Monday, August 10, 2020
पहली बार 15 अगस्त पर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवेयर पर फहराया जाएगा तिरंगा, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग भी इसके तीन रंगों से रोशन होगी August 10, 2020 at 06:18PM
भारत की आजादी के 73 साल बाद ऐसा पहली बार इस साल 15 अगस्त पर अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित टाइम्स स्क्वेयर पर भारत का तिरंगा फहराया जाएगा। इससे एक दिन पहले यहां की ऐतिहासिक विरासतों में शुमार एम्पायर स्टेट बिल्डिंग को भी तिरंगा के तीन रंगों, केसरिया, सफेद और हरे रंग की रोशनी से रोशन किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन दी फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन(एफआईए) करेगा। इस मौके पर गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर न्यूयॉर्क में भारत के कौंसुल जनरल रणधीर जायसवाल मौजूद रहेंगे।
एफआईए अमेरिका में रहने वाले भारतीय लोगों का सबसे पुराना और बड़ा एसोसिएशन है। इसे 1970 में शुरू किया गया था। एफआईए के मुताबिक, इस साल एसोसिएशन का गोल्डन जुबली इयर है। इसे यादगार बनाने के लिए यह कार्यक्रम करने का फैसला किया है।
इंडियन कॉन्सुलेट करेगा वर्चुअल प्रोग्राम
न्यूयॉर्क स्थित इंडियन कॉन्सुलेट में हर साल 15 अगस्त पर आजादी का जश्न मनाया जाता है। लेकिन इस बार महामारी को देखते हुए ऐसा नहीं करने का फैसला किया गया है। कॉन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया इस साल महामारी को देखते हुए 15 अगस्त पर वर्चुअल प्रोग्राम करेंगे। इसका लाइव प्रसारण किया जाएगा। इसमें अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को बुलाया जाएगा।
इस साल एफआईए नहीं निकाल सकेगा परेड
एफआईए की ओर से हर साल 15 अगस्त पर अमेरिका के मैनहट्टन में परेड निकाली जाती है। इसमें अमेरिका के कई राजनेताओं, सांसदों और भारतीय मूल के प्रमुख लोगों को बुलाया जाता है। इसमें हजारों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं। हालांकि, महामारी को देखते हुए एसोसिएशन ने इस साल परेड टाल दी है।
अमेरिका से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें:
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ब्राजील में 30 लाख से ज्यादा संक्रमित, देश में मौतों का आंकड़ा भी 1 लाख के पार हुआ; दुनिया में अब 2.24 करोड़ केस August 10, 2020 at 06:07PM
दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 2 करोड़ 24 लाख 7 हजार 575 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 31 लाख 10 हजार 934 मरीज ठीक हो चुके हैं। 7 लाख 38 हजार 701 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्राजील में 24 घंटे में 22 हजार 48 नए मामले सामने आए हैं और 703 मौतें हुई हैं। इसके साथ ही देश में अब संक्रमितों का आंकड़ा 30 लाख 57 हजार 470 हो गया है।
ब्राजील में मौतों का आंकड़ा 1 लाख 1 हजार 752 हो गया है। यहां शुरुआत के तीन महीने में 50 हजार मौतें हुईं थी, लेकिन सिर्फ 50 दिनों में ही मौतों का आंकड़ा डबल हो गया। इसके बावजूद देश में दुकानें और रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत दे दी गई है।
10 देश, जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश |
कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 52,51,446 | 1,66,192 | 27,15,934 |
ब्राजील | 30,57,470 | 1,01,857 | 21,63,812 |
भारत | 22,67,153 | 45,353 | 15,81,640 |
रूस | 8,92,654 | 15,001 | 6,96,681 |
साउथ अफ्रीका | 5,63,598 | 10,621 | 4,17,200 |
मैक्सिको | 4,85,836 | 53,003 | 3,27,993 |
पेरू | 4,78,024 | 21,072 | 3,24,020 |
कोलंबिया | 3,97,623 | 13,154 | 2,21,485 |
चिली | 3,75,044 | 10,139 | 3,47,342 |
स्पेन | 3,70,060 | 28,576 | उपलब्ध नहीं |
मैक्सिको: राजधानी मैक्सिको सिटी की मेयर क्वारैंटाइन हुए
मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी के मेयर क्लाउडिया शेनबॉम सोमवार को सेल्फ क्वारैंटाइन हो गए। उनके कुछ साथियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद प्रोटोकॉल के तहत उन्होंने ऐसा करने का फैसला किया। मैक्सिको सिटी की इंटीरियर मिनिस्टर जोस अल्फोंसे सूरेज डेल रियल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। यहां बीते 24 घंटे में 5558 नए मामले सामने आए हैं और 705 मौतें हुई हैं।
अमेरिका: संदिग्ध संक्रमितों के देश में आने पर रोक लग सकती है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प संदिग्ध संक्रमितों को देश में आने से रोक सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक ट्रम्प एक नया नियम लाने जा रहे हैं। इसके तहत ऐसे अमेरिकी नागरिक या परमानेंट रेसिडेंट जिनके कोरोना या दूसरी बीमारी से संक्रमित होने की आशंका होगी, उन्हें देश में आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। देश में संक्रमितों का आंकड़ा 50 लाख के पार हो गया है और 1.50 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं।
फ्रांस: पेरिस के कुछ हिस्सों में मास्क जरूरी
पेरिस के कुछ हिस्सों में सोमवार से सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम 11 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए लागू की गई है। नियम का पालन नहीं करने वालों पर 121 डॉलर (करीब 9 हजार रु.) का जुर्माना लगाया जाएगा। देश में जुलाई के बाद नए मामले बढ़े हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Donald Trump wants to host G-7 after election August 10, 2020 at 04:53PM
ट्रम्प अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, उसी वक्त बाहर संदिग्ध को गोली मारी गई; राष्ट्रपति को कुछ देर के लिए सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा August 10, 2020 at 04:44PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सोमवार को व्हाइट हाउस के बाहर एक संदिग्ध को गोली मारने की घटना से अफरा-तफरी मच गई। इसके बाद राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस गार्ड्स ने ट्रम्प को पोडियम से हटा लिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस रोकनी पड़ी और व्हाइट हाउस के लॉन में चारों तरफ सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया। पत्रकार अंदर ही कैद हो गए।
ट्रम्प ने कहा- सब ठीक है, सुरक्षा में सेंध नहीं
थोड़ी देर बाद ट्रम्प फिर आए और बताया कि व्हाइट हाउस के बाहर किसी को गोली मारी गई है। जिसे गोली लगी है, उसके पास हथियार थे। सीक्रेट सर्विस ने ट्वीट कर बताया कि उसके किसी संदिग्ध को गोली मारी गई है। उसे अस्पताल ले जाया गया है।
ट्रम्प का कहना है कि संदिग्ध की पहचान और मकसद पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि वह राष्ट्रपति आवास को नुकसान पहुंचाना चाहता था। घटना व्हाइट हाउस के बाहर हुई है। सुरक्षा में सेंध जैसी भी कोई बात सामने नहीं आई है। ट्रम्प ने सीक्रेट सर्विस की तारीफ करते हुए कहा कि मैं अपने आप को बहुत सुरक्षित महसूस करता हूं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
30% खिलाड़ियों ने कहा कि वे सोशल मीडिया पर ट्रोल हुईं, 53% ने माना कि उन्हें क्लब-गवर्निंग बाॅडी से फंड नहीं मिलता August 10, 2020 at 02:55PM
ब्रिटेन की एलीट महिला खिलाड़ियों ने कहा कि सोशल मीडिया पर उन्हें कई बार अभद्र टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। 30% खिलाड़ियों ने माना कि वे सोशल मीडिया पर ट्रोल हुईं। उन्हें सेक्सिज्म का शिकार होना पड़ा है। यह सब निष्कर्ष बीबीसी के महिला खिलाड़ियों पर हुए सर्वे में निकला है।
यह सर्वे 39 खेलों की 1068 खिलाड़ियों के बीच हुआ, जिसमें से 537 ने जवाब दिए। 160 खिलाड़ियों ने कहा कि वे कभी ना कभी ट्रोलिंग का शिकार हुई हैं। यह पिछले सर्वे की तुलना में तीन गुना ज्यादा है।
पुरुष खिलाड़ियों के समान सपोर्ट नहीं मिलता लेकिन 22% ने माना पुरुषों के बराबर 100% फंडिंग मिलती है
- 53.3% ने कहा कि उन्हें क्लब या गवर्निंग बाॅडी से फंड नहीं मिलता है। 21.9% ने कहा कि उन्हें 100 फीसदी फंडिंग होती है।
- 48.5% ने माना कि उन्हें गवर्निंग बाॅडी से पुरुषों के समान सपोर्ट नहीं मिलता। 45.3% ने कहा समान व्यवहार होता है।
- 84% को लगता है कि उन्हें प्रतिभा के अनुसार पर्याप्त भुगतान नहीं किया जाता और न ही उस हिसाब से प्राइज मनी दी जाती है।
- 36% महिलाओं ने कहा कि मां बनने के बाद कमबैक करने के लिए उन्हें क्लब या एसोसिएशन से सपोर्ट नहीं मिलेगा।
खिलाड़ियों ने मीडिया कवरेज पर सवाल उठाए
- 85% ने माना मीडिया महिला स्पोर्ट्स को प्रमोट नहीं करता।
- 93% ने कहा कि 5 साल में महिला स्पोर्ट्स के 5 कवरेज में सुधार नहीं हुआ है।
- 86% ने माना कि मीडिया पुरुष-महिला स्पोर्ट्स की अलग-अलग कवरेज रिपोर्ट करता है।
35% खिलाड़ी देरी से फैमिली स्टार्ट करती हैं
- 60% को लगता है कि पीरियड्स के कारण प्रदर्शन प्रभावित होता है। पीरियड्स के कारण उन्होंने प्रैक्टिस और टूर्नामेंट छोड़ दिए।
- 40% महिला खिलाड़ी कोच से पीरियड्स को लेकर चर्चा करने में कंफर्टेबल महसूस नहीं करतीं।
65% ने खेल में सेक्सिज्म अनुभव किया है लेकिन सिर्फ 10% ने रिपोर्ट किया
- 20% को खेल में रेसिज्म का सामना करना पड़ा जबकि 77% को कभी नहीं।
- 78% अपनी बॉडी इमेज को लेकर कॉन्शियस हैं, 20% काे ऐसा नहीं लगता।
- 21% को लगता है कि कोरोना के बाद उन्हें खेल छोड़ना पड़ सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
26 साल की तानाशाही को 37 साल की शिक्षिका ने दी चुनौती, बोलीं- चुनाव हारी हूं, हिम्मत नहीं; संघर्ष जारी रहेगा August 10, 2020 at 02:55PM
बेलारूस में 65 वर्षीय राष्ट्रपति लुकाशेंको छठी बार राष्ट्रपति चुनाव जीत गए। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार स्वेतलाना तिखानोव्सना को हरा दिया। राष्ट्रपति जब 1994 में पहली बार चुनाव में जीत कर सत्ता में आए तो स्वेतलाना 9 साल की थीं। अब 37 साल की स्वेतलाना ने लुकाशेंको की सत्ता को चुनौती दी।
नतीजों के बाद मीडिया से चर्चा में कहा कि लोगों का सड़कों पर उतरकर विरोध जताना, स्पष्ट संदेश है कि चुनाव में धांधली हुई है। मेरी रैलियों में उमड़ी भीड़ से तय था कि लोग बदलाव चाहते हैं। पर ऐसा होने नहीं दिया गया। स्वेतलना ने कहा कि भले ही चुनाव हार गई हूं, पर हिम्मत नहीं। तानाशाही के खिलाफ मेरा संघर्ष जारी रहेगा।
पति जेल में बंद हैं
स्वेतलाना ने जेल में बंद अपने पति के स्थान पर यह चुनाव लड़ा। उन्होंने विपक्ष की कई बड़ी रैलियों का नेतृत्व किया। इन रैलियों में ऐतिहासिक भीड़ उमड़ी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। विपक्ष ने पहले ही कहा था कि उसे वोटिंग में धांधली की आशंका है। स्वेतलाना एक शिक्षिका रह चुकी हैं।
वह सक्रिय राजनीति में आने से पहले होममेकर की तरह बच्चे को समय दे रही थीं। पति के गिरफ्तार होने और वोट के लिए पंजीकरण पर रोक के बाद, स्वेतलाना ने राजनीति में कदम रखा। वह शुरू से ही कहती रही हैं कि देश में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं। हमारे राष्ट्रपति को यह समझना होगा कि उनका समय खत्म हो गया है और अब उन्हें लोग पसंद नहीं करते हैं।
एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद से ही हिंसा शुरू हो गई थी
इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। बाकी शहरों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं। मिंस्क पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुन्न कर देने वाले हथगोलों का इस्तेमाल किया। इस कार्रवाई में कई लोग जख्मी हो गए। यह कहा जा रहा है कि रविवार के एग्जिट पोल के बाद, बेलारूस में विपक्ष की बीते कुछ साल की सबसे बड़ी रैली देखने को मिली।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
गरीबी, हिंसा, भेदभाव से बचने और सम्मान पाने की खातिर हिंदू इस्लाम कुबूल करने को मजबूर, कोरोना ने आर्थिक हालात खराब किए August 10, 2020 at 02:42PM
मारिया अबि-हबीब/जिया उर-रहमान. बीते साल भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के शहर कराची में एक विरोध रैली निकली थी। इस रैली में शामिल लोग देश में हिंदू लड़कियों के जबरन कराए जा रहे धर्म परिवर्तन का विरोध कर रहे थे। जून में भी सिंध प्रांत के बदीन जिले में दर्जनों हिंदू परिवारों ने इस्लाम धर्म को कुबूल कर लिया। इस समारोह का वीडियो क्लिप भी वायरल हुआ था। हालांकि, पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन का सटीक डाटा मौजूद नहीं है। यहां कुछ परिवर्तन मन से किए गए तो कुछ मजबूरी में।
भेदभाव से बचने के लिए बनना पड़ा मुसलमान
सेकंड क्लास सिटिजन माने जाने वाले पाकिस्तानी के हिंदुओं को हर चीज के लिए भेदभाव का सामना करना पड़ता है। फिर चाहे वो रहने के लिए घर, नौकरी या सरकारी सुविधा हों। अल्पसंख्यकों को लंबे वक्त से बहुसंख्यकों में जुड़ने, भेदभाव और सांप्रदायिक हिंसा से बचने के लिए तैयार किया जा रहा है।
मोहम्मद असलम शेख जून तक सावन भील के नाम से पहचाने जाते थे। उन्होंने कहा, "हम जो चाह रहे हैं वो सामाजिक हैसियत है, और कुछ नहीं। गरीब हिंदू समुदायों में ये परिवर्तन बेहद आम हैं।" असलम ने भी बदीन में परिवार के साथ इस्लाम को अपनाया। बदीन में हुआ यह आयोजन अपने आकार के लिए भी खास था। यहां 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। मुस्लिम धर्मगुरू और चैरिटी समूह अल्पसंख्यकों को फुसलाते हैं और नौकरी या जमीन देने की पेशकश करते हैं, लेकिन तभी जब वे धर्म बदलेंगे।
कोरोनावायरस में बढ़ा अल्पसंख्यकों पर दबाव
कोरोनावायरस महामारी के दौरान पाकिस्तान की इकोनॉमी की हालत खराब हो गई है और इसका दबाव देश के अल्पसंख्यकों पर पड़ा है। वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2020 में अर्थव्यवस्था 1.3 प्रतिशत कम हो जाएगी और पाकिस्तान की 7.4 करोड़ नौकरियों में से 1.8 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं।
अपने लोगों की मदद करने के लिए बहुत कम हिंदू बचे हैं
असलम और उनके परिवार को उन अमीर मुस्लिम या इस्लामिक चैरिटी से मदद मिलने की उम्मीद है, जो और लोगों को इस्लाम में लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। असलम का कहना है, "इसमें कुछ गलत नहीं है। सभी लोग अपने धर्म के लोगों की मदद करते हैं।" जैसा कि असलम इसे देखते हैं, पाकिस्तान के अमीर हिंदुओं के पास अपने धर्म के लोगों की मदद के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बहुत कम हिंदू बचे हैं।
1947 के बाद से लगातार कम हुई आबादी
- 1947 में आजादी के बाद अब पाकिस्तान में शामिल इलाकों में 20.5 फीसदी हिंदू आबादी थी। आने वाले दशकों में यह प्रतिशत तेजी से कम हुआ और 1998 में पाकिस्तान की आबादी में हिंदू केवल 1.6 फीसदी रह गए थे। कई लोगों ने अनुमान लगाया है कि यह संख्या बीते दो दशकों में और कम हुई है।
- हाल ही के दशकों में सिंध प्रांत से अल्पसंख्यकों को झुंड में दूसरे देशों में जाते देखा गया है। कई लोगों ने बहुत ही गंभीर भेदभाव और हिंसा का डर महसूस किया। पूर्व पाकिस्तानी लॉ मेकर और अब वॉशिंगटन में रिसर्च समूह रिलीजियस फ्रीडम इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ सदस्य फराहनाज इस्पहानी कहती हैं, "महामारी और कमजोर अर्थव्यवस्था के इस डरावने समय में अल्पसंख्यकों के साथ अमानवीय व्यवहार बढ़ा है। हम भूख, हिंसा को टालने या केवल जिंदा रहने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को इस्लाम में बदलते देख सकते हैं।"
- फराहनाज 2010 में सिंध प्रांत में आई भयंकर बाढ़ के समय को याद करती हैं। इस बाढ़ में हजारों लोग बेघर हो गए थे और बहुत थोड़ा ही खाने को नहीं बचा था। फराहनाज बताती हैं कि हिंदुओं को मुसलमानों के साथ सूप किचन में खाने की अनुमति नहीं थी और जब सरकार से मदद मिली तो हिंदुओं को अपने पाकिस्तानी साथियों से कम मदद मिली। क्या वे उनकी आत्मा और दिल को भी परिवर्तित कर रहे हैं? मुझे नहीं लगता।
- फराहनाज और कई लोग इस बात पर चिंता जताते हैं कि महामारी के कारण अर्थव्यवस्था की तबाही संप्रदायिक हिंसा को बढ़ा सकती है और इससे अल्पसंख्यकों पर धर्म बदलने का दबाव बढ़ेगा।
सरकारी अधिकारी नहीं मानते भेदभाव की बात
सिंध के मुख्यमंत्री के सलाहकार मुर्तजा वहाब उन सरकारी अधिकारियों में से एक हैं जो यह कहते हैं कि वे फराहनाज के हिंदुओं को कम मदद मिलने के आरोपों संबोधित नहीं कर सकते। वहाब ने कहा, "हिंदू समुदाय हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं और हमारा मानना है कि सभी धर्मों के लोगों को बिना किसी परेशानी के साथ रहना चाहिए।"
पाकिस्तान में महफूज महसूस नहीं करते धार्मिक अल्पसंख्यक
- मजबूरी में शादी और अपहरण के जरिए हिंदू लड़कियों और महिलाओं के जबरन धर्म बदलने का काम पूरे पाकिस्तान में हो रहा है। इसके अलावा हिंदू अधिकार समूह मन से हो रहे धर्म परिवर्तनों को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है यह परिवर्तन ऐसे आर्थिक दबावों के हो रहे हैं जो जबरन धर्म बदलने के ही बराबर हैं।
- पाकिस्तान के हिंदू लॉ मेकर लाल चंद महली का कहना है, "कुल मिलाकर पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस नहीं होता है। इनमें भी गरीब हिंदू सबसे बुरी हालत में हैं। वे इतने गरीब और अनपढ़ हैं कि मुस्लिम मस्जिदें, चैरिटीज और व्यापारी उनका शोषण आसानी से कर लेते हैं और उन्हें इस्लाम में परिवर्तन करने के लिए लुभाते हैं। इसमें बहुत पैसा शामिल है।"
- मोहम्मद नईम खान जैसे मौलवी ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं के धर्म परिवर्तन कराने के प्रयासों में सबसे आगे थे। (नईम खान 62 साल के थे और इंटरव्यू के दो हफ्ते बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी।) नईम कहते हैं कि उन्होंने बीते दो सालों में कराची स्थित अपने मदरसे जामिया बिनोरिया में 450 से ज्यादा धर्म परिवर्तन देखे हैं। धर्म बदलने वाले ज्यादातर लोग सिंध प्रांत के निम्न जाति के हिंदू थे।
- नईम बताते हैं कि "हम उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं। लोग हमारे पास आते हैं क्योंकि वे अपनी जाति के साथ जुड़े भेदभाव से बचना चाहते हैं और अपनी सामाजिक हैसियत को बदलना चाहते हैं।" उन्होंने बताया कि इसकी मांग इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने अपने मदरसे में एक अलग से विभाग बनाया था जो धर्म बदलने वाले नए लोगों को आर्थिक और कानून सलाह देते थे।
बंधुआ मजदूरी का शिकार होते हैं, निम्न जाति के पाकिस्तानी हिंदू
हाल ही में एक समारोह आयोजित हुआ, जहां सिंध स्थित मतली में लगे तंबुओं में अजान सुनाई दी। यह जमीन कराची के एक अमीर मुस्लिम व्यापारी समूह ने धर्म बदलने वाले दर्जनों हिंदू परिवारों के लिए खरीदी थी। टेंट के पास ही एक मस्जिद में मोहम्मद अली प्रार्थना से पहले रस्म अदा कर रहे थे। मोहम्मद अली का पहले नाम राजेश था। उन्होंने पिछले साल 205 अन्य लोगों के साथ धर्म बदल लिया था।
बीते साल मौलवी नईम ने अली के सामने बंधुआ मजदूरी से आजाद कराने की पेशकश के बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ इस्लाम में धर्म परिवर्तन कर लिया था। वे एक जगह उधारी नहीं चुकाए जाने के कारण नौकर के तौर पर काम कर रहे थे। अली भील जाति से आते हैं, जो निम्न हिंदुओं में से एक है। उन्होंने कहा, "इस्लाम में हमें एकता और भाईचारे का एहसास हुआ, इसलिए हम बदलकर यहां आ गए।"
निम्न जाति के पाकिस्तानी हिंदू कई बार बंधुआ मजदूरी के शिकार होते हैं। 1992 में इसे रद्द कर दिया गया था, लेकिन यह प्रथा अभी भी जारी है। ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स ने अनुमान लगाया है कि 30 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी उधारी के कारण गुलामी में रहते हैं।
गरीब हिंदुओं को ऐसा उधार दिया जाता है जो वे कभी चुका नहीं सकते
अधिकार समूह कहते हैं कि जमींदार हिंदुओं को ऐसा कर्ज देकर गुलामी में फंसाते है, जिसे वे जानते हैं कि यह कभी नहीं चुकाया जा सकता। इसके बाद उन्हें और उनके परिवार को उधारी चुकाने के लिए काम के लिए मजबूर किया जाता है। कई बार महिलाओं का यौन शोषण भी होता है।
नईम के मदरसे ने कई हिंदुओं को बंधुआ मजदूरी से आजाद कराया है। उन्होंने इस्लाम में शामिल होने के बदले उनका कर्ज खत्म किया। जब अली और उनके परिवार ने धर्म बदला तो नईम और अमीर मुस्लिम व्यापारी समूहों ने उन्हें जमीन का एक टुकड़ा दिया और काम खोजने में मदद की। उन्होंने इसे एक इस्लामी जिम्मेदारी समझी। नईम कहते थे "जो लोग इस संदेश को फैलाने और गैर मुस्लिमों को इस्लाम में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, उन्हें भविष्य में आशीर्वाद मिलेगा।"
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
संदिग्ध लाइसेंस वाले 262 पायलटों की जांच पूरी हुई, 193 पायलटों को नोटिस भेजा गया August 09, 2020 at 11:25PM
पाकिस्तान की सिविल एविएशन अथॉरिटी (पीसीएए) ने संदिग्ध लाइसेंस वाले 262 पायलटों की जांच की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इनमें 193 पायलटों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इससे पहले 28 पायलटों के लाइसेंस सस्पेंड भी किए जा चुके हैं। इन 262 पायलटों के उड़ान भरने पर भी रोक लगा दी गई थी।
140 पायलटों ने जवाब दिया
262 में से जिन 193 पायलटों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, उनमें 140 ने अपना जवाब सबमिट किया है। इस सभी पायलटों को जांच कमेटी के सामने उपस्थित भी होना पड़ेगा। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाकी पायलटों के नाम या रजिस्ट्रेशन नंबर में गलतियां थीं। इसलिए उन्हें नोटिस नहीं भेजा गया।
पीआईए के 40% पायलटों की लाइसेंस फर्जी: एविएशन मिनिस्टर
22 मई को कराची में हुए प्लेन क्रैश के बाद सरकार ने इसकी जांच रिपोर्ट संसद में पेश की थी। एविएशन मिनिस्टर गुलाम सरवर खान ने कहा था कि पीआईए के 40% पायलटों के लाइसेंस फर्जी हैं। पाकिस्तान में कुल 860 कमर्शियल पायलट हैं। एविएशन मिनिस्टर के मुताबिक, जिन पायलटों की जांच की जा रही है, उन सभी का रिक्रूटमेंट 2018 के पहले हुआ था। इसके लिए इमरान खान सरकार जिम्मेदार नहीं है, उसने तो इस धांधली को उजागर किया है।
कई देश पीआईए की फ्लाइट्स पर बैन लगा चुके
पाकिस्तान के 107 पायलट फॉरेन एयरलाइंस कंपनियों में काम करते हैं। फर्जी पायलटों के मुद्दे पर अमेरिका के साथ ही कुवैत, ईरान, मलेशिया, जॉर्डन और यूएई जैसे मुस्लिम देश पीआईए और पाकिस्तानी पायलटों को बैन कर चुके हैं। अमेरिका के ट्रांसपोर्टेशन विभाग ने कहा था कि पाकिस्तान के पायलटों के लाइसेंस और सर्टिफिकेट को लेकर फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने चिंता जाहिर की थी। हमने पीआईए से अमेरिका में चार्टर प्लेन्स ऑपरेट करने की परमिशन वापस ले ली है।
ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today