समझता हूं। इसलिए, अपने स्टॉफ की एक पूर्व कर्मचारी के आरोपों पर बात करना चाहता हूं। आरोप सच नहीं हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ।’’
पिछले महीने लगाए थे आरोप
टारा रेड ने पिछले महीने बिडेन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि 1993 में वोसीनेट ऑफिस में काम करती थीं। इस दौरान कैपिटल हिल ऑफिस के बेसमेंट में बिडेन ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। रेड ने कहा था कि उन्होंने तब शिकायत भी दर्ज कराई थी। बिडेन के समर्थक भी आरोपों को नकारते रहे हैं। बिडेन ने चुनौती दी है कि अगर कोई शिकायत दर्ज हुई थी उसका रिकॉर्ड सामने लाएं।
नवंबर में राष्ट्रपतिचुनाव
अमेरिका में नवंबर महीने में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार जो बिडेन हैं। बिडेन को बराक ओबामा समेत अधिकतर डेमोक्रेटिक नेताओं ने अपना समर्थन दिया है। गुरुवार को स्पीकर नैंसी पेलोसी ने भी उन्हें अपना समर्थन दे दिया।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
चीन ने माउंट एवरेस्ट की चोटी तक 5जी नेटवर्क पहुंचाया; पर्यावरण की निगरानी, लाइवस्ट्रीमिंग की जा सकेगी May 01, 2020 at 02:16AM
पर्वतारोही अब माउंट एवरेस्ट पर भी हाई-स्पीड 5 जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकेंगे। चीन ने गुरुवार को अपनी साइड के एवरेस्ट पर स्थित बेस स्टेशन से इस सुविधा को शुरू किया है।समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 6500 मीटर की ऊंचाई पर बना बेस स्टेशन भी चालू हो गया है। इसका निर्माण चीन की सबसे बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी चाइना मोबाइल ने किया है। अब इसक्षेत्र के पर्यावरण की निगरानी आसान हो जाएगी। साथ ही पर्वतारोही लाइवस्ट्रीमिंग भी कर सकेंगे।
चीन ने इससे पहले 5300 और 5800 मीटर की ऊंचाई पर बेस कैंप बनाए गए थे। नया बेस स्टेशन बनने से माउंट एवरेस्ट के उत्तरी भाग में चोटी तक5जी नेटवर्क की सुविधा मिलेगी। चीन और नेपाल की सीमा में स्थित माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8 हजार 840 मीटर है। इसका उत्तरी भाग तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन के शिगात्से प्रान्त में स्थित है।
5जी नेटवर्क से मिलेंगी सुविधाएं
5जी पांचवीं जनरेशन की वायरलेसकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी है।5जी नेटवर्क से बैंडविथ और नेटवर्क क्षमता बढ़ जाएगी। इससे भविष्य में इस क्षेत्र में ड्राइवरलेस कार, डिवाइसों की अधिक कनेक्टिविटी, टेलीमेडिशिन, वर्चुअल मीटिंग आदि सुविधाएं मिलने लगेंगी। चाइना मोबाइल के तिब्बत ब्रांच के जनरल मैनेजर झोउ मिन ने कहा कि इस सुविधा से पर्वतारोहण, साइंटिफिक रिसर्च, पर्यावरण की निगरानी और लाइस्ट्रीमिंग के लिए बेहतर दूरसंचार मौजूद रहेगा।
तीनों बेस स्टेशन से मिलेगा 5जी नेटवर्क
चीन की तरफ से पहले 5300 और 5800 मीटर की ऊंचाई पर बेस कैंप बनाए गए थे। अब नया बेस कैंप 6500 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है। 5300 मीटर की ऊंचाई वाले बेस कैंप से शुरू हुई 5जी सुविधा का लाभ पर्वतारोही, पर्यटक और स्थानीय निवासी उठाएंगे। यहां डाउनलोड स्पीड 1.66 गीगाबाइट प्रति सेकंड और अपलोड स्पीड 215 मेगाबाइट प्रति सेकंड मिलेगी। इसके बाद 5800 और 6500 मीटर की ऊंचाई वाले बेसकैंपो से चढ़ाई के पूरे रूट पर नेटवर्क मुहैया कराया जा सकेगा।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
तीन शीर्ष संस्थान के वैज्ञानिकों ने चेताया- कोरानावायरस महामारी 2022 तक बनी रहेगी और इसके दौर चलते रहेंगे May 01, 2020 at 01:47AM
कोरोनावायरस और इसका फैलाया संक्रमण इतनी जल्दी इंसानों का पीछा नहीं छोड़ेगा। विशेषज्ञों की एक टीम ने कहा कि कोरोनोवायरस महामारी अगले दो साल तक चलने की संभावना है। इन विशेषज्ञों की सलाह है कि अनुमानित इसे 2022 तक नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा और ये तभी काबू में आएगी जब तक कि दुनिया की दो तिहाई आबादी में इस वायरस के लिए इम्यूनिटी पैदा न हो जाए।
ब्लूमबर्ग में छपी ये रिपोर्ट अमेरिका के सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिसीज (CIDRAP) के डायरेक्टर क्रिस्टन मूर, टुलाने यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ हिस्टोरियन जॉन बैरी और हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विज्ञानी मार्क लिप्सिच ने मिलकर लिखी है।
इस रिपोर्ट की 5 खास बातें, आसान शब्दों में :
- 1. ज्ञात इतिहास की 2009-10 के फ्लू की तुलना में नए कोरोनावायरस को काबू करना मुश्किल है क्योंकि हमारे बीच ऐसे लोग हैं जिनमें इस बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे, लेकिन वे दूसरों तक इसे फैला सकते हैं। इस बात का डर बढ़ रहा है कि लोगों में लक्षण तब सामने आ रहे हैं जब उनमें संक्रमण बहुत ज्यादा फैल चुका होता है।
- 2. कोरोना@2022 इसलिए सच्चाई हो सकता है क्योंकि दुनियाभर में अरबों लोग लॉकडाउन के कारण बंद थे और इस वजह से संक्रमण में ठहराव देखा गया। लेकिन, अब बिजनेस और सार्वजनिक स्थानों के खुलने के कारण खतरा फिर बढ़ रहा है। ऐसे में कोरोनोवायरस महामारी दौर यानि वेव्ज के रूप में 2022 तक बनी रह सकती है क्योंकि तब तक ही 70 प्रतिशत लोगों तक वैक्सीन पहुंच सकेगा।
- 3. सरकारों को लोगों तक जोखिम भरी यह बात पहुंनी होगी कि ये महामारी जल्दी खत्म नहीं होने वाली और ऐसे में उन्हें अगले दो वर्षों के लिए बार-बार आने वाली इसकी वेव्ज के लिए खुद को तैयार रखना होगा।
- 4. वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के लिए भारी दौड़-धूप कर रहे हैं और संभावना है कि 2020 के अंत तक कुछ मात्रा में वैक्सीन मिल भी जाए, लेकिन बड़ी आबादी के लिए इम्यूनिटी पाना भारी चुनौती बनने वाली है।
- 5. अमेरिका का उदाहरण सामने है जब 2009-2010 में फैली फ्लू महामारी से इम्यूनिटी के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीन तब मिले थे जबकि महामारी पीक पर पहुंच गई थी। अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि वैक्सीन शॉट्स के कारण अकेले अमेरिका में 15 लाख मामलों पर काबू पाया गया था।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
चीन ने एक वीडियो जारी कर उड़ाया अमेरिका का मजाक, कहा- हम सावधान रहे, वे नजरअंदाज करते रहे April 30, 2020 at 11:35PM
कोरोनावायरस के संक्रमण पर अमेरिका की ओर से लगातार लगाए जा रहे आरोपों के बाद चीन ने एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो से संदेश दिया गया है कि चीन लगातार वायरस को लेकर सावधान करता रहा, जबकि अमेरिका उसे नजरअंदाज करता रहा।
फ्रांस में चीन की एंबेसी ने ट्विटर पर एनिमेटेड विडियो पोस्ट किया है और इसका टाइटल दिया गया है- ‘वंस अपॉन ए वायरस’। इस वीडियो में वायरस की टाइमलाइन भी दिखाई गई है। कार्टूनों के जरिए इसमें चीन सावधानी जारी करते हुए दिखाया गया और अमेरिका आरोप लगाते हुए। चीन ने कहा है कि वह शुरुआत से ही वायरस के बारे में एक-एक जानकारी देता रहा है, लेकिन अमेरिका ने कोई ध्यान नहीं दिया।
एक मिनट 39 सेकंड का वीडियो
एक मिनट 39 सेकंड के वीडियो में दिखाया गया है कि चीन जनवरी में अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा करता है और अमेरिका इसे बर्बर करार देता है। इसमें यह भी दिखाया गया है कि अमेरिका चीन पर मानवाधिकार हनन के बार-बार आरोप लगाता है। वीडियो को लेकर ट्विटर पर खूब चर्चा हो रही है। कई यूजर्स ने चीन के सही समय पर सूचना देने के दावे को गलत बताया है। चीन के वुहान से दिसंबर में कोरोनावायरस का प्रकोप शुरू हुआ था और दुनियाभर में फैल गया।
डोनाल्ड ट्रम्प लगातार चीन को ठहरा रहे हैं जिम्मेदार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि वायरस वुहान इंस्टीटयूट ऑफ बायोलॉजी से निकला है। ट्रम्प ने यह भी दावा किया है कि उनके पास इसके सुबूत हैं। हालांकि, उन्होंने सुबूत दिखाने से मना कर दिया है। ट्रम्प ने इस दौरान चीन पर नए टैरिफ लगाने की भी बात कही है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today