Sunday, January 3, 2021
अमेरिका में 24 घंटे में रिकॉर्ड 2.99 लाख मामले सामने आए, UK में कड़े प्रतिबंध लगाने की अपील January 03, 2021 at 06:28PM
दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन की तैयारियां शुरू हो गई हैं, लेकिन कोरोना के मामले कम नहीं हो रहे। अमेरिका में बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड 2.99 लाख मामले सामने आए। जब से कोरोना की शुरुआत हुई, तब से अमेरिका में नए मामले आने का यह सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इस बीच, ब्रिटेन में लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और कड़े प्रतिबंध लगाने की अपील की है।
दुनिया में अब तक कोरोना के 8 करोड़ 54 लाख 98 हजार 595 मामले सामने आ चुके हैं। कुल 18 लाख 50 हजार 605 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 6 करोड़ 4 लाख 51 हजार 984 लोग ठीक हो चुके हैं।
दुनिया के देशों का हाल
UK- बीते 24 घंटे में 54 हजार 990 केस आए। लेबर पार्टी ने सरकार से और कड़े प्रतिबंध लगाने की अपील की है। देश में ही नया स्ट्रेन मिला था। बताया जा रहा है कि यह पुराने कोरोना से 70% ज्यादा खतरनाक है।
साउथ अफ्रीका- हेल्थ मिनिस्टर जवेली मकीजे के मुताबिक, वैक्सीन को लेकर पश्चिमी देशों (फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के लिए), रूस और चीन से बात चल रही है। सरकार की योजना है कि साल के अंत तक 67% आबादी को वैक्सीनेशन की योजना है।
जापान- यहां टोक्यो और 3 अन्य शहरों में स्टेट इमरजेंसी लगाने की प्लानिंग चल रही है। गुरुवार को टोक्यो में 1337 मामले सामने आए थे। महामारी की शुरुआत से टोक्यो में पहली बार संक्रमितों का आंकड़ा 1000 पार गया है। देश में भी गुरुवार को रिकॉर्ड 4520 केस आए थे।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 21,113,528 | 360,078 | 12,436,958 |
भारत | 10,341,291 | 149,686 | 9,946,131 |
ब्राजील | 7,733,746 | 196,018 | 6,813,008 |
रूस | 3,236,787 | 58,506 | 2,618,882 |
फ्रांस | 2,655,728 | 65,037 | 195,174 |
यूके | 2,654,779 | 75,024 | N/A |
तुर्की | 2,241,912 | 21,488 | 2,136,534 |
इटली | 2,155,446 | 75,332 | 1,503,900 |
स्पेन | 1,936,718 | 50,837 | N/A |
जर्मनी | 1,781,053 | 35,105 | 1,381,900 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
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अव्वल तो इमरान सरकार गिरेगी नहीं, अगर गिर गई तो नवाज की पार्टी को धोखा देकर बिलावल PM बन जाएंगे January 03, 2021 at 04:28PM
पाकिस्तान में सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने प्रधानमंत्री इमरान खान से 31 दिसंबर 2020 तक इस्तीफा देने को कहा था। इमरान ने इस्तीफा नहीं दिया। अब PDM इस्लामाबाद तक लॉन्ग मार्च निकालने की तैयारी में है। इसमें लाखों लोग शामिल होंगे। तारीख का ऐलान जल्द होगा। PDM इमरान को उसी कंटेनर स्ट्रैटेजी से घेरेगा जो उन्होंने तीन साल पहले नवाज शरीफ सरकार गिराने में इस्तेमाल की थी। बहरहाल, पाकिस्तान की सियासत में क्या चल रहा है? क्या इमरान इस्तीफा देंगे? देंगे तो क्या होगा और कौन नया PM बनेगा। इन सवालों का जवाब तलाशती इस्लामाबाद से हमारे संवाददाता अब्दुल्ला जफर की ये खास रिपोर्ट....
PDM क्यों मांग रहा है इमरान से इस्तीफा
देश में महंगाई दर 11% हो चुकी है। 2018 में इमरान के सत्ता संभालने के पहले यह 4 से 6.74% के बीच थी। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, विदेशी कर्ज 110 अरब डॉलर हो चुका है। देश के रहनुमा कहे जाने वाले सऊदी अरब और UAE से रिश्ते खराब हो चुके हैं। चीन और तुर्की से दोस्ती है। लेकिन, ये दोनों ही देश अमेरिका और यूरोप के निशाने पर हैं। आतंकवाद काबू करने में इमरान नाकाम रहे। यही वजह है कि पाकिस्तान अब भी FATF की ग्रे लिस्ट में है। विपक्ष इमरान को ‘U TURN PM’ बता रहा है। क्योंकि, विपक्ष में रहते हुए खान जो मुद्दे उठाते थे, उन सभी पर वे मुकर गए। यही वजह है कि इमरान से इस्तीफा मांगा जा रहा है।
कितना गंभीर है पाकिस्तान का सियासी संकट
इमरान सरकार के नजरिए और दावों को आधार मानें तो उसके सामने कोई संकट नहीं है। सरकार के अंदर सोच यही है कि PDM सिर्फ अपने कुछ नेताओं को बचाने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहा है और इससे सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार के सूत्र बताते हैं कि PDM का आंदोलन खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा, क्योंकि उनके बीच गहरे मतभेद हैं। सरकार को कुछ करने की जरूरत ही नहीं है।
इमरान गए तो अगला PM कौन? क्या नए चुनाव होंगे?
फिलहाल, ये बिल्कुल नहीं लगता कि इमरान इस्तीफा देंगे। इसकी वजह यह है कि उन्हें फौज की सरपरस्ती यानी समर्थन हासिल है। यहां ये ध्यान रखिए कि इमरान ने तीन साल पहले जब 126 दिन कंटेनर पर धरना देकर नवाज सरकार गिराई थी, तब ISI चीफ जहीर-उल-हसन उनका खुला समर्थन कर रहे थे। वैसे भी यह 1950 या 60 का दौर नहीं है। अब धरने-प्रदर्शन से सरकार नहीं गिराई जा सकती।
क्या है कंटेनर स्ट्रैटेजी?
2017 में जब इमरान ने नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया था तब वे शिप कंटेनर्स इस्लामाबाद तक ले आए थे। इनके ऊपर बैठकर रैलियां कीं और धरने दिए। इससे सड़कें जाम हो गईं और अवाम परेशान। विपक्ष इमरान के इसी हथियार को उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करने का प्लान बना रहा है।
क्या हिंसा का खतरा भी है?
विपक्ष के आंदोलन और लॉन्ग मार्च के दौरान हिंसा का खतरा है या नहीं, इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, कोई भी विपक्षी दल हिंसा का जोखिम नहीं लेगा। क्योंकि, इससे उसकी इमेज खराब होगी। इमरान अगर इस्तीफा देंगे तो संवैधानिक तरीके से। अगर वे इस्तीफा देते हैं और विपक्ष नए चुनाव की मांग करता है तो ये कराने ही होंगे। राष्ट्रपति इस पर आखिरी फैसला लेंगे।
असली खेल फौज नहीं, ISI खेल रही है
लोग फौज की बात करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ISI का सबसे अहम रोल होने वाला है। फौज में मौजूद सूत्र बताते हैं कि जनरल बाजवा के रिटायरमेंट और उनकी जगह ISI चीफ जनरल फैज हमीद को कमान मिलने का इंतजार किया जा रहा है। गरीब जनता पर महंगाई के बोझ का मुद्दा बड़ा है। फौज भी यह जानती है।
फौज की पसंद और नापसंद
नवाज शरीफ की पार्टी PML-N खुले तौर पर फौज और ISI की सियासी दखलंदाजी का विरोध कर रही है। लिहाजा, उसे मिलिट्री का समर्थन नहीं मिलेगा। वर्तमान की साफ तस्वीर यह है कि PML-N घाटे में रहेगी। इमरान की पार्टी PTI पूरी तरह कन्फ्यूज है। वो खेल नहीं समझ रही।
फौज PPP के संपर्क में, बिलावल पर क्यों खेल सकती है दांव
अगर फौज ने इमरान को समर्थन देना बंद कर दिया तो बहुत बड़ा खेल देखने मिल सकता है। फौज बिलावल भुट्टो की पार्टी PPP को समर्थन देकर उन्हें प्रधानमंत्री बना सकती है। उन्हें सेना के कहने पर दूसरे दलों का समर्थन मिल सकता है। इसका इशारा इस बात से समझिए कि PDM में शामिल बाकी दलों के सांसदों और विधायकों ने तो इस्तीफे दिए, लेकिन PPP के नुमाइंदों ने ऐसा नहीं किया। ये फौज से डील की तरफ इशारा है और इसे PDM में शामिल दूसरी पार्टियां भी समझ रही हैं। आरोप है कि बिलावल और फौज की डील या तो हो चुकी है, या होने वाली है।
फौज इमरान के खिलाफ और बिलावल के फेवर में क्यों हो सकती है
इसकी वजह इमरान सरकार की वो नाकामियां हैं, जो ऊपर गिनाई जा चुकी हैं। आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि फौज को खुद अपना बजट घटाना पड़ा। अवाम का गुस्सा कम करने के लिए सरकार बदलने का लॉलीपॉप पहले भी पाकिस्तानी फौज लोगों को परोसती रही है।
इमरान गए तो भारत पर क्या असर पड़ेगा
कुछ खास नहीं। दोनों देशों के बीच गहरा तनाव है और चार साल से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई। पुलवामा और उरी के हमलों का जवाब सर्जिकल स्ट्राइल और बालाकोट से दिया गया। क्रिकेट डिप्लोमैसी भी आकार नहीं ले सकी। कल्चरल एक्सचेंज भी बंद है। कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद तनाव ज्यादा बढ़ गया। मोदी सरकार दो टूक कह चुकी है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
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7 साल की रोरी उठाती है 80 किलो वजन, अमेरिका में सबसे कम उम्र की चैंपियन January 03, 2021 at 03:26PM
कनाडा में रहने वाली रोरी वैन की उम्र महज 7 साल है। देखने में सामान्य बच्चियों जैसी ही है। खान-पान भी सामान्य है, लेकिन कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग से उसने खुद को दुनिया की सबसे मजबूत लड़की में बदला है। हाल ही में वो वेटलिफ्टिंग की यूएसए अंडर-11 और अंडर-13 यूथ नेशनल चैंपियन बनी है। वो अमेरिकी इतिहास की सबसे कम उम्र की नेशनल चैंपियन है। भास्कर के शादाब समी ने जाना रोरी आखिर इतनी कम उम्र में यह सब कैसे कर रही है। पढ़िए विशेष बातचीत।
मैं 20-20 ग्राम वजन बढ़ाती थी, तब जाकर 80 किलो उठाने की ताकत हासिल की, बस जो प्रयास करें, रोज करें
छोटे लक्ष्यों से ही बड़ी सफलता
मैं पांच साल की उम्र से वेटलिफ्टिंग कर रही हूं। मैंने पिता से यह डील की थी कि जब भी मैं उपलब्ध वजन उठाने लगूंगी तब वे मुझे नए डंबल और बार बेल लाकर देंगे। रोजाना मैंने अपनी क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया। 20-20 ग्राम वजन भी बढ़ाती थी तो बड़ी उपलब्धि लगती थी। 6 साल की होते-होते मैं शरीर के वजन का तीन गुना वजन उठाने लगी।
चाहें जो खाएं, बस एक्टिव रहें
पिज्जा मेरा पसंदीदा है। चॉकलेट खूब खाती हूं। बस यह ध्यान रखती हूं कि मुझे जरूरी प्रोटीन मिलता रहे। क्योंकि मैं तेजी से बढ़ रही हूं। मुझे डाइट पर किसी तरह के कंट्रोल की जरूरत नहीं पड़ती। मैं हफ्ते में 4 घंटे वेटलिफ्टिंग, 9 घंटे जिम्नास्ट प्रैक्टिस करती हूं।
भारत की वेटलिफ्टर मीना कुमारी से प्रभावित
- मैंने यू-ट्यूब पर टीम यूएसए की वेटलिफ्टर क्रिस्टीन पोप को देखा था। इसके बाद मुझे वेटलिफ्टिंग का शौक हुआ। वही मेरे लिए प्रेरणा हैं। मेरे परिवार में मैं अकेली एथलीट हूं। मेरे पैरेंट्स भी कोई स्पोर्ट्स नहीं खेलते, भाई को म्यूजिक का शौक है। स्ट्रेंथ स्पोर्ट्स में मैं भारत की वेटलिफ्टर मीना कुमारी से बहुत प्रभावित हूंं।
- मैं अभी 2021 यूएसए वेटलिफ्टिंग यूथ नेशनल की तैयारी कर रही हूं। आठ साल की हो जाऊंगी तो पावरलिफ्टिंग भी करना शुरू करूंगी। अभी स्कूल बंद हैं तो स्पोर्ट्स को ज्यादा समय दे सकती हूं। वैसे जब स्कूल शुरू थे तो भी मैं होमवर्क तो प्रैक्टिस पर आने-जाने के सफर में ही कर लेती थी।
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अब अभिभावक की स्वीकृति के बिना भी नाम बदल सकती हैं महिलाएं January 03, 2021 at 03:17PM
महिलाओं के लिए बेहद सख्त कानूनों वाला इस्लामी देश सऊदी अरब में तेजी से स्थिति में बदलाव आ रहा है। हालिया बदलाव के तहत महिलाओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने अभिभावक की स्वीकृति के बिना भी नाम में बदलाव कर सकती हैं। पहले इसके लिए घरवालों की इजाजत जरूरी थी।
सऊदी अरब के गृह मंत्रालय ने रविवार को इसकी जानकारी दी। नए कानून के तहत अब सऊदी अरब में कोई महिला या पुरुष नाम सहित खुद से जुड़े अहम डेटा में बदलाव करा सकता है। पहले सिर्फ पुरुषों को अधिकार था कि वे घर के गार्जियन की अनुमति के बिना ऐसा कर सकें। अब यह अधिकार महिलाओं को भी दे दिया गया है।
2018 में पहली बार महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत मिली थी
सऊदी अरब ने देश में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए हाल के समय में कई बदलाव किए हैं। 2018 में पहली बार देश में महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत दी गई। साथ ही पहली बार महिलाओं को किसी पुरुष गार्जियन के बिना अकेले घूमने की इजाजत भी दी गई। सऊदी अरब की महिलाओं अब खुद पासपोर्ट के लिए भी आवेदन कर सकती हैं। पहले इस पर भी पाबंदी थी।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान विजन 2030 पर काम कर रहे हैं। इसके तहत सऊदी अरब की तेल पर निर्भरता को कम करने की कोशिशें की जा रही हैं। ऑयल इकोनॉमी का टैग हटाने के लिए सऊदी अरब अब दुनियाभर के पर्यटकों के लिए भी अपने दरवाजे खोल रहा है। इसके लिए वह दुनियाभर में महिलाओं के प्रति अपनी सख्त छवि से बाहर निकलना चाहता है।
सऊदी अरब के वर्कफोर्स में बढ़ी है महिलाओं की हिस्सेदारी
पिछले कुछ सालों से किए जा रहे प्रयासों के नतीजे भी सामने आने लगे हैं। 2015 में सऊदी अरब के स्थानीय निवासियों के वर्क फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 13 फीसदी थी। 2019 में यह बढ़कर 34.4 फीसदी हो गई।
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अब नए वायरस ‘डिजीज एक्स’ का खतरा, कोरोना से भी तेज January 03, 2021 at 03:13PM
काेराेना महामारी के वैश्विक संकट के बीच अब नए वायरस ‘डिजीज-एक्स’ के प्रसार की चेतावनी जारी हुई है। अफ्रीकी वायरस इबाेला का पता लगाने वाले डाॅ. जीन जैक्स मुएंब तामफम ने यह चेतावनी जारी की है। डाॅ. तामफम के अनुसार ‘डिजीज-एक्स’ ज्यादा घातक है। कोरोना के मुकाबले यह फैलता भी तेजी से है।
इससे मरने वालों की संख्या इबोला की तुलना में 50 से 90% तक ज्यादा हो सकती है। एक अमेरिकी टीवी चैनल से बातचीत में डाॅ. तामफम ने कहा, ‘आज हम एक ऐसी दुनिया में हैं, जहां नए वायरस बाहर आएंगे। ये वायरस मानवता के लिए खतरा बन जाएंगे। भविष्य में आने वाली महामारी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक होगी और यह ज्यादा तबाही मचाने वाली होगी।
कांगाे में ही महिला मरीज में ‘डिजीज-एक्स’ के लक्षण
कांगो के इगेंड में एक महिला मरीज को खून आने के साथ बुखार के लक्षण देखे गए हैं। इस मरीज की इबोला जांच कराई गई। लेकिन यह निगेटिव आई है। डॉक्टरों को डर है कि यह “डिजीज-एक्स’ की पहली मरीज है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘डिजीज-एक्स’ महामारी अभी परिकल्पना है, लेकिन अगर यह फैलती है तो पूरी दुनिया में इससे तबाही आएगी।
कौन हैं डॉ. तामफम
डाॅ. तामफम की 1976 में इबोला वायरस का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। इबोला वायरस का जब पहली बार पता चला तो कांगो के यामबूकू मिशन अस्प्ताल में 88% मरीजों और 80% कर्मचारियों की मौत हो गई।
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अमेरिका में हर छठवां नागरिक भूख से जूझ रहा, यहां 2008 की मंदी से भी बुरे हालात January 03, 2021 at 02:37PM
कोरोना की वजह से कई देशों और उनके नागरिकों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। अर्थव्यवस्था के आकार के लिहाज से दुनिया का सबसे समृद्ध देश अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहा। महामारी के कारण वहां बड़े पैमाने पर लोगों ने रोजगार गंवाया और इसका असर यह हुआ कि अमेरिका में भूख की समस्या खड़ी हो गई।
हर चौथा अमेरिकी बच्चा भूखा
अमेरिका की सबसे बड़ी भूख राहत संस्था फीडिंग अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां दिसंबर के आखिर में 5 करोड़ से ज्यादा लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे। यानी हर छठवां अमेरिकी भूख से जूझ रहा था। बच्चों के मामले में स्थिति और बुरी है। हर चौथा अमेरिकी बच्चा भूखा रहने को मजबूर है।
जरूरतमंदों की संख्या बढ़ रही
रिपोर्ट में कहा गया है कि जून से ही अमेरिका में खाने के जरूरतमंदों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। ओवरऑल पूरे देश में ऐसे जरूरतमंद महामारी से पहले की तुलना में दोगुने हो गए हैं। वहीं, ऐसे जरूरतमंद परिवारों की संख्या, जिनमें बच्चे भी मौजूद हैं, तीन गुना बढ़ी है।
एक महीने में 54.8 करोड़ खाने के पैकेट बांटे
फीडिंग अमेरिका नेटवर्क ने एक महीने में 54.8 करोड़ खाने के पैकेट बांटे। महामारी शुरू होने से पहले की तुलना में यह 52% ज्यादा है। जहां भी खाद्य सामग्रियां बांटी जाती हैं, इसे लेने के लिए लंबी लाइन लग रही है। संस्था शहर में क्रिसमस से ठीक पहले हर साल औसतन 500 लोगों को खाना मुहैया कराती थी। इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 8,500 हो गया।
अमीरों के शहर न्यूयॉर्क में बढ़ी भूख की समस्या
न्यूयॉर्क में 1.20 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके पास 50 लाख डॉलर (करीब 36 करोड़ रुपए) या इससे अधिक की संपत्ति है। यह दुनिया में सबसे अधिक है। फिर भी यह शहर भूख की समस्या से बच नहीं पाया। महामारी के दौरान न्यूयॉर्क फूड बैंक ने 7.7 करोड़ खाने के पैकेट बांटे हैं। यह किसी अन्य साल की तुलना में 70% ज्यादा है। ब्लैक समुदाय के लोगों की स्थिति और भी बुरी है।
कम्युनिटी फ्रिज के जरिए खाना बांट रहे
खाद्य संकट से निपटने के लिए अमेरिका में लोग अब एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। सरकारी मदद में देरी की वजह से लोगों को यह कदम उठाना पड़ा। कई जगह लोगों ने कम्युनिटी फ्रिज लगाए हैं। जिनके पास खाना नहीं है, वे इन फ्रिज से मुफ्त खाना ले जा सकते हैं। एक फ्रिज की जिम्मेदारी दो लोगों को सौंपी गई है। इसके अलावा सोशल मीडिया ग्रुप के जरिए भी भूखों की मदद की जा रही है।
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11 coal miners from Pakistan's minority community shot dead January 03, 2021 at 03:43AM
China's new law expands power of military headed by Xi January 03, 2021 at 01:04AM
बलूचिस्तान में खदान में काम कर रहे 11 वर्कर्स की अगवाकर हत्या, पहाड़ों में ले जाकर गोली मारी January 03, 2021 at 12:32AM
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में शनिवार रात कुछ अज्ञात हथियारबंद लोगों ने कोल माइंस में काम कर रहे 11 लोगों की हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक, हमलावरों ने पहले वर्कर्स को अगवा कर लिया और पास की पहाड़ियों में ले गए। वहां उन्हें गोली मार दी गई। इस इलाके में पहले भी सिक्योरिटी फोर्स और पुलिस चौकियों पर हमले होते रहे हैं। इस वजह से यहां पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
डिप्टी कमिश्नर मुराद कास्ज ने बताया कि मच्छ एरिया में हुए हमले में घायल चार लोगों का इलाज चल रहा है। मरने वालों की संख्या 11 तक पहुंच गई है। घटना के तुरंत बाद सिक्योरिटी फोर्स, पुलिस और फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) ने इलाके को घेर लिया।
इमरान ने आतंकी हमला बताया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे आतंकी हमला बताते हुए कहा कि बलूचिस्तान में 11 निर्दोष मजदूरों की हत्या आतंकवादियों का एक और कायरता से भरा काम है। सरकार पीड़ित परिवारों के साथ है। उन्होंने फ्रंटियर कॉर्प्स से कहा है कि हत्यारों को पकड़ने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सभी कोशिशें करें।
खदानों में काम करने वालों में दहशत
इस हमले से कोल माइंस में काम करने वाले वर्कर्स में दहशत है। उन्हें डर है कि आतंकियों के अगले शिकार वे हो सकते हैं। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री जाम कमाल ने हमले की निंदा करते हुए अधिकारियों से डिटेल में जांच रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि अपराधियों ने बढ़ते दबाव के कारण निर्दोष मजदूरों को निशाना बनाया है। उनके साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह के आतंकवादी हमलों के पीछे जो लाेग हैं, उन्हें सामने लाया जाएगा। उनका इकलौता मकसद बलूचिस्तान की शांति को बिगाड़ना था। राज्य के गृह मंत्री मीर जिया ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य की शांति के लिए खत्म करने की लगातार नाकाम कोशिशें की जा रही हैं।
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