Friday, July 10, 2020
ट्रम्प ने कहा- बहुत बड़े और मेरिट बेस्ट इमिग्रेशन बिल की तैयारी कर रहे, बचपन में आए विदेशियों को भी नागरिकता मिल सकेगी July 10, 2020 at 07:38PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वे एक नए और बहुत बड़े मेरिट बेस्ड इमिग्रेशन सिस्टम की तैयारी कर रहे हैं। नए इमिग्रेशन बिल में डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल (डीएसीए) प्रोग्राम से जुड़े लोगों को भी नागरिकता देने का प्रावधान होगा। इसका मतलब यह हुआ कि उन प्रवासियों को नागरिकता मिल सकती है जो बचपन में अमेरिका आए थे और एक तरह से गैर-कानूनी तरीके से वहां रह रहे हैं।
क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं होने पर ही मिलता है डीएसीए का फायदा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2012 में डीएसीए पॉलिसी लागू की थी। यह पॉलिसी उन लोगों को अमेरिका में रुकने की परमिशन और वर्क परमिट देने के लिए लाई गई जो कि 16 साल से कम की उम्र में गैर-कानूनी तरीके से अमेरिका आए थे। हालांकि, यह शर्त है कि कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए। डीएसीए को हर 2 साल में रिन्यू करवा सकते हैं।
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नए बिल का मतलब यह नहीं है कि अवैध रूप से आने वालों को माफी दे रहे हैं। ट्रम्प काफी समय से कहते रहे हैं कि वे डीएसीए का समाधान चाहते हैं। इसमें सीमा की सुरक्षा और मेरिट के आधार पर डीएसीए के योग्य लोगों को सिटीजनशिप देने जैसे सुधार शामिल करना चाहते हैं।
पहले चर्चा थी ट्रम्प डीएसीए योजना को खत्म कर सकते हैं। ट्रम्प ने डीएसीए से जुड़ी डील नहीं होने के लिए डेमोक्रेट्स को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेट्स मान जाते तो 2 साल पहले ही डील हो जाती।
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प्रधानमंत्री ली सेन लूंग की पार्टी जीती; विपक्षी वर्कर्स पार्टी को 10 सीटें मिली, भारतवंशी प्रीतम सिंह संसद में विपक्ष के नेता होंगे July 10, 2020 at 07:37PM
कोरोना के बीच हुए चुनाव में सिंगापुर की सत्तारुढ़ पिपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) ने जीत हासिल की है। प्रधानमंत्री ली सेन लूंग की पार्टी ने 93 में से 83 सीटें जीती। इलेक्शन ऑफिसर तान मेंग दुई ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। जीत मिलने के बाद लूंग ने कहा, ‘‘मैं महामारी से निपटने और आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए इस जनादेश का इस्तेमाल करुंगा। सिंगापुर के लोगों ने मुझपर और पार्टी पर भरोसा किया, इस पर मुझे गर्व है।’’
विपक्षी वकर्स पार्टी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की। यह देश में अब तक किसी भी पार्टी की ओर से हासिल की गई सबसे ज्यादा सीटें हैं।पार्टी ने यह चुनाव जनरल सेक्रेटरी प्रीतम सिंह की अगुवाई में लड़ा था। प्रीतम अब संसद में विपक्ष के नेता होंगे। उनकी पार्टी को 2015 की तुलना में चार सीटें ज्यादा मिली हैं।
पीएपी 1965 से ही सत्ता में है
पीएपी यहां पर 1965 से ही सत्ता में है। इस बार इसे 61.24 फीसदी वोट हासिल हुए। यह2015 में हुए चुनावों की तुलना में 8.7 फीसदी कम है। पिछले चुनावों में प्रधानमंत्री लूंग की पार्टी को 69.9 फीसदी वोट मिले। ली सेन लूंग 2004 से सिंगापुर के प्रधानमंत्री है। ली सिंगापुर की स्थापना करने वाले ली कुआन यू के बेटे हैं।
11पार्टियां मैदान में थीं
चुनाव में पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) समेत 11 पार्टियां चुनाव में उतरी थी। पीएपी ने इस चुनाव में किसी भी भारतीय मूल के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था। हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने12 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। पिछले 9 दिनों से चुनाव प्रचार चल रहा था। सरकार ने प्रचार के दौरान रैली निकालने और सार्वजनिक सभा करने पर पाबंदी लगाई थी।
वोटिंग के दौरान सुरक्षा का ध्यान रखा गया
संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग शुक्रवार को हुई थी। इस दौरान सुरक्षा उपायों का ध्यान रखा गया था। लोगों मतदान केंद्रों परमास्क लगाए और हाथ में ग्लव्स पहनकर वोटिंग करने पहुंचे थे। यह चुनाव प्रधानमंत्री ली सेन लूंग का टेस्ट भी है। उम्मीद है कि सत्ता में मौजूद पार्टी की फिर वापसी होगी।वोटिंग सुबह आठ बजे शुरू हुई। पहले रात आठ बजे तक वोटिंग होनी थी, लेकिन बाद में इसका समय दो घंटे बढ़ा दिया गया था।
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डब्ल्यूएचओ चीफ ने मुंबई के धारावी का उदाहरण देकर कहा- तेजी से कार्यवाही कर संक्रमण को नियंत्रित करना संभव है July 10, 2020 at 06:25PM
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के चीफ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस का कहना है कि कोरोनावायरस को कंट्रोल करना अब भी संभव है। उन्होंने इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और मुंबई के धारावी का उदाहरण देते हुए कहा कि इन जगहों पर स्थिति काफी खराब थी, लेकिन तेजी से कार्यवाहीकरने से कंट्रोल हो गई।
'जहां पाबंदियां हट रहीं वहां संक्रमण बढ़ रहा'
डब्ल्यूएचओ चीफ का कहना है कि कम्युनिटी एंगेजमेंट, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेटिंग और सभी बीमारों के इलाज पर फोकस कर कोरोना की चेन को तोड़ना और संक्रमण को खत्म करना संभव है। हर देश की कुछ लिमिट हैं। जहां पाबंदियां हट रही हैं, वहां संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं। ऐसे में सभी लोग एकजुटता और तेजी दिखाएं तो फायदा हो सकता है।
'भीड़ वाले इलाकों में संक्रमण रोककरदूसरे लॉकडाउन से बच सकते हैं'
दूसरी तरफ डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम के हेड डॉ. माइक रेयान का कहना है कि मौजूदा हालात में कोरोनावायरस को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल लग रहा है। हालांकि, भीड़ वाले इलाकों में संक्रमण को रोककर कोरोना की दूसरी लहर के सबसे खराब दौर और फिर से लॉकडाउन जैसी स्थिति से बचा जा सकता है।
दुनिया के 196 देशों में दिसंबर 2019 से अब तक कोरोना के 1.26 करोड़ केस आ चुके। अब तक 5.59 लाख लोगों की मौत हो चुकी। भारत में 8.21 लाख केस आए और 22 हजार लोगों की मौत हो गई।
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दुनिया के सबसे बेहतरीन स्टील्थ फाइटर जेट्स बनाएगा जापान, अमेरिका उसे एफ-35 लड़ाकू विमान देगा July 10, 2020 at 05:48PM
जापान दुनिया के सबसे बेहतरीन स्टील्थ फाइटर जेट्स बनाने जा रहा है। यह स्टील्थ फाइटर जेट्स दो इंजन वाले होंगे और अगले कुछ साल में तैयार हो जाएंगे। डिफेंस मिनिस्ट्री ने इस प्रोजेक्ट की जानकारी संसद को दे दी है। माना जा रहा है कि चीन की तरफ से सेनकाकू आईलैंड और दूसरे विवादों में जापान को सैन्य टकराव की आशंका है। लिहाजा, वह अपनी तरफ से तैयारियां पुख्ता करने जा रहा है।
इस बीच, अमेरिका और जापान के बीच एफ-35 फाइटर जेट्स की डील भी हो गई है। अमेरिका के इन फाइटर जेट्स को अपनी कैटेगरी में बेहद खतरनाक माना जाता है।
सिक्सथ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट्स
जापान के पास फिलहालअमेरिका में बने 100 एफ-2 फाइटर जेट्स हैं। वह अब अपनी एयरफोर्स को नए सिरे से तैयार कर रहा है। उसका पूरा फोकस चीन से निपटने पर है। जापान के पास टेक्नोलॉजी भी है और दूसरे रिर्सोसेस भी। लिहाजा, उसने स्टील्थ फाइटर प्रोजेक्ट को तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2031 तक जापान स्टील्थ फाइटर जेट्स की पूरी फ्लीट तैयार कर लेगा और सहयोगी देशों को इन्हें बेच भी सकेगा।
अमेरिका की बराबरी पर आएगा
स्टील्थ फाइटर जेट्स के मामले में अमेरिका इस वक्त दुनिया में सबसे आगे है। ऑस्ट्रेलिया पहले ही इस पर काम शुरू कर चुका है। अब जापान भी इसी नक्शेकदम पर चल पड़ा है। उसने शुरुआती बजट 6100 लाख डॉलर रखा है। इसके अलावा वो मिलिट्री ड्रोन प्रोजेक्ट भी आगे बढ़ाएगा।
स्टील्थ में ये खूबियां हो सकती हैं
सीएनएन के मुताबिक, जापान के स्टील्थ फाइटर जेट्स में मिसाइल इस तरह से फिट होंगी जो एक साथ दुश्मन के कई एयरक्राफ्ट्स को निशाना बना सकें। इसे इंटीग्रेटेड फायर कंट्रोल नेटवर्क शूटिंग कहते हैं। अमेरिका के एफ-22 स्टील्थ फाइटर जेट्स से बेहतर हथियार रखने की कैपेसिटी होगी। यह बेहद तेजी से पलट सकेंगे और उसी रफ्तार से निशाना भी लगा सकेंगे। डिफेंस मिनिस्टर तारो कोनो ने पिछले महीने साफ कहा था कि अब चीन से मुकाबले के लिए जापान को कमर कस लेनी चाहिए।
एफ-35 भी खरीदेगा
जापान ने चीन से मुकाबले की तैयारी भी शुरू कर दी है। उसने काफी महंगे लेकिन, बेहद खतरनाक अमेरिकी एफ-35 फाइटर जेट्स को खरीदने की प्रॉसेस पूरी कर ली है। जापान सरकार ने 100 एफ-35 खरीदने की डील कर ली है। अगले महीने पहला फाइटर जेट मिल सकता है। इनके अलावा जापान अमेरिका से ही 42 एफ-35बी जेट्स भी खरीदेगा। यह वर्टिकल लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला फाइटर एयरक्राफ्ट है। जापान की नेवी के लिए इसकी काफी अहमियत है।
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President Trump working on executive order to establish merit-based immigration system: White House July 10, 2020 at 05:45PM
Singapore's ruling PAP wins general election July 10, 2020 at 05:28PM
पाकिस्तान ने संक्रमण के मामले में इटली को पीछे छोड़ा, बोलिविया सीनेट की अध्यक्ष संक्रमित; दुनिया में 1.26 करोड़ केस July 10, 2020 at 05:30PM
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 1 करोड़ 25 लाख 4 हजार 363 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 72 लाख 92 हजार 131 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, 5 लाख 59 हजार 585 की मौत हो चुकी है।कोरोना संक्रमितों के मामले में पाकिस्तान ने इटली को पीछे छोड़ दिया हैं। 2 लाख 43 हजार 599 पॉजिटिव केस के साथ यह दुनिया में 11 वें पायदान पर पहुंच गया है। शुक्रवार को 2 हजार 751 नए मामले सामने आए।अब तक यहां 5058 लोगों की जान गई हैं।
बोलिविया में सीनेट की अध्यक्ष मोनिका एवा कोपा कोरोनासंक्रमित पाई गई हैं। उन्होंने ट्वीट किया , ‘‘मेरा कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है। महामारी प्रोटोकॉल का पालन कर रही हूं और कुछ समय तकआइसोलेट रहूंगी। मेरी हालत स्थिर है और अपना काम करती रहूंगी।’’बोलिविया की अंतरिम राष्ट्रपति जीनिन एनेज शावेज, स्वास्थ्य मंत्री, सेंट्रल बैंक के प्रमुख और राष्ट्रपति प्रशासन के प्रमुख भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं और इनका इलाज जारी है।
10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश |
कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 32,50,704 | 1,36,158 | 1,437,774 |
ब्राजील | 17,68,970 | 69,406 | 1,185,596 |
भारत | 8,21,458 | 22,143 | 5,16,192 |
रूस | 7,13,936 | 11,017 | 489,068 |
पेरू |
31,6,448 |
11,314 | 2,07,802 |
स्पेन | 3,00,988 | 28,403 | उपलब्ध नहीं |
चिली | 3,09,274 | 6,781 | 2,78,053 |
ब्रिटेन | 2,88,133 | 44,650 | उपलब्ध नहीं |
मैक्सिको | 2,82,283 | 33,526 | 1,72,230 |
ईरान | 2,52,720 | 12,447 | 2,15,015 |
ब्रिटेन: 75 देशों के लोगों के देश में आने की इजाजत
ब्रिटेन ने शुक्रवार को 75 देशों से लोगों के आने की इजाजत दे दी है। ब्रिटेन के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने इन देशों की लिस्ट जारी की है।इसमें अमेरिका शामिल नहीं है। यात्रा नियमों में जिन देशों को राहत दी गई है वहां से आने वाले लोगों को अब 14 दिन तक क्वारैंटाइन में रहने की जरूरत नहीं होगी। ब्रिटेन में पिछले 24 घंटे में 48 मौतें हुई हैं। इसके साथ ही मौतों की संख्या 44 हजार 650 हो गई है। देश ने लॉकडाउन की पाबंदियों में पिछले महीने राहत दी थी।
फ्रांस: बेरोजगार हुए लोगों के लिए योजना में धोखाधड़ी
फ्रांस में महामारी से बेरोजगार हुए लोगों के लिए शुरू योजना में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां सरकार ने यह योजना रेस्तरां, स्कूल और बिजनेस सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए शुरू की है। इसके तहत बेरोजगार कर्मचारियों को सब्सिडी दी जाती है। पेरिस के प्रॉसक्यूटर ऑफिस ने शुक्रवार को बताया कि कुछ अपराधियों ने इसका गलत इस्तेमाल किया। योजना के तहत दो मिलियन यूरो (करीब 17 करोड़) रुपए निकाले गए, जो बेरोजगार लोगों तक नहीं पहुंचे। अब इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
चीन: विदेश मंत्रालय ने कहा- हम संक्रमण रोकने में डब्ल्यूएचओ के साथ
चीन ने डब्ल्यूएचओ से अपने संबंधों को लेकर अमेरिका की टिप्पणी को बेबुनियाद बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान नेकहा चीन संक्रमण रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर काम कर रहा है। एक बड़ा और जिम्मेदार देश होने के नाते दुनिया हम ऐसा कर रहे हैं। अमेरिका पहले ही डब्ल्यूएचओ से अलग हो चुका है। ऐसे में इसे चीन और डब्ल्यूएचओ के संबंधों पर टिप्पणी करने का हक नहीं है।
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इमरान की पीआईए चीफ को वॉर्निंग- एक हफ्ते में रिस्ट्रक्चरिंग प्लान दें, खर्च घटाएं; हर महीने 6 अरब रुपए का घाटा July 10, 2020 at 05:07PM
अमेरिका, ईयू के अलावा कई देशों के पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) पर बैन लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान एक्टिव हो गए हैं। इमरान ने शुक्रवार को पीआईए चीफ अरशद मलिक को तलब किया। मलिक से इमरान ने कहा कि वे एक हफ्ते में सरकारी एयरलाइंस का रिस्ट्रक्चरिंग प्लान सरकार को सौंपें और फौरन खर्च कम करें।
एविएशन मिनिस्टर गुलाम सरवर खान ने पिछले महीने संसद में खुलासा किया था कि देश के 850 में से 40% पायलटों के पास फर्जी लाइसेंस और डिग्रियां हैं। इसके बाद अमेरिका और ईयू समेत कई देशों ने पाकिस्तानी पायलटों और वहां की एयरलाइन्स पर बैन लगा दिया था।
मुल्क की बेइज्जती
जियो न्यूज के मुताबिक, अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के पायलटों और एयरलाइन्स पर बैन के बाद सरकार काफी परेशान है। यही वजह है कि इमरान ने शुक्रवार दोपहर पीआईए चीफ अरशद मलिक को सीधे तलब किया। इमरान ने मलिक से दो टूक कहा कि वो एक हफ्ते के भीतर पीआईए का रिस्ट्रक्चरिंग प्लान पेश करें। इमरान ने मलिक से कहा कि पीआईए के खर्च भी कम किए जाएं। इसके लिए अलग से प्लान मांगा गया है।
पीएम सफाई सुनने तैयार नहीं
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलिक ने इमरान को सफाई देनी चाही लेकिन, पीएम इसे सुनने तैयार नहीं थे। दरअसल, मलिक प्रधानमंत्री को यह बताना चाहते थे कि यूरोपीय यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (ईएएसए) से वह बैन हटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। लेकिन, इमरान ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बता दें कि ईएएसए के कहने पर यूरोप के 32 देशों ने पीआईए और उसके पायलटों को बैन कर दिया है।
हर महीने 6 अरब रुपए का घाटा
रिपोर्ट के मुताबिक, पीआईए की हालत इतनी खराब हो गई है कि इस नेशनल कैरियर को कभी भी बंद किया जा सकता है। इस सरकारी एयरलाइन कंपनी को हर महीने करीब 6 अरब पाकिस्तानी रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। पैसेंजर्स बढ़ाने के लिए डोमेस्टिक टिकट के रेट कम किए गए। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ। हर साल सैलरीज पर ही 24 अरब रुपए खर्च होते हैं। एयरलाइन में 14 हजार 500 कर्मचारी हैं।
पाकिस्तान के फर्जी पायलटों से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...
1. अब मलेशिया ने पाकिस्तान के पायलटों पर बैन लगाया, कहा- पाकिस्तान के एविएशन मिनिस्टर ने खुद माना कि उनके 40% पायलट फर्जी हैं
2. पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस के 860 में से 150 पायलट नहीं उड़ा सकेंगे प्लेन, 262 पायलट्स का एग्जाम किसी और ने दिया था
3. पाकिस्तान में फर्जी लाइसेंस वाले 262 पायलट्स के एयरकाफ्ट उड़ाने पर रोक, इनके खिलाफ जांच होगी, दोषी पाए गए तो जेल जाएंगे
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चुनावी सर्वे में पिछड़ने के बाद ट्रम्प ने खेला अप्रवासी विरोधी कार्ड, वर्क वीजा, एच-1बी जैसे फैसले से अश्वेतों को खुश करने की कवायद July 10, 2020 at 02:39PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चुनावी मूड में आ गए हैं। बीते माह के सर्वे और पोल में घटती लोकप्रियता के बाद ट्रम्प ने अपना अप्रवासी विरोधी कार्ड चल दिया है। इसी के दम पर वे सत्ता में पहुंचे थे। इस कड़ी में पहले ट्रम्प ने वर्क वीजा, एच-1बी वीजा और फिर ऑनलाइन क्लास लेने वाले छात्रों को देश छोड़ने का फरमान सुनाया है।
इस आदेश से एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करने वाले 4 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। जानकार बताते हैं कि कई सर्वे और पोल बताते हैं कि ट्रम्प अपने अप्रवासी विरोधी आधार वोटरों के बीच लोकप्रियता खोते जा रहे हैं। साथ ही डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बिडेन से भी पिछड़ रहे हैं।
इसने ट्रम्प की कैंपेन टीम की बैचेनी बढ़ा दी है। ट्रम्प ने खुद व्यक्तिगत रूप से घटती लोकप्रियता को उस समय महसूस किया, जब तुलसा में उनकी चुनावी रैली फ्लॉप रही। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस रैली में 10 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का दावा किया था।
लेकिन, उनकी प्रचार टीम के साथ कहासुनी हो गई, जब रैली में सिर्फ 6,200 लोग ही पहुंचे। न्यूजर्सी स्थित ड्रू यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय मिश्रा बताते हैं कि आईसीई आदेश विनाशकारी है और ट्रम्प के अप्रवासी विरोधी नजरिए को दर्शाता है।
बड़ी संख्या में छात्रों को देश छोड़ना पड़ेगा
ट्रम्प के इस आदेश ने छात्रों को अधर में डाल दिया है। बड़ी संख्या में छात्रों को देश छोड़ना पड़ेगा और जो देश के बाहर हैं, उनके सामने वीजा मिलने की अनिश्चिताएं बढ़ गई हैं। साथ ही ट्रम्प प्रशासन विश्वविद्यालयों पर अगस्त से स्कूल खोलने का दबाव डाल रहा है, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि हालात नॉर्मल हो रहे हैं।
हॉर्वर्ड समेत कई संस्थाएं कोरोना की वजह से सुरक्षा कारणों के चलते अगले शैक्षणिक साल में ऑनलाइन क्लास की घोषणा कर चुके हैं। इसलिए, छात्र असहाय हैं क्योंकि यह उनका निर्णय नहीं है। दूसरी तरफ हाॅर्वर्ड और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के नेतृत्व में एक दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों ने आदेश को रोकने के लिए अदालत का रुख किया है।
हाॅर्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट लैरी बैको कहते हैं कि हमारा विश्वास है कि यह पॉलिसी बेहद खराब होने के साथ ही गैरकानूनी भी है। यह हाॅर्वर्ड जैसे कई संस्थाओं के सोचे-समझे नजरिए को नजरअंदाज करता है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी अपना अध्ययन स्वस्थ और सुरक्षित रहते हुए इस महामारी में जारी रख सकते हैं।
बैको कहते हैं कि हम इस मुद्दे को पूरी ताकत से बढ़ाते रहेंगे ताकि विदेशों से आए हमारे ही नहीं बल्कि देशभर की सारी संस्थाओं में डिपोर्ट से डरे बिना छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। दिलचस्प है कि मैसाचुसेट्स राज्य ने ट्रम्प सरकार पर केस करने की अपनी योजना उजागर कर दी है और वे इस आदेश को क्रूर और गैरकानूनी मानते हैं।
कोलंबिया और बर्केले यूनिवर्सिटी ने हाइब्रिड मॉडल अपनाया है, जिसके तहत प्रत्यक्ष और ऑनलाइन दोनों ही माध्यम से पढ़ाई जारी रहेगी। ब्राउन यूनिवर्सिटी में 18% छात्र विदेशी हैं। उसने भी इस आदेश को क्रूर बताते हुए कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
वहीं, राष्ट्रपति ट्रम्प चाहते हैं कि सारे विश्वविद्यालय, स्कूल और कॉलेज अगस्त में खुल जाएं और उन्होंने धमकी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे इन संस्थाओं में सरकारी अनुदान रोक देंगे। व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम में ट्रम्प ने कहा कि हम सारे गवर्नर और सारे संबंधित लोगों पर दबाव डालेंगे ताकि स्कूल जल्द से जल्द खुलें।
अमेरिकी इकोनॉमी में विदेशी छात्रों का योगदान 3 लाख करोड़ रु. का
द इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने 2018 में अमेरिकी इकोनॉमी में 45 अरब डॉलर (करीब 3.3 लाख करोड़ रु.) का योगदान दिया। ग्लोबल एजुकेशन एडवोकेसी ग्रुप नाफ्सा के मुताबिक 2018-19 शैक्षणिक वर्ष में 4,60,000 नौकरियों में भी सहयोग दिया।
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बंटवारे के समय पाक में 428 मंदिर थे, उनमें से 408 अब दुकान या दफ्तर बन गए; हर साल हजार से ज्यादा लड़कियां इस्लाम कबूलने को मजबूर July 10, 2020 at 02:27PM
"मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि मजहब किसी व्यक्ति का निजी मामला है और न ही इस बात से सहमत हूं कि एक इस्लामिक स्टेट में किसी व्यक्ति को समान अधिकार मिलें, चाहे उसका धर्म, जाति या यकीन कुछ भी हो।'
ये बात पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन ने कही थी। एक इस्लामिक स्टेट की मांग को लेकर अड़ने वाले मोहम्मद अली जिन्ना के साथियों में से एक थे नजीमुद्दीन। उनकोबस इसी बात से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत उस समय क्या रही होगी और अब क्या होगी?
इस सबका जिक्र इसलिए क्योंकि पिछले महीने ही पाकिस्तान की इमरान सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने की मंजूरी दी थी। ये इस्लामाबाद का पहला मंदिर होता। इसके लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपए भी दिए थे।
लेकिन, 20 हजार वर्ग फुट में बनने जा रहे इस मंदिर की दीवार बन ही रही थी कि कट्टरपंथियों ने इसे तोड़ डाला। इतना ही नहीं, दीवार ढहाने से दो दिन पहले ही सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी।
1951 की जनगणना के मुताबिक, 72.26 लाख मुस्लिम पाकिस्तान चले गए थे। ये मुस्लिम पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान गए थे। जबकि, पाकिस्तान से 72.49 लाख हिंदू-सिख भारत लौटे थे।
पाकिस्तान में हर साल हजार से ज्यादा लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन
पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम लड़कियों का जबरन अपहरण किया जाता है। उनका धर्म परिवर्तन किया जाता है। उसके बाद जबर्दस्ती किसी मुसलमान से उनकी शादी करवा दी जाती है।
यूनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम के डेटा की मानें तो पाकिस्तान में हर साल 1 हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है। उनसे इस्लाम कबूलवाया जाता है। उनकोकिडनैप किया जाता है। बलात्कार किया जाता है और फिर जबरन उनकी शादी की जाती है। इनमें ज्यादातर हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियां ही होती हैं।
पाकिस्तान में हिंदू आबादी को लेकर अलग-अलग आंकड़े
पाकिस्तान में हिंदू आबादी कितनी है? इसको लेकर भी अलग-अलग आंकड़े हैं। पाकिस्तान में आखिरी बार 1998 में जनगणना हुई थी। 2017 में भी हुई है, लेकिन अभी तक धर्म के हिसाब से आबादी का डेटा जारी नहीं किया गया है।
पाकिस्तान के स्टेटिक्स ब्यूरो के डेटा के मुताबिक, 1998 में वहां की कुल आबादी 13.23 करोड़ थी। उसमें से 1.6% यानी 21.11 लाख हिंदू आबादी थी। 1998 में पाकिस्तान की 96.3% आबादी मुस्लिम और 3.7% आबादी गैर-मुस्लिम थी। जबकि, 2017 में पाकिस्तान की आबादी 20.77 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
जबकि, मार्च 2017 में लोकसभा में दिए गए एक जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि 1998 की जनगणना के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदू आबादी 1.6% यानी करीब 30 लाख है।
लेकिन, पाकिस्तान हिंदू काउंसिल का कहना है कि वहां 80 लाख से ज्यादा हिंदू आबादी है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 4% है। इसके मुताबिक, सबसे ज्यादा 94% हिंदू आबादी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहती है।
बंटवारे के समय 428 मंदिर थे, उनमें से 408 दुकान बने या रेस्टोरेंट
ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट के एक सर्वे में सामने आया था कि 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान में 428 मंदिर थे। लेकिन, 1990 के दशके के बाद इनमें से 408 मंदिरों में खिलौने की दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या मदरसे खुल गए।
इस सर्वे के मुताबिक, अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन पाकिस्तान सरकार ने इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को लीज पर दे दी। इस ट्रस्ट का काम ही है विस्थापितों की जमीन पर कब्जा करना। यानी ऐसे लोग जो पहले तो यहीं रहते थे लेकिन बाद में दूसरी जगह चले गए।
पाकिस्तान में काली बाड़ी मंदिर था, उसे दारा इस्माइल खान ने खरीदकर ताज महल होटल में तब्दील कर दिया। खैबर पख्तूनख्वाह के बन्नू जिले में एक हिंदू मंदिर था, वहां अब मिठाई की दुकान है। कोहाट में शिव मंदिर था, जो अब सरकारी स्कूल बन चुका है।
रावलपिंडी में भी एक हिंदू मंदिर था, जिसे पहले तो ढहाया गया, बाद में वहां कम्युनिटी सेंटर बना दिया गया। चकवाल में भी 10 मंदिरों को तोड़कर कमर्शियल कॉम्प्लैक्स बना दिया गया।
सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि सिखों के भी धार्मिक स्थल को तोड़कर वहां दुकानें खोल दी गईं। जैसे- एब्टाबाद में सिखों के गुरुद्वारा को तोड़कर वहां कपड़े की दुकान खोल दी गई।
पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के मुताबिक, साल 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वाह में 2 मंदिर चालू स्थिति में हैं।
इमरान सरकार 400 मंदिरों का रेनोवेशन करवा रही
बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान में हिंदुओं के मंदिरों को निशाना बनाया जाना शुरू हो गया था। लेकिन, 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहाए जाने के बाद पाकिस्तान में 100 से ज्यादा मंदिरों को या तो तोड़ दिया गया या फिर उन्हें नुकसान पहुंचाया गया।
पिछले साल अप्रैल में पाकिस्तान की इमरान सरकार ने 400 मंदिरों को दोबारा खोलने का फैसला लिया था। इसके लिए सरकार की तरफ से ही फंड भी दिया जा रहा है।
पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान के सियालकोट में 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराना शिवाला तेजा मंदिर दोबारा खोला गया। ये मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था और 1992 के बाद इसे भारी नुकसान भी पहुंचाया गया था। इस मंदिर के रेनोवेशन पर 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे।
पाकिस्तान में करीब 3% वोटर गैर-मुस्लिम
पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम आबादी भी वहां की राजनीति पर असर डालती है। पाकिस्तान के चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, वहां 10.59 करोड़ से ज्यादा वोटर्स हैं। इनमें से 29.97 लाख वोटर्स अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। यानी पाकिस्तान के कुल वोटर्स में से करीब 3% वोटर्स गैर-मुस्लिम हैं।
2013 की तुलना में 2017 में वहां गैर-मुस्लिम वोटर्स की संख्या भी 2 लाख से ज्यादा बढ़ी है। 2013 में वहां 27.7 लाख वोटर्स थे।
इसमें भी सबसे ज्यादा हिंदू वोटर्स ही हैं। 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान में 14.98 लाख से ज्यादा वोटर्स हिंदू थे। उसके बाद 13.25 लाख से ज्यादा वोटर्स क्रिश्चियन थे।
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Pakistan overtakes Italy in Covid-19 cases July 10, 2020 at 06:36AM
कोरोना महामारी के बीच नई सरकार के लिए चुनाव हुए, लंबी लाइनें लगने पर वोटिंग टाइम दो घंटे बढ़ाया गया, अब तक 81% लोगों ने वोट डाला July 10, 2020 at 04:37AM
कोरोना महामारी के बीच सिंगापुर में शुक्रवार को देश में नई सरकार के लिए आम चुनाव हुए। इस दौरान लोग मुंह पर मास्क और हाथ में ग्लव्स पहनकर मतदान करने के लिए घरों से निकले। यह चुनाव प्रधानमंत्री ली सेन लूंग का टेस्ट भी है। उम्मीद है कि सत्ता में मौजूद पार्टी की फिर वापसी होगी।
वोटिंग टाइम बढ़ाया गया
वोटिंग सुबह आठ बजे शुरू हुई। पहले रात आठ बजे तक वोटिंग होनी थी, लेकिन अब समय दो घंटे और बढ़ा दिया गया है। सुबह 65 साल और उससे ज्यादा की उम्र वाले वोट डालने पहुंचे ताकि युवा वोटरों से उनका कम संपर्क हो। इस वजह से पोलिंग स्टेशनों पर लंबी लाइनें लग गईं और टाइम बढ़ाना पड़ा। इसके लिए चुनाव विभाग ने मांफी भी मांगी।
शाम पांच बजे तक 81 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला
चुनाव विभाग ने कहा कि शाम पांच बजे तक करीब 21 लाख 59 हजार लोगों ने वोट डाल दिया था। यह रजिस्टर्ड वोटरों का 81 प्रतिशत हैं। कोरोना के खतरे को देखते हुए पोलिंग स्टेशलों की संख्या 880 से बढ़ाकर 1100 कर दी गई है। हर एक पोलिंग स्टेशन पर करीब 2400 लोगों को वोट डालना है।
11 पार्टियां मैदान में
सत्ता में मौजूद पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) समेत 11 पॉलिटिकल पार्टियां चुनाव में उतरी हैं।पिछले 9 दिनों से सभी पार्टियां प्रचार कर रही थीं। प्रधानमंत्री ली ने पिछले महीने तय तारीख से 10 महीने पहले ही चुनाव कराने की घोषणा की थी। ली की पीएपी पार्टी 1950 के बाद से हर चुनाव जीत चुकी है। हालांकि, 2011 में पार्टी का वोट प्रतिशत लगभग 60% तक गिर गया था।पीएपी ने इस चुनाव में किसी भी भारतीय मूल के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने12 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
ली सेन लूंग 2004 से प्रधानमंत्री हैं
सिंगापुर में हर नागरिक को वोट डालना जरूरी होता है। यहां की 93 सीटों के लिए 11 पार्टियों के कुल 192 उम्मीदवार खड़े हुए हैं। ली सेन लूंग 2004 से सिंगापुर के प्रधानमंत्री है। उनकी पार्टी पीएपी ने सितंबर 2015 में हुए चुनावों में 83 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद 'वर्कर्सपार्टी' ने छह सीटें जीती थीं। पीएम के भाई ली सेन यांग हाल ही में विपक्षी पार्टी 'प्रोग्रेस सिंगापुर पार्टी' में शामिल हुए हैं। हालांकि, वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। दोनों भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर झगड़ा है। ली के पिता देश के पहले प्रधानमंत्री थे। वह 31 साल तक पीएम रहे थे।
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US sanctions Chinese officials over repression of minorities in Xinjiang; Beijing vows to retaliate July 10, 2020 at 03:54AM
भूस्खलन से कई घर बहे, अब तक 12 लोगों की मौत; मौसम विभाग ने कहा- अगले 3 दिन बारिश से राहत नहीं July 10, 2020 at 12:38AM
पश्चिमी नेपाल में मूसलाधार बारिश से गुरुवार कोहुईंभूस्खलन की अलग-अलग घटनाओंमें 12 लोगों की मौत हो गई। 19 लोग लापता हैं। 10 लोग घायल हुए, जिनकाइलाज चल रहा है।पिछले 48 घंटों से हो रही बारिश से नारायणी और अन्य प्रमुख नदियां उफान पर हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले तीन दिनों तक मानसूनी बारिश से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि कास्की जिले में पोखरा सिटी एरियाके सारंगकोट और हेमजन में तीन बच्चों समेत 7 लोगों की जानें गईं। उनमें से 5की मौत सारंगकोट में भूस्खलन की चपेट में एक घर के आने से हुई। यहां 10 लोग घायल हुए, जिनकाइलाज चल रहा है। इसके अलावालामजुंग जिले के बेसिशहर में एक परिवार के 3लोगों की मौत हो गई। वहीं, रुकुम जिले के आथबिस्कॉट इलाके में भी 2 अन्य लोगों की मौत हो गई।
सिधुपालचोक में बाढ़ जैसे हालात
जाजरकोटजिले में भूस्खलन से 2 घरों के बह जाने से 12 लोग औरम्याग्दी जिले में एक ही परिवार के 7 लोग लापता हैं।सिंधुपालचोक में भी बाढ़ जैसे हालात हैं।
पिछले साल जुलाई में भूस्खलन से 78 लोगों की मौत हुई थी
नेपाल में पिछले साल जुलाई में बाढ़ और भूस्खलन से 78 लोगों की जानें गईं थीं। वहीं 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
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