Tuesday, April 7, 2020
सबसे पहले फ्रांस की एक छोटी सी रिसर्च ने बताया था कि कोरोना में मदद करती है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, लेकिन डॉक्टर इसे प्रभावी दवा नहीं मानते April 07, 2020 at 09:20AM
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पिछले कुछ दिनों से एंटी मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के लिए बेताब दिख रहे हैं। इसके लिए उन्होंने भारत से पहले यह दवा देने की गुहार लगाई और फिर न मिलने पर जवाबी कार्रवाई की धमकी तक दे डाली। ट्रम्प का दावा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोनावायरस के इलाज के लिए बेहतर दवा है। उन्होंने ट्वीट भी किया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को एजिथ्रोमाइसिन एंटीबॉयोटिक के साथ लेना बड़ा गेम-चेंजर हो सकता है। दरअसल, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से इलाज होने की बात सबसे पहले फ्रांस में हुए एक छोटे से अध्ययन से आई थी। यह अध्ययन प्रकाशित होने से पहले ही दुनियाभर में छा गया। जिसके बाद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को संभावित इलाज के रूप में देखा जाने लगा।
ट्रम्प के इस दावे को दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट ने गलत ठहराया है। अमेरिका के शीर्ष इंफेक्शियस डिसीज एडवाइजर डॉ. एंथनी फौसी ने भी कहा है कि इस दवा के कोई सकारात्मक परिणाम नहीं सामने आए हैं। इसके बावजूद ट्रम्प ने अपना दावा बार-बार दोहराया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं एक स्मार्ट व्यक्ति हूं और मैं बहुत राइट (सही) होता हूं।’’ पिछले हफ्ते फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को आपातकाल में उपयोग करने वाली दवा घोषित किया है। न्यूयार्क के अधिकारियों ने बताया है कि करीब 4 हजार संक्रमित लोगों का इलाज इसी ड्रग से हो रहा है। भारत में भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को छोड़कर बाकी मरीजों को डॉक्टरों की पूरी निगरानी में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन का काम्बिनेशन देने के लिए कहा है।
फ्रांस में 40 मरीजों पर हुई थी रिसर्च
मार्च की शुरुआत में फ्रांस के मार्सेयिल्स में वैज्ञानिकों ने एक कोरोनावायरस के 40 मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर एक रिसर्च की थी। इस रिसर्च को फ्रांस के डॉक्टर और माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डिडिएर राउल्ट इस अध्ययन के प्रमुख थे। इसमें आधे से ज्यादा मरीजों ने बताया था कि दवा लेने के तीन से छह दिनों के अंदर उन्हें आराम महसूस हुआ। इसके बाद डिडिएर राउल्ट ने हाइडॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोनावायरस के इलाज के लिए कारगर बताया था। इस अध्ययन को इंटरनेशनल एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स (आईजेएए) जर्नल में पब्लिश होना था, लेकिन पब्लिश होने से पहले ही यह अध्ययन अमेरिकी फाक्स न्यूज में टकर कार्लसन के ‘टुनाइट’ शो में दिखागई। न्यूज में कहा गया है कि कोरोनावायरस का 100 प्रतिशत इलाज खोज लिया गया है। यह खबर आग की तरह वायरल हो गई। इसके बाद ही ट्रम्प ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के सकारात्मक परिणाम मिलने का दावा किया था।
फ्रांस में इसके बाद एक और रिसर्च हुआ जो बहुत भयावह था
फ्रांस में इस रिसर्च के बाद एक और रिसर्च हो जो इससे भी कम लोगों पर किया गया था। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस और सेंट लूईस हॉस्पिटल ने किया। फ्रांस के प्रशिद्ध् रसायनज्ञ डेरेक ओवे ने साइंस ट्रांसलेसन मैग्जीन में इस शोध के बारे में लिखा है। डेरेक ने लिखा कि दूसरा अध्ययन 11 मरीजों पर किया गया था। उनकी उम्र 58 साल के करीब थी। इनमें से आठ में दूसरी बीमारियों भी थीं। दो मोटापे, पांच कैंसर और एक को एचआईवी था। इनको हाइड्रॉक्सीक्लोक्वीन (600 एमजी) और एजिथ्रोमाइसिन (500 एमजी) मिलाकर दी गई। नतीजे में एक मरीज की मौत हो गई और दो को आईसीयू में भर्ती कराया गया। एक को हृदय की अनियमितता की वजह से उपचार रोकना पड़ा। बाकी बचे लोग दवा खिलाने के बाद भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
हेल्थ एक्सपर्ट ने भी चेताया, इलाज का ठोस सुबूत नहीं
इस अध्ययन पर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चेताया है कि यह अध्ययन बहुत ही छोटे स्तर पर हुआ है और इससे कोरोनावायरस के इलाज का कोई ठोस सुबूत भी नहीं मिलता है। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस दवा के इस्तेमाल पर चेतावनी भी जारी की है। स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरन ने कहा कि किसी को भी बिना डॉक्टरों की सलाह और सख्त चिकित्सा देखरेख के हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने कहा है कि इन निष्कर्षों के बावजूद, किसी बीमारी में किसी भी दवा का इस्तेमाल बिना फुल क्लीनिकल ट्रायल करना गलत है। यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोनावायरस के इलाज में मददगार हो सकती है या नहीं। अभी कोरोनावायरस के मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नहीं लेना चाहिए।
इस वजह से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से इलाज की आस
रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में फार्मेसी डिपार्टमेंट असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित वर्मा ने बताया कि हाइडॉक्सीक्लोरोक्वीन वीक बेस दवा होती है। अभी तक जो कुछ पता चला है उसके मुताबिक कोरोनावायरस सेल्स (कोशिकाओं) में एंडोजोम्स के जरिए प्रवेश करता है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन सेल्स के एंडोजोम्स के पीएच लेवल को बढ़ा देता है। मलतबल एसिटिक एंडोजोम्स को क्षारीय में बदल देता है। इससे वायरस का रिएक्शन सेल्स में नहीं हो पाता है। इस तरह से ही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोनावायरस से बचाती है। हालांकि, इसका कोई ठोस सुबूत नहीं है।
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के बारे में जानिए
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को उसके ब्रांड नेम प्लाक्वेनिल के नाम से भी बेचा जाता है। यह मलेरिया की दवा है। यह क्लोरोक्वीन का कम पॉवर का वर्जन है। यह भी एक मलेरिया की दवा है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को अर्थराइटिस और लूपस बीमारी के इलाज में भी इस्तेमाल में लाया जाता है। लूपस बीमारी से त्वचा पर सूजन आ जाती है। इससे जोड़ों, त्वचा, गुर्दों, रक्त कोशिकाओं, दिमाग, दिल और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है।
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वुहान में 76 दिन बाद लोगों ने खुली हवा में सांस ली, पहले ही दिन कई लोगों ने शहर छोड़ा April 07, 2020 at 06:40PM
वुहान. दुनिया में कोरोना वायरस के एपिसेंटर रहे चीन के वुहान से बुधवार को कुछ शर्तों के साथ 76 दिन बाद लॉकडाउन हटा लिया गया। इससे लोगों ने राहत की सांस ली और लोग बाजार और सड़कों पर नजर आए। वहीं, इस नहीं सुबह का पूरे शहर ने बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया। शहर की बिल्डिंग को लाइटिंग से सजाया गया। कुछ बिल्डिंग पर लॉकडाउन की देर रात 12 बजे के पहले उल्टी गिनती शुरू की गई। वहीं, हजारों की तादाद में लोगों ने वुहान को छोड़ा भी। ट्रैवल से प्रतिबंध हटने के बाद हजारों की संख्या में सड़क, हवाई और रेल मार्ग से वुहान से बाहर जाते देखे गए।
सरकारी मीडिया ने बुधवार सुबह शहर के कई फुटेज जारी किए। लॉकडाउन खत्म होने के बाद बड़ी संख्या में लोग कार लेकर वुहान के बाहरी इलाके के लिए निकले। चीन के नेशनल रेल सर्विस ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि 55 हजार लोग बुधवार को वुहान से निकलेंगे। बताया जा रहा है कि शहर के अंदर अभी भी कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए बेहद सख्त पाबंदियां लगी हुई हैं। अधिकारी अभी भी लोगों से कह रहे हैं कि अगर बहुत जरूरी हों तभी घरों से निकलें। वुहान में अभी स्कूल बंद हैं। हालांकि, कंपनियां अपने कर्मचारियों को काम पर बुला रही हैं।
अपने कर्मचारियों को काम पर बुला रही हैं।
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भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार की कोरोना से मौत, प्रधानमंत्री मोदी ने निधन पर शोक प्रकट किया April 07, 2020 at 06:19PM
अमेरिका में न्यूयॉर्क कोरोना का एपिसेंटर बन चुके हैं। यहां कोरोना से संक्रमित भारतीय मूल के पत्रकार ब्रह्म कंचीबोटला (66) की मौत हो गई। उनके बेटे सुदामा कंचीबोटला ने बताया कि ब्रह्म पिछले नौ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। कंचीबोटलामें पहली बार 23 मार्च को कोरोना के लक्षण नजर आए थे। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें 28 मार्च को लॉन्ग आइलैंड के एकअस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें ऑक्सीजन मास्क दिया गया। 31 मार्च से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। 6 अप्रैल की सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया। ब्रह़म अपने पीछे अपने बेटे सुदामा, पत्नी अंजना और बेटी सिअुजाना को छोड़ गए हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कंचीबोटला के निधन पर शोक प्रकट किया।
अमेरिका में अब तक 12 हजार 841 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां चार लाख लोग संक्रमित हैं। इनमें 4,758 मौतें अकेले न्यूयॉर्क राज्य में हो चुकी हैं। न्यूयॉर्क सिटी में शवों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं बची है। अधिकारी शवों को सार्वजनिक जगहों पर अस्थायी तौर पर दफनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। जब स्थिति बेहतर होगी तो शवों को परिवार वालों की इच्छा के मुताबिक सही जगह दफनाएंगे।
ब्रह्म कंचीबोटला के निधन से दुखी हूं: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ भारतीय अमेरिकी पत्रकार ब्रह्म कंचीबोटला के निधन से दुखी हूं। उन्हें भारत और अमेरिका को करीब लाने की उनकी कोशिशों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार के सदस्यों केप्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।’’
अंतिम संस्कार को लेकर परिवार संशय में
कंचीबोटला के बेटे ने कहा ‘‘कोरोना को लेकर न्यूयॉर्क में कई पाबंदियां लगाई गई हैं। ऐसे में यह पता नहीं है कि उनका अंतिम संस्कार कब होगा। हमने अभी तक इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की है। इसमें काफी कम लोग शामिल हो सकेंगे। सरकार ने अंतिम संस्कार में सिर्फ 10 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी है।’’
कंचीबोटला पिछले 28 साल से अमेरिका में थे
कंचीबोटला पिछले 28 साल से अमेरिका में रह रहे थे। भारत के कई मीडिया संस्थानों में सेवा देने के बाद वे 1992 में अमेरिका गए थे। उन्होंने मर्जर मार्केट्स नामक फाइनेंनशियल पब्लिकेशन में 11 साल तक सेवाएं दी। इसके साथ ही न्यूज इंडिया टाइम्स साप्ताहिक अखबार में भी काम किया था। वे फिलहाल न्यूज एजेंसी यूएनआई के संवाददाता के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे।
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ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन केंद्रित बताया, फंडिंग रोकने की धमकी दी April 07, 2020 at 05:30PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को व्हाइट हाउस में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का फंड रोकने की धमकी दी। कोरोनवायरस महामारी के बीच उन्होंने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ चीन का बहुत बड़ा हिमायती है। जबकि वह रुपया हमसे लेता है। डब्ल्यूएचओ ने मेरे द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंध की आलोचना की और उस पर असहमती जताई। वे बहुत सारी चीजों के बारे में गलत थे। इस कारण वह डब्ल्यूएचओ पर खर्च होने वाली राशि को रोकने जा रहे हैं।
हालांकि एक मिनट बाद ही वह अपने बयान से मुकर गए। ट्रम्प ने मार्च में भी डब्ल्यूएचओ पर कोरोनोवायरस संकट को लेकर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि संगठन का रवैया पक्षपात पूर्ण हैं। इससे कई लोग अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं।'
डब्ल्यूएचओ ने हमने प्रतिबंध की सिफारिस नहीं की
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने जिनेवा में कोरोनवायरस पर डब्ल्यूएचओ की इरमजेंसी बैठक में 23 जनवरी को कहा था कि संगठन ने यात्रा और व्यापार पर किसी तरह के व्यापक प्रतिबंध की सिफारिश नहीं की, लेकिन उन्होंने हवाई अड्डों पर यात्रियों स्क्रीनिंग की सिफारिश जरूर की थी। तब चीन में मात्र 600 केस सामने आए थे और 17 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद कोरोनावायरस अमेरिका, जापान, साउथ कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड और साऊदी अरब में फैला था। हालांकि 2 फरवरी को यूनाइटेड स्टेट्स ने चीन से आने वालों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया और चीन से आए अमेरिकी नागरिकों के लिए 14 दिनों तक क्वरैंटाइन अनिवार्य कर दिया।
अमेरिका में कोरोना से 12 हजार से ज्यादा की मौत
दुनियाभर में कोरोनावायरस से अब तक 82 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। 14 लाख लोग संक्रमित हैं। 3 लाख 2 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अमेरिका में 24 घंटे में लगभग दो हजार लोगों ने दम तोड़ा है। यहां अब तक 12 हजार 841 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी और कनेक्टिकट में एक दिन में 1,024 लोगों की जान गई है।
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14 लाख संक्रमित और 82 हजार जान गई: अमेरिका में 24 घंटे में दो हजार लोगों ने दम तोड़ा, मौतों का आंकड़ा 12 हजार के पार April 07, 2020 at 04:55PM
दुनियाभर में कोरोनावायरस से अब तक 82 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। 14 लाख लोग संक्रमित हैं, जबकि तीन लाख दो हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक,अमेरिका में 24 घंटे में लगभग दो हजार लोगों ने दमतोड़ा। यहां अब तक 12 हजार 841 लोगों की मौत हो चुकी है। वहींन्यूयॉर्क, न्यूजर्सी और कनेक्टिकट में एक दिन में 1,024 लोगों की जान गई है। चीन में कोरोना का एपिसेंटर रहे वुहान से बुधवार को 76 दिनों का लॉकडाउन खत्म हो रहा है।
अमेरिका: 12 हजार से ज्यादा मौतें
अमेरिका में अब तक 12 हजार 841 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां चार लाख लोग संक्रमित हैं। बीबीसी के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को और पहले ही महामारी को लेकर चेतावनी जारी करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका संगठन की फंडिंग पर रोक लगाएगा।डब्ल्यूएचओ केवल चीन केंद्रित है। हालांकि, थोड़ी देर के बाद ही कहा कि मैं ये नहीं करूंगा। वहीं, ट्रम्प ने कहा कि ब्रिटेन ने हमसे 200 वेंटिलेटर्स मांगे हैं। हमारे पास अभी 8,675 वेंटिलेटर है और आगले कुछ दिनों में एक लाख दस हजार होंगे। इनमें से कुछ विदेशों में भी भेजे जाएंगे।
- अमेरिका के मौजूदा नेवी चीफ थॉमस मोडली ने इस्तीफा दे दिया है। आरोप था कि उन्होंने नेवी अधिकारी पर कार्रवाई की थी, जो महामारी से जूझ रहेअपने क्रू के सदस्यों की मदद की गुहार लगाई थी।
- न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क के गवर्नर गैविन क्यूमो ने मंगलवार को कहा कहा कि सोमवार से अब तक राज्य में 731 लोगों की मौत हुई है, जबकि 10 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए हैं। मरने वाले हर एक संख्या के पीछे एक व्यक्ति है, एक परिवार है, एक मां है, एक पिता है, एक बहन है, एक भाई है। न्यूयॉर्क के लोग बेहद दुखी हैं।
- न्यूयॉर्क में अब तक पांच हजार 489 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक लाख 42 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। देश का एपिसेंटर बना न्यूयॉर्क सिटी में संक्रमण के 76 हजार 876 मामले हैं। वहीं, 3,544 मौतें हुई हैं।
- न्यूजर्सी के गवर्नर फिलीप मर्फी ने कहा- यहां एक दिन में 232 लोगों की जान गई है। रविवार और सोमवार को मौतों का आंकड़ा डबल डिजिट में रहा। वहीं, राज्य में पार्कों और जंगलों को बंद कर दिया गया है।
- कनेक्टिकट के गवर्नर नेड लैमॉन्ट ने कहा कि यहां भी सोमवार से मंगलवार तक सबसे ज्यादा 71 लोगों की मौत हुई। इन तीनों राज्यों में एक दिन में 1,034 लोगों की जा गई। पहली बार इस क्षेत्र में एक दिन में मौतों का आंकड़ा एक हजार के पार गया है।
ब्रिटेन: बोरिस जॉनसन की स्थिति बेहतर
लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल में भर्ती प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की हालत स्थिर है। उनका कामकाज देख रहे विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब ने कहा है कि जॉनसन का इलाज बेहतरीन डॉक्टर्स की निगरानी में किया जा रहा है। वे अभी भी आईसीयू में हैं, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि जॉनसन जल्द ही ठीक हो जाएंगे। ब्रिटेन में एक दिन में 786 लोगों की जान गई है, जबकि 3,634 लोग संक्रमित हुए हैं। वहीं, कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएसएस) के नाइटिंगेल अस्पताल में पहला मरीज भर्ती हुआ। इस अस्पताल में चार बजार आईसीयू है।
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मरने वाले लोगों की संख्या 11 हजार पार, न्यूयॉर्क में कब्रिस्तानों में जगह नहीं; खौफ ऐसा कि लोग टीवी-सोशल मीडिया से भी बच रहे April 07, 2020 at 02:16PM
अमेरिका में कोरोनावायरस से अब तक 11 हजार मौतें हो चुकी हैं। इनमें 4,758 मौतें अकेले न्यूयॉर्क राज्य में हो चुकी हैं। यहां के न्यूयॉर्क सिटी में शवों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं बची है। अधिकारी शवों को सार्वजनिक जगहों पर अस्थायी तौर पर दफनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। जब स्थिति बेहतर होगी तो शवों को परिवार वालों की इच्छा के मुताबिक सही जगह दफनाएंगे। दूसरी तरफ, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका में खराब स्थिति का ठीकरा अब डब्ल्यूएचओ के सिर पर फोड़ा है। ट्रम्प ने ट्वीट किया, ‘असल में डब्ल्यूएचओ ने झटका दिया है। किसी भी वजह से, हम इस संस्था को सबसे अधिक पैसा देते हैं। पर इसका रवैया चीन केंद्रित रहा है। सौभाग्य से मैंने चीन की सीमा को खुला रखने की डब्ल्यूएचओ की सलाह को दरकिनार कर दिया। आखिर उन्होंंने इतनी दोषपूर्ण सिफारिश क्यों की? हम इसकी अच्छे से समीक्षा करेंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति ट्रम्प ने रक्षा विभाग के इंस्पेक्टर जनरल ग्लेन फाइन को हटा दिया है। फाइन कोरोनावायरस से निपटने के लिए बनी विशेष समिति के प्रमुख थे। इस समिति को 2 लाख करोड़ डॉलर का बजट दिया गया था।
40 साल से कम लोगों के टेस्ट नहीं, उन्हें क्वारेंटाइन की सलाह दी जा रही; न्यूयॉर्क-न्यूजर्सी में भारतीय संक्रमित
न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी में बड़ी संख्या में भारतीय संक्रमित हैं। कई की मौत हो चुकी है। हालांकि इनकी सटीक संख्या नहीं पता है। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन के पूर्व अध्यक्ष सहित कई लोग आईसीयू में हैं। ‘सेवा इंटरनेशनल’ ने बताया कि ह्यूस्टन के आईटी पेशेवर रोहन बावडेकर की मदद के लिए 1.5 करोड़ रु. जुटाए हैं। रोहन वेंटिलेटर पर हैं। उनकी पत्नी और तीन बच्चे भी संक्रमित हैं। न्यूयॉर्क के एक स्कूल में फोटोग्राफी पढ़ाने वाली स्पंदिता मलिक कहती हैं कि यहां हर कोई डरा हुआ है। लोग डिप्रेशन में हैं। टीवी और सोशल मीडिया भी देखना बंद कर दिया है। मेरी एक रूममेट वुहान से है। वह परिवार के लिए टेंशन में रहती है, उसे देखकर हम और डिप्रेशन में आ जाते हैं।’ वहीं आईटी प्रोफेशनल अर्पित वर्मा बताते हैं कि न्यूयॉर्क में संक्रमित बताए जा रहे लोगों की असल संख्या कहीं ज्यादा हैं। हर किसी का टेस्ट नहीं किया जा रहा। केवल उन लोगों का हो रहा है जो 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं, जिन्हें कैंसर, लिवर, किडनी या ऐसी कोई बीमारी है, छींक और बुखार है और गले में दर्द भी है, उसकी ट्रेवल हिस्ट्री है या वे ऐसे किसी व्यक्ति से 20 मिनट तक मिला है। तभी टेस्ट किया जा रहा है। अगर कोई भी 911 पर डायल करके कोरोना के लक्षण बताता है तो उसे क्वारैंटाइनहोने की सलाह दी जा रही है। वे बताते हैं कि सड़क पर चलते हुए अगर मैं किसी जॉगर को देख लेता हूं तो सड़क पार कर रास्ता बदल लेता हूं। लोगों को लगने लगा है कि वे किसी के पास से भी गुजर गए तो उन्हें कोरोना हो जाएगा।’
न्यूयॉर्क सिटी में 3 महीने का किराया सरकार दे रही है
आईटी प्रोफेशनल अर्पित बताते हैं कि न्यूयॉर्क सिटी में मकान मालिक किराएदार को नहीं निकाल सकता। 3 महीने का किराया सरकार देगी। इसके अलावा सालाना एक लाख डॉलर (करीब 75 लाख रु.) कमाने वाले को सरकार 1200 डॉलर (90 हजार रु.), शादीशुदा लोगों को 1.8 लाख रु. और अगर एक बच्चा है तो अतिरिक्त 35 हजार खाते में दे रही है। बेघर मजदूरों के खाते में 3000 डॉलर (2.26 लाख रु.) दिए गए हैं।
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स्पैनिश फ्लू और स्वाइन फ्लू के तीन दौर सामने आए थे, पहले दौर में सबसे कम और दूसरे में सबसे ज्यादा मौतें हुईं; कोरोना अभी पहले दौर में ही है April 07, 2020 at 02:16PM
बीते 100 सालमें दुनिया ने दो बड़ी महामारियांस्पैनिश फ्लू और स्वाइन फ्लू देखी हैं। कोरोनावायरस संक्रमण को भी इतनी ही बड़ी महामारी माना जा रहा है। लेकिन, अगर बीती दोनों महामारियों से इसकी तुलना करें, तो कोरानावायरस अभी अपने आरंभिक चरण में दिखता है। स्पैनिश फ्लू और स्वाइन फ्लू एक ही साल में तीन चरणों में फैले। इनका पहला चरण सबसे कम घातक था,लेकिन दूसरा चरण सबसे जानलेवा रहा। तीसरा चरण पहले के मुकाबले घातक, लेकिन दूसरे से कमजाेर रहा। अगर यही ट्रेंड काेरोना मेंभी रहा,तो वर्तमान चरण सबसे कम घातक है।
स्पैनिश फ्लू :स्पैनिश फ्लू ने 5 से 10 करोड़ लोगों की जान ली थी। पहले दौर के बाद तीन महीने तक बहुत कम मामले सामने आए, लेकिन फिर अचानक इनमें तेजी आ गई।
स्वाइन फ्लू:1.25 करोड़ लोग इससे संक्रमित हुए। करीब 2 लाख लोगों की माैत हुई। पहले और दूसरे दौर में करीब 3 महीने का अंतर रहा और तीसरा दौर दूसरे के 2 महीने बाद आया।
कोरोना: चीन में नवंबर में शुरू हुआ। चार महीने में पूरी दुनिया में फैल गया। अमेरका और यूरोप के सबसे प्रभावित देश इटली में अब मामले कुछ कम हाेने शुरू हुए हैं।
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74% सीएफओ बोले- भविष्य में इसे स्थाई रूप से लागू करेंगे, नई भर्तियां भी इसी आधार पर की जाएंगी April 07, 2020 at 02:16PM
कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में कंपनियों की कार्यशैली में उम्मीद से ज्यादा बदलाव नजर आ रहा है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन जैसीकंपनियां ‘वर्क फ्रॉम होम’ को तरजीह दे रही हैं। गार्टनर के ताजा सर्वे के मुताबिक 74% सीएफओ मानते हैं कि बिना ऑफिस आए काम करने का नुस्खा उम्मीद से कहीं बेहतर परिणाम दे रहा है। वे यह व्यवस्था स्थाई रूप से लागू करना चाहते हैं, ताकि ऑफिस का खर्च कम किया जासके।
इतना ही नहीं, 81% सीएफओ ने तो यहां तक कह दिया है कि वे भविष्य में वर्क फ्रॉम होम के लिए ही कर्मचारियों की भर्ती करेंगे। इसके लिए नियुक्ति की शर्तों में लचीला रुख अपनाने की बात भी उन्होंने कही है।
वर्क फ्रॉम होम को लेकर20% सीएफओ का मानना है कि घर से काम करने सेउनकी बिल्डिंग कास्ट और ट्रैवल एक्सपेंस में काफी बचत होगी। हालांकि, 71% सीएफओ का यह भी मानना है कि इससे कारोबार की निरंतरता और उत्पादकता दोनों प्रभावित हो सकती है।
वर्चुअल दफ्तर की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकताहै कोरोनाकाल
सर्वे में शामिल 317 सीएफओमें से अधिकांश ने माना कि कोरोना संक्रमणकाल की यह स्थिति वर्चुअल दफ्तर की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। वहीं, कई कंपनियां लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी स्थाई रूप से वर्क फ्रॉम होम की संभावनाएं तलाश रही हैं। एपल, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन जैसी बड़ी कंपनियां अमेरिका में अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम करवा रही हैं। ट्विटर और गूगल ने तो दुनियाभर के अपने सेंटरमें अगले आदेश तक इसी व्यवस्था में काम करते रहने का निर्देश जारी किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने सोमवार को सिएटल और सैन फ्रांसिस्को के बाद पूरे अमेरिका में घर से ही काम करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
शोधकर्ता बोले- वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति से नई धारणा स्थापित होगी
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम का फायदा बताते हुए ट्वीट किया। इसमें शोधकर्ताओं ने अपनी उस रिसर्च का हवाला दिया, जिसमें 2018 में घर से काम करने के दौरान बिजली, ईंधन की कम खपत से पर्यावरण को होने वाले फायदे गिनाए गए थे। शोधकर्ताओं ने कहा- वर्क फ्रॉम होम की कार्यसंस्कृति से सबक लेने और नई धारणा स्थापित करने की जरूरत है।
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China's virus pandemic epicenter Wuhan ends 76-day lockdown April 07, 2020 at 06:59AM
50 prisoners contract coronavirus in Pakistan jails April 07, 2020 at 05:53AM
पहली बार 24 घंटे में संक्रमण से नहीं हुई किसी की मौत, कल वुहान का लॉकडाउन भी खत्म होगा April 07, 2020 at 01:42AM
जिस चीन से कोरोनावायरस की शुरुआत हुई, वहां पर संक्रमण लगभग पूरी तरह खत्म हो गया। चीन में पिछले 24 घंटे में संक्रमण की वजह से एक की भी मौत नहीं हुई। यहां जनवरी से संक्रमण फैलना शुरू हुआ था। तब से लेकर यह पहला मौका है जब किसी की जान नहीं गई। इसके साथ ही कल यानि आठ अप्रैल को वुहान से भी लॉकडाउन हटा लिया जाएगा। चीन में केवल वुहान ही बचा है जहां पर लॉकडाउन अभी तक लगा है। वुहान में पिछले 14 दिनों में संक्रमण के कुल दो मामले ही सामने आए हैं। यहां 23 जनवरी से लॉकडाउन लगा हुआ था।
चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने कहा कि सोमवार को देश में कुल 32 नए मामले सामने आए, जिसमें से सभी विदेशों से आए थे। चीन में जनवरी से कोरोनावायरस का प्रकोप शुरू हुआ था। फरवरी में संक्रमण अपने चरम पर था और मार्च से ही इसमें कमी आने लगी थी। अप्रैल आते ही संक्रमण लगभग पूरी तरह थम गया। हालांकि, यहां विदेशों से आए संक्रमितों की वजह से दूसरी बार कोरोनावायरस के खतरे की आशंका पैदा हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक अभी तक संक्रमण के एक हजार मामले विदेशों से आए हैं। हालांकि, विदेश से लौटने वालों में अधिकतर चीनी नागरिक ही हैं जो संक्रमित पाए गए हैं।
एसिम्टोमैटिक मरीजों पर रख रहे नजर
चीन के अधिकारी बाहर से आने वाले मामलों और एसिम्टोमैटिक मरीजों पर ज्यादा नजर रख रहे हैं। यहां सोमवार को 30 एसिम्टोमैटिक के नए मामले सामने आए। एसिम्टोमैटिक का मतलब ऐसे लोग जो कोरोना पॉजिटिव थे, लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिख रहे थे। अभी तक देश में ऐसे 1,033 मामले सामने आ चुके हैं। यह मामले दुनियाभर में पाए गए एसिम्टोमैटिक मामलों का एक तिहाई है। चीन में अब बाहर से आने वाले सभी नागरिकों का वायरस टेस्ट किया जा रहा है। चीन में अब तक संक्रमण के 81,740 मामले सामने आए हैं और यहां 3331 लोगों की मौत हो चुकी है।
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British PM Boris Johnson fights virus in intensive care as global deaths soar April 07, 2020 at 01:03AM
भारतवंशी का विवादित पोस्ट, कोरोना से संक्रमित का थूक सुसाइड बॉम्बर से 100 गुना ज्यादा खतरनाक, मुश्किलें बढ़ी नौकरी भी जा सकती है April 06, 2020 at 10:46PM
कोरोनावायरस महामारी के बीच सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों को सोशल मीडिया पर जिहादी बताए जाने के बाद भारतीय मूल के फाइनेंशियल कंपनी के मैनेजर मितेश उदेशी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। संयुक्त अरब अमीरात में वायरलविवादित पोस्ट में एक इन्फोग्राफिक इमेज का इस्तेमाल किया गया है। इसमेंमितेश नेकोराेनावायरस से संक्रमित व्यक्ति कोथूकने वालाजिहादी बताया है।
इमेज में नीचे दिखायाहै कि डेटोनेटर बांधने वाले सुसाइड बाॅम्बर से सिर्फ 20 लोगों की मौत होती। जबकि कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति के थूकने से फैलने वाले वायरस से 2 हजार लोगों की जान जाएगी। मितेश ने इसे, ‘जिहाद वहीं सोच नई’ बताया है।’’पोस्ट केवायरल होने परलोगों ने इसे इस्लामोफोबिक बताया औरभावनाएं आहत करने के लिए मितेश की गिरफ्तारी के साथ नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की।
मामले की जांच कर हैं
गल्फ न्यूज के मुताबिक, यह पोस्ट भारतीय पुलिसकर्मियों पर कुछ संक्रमित लोगोंद्वारा थूक कर कोरोना फैलाने के दावे को आधार बनाकर की गई थी। मितेश को नौकरी देने वालीकंपनी नेआरोपों की जांच शुरू करते हुए कहा किहमारी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है, जांच के बाद उसे नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा।
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