कोरोनावायरस कई तरह केवायरस का एक बड़ा परिवार है, जिसकी वजह से श्वसन तंत्रसे संबंधित बीमारियां होती हैं।जैसे- निमोनिया और साधारण सर्दी-जुकाम। हालांकि पिछले दो दशक में इसी परिवार के तीन वायरस इंसान पर काफी घातक साबित हुए। ये हैं- सार्स, मर्स और कोविड-19। कोविड-19 को छोड़कर इस परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति इंसान के इम्युनिटी सिस्टम को लेकर शोध हुए हैं, जिनसे पता चलता है कि कोरोना से एक बार संक्रमित होने के बाद इंसान इसके खिलाफ कुछ सालोंके लिए इम्युनिटी विकसित कर लेता है। इस आधार पर कुछ वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि ऐसा ही कोविड 19 के मामले में भी हो सकता है।
सार्स और मर्स के मरीजों में भी इनके प्रति इम्यूनिटी पैदा हो गई थी: स्टडी
1. हार्वर्ड हाॅस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 18 वॉलेंटियर्स को 1977 में कोराेनावायरस से संक्रमित किया। एक साल बाद फिर बतौर प्रयोग उन्हें वायरस से इन्फेक्ट दिया गया, पर इम्युन सिस्टम के कारण इनमें से किसी को भी फिर से समस्या नहीं हुई। एक साल बाद 12 वॉलेंटियर्स को कोरोनोवायरस का अलग इन्फेक्शन किया गया, लेकिन उनमें भी इसके प्रति आंशिक इम्युनिटी बरकरार रही।
2. 1990 में इपिडेमियोलॉजी एंड इन्फेक्शन मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया कि 15 वॉलेंटियर्स को कोरोना से संक्रमित किया गया। इनमें से 10 पर संक्रमण का असर हुआ। एक साल बाद इसमें से 14 को फिर इनफेक्टेड किया गया, इनमें संक्रमण का स्तर कमजोर था।
3. सार्स और मर्स को लेकर हुई स्टडी में सामने आया कि इससे संक्रमित लोगों के खून में 2-3 साल तक एंटीबॉडी मौजूद रहीं। इन स्टडी के आधार पर कहा जा रहा है कि कोविड-19 के मरीजों में भी एक बार संक्रमण के बाद इसके प्रति इम्युनिटी सिस्टम विकसित हो जाता है।यानी उन्हें फिर जल्द कोविड-19 से संक्रमित होने कीआशंका कम होगी।
4. हाल ही में नीदरलैंड में इरास्मस यूनिवर्सिटी की एक टीम ने स्टडी की है। इस अध्ययन से भी इस बात की पुष्टि होती है। इस अध्ययन के अनुसार कोविड-2 के 12 संक्रमितों में इसके प्रति एंटीबॉडी विकसित हो गई।
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