Friday, October 16, 2020
Trump plays down virus as he steps up pitch for second term October 16, 2020 at 07:26PM
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ बोले- आर्मी चीफ बाजवा ने मेरी सरकार गिराई, अब उन्हें जो करना है- कर लें, मैं चुप नहीं रहूंगा October 16, 2020 at 05:58PM
पाकिस्तान में विपक्षी दलों का संगठन पीडीएम खुलकर फौज और इमरान सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। शुक्रवार को गुजरांवाला में इसकी पहली रैली हुई। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इसे लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। सबसे खास बात यह है कि शरीफ ने पहली बार आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का नाम लिया और दो साल पहले अपनी सरकार गिराने का आरोप लगाया।
पीडीएम के कार्यकर्ता गुजरांवाला के जिन्ना स्टेडियम में 20 अक्टूबर तक मौजूद रह सकते हैं। गुजरांवाला पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब का शहर है। पाकिस्तान सरकार और फौज ने रैली नाकाम करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन, वे कामयाब नहीं हो सके।
नवाज ने क्या कहा
नवाज शरीफ ने खचाखच भरे जिन्ना स्टेडियम में सरकार और फौज के खिलाफ हो रही नारेबाजी के बीच दोपहर करीब तीन बजे रैली को लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित किया। नवाज ने इस दौरान वो किया जो अमूमन पाकिस्तान में कोई करने की हिम्मत नहीं करता। उन्होंने सीधे तौर पर आर्मी चीफ बाजवा का नाम लिया और अपनी पिछली सरकार गिराने का आरोप लगाया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, नवाज ने कहा- जनरल कमर जावेद बाजवा, आपने मेरी सरकार गिराई। वो सरकार बेहतर काम कर रही थी। हमारी सरकार को गिराकर आपने अपनी इच्छाएं पूरी कीं। ये मुल्क और इसके हिमायती इसे कभी नहीं भूलेंगे।
फौज की वजह से इमरान कुर्सी पर
नवाज ने भाषण में आगे कहा- मेरी सरकार को गिराकर इमरान खान को चुनाव में धांधली करवाके सत्ता में लाया गया। उन्हें पीएम बनाया गया। इससे कुछ लोगों की इच्छाएं पूरी हो गईं। नवाज ने आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद पर भी यही आरोप लगाए। कहा- हम क्या कर सकते हैं, ये आप सब देख रहे हैं। आप मुझे भगोड़ा कहें, प्रॉपर्टी जब्त कर लें और झूठे आरोप लगा दें। जो आपको करना है, वो कर लें। लेकिन, ध्यान रखिए। आप अब नवाज शरीफ को रोक नहीं पाएंगे।
फौज जवाब दे
नवाज यहीं नहीं रुके। उन्होंने फौज पर एक और आरोप लगाया। कहा- इस मुल्क के लोगों को सोचना होगा कि क्यों उनके द्वारा चुना गया कोई प्रधानमंत्री या सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते। आप देशभक्ति की बात करते हैं। मुझे बताइए कि देश के संविधान को सबसे ज्याद नुकसान किसने पहुंचाया। किसने सरकारें गिराईं और क्यों गिराईं। इससे किसे फायदा हुआ। हमारे देश के दो टुकड़े किसकी वजह से हुए। इसके बावजूद आप देश को चला रहे हैं। असीम सलीम बाजवा सीपैक के चेयरमैन पद से इस्तीफा क्यों नहीं देते। वे किसको मुनाफा कमाकर दे रहे हैं।
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पेरिस में इस्लाम से जुड़ा चित्र दिखाने वाले हिस्ट्री टीचर की गला काटकर हत्या, कुछ देर बाद हमलावर भी मारा गया October 16, 2020 at 05:22PM
फ्रांस में शुक्रवार शाम एक हमलावर ने हिस्ट्री टीचर की गला रेतकर हत्या कर दी। कुछ देर बाद पुलिस ने हमलावर को घेर लिया। उससे सरेंडर करने को कहा गया। जब उसने सरेंडर नहीं किया तो पुलिस ने उसे गोली मार दी। हमलावर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। टीचर पर आरोप है कि उसने कुछ दिन पहले क्लास में इस्लाम से जुड़ी कोई फोटो दिखाई थी। बताया जाता है कि हमलावर इसी बात से नाराज था।
टीचर का पीछा किया गया
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावर ने काफी दूर तक टीचर का पीछा किया था। एंटी टेरर डिपार्टमेंट ने इसकी पुष्टि की है। घटनास्थल राजधानी पेरिस के काफी करीब है। डिपार्टमेंट के मुताबिक- घटना कॉन्फ्लांस सेन्ट होनोरिन इलाके में हुई। यहां एक सेकंडरी स्कूल में कुछ दिन पहले इस टीचर ने इस्लाम से जुड़ा कोई चित्र दिखाया था। टीचर जब स्कूल से निकला तो आरोपी ने उसका पीछा किया। बाद में मौका पाकर उसका गला काट दिया।
चार लोग गिरफ्तार
कुछ देर बाद आरोपी को पुलिस ने इसी इलाके में घेर लिया। उसने सरेंडर करने से इनकार किया तो पुलिस ने गोली मार दी। बाद में चार और लोगों को गिरफ्तार किया गया। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने घटना की निंदा की। कहा- टीचर की हत्या इसलिए की गई क्योंकि वो फ्रीडम ऑफ स्पीच यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल कर रहा था। वो इस्लामिक कट्टरता की शिकार हुए। मैक्रों ने घटनास्थल का दौरा भी किया।
कौन था हमलावर
फ्रांस सरकार या एंटी टेरर डिपार्टमेंट ने हमलावर के बारे में फिलहाल किसी तरह की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हमलावर की उम्र 18 साल है और वो मूल रूप से चेचेन्या मूल का है। उसका जन्म मॉस्को में हुआ था। फ्रांस के एजुकेशन मिनिस्टर ने कहा- पुलिस और जांच एजेंसियों को अपना काम करने दीजिए। इस बारे में जानकारी वक्त आने पर जरूर दी जाएगी।
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टाउन हॉल में हमेशा की तरह आक्रामक दिखे ट्रम्प; बाइडेन ने अपनी बात मजबूती और फैक्ट्स के साथ रखी October 16, 2020 at 03:45PM
दूसरी प्रेसिडेंशियल डिबेट रद्द हुई तो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवार टाउन हॉल के जरिए वोटर्स रूबरू हुए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हमेशा की तरह आक्रामक तरीके से विरोधाभासी और गलत तर्क देते दिखे। उनकी तुलना में डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन का रवैया शांत था। उनकी बातें और तर्क सच के ज्यादा करीब थे। ट्रम्प ने कई सवालों के जवाब ही नहीं दिए। कुछ से वे बचते नजर आए। ये भी नहीं बताया कि 29 सितंबर को हुई पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट से पहले उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव थी या नहीं। हम यहां दोनों कैंडिडेट्स द्वारा कही गई बातों की सच्चाई जानने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रम्प : कोरोनावायरस पर काबू पाने के करीब हैं हम
इसका सच : यही सही नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स का डेटा भी इसकी पुष्टि करता है। पिछले हफ्ते हर दिन करीब 53 हजार 120 नए मामले रोज सामने आए। यह दो हफ्ते पहले की तुलना में 23% ज्यादा है।
ट्रम्प : अब्राहम लिंकन के बाद अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए सबसे ज्यादा काम करने वाला राष्ट्रपति हूं।
इसका सच : ट्रम्प का दावा सच नहीं है। इतिहासकार मानते हैं कि इस मामले में प्रेसिडेंट लिंडन जॉनसन सबसे आगे हैं। उन्होंने वोटिंग राइट्स एक्ट, सिविल राइट एक्ट और हाउसिंग एक्ट जैसी कानूनों के जरिए अफ्रीकी-अमेरिकियों को सुविधाएं और हक दिए। ट्रम्प इस मामले में तीसरे स्थान पर हैं।
ट्रम्प : मास्क पहनने वाले लोग ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं।
इसका सच : यह सच नहीं है। दरअसल, 10 सितंबर को सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की एक रिपोर्ट वायरल हुई थी। बाद में सीडीसी ने ट्विटर पर बयान जारी करके इसका खंडन किया था। इसमें कहा गया था कि बिना मास्क के सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा लेना खतरनाक है। सीडीसी ने कहा था कि उसके बयान को सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने गलत तरीके से पेश किया है।
ट्रम्प : हमने अश्वेतों के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को ज्यादा फंडिंग की।
इसका सच : ट्रम्प बढ़ाचढ़ाकर दावा कर रहे हैं, क्योंकि इसका क्रेडिट लेना चाहते हैं। पारंपरिक तौर पर अश्वेतों के कॉलेज और यूनवर्सिटीज का फंड सितंबर में खत्म हो गया था। रिपब्लिकन्स और डेमोक्रेट्स ने मिलकर फंडिंग फिर शुरू कराने के लिए समझौता किया। अब यह 10 साल जारी रहेगी। ट्रम्प ने इसे कानून के तौर पर मंजूरी दे दी है।
ट्रम्प : हमने अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा नौकरियां दीं।
इसका सच : ट्रम्प जो आंकड़ा बता रहे हैं, वो दरअसल महामारी के शुरू होने के पहले का है। फरवरी के ही आंकड़े उठाकर देख लें तो पता लगता है कि उस वक्त 152.5 मिलियन नॉनफॉर्म नौकरियां देश में थीं। यह वो दौर था जबकि महामारी ने अमेरिका में पैर नहीं पसारे थे। या यूं कहें कि इसका असर नहीं के बराबर था।
ट्रम्प : मैंने श्वेतों को बेहतर नहीं बताया। पहली डिबेट में भी इसकी पुष्टि की थी।
इसका सच : ट्रम्प पूरी तरह सही नहीं हैं। पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि वे श्वेतों को श्रेष्ठ बताने वाले संगठनों को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने वामपंथी विचारधारा को हिंसा के लिए दोषी ठहराया था। बाइडेन और मॉडरेटर क्रिस वॉलेस चाहते थे कि वे इन श्वेत संगठनों की निंदा करें, ट्रम्प ने ऐसा नहीं किया।
बाइडेन : टाउन हॉल में आने से पहले टेस्ट कराया। मैं रोज कोरोना टेस्ट कराता हूं।
इसका सच : बाइडेन के कैम्पेन ने टाउन हॉल के पहले जारी बयान में कहा था कि उन्होंने बुधवार और गुरुवार को टेस्ट कराया था। दोनों की रिपोर्ट निगेटिव थी। लेकिन, यह दावा गलत है कि वे बाइडेन रोज टेस्ट कराते हैं। उनकी टीम ने ऐसा कभी नहीं कहा।
बाइडेन : ट्रम्प के दौर में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या बढ़ी। हमारे वक्त यह कम थी।
इसका सच : आंकड़े बताते हैं कि बाइडेन का दावा बिल्कुल गलत है। ओबामा के दौर में जब बाइडेन उप राष्ट्रपति थे, तब अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या करीब 10 हजार थी। ट्रम्प ने 2017 में इनकी संख्या पांच हजार कर दी। अगले साल की शुरुआत में यह ढाई हजार करने का वादा है।
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अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कहा- अगले महीने वैक्सीन के लिए मंजूरी मांगेंगे, बेल्जियम में कर्फ्यू ; दुनिया में 3.95 करोड़ केस October 16, 2020 at 03:44PM
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.95 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 96 लाख 48 हजार 296 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 11.08 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है। अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कहा है कि वो अगले महीने वैक्सीन के लिए मंजूरी मांगेगी।
साल के आखिर तक आएगी वैक्सीन
‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी कंपनी फाइजर ने कहा है कि वो अगले महीने ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन और एफडीए के सामने वैक्सीन को अप्रूवल देने का प्रस्ताव रखेगी। कंपनी के मुताबिक, इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक वैक्सीन सभी के लिए उपलब्ध हो जाएगी। वहीं, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी शुरुआत में सिर्फ इमरजेंसी यूज के लिए वैक्सीन का अप्रूवल मांगने जा रही है। इस बात की संभावना कम है कि अमेरिका में इलेक्शन डे यानी 3 नवंबर के पहले कोई वैक्सीन उपलब्ध होगा।
एफडीए की गाइडलाइन्स के मुताबिक, फाइनल ट्रायल में शामिल हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन देने के बाद दो महीने तक निगरानी में रखा जाता है। इस दौरान यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि कहीं वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है।
ट्रम्प की रैली ने बढ़ाई दिक्कत
डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले महीने मिनेसोटा में रैली की थी। अब हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा है कि इस रैली में शामिल हुए 20 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रशासन ने लोगों से कहा है कि अगर वे भी इस रैली में शामिल हुए हैं तो बिना देरी किए अपना टेस्ट कराएं ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके। ट्रम्प की रैली के अगले दिन ही नौ लोग पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद 11 और लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
बेल्जियम में कर्फ्यू लगेगा
बेल्जियम के प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर डी ने साफ कर दिया है कि संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उनकी सरकार लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे सख्त कदम उठाने जा रही है। शुक्रवार को बेल्जियम कैबिनेट और हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों की एक इमरजेंसी मीटिंग हुई। इसमें फैसला किया गया कि रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू रहेगा। अगर जरूरत होती है तो देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन भी किया जा सकता है। कैफे और रेस्टोरेंट्स एक महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं।
एयर इंडिया की दिक्कत
हॉन्गकॉन्ग ने 17 से 30 अक्टूबर तक एयर इंडिया और विस्तार की उड़ानें रद्द कर दी हैं। दोनों उड़ानों में संक्रमित यात्री मिलने के बाद यह फैसला लिया गया है। यह तीसरी बार है जब हॉन्गकॉन्ग की सरकार ने एयर इंडिया की फ्लाइट को बैन किया है। इससे पहले 20 सितंबर से 3 अक्टूबर तक और 18 से 31 अगस्त तक बैन लगाया गया था।
हालांकि, कोरोनावायरस के समय में विस्तारा की उड़ानें पहली बार रद्द की गई है। जुलाई में वहां की सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार, भारत से यात्री केवल तभी वहां जा सकते हैं जब उनके पास यात्रा से 72 घंटे पहले किए गए टेस्ट में निगेटिव रिपोर्ट आई हो।
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पाकिस्तान में पहली बार सरकार और सेना को राइट-लेफ्ट से साझा चुनौती, इमरान के खिलाफ रैली, 450 लोग हिरासत में October 16, 2020 at 02:59PM
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए सियासी हालात ठीक नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब पाकिस्तान में किसी सरकार और सेना के खिलाफ राइट और लेफ्ट पार्टियां एकजुट हो गई हैं। इन 11 पार्टियों ने पिछले महीने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) का गठन किया था।
इसमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की दक्षिण पंथी पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो-जरदारी की वामपंथी पार्टी पीपीपी भी शामिल हैं। खास बात यह है कि इस मोर्चे का नेतृत्व दक्षिण पंथी दल जमीयत उलेमा-ए- इस्लाम के प्रमुख फजलूर रहमान कर रहे हैं। ये पार्टियां इमरान सरकार से इस्तीफे की मांग रही हैं।
साथ ही कह रही हैं कि देश के राजनीतिक और सरकारी मामलों में सेना की दखल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मोर्चे ने सरकार के खिलाफ तीन चरणों में आंदोलन की योजना बनाई है। इसके तहत शुक्रवार को गुजरांवाला में पहली रैली की गई।
यह साल खत्म होते-होते सरकार भी खत्म हो जाएगी
मोर्चे के नेता फजलूर रहमान ने फोन पर बातचीत में दावा किया कि इमरान सरकार के दिन लद चुके हैं। यह साल खत्म होते-होते सरकार भी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जनता का साथ मिल रहा है। वहीं, एक तरफ सरकार ने गुरुवार को पीडीएम को रैली करने की इजाजत तो दी।
दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने रैली से पहले लाहौर समेत पंजाब में विपक्ष के करीब 450 नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। कई लोगों को नजरबंद कर दिया। इन लोगों के खिलाफ खुफिया विभाग ने रिपोर्ट दी थी।
रैली फ्लॉप करने के लिए कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया
पंजाब में इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सत्ता है। इमरान इसे प्रगतिशील पार्टी बताते रहे हैं। अपने समर्थकों पर कार्रवाई के बाद पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने कहा, ‘इमरान पागल हो गए हैं। उन्होंने हमारी रैली फ्लॉप करने के लिए कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।'
विपक्ष का मानना है कि खाने-पीने की चीजों, पेट्रोलियम पदार्थों के महंगे होने और कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण जनता इमरान सरकार से नाराज है। यही सरकार के पतन का कारण बनेगा। हालांकि, विशेषज्ञ इससे अलग राय रखते हैं।
फायदा विपक्षी पार्टियों को अपनी सीटों के विस्तार में मिल सकता है
राजनीतिक विश्लेषक अहमद कुरैशी का कहना है कि फिलहाल विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन से इमरान सरकार को खतरा नहीं है। इससे सरकार नहीं गिरेगी। हालांकि, सत्ता हासिल करने के बाद इमरान सरकार पर लोग जितना विश्वास कर रहे थे, उतना अब नहीं कर रहे। इसका फायदा विपक्षी पार्टियों को अपनी सीटों के विस्तार में मिल सकता है। सेना के रहते इमरान सरकार पर आंच आना मुश्किल है।
इमरान सरकार पर आरोप लगता रहा है कि वह सेना की कठपुतली बनी हुई है। इसलिए अब सेना भी सीधे तौर पर विपक्ष के खिलाफ कुछ नहीं बोल रही है। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना पर निशाना साधते हुए कहा है कि वे इमरान के खिलाफ नहीं हैं। वे उनके खिलाफ हैं, जिन्होंने इमरान को सत्ता तक पहुंचाया है। इमरान सरकार इलेक्टेड नहीं, सिलेक्टेड सरकार है। विपक्ष की प्राथामिकता इस सिलेक्टेड सरकार को हटाना है।
सरकार के खिलाफ विपक्ष की रैलियां
विपक्षी मोर्चा सरकार के खिलाफ 18 अक्टूबर को कराची, 25 अक्टूबर को क्वेटा, 22 नवंबर को पेशावर, 30 नवंबर को मुल्तान और 13 दिसंबर को लाहौर में रैलियां करेगा।
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ट्रम्प ने 4 साल में 72 पर्यावरण कानून बदले, 27 और कतार में, विशेषज्ञों ने कहा- ट्रम्प ने जलवायु नीतियों को कमजोर कर दिया October 16, 2020 at 02:59PM
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चार साल के कार्यकाल में प्रमुख जलवायु नीतियों को नष्ट कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक स्टडी के आधार पर यह दावा किया है। इसके मुताबिक ट्रम्प ने 72 पर्यावरण कानून बदल दिए। जबकि 27 और कानूनों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इस काम के लिए ट्रम्प ने इंवायरमेंनटल प्रोटेक्शन एजेंसी का इस्तेमाल किया है। लिहाजा ओबामा काल में पावर प्लांट, गाड़ियों और ट्रकों पर कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन के नियमों को ट्रम्प काल में कमजोर किया गया।
देशभर के आधे से ज्यादा वेटलैंड की सुरक्षा रद्द कर दी गई। यही नहीं, पावर प्लांट पर लगी पारा के उत्सर्जन नियमों को भी हटा लिया गया। गृह विभाग ने वन्य जीव सुरक्षा कानून को भी कमजोर किया, ताकि तेल और गैस उद्योग को ज्यादा जमीन लीज पर दी जा सके।
पर्यावरण सुरक्षा संस्थान की प्रवक्ता ने कहा कि ट्रम्प ने राज्यों से किए वादे पूरे किए। जबकि हार्वर्ड लॉ स्कूल की पर्यावरण और ऊर्जा कानून की विशेषज्ञ हेना विजकारा ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन की नीतियां कमजोर कर दीं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की विशेषज्ञ हिलेरी एडन कहती हैं कि ट्रम्प के नियम तर्क संगत नहीं है। इसलिए वे कानून कार्रवाई से घिर जाएंगे।
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कोरोनाकाल में गूगल के ‘नूगलर्स’ की उत्पादकता घटी, 62% कर्मी हर हफ्ते ऑफिस आकर कुछ दिन काम करना चाहते हैं October 16, 2020 at 01:31PM
कोरोनाकाल में गूगल के ‘नूगलर्स’ की उत्पादकता सबसे ज्यादा घटी है। गूगल में नए कर्मचारियों को नूगलर्स के नाम से जाना जाता है। जुलाई में गूगल के आंतरिक सर्वे में उत्पादकता घटने के तीन प्रमुख कारण सामने आए हैं। पहला- वर्क फ्रॉम होम के कारण सीनियर्स नए इंजीनियरों को अपने सामने काम नहीं सिखा पा रहे। दूसरा- घर पर उपलब्ध इंटरनेट की स्पीड अनियमित और कम होना और तीसरा- पहले की तुलना में कहीं ज्यादा वर्कलोड।
सर्वे के नतीजे के बाद अब माना जा रहा है कि सीईओ सुंदर पिचाई अब हाईब्रिड यानी मिले-जुले काम करने की प्रणाली काे अमल में लाएंगे। सर्वे के मुताबिक कंपनी के 62% कर्मचारी हर हफ्ते ऑफिस आकर कुछ दिन काम करना चाहते हैं, जबकि मात्र 10% कर्मचारियों ने कहा कि वे स्थाई तौर पर घर से काम करने के इच्छुक हैं।
जून तक के हुए सर्वे में पाया गया था कि कंपनी के 31% इंजीनियर ही उच्चस्तर की उत्पादकता दे पा रहे थे, जबकि मार्च में यह आंकड़ा 40% था। हालांकि, जुलाई के बाद किए गए सर्वे में उत्पादकता बढ़ी है। गूगल की प्रवक्ता केटी हचीसन ने सितंबर के सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि अब गूगल में इस विषय पर मंथन चल रहा है कि नए इंजीनियर पर काम का अत्यधिक भार नहीं होने पर भी उनकी उत्पादकता क्यों घटी। चर्चा का विषय ये भी है कि वर्क फ्रॉम होम से बड़े अधिकारियों से कोडिंग काे सीख न पाना नए इंजीनियरों की उत्पादकता घटा रहा है।
हाईब्रिड पॉलिसी यानी मिले-जुले काम की प्रणाली लागू की जाएगी
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने पिछले महीने ही घोषणा की थी कि गूगल अब हाईब्रिड यानी मिले-जुले काम करने की प्रणाली काे अमल में लाएगा। यानी, सभी ऑफिस से काम करें या सभी के पास ये विकल्प होगा कि वे जब चाहें तब ऑफिस आकर काम करें या फिर मन मुताबिक घर से ही काम करें। कोविड संक्रमण के खत्म होने की परिस्थिति में भी गूगल में यह हाईब्रिड पॉलिसी लागू रहेगी, जो ट्विटर, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट के नियमों की तुलना में कहीं ज्यादा कारगर सिद्ध होती दिखाई दे रही है।
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France: Teacher beheaded, police shoot dead suspected killer October 16, 2020 at 06:55AM
राष्ट्रपति ने कहा- वैक्सीन सबसे पहले सीनियर नागरिकों को मिलेगी, उन्हें चीनी वायरस से बचाने के लिए धरती-आकाश एक कर रहा हूं October 16, 2020 at 09:39AM
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में 17 दिन बाकी हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प देश के लोगों को लुभाने में जुटे हुए हैं। फ्लोरिडा के फोर्ट मेयर्स में शुक्रवार को देश के बुजर्गों को लुभाने की कोशिश करते नजर आए। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों की कोरोनावायरस से सुरक्षा को लेकर कहा, ‘‘मैं आपकी सुरक्षा करूंगा और आपके लिए अपनी पूरी ऊर्जा और विश्वास के साथ लड़ूंगा।
ट्रम्प ने कहा- बुजुर्गों को सबसे पहले कोरोना वैक्सीन मिलेगी। चीनी वायरस से उन्हें बचाने के लिए मैं धरती और आकाश एक कर रहा हूं। ताकि, साल खत्म होने से पहले सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन उन्हें दिया जा सके। अमेरिका के 5.4 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, सहायता और उन्हें सम्मान देने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत कर रहा हूं।”
वैक्सीन को नर्सिंग होम तक पहुंचाया जाएगा: ट्रम्प
राष्ट्रपति ने कहा- अपनों को खोने वाले हर दुखी परिवार के लिए मेरा दिल भावुक हो जाता है। हम साथ मिलकर इसे हराएंगे। ट्रम्प ने घोषणा की कि हमने कोरोनावायरस वैक्सीन को सीधे नर्सिंग होम में बुजुर्गों तक पहुंचाने के लिए सीवीएस हेल्थ और वालग्रिन्स के साथ समझौता किया है। इस साल वैक्सीन की कम से कम 10 करोड़ खुराक डिलिवर किए जाने पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा- हम वायरस को खत्म करने जा रहे हैं और एक बार फिर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेंगे।
अमेरिका में कोरोना के मामले
अमेरिका में संक्रमण के अब तक 82 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 53 लाख से ज्यादा रिकवर भी हो गए हैं। वहीं, अब तक 2 लाख 23 हजार मौतें हुई हैं। यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, एक्सपर्ट्स ने महामारी के इस अगले स्टेज के पहुंचने पर चिंता जाहिर की है, क्योंकि देश के 41 राज्यों में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। इनमें से 17 राज्य ऐसे हैं जहां पर पहले कम संक्रमित मिल रहे थे।
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