Monday, December 14, 2020
रूसी एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के बाद अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाए, बाइडेन को सुलझाना होगा मामला December 14, 2020 at 07:30PM
इस्लामिक देशों की सबसे बड़ी आवाज बनने की कोशिश कर रहे तुर्की के राष्ट्रपति रिसैप तैयब अर्दोआन को अमेरिका ने मुश्किल में डाल दिया है। तुर्की ने रूस से ग्राउंड टू एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा था। अमेरिका ने तब तुर्की को यह सौदा न करने की चेतावनी दी थी। अब अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन का यह फैसला 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे जो बाइडेन के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है। दो बातें हैं। पहली- तुर्की नाटो में शामिल है। दूसरी- बाइडेन का तुर्की को लेकर रवैया हमेशा नर्म रहा है। अब इस प्रतिबंध से दोनों में टकराव हो सकता है।
नाटो में शामिल है तुर्की
डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने तुर्की सरकार को काफी पहले ही चेता दिया था कि वो रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम न खरीदे। लेकिन, तुर्की ने अपनी सुरक्षा जरूरतों को हवाला देते हुए यह सिस्टम खरीदा और अब अमेरिका ने उस पर कार्रवाई की है। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने जाते हुए भी तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। तुर्की नाटो अलायंस का हिस्सा है।
हालिया टकराव
दो मामलों को लेकर अमेरिका और तुर्की में टकराव बढ़ा। पहला- सीरिया में तुर्की ने रूस के साथ मिलकर विद्रोहियों के खिलाफ बमबारी की। दूसरा- अजरबैजान और आर्मेनिया की हालिया जंग में तुर्की ने खुलकर अजरबैजान का साथ दिया। कुछ दिन पहले अमेरिका ने तुर्की को अपने F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स बेचने से इनकार कर दिया था। अमेरिका ने कहा था कि तुर्की खाड़ी और मध्य यूरोप में उसके लिए सैन्य खतरे बढ़ाने की रूसी साजिश का हिस्सा है।
भारत पर चुप
इस मामले में एक तथ्य और है, और ये जान लेना चाहिए। S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भारत भी रूस से खरीद रहा है। अमेरिका ने शुरुआत में तो इस पर नाराजगी जताई, लेकिन भारत ने कूटनीतिक स्तर पर यह मामला सुलझा लिया। तुर्की के मामले में ऐसा नहीं हुआ और अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगा दिए। माना जा रहा है कि इस प्रतिबंध की जद में तुर्की की सबसे बड़ी तीन कंपनियां आएंगी। अब तुर्की को अमेरिकी बैंकों से कर्ज भी नहीं मिल सकेगा।
तुर्की ने अप्रैल में अमेरिका से कहा था कि उसे S-400 एयर डिफेंस सिस्टम इसलिए खरीदना पड़ रहा है क्योंकि अमेरिका ने उसे पैट्रियट मिसाइल बेचने से इनकार कर दिया। ग्रीस भी रूस के S-400 सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा और वो भी नाटो का मेंबर है।
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इलेक्टोरल कॉलेज में प्रेसिडेंट इलेक्ट को 306 वोट मिले, कहा- मैं हर अमेरिकी का राष्ट्रपति; ट्रम्प को 232 वोट December 14, 2020 at 04:59PM
डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन ही अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। इलेक्टोरल कॉलेज में भी बाइडेन को जीत हासिल हुई। सोमवार को हुई वोटिंग में बाइडेन को 306 जबकि ट्रम्प को 232 वोट मिले। कुल 538 इलेक्टोरल वोट होते हैं। बहुमत हासिल करने के लिए 270 इलेक्टर्स के समर्थन की जरूरत होती है। हालांकि, इस जीत की औपचारिक घोषणा 6 जनवरी को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स मिलकर करेंगे।
जीत की पुष्टि होने के बाद बाइडेन ने कहा- मैं हर अमेरिकी का राष्ट्रपति बनूंगा। बाइडेन के इस बयान का मतलब अश्वेतों का संदेश माना जा सकता है। चुनाव के पहले अमेरिका में नस्लवाद का मुद्दा अहम था। इसको लेकर कई आंदोलन चले।
सोमवार को हुई वोटिंग
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग से ही होता है। हर क्षेत्र से चुने गए इलेक्टर्स 50 राज्यों की राजधानी में जुटते हैं। यहां वे वोटिंग करते हैं। जिस उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोट हासिल हो जाते हैं, वो राष्ट्रपति बन जाता है। संवैधानिक तौर पर इसका ऐलान 6 जनवरी को होगा। इस दिन दोपहर एक बजे (अमेरिकी समय के अनुसार) अमेरिकी संसद के दोनों सदनों की बैठक होगी और इलेक्टोरल कॉलेज के वोट काउंट किए जाएंगे। हालांकि, सोमवार को ही यह साफ हो गया कि बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले हैं।
बंटवारे की राजनीति से अलग
बाइडेन ने जीत के बाद एक तरह से ट्रम्प की नीतियों पर तंज कसा। कहा- हम हालात बदलेंगे। अब बंटवारे का खेल नहीं चलने वाला। बाइडेन की जीत के बाद अमेरिकी अटॉर्नी जनरल विलियम बार के इस्तीफे की भी खबर आई। वे अगले हफ्ते पद छोड़ रहे हैं और ट्रम्प ने इसकी पुष्टि भी कर दी।
ज्यादातर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इलेक्टोरल कॉलेज में बाइडेन की जीत महज औपचारिकता है। इसकी वजह यह है कि बाइडेन ने हर अहम राज्य में जीत हासिल की थी। उन्हें करीब आठ करोड़ पॉपुलर वोट मिले। अमेरिका के उत्तर प्रदेश कहे जाने वाले सबसे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज वोट वाले राज्य कैलिफोर्निया में बाइडेन को पूरे 55 वोट मिले।
लोकतंत्र की जीत
बाइडेन ने कहा- यह लोकतंत्र की जीत है। हम सभी मतदाता हैं और अपने अधिकार का प्रयोग करते हैं। अब वक्त आ गया है, जब हम एकजुट हों और हालात बदलें। यह जख्मों को भरने का वक्त है। मैं अब हर अमेरिकी नागरिक का राष्ट्रपति हूं।
ट्रम्प ने हार स्वीकार नहीं की
अमेरिकी में मीडिया के जरिए ही जीत और हार की तस्वीर साफ हो जाती है। इसकी औपचारिक घोषणा बाद में होती है। तीन नवंबर के चुनाव के बाद तय हो गया था कि बाइडेन ही अगले राष्ट्रपति होंगे। लेकिन, ट्रम्प ने कई राज्यों में केस दायर किए और चुनाव में धांधली के आरोप लगाए। सुप्रीम कोर्ट ने दो बार उनकी अपील खारिज कर दी। कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि वे इलेक्टोरल कॉलेज में हार गए तो स्वीकार कर लेंगे कि अगले चार साल बाइडेन ही राष्ट्रपति होंगे। लेकिन, 24 घंटे बाद भी उन्होंने हार स्वीकार नहीं की और न ही बाइडेन को जीत की बधाई दी।
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एपल के आलोचक ब्लॉग पर एपल ही बना रही थी वेब सीरीज, कुक की नाराजगी से काम रुका December 14, 2020 at 04:24PM
किसी के खिलाफ बुरा बोलने या लिखने से पहले यह विचार जरूर कर लेना चाहिए कि भविष्य में अंजाम आपके खिलाफ भी जा सकता है। यह बात एक जमाने में काफी लोकप्रिय रहे अमेरिकी ब्लॉग गावकर पर सौ फीसदी लागू होती है। टेक कंपनी एपल गावकर के शुरू होने, लोकप्रिय बनने और बंद होने की कहानी को वेबसीरीज के रूप में पेश करने की योजना पर काम कर रही थी। तभी यह बात एपल के सीईओ टिम कुक को पता चली। कुक ने इस सीरीज पर नाराजगी जता दी और एपल ने इस पर काम बंद कर दिया।
वास्तव में गावकर ने एक जमाने में एपल और टिक कुक के खिलाफ काफी कुछ लिखा था। गावकर ने ही सबसे पहले यह दावा किया था कि टिम कुक समलैंगिक हैं। इसके अलावा गावकर ने एपल के आईफोन-4 फोन का प्रोटोटाइप फोन की लॉन्चिंग से काफी पहले लीक कर दिया था। गावकर के दो पूर्व दिग्गजों ने इस वेब सीरीज का आइडिया एपल टीवी प्लस को दिया था।
इनमें से एक कोर्ड जॉनसन और दूसरे मैक्स रीड थे। जॉनसन ने टीवी लेखन में करियर बनाने के लिए गावकर छोड़ दी थी। वहीं, रीड गावकर के पूर्व एडिटर इन चीफ थे। इनके अलावा एपल ने गावकर के दो और पूर्व संपादकों को प्रोजेक्ट में शामिल किया था। लेकिन, जैसे ही यह बात सीईओ टिम कुक तक पहुंची सब कुछ धरा का धरा रह गया।
मुकदमेबाजी के कारण चार साल पहले बंद हुआ था गावकर ब्लॉग
गावकर ब्लॉग अपने जमाने में दिग्गज कंपनियों और मशहूर लोगों के ऊपर लिखे आलेखों और स्कूप के कारण लोकप्रिय हुआ था। इसमें उस तरह की बातें भी लिखी होती थी जिसे लिखने से मुख्य धारा का मीडिया बचता था। इस वजह से गावकर पर कई मुकदमे हुए और आखिरकार 2016 में ऐसे ही एक केस के कारण इसे बंद भी होना पड़ा था।
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कोरोनाकाल में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर से मौतों में भी इजाफा December 14, 2020 at 04:20PM
अमेरिका में साल 2020 मौत के आंकड़ों के लिहाज से असामान्य रहा है। जब से कोरोना महामारी शुरू हुई है तब से वहां अन्य सालों की तुलना में 3,56,000 ज्यादा लोगों की मौत हुई है। लेकिन, सभी मौतें सीधे कोरोना महामारी से संबंधित नहीं हैं। सामान्य से करीब एक चौथाई ज्यादा मौतें डायबिटीज, अल्जाइमर, हाई ब्लड प्रेशर, निमोनिया जैसे कारणों से हुई हैं। यह जानकारी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा किए गए विश्लेषण से सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से कुछ मौतें अप्रत्यक्ष रूप से कोविड-19 से जुड़ी हो सकती हैं। कोरोना के कारण हेल्थ केयर सिस्टम पर बोझ पड़ा और अन्य रोगियों की वैसी देखभाल नहीं हुई जैसी पहले के सालों में होती थी। साथ ही महामारी के कारण परिवारों की आर्थिक स्थित कमजोर होने से भी मौतों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस साल डायबिटीज से होने वाली मौतें सामान्य की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा रहीं।
अल्जाइमर से 12% ज्यादा मौतें हुईं। वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी में सोसाइटी एंड हेल्थ के डायरेक्टर एमिरेट्स स्टीवन वूल्फ ने कहा कि कई लोगों के पास यह चुनाव करने की बाध्यता थी कि वे दवाओं पर खर्च करें या खाने पर या अपने सिर के ऊपर छत बरकरार रखने पर। उन्होंने चेताया कि कई लोग होंगे जो इस महामारी में खुद को बचा ले जाएंगे, लेकिन महामारी के कारण उनके स्वास्थ्य और आय पर जो असर पड़ा है वह आने वाले दिनों में भी उन्हें परेशान रखे और उनकी मृत्यु का कारण बने।
व्हाइट हाउस स्टाफ को शुरुआत में नहीं लगेगा टीका
पहले यह खबर आई थी कि ट्रम्प प्रशासन में शामिल लोगों को फाइजर-बायोएनटेक का टीका पहले दिया जाएगा। लेकिन, खुद राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस योजना को बदल दिया है। उन्होंने लिखा है कि व्हाइटहाउस के स्टाफ को बाद में टीका लग सकता है। अभी टीका उन्हें मिलना चाहिए जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है। पहले चरण के टीकाकरण के तहत अभी करीब 30 लाख डोज अमेरिका के अलग-अलग अस्पतालों में रखवा दिए गए हैं। हेल्थ केयर वर्कर और अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता मिलेगी।
कोरोनाः 41 देशों में रोज होने वाली मौतों की संख्या शून्य हुई, भारत में तीन सप्ताह से लगातार घट रही है संख्या
दुनिया भर में कोरोनावायरस की वैक्सीन लगाने को लेकर हलचल शुरू हो गई है। इसी बीच राहत की खबर यह भी है कि दुनिया भर में कोरोना से रोज होने वाली मौतों का आंकड़ा भी घट रहा है। मौजूदा स्थिति में 193 देशों में से 41 देश ऐसे हैं, जहां कोरोना से रोजाना होने वाली मौतें बिल्कुल बंद हो गई हैं, यानी अब कोई मौत नहीं हो रही।
भारत में भी इसमें सुधार दिख रहा है और लगातार तीन हफ्तों से इसमें गिरावट दर्ज की गई है। कोरोना के दुनिया में अब तक 7 करोड़ से ज्यादा मामले आ चुके हैं। इनमें से 16 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। हालांकि 5 करोड़ से ज्यादा मरीज ठीक भी हो चुके हैं।
प्रति 10 लाख आबादी पर बेल्जियम में सबसे ज्यादा मौतें, भारत 75वें नंबर पर: अगर आबादी के हिसाब से तुलना करें, तो प्रति 10 लाख की आबादी पर होने वाली मौतों की संख्या सबसे ज्यादा बेल्जियम में है। 14 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक बेल्जियम में प्रति 10 लाख पर मौतों का आंकड़ा 1563 है। इस मामले में इटली और स्पेन भी शीर्ष 5 देशों में शामिल हैं।
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मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी सायबर अटैक का शिकार बनी, नीदरलैंड्स में क्रिसमस के पहले पांच हफ्ते का लॉकडाउन December 14, 2020 at 04:05PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 7.31 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 13 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 16 लाख 27 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। इस बीच एक खतरा वैक्सीन कंपनियों पर सायबर अटैक का उभर रहा है। मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी इसका शिकार बन गई है। कंपनी ने खुद इसकी पुष्टि की है।
नीदरलैंड्स में क्रिसमस इस बार फीका रहेगा। यहां सरकार ने पांच हफ्ते के सख्त लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है।
मॉडर्ना पर सायबर अटैक
मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी ने सोमवार को माना कि सायबर अटैक में उसके कुछ अहम दस्तावेज चोरी हुए हैं। खास बात यह है कि कंपनी को खुद इसकी जानकारी नहीं लगी। कंपनी को इस बारे में पहली सूचना यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने दी। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह डॉक्यूमेंट्स तब के हैं जब कंपनी अप्रूवल के लिए सरकारों के पास दस्तावेज भेज रही थी। इसी दौरान डॉक्यूमेंट्स चुरा लिए गए।
EMA का जानकारी देना इसलिए भी अहम है क्योंकि यही यूरोपीय देशों में वैक्सीन को अप्रूवल देने वाली रेग्युलेट्री एजेंसी है। इसने कई महीने पहले ही आशंका जाहिर की थी कि कुछ कंपनियों के वैक्सीन का डाटा एक्सेस किया जा सकता है। बताया जाता है कि फाइजर और बायोएनटेक कंपनी पर भी सायबर अटैक की कई नाकाम कोशिशें हुईं।
नीदरलैंड्स में फीका रहेगा क्रिसमस
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूट ने देश में पांच हफ्ते का सख्त लॉकडाउन घोषित कर दिया है। रूट ने साफ कर दिया कि फिलहाल, कोरोनावायरस को रोकने के लिए इससे ज्यादा असरदार कोई उपाय नहीं है। उन्होंने कहा- हम सख्त लॉकडाउन लगाने जा रहे हैं। इस दौरान स्कूल, दुकानें, म्यूजियम और जिम बंद रहेंगे। 19 जनवरी के पहले किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। हम चाहते हैं कि भविष्य में हालात भयावह होने से रोके जाएं और इसके लिए सख्त कदम तो उठाने ही होंगे।
जिस समय मार्क लॉकडाउन का ऐलान कर रहे थे, उसी वक्त उनके ऑफिस के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी सख्ती के विरोध में नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार ने कहा है कि किसी भी घर में ज्यादा से ज्यादा दो मेहमान ही आ सकते हैं और इसके लिए भी लोकल अथॉरिटीज को जानकारी देनी होगी। हालांकि, माना जा रहा है कि सरकार 24 से 26 दिसंबर के बीच कुछ राहत दे सकती है।
कैलिफोर्निया में हालात खराब
अमेरिका के कैलिफोर्निया में संक्रमण के चलते हालात बेहद खराब हो गए हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हफ्ते के आखिर तक राज्य के किसी अस्पताल के आईसीयू में लोगों को भर्ती करने के लिए बेड नहीं मिलेंगे। कुछ अस्पतालों में तो अभी से बेड्स खत्म हो गए हैं। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया के अस्पतालों में इस वक्त सिर्फ 1.5 फीसदी बेड्स खाली हैं।
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अमेरिकी कोर्ट ने तहव्वुर राणा की जमानत याचिका खारिज की , कहा- वह समाज के लिए खतरा December 13, 2020 at 11:38PM
अमेरिका के एक कोर्ट ने मुंबई हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। राणा ने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी। कोर्ट को बेल पैकेज के तौर पर मोटी रकम देने की पेशकश भी की थी। हालांकि, अमेरिकी सरकार ने कोर्ट से उसे बेल नहीं देने का अनुरोध किया। इसके बाद उसकी याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि मुंबई हमले में राणा ने अहम भूमिका निभाई। उसे जमानत पर रिहा करने से वह समाज के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
राणा को शिकागो में 14 साल की सजा हुई थी, लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने और सेहत खराब होने के आधार पर सजा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया गया। भारत ने उसके प्रत्यर्पण की अपील की थी। भारत में हत्या और हत्या की साजिश में शामिल होने के आधार पर उसे सौंपने की मांग की थी। इसके बाद, जून 2019 में उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था।
2018 में राणा के खिलाफ भारत ने जारी किया था वारंट
राणा के खिलाफ अगस्त 2018 में भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के स्पेशल कोर्ट ने भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। वकीलों के मुताबिक राणा अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मुंबई हमले की साजिश में शामिल था। पाकिस्तान में 2006 से 2008 के बीच साजिश रची गई थी, राणा ने लश्कर-ए-तैयबा की मदद की थी।
26/11 के आतंकी हमलों में 166 लोग मारे गए थे
26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमले किए थे। उनमें 166 लोग मारे गए और 300 घायल हुए थे। मरने वालों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी थे। एनकाउंटर में पुलिस ने 9 आतंकवादियों को मार गिराया और अजमल कसाब को गिरफ्तार किया था। 2012 में उसे फांसी दे दी गई।
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