Saturday, December 5, 2020
ब्रिटेन मिलिट्री एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करेगा, 14 अरब लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने में लग सकते हैं 2 साल December 05, 2020 at 07:15PM
ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। वैक्सीनेशन मंगलवार से शुरू होने की उम्मीद है। यह वैक्सीन बेल्जियम से ब्रिटेन लाए जाएंगे। इनके ट्रांसपोर्टेशन में देरी न हो, इसलिए ब्रिटिश सरकार रॉयल एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल करने जा रही है।
दूसरी तरफ, इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने कहा है कि दुनिया के हर हिस्से में अगर कुल 14 अरब लोगों तक वैक्सीन पहुंचाया जाता है तो इसमें 2 साल तक लग सकते हैं।
ब्रिटेन ने नया रास्ता निकाला
ब्रिटेन में हेल्थ और डिफेंस डिपार्टमेंट वैक्सीन को जल्द लाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन बेल्जियम में तैयार हो रही हैं और इन्हें ब्रिटेन लाया जाना है। पहली खेप में 8 लाख वैक्सीन आएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए रॉयल एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्य मिशन एक जनवरी से शुरू किया जाएगा। यूरोपीय देशों के बीच दूरी कम है, लेकिन वक्त कम लगे इसलिए एयर रूट्स को ही चुना गया है।
ब्रिटेन ने यह कदम क्यों उठाया
ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के बीच ब्रेक्जिट के मुद्दे पर तनातनी जारी है। हालांकि, सुलह की कोशिशें भी हो रही हैं। ब्रिटेन क्रिसमस के पहले अपने फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर्स और ओल्ड एज होम्स में वैक्सीनेशन कराना चाहता है। सड़क या समुद्र के रास्ते वक्त ज्यादा लगता है क्लीयरेंस के मामले होते हैं। जबकि, यूरोपीय यूनियन के एयरक्राफ्ट्स एक बार क्लियरेंस के उड़ान भरते हैं। खासतौर पर मिलिट्री एयरक्राफ्ट। लिहाजा, यह मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स से ट्रांसपोर्टेशन का विकल्प चुना गया है।
सदी का सबसे बड़ा मिशन
IATA के डायरेक्टर जनरल और सीईओ एलेक्जेंडर डी‘जुनिएक ने पिछले दिनों कहा था- कोविड-19 वैक्सीन को दुनिया के हर हिस्से में पहुंचाना इस सदी का सबसे बड़ा मिशन साबित होने वाला है। इसके लिए प्लानिंग जारी है। क्योंकि, वैक्सीन की सुरक्षा सबसे बड़ा चैलेंज है। सरकारों का साथ आना होगा। यह मिशन बेहद कठिन होगा।
हर एयरलाइन का इस्तेमाल होगा
ब्लूमबर्ग ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट में IATA के हवाले से कहा था कि वैक्सीन को दुनिया के हर देश में पहुंचाने के लिए सभी देशों की एयरलाइन्स का इस्तेमाल करना होगा। शुरुआत में वैक्सीन ट्रांसपोर्ट को हैंडल करना आसान नहीं होगा क्योंकि एयरलाइन्स कंपनियों को इसका अनुभव नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक, साल के अंत तक फाइजर 1 अरब 30 लाख वैक्सीन तैयार करेगी। मॉडर्ना करीब 50 करोड़ वैक्सीन तैयार कर लेगी। एस्ट्राजेनिका और ऑक्सफोर्ड मंजूरी मिलने के बाद दो अरब वैक्सीन तक बना सकती हैं।
अमेरिका में हर रास्ता इस्तेमाल होगा
अमेरिका में ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने अक्टूबर के आखिर में ही ट्रांसपोर्टेशन प्लान तैयार कर लिया था। 2 दिसंबर को ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी एलेन चाओ ने कहा था- इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है। हम वैक्सीन को सुरक्षित पहुंचाने के लिए हर रास्ते का इस्तेमाल करेंगे। हम चाहेंगे कि यह काम बहुत बड़े पैमाने पर हो। इस मामले में रफ्तार और सुरक्षा दोनों जरूरी हैं। हमने इसे Operation warp Speed नाम दिया है।
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China coal mine accident toll climbs to 23 December 05, 2020 at 06:21PM
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टे एट होम ऑर्डर जारी, फ्रांस में एक हफ्ते बाद फिर मामले बढ़े December 05, 2020 at 04:24PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.68 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 62 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 15 लाख 33 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में पिछले हफ्ते औसतन एक लाख 80 हजार मामले सामने आए। प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन कोरोना टास्क फोर्स बना चुके हैं, लेकिन इस बीच राज्यों ने भी कमस कस ली है। कैलिफोर्निया ने अपने दो क्षेत्रों में स्टे एट होम ऑर्डर जारी कर दिए हैं।
अमेरिका में दिक्कत बढ़ी
अमेरिका के ज्यादातर राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं। हालात यह हैं कि कुछ राज्यों में तो अस्पतालों में जगह कम पड़ने लगी है। इस बारे में अमेरिकी मीडिया में खबरें भी आ रही हैं। यही वजह है कि राज्य अब सख्ती करने लगे हैं। कैलिफोर्निया ने अपने दो इलाकों में स्टे एट होम ऑर्डर यानी घर में रहने के आदेश जारी कर दिए हैं।
इस राज्य के पांच क्षेत्र ऐसे हैं जहां के अस्पतालों ने प्रशासन को बता दिया है कि उनके अस्पतालों और खासकर आईसीयू में जगह अब नहीं बची है। ऐसे में मेकशिफ्ट आईसीयू बनाए जाएं। साउथ कैलिफोर्निया और सैन जोआक्विन में तो बार, हेयर सैलून और रेस्टोरेंट्स सख्ती से बंद कर दिए हैं। हालांकि, पार्सल सुविधा मौजूद रहेगी।
फ्रांस में राहत के बाद आफत
फ्रांस में सरकार काफी हद तक संक्रमण पर काबू पाने में सफल रही है। देश में लॉकडाउन किए पांच हफ्ते हो चुके हैं। इसके पहले हर हफ्ते 50 हजार मामले मिल रहे थे। अब यह आंकड़ा करीब 11 से 13 हजार के बीच आ गया है। शुक्रवार को 11 हजार 221 मामले सामने आए थे। लेकिन, शनिवार को यह बढ़े और 12 हजार 923 तक पहुंच गए। सच्चाई यह है कि एक महीने पहले से मामले कम होने शुरू हो गए थे।
ब्रिटेन वैक्सीनेशन के लिए तैयार
ब्रिटेन में वैक्सीनेशन की तैयारियां तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते से देश में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन प्रॉसेस शुरू हो जाएगा। हालांकि, अब तक सरकार ने इसके लिए कम्पलीट रोड मैप जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि यह क्लीनिक्स के माध्यम से शुरू किया जाएगा। देश के स्वास्थ्य सेवा यानी एनएचएस इसे लीड करेगी। मंगलवार को पहला डोज दिया जाएगा। ब्रिटेन ने करीब चार करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है। एक व्यक्ति को दो डोज दिए जाने हैं। जनसंख्या 2 करोड़ है।
करीब 8 लाख डोज की पहली खेप बेल्जियम से ब्रिटेन पहुंच चुकी है। सरकार ने कहा है कि वो अपने हेल्थ वर्कर्स और ओल्डर एज होम्स पर सबसे पहले फोकस करेगी। यानी इन्हें डोज पहले दिए जाएंगे।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 14,983,425 | 287,825 | 8,787,738 |
भारत | 9,644,529 | 140,216 | 9,099,946 |
ब्राजील | 6,445,691 | 176,641 | 5,761,363 |
रूस | 2,431,731 | 42,684 | 1,916,396 |
फ्रांस | 2,244,635 | 53,816 | 165,563 |
स्पेन | 1,693,591 | 46,038 | उपलब्ध नहीं |
यूके | 1,674,134 | 60,113 | उपलब्ध नहीं |
इटली | 1,664,829 | 58,038 | 846,809 |
अर्जेंटीना | 1,440,103 | 39,156 | 1,268,358 |
कोलंबिया | 1,334,089 | 37,117 | 1,225,635 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
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मां को मलाल था- बिजनेस ऑनलाइन नहीं ले जा पाईं, तो बेटे ने खड़ी कर दी 12.5 हजार करोड़ की ई-कॉमर्स कंपनी December 05, 2020 at 03:25PM
एक बेहतरीन आइडिया से जिंदगी बदल सकती है। कुछ ऐसा ही जापान के युता सुरुओका के साथ हुआ। उनके लिए मां की बात एक चुनौती बन गई और उन्होंने 1.7 अरब डॉलर (करीब 12580 करोड़ रुपए) की कंपनी खड़ी कर दी। दरअसल, युता की मां जापान के ग्रामीण इलाके में छोटी सी स्टोर चलाती थीं। पर वे इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ले जाना चाहती थीं, उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने युता से जिक्र किया कि यदि इंटरनेट की जानकारी होती तो वह बिजनेस को ऑनलाइन करतीं।
30 साल के युता बताते हैं कि हम ऐसी दुनिया में थे इंटरनेट स्किल न जानना और पैसों की कमी के चलते ऐसे बिजनेस की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। बात 2012 की है, उस वक्त युता एक क्राउडफंडिंग स्टार्टअप में इंटर्न थे। उन्होंने तभी छोटे कारोबारियों को ऑनलाइन लाने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का फैसला लिया। उसी वक्त उन्होंने बेस नाम से अपनी कंपनी शुरू की। जिसका बाजार मूल्य करीब 1.7 अरब डॉलर पहुंच गया है। इसके साथ ही युता अरबपति बन गए हैं।
इनकी कंपनी लोगों को अपनी ऑनलाइन शॉप खोलने में मदद करती है। इसके अलावा उन्होंने एक शॉपिंग एप भी बनाया है, जिसके 70 लाख यूजर हैं। बाजार विश्लेषक ओषिधि कुमारसिरी के मुताबिक बेस प्लेटफॉर्म यूजर को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिससे कुछ ही घंटों में बिजनेस ऑनलाइन ले जा सकते हैं।
यूजर्स से वेबसाइट बनाने के लिए बेस फीस नहीं वसूलती, बल्कि साइट के लिए बनाए गए पेमेंट टूल्स द्वारा लेन-देन पर शुल्क से रेवेन्यू कमाती है। युता बताते हैं कि उन्होंने शौकिया तौर पर बेस की शुरुआत की थी, पर लोगों ने इसे महत्व देना शुरू किया, तो इसे कंपनी में बदलने का फैसला लिया। हम चाहते थे कि लोगों को एक ही बार में सारी सुविधाएं ऑनलाइन मिल जाएं, और हम यह करने में सफल रहे।
इस सफलता के लिए फोर्ब्स की सूची में शामिल किए गए युता
युता के इस ई प्लेटफॉर्म की सफलता के लिए उन्हें फोर्ब्स की 30 अंडर 30 सूची में भी शामिल किया गया। इस साल कोरोना के कारण उनकी कंपनी को खासा बिजनेस मिला। अगस्त 2019 तक उनके प्लेटफॉर्म से 8 लाख कंपनिया रजिस्टर्ड थीं, जिनकी संख्या इस साल सितंबर तक बढ़कर 12 लाख पर पहुंच गई।
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इटली में दुनिया का पहला गांव जो 90 रुपए में घर बेच रहा, कास्त्रोपिगनानो की आबादी मात्र 900 December 05, 2020 at 03:18PM
तस्वीर इटली के मोलिझे क्षेत्र के मध्यकालीन गांव कास्त्रोपिगनानो की है। प्रशासन ने इस गांव में बसने के लिए एक यूरो यानी करीब 90 रुपए में घर बेचने की योजना शुरू की है। इस तरह कास्त्रोपिगनानो सबसे सस्ता घर देने वाला दुनिया का पहला गांव बन गया है। अभी इस गांव में 900 लोग रहते हैं। 1930 के दशक में यहां 2500 लोग रहते थे। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कई लोग यहां से जाने लगे।
जबकि 1960 के बाद ज्यादातर युवाओं ने रोजगार और अन्य अवसरों के लिए गांव छोड़ दिया। आज गांव में 60% लोग 70 साल से ज्यादा उम्र के हैं। अब प्रशासन यह गांव फिर से बसाना चाहता है। इसलिए लोगों को सस्ते घर देने का वादा कर रहा है।
इससे पहले प्रशासन ने घरों के मूल मालिकों को नोटिस भेजा। इसमें उन्हें बताया गया कि अगर वे घरों की मरम्मत नहीं कराएंगे तो सुरक्षा कारणों से घर कब्जे में ले लिए जाएंगे। यह गांव स्की रिजॉर्ट्स और समुद तटों के पास है। इसलिए अधिकारियों को उम्मीद है कि योजना कामयाब होगी।
ये है योजना: तीन साल में मरम्मत करानी होगी, गारंटी मनी भी लेंगे
कास्त्रोपिगनानो में पहले चरण में 100 घर बेचने के लिए रखे गए हैं। नियमानुसार घर खरीदने वाले को तीन साल में घर की मरम्मत करानी होगी। मरम्मत नहीं की तो घर लौटना होगा। उसे 2000 यूरो (1,78,930 रु.) गारंटी के तौर पर जमा करने होंगे। मरम्मत पूरी होने के बाद यह रकम वापस कर दी जाएगी।
मोलिझे के अन्य गांव-शहर भी घर बेचने की योजना चला चुके हैं
मोलिझे क्षेत्र के कई गांव या शहर भी चाहते हैं कि पलायन करने वाले लोग यहां लौटें। इसलिए वे भी सस्ते घर बेचने की योजना चला चुके हैं। हालांकि, इनमें से किसी ने भी उतने सस्ते घर की पेशकश नहीं की, जितनी कास्त्रोपिगनानो ने की। इन गांवों, शहरों ने करीब 25 हजार यूरो (22,36,280 रु.) में घर बेचने की पेशकश की थी।
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18 killed due to excessive level of poisonous gas in China's coal mine December 05, 2020 at 04:00AM
Pak records over 3,000 Covid-19 cases for 3rd day December 04, 2020 at 11:59PM
बारिश और बर्फबारी पर काबू करेगा चीन, भारत से डेढ़ गुणा ज्यादा इलाके में होगा इस प्रोग्राम का दायरा December 04, 2020 at 11:08PM
चीन अब मौसम को भी तकनीक के जरिए काबू में करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने 2025 तक के लिए एक प्रोग्राम बनाया है। उसने प्रोग्राम का दायरा 50.5 लाख वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना बनाई है। यह भारत के क्षेत्रफल से डेढ़ गुणा ज्यादा है। चीन के स्टेट काउंसिल ने 2025 तक ऐसा करने की बात कही है। इससे यह बर्फबारी और बारिश जैसे मौसमी बदलावों पर काबू कर सकेगा।
चीन ने इस कवायद को एक्सपेरिमेंटल वेदर मोडिफिकेशन प्रोग्राम नाम दिया है। चीन का दावा है कि इससे प्राकृतिक आपदाओं से राहत मिलेगी और कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। ज्यादा तापमान वाले इलाके में टेम्परेचर कम करने, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराने की कोशिश होगी। ज्यादा बारिश और बर्फबारी को काबू करने के लिए भी काम किया जाएगा।
बारिश पर काबू करने की कोशिश करता रहा है चीन
चीन की ओर से मौसमी बदलावों पर काबू करने की यह पहली कोशिश नहीं है। 2008 के बीजिंग ओलंपिक्स के दौरान भी उसने ऐसा किया था। बारिश रोकने और आसमान साफ रखने के लिए क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया था। बीजिंग में होने वाली राजनीतिक बैठकों से पहले भी बारिश रोकने के लिए तकनीकों का इस्तेमाल करने की बात सामने आती रही है। चीन ने मौसम साफ रखने के लिए बीजिंग के आसपास की फैक्ट्रियां भी बंद कराईं।
वेदर मोडिफिकेशन पर चीन ने करीब 9 हजार करोड़ खर्च किए
चीन ने मौसम पर काबू पाने के अपने प्रोग्राम पर काफी इन्वेस्ट किया है। 2012 से 2017 के बीच उसने इस प्रोग्राम पर 1.34 बिलियन डॉलर (करीब 9889 करोड़ रु.) खर्च किए हैं। चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इन प्रोग्राम से चीन को जिनजियांग राज्य में ओले से होने वाले नुकसान को 70% तक कम करने में मदद मिली। यह राज्य चीन में खेती के लिहाज से अहम है। चीन और भारत के बीच लद्दाख में तनाव है। अपने वेदर मोडिफिकेशन प्रोग्राम से यह लद्दाख में ठंड कम करने की कोशिश भी कर सकता है।
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