Tuesday, April 14, 2020
Death toll soars after NYC counts 'probable' fatalities April 14, 2020 at 06:08PM
Barack Obama endorses Joe Biden for president to 'heal' America April 14, 2020 at 05:30PM
कोरोना से बचना है तो चेहरे को छूना बंद करें, दुनियाभर में 1.25 लाख मौतों के बाद भी लोग अब भी हर घंटे 23 बार फेस टच कर रहे April 14, 2020 at 08:53AM
टारा पार्कर पोप. कोरोनावायरस से पूरी दुनिया में अब तक 1.20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 20 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। इस महामारी के संक्रमण से बचने के लिए सीडीसी (सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल) और डबल्यूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) पहले दिन से ही लोगों को हर दो घंटे में हाथ धुलने और बेवजह नाक, आंख, कान को छूने से मना कर रहे हैं। लेकिन हैरीनी की बात है कि लोग अभी भी आदतन हर घंटे में 23 बार अपने चेहरे के विभिन्न अंगों (आंख, कान, नाक, गाल, माथा, ठुड्डी) को छू रहे हैं। इस बात का खुलासा अमेरिका की डॉ. नैन्सी सी. एल्डर, डॉ. विलियम पी. सॉयर और ऑस्ट्रेलिया की डॉ. मैक्लाव्स ने अपने अध्ययन के आधार पर किया है। तीनों ही डॉक्टर फेस टचिंग पर स्टडी कर रही हैं। इन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष बातचीत में बताया कि कोरोना से बचना है तो लोगों को बेवजह चेहरे छूने की आदत को छोड़ना होगा।
1- आंख, कान और नाक को छूना गंदी आदत है, आसानी से नहीं छूटेगी
पोर्टलैंड स्थित ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी में फेमिली मेडिसन की प्रोफेसर डॉ. नैन्सी सी एल्डर कहती हैं कि आंख, कान और नाक को छूना लोगों की गंदी आदत है। आंखों को मलना, नाक खुजाना, गाल और ठुड्डी पर उंगलियां फेरना यह सामान्य है। डॉ. नैन्सी ने अपने क्लीनिक स्टाफ के 79 लोगों को टॉस्क देकर एक कमरे में दो घंटे के लिए छोड़ दिया। निगरानी में यह पाया गया कि सभी ने 1 घंटे के भीतर ही अपने चेहरे के विभिन्न अंगोंे को 19 बार टच किया। नैन्सी के अनुसार कोरोना वायरस से हमारे श्वसन प्रणाली (रेस्पिरेट्री सिस्टम) में आंख, कान और नाक के माध्यम से ही प्रवेश करता है, इसलिए लोगों को चेहरे छूने की आदत को त्यागना ही होगा।
2- लोग पब्लिक प्लेस पर भी ध्यान नहीं देते और चेहरे को छूते रहते हैं
ओहियो के शेरोनविले में फेमिली फिजीसियन और Henrythehand.com के संस्थापक डॉ. विलियम पी. सायर लोगों को हाथ सैनेटाइज करने और बेवजह चेहरे के ‘टी जोन’ (माथा, आंख, नाक और ठुड्डी) न छूने के प्रति जागरूक कार्यक्रम चलाते हैं। उनके कार्यक्रम में बड़े से लेकर बच्चे शामिल होते हैं। वे कहते हैं, ‘हर कोई अपने चेहरे को छूता है और इसे छोड़ना एक कठिन आदत है। मैं ऑब्जर्व करता हूं कि लोग इस कोरोना जैसी महामारी में भी पब्लिक प्लेस जैसे लिफ्ट, बस, ट्रेन, मेट्रो, कैब आदि जगहों पर भी अपने चेहरे के टी जोन को बेवजह छूते रहते हैं। यदि आप अपने चेहरे के श्लेष्म झिल्ली (म्यूकस मेम्ब्रेन) को कभी नहीं छूते हैं, तो आपकी सांस के संक्रमण या फिर इससे संबंधित बीमारी से ग्रसित होने की संभावना कम रहती है।’
3- कई लोग तो एक मिनट में ही 12 बार चेहरे को छू लेते हैं
सिडनी स्थित साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में महामारी और संक्रमण विषय की प्रोफेसर और 2015 में ‘फेस टचिंग’ नामक विषय पर स्टडी रिपोर्ट तैयार करने वाली डॉ. मैरी-लुईस मैक्लाव्स कहती हैं कि ‘मेरी रिपोर्ट कोरोना के इस दौर में प्रासंगिक हो गई है। मैंने यह रिपोर्ट अपने 26 स्टूडेंट्स के आधार पर बनाई थी, जिसमें हर एक घंटे के दौरान लोग औसतन 23 बार अपने चेहरे को स्पर्श करते हैं। मैं कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में दुनिया के कई हिस्सों में जाती रहती हूं। अक्सर देखती हूं कि लोग एक मिनट के भीतर ही दर्जन बार अपनी आंख, नाक, कान और माथे को बेपरवाह तरीके से स्पर्श कर लते हैं। आंखें रगड़ना, नाक खुजलाना, ठुड्डी के बल टेक लगाना यह बहुत कॉमन आदत है, लेकिन इसे कोरोना जैसी महामारी के चलते त्यागना ही होगा।’
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37 देशों के 11 करोड़ 70 लाख बच्चों को टीकाकरण की जरूरत, 24 देशों में वैक्सीनेशन लगभग बंद April 14, 2020 at 05:04PM
कोरोनावायरस महामारी के बीच दुनिया के37 देशों के 11 करोड़ 70 लाख बच्चे टीकाकरण से वंचित हैं। इन्हें जीवन रक्षक खसरे से बचावका टीका लगना है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते यह कार्य लगातार प्रभावित हो रहा है। ये बच्चे दुनिया के कई ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां खसरे और रूबेला का प्रकोप अब भी है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को कहा कि 24 देशों में टीकाकरण का काम लगभग बंद है। 13 देशों में भी यह कार्यक्रम प्रभावित हुआ है।
खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों से निपटने के लिए काम करने वाली वैश्विक संस्था ‘मीजल्स एंड रूबेला इनिशिएटिव’ (एम एंड आरआई) ने संयुक्त बयान में कहा है कि कोरोनावायरस की महामारी के दौरान टीकाकरण के कार्यक्रम को जारी रखना जरूरी है। एम एंड आरआई के मुताबिक, जिन क्षेत्रों में कोरोना का खतरा अभी बहुत ज्यादा है, वहां इसके काम को कुछ दिनों के लिए रोका जा सकता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाए।
5 साल तक के बच्चों में खसरा का खतरा ज्यादा
खसरा भी वायरस से होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। इसलिए इसके लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम को अधिक समय के लिए टाला नहीं जा सकता है। खसरे के टीके की शुरुआत 1963 में हुई। पहले यह महामारी लगभग हर 2-3 साल में होती थी। खसरा से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे 5 साल से कम उम्र के होते हैं। औसतन 2करोड़ 60 लाखबच्चे इस बीमारी की चपेट में आते हैं। साल 2018 में खसरा की वजह से 1 लाख 40 हजार बच्चों की मौत हुई थी।
210 देशाें में कोरोना का आतंक
दुनिया के 210 देशों में कोरोनावायरस का संक्रमण है। अब तक 19 लाख 88 हजार 770 लोग इसकी चपेट में हैं। एक लाख 26 हजार की मौत हो चुकी है। राहत की बात ये कि इसी दौरान चार लाख 66 हजार 948 संक्रमित स्वस्थ भी हुए।
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अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकी, ट्रम्प ने कहा- संगठन ने कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया April 14, 2020 at 05:03PM
अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की फंडिंग पर रोक लगा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को इसका ऐलान किया। ट्रम्प नेकहा कि डब्लूएचओ ने चीन में फैले कोविड-19 (कोरोनावायरस) की गंभीरता को छिपाया। अगर संगठन ने बुनियादी स्तर पर काम किया होता तो यह महामारी पूरी दुनिया नहीं फैलती और मरने वालों की संख्या काफी कम होती।
ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह अपने प्रशासन को फंडिंग रोकने का आदेश दे रहे हैं।डब्लूएचओ ने इस महामारी को लेकर पारदर्शिता नहीं रखी। यूएन की इस संस्था को सबसे ज्यादा फंड देने वाला अमेरिका अब इस पर विचार करेगा कि उस पैसे का क्या किया जाए। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका हर साल डब्लूएचओ को 400-500 मिलियन डॉलर(करीब 3 हजार करोड़ रुपए) फंड देता है,जबकि चीन का योगदान 40 मिलियन डॉलर(करीब 300 करोड़ रुपए) है। हाल में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोसगेब्रेसस ने कहा था कि कोविड-19 के मामले में राजनीतिक रंग देने से केवल मौत के आंकड़े ही बढ़ेंगे।
ट्रम्प का आरोप- डब्लूएचओ मे अपना फर्ज नहीं निभाया
- ट्रम्प ने कहा कि कोरोना को लेकर डब्लूएचओ अपना फर्ज निभाने में नाकाम रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन में जब यह वायरस फैला तो यूएन संस्था ने उसे छिपाने का प्रयास किया और इसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इससे पहले भी ट्रम्प ने डब्लूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था।
- उन्होंने कहा, ‘‘चीन के वुहान शहर में जब कोरोना वायरस के मामले सामने आए तो डब्लूएचओ उसका आकलन करने में असफल रहा। क्या डब्लूएचओ ने मेडिकल एक्सपर्ट के जरिए चीन के जमीनी हालात का आकलन किया। इस महामारीकोवुहान में हीसीमितकिया जा सकता था और काफी कम जानें जातीं।’’ उन्होंने कहा कि हजारों जानें बच जातीं और विश्व की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान नहीं पहुंचता।
यूएन चीफ ने कहा- यह फैसला सही नहीं है
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ट्रम्प के फैसले को सही नहीं बताया।उन्होंनेकहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन या अन्य मानवीय संगठन की फंडिंग कम करने का यह वक्त उचित नहीं है। मेरा मानना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए डब्लूएचओ कोसपोर्ट देना चाहिए।
अमेरिका: 24 घंटे में 2,407 मौतें
- अमेरिका में 24 घंटे में दो हजार 407 लोगों की जान गई है। इसके साथ ही देश में मौतों का आंकड़ा 26 हजार 47 हो गया है। वहीं, संक्रमण के 26 हजार 945 नए मामले सामने आए हैं। यहां संक्रमितों की संख्या छह लाख 13 हजार 886 हो गई है।
- दुनियाभर में कोरोनावायरस से अब तक 19 लाख 97 हजार 906 लोग संक्रमित हो चुके हैं। एक लाख 26 हजार 604की मौत हो चुकी है।
ट्रम्प ने जनवरी में चीन की तारीफ की थी
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अब तक एक लाख 26 हजार मौतें: ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोकी, कहा- संगठन की गलती के कारण दुनियाभर में ज्यादा जान गई April 14, 2020 at 04:14PM
दुनियाभर में कोरोनावायरस से अब तक 19 लाख 97 हजार 906 लोग संक्रमित हो चुके हैं। एक लाख 26 हजार 604की मौत हो चुकी है। राहत की बात ये कि इसी दौरान चार लाख 78 हजार 557 मरीज स्वस्थ भी हुए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की फंडिंग रोकने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि अगर संगठन ने बुनियादी स्तर पर काम किया होता तो दुनियाभर में कम जान जाती।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 6 लाख 13 हजार 886 | 26 हजार 047 | 38 हजार 820 |
स्पेन | 1 लाख 74 हजार 060 | 18 हजार 255 | 67 हजार 504 |
इटली | 1 लाख 62 हजार 488 | 21 हजार 067 | 37 हजार 130 |
फ्रांस | 1 लाख 43 हजार 303 | 15 हजार 729 | 28 हजार 805 |
जर्मनी | 1 लाख 31 हजार 359 | 3 हजार 294 | 68 हजार 200 |
ब्रिटेन | 93 हजार 873 | 12 हजार 107 | उपलब्ध नहीं |
चीन | 82 हजार 249 | 3 हजार 341 | 77 हजार 738 |
ईरान | 74 हजार 877 | 4 हजार 663 | 48 हजार 129 |
तुर्की | 65 हजार 111 | 1 हजार 403 | 4 हजार 789 |
बेल्जियम | 31 हजार 119 | 4 हजार 157 | 6 हजार 858 |
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अमेरिका: 24 घंटे में 2,407 मौतें
अमेरिका में 24 घंटे में दो हजार 407 लोगों की जान गई है। इसके साथ ही देश में मौतों का आंकड़ा 26 हजार 47 हो गया है। वहीं, संक्रमण के 26 हजार 945 नए मामले सामने आए हैं। यहां संक्रमितों की संख्या छह लाख 13 हजार 886 हो गई है।अमेरिका की नौसेना ने कहा- उसके शिप मर्सी अस्पताल के पांच सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। नौसेना ने बताया कि इन लोगों के संपर्क में आने वले लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। सेना ने कहा, “इसके कारण शिप पर होने वाले मरीजों के इलाज पर असर नहीं पड़ेगा।”
ट्रम्प की मीडिया ब्रीफिंग
ट्रम्प ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में कहा, ‘‘आज मैं अपने प्रशासन को डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोकने का निर्देश दे रहा हूं। कोरोना को लेकर डब्ल्यूएचओ की भूमिका की समीक्षा की जाएगी। अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सालाना चार से पांच हजार डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करता है।’’
- उन्होंने संगठन पर कोरोना को लेकर गलत प्रबंधन करने और प्रसार को छुपाने का भी आरोप लगया। उन्होंने कहा- डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से चीन परस्त है। कोरोना को लेकर उन्होंने हमेशा चीन का साथ दिया है।
- उन्होंने कहा- क्या डब्ल्यूएचओ ने चीन में वास्तविक स्थिति का आंकलन करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को भेजा। क्या चीन की पारदर्शिता की कमी को दूर करने के लिए अपना काम किया था? इसका प्रकोप बहुत कम होता और निश्चित रूप से मौतें कम होती। हजारों लोगों की मौत और वैश्विक अर्थव्यस्था को होने वाली क्षति को टाला जा सकता था।
ब्राजील: रियो डी जनेरिया के गवर्नर कोरोना पॉजिटिव
ब्राजील के रियो डी जनेरिया प्रांत के गवर्नर विल्सन विजेल कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वे अब वह सेल्फ आइसोलेशन में काम करेंगे। विल्सन ने मंगलवार को ट्वीट किया, “शुक्रवार को कमजोरी महसूस होने पर मैंने कोरोना टेस्ट के लिए कहा। आज जांच के नतीजे आ गए हैं और यह पॉजिटिव है।”
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बुखार, सुखी खांसी और थकान जैसे बीमारी के कई लक्षण हैं। लेकिन, अब मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं और डॉक्टरों के परामर्श का पालन करते हुए सेल्फ आइसोलेशन में रहकर काम करूंगा।” उन्होंने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लोगों से घरों में रहने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे एहतियात का पालन करने की अपील की है।
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आईएमएफ ने कहा- दुनिया में 90 साल पुरानी महामंदी के बाद सबसे बड़ी गिरावट संभव; भारत की विकास दर सबसे तेज रह सकती है April 14, 2020 at 02:47PM
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आशंका जताई है कि काेराेना के चलते इस साल दुनिया की अर्थव्यवस्था में 90 साल पुरानी महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट आ सकती है। हालांकि, आईएमएफ ने यह उम्मीद भी जताई है किबड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सिर्फ भारत व चीन ही भयंकर मंदी से बचे रहेंगे।
आईएमएफ ने2020-21 में भारत की विकास दर 1.9% रहने का अनुमान लगाया गयाहै। ऐसा हुआ ताे यह भारत की 1991 के बाद सबसे कम विकास दर हाेगी।रिपोर्ट में यह उम्मीद भी जताई गई है कि जून के बाद कोरोना के केस घटे, तोअगले साल अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा और वैश्विक विकास दर 5.8% पर पहुंचेगी। तब भारत की विकास दर 7.4% तक जाएगी।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा
आईएमएफ औरवर्ल्ड बैंक के ग्रीष्मकालीन सम्मेलन के पहले दिन मंगलवार कोजारी वर्ल्ड इकाेनाॅमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, 1.9% की विकास दर के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वहीं, चीन की विकास दर 1.2% रहने का अनुमान है।
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कोरोना को हराने वाले अमेरिका के पूर्व मरीन कॉर्प्स बोले- डॉक्टर कहते थे कि शायद जिंदा नहीं बचूंगा, ठीक हुआ तो स्टाफ ने तालियां बजाकर विदा किया April 14, 2020 at 02:31PM
अमेरिका के पूर्व मरीन कॉर्प्स 54 साल के डेविड विलियम्स ने 18 दिन में कोरोना को हरा दिया है। अस्पताल में 18 दिन तक भर्ती रहने के दौरानवे 8 दिन वेंटिलेटर पर रहे। उनकी हालत देखकर,एक वक्त तो डॉक्टर ने भी कह दिया था कि शायद अब वे जिंदा नहीं लौट पाएंगे।लेकिन, डेविडकोरोना से जंग जीत गए। ठीक होने के बादजब उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया, तो स्टाफ भावुक हो गया। सभी ने उन्हेंतालियां बजाते हुए विदा किया।
डेविड बताते हैं, "16 मार्च को मुझे अचानक तेज ठंड लगी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझेबर्फीले पानी में डाल दिया हो। यह हड्डियां गलाने वाला अनुभव था।मैंने खुद को तुरंत घर के पिछले कमरे में क्वारैंटाइन कर लिया। इसके बाद मुझे बुखार, खांसी और सिरदर्द होने लगा। मैं स्वाद भी नहीं पहचान पा रहा था और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी।"
परिवार से किसी को आने की इजातत नहीं थी
जब डेविड अस्पताल पहुंचे, तो उनका फ्लूटेस्ट हुआ, जोनिगेटिव आया। इसके बाद,19 मार्च को कोरोना टेस्ट हुआ। 22 मार्च को नतीजे पॉजिटिव निकले। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर वेंटिलेटर लगाया गया। डॉक्टर भी ठीक होने को लेकर शंकित थे।डेविड ने कहा- 26 मार्च को जब मेरी तबियत ज्यादा बिगड़ी, तो वेंटिलेटर लगा दिया गया। गले में ट्यूब डाली गई, ताकि हवा फेफड़ों तक पहुंच सके। मैं चिंतित और बिल्कुल अकेला था। सख्त ‘नो विजिट पॉलिसी’ की वजह से पत्नी और तीन बच्चे साथ नहीं थे।’
अस्पताल का स्टाफ मिरेकल पेशेंट कहताहै
डेविड कहते हैं-8 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद आंख खुली, तो अप्रैल शुरू हो चुका था। मैं बच गया था। बिना मशीन के सांस भी ले पा रहा हूं। अस्पताल में गुजारे 18 दिन में से 8 दिन वेंटिलेटर पर रहा। जब डिस्चार्ज हुआ, तो पूरा स्टाफ भावुक हो गया। उन्होंने मुझे तालियां बजाकर विदा किया। अब वे मुझे मिरेकल पेशेंट कहने लगे हैं।
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लॉकडाउन के बीच मुफ्त पढ़ाई का मौका, ढाई लाख रुपए तक फीस वाले 67 ऑनलाइन कोर्स फ्री किए गए April 14, 2020 at 02:31PM
काेराेना के चलते दुनियाभर मेंलाॅकडाउन है। स्कूल, काॅलेज, उच्च शिक्षण संस्थान बंद हैं। ऐसे में दुनिया की शीर्ष हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने बड़ा कदम उठाया है। यूनिवर्सिटी ने दुनियाभर के विद्यार्थियाें के लिए 67 ऑनलाइन काेर्स फ्री कर दिए हैं। विद्यार्थी घर बैठे इन काेर्स में दाखिला ले सकते हैं और इनमें विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। इन विभिन्न काेर्सों की अवधि एक से 12 हफ्ते है। इनमें से कई काेर्स ऐसे हैं, जिनकी आम दिनाें में फीस 2000 से ढाई लाख रुपए तक हाेती है।
ये हैं विषय, विशेष योग्यता जरूरी नहीं
हार्वर्ड के इन काेर्स के लिए किसी विशेष याेग्यता का काेई पैमाना नहीं रखा गया है। आपको बस अपना पसंदीदा या विशेषज्ञता वाला विषय चुनना है।
ये विषय हैं: प्रोग्रामिंग, मानविकी, सोशल साइंस, डेटा साइंस, कंप्यूटर विज्ञान, आर्ट एंड डिजाइन, एजुकेशनल एंड टीचिंग, हेल्थ एंड मेडिसिन, गणित, विज्ञान और बिजनेस।
कई काेर्स राेजमर्रा के जीवन से जुड़े
- मेकेनिकल वेंटिलेशन फाॅर काेविड-19
- एंटरप्रैन्याेरशिप इन इमर्जिंग इकाॅनोमी
- हिंदुइज्म थ्रू इट्स स्क्रिप्चर्स
- बैक पेन:फाइंडिंग साॅल्यूशनंस फाॅर याेर एिकंग बैक
- कंट्राेलिंग याेर ब्लड प्रेशर
- शेक्सपीयर्स मर्चेंट ऑफवेनिस : शीलाॅक
- शेक्सपीयर्स हेमलेट : द घाेस्ट
- ऑर्किटेक्चरल इमेजिनेशन
- इम्प्रूविंग ग्लोबल हेल्थ
ऐसे ले सकते हैं दाखिला
- आधिकारिक वेबसाइट online-learning.harvard.edu/ पर जाएं। पसंद का काेर्स चुनें। हर काेर्स के साथ संक्षिप्त विवरण, अवधि और शुरू होने की तारीख दी गई है।
- फॉर्म भरें। इसमें नाम, ईमेल आईडी, देश का नाम, यूजरनेम, पासवर्ड भरकर अकाउंट बनाना हाेगा।
- ईमेल पर आई लिंक काे एक्टिवेट करें। काेर्स से जुड़ी सामग्री और वीडियाे लाॅगइन पर आने लगेंगे ।
- आप काेर्स की विस्तृत जानकारी पा सकते हैं। टेक्स्ट और वीडियाे कंटेंट दाेनाें हैं। प्राेफेसर से डिस्कशन कर सकते हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी दुनिया की शीर्ष: अमेरिका स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी उच्च शिक्षण संस्थानों में विश्व में अग्रणी है। यहां पढ़ाई का सपना दुनिया के लाखों स्टूडेंट देखते हैं। यहां पढ़े कई छात्र अमेरिकी राष्ट्रपति बन चुके हैं। हर साल 4500 कोर्स में 21,000 से ज्यादा स्टूडेंट प्रवेश लेते हैं।
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कोरोना फैमिली से जुड़े चार शोध बताते हैं कि एक बार संक्रमण के बाद शरीर में इम्युनिटी पैदा हो जाती है, ऐसा कोविड-19 में भी संभव April 14, 2020 at 02:31PM
कोरोनावायरस कई तरह केवायरस का एक बड़ा परिवार है, जिसकी वजह से श्वसन तंत्रसे संबंधित बीमारियां होती हैं।जैसे- निमोनिया और साधारण सर्दी-जुकाम। हालांकि पिछले दो दशक में इसी परिवार के तीन वायरस इंसान पर काफी घातक साबित हुए। ये हैं- सार्स, मर्स और कोविड-19। कोविड-19 को छोड़कर इस परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति इंसान के इम्युनिटी सिस्टम को लेकर शोध हुए हैं, जिनसे पता चलता है कि कोरोना से एक बार संक्रमित होने के बाद इंसान इसके खिलाफ कुछ सालोंके लिए इम्युनिटी विकसित कर लेता है। इस आधार पर कुछ वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि ऐसा ही कोविड 19 के मामले में भी हो सकता है।
सार्स और मर्स के मरीजों में भी इनके प्रति इम्यूनिटी पैदा हो गई थी: स्टडी
1. हार्वर्ड हाॅस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 18 वॉलेंटियर्स को 1977 में कोराेनावायरस से संक्रमित किया। एक साल बाद फिर बतौर प्रयोग उन्हें वायरस से इन्फेक्ट दिया गया, पर इम्युन सिस्टम के कारण इनमें से किसी को भी फिर से समस्या नहीं हुई। एक साल बाद 12 वॉलेंटियर्स को कोरोनोवायरस का अलग इन्फेक्शन किया गया, लेकिन उनमें भी इसके प्रति आंशिक इम्युनिटी बरकरार रही।
2. 1990 में इपिडेमियोलॉजी एंड इन्फेक्शन मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया कि 15 वॉलेंटियर्स को कोरोना से संक्रमित किया गया। इनमें से 10 पर संक्रमण का असर हुआ। एक साल बाद इसमें से 14 को फिर इनफेक्टेड किया गया, इनमें संक्रमण का स्तर कमजोर था।
3. सार्स और मर्स को लेकर हुई स्टडी में सामने आया कि इससे संक्रमित लोगों के खून में 2-3 साल तक एंटीबॉडी मौजूद रहीं। इन स्टडी के आधार पर कहा जा रहा है कि कोविड-19 के मरीजों में भी एक बार संक्रमण के बाद इसके प्रति इम्युनिटी सिस्टम विकसित हो जाता है।यानी उन्हें फिर जल्द कोविड-19 से संक्रमित होने कीआशंका कम होगी।
4. हाल ही में नीदरलैंड में इरास्मस यूनिवर्सिटी की एक टीम ने स्टडी की है। इस अध्ययन से भी इस बात की पुष्टि होती है। इस अध्ययन के अनुसार कोविड-2 के 12 संक्रमितों में इसके प्रति एंटीबॉडी विकसित हो गई।
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'God is with us': Many Muslims in Pakistan flout the coronavirus ban in mosques April 13, 2020 at 10:19PM
Saudi Arabia races to contain Covid-19 epidemic in Islam’s holiest city April 13, 2020 at 09:41PM
USCIRF says 'troubled' by denial of food to Pakistani Hindus, Christians April 13, 2020 at 09:27PM
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग का दावा- पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों को खाद्य सामग्री भी नहीं दी जा रही April 13, 2020 at 09:32PM
पाकिस्तान में गैर इस्लामिक धर्मावलंबियों के साथ दुर्व्यहार और उन्हें प्रताड़ित करने के मामले पहले भी आते रहे हैं। सोमवार को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग(यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि कोरोना संकट के दौरान पाकिस्तान में गैर इस्लामिक लोगों को परेशान किया गया है।
आयोग की कमिश्नर अनुरीमा भार्गव ने कहा, ‘‘हिंदुओं और ईसाइयों को जरूरी खाद्य सामग्री भी नहीं दी जा रही है। ये समुदाय भूख से लड़ रहे हैं। पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों की मदद सुनिश्चित करे। किसी व्यक्ति के धार्मिक विश्वास के चलते उसे भूखा रखा जाए यह निंदनीय है।’’
अल्पसंख्यकों को न छोड़े पाकिस्तान
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय वैसे भी आबादी का बहुत छोटा हिस्सा है। वह भी बड़े पैमाने पर भेदभाव का शिकार है। कई बार उसे बुनियादी मानवाधिकारों से भी उसे वंचित रखा जाता है। यूएससीआईआरएफ ने कराची से मिली रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वहां सेलानी वेलफेयर इंटरनेशनल ट्रस्ट नाम का गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने हिंदुओं और ईसाइयों को खाद्य सहायता देने से यह कहते हुुए इन्कार कर दिया कि वह सिर्फ मुस्लिमों के लिए आरक्षित है।
अल्पसंख्यकों को न छोड़े पाकिस्तान
यूएससीआईआरएफ के कमिश्नर जॉनी मूर ने कहा, ‘‘हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संबोधित किया था। इसमें कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के दौरान विकासशील देशों की सरकारों के सामने भूखे लोगों को मरने से बचाने को सबसे बड़ी चुनौती माना गया था। यह समस्या कई देशों के सामने हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए तो यह एक मौके की तरह है। उन्हें अपने अल्पसंख्यक समुदाय को साथ लेकर चलना चाहिए। वे उन्हें संकट की घड़ी में दरकिनार नहीं सकते हैं। यदि वे अपने अल्पसंख्यकों को छोड़ देते हैं तो धार्मिक भेदभाव बढ़ जाएगा और लोगों के बीच सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हो जाएंगे।
पाकिस्तान में पिछले साल अल्पसंख्यकों को खूब उत्पीड़न हुआ
यूएससीआईआरएफ ने 2019 की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाईयों को धमकियां दी गईं। वे असुरक्षित महसूस करते हैं। प्रशासनिक स्तर पर कई जगहों पर उनका उत्पीड़न हुआ। उन्हें अक्सर सामाजिक बहिष्कार का भी डर बना रहा। यूएससीआईआरएफ ने अपनी 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं और उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार के विभिन्न रूपों के अधीन हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की ऐसी स्थिति को लेकर कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर उसकी आलोचना भी हुई। पाकिस्तान में कोरोनावायरस 5,537 मामले हैं, जबकि यहां मरने वालों की संख्या 96 है।
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कोरोनावायरस पहले 90 दिन ठंडे मौसम वाले देशों में ज्यादा फैला, पिछले 12 दिन से गर्म देशों में इसकी रफ्तार दोगुना; भारत में 4 और ब्राजील में 6 दिन में मामले डबल हो रहे April 13, 2020 at 08:43PM
रिसर्च डेस्क.दुनियाभर में चर्चा थी कि गर्मी बढ़ते ही कोरोना का असर कुछ कम हो सकता है। लेकिन यह दिख नहीं रहा है। कोरोनावायरस पहले 90 दिन तक सबसे ज्यादा ठंडे मौसम वाले देशों में फैला। यहींसबसे ज्यादा मौतें भी हुईं। लेकिन पिछले 12 दिन से इसके ट्रेंड में थोड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कोरोना ठंडे देशों के साथ अब गर्म जलवायु वाले देशों में भी दोगुना तेजी से फैल रहा है। लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व एशिया जहां गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और औसत तापमान 20 डिग्री से लेकर 40 डिग्री तक बना हुआ है। इसके बावजूद यहां कुछ देशों में कोरोना के केस ढाई दिन, चार दिन और सात दिन में ही दोगुना हो जा रहे हैं।भारत में एक अप्रैल से 12 अप्रैल तक औसततापमान 32 डिग्री रहा है, यहां इन 12 दिनों में 7800 से ज्यादा केस बढ़े हैं। इसी तरहब्राजील में एक से 12 अप्रैलतक औसत तापमान 26 डिग्री रहा है, यहां 12 दिनों में 16 हजार से ज्यादा केस बढ़े हैं।
- लैटिन अमेरिका;
कोरोनावायरस से ब्राजील में सबसे ज्यादा 21 हजार 42 केस और मौतें एक हजार 144हुई हैं
लैटिन अमेरिकी देशों में अब कोरोनवायरस काफी तेजी के साथ फैल रहा है। यहां सबसे ज्यादा 21,042 कोरोना केस ब्राजील में आए हैं। सबसे ज्यादा 1144 मौतें भी यहीं हुई हैं। यहां हर छह दिन में दोगुना केस बढ़ रहे हैं। दूसरे नंबर पर इक्वाडोर है, यहां अब तक 7257 केस आए हैं। 315 मौतें हुई हैं। यहां हर पांच दिन बाद दोगुना केस बढ़ रहे हैं। लैटिन अमेरिकी ज्यादातर देशों में अभी दिन का तापमान अधिकतम 33 डिग्री और रात में 23 डिग्री दर्ज किया जा रहा है।
- अफ्रीका;
दक्षिण अफ्रीका में सबसे ज्यादा दो हजार 28 केस आए हैं, सबसे ज्यादा मौतें 275 मौतें अल्जीरिया में हुई हैं
अफ्रीका महाद्वीप के ज्यादातर देशों में अप्रैल के पहले दो हफ्तों में तापमान 17 डिग्री से लेकर 45 डिग्री तक दर्ज किया गया है। दुनिया के अन्य महाद्वीपों की तुलना में अफ्रीका महाद्वीप में अब तक सबसे कम कोरोनावायरस के केस आए हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में यहां भी कोरोना मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। यहां सबसे ज्यादा 2028 केस दक्षिण अफ्रीका में आए हैं। सबसे ज्यादा मौतें 275 मौतें अल्जीरिया में हुई हैं। नाइजर में सबसे ज्यादा तेजी से केस बढ़ रहे हैं। यहां तीन दिन बाद कोरोना केस दोगुना हो जा रहे हैं। मिस्र में 8 दिन बाद कोरोना केसों की संख्या दोगुनी हो रही है।
- दक्षिण-पूर्व और दक्षिण पश्चिम एशिया;
इजरायल में कोरोना के सबसे ज्यादा 10 हजार 878 मामले, सबसे ज्यादा 373 मौतें इंडोनेशिया में हुईं
दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों में अन्य एशियाई देशों की तुलना में गर्मी ज्यादा पड़ती है। इन देशों में अभी अप्रैल में 20 से लेकर 41 डिग्री तक तापमान है। यहा कोरोना के सबसे ज्यादा 10,878 केस इजरायल में आए हैं। जबकि सबसे ज्यादा 373 मौतें इंडोनेशिया में हुई हैं। कोरोना मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा तेजी से बांग्लादेश और भारत में बढ़ रही है। बांग्लादेश में करीब हर दो दिन बाद कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी बढ़ रही है, जबकि भारत में करीब चार दिन बाद कोरोना केस दोगुने बढ़ रहे हैं।
मिथक:
चीनी रिसर्च में कहा गया- कोरोनावायरस गर्मी आते ही खत्म हो जाएगा
कोरोनावायरस जब चीन से शुरू हुआ और इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे ठंढेदेशों में पहुंचा तो लोग खुद-ब-खुद मानने लगे कि कोरोना गर्म जलवायु वाले देशों में कम फैलता है। सोशल मीडिया पर ऐसे संदेश भी बहुत शेयर किए गए। जबकि अब यह थ्योरी फेल हो चुकी है। चीन की बेइहांग और तसिंगहुआ यूनिवर्सिटी ने भी अपने रिसर्च में कहा था कि गर्मी में कोरोना का ट्रांसमिशन कम हो जाएगा। इसके अलावा कुछ और रिसर्च रिपोर्ट्स में इस तरह के दावे किए गए थे। इसके बाद भारत में भी कुछ लोग मानने लगे थे कि गर्मी में कोरोना खत्म हो जाएगा।
सच:
डब्ल्यूएचओ ने कहा- गर्मी कोरोनावायरस को खत्म नहीं कर पाएगी
डब्ल्यूएचओ ने पांच अप्रैल को अपने एक बयान में कहा कि गर्मी का मौसम भी कोरोनावायरस को खत्म नहीं कर पाएगा। एजेंसी ने कहा कि लोग इस तरह की अफवाह से बचें कि बढ़ते तापमान से कोरोना खत्म हो जाएगा। ज्यादा देर तक धूप में रहने और 25 डिग्री से ज्यादा तापमान कोविड-19 को फैलने से नहीं रोक सकते। चाहे कितनी भी तेज धूप हो या गर्म मौसम हो, कोरोना किसी को भी हो सकता है।'
ब्रिटिश वैज्ञानिक सारा जार्विस कहती हैं कि यह सब बकवास है कि गर्मी में कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा। 2002 के नवंबर में सार्स महामारी शुरू हुई थी, जो जुलाई में खत्म हो गई थी। लेकिन ये तापमान बदलने की वजह से हुआ या किसी और अन्य वजह से ये बताना मुश्किल है।'
नोट: सभी आंकड़े 12 अप्रैल तक के हैं।
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