Tuesday, August 4, 2020
इमरान के मंत्री ने कहा- भारत अब राम नगर बन गया है, वहां सेक्युलरिज्म नहीं रहा August 04, 2020 at 07:23PM
अयोध्या में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के लिए भूमि पूजन करेंगे। इससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। इमरान खान सरकार में रेल मंत्री शेख रशीद ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए उसे सांप्रदायिक करार दिया है। रशीद ने एक बयान में कहा- भारत अब राम नगर हो गया है। वहां सेक्युलरिज्म नहीं रहा।
अयोध्या मामले में जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया था, तब भी रशीद ने कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया दी थी। तब रशीद ने कहा था कि भारत में अब हिंदूवादी ताकतें हावी हो गई हैं।
श्रीराम का हिंदुत्व
मंगलवार को एक बयान में इमरान के रेल मंत्री शेख रशीद ने भारत में सेक्युलरिज्म पर ही सवाल उठा दिए। कहा- भारत अब राम नगर में तब्दील हो चुका है। वहां सांप्रदायिकता बढ़ रही है और धर्म निरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म खत्म हो रहा है। साफ तौर पर कहूं तो भारत अब सेक्युलर रहा ही नहीं। वहां अल्पसंख्यकों को दिक्कत हो रही है। भारत अब श्रीराम के हिंदुत्व में ढल चुका है।
कश्मीर का भी जिक्र
रशीद कश्मीर का राग अलापने से भी पीछे नहीं रहे। यह संयोग ही है कि जिस दिन मोदी राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे, उसी दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए हुए एक साल हो रहा है। केंद्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को ही अनुच्छेद 370 हटाया था। इसके साथ ही कश्मीर का स्पेशल स्टेटस भी खत्म हो गया था। रशीद ने कहा- पाकिस्तान के मुसलमान कश्मीरियों के साथ खड़े हैं। भारत उन्हें यह तय करने का मौका दे कि वे किसके साथ रहना चाहते हैं।
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बेरूत के गवर्नर ने कहा- हिरोशिमा या नागासाकी के एटमी हमले जैसा महसूस हुआ, सहमे बेटे को लेकर टेबल के नीचे छिपा पिता; देखें ब्लास्ट के बाद के फोटोज August 04, 2020 at 06:33PM
बेरूत में मंगलवार रात हुए धमाके में अब तक 78 लोग मारे जा चुके हैं। चार हजार से ज्यादा घायल हैं। 60 लोगों की हालत बेहद गंभीर बताई गई है। करीब 240 किलोमीटर तक धरती कांप उठी। बुधवार सुबह जब धमाके के बाद के फोटोज सामने आए तो मंजर किसी जंग के बाद जैसा था। हर तरफ तबाही और बारूद की गंध। बेरूत के गर्वनर मारवन अबोद रोते हुए बोले- जैसा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में हुआ था, मुझे वैसा ही महसूस हुआ। जिंदगी में इतनी तबाही कभी नहीं देखी। यहां देखिए धमाके के बाद के कुछ फोटोग्राफ और वीडियो...
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1. लेबनान के बेरूत में धमाका:2750 टन अमोनियम नाइट्रेट में ब्लास्ट, 240 किमी तक महसूस हुए झटके; 78 मौतें, 4000 घायल
2. बेरूत के तट पर खड़े जहाज में ताकतवर ब्लास्ट, 73 की मौत, 3700 से ज्यादा घायल; 3 मंजिल तक उछली कारें, 10 किमी तक असर
3. सड़कों पर बिखरे मांस के लोथड़े, मलबे का ढेर हुई इमारतें; धमाके की तीव्रता इतनी जैसे 4.5 से ज्यादा तीव्रता का भयानक भूकम्प आया हो
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Trump: US generals feel Beirut blast was likely an 'attack' August 04, 2020 at 05:19PM
Storm Isaias pounds US East Coast, killing at least 5 August 04, 2020 at 04:51PM
2750 अमोनियम नाइट्रेट में ब्लास्ट, 240 किमी तक महसूस हुए झटके; 78 मौत 4000 घायल August 04, 2020 at 04:47PM
लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार देर रात हुए धमाके में मरने वालों का आंकड़ा बुधवार सुबह 78 हो गया। चार हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। इनमें से कई की हालत बेहद गंभीर बताई गई है। इस बीच लेबनान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि शिपमेंट में 2750 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट था। धमाका किसी भूकंप की तरह था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 240 किलोमीटर तक धमक महसूस हुई।
लेबनान ने क्या कहा
धमाके के बाद लेबनान में डिफेंस काउंसिल की मीटिंग हुई। इसमें राष्ट्रपति भी शामिल हुए। बाद में प्रवक्ता ने कहा- यह कैसे स्वीकार किया जा सकता है कि एक वेयरहाउस में 2750 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट 6 साल तक रखा रहा और किसी ने ऐहतियाती या सुरक्षा के कदम तक नहीं उठाए। देश में दो हफ्ते के लिए इमरजेंसी लागू कर दी गई है।
क्या हुआ था मंगलवार रात
राजधानी बेरूत में मंगलवार रात बड़ा धमाका हुआ। तट के पास खड़े एक जहाज में विस्फोट हुआ, जो पटाखों से भरा हुआ था। धमाका इतना भीषण था कि 10 किलोमीटर के दायरे में मौजूद घरों को नुकसान पहुंचा। धमाके से कारें तीन मंजिल तक उछल गईं। बिल्डिंग्स एक पल में धराशायी हो गईं।
पोर्ट में काफी विस्फोटक था
लेबनान के होम मिनिस्टर ने बताया कि पोर्ट में भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट था। लेबनान कस्टम से पूछा जाना चाहिए कि इतनी भारी मात्रा में पोर्ट पर अमोनियम नाइट्रेट क्या कर रहा था? वहीं, दूसरी ओर लेबनान ब्रॉडकास्टर मायाडेन ने कस्टम के निदेशक के हवाले से बताया कि करीब एक टन नाइट्रेट में विस्फोट हुआ है।
ट्रम्प ने कहा- ये हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस धमाके को भयानक हमला करार दिया। कहा- ये बेहद खतरनाक किस्म का हमला नजर आ रहा है। हम इस मुश्किल वक्त में लेबनान सरकार के साथ खड़े हैं। जांच में उनकी मदद करना चाहते हैं।
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राजपक्षे भाइयों का गठबंधन दो तिहाई सीटें जीतना चाहता है; भारत और चीन की इस चुनाव पर पैनी नजर August 04, 2020 at 04:38PM
श्रीलंका में आज संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग होगी। महामारी की वजह से प्रचार सोशल मीडिया या डोर टू डोर कैम्पेन तक ही सीमित रहा। फिलहाल, सत्ता पर दो भाईयों का कब्जा है। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे। गोतबाया ने दो मार्च को संसद भंग करके नए आम चुनाव का ऐलान किया था। महामारी की वजह से दो बार चुनाव टले। मतदान सुबह सात से शाम पांच बजे तक होगा। यहां इस चुनाव से जुड़ी कुछ अहम बातों को सवाल-जवाब के जरिए जानने की कोशिश करते हैं।
Q. कितने सांसद चुने जाएंगे, कार्यकाल कब तक था?
A. कुल 225 सांसद चुने जाते हैं। पिछली संसद का गठन अगस्त 2015 में हुआ था। इसका कार्यकाल अगस्त 2020 तक था। अपनी लोकप्रियता को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया ने मार्च में ही संसद भंग कर दी। नए चुनाव का ऐलान किया। महामारी की वजह से चुनाव दो बार टला। राष्ट्रपति साढ़े चार साल बाद संसद भंग कर सकता है।
Q. चुनावी गणित क्या है? कितनी मुख्य पार्टियां हैं?
A. राजपक्षे ब्रदर्स की एसएलपीपी और पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की एसएलएफपी दो मुख्य पार्टियां हैं। इनके अलावा एसजेबी, यूएनपी भी बड़ी पार्टियां हैं। एसएलपीपी और यूएनपी गठनबंधन में हैं। इसलिए इनका पलड़ा भारी है। सजित प्रेमदासा की एसजेबी वास्तव में यूएनपी से अलग होकर ही बनी। गांवों में इसकी अच्छी पकड़ है। इसके अलावा कुछ छोटे दल हैं, लेकिन ये कुछ खास क्षेत्रों तक सीमित हैं।
Q. कुल कितने उम्मीदवार मैदान में हैं?
A. 225 सीटों के लिए कुल 7452 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 3652 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से हैं। जबकि 3800 निर्दलीय हैं।
Q. श्रीलंका में जातीय समीकरण क्या है?
A. 70 फीसदी सिंहली समुदाय के लोग हैं। ये बौद्ध धर्म मानते हैं। 12 फीसदी हिंदू, 10 फीसदी मुस्लिम और करीब 7 फीसदी ईसाई हैं। कुल आबादी करीब 2.2 करोड़ है।
Q. महामारी के दौर में चुनाव जरूरी क्यों?
A. संसद का कार्यकाल इस महीने अगस्त तक था। लेकिन, राष्ट्रपति गोटबाया ने इस मार्च में ही भंग कर दिया। उस वक्त उन्हें लगता था कि सियासी हवा उनके पक्ष में है। लिहाजा, उनका गठबंधन आसानी से दो तिहाई बहुमत हासिल कर लेगा। लेकिन, महामारी की वजह से चुनाव नहीं हो सके।
Q. मुख्य मुद्दे क्या हैं?
A. तीन-चार बुनियादी मुद्दे हैं। पहला- बेहद खस्ता हाल अर्थव्यवस्था। दूसरा- टूरिज्म सेक्टर का लगभग ठप हो जाना। तीसरा- बेरोजगारी और शिक्षा। चौथा- राष्ट्रीय सुरक्षा।
Q. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
A. एक लाइन में कहें तो- विदेशी कर्ज। इस छोटे से देश पर करीब 56 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। यह देश की जीडीपी का 80% है। श्रीलंका पर चीन और एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) का 14%, जापान का 12%, वर्ल्ड बैंक का 11% और भारत का 2% कर्ज है। श्रीलंका साफ कर चुका है कि फिलहाल, वो यह कर्ज चुकाने की हालत में नहीं है।
Q. अर्थ व्यवस्था इतनी क्यों बिगड़ी?
A. 1980 के दशक में सिविल वॉर से श्रीलंका वास्तव में कभी उबर नहीं पाया। बाकी कसर भ्रष्टाचार ने पूरी कर दी। पिछले साल ईस्टर पर बम धमाकों में 250 लोगों की मौत हुई। कमाई का मुख्य जरिया पर्यटन था। यह करीब-करीब ठप हो गया। इसके बाद कोरोनावायरस से हालात बदतर होते गए।
Q. भारत और चीन की इस चुनाव पर नजर क्यों?
A. गोटबाया भाईयों को चीन के करीब माना जाता है। हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा के भारत से संबंध बहुत अच्छे हैं। चीन कर्ज बांटो और कब्जा करो, की नीति के जरिए श्रीलंका में काफी पैर पसार चुका है। हम्बनटोटा पोर्ट को लीज पर लेकर वो भारत के करीब पहुंच रहा है। यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। यह चुनाव भारत को अपनी श्रीलंका पर नई रणनीति बनाने का मौका साबित हो सकता है। श्रीलंका ने भारत से 96 करोड़ डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए रियायत और मोहलत दोनों मांगी हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव के बाद भारत इस पर फैसला करेगा।
Q. क्या चीन की तरफ झुक रहा है श्रीलंका?
A. पिछले साल भारत, जापान और श्रीलंका ईस्ट कन्टेनर टर्मिनल (ईसीटी) पर समझौता करने वाले थे। लेकिन, बाद में गोटबाया राजपक्षे बने और उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर फिर विचार किया जाएगा। भारत और जापान इससे नाराज हैं। माना जाता है कि चीन के दबाव में राजपक्षे ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया। 70 करोड़ डॉलर के ईसीटी का मालिकाना हक श्रीलंका के पास ही रहता। लेकिन, इसमें जापान की हिस्सेदारी 51 जबकि भारत की 49 फीसदी थी।
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7.6 करोड़ साल पुराने डायनासोर की जिस हड्डी को फ्रैक्चर समझा जा रहा था, उसमें कैंसर की पुष्टि हुई; ट्यूमर सेब से भी बड़ा August 04, 2020 at 01:30PM
पहली बार रिसर्च में यह साबित हुआ है कि डायनासोर को भी कैंसर होता था। 7.6 करोड़ साल पुराने डायनासोर की जिस हड्डी को फ्रैक्चर समझा जा रहा था, उसमें मेलिग्नेंट कैंसर की पुष्टि हुई। यह हड्डी 1989 में कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में डायनासोर के जीवाश्म के तौर पर मिली थी।
लेंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, शाकाहारी डायनासोर की इस हड्डी में विकृति ओस्टियोसारकोमा के कारण हुई थी। यह हड्डी का एडवांस कैंसर होता है। अब तक इसे विकृति समझा जा रहा था। इसका ट्यूमर किसी सेब के आकार से भी बड़ा है।
6 मीटर लम्बी है हड्डी में मिला ट्यूर
टोरंटो स्थित रॉयल ऑन्टेरियो म्यूजियम के जीवाश्म विज्ञानी डेविड इवांस के मुताबिक, हड्डी 6 मीटर लम्बी है। यह हड्डी क्रेटेशियस काल की है जब चार पैरों वाले डायनासोर शाकाहारी हुआ करते थे। यह हड्डी उसके लोअर लेग बोन की है। इसमें जो ट्यूमर मिला है वह काफी एडवांस स्टेज का है। यह सेब से भी बड़े आकार का है।
इंसानों की तरह डायनासोर में भी बीमारियां हुईं
लेंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, हो सकता है कि 7.6 करोड़ साल पुराना सेंटेरोसॉरस डायनासोर मौत से पहले कैंसर के कारण काफी कमजोर हो गया हो। रिसर्च में जो बातें सामने आई हैं उसके मुताबिक डायनासोर में ऐसी कई बीमारियां हुई होंगी जो आमतौर पर इंसान और दूसरे जानवरों में होती हैं, जैसे कैंसर। ये इस धरती पर दूसरे जानवरों की तरह रहते थे और इन्होंने भी हादसों और बीमारियों को झेला।
रिसर्च में साबित हुआ, जानवरों में कैंसर नई बीमारी नहीं
ऑन्टेरिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. मार्क क्राउथर के मुताबिक, कई तरह के ट्यूमर सॉफ्ट टिश्यू में होते हैं जो आसानी से जीवाश्म में तब्दील नहीं होते। इसलिए जीवाश्म से हमें कैंसर के प्रमाण मिले हैं। रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि कैंसर कोई नई बीमारी नहीं है, इससे जुड़े कॉम्प्लिकेशन जानवरों में भी पाए जाते रहे हैं।
क्या होता है ऑस्टेरियोसार्कोमा
शोधकर्ता डॉ. मार्क क्राउथर के मुताबिक, ऑस्टेरियोसार्कोमा हड्डियों में होने वाला कैंसर है। जो आमतौर पर बच्चों और युवाओं में होता है। लेकिन लगता है डायनासोर में भी इसका खतरा ज्यादा था। रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि इनमें यह कैंसर तेजी से बढ़ा था। इस कैंसर का ट्यूमर हड्डी को तेजी से नुकसान पहुंचाता है और दूसरे टिश्यू तक पहुंचता है।
सीटी स्कैन से हुई पुष्टि
जीवाश्म विज्ञानी डेविड इवांस का कहना है, हड्डी में दिखे ट्यूमर को अधिक स्पष्ट क्षमता वाले सीटी स्कैन से जांचा गया। जांच में सामने आया कि ट्यूमर हड्डी से लिपट गया था। भले ही इससे डायनासोर की मौत न होती लेकिन उसके चलने-फिरने की क्षमता जरूर घटती।
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सड़कों पर बिखरे मांस के लोथड़े, मलबे का ढेर हुई इमारतें; धमाके की तीव्रता इतनी जैसे 4.5 से ज्यादा तीव्रता का भयानक भूकम्प आया हो August 04, 2020 at 10:28AM
लेबनान की राजधानी बेरुत में मंगलवार शाम स्थानीय समय के अनुसार शाम 6 बजे हुए धमाके ने 10 किलोमीटर से ज्यादा इलाका तबाह कर दिया है। ये धमाका हादसा है या आतंकी साजिश इस बारे में अभी पुख्ता जानकारी नहीं है।
इस धमाके में करीब आधा शहर वीरान हो गया है। यहां की सड़कों पर लाशों के चीथड़े बिखरे हैं। पोर्ट के पास के इलाके के घर और बड़ी इमारतें मलबे का ढेर बन चुकी हैं। घायलों को संभालने वाला कोई नहीं है क्योंकि अस्पतालों को भी बहुत नुकसान पहुंचा है और वहां जगह नहीं बची है।
धमाके में सामने आई तीन बड़ी बातें
- जॉर्डन की सिस्मोलॉजी ऑब्जरवेटरी के एक्सपर्ट इस धमाके की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.5 तीव्रता के भूकम्प से ज्यादा बता रहे हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि धमाके की तीव्रता करीब 1000 टन TNT विस्फोटक के बराबर थी। यह एक छोटे न्यूक्लियर ब्लास्ट जितनी होती है।
- धमाके बाद आसमान में मशरूम के आकार का बादल बना, जो पहले सफेद था और फिर अचानक नारंगी रंग का हो गया। डेली मेल ने इस बादल को न्यूक्लियर विस्फोट के बादल जैसा बताया है। हालांकि, अभी विस्फोटक के प्रकार की पुष्टि होना बाकी है।
- विस्फोट एक क्रम में शुरू हुए और लोगों को लगा कि बेरुत पोर्ट के पटाखा गोदाम में आग लगी है। इसके बाद अचानक तेज धमाका हुआ और उसने पूरे शहर को चपेट में ले लिया। धमाके के बाद नाइट्रिक एसिड के बादल भी बने हैं।
सोशल मीडिया पर धमाके की डराती तस्वीरें और #PrayforBeirut की अपील
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राजधानी बेरुत के पोर्ट पर विस्फोट, धमाका इतना तेज था कि आसपास के घरों की खिड़कियां टूटीं August 04, 2020 at 06:29AM
लेबनान की राजधानी बेरुत में मंगलवार को भारी विस्फोट हुआ। धमका इतना बड़ा था कि काफी दूर कर के इलाके में इसका असर देखा गया। जानकारी के मुताबिक, काफी नुकसान हुआ है। कुछ लोगों के घायल होने की भी खबर है।
कुछ स्थानीय टीवी चैनल ने बताया कि विस्फोट बेरुत के बंदरगाह पर हुआ था। शहर के कई हिस्से में धुएं की परत देखी गई। आसपास रहने वाले लोगों का कहना था कि धमाके से खिड़कियों टूट गईं और एक घर की छत भी गिर गई।
कई घायल भी हुए
बेरुत के बंदरगाह के पास एक एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर ने जमीन पर घायल लोगों को देखा। बताया जा रहा है कि पोर्ट पर जहां धमाका हुआ वहां पटाखे जमा किए किए गए थे।
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जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और जुनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा बताया; भारत ने कहा- यह राजनीतिक इरादे से की गई बेहूदगी है August 04, 2020 at 06:18AM
पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों और लद्दाख को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए एक नक्शा जारी किया है। इसमें गुजरात के जूनागढ़ और सर क्रीक को भी पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया है।
इस पर भारत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान का यह कदम राजनीतिक इरादे से की गई बेहूदगी का उदाहरण है। इस तरह के बेतुके कदमों की कोई कानूनी मान्यता नहीं होती और न ही कोई अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के कदम पाक समर्थित सीमापार आतंकवाद को लेकर उसका असली चेहरा उजागर करते हैं।
यह कदम 5 अगस्त से एक दिन पहले उठाया
नए आधिकारिक नक्शे में जम्मू-कश्मीर को अवैध रूप से भारत के कब्जे में बताया गया है। पाकिस्तानी सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि नक्शे का इस्तेमाल पूरे देश के पाठ्यक्रम में किया जाएगा। पाकिस्तान ने यह कदम 5 अगस्त से ठीक एक दिन पहले उठाया है। पिछले साल इसी दिन भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। इस 5 तारीख को एक साल पूरा हो जाएगा।
पीएम इमरान ने नए नक्शे को मंजूरी दी
इससे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की और पहली बार जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को अपना हिस्सा बताते हुए पाकिस्तान के नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दी। इमरान खान ने कहा कि नए नक्शे को सभी राजनीतिक दलों और पाकिस्तान के लोगों का समर्थन है। यह नक्शा पिछले साल जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार के 5 अगस्त के फैसले के खिलाफ है।
नेपाल भी संशोधित नक्शा संयुक्त राष्ट्र (यूएन), गूगल को भेजने की तैयारी में
वहीं, नेपाल सरकार भी देश का संशोधित नक्शा संयुक्त राष्ट्र (यूएन), गूगल, भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने की तैयारी में है। इसके लिए 4 हजार नक्शे अंग्रेजी में छपवाए जा रहे हैं। नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे को मई में मंजूरी दी थी। इसमें तिब्बत, चीन और नेपाल से सटी सीमा पर स्थित भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है।
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China vows retaliation if any US action against journalists August 04, 2020 at 02:18AM
ह्यूस्टन में 43 साल की रिसर्चर शर्मिष्ठा सेन की जॉगिंग के दौरान हत्या, संदिग्ध आरोपी गिरफ्तार August 03, 2020 at 10:45PM
अमेरिका के ह्यूस्टन में भारतीय मूल की रिसर्चर शर्मिष्ठा सेन (43) की हत्या कर दी गई। पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है। उससे पूछताछ की जा रही है। पुलिस के मुताबिक, शर्मिष्ठा की हत्या 1 अगस्त को उस वक्त की गई जब वो अपने प्लैनो एरिया में घर से कुछ दूर चिशहोम पार्क में जॉगिंग पर गईं थीं। सेन एक फार्मा कंपनी में रिसर्चर थीं। लोकल इंडियन कम्युनिटी में उनकी पहचान एक डांसर और सिंगर के तौर पर भी थी।
संदिग्ध आरोपी गिरफ्तार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को पुलिस ने जांच के बाद 29 साल के एक अश्वेत युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी का नाम बाकारी एबिओना मोन्क्रीफ है। उससे पूछताछ की जा रही है। पुलिस के मुताबिक- बाकारी को पहले भी चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जिस वक्त शर्मिष्ठा की हत्या हुई, उसके कुछ देर पहले घटनास्थल के करीब एक मकान में चोरी की कोशिश हुई थी। पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज भी मिला है। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि जिस आरोपी ने चोरी की कोशिश की, क्या वही शर्मिष्ठा का भी कातिल है।
मामले की तह तक जाएंगे
पुलिस ने एक बयान में कहा- इस तरह की घटना हमारे लिए बेहद फिक्र की बात है। आगे ऐसा न हो इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। शर्मिष्ठा रोज सुबह जॉगिंग के लिए निकलती थीं। उनके भाई सुमित ने कहा- वो बहुत अच्छी महिला थीं। किसी से भी बहुत जल्द घुलमिल जाती थीं। शर्मिष्ठा के एक दोस्त मारियो मेजर ने कहा- वे बहुत शानदार पर्सनैलिटी वाली महिला थीं।
लोगों ने श्रद्धांजलि दी
जहां शर्मिष्ठा की हत्या हुई, वहां दो पेड़ों के बीच स्थानीय लोगों ने फूल रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। दो मिनट का मौन भी रखा गया। शर्मिष्ठा के परिवार में दो बेटे और पति हैं।
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