कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिकी में अश्वेत नागरिक की मौत के बाद भड़की हिंसा पर चिंता जाहिर की। मंगलवार को प्रेस ब्रिफिंग में मीडिया ने उनसे हिंसा रोकने के लिए सेना को उतारने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की योजना के बारे में पूछा। इसके बाद वे 22 सेकेंड तक खामोश हो गए। कुछ देर की चुप्पी के बाद उन्होंने कहा कि जो कुछ भी अमेरिका में हो रहा है उसे हम काफी डर और घबराहट से देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह सभी को साथ लाने और सुनने का समय है, जिससे हम सालों और दशकों के विकास के बावजूदअश्वेतों केसाथ हुई नाइंसाफी को समझ सकें।
नस्लभेद से लड़ने की जरूरत है: जस्टिन ट्रूडो
ट्रूडो ने कहा कि कनाडा में भी नस्लभेद से लड़ने की जरूरत। वे इससे पहले भी कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका के मिनेपोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद कई बार अपने देश में रंगभेद को खत्म करने की बात कर चुके हैं। जब उनसे इस मामले में ट्रम्प की ओर से की गई कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर मेरा काम यहां के लोगों के लिए खड़े होना है।
उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया ने पत्रकारों के काम का बचाव किया
कनाडा की उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने हिंसा के रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों के कामों का बचाव किया। उन्होंने कहा कि पत्रकार किसी के दुश्मन नहीं है। वे लोगों की सेवा करते हैं। इन दिनों अमेरिका में पत्रकार पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों के निशाने पर हैं। हिंसा भड़कने के बाद से ही कई पत्रकार पुलिस की ओर से दागे गए रबर बुलेट से घायल हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भी कई बार मीडिया की आलोचना कर चुके हैं। पिछले साल उन्होंने कहा था कि प्रेस लोगों का दुश्मन है।
In all, nine states and the District of Columbia held primary elections to decide a series of state and federal contests, including the 2020 presidential race .
अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों मौत के बाद 8 दिन से प्रदर्शन जारी है। भारी संख्या में सुरक्षाबल के तैनात होने के बाद हिंसा कम हुई है। हालांकि, देश के कई राज्यों में शांतिपूर्ण ढंग से अब भी प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि मेरी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बाद अश्वेत समुदाय के लिए सबसे ज्यादा काम किया है।
उन्होंने कहा, ‘अश्वेतों के कॉलेजों के लिए फंड की गारंटी दी, क्रिमिनल जस्टिस रिफॉर्म लाया गया।देश में अश्वेतों में बेरोजगारी, गरीबी और अपराध दर सबसे कम है।’ उन्होंने डेमोक्रेट्सके जो बिडेन पर पिछले 40 साल में अश्वेतों के लिए कुछ भी नहीं करने का आरोप भी लगाया।
लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड की मौजूदगी में प्रदर्शन
प्रदर्शन को देखते हुए देश के 40 शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है। लॉस एंजिल्स में कर्फ्य लागू होने और नेशन गार्ड्स की मौजूदगी के बावजूद शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया गया। विरोध कर रहे लोगपुलिस मुख्यालय और सिटी हॉल के सामने भारी संख्या में जुटे। प्रदर्शन के दौरान लॉस एंजिल्स के मेयर एरिक गार्केटीसम्मान में घुटनों के बल बैठे नजर आए। पोर्टलैंड में 10 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन किया। इस बीच सिएटल ने कर्फ्यू 6 जून तक बढाने की घोषणा की। न्यूयॉर्क के मेयर बिल डे ब्लासियो ने भी इसे 7 जून तक बढ़ाने का फैसला किया। कई दूसरे राज्य भी इस पर विचार कर रहे हैं।
पुलिस प्रदर्शनकारियों पर केमिकलका इस्तेमाल कर रही
कई राज्यों में पुलिस ने विरोध कर रहे लोगों पर केमिकलऔर रबर बुलेट का इस्तेमाल किया। पुलिसका कहना है कि वे लूट और हिंसा रोकने के लिए ऐसा करने पर मजबूर हैं। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस बेवजह ऐसा कर रही है। देश के कई हिस्सों से ऐसे वीडियो फुटेज और तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें पुलिस रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले दागते नजर आ रही है। नॉर्थ कैरोलिना में प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केमिकल एजेंट का इस्तेमाल किया गया। यहांप्रदर्शनकारीको एआर राइफल और 30 राउंड मैगजीन के साथ गिरफ्तार किया।
ज्यादती करने वाले पुलिसकर्मियों पर हो रही कार्रवाई
एटलांटा में भी पुलिस की प्रदर्शनकारियों से ज्यादती सामने आई। यहां पुलिस को कार में बैठे दो प्रदर्शनकारियों को उनकी कार से घसीट कर बाहर निकालते देखा गया। इन दोनों पुलिसकर्मियों ने पहले कार का कांच तोड़ डाला, इसके बाद प्रदर्शनकारियों को बाहर निकालकर उनसे बदसलूकी की। इसमें शामिल दोनों पुलिसकर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। लुइसविल, केंटकी में दो पुलिसकर्मियों को एक व्यक्ति को शूट करने के बाद सेवा से हटा दिया गया। इन पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के दौरान अपना बॉडी कैमरा एक्टिवेट नहीं किया था। उटाह में एक प्रदर्शनकारी को बेरहमी से लाठियों से पीटने के मामले में जांच की जा रही है।
A majority of Americans sympathize with nationwide protests over the death of an unarmed black man in police custody and disapprove of President Trump’s response to the unrest, according to a Reuters/Ipsos poll. The survey conducted on Monday and Tuesday found 64% of American adults were sympathetic to protests while 27% said they were not and 9% were unsure.
Canadian Prime Minister Justin Trudeau said Tuesday that Canadians are watching what's unfolding in the United States with "horror and consternation" and he paused for 21 seconds when asked about US President Donald Trump and the use of tear gas against protesters to clear the way for a photo opportunity.
अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस अफसर के हाथों निर्मम हत्या के बाद अमेरिका में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हालांकि, हिंसा अब थम चुकी है। इस बीच, आरोपी पुलिस अफसर डेरेक चौविन की पत्नी कैली ने उससे तलाक की अर्जी दायर कर दी है। सीएनएन के मुताबिक, जॉर्ज की हत्या 25 मई को हुई। कैली ने 28 मई को एक लॉ फर्म के जरिए तलाक की अर्जी दायर कर दी। कैली ने खुद मीडिया से बातचीत नहीं की। लेकिन, दो बातें लॉ फर्म के हवाले से सामने आईं। पहली- कैली जॉर्ज की हत्या से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा है कि वो टूटा हुई महसूस कर रही हैं। दूसरी- कैली ने कहा है कि उन्हें तलाक के बदले हर्जाने के तौर पर डेरेक से फूटी कौड़ी भी नहीं चाहिए।
बहरहाल, इस कहानी के बीच, नजर उन तस्वीरों पर डालते हैं जो जॉर्ज की मौत के बाद जारी अमेरिका में जारी विरोध प्रदर्शनों से आ रही हैं।
US First Lady Melania Trump has urged people to obey curfew, clear streets and spend time with their loved ones, in the wake of violent protests sparked across the country by the custodial killing of African-American George Floyd.
स्लोवेनिया की सरकार ने 15 मई को देश में कोरोना महामारी को आधिकारिक रूप से खत्म घोषित कर दिया था। ऐसा करने वाला यह पहला यूरोपीय देश था। रोजाना महज एक या दो केस आने के कारण स्लोवाक सरकार ने यह ऐलान किया। मार्च के आखिरी में इसी देश में हर दिन 40 से 70 के बीच नए मामले सामने आ रहे थे, जो उस समय भारत में आ रहे मामलों के लगभग बराबर ही थे।
अब स्लोवेनिया में महज 6 एक्टिव केस हैं। कई और भी देश हैं जहां एक्टिव केस की संख्या इकाई के अंकों में सिमट गई है। आइसलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देश भी इसमें शामिल हैं।
कोरोना के खिलाफ बेहतर तैयारियों के कारण अब ये देश कोरोना मुक्त होने की कगार पर हैं। हमने इनकी इन्हीं बेहतर तैयारियों को समझने की कोशिश की। इसके लिए 100 से ज्यादा संक्रमितों वाले उन देशों को चुना जहां अब एक्टिव केस 1 से 10 के बीच में हैं। हमने ऐसे 12 देश पाए। इन्हीं देशों के महामारी से लड़ने के तरीकों पर एक रिसर्च रिपोर्ट...
आइसलैंड ने 5 मई तक अपनी 13.5% आबादी का कोरोना टेस्ट कर लिया था
आइसलैंड में कोरोना का पहला केस 28 फरवरी को आया था लेकिन जनवरी के आखिरी हफ्ते से ही यहां बाहर से आने वाले लोगों की हॉस्पिटल्स में टेस्टिंग शुरू कर दी गई थी, जबकि इस वक्तज्यादातर देशों में एयरपोर्ट पर ही स्क्रीनिंग कर यात्रियों को जाने दिया जाता था। फरवरी की शुरुआत से ही यहां सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने जैसी सावधानियां बरतने के मीडिया कैंपेन शुरू हो चुके थे।
5 मई तक आइसलैंड ने अपने 13% लोगों का कोरोना टेस्ट कर लिया था। वे लोग जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे, लेकिन दूसरे देशों से लौट रहेथे, उन सभी का टेस्ट किया गया। इससे यह भी पता चला कि 0.6% केस ऐसे थे जिनमें कोरोना के बिल्कुल भी लक्षण नहीं थे, लेकिन वे वायरस के वाहक बने हुए थे। ऐसे में वायरस के हॉट स्पॉट बने देशों से आए लोगों को आइसोलेट ही रखा गया।
यहां टोटल लॉकडाउन की दरकार तो नहीं रही लेकिन हाई स्कूल, हेयर सलून और कुछ गैर जरूरी बिजनेस सेक्टर्स को 15 मार्च से बंद रखने की सलाह दी गई। ये 6 हफ्तों तक बंद रखे गए। 4 मई से इन सभी को भी खोल दिया गया।
न्यूजीलैंड में 48 घंटे में कोरोना पॉजिटिव की कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग पूरी कर ली जाती थी
न्यूजीलैंड में 28 फरवरी को पहला केस मिला था। इससे 25 दिन पहले ही यानी 3 फरवरी से ही सरकार ने चीन से आने वाले यात्रियों की एंट्री पर रोक लगा दी थी, इसमें सिर्फ न्यूजीलैंड के नागरिकों को छूट थी। यहां जैसे ही मामले 100 के पार हुए तो 21 मार्च को सरकार ने अलर्ट सिस्टम इंट्रोड्यूस कर दिया, तब वहां लेवल-2 रखा गया था। 23 मार्च की शाम को लेवल-3 लगा और जब मामले 200 से ज्यादा हो गए तो 25 मार्च की दोपहर को लेवल-4 यानी लॉकडाउन लगा दिया गया।
न्यूजीलैंड में किसी व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव मिलते ही 48 घंटे के अंदर उसकी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग हो जाती है। यानी, किसी व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव मिलने पर उससे पिछले दिनों में मिलने वाले सभी लोगों को अलर्ट किया जाता था और टेस्ट होने तक सेल्फ-क्वारैंटाइन में रहने की सलाह दी जाती थी।
यहां 5 हफ्तों के सख्त लॉकडाउन के बाद 28 अप्रैल से लॉकडाउन को लेवल-3 पर ले आया गया था। यानी सभी दुकानों और गैर जरूरी बिजनेस सेक्टरों को काम फिर से शुरू करने की परमिशन मिल गई थी।
स्लोवेनिया में फरवरी के पहले हफ्ते में ही महामारी से लड़ने के प्रोटोकॉल तय हो गए थे
स्लोवेनिया की सरकार ने 15 मई को ही देश में कोरोना महामारी को आधिकारिक रूप से खत्म घोषित कर दिया था। ऐसा करने वाला यह पहला यूरोपीय देश था। देश में कोराना का पहला मरीज 4 मार्च को मिला था लेकिन फरवरी के पहले हफ्ते में ही यहां महामारी से लड़ने के लिए बनी कमिटी के प्रोटोकॉल तय हो गए थे। इसमें कौन से हॉस्पिटल्स कोरोना संक्रमितों का इलाज करेंगे, किन डॉक्टर्स को जिम्मेदारी दी जाएगी, यह सब कुछ तय कर लिया गया था।
स्लोवेनिया में प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद 13 मार्च को सरकार बदली थी और 16 मार्च को यहां टोटल लॉकडाउन लगा दिया गया था। समय रहते जल्दी लॉकडाउन लगाना और इसका सख्ती से पालन करवाना ही स्लोवेनिया की कोरोना महामारी पर जीत का कारण रहे। लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए सरकार ने अपनी जीडीपी का 6% (3 अरब यूरो) हिस्सा देश के नागरिकों और बिजनेसमैन को दिया, ताकि लोगों के नुकसान की भरपाई हो सके।
यहां बाहर से आए हर व्यक्ति को 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन किया गया। 15 मई के बाद सभी बिजनेस सेक्टर्स को यहां खोला जाने लगा, स्कूलभी खोल दिए गए। हालांकि पब्लिक इवेंट पर अभी भी पाबंदी जारी है।
आइजले ऑफ मेन ने बिना संक्रमित मिले ही लॉकडाउन कर दिया
एक लाख से कम आबादी वाले इस छोटे से देश में बिना संक्रमित मिले ही 16 मार्च को एक महीने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया था। इमरजेंसी पावर एक्ट के तहत यहां सोशल डिस्टेंसिंग न रखने वालों और सेल्फ आइसोलेशन नियमों को तोड़ने वालों से जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया, सभी गैर जरूरी दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया। 15 अप्रैल को इसे अगले 1 महीने तक बढ़ा दिया गया। यहां आखिरी केस 20 मई को आया था यानी पिछले 14 दिनों से यहां नया मामला नहीं आया है।
मॉरिशस 10वां सबसे ज्यादा घना देश, इसके बावजूद कोरोना संक्रमण रोकने में कामयाब रहा
अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर बसे इस देश की जनसंख्या महज 12 लाख के आसपास है लेकिन यह विश्व में 10वां सबसे ज्यादा घना बसा हुआ देश है। यही कारण रहा कि जब मॉरिशस में पहला केस (18 मार्च) मिला तो 2 दिन बाद से ही यहां स्कूलों, गैर जरूरी दुकानों और बॉर्डर को बंद कर दिया गया। 24 मार्च को जब केस 42 हो गए तो पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया।यहां सरकार की प्राथमिकता टेस्टिंग के साथ-साथ कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग पररही।
मॉरिशस का कोरोना को आसानी से हराने का एक कारण यह भी है कि यहां हेल्थ केयर सिस्टम बहुत अच्छा है। यहां प्रति हजार लोगों पर 3 बेड हैं। मॉरिशस सरकार सोशल प्रोटेक्शन पर अपनी जीडीपी का 9.3% खर्च करती है।
मोंटेग्रो में 28 दिन से नया केस नहीं मिला, सरकार अब देश को कोरोना मुक्त घोषित करने की तैयारी में
यूरोपीय देश मोंटेग्रो में कोरोना का आखिरी केस 5 मई को मिला था। महामारी से होने वाली आखिरी मौत (10 मई) को भी 23 दिन बीत चुके हैं। 24 मई के बाद से यहां कोई एक्टिव केस नहीं है। अब जल्द ही यहां सरकार डब्ल्यूएचओ गाइडलाइन्स के तहतदेश को कोरोना मुक्त घोषित करने की तैयारी में है।
मोंटेग्रों ने पहला कोरोना केस मिलने के 2 दिन पहले ही यानी 15 मार्च को अपनी बॉर्डर सील कर दी थी। मार्च के शुरुआत में ही यहां स्कूलों को बंद कर दिया गया, भीड़ पर पाबंदी लगा दी गई। 26 मई तक मोंटेग्रो में कुल आबादी के 2% जनसंख्या का कोरोना टेस्ट हो चुका था।
फैरो आइलैंड में 23 अप्रैल को आखिरी केस मिला, 9 मई को सरकार ने कोरोना मुक्त घोषित किया
डेनमार्क के इस सेल्फ गवर्निंग आइलैंड ने 9 मई को ही खुद को कोरोना मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया था। ज्वालामुखी और चट्टानों के 18 द्वीपों के इस समूह में आखिरी केस 23 अप्रैल को दर्ज हुआ था। यहां कोरोना से कोई मौत नहीं हुई। 9 मई को जब यहां की स्थानीय सरकार ने प्रेस रिलीज में इलाके को कोरोना मुक्त घोषित किया, तब 48 हजार जनसंख्या वाले इस देश में 18% लोगों का टेस्ट किया जा चुका था।
फैरो आइलैंड के प्रधानमंत्री ने स्टेग नील्सन ने कोरोना पर सफलता का श्रेय समय पर उठाए गए जरूरी कदमों और लोगों द्वारा प्रशासन की गाइडलाइन्स को ठीक से मानने कोदिया।
ग्लोबल हेल्थ सिक्योरिटी इंडेक्स में ब्रुनेई को रिस्क एन्वायरमेंट में स्कोर 66.7, इसी ने कोरोना को मात देने में कामयाबी दिलाई
देश के नेशनल आइसोलेशन सेंटर में अब महज 1 एक्टिव केस है। यहां 7 मई के बाद से कोई नया केस नहीं आया है। ब्रुनेई में टोटल लॉकडाउन तो नहीं किया गया लेकिनराष्ट्रीय स्तर पर कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।
ग्लोबल हेल्थ सिक्योरिटी इंडेक्स 2019 में 32.6 स्कोर के साथ ब्रुनेई 128वें नम्बर पर था लेकिन इसी इंडेक्स में रिस्क इनवायरमेंट में उसका स्कोर 66.7 है, जो उसे इस तरह की आपात परिस्थितियों में बेहतर तैयारी वाला देश बताता है। यही कारण है कि ब्रुनेई ने इस महामारी को बिना लॉकडाउन के ही नियंत्रित कर लिया।
कंबोडिया में पहले लोकल केस मिलने के बाद की कहानी से समझें वहां की तैयारियां
कंबोडिया में 27 जनवरी को ही पहला कोरोना केस ट्रैस हुआ था। वुहान से लौटे एक 60 साल के बुजुर्ग को संक्रमित पाया गया था। इसके बाद से 7 मार्च को एक स्थानीय शख्स में कोरोना पाया गया। यह शख्स एक जापानी यात्री के संपर्क में आया था जिसे कम्बोडिया से लौटने के बाद जापान में 4 मार्च को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। जैसे ही यहां की सरकार को यह सूचना मिली इसके फौरन बाद उस जापानी व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को ट्रैस किया गया। इनमें से 3 की रिपोर्ट नेगेटिव आई और 1 पॉजिटिव मिला।
इन लोगों के संपर्क में आए 40 कंबोडियन लोगों को होम क्वारैंटाइन कर दिया गया। प्रशासन की इस फटाफट कार्रवाई से समझा जा सकता है कि कोरोना की इस लड़ाई को कंबोडिया ने कैसे जीता।
त्रिनिदाद एवं टोबेगो में सख्त लॉकडाउन ने संक्रमण रोका
त्रिनिदाद एवं टोबेगो में 26 अप्रैल के बाद 31 मई को कोरोना का नया संक्रमित मिला। शख्स पहले से ही क्वारैंटाइन था और पहले दो टेस्टों में उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। यहां पहला केस 12 मार्च को मिला और 29 मार्च को लॉकडाउन कर दिया गया। सख्त लॉकडाउन और पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की फौरन कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग के कारण यहां मामले कम ही रहे। यहां कुल 3169 टेस्ट किए गए।
अरूबा में लॉकडाउन तोड़ने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाता था
अटलांटिक महासागर के इस छोटे से आइलैंड ने 13 मार्च को पहला केस मिलने के 4 दिन बाद ही अपनी सीमाएं सील कर दीं थीं। यहां 28 मार्च से रात 9 से सुबह 6 बजे तक का कर्फ्यू लगाया गया था।साथ ही लोगों को बेहद जरूरी काम के लिए ही बाहर जाने की परमिशन थी। यहां मई तक कर्फ्यू तोड़ने वाले 180 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। महज 1 लाख जनसंख्या वाले इस देश में लॉकडाउन की इतनी सख्ती के चलते कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा मार्च के बाद ही थम गया। फिलहाल यहां कोई भी एक्टिव केस नहीं है।
The Pentagon has moved about 1,600 U.S. Army troops into the Washington, D.C., region, the Pentagon said on Tuesday, after several nights of violent protests in the city.
Hong Kong lawmakers are set to resume a debate on Wednesday over a controversial bill that would make disrespecting China's national anthem a criminal offence, as the city ramps up for fresh protests amid simmering anti-government tensions.
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 64 लाख 79 हजार 836 हो गया है। इस दौरान कुल 30 लाख 09 हजार 259 लोग स्वस्थ हुए। 3 लाख 82 हजार 227 लोगों की मौत की मौत हो चुकी है। सिंगापुर दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस हब में से एक माना जाता है। यहां बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर रहते हैं। संक्रमण से यही सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। अब सरकार इनके लिए नई और बेहतर डोरमेट्रीज बनाने जा रही है। इनमें हेल्थ फेसेलिटीज और सफाई की बहुत बेहतर व्यवस्था होगी।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
18,81,205
1,08,059
6,45,974
ब्राजील
5,58,237
31,309
2,40,627
रूस
4,23,741
5,037
1,86,985
स्पेन
2,87,012
27,127
उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन
2,77,985
39,369
उपलब्ध नहीं
इटली
2,33,515
33,530
1,60,092
भारत
2,07,191
5,829
1,00,285
फ्रांस
1,89,220
28,940
68,812
जर्मनी
1,84,091
8,674
1,66,400
पेरू
1,74,884
4,767
69,257
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सिंगापुर : सरकार की तैयारी
सिंगापुर के प्रवासी मजदूरों में संक्रमण फैलने के बाद अब वहां की सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए नई डोरमेट्रीज बनाने का फैसला किया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि इन नई डोरमेट्रीज में पहले से बहुत बेहतर सुविधाएं होंगी। खास तौर पर सफाई का ध्यान रखा जाएगा। जानकारी के मुताबिक, इस साल के आखिर तक सिंगापुर में 60 हजार नई डोरमेट्रीज तैयार कर ली जाएंगी। इसके कुछ महीने बाद इनकी संख्या एक लाख हो जाएगी। बता दें कि सिंगापुर में ज्यादातर संक्रमित इन्हीं डोरमेट्रीज में रहने वाले प्रवासी मजदूर हैं।
पाकिस्तान : सिंध में मंत्री की मौत
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मंत्री हाजी गुलाम मुर्तजा बलोच की मंगलवार को संक्रमण से मौत हो गई। यह जानकारी राज्य सरकार के प्रवक्तान ने दी। पाकिस्तान में लॉकडाउन हटाए जाने के बाद हालात तेजी से खराब हुए हैं। यहां अब तक कुल 79 हजार 929 मामले सामने आ चुके हैं। कुल 1683 लोगों की मौत हो चुकी है। सिंध प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां 31 हजार से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
ब्राजील : हालात काबू में नहीं
यहां 24 घंटे में कुल 1262 संक्रमितों की मौत हो गई। मरने वालों का आंकड़ा 31 हजार 199 हो गया। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, करीब 29 हजार नए संक्रमित मिले। अब तक देश में कुल पांच लाख 55 हजार 383 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। साओ पाउलो सबसे ज्यादा प्रभावित शहर है। 24 घंटे में यहां 327 नए मामले सामने आए। डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को ही ब्राजील को चेतावनी जारी की थी। इसमें कहा गया था कि अगर हालात नहीं संभाले गए तो वहां महामारी बहुत तेजी से बढ़ सकती है।
चिली : एक दिन में साढ़े तीन हजार केस
दक्षिण अमेरिकी देश चिली में कोविड-19 का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। यहां संक्रमितों की संख्या 1 लाख 08 हजार 686 हो गई। 1188 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्री जैमी मनालिक ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान देश में संक्रमण के 3,527 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 75 मरीजों की मौत हुई। राजधानी सैंटियागो समेत अन्य मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में लॉकडाउन पांच जून तक बढ़ा दिया गया है।
इजरायल : फिर नए मामले
इजरायल दुनिया के उन चुनिंदा देशों में है जिसने कोविड-19 पर काफी हद तक काबू पा लिया है। लेकिन, यहां 24 घंटों के दौरान संक्रमण के 116 नए मामले सामने आए। एक मई को 155 मामले सामने आए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अब तक कुल 17 हजार 285 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। मरने वालों को आंकड़ा 287 हो गया है।
अमेरिका में कोरोना से केयर होम्स में 26 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं। शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसियों सीडीसी और सीएमएस की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि मौतों का यह आंकड़ा अधिक हो सकता है क्योंकि रिपोर्ट अमेरिका के 80% केयर होम्स की है।
इसका मतलब यह भी है कि अमेरिका में कोरोना से हुई मौतों में एक तिहाई मौतें केयर होम्स में हुई हैं। ये रिपोर्ट अमेरिका के सभी गवर्नर के लिए तैयार की गई है, ताकि वे आगे सतर्क रहें। केयर होम्स में 60 हजार मामले आए हैं। देश में 15,400 केयर होम्स हैं।
कोरोना की वजह से केयर होम्स की हालत खराब
रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े 24 मई तक के हैं। सीडीसी के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड और सीएमएस प्रशासक सीमा वर्मा ने कहा कि आंकड़े और देशभर से मिली रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि वायरस की वजह से केयर होम्स की हालत खराब है। अमेरिका में अब तक 18,59,597 मामले आए हैं। जबकि 1,06,927 मौतें हुई हैं।
सिंगापुर: संक्रमण के 94% मामले डॉरमैट्री में
सिंगापुर में 94 फीसदी कोरोना मरीज डॉरमैट्री में मिले हैं। यहां 43 डॉरमैट्री में करीब 2 लाख प्रवासी कामगार रहते हैं। अब सरकार यहां एक लाख प्रवासी कामगारों के लिए अलग से कई डॉरमैट्री बनाने जा रही है। राष्ट्रीय विकास मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है।
सिंगापुर में प्रवासी कामगार कंस्ट्रक्शन और घरेलू कामों से जुड़े
सिंगापुर में 14 लाख प्रवासी कामगार रहते हैं। ज्यादातर कामगार कंस्ट्रक्शन और घरेलू कामों से जुड़े हैं। जगह की कमी के कारण एक-एक डॉरमैट्री के एक-एक कमरे में 20-20 लोगों तक को रहना पड़ता है। सिंगापुर में 35,292 मामले आए हैं। जबकि 544 मौतें हुई हैं।
इटली के फ्लोरेंस में साइकिल और टू-व्हीलर बेचने वाली कंपनी प्रो-बाइक के मालिक एनरिको लेपोर इन दिनों बहुत हैरान हैं। तीन महीने पहले तक लगभग खाली रहे एनरिको अपनी दुकान के बाहर साइकिल खरीदने वालों की भीड़ देखकर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।
वे बताते हैं, ‘‘हमने दो महीने में ही पिछले साल की तुलना में दोगुनी साइकिलें बेच दी हैं। स्टॉक खत्म हो चुका है।’’
ऐसी ही स्थिति यूरोप, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, और डेनमार्क जैसे कई देशों में हैं। लॉकडाउन में पूरी तरह खाली सड़कों ने ऐसे लोगों को भी साइकिल का शौकीन बना दिया, जो इसे पसंद नहीं करते थे।
साइकिल की मांग के चलते कार चलाने वाले घटे
साइकिल की मांग के बीच कार चलाने वाले घट रहे हैं। न्यूयॉर्क में बाइक शेयरिंग सिस्टम 67% बढ़ा है। स्विट्जरलैंड में साइकिल बिक्री 171%, जबकि फिलाडेल्फिया में 151% बढ़ी है। टू-व्हीलर की वैश्विक राजधानी डेनमार्क में साइकिल बिक्री दो से तीन गुना बढ़ी है।
डेनमार्क मेंमेछले साल की तुलना में दोगुनी हुई बिक्री
कोपेनहेगन में ओमनियम बाइक्स के मालिक जेम्स रुबिन बताते हैं, ‘‘हम कारोबार के अब तक के सालों में सबसे व्यस्त समय गुजार रहे हैं। हमने अप्रैल-मई में ही 2019 में हुई बिक्री की तुलना में दोगुनी साइकिलें बेच दी हैं।’’
साइकिल कंपनियों के शेयर 15% बढ़े: दुनिया भर में साइकिलों की बिक्री बढ़ने और सरकारी नीतियों से साइकिल उद्योग को नई जिंदगी मिल गई है। एफटीएसई पर इन कंपनियों के शेयर दो महीने में 15% से ज्यादा चढ़े हैं। तीन महीने पहले तक संघर्ष कर रही साइकिल इंडस्ट्री को अब शायद सरकार से आर्थिक पैकेज की जरूरत भी नहीं होगी।
पेरिस में 650 किमी ट्रैक बनेगा, ब्रिटेन 18,000 करोड़ निवेश करेगा
कई देश नई ट्रांसपोर्ट नीति बना रहे हैं। इटली में 40 हजार रुपए तक की साइकिल खरीदने पर 60% खर्च सरकार दे रही है। फ्रांस पार्किंग पर 188 करोड़ खर्च करेगा, पेरिस में 650 किमी का ट्रैक बनेगा।
ब्रिटेन साइकिल इंफ्रा पर 18,000 करोड़ खर्च करेगा। अमेरिका के सिएटल में 32 किमी ट्रैक बना है। इटली के बोलोग्ना में 495 किमी साइकिल लेन बनेगी।