Thursday, October 29, 2020
नीस में हमला करने वाला ट्यूनीशिया का रहने वाला था, वो इटली से फ्रांस पहुंचा October 29, 2020 at 06:10PM

नीस शहर के एक चर्च में गुरुवार को तीन लोगों की हत्या करने वाला आतंकी मूल रूप से ट्यूनीशिया का नागरिक था। वो इटली से फ्रांस पहुंचा था। आरोपी की उम्र करीब 20 साल है। फ्रांस के एंटी टेरर डिपार्टमेंट ने यह जानकारी दी। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस मुश्किल घड़ी में अमेरिका फ्रांस के साथ खड़ा है। यूरोपीय यूनियन ने भी कहा है कि इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।
पिछले महीने इटली आया था
एंटी टेरर डिपार्टमेंट के जीन फ्रेंकोइस रिकार्ड ने मीडिया से कहा- हमलावर की पहचान ट्यूनीशिया के नागरिक के तौर पर की गई है। वह 20 सितंबर को इटली से फ्रांस आया था। 9 अक्टूबर को पेरिस पहुंचा। उसके पास एक धार्मिक ग्रंथ भी मिला। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वो गंभीर रूप से घायल हुआ है। पेरिस में उसका इलाज चल रहा है। हमले में घायल हुए 44 साल के चौथे व्यक्ति की हालत गंभीर बनी हुई हैं। हमलावर के बारे में पहले से कोई इंटेलिजेंस इनपुट नहीं मिला था।
ट्रम्प ने कहा- अमेरिका मुश्किल में फ्रांस के साथ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नीस आतंकी हमले की निंदा की। कहा- इस तरह के हमले कतई बर्दाश्त नहीं किए जा सकते। हम इस मुश्किल वक्त में फ्रांस सरकार के साथ खड़े हैं। कट्टरपंथी इस्लामी आतंकियों के हमले हर हाल में बंद होने चाहिए। फिर चाहे ये फ्रांस में हों या किसी और देश में।
आतंकी हमले में अब तक क्या पता चला
- हमलावर को गुरुवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है, क्योंकि गिरफ्तारी के दौरान वह घायल हो गया था।
- हमले की जांच कर रही फ्रांस की एंटी-टेररिज्म एजेंसी का कहना है कि हमलावर अकेले ही काम कर रहा था। हम किसी और की तलाश नहीं कर रहे हैं।
- नीस के मेयर क्रिस्टियन एट्रोसी ने कहा कि हमलावर पकड़े जाने के बाद अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगा रहा था। इसके बाद कोई शक नहीं है कि उसका मकसद क्या था।
- एक व्यक्ति की हत्या चर्च के भीतर की गई है और बताया जा रहा है कि ये चर्च वॉर्डन था।
आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ: मोदी
मोदी ने कहा, ‘‘मैं फ्रांस में हाल ही में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करता हूं। पीड़ितों और फ्रांस के लोगों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ खड़ा है।’’
I strongly condemn the recent terrorist attacks in France, including today's heinous attack in Nice inside a church. Our deepest and heartfelt condolences to the families of the victims and the people of France. India stands with France in the fight against terrorism.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 29, 2020
हमले की खबर सुनकर हैरान: ब्रिटिश पीएम
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा- नॉट्रे-डेम में गुरुवार को हुए बर्बर हमले की खबर सुनकर हैरान हूं। यूके आतंक और असहिष्णुता के खिलाफ फ्रांस के साथ मजबूती से खड़ा है।
I am appalled to hear the news from Nice this morning of a barbaric attack at the Notre-Dame Basilica. Our thoughts are with the victims and their families, and the UK stands steadfastly with France against terror and intolerance.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) October 29, 2020
कुछ दिन पहले की गई थी हिस्ट्री टीचर की हत्या
कुछ दिन पहले फ्रांस में पैगम्बर साहब का कार्टून क्लास में दिखाने वाले एक हिस्ट्री टीचर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से फ्रांस सरकार इस्लामिक संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। दुनिया के कई देशों में फ्रांस की आलोचना की जा रही है और इसके खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
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फ्लोरिडा के एक ही क्षेत्र में ट्रम्प और बाइडेन की रैलियां, ट्रम्प बोले- ऐतिहासिक जीत मिलेगी October 29, 2020 at 05:28PM

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव बिल्कुल करीब है। 3 नवंबर को इलेक्शन डे के पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उन्हें चुनौती दे रहे डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन एक ही दिन फ्लोरिडा पहुंचे। दोनों पार्टियों के लिए यह अहम राज्य है। यहां के टाम्पा क्षेत्र में दोनों ने एक घंटे के अंतर से रैलियां कीं। ट्रम्प की रैली में भीड़ ज्यादा थी। यहां उन्होंने जीत का भरोसा जताया। वहीं, बाइडेन ने वायरस और इकोनॉमी पर ट्रम्प को घेरा।
ट्रम्प बोले- ऐतिहासिक लाल लहर
टाम्पा की इस रैली में ट्रम्प के साथ पत्नी मेलानिया भी पहुंचीं। समर्थकों की भीड़ देख उत्साहित ट्रम्प ने कहा- हम जीत का नया इतिहास रचने जा रहे हैं। आप चारों तरफ लाल लहर (रिपब्लिकन पार्टी के झंडे का रंग) देख रहे हैं। फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प ने भी लोगों से ट्रम्प को वोट देने की अपील की। ट्रम्प ने यहां महामारी का जिक्र कम किया। लेकिन, फोकस इकोनॉमिक रिकवरी पर रखा। महामारी पर उन्होंने वैक्सीन का जिक्र किया। कहा- मेरी कोशिश और प्लान यह है कि मैं जल्द आप तक एक सेफ वैक्सीन पहुंचा सकूं। यह बहुत जल्द यानी कुछ हफ्तों में आप तक पहुंच जाएगा। बाइडेन सिर्फ लॉकडाउन की बात कर रहे हैं। मैं लोगों को तबाह होते नहीं देख सकता। अमेरिका को इन हालात से मजबूत वापसी की जरूरत है।
बाइडेन ने क्या कहा
बाइडेन जब टाम्पा में रैली करने पहुंचे तो उन्हें बारिश से निराशा हुई। यहां उन्होंने क्यूबा का जिक्र किया। कहा- वहां रूस का प्रभाव बढ़ रहा है और अमेरिका बैकफुट पर आ गया है। ट्रम्प के पास क्यूबा और वेनेजुएला को लेकर कोई रणनीति नहीं है। दिक्कत ये है कि वे लोकतांत्रिक सरकारों की बजाए तानाशाहों की तारीफ करते हैं और उन्हें मदद देता है। अगर फ्लोरिडा ब्लू (डेमोक्रेट पार्टी के झंडे का कलर) हो जाए तो बाइडेन की जीत को कोई नहीं रोक सकता। महामारी को ही देख लीजिए। अकेले फ्लोरिडा में 16 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपति आखिर क्या कर रहे हैं। वो खुद संक्रमण फैला रहे हैं। उन्होंने नस्लवाद और बंटवारे का जहर फैलाकर देश को बांटने की कोशिश की है। जॉर्ज फ्लॉयड, ब्रेयोना टेलर और जैकब ब्लैक जैसे बेकसूर अश्वेतों की मिसाल हमारे सामने है।

17 लोग बीमार
फ्लोरिडा में गुरुवार को मौसम ने रंग बदले। जब ट्रम्प रैली करने पहुंचे तो काफी गर्मी थी। हालात इस कदर खराब हुए कि 17 लोगों को रैली से सीधे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। बाद में रिपब्लिकन पार्टी ने एक बयान में कहा- गर्मी की वजह से कुछ लोगों को सेहत संबंधी दिक्कत हुई। अब वे सभी ठीक हैं। इसके करीब एक घंटे बाद बाइडेन भी यहां रैली के लिए पहुंचे। इस दौरान बारिश शुरू हो चुकी थी। बाइडेन अपनी बात भी ठीक से नहीं कह पाए। ट्रम्प एक घंटे तो बाइडेन करीब 22 मिनट बोले।
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रूस में एक दिन में 18 हजार केस, यूरोप में मरीज एक देश से दूसरे देश में शिफ्ट किए जा सकेंगे October 29, 2020 at 03:50PM

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.53 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 29 लाख 85 हजार 561 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.85 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। रूस में संक्रमण की दूसरी लहर का खतरनाक साबित हो रही है। यहां एक दिन में करीब 18 हजार नए मामले सामने आए। वहीं, यूरोपीय देशों ने तय किया है कि अगर एक देश के अस्पतालों में जगह कम पड़ती है तो मरीजों को दूसरे देश के अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकेगा।
रूस में दूसरी लहर खतरनाक हुई
रूस में गुरुवार को संक्रमण के करीब 18 हजार नए मामले सामने आए। इसके बाद हेल्थ डिपार्टमेंट ने देश के सभी अस्पतालों और मेडिकल केयर सेंटर्स को अलर्ट पर रहने को कहा। खास बात ये है कि इसी दौरान 366 लोगों की मौत हो गई। सिर्फ एक राहत की बात है कि इसी दौरान 14 हजार मरीज स्वस्थ भी हुए। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- बढ़ती सर्दी की वजह से संक्रमण और तेजी से फैल सकता है और हमने इसके मद्देनजर तैयारियां की हैं। देश में अब तक 11 लाख से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं।
यूरोपीय देशों की पहल
यूरोपीय देशों में एक देश के मरीज दूसरे देश के अस्पतालों में शिफ्ट किए जा सकेंगे। इसके लिए स्पेशल फंड ट्रांसफर स्कीम भी लॉन्च की गई है। इसे बारे में यूरोपीय देशों ने एक समझौता किया है। फ्रांस और जर्मनी के अलावा स्पेन में भी नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से यहां सरकारें अलर्ट पर हैं। मरीजों को ट्रांसफर करना यूरोपीय देशों में मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर देश छोटे हैं और इनकी ओपन बॉर्डर हैं। सड़क के रास्ते भी आसानी से एक देश से दूसरे देश में जाया जा सकता है। ईयू कमिशन की हेड वॉन डेर लेन ने कहा- वायरस तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए सहयोग जरूरी है। हमारी कोशिश है कि हेल्थ केयर सिस्टम पहले की तरह मजबूती से काम करता रहे।

ताइवान नें 200 दिन से लोकल ट्रांसमिशन का केस नहीं
ताइवान ने संक्रमण पर तेजी से काबू पाने की कोशिश की थी। इसके नतीजे भी साफ तौर पर नजर आने लगे हैं। अमेरिका से जारी एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइवान में 200 दिन से लोकल ट्रांसमिशन का कोई मामला सामने नहीं आया है। यहां अब तक 550 केस मिले हैं और कुल सात मौतें हुई हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान में आखिरी लोकल केस 12 अप्रैल को आया था। इसके बाद से यहां संक्रमण का कोई स्थानीय मामला सामने नहीं आया। ऑस्ट्रेलियन मेडिकल सेंटर ने कहा- न्यूजीलैंड और ताइवान ने वायरस को सबसे बेहतर तरीके से कंट्रोल किया है।

अमेरिका में एक हफ्ते में 5600 संक्रमितों की मौत
अमेरिका में चुनाव बिल्कुल सिर पर है, लेकिन यहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हफ्ते में पांच लाख से ज्यादा नए संक्रमित मिले हैं। इसी दौरान 5600 संक्रमितों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानाकारी दी है। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य इलिनॉइस है। 31 हजार मामले इसी राज्य में सामने आए। पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। विस्कॉन्सिन के हेल्थ इंचार्ज आंद्रे पॉम ने कहा- हम चाहते हैं कि चुनाव के लिए मतदान के दौरान कोरोना दिक्कत न बने। इसके लिए हर जरूरी व्यवस्था की जा रही है।
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ट्रम्प अमेरिका को अपने बचपन वाले क्वीन्स में बदलना चाहते हैं, जहां गोरे रहते थे October 29, 2020 at 02:51PM

न्यूयॉर्क शहर 5 हिस्सों क्वीन्स, मैनहटन, ब्रुकलिन, ब्रोंक्स और स्टैटन आइलैंड में बंटा है। इनमें क्वीन्स सबसे बड़ा है। मेट्रो से उतरते ही जमैका एस्टेट का आलीशान गेट दिखता है। यह यहां का सबसे रिहायशी इलाका है, जिसे ट्रम्प के पिता ने अप्रवासियों की पहुंच से बहुत दूर बसाया था।
इसलिए ट्रम्प अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि क्वीन्स का एक बड़ा इलाका ‘असभ्य’ था, लेकिन जमैका एस्टेट सुरक्षित जगह थी। पर आज जमैका स्टेट की अंदर और बाहर की दुनिया अप्रवासियों से घिरी है। दोनों तरफ के ज्यादातर लोग ट्रम्प को नापंसद करते हैं।
न्यूयॉर्क से श्वेत आबादी गायब हो रही है
उन सब में अपवाद ट्रम्प के पुराने पड़ोसी 57 साल के फ्रेड क्विन हैं। बताते हैं कि न्यूयॉर्क से श्वेत आबादी गायब हो रही है। वो याद करते हैं कि ट्रम्प के पिता फ्रेड ब्लू कैडिलैक लिमोजिन से दफ्तर जाते थे। फ्रेड के जर्मन पिता फ्राइडरिच ने कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया था, लेकिन 1918 में स्पेनिश फ्लू में चल बसे। फिर बेटे फ्रेड ने अमीर लोगों के लिए टुडर और विक्टोरियन स्टाइल में बंगले बनाने वाले कॉन्टैक्टर की पहचान बनाई।
बड़े-बड़े बंगले लुटियन दिल्ली की याद दिलाते हैं
हरियाली से घिरे यहां के बड़े-बड़े बंगले लुटियन दिल्ली की याद दिलाते हैं। सड़क पर सिर्फ बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज ही दिखाई दे रही हैं। थोड़ी दूर पर वेयरहम पैलेस, वो सड़क है जहां पर ट्रम्प का पैदाइशी घर है। 14 जून 1946 को इसी दो मंजिला घर में ट्रम्प पैदा हुए थे। 4 साल की उम्र तक यही रहे। लोग इस मकान को खरीदते भी हैं तो ज्यादा दिन इसमें नहीं रहते हैं।
13 साल की उम्र के बाद ट्रम्प मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल में चले गए
2017 में ये घर 16 करोड़ रुपए में बिका था और इसके खाली होने की बात न्यूज में बनी रहती है। इस घर से दो मिनट की दूरी पर 23 बेडरूम वाला आलीशान घर है, जिसमें ट्रम्प 4 साल की उम्र में शिफ्ट हुए। इस घर के पीछे रहने वाली लॉरा बताती हैं कि ट्रम्प के लिए ये घर किले की तरह था।
एक बार आंगन में बॉल चली गई तो ट्रम्प ने लौटाने से मना कर दिया और पुलिस को बुलाने तक की धमकी दे डाली। 13 साल की उम्र के बाद ट्रम्प मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल में चले गए। इली वॉन्ग जो कि जमैका एस्टेट के एसोशिएशन की बोर्ड मेंबर हैं।
आज जमैका एस्टेट में बांग्लादेशी,चाइनीज सब रहते हैं
बताती हैं कि आज जमैका एस्टेट में बांग्लादेशी,चाइनीज सब रहते हैं। लेकिन ट्रम्प के लड़कपन में यहां सिर्फ गोरे रहते थे। 1950 में 10.5 लाख आबादी में 96.5% गोरे थे। जमैका एस्टेट के बाहर रहने वाले शांत बताते हैं कि 50 साल में क्वीन्स में बड़ा बदलाव आया है।
सिविल राइट्स एक्ट 1964 ने रंग, नस्ल, धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव को गैरकानूनी बना दिया। 1968 में आए फेयर हाउसिंग एक्ट के तहत रंग, नस्ल, धर्म के आधार पर लोगों को घर बेचने या किराए पर नहीं देने को गैर कानूनी बना दिया।
इन कानूनों के लागू होने के बाद 1971 में ट्रम्प कंपनी के चेयरमैन बने और पिता के रास्ते पर ही चले। 1973 में जस्टिस डिपार्टमेंट ने ट्रम्प की कंपनी पर आपराधिक मामला दर्ज किया कि उनकी रेंटल हाउसिंग कंपनी ने अफ्रीकन अमेरिकी लोगों को घर देने में भेदभाव किया।
तब क्वीन्स में गोरों की आबादी 25.3% रह गई थी
जुलाई 2016 में जब ट्रम्प रिपब्लिकन उम्मीदवार बने तब क्वीन्स में गोरों की आबादी 25.3% रह गई थी। यासीन यमन से हैं और जमैका एस्टेट के बाहर जनरल स्टोर चलाती हैं। कहती हैं कि ट्रम्प अमेरिका को अपने बचपन का क्वींन्स बनाना चाहते हैं।
वो यह भूल गए हैं कि ये देश अप्रवासियों का बनाया हुआ है। 2016 के चुनाव में ट्रम्प को क्वीन्स से सिर्फ 21.8% वोट मिले थे। इस बार भी अप्रवासियों के गढ़ क्वीन्स में बाइडेन-हैरिस के लिए उत्साह है। ट्रम्प भले ही क्वीन्स के सबसे मशहूर बेटे हो लेकिन देखा जाए क्वीन्स ने कभी ट्रम्प को अपनाया नहीं।
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पाकिस्तान की संसद में लगे मोदी-मोदी के नारे? न्यूज चैनल का दावा पड़ताल में झूठ निकला October 29, 2020 at 02:34PM

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की संसद में मोदी-मोदी के नारे लगे।
न्यूज एंकर दीपक चौरसिया ने भी वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया।
टाइम्स नाऊ वेबसाइट की खबर में भी पाकिस्तान की संसद में मोदी के समर्थन में नारे लगने का दावा किया गया है।

और सच क्या है?
- इंडिया टीवी न्यूज चैनल के वायरल वीडियो का बैकग्राउंड साउंड क्लियर न होने के चलते हमने अन्य सोर्सेस पर यही वीडियो तलाशना शुरू किया।
- Duniya News यूट्यूब चैनल पर भी हमें यही वीडियो मिला। ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि बैकग्राउंड से आ रहे जिस शोर को ‘मोदी-मोदी’ बताया जा रहा है। असल में वहां से ‘वोटिंग-वोटिंग’ चिल्लाने की आवाज आ रही है।
- वीडियो के 6 सेकंड बीतने पर वोटिंग-वोटिंग की आवाज आती है। इसके जवाब में संसद के सभापति ये भी कहते दिख रहे हैं कि - ‘वोटिंग और सब कुछ होगा, सब्र रखें आप’।
- साफ है कि वायरल वीडियो में पाकिस्तान की संसद से मोदी-मोदी नहीं, वोटिंग-वोटिंग की आवाज आ रही है। सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है।
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ट्रम्प हर हाल में जीतना चाहते हैं, उनकी बातों से उनके इरादों की झलक साफ मिल जाती है October 29, 2020 at 02:28PM

अब चुनाव में काफी कम वक्त बचा है। आने वाले दिन और रातें उम्मीदों के साथ तनाव भरी भी होंगी। गुस्सा के साथ कई बार फ्रस्टेशन भी होगी। ओहियो के प्रोफेसर एडवर्ड फोले कहते हैं- जरा सोचिए। अगर ट्रम्प पॉपुलर वोट हासिल कर लें और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दें तो क्या होगा? और ये कल्पना नहीं है। वे कई बार सार्वजनिक तौर पर इसकी धमकी भी दे चुके हैं। इस चुनाव में कुछ गंभीर विवादित चीजें हो रही हैं या होने की आशंका है। एक आशंका यह भी है कि चुनाव का फैसला कोर्ट में तय हो।
पेन्सिलवेनिया पर नजर
इस बार ज्यादातर नजरें पेन्सिलवेनिया पर हैं। कहा जा रहा है कि जो यहां जीत दर्ज करेगा वो इलेक्टोरल कॉलेज में भी बहुमत हासिल कर लेगा। इस राज्य में ट्रम्प 20 हजार वोट्स से आगे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने एक ट्वीट में कहा था- दौड़ खत्म हो चुकी है। चार साल और अमेरिका को महान बनाने के लिए। हालांकि, जो नए आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनमें ये साफ हो जाता है कि ट्रम्प की बढ़त कम हो रही है। ट्रम्प ने कहा था- मैं फिर जीत रहा हूं। मैं मशीनी पॉलिटिशियन नहीं हूं।
हम फिर जीतेंगे
फोले आगे कहते हैं- ट्रम्प यह दावा करते रहे हैं कि वे फिर जीत हासिल करेंगे। अगर इसी हिसाब से घटनाएं होती रहीं। पेन्सिलवेनिया में स्टेट सीनेट और हाउस में रिपब्लिकन्स का बहुमत है, तो फिर वही हो सकता है जो फोले या दूसरे लीगल एक्सपर्ट्स सोच रहे हैं। द अटलांटिक में एक लंबा आर्टिकल लिखने वाले बार्टन गेलमैन ने कहा- मेल बैलट के बारे में ट्रम्प जो कह रहे हैं उससे उनके इरादों की झलक मिल जाती है। गेलमैन को पेन्सिलवेनिया रिपब्लिकन पार्टी के चेयरमैन लॉरेन्स टेब्स कहते हैं- इस बारे में विचार हुआ है कि सभी या कुछ मेल इन बैलट रद्द किए जाएं और राज्य के इलेक्टर्स से 20 इलेक्टोरल वोट डालने को कहा जाए।
हालात बहुत अच्छे नहीं
एक और इलेक्शन एक्सपर्ट लैरी डायमंड चुनावी गणित और ट्रम्प की तरफ से जीत के दावों को सही नहीं मानते। वे इसे खतरनाक चुनावी जोड़तोड़ के तौर पर देखते हैं। वे कहते हैं- ट्रम्प बढ़त ले सकते हैं अगर सीधे वोट गिने जाएं और आधी रात को अचानक काउंटिंग बंद कर दी जाए। वे जीत भी सकते हैं। हो सकता है ब्लू स्टेट यानी डेमोक्रेट प्रभाव वाले राज्यों से आने वाले मेल इन बैलट गिने ही न जाएं। ट्रम्प इस पर भी पेन्सिलवेनिया और फ्लोरिडा में इलेक्टोरल वोटर्स का सवाल खड़ा कर सकते हैं।
तकनीकि पेंच
20 जनवरी को वाइस प्रेसिडेंट सीनेट प्रेसिडेंट के तौर पर यह कह सकते हैं कि ट्रम्प फिर चुनाव जीत गए हैं। और नैंसी पेलोसी भी कह सकती हैं कि डेडलॉक की वजह से कोई प्रेसिडेंट इलेक्ट नहीं है। वे कार्यवाहक राष्ट्रपति की बात कर सकती हैं और वो ट्रम्प ही होंगे। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिचर्ड हैसन सबसे खराब आशंका पर कहते हैं- अगर मुकाबला बेहद कांटे यानी लगभग बराबरी का हुआ और पेन्सिलवेनिया पर अटका तो फिर अमेरिका का भगवान ही मालिक होगा। क्योंकि, वोट काउंट के मामले में पेन्सिलवेनिया आखिरी राज्य होगा और यहां 20 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं। यह हार और जीत तय करेंगे। मैं इसी संभावना के आधार पर अनुमान लगा रहा हूं।
2016 का उदाहरण
ट्रम्प पिछला चुनाव जीते और राष्ट्रपति बने। इसके बावजूद वे हजारों बार यह कह चुके हैं कि पिछले चुनाव में धांधली हुई थी। उनके मुताबिक, लाखों गैर अमेरिकियों ने भी वोट दिए थे। इसकी वजह से उन्हें पॉपुलर वोट कम मिले थे। वो विदेशी सरकारों की तरफ भी उंगली उठाते हैं। वे ये बातें उस वक्त कर रहे हैं जबकि ये साफ नजर आ रहा है कि पॉपुलर वोट्स के मामले में बाइडेन की बढ़त है। पोस्टल बैलट को वे फालतू या भार वाले वोट बताते हैं।
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नीस में हमलावर ने महिला का सिर कलम किया, चर्च के बाहर भी दो लोगों की चाकू मारकर हत्या की October 29, 2020 at 12:35AM

फ्रांस में 15 दिन में दूसरी बार आतंकी हमला हुआ। नीस शहर में हमलावर ने एक महिला का सिर कलम कर दिया और चर्च के बाहर 2 लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी। नीस के मेयर क्रिस्टियन एट्रोसी इसे आतंकवादी घटना कहा है। उन्होंने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
कुछ दिन पहले फ्रांस में पैगम्बर साहब का कार्टून क्लास में दिखाने वाले एक हिस्ट्री टीचर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से फ्रांस सरकार इस्लामिक संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। दुनिया के कई देशों में फ्रांस की आलोचना की जा रही है और इसके खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
अचानक हुआ हमला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीस शहर में चाकू से हमले की घटना गुरुवार को हई। हमलावर ने नोट्रे डैम चर्च के पास कुछ लोगों पर अचानक चाकू से हमला कर दिया। यह हिस्सा शहर के बीच में है। गृहमंत्री ने गेराल्ड ने लोगों से कहा है कि वे फिलहाल, इस इलाके में जाने से बचें।
इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई
आतंकवाद की इस घटना के बाद फ्रांस सरकार ने इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग बुलाई। संसद में इस घटना के विरोध में दो मिनट का मौन भी रखा गया। प्रधानमंत्री जीन कास्टेक्स ने कहा- आतंकवाद हमारे देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। इससे निपटना होगा और वो भी सख्त कदमों के साथ।
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