Thursday, April 16, 2020
अब तक 1 लाख 45 हजार मौतें: ट्रम्प का कुछ राज्यों से पाबंदियां हटाने का ऐलान, संक्रमण रोकने के लिए अभियान चलाने पर ब्राजील के मंत्री हटाए गए April 16, 2020 at 05:03PM
वॉशिंगटन. दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से अब तक 1 लाख 45 हजार 515 मौतें हो चुकी हैं। पांच लाख 46 हजार से ज्यादा मरीज स्वस्थ्य भी हुए हैं। इससे सबसे ज्यादाप्रभावित अमेरिका है, जहां 6 लाख 77 हजार 570 पॉजिटिव केस मिले हैं और 34 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई हैं। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को कुछ राज्यों से पाबंदियां हटाने का ऐलान किया। उन्होंने राज्यों के गर्वनरों के साथ बात करने के बाद यह घोषणा की। इसके लिए नई गाइडलाइन बनाई गई है। इसके मुताबिक, कम संक्रमण वाले इलाकों में शनिवार से पाबंदियोंमें धीरे-धीरे ढील दी जाएगी। जहां ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, वहां पाबंदियांपहले की तरह लागू रहेंगी। हालांकि,ट्रम्प ने कहा है कि इस पर फैसला राज्यों के गवर्नर लेंगे। वहीं, ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने संक्रमण रोकने के लिए अभियान चलाने पर स्वाथ्य मंत्री लुइज हेनरिक मैन्डेटाको हटा दिया। बोल्सोनारो देश में संक्रमण रोकने के लिए पाबंदियां लागू करने के पक्ष में नहीं थे।
मैन्डेटाको स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाने के बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने समय को देखते हुए एक डॉक्टर की तरह जो भी करना था, किया। आइसोलेशन एक हकीकत बन गया, लेकिन हम ऐसे निर्णय नहीं ले सकते, जिससे काम पूरी तरह तबाह हो जाए। इससे पहले बोल्सोनारो ने कोरोना को एक मामूली फ्लू जैसी बीमारीबताया था।
न्यूयॉर्कमें इमिग्रेंट लेबर्स के लिए 200 करोड़ के फंड का ऐलान
न्यूयॉर्क में संक्रमितों की संख्या 2 लाख 26 हजार 198 पहुंच गई है और 16 हजार 106 मौतें हुई हैं। इस बीच न्यूयॉर्क सिटी के मेयर बिल डीब्लासियो ने प्रवासी मजदूर और उनके परिवार के लिए 20 मिलियन डॉलर (करीब 200 करोड़ रुपए) के फंड की घोषणा की । इससे 20 हजार से ज्यादा मजदूरों को फायदा होगा। इस फंड की घोषणा ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के साथ मिलकर की गई है।न्यूयॉर्क में 15 मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। गवर्नर एंड्रयू क्यूमोने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमने कोरोना पर काबू पा लिया है। संक्रमण की दर में गिरावट देखी जा रही है। इसके बावजूद हम ऐहतियात बरतेंगे।वायरस न फैले, इसके लिए कड़ाई से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा। क्यूमोने कहा कि अकेले न्यूयॉर्क में कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा और मिशिगन से ज्यादा कोरोना टेस्ट किए गए हैं। हमने बीते एक महीने में करीब 5 लाख टेस्ट किए हैं।
यूरोप में सबसे ज्यादा मौतें इटली में हुईं
यूरोप में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें इटली में ही हुई हैं। यहां अब तक 22 हजार से ज्यादा लोग दम तोड़ चुके हैं। वहीं, संक्रमितों की संख्या भी 1 लाख 68 हजार से ज्यादा है। यूरोप में सिर्फ स्पेन(182,816) ही इस मामले में उससे आगे है। फ्रांस में संक्रमितों की संख्या 1 लाख 47 हजार से ज्यादा है जबकि मृतकों का आंकड़ा 17 हजार 167 है।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 6 लाख 74 हजार 585 | 34 हजार 458 | 57 हजार 232 |
स्पेन | 1 लाख 82 हजार 816 | 19 हजार 130 | 74 हजार 797 |
इटली | 1 लाख 68 हजार 941 | 22 हजार 170 | 40 हजार 164 |
फ्रांस | 1 लाख 65 हजार 027 | 17 हजार 920 | 32 हजार 812 |
जर्मनी | 1 लाख 36 हजार 569 | 3 हजार 943 | 77 हजार |
ब्रिटेन | 1 लाख 3 हजार 093 | 13 हजार 729 | उपलब्ध नहीं |
चीन | 82 हजार 341 | 3 हजार 342 | 77 हजार 892 |
ईरान | 77 हजार 995 | 4 हजार 869 | 52 हजार 229 |
तुर्की | 69 हजार 392 | 1 हजार 518 | 5 हजार 674 |
बेल्जियम | 34 हजार 809 | 4 हजार 857 | 7 हजार 562 |
ब्रिटेन:लॉकडाउन की मियाद 3 हफ्ते और बढ़ी
ब्रिटेन में कोरोना पर काबू पाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन की मियाद तीन हफ्ते और बढ़ा दी है। यहां 25 दिन पहले लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। इसमें से 21 दिन तो प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अस्पताल और आइसोलेशन में ही रहे। फिलहाल वे स्वस्थ हो रहे हैं। देश मेंअब कोरोनासंक्रमितों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो गई है। यहां3 लाख 27 हजार 608 लोगों के कोरोना टेस्ट हुए। इसमें से 1 लाख 3 हजार से ज्यादा पॉजिटिव पाए गए हैं। यूके के अस्पतालों में अब तक 13 हजार 729 लोगों ने इस वायरस की वजह से दम तोड़ा है।
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Trump unveils guidelines to reopen US, lets guvs to take call April 16, 2020 at 04:32PM
कैलिफोर्निया की डॉक्टर जेसिका ने कहा- कोरोना संकट के बीच लाेग सोच रहे हैं कि उनके बाद परिवार और बच्चों का क्या होगा April 16, 2020 at 02:57PM
डॉ. जेसिका नुटिक जिटर.मैं कैलिफोर्निया के अपने घर में बहन से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी। शुरुआती कुछ मिनट कोरोना पर हल्के-फुल्के अंदाज में बात होती रही। अचानक वो खड़ी हो गई और गहरी सांस लेते हुए पूछा- अगर मुझे और मेरे पति को कुछ हो गया तो क्या तुम 300 किलोमीटर आकर मेरे बच्चों को अपने साथ ले जाओगी और देखभाल कर लोगी। मेरी बहन ने हर स्थिति की प्लानिंग कर रखी है। हालांकि, सभी इतना दूर का नहीं सोच पाते।
वह बताती हैं कि मेरी एक दोस्त के पति जब कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती हुए, तो दोनों को आपस में पैसों के बारे में फोन पर बात करनी पड़ी। मैंने देखा है इन दिनों कई लोग भविष्य को लेकर बहुत परेशान हैं। कोरोनावायरस ने लोगों को इतना सतर्क कर दिया है कि अब वे हर अप्रत्याशित स्थिति के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। लोग यहां तक प्लानिंग कर रहे हैं कि अगर अचानक मौत हो गई तो परिवार आगे कैसे चलेगा।
अस्पताल या क्वारैंटाइन में जाना पड़ा तो वहां वक्त कैसे कटेगा। मुसीबत में कौन साथ देगा और कौन नहीं, इस पर बातें हो रही हैं। जैसे-
अचानक आने वाली स्थिति के लिए ऐसी तैयारियां कर रहे लोग
इमरजेंसी बैगः इसमें दवाएं, पुरानी बीमारी से जुड़े दस्तावेज, चश्मा, फोन, मोबाइल चार्जर जैसी चीजें हैं। क्योंकि कोरोना मरीज के साथ कोई भी नहीं होगा।
करीबी लोगों की लिस्टः इनमें परिवार, दोस्त व अन्य लोग हैं। वे बेहतर अस्पताल, डॉक्टर के अलावा मृत्यु होने पर शरीर और ऑर्गन को लेकर भी फैसला करेंगे। वे बच्चों, परिवार और पालतू जानवरों की देखभाल भी सुनिश्चित करेंगे।
बैंक डिटेल, पासवर्डः पति-पत्नी, बच्चों या परिवार के सदस्यों के साथ बैंक खातों और अन्य पासवर्ड साझा कर रहे हैं, ताकि समय आने पर वित्तीय मदद न रुके।
इच्छाओं को लिख रहेः डॉक्टर के लिए अपनी इच्छाओं को लिख रहे। इसके लिए एडवांस फॉर्म भी भर कर रख रहे हैं। इसमें यह लिखा है कि अगर इलाज के दौरान बात करने की स्थिति में नहीं रहे या मृत्यु हो गई, तो क्या करना होगा।
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अफगानिस्तान की गर्ल्स रोबोटिक टीम ने कार के पुराने पार्ट्स से बना दिया वेंटिलेटर, इस पर महज 22,800 रुपए खर्च आया April 16, 2020 at 02:55PM
कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए सबसे जरूरी चीज वेंटिलेटर की कमी से दुनियाभर के देश जूझ रहे हैं। अफगानिस्तानमें भी यही समस्या है। 3.5 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में महज 300 वेंटिलेटर हैं। यहां करीब 840 कोरोनासंक्रमित हैं, वहीं 30 लोगों की मौत भी इस वायरस से हो चुकी है।इस समस्या को दूर करने के लिए हेरात की गर्ल्स रोबोटिक टीम ने कार के पुराने पार्ट्स से वेंटिलेटर बनाया है। इस पर खर्च भी महज 22,800 रुपए आया है, जबकि बाजार में वेंटिलेटर 20-23 लाख रुपए के बीच मिलता है। इस डिवाइस को डब्लूएचओ की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
लड़कियों की यह टीम हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और स्थानीय हेल्थ एक्सपर्ट के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। अफगानिस्तान में टेक कंपनी संचालक और प्रोजेक्ट में मदद कर रहीं रोया महबूब के मुताबिक, मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा दिए गए डिजाइन के आधार पर उन्होंने यह प्रोटोटाइप तैयार किया है।
ईरान से लौटे लोगों के कारण कोरोना के मामले बढ़े
टीम में पांच लड़कियां हैं। इनकी उम्र 14-17 साल के बीच है। ये सभी हेरात प्रांत से हैं, जहां ईरान से लौटे लोगों के कारण कोरोना के मामले बढ़े हैं। जब हेरात के गवर्नर ने समस्या बताई तो इन्होंने पुरानी टोयोटा कार की बैटरी और पुर्जों से वेंटिलेटर बनाया। अफगानिस्तान स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता वाहिदुल्लाह मयार के मुताबिक, उन्होंने एक्सपर्ट्स और इंजीनियरों से इस टीम की मदद करने के लिए कहा है।
2017 में भी चर्चा में आई थी इन लड़कियों की टीम
अफगान ड्रीमर्स के तौर पर चर्चित यह टीम 2017 में भी चर्चा में आई थी। तब अमेरिका में रोबोटिक प्रतियोगितामें शामिल होने के लिए इन्हें वीजानहीं दिया गया था। राष्ट्रपति ट्रम्प की दखल के बाद टीम इवेंट में शामिल हो सकी थी।
ऑटोमैटिकली प्रेशर नियंत्रित कर सकता है यह वेंटिलेटर
टीम की प्रमुख 17 साल की सोमाया बताती हैं कि डिवाइस का सबसे खास पार्ट अम्बु बैग बनाना बड़ी चुनौती थी। स्वास्थ्यकर्मी मरीज की उम्र और जरूरत के हिसाब से इसका प्रेशर तय करते हैं। लेकिन, हमारे बनाए वेंटिलेटर में यह काम ऑटोमैटिक ही हो जाएगा।
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फ्लोरिडा के नर्स कपल बेन और मिंडी, जब कई दिन बाद मिले, तो बन गई तस्वीर April 16, 2020 at 09:07AM
पिछले कई दिनों से यह तस्वीर काफी चर्चा में है। प्रोटेक्शन सूट पहने स्वास्थ्यकर्मियों के बीच का प्यार देख सभी भावुक हो रहे थे। सोशल मीडिया पर इसे ‘उम्मीद और प्यार की तस्वीर’ भी कहा गया। दोनों के समर्पण की तारीफ भी हो रही थी। अब तक यह जाहिर नहीं हुआ था कि तस्वीर कहां की और किसकी है। अब इस पर से परदा उठ गया है। ये बेन केयर और उनकी पत्नी मिंडी ब्रॉक हैं जो फ्लोरिडा के टम्पा जनरल हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में नर्स हैं।
दोनों कई दिनों से मिल नहीं पाए थे
काम में व्यस्त होने से दोनों कई दिनों से मिल नहीं पाए थे। एक दिन आईसीयू के बाहर अचानक मिले, तो एक-दूसरे के लिए प्यार जताने से खुद को रोक नहीं सके। उनके एक साथी ने यह फोटो क्लिक की थी। बेन बताते हैं- ‘हमें अलग अलग टीम में रखा गया। काम का समय भी अलग-अलग है, इसलिए कई दिन से मिल नहीं पाए थे। हमारी तस्वीर वायरल होने की जानकारी भी साथियों से मिली।’ वहीं मिंडी कहती हैं- ‘हमें अलग टीम में रखने पर मैंने बहस भी की थी, लेकिन हालात ऐसे थे कि ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई। हम चाहते हैं कि मरीज जल्द से जल्द ठीक हों। वायरस का खतरा तो है, लेकिन हम खुद को इससे अलग नहीं कर सकते।
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106 साल की कोनी संक्रमण को हराकर बनीं योद्धा, वे ब्रिटेन की सबसे उम्रदराज मरीज हैं April 16, 2020 at 08:52AM
बर्मिंघम की रहने वाली 106 साल की परदादी कोनी टिट्चेन, जो ब्रिटेन में कोविड से ठीक होने वाली सबसे बुजुर्ग महिला भी हैं, कोरोना को हराने वाले योद्धाओं में शामिल हो गई हैं। बुधवार को जब उन्हें बर्मिंघम सिटी हॉस्पिटल से छुट्टी दी गई, तो पूरा स्टाफ तालियां बजाते हुए उन्हें विदाई देने लॉबी में आया।
कोनी से जब पूछा गया कि उन्हें अब कैसा लग रहा है, तो उनका कहना था- ‘मैं लकी हूं जो कोरोना को हरा सकी, परिवार से मिलने के लिए बेचैन हूं और कुछ अच्छा खाना चाहती हूं क्योंकि मुझे भूख लगी है।’
दादी हमेशा से ही एक्टिव रही हैं- पोती
उनकी पोती एलेक्स जॉन्स बताती हैं ‘दादी हमेशा से ही एक्टिव रही हैं। वे अक्सर अपने लिए खाना भी बनाती हैं। उन्हें डांस करना, साइकिल चलाना और गोल्फ खेलना भी पसंद है।’ 1913 में जब टि्टचेन का जन्म हुआ था, तब ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम थे। उन्होंने 1917 की रूसी क्रांति भी देखी और दोनों विश्वयुद्ध भी, अब कोविड 19 को हराने के बाद टि्टचेन योद्धा बन गई हैं। उन्हें मार्च में भर्ती किया गया था।
भारतीय मूल की महिला ठीक हुई, तो अस्पताल में जश्न
इधर, साउथ लंदन हॉस्पिटल ने भी अपने आईसीयू से ठीक होकर निकली पहली कोरोना पॉजिटिव मरीज को कोनी जैसी ही विदाई दी। 51 साल की जोथी केसावन के डिस्चार्ज पर हॉस्पिटल स्टाफ ने लॉबी में खड़े होकर उन्हें विदाई दे रहा है। केसावन को 17 मार्च को कोविड पॉजिटिव पाए जाने पर भर्ती किया गया था। बाद में उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था।
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कोरोना के चलते वर्क फ्रॉम होम का आदेश हुआ, तो नासा के वैज्ञानिक 19 हजार करोड़ रुपए का क्यूरोसिटी मार्स रोवर अपने घर से चला रहे April 16, 2020 at 02:37PM
अगर आपको घर से काम करना कठिन लगता है, तो अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के वैज्ञानिक आपके लिए मिसाल बन सकते हैं। वे मंगल ग्रह की जानकारी जुटाने वाले 18,750 करोड़ रुपए से ज्यादा की कीमत वाले ‘क्यूरोसिटी मार्स रोवर‘ को अपने घर से चला रहे हैं। इससे मार्स रोवर के काम में कोई रुकावट नहीं आई है और वह अब भी मंगल ग्रह से जुड़े आंकड़े और तस्वीरें इकट्ठा कर रहा है। हालांकि टीम को थोड़ी मुश्किल हो रही है क्योंकि सभी को एक साथ 15 चैट चैनल्स पर भी नजर रखनी पड़ती है। लेकिन, फिर भी अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए वे घर से ही काम करना पसंद कर रहे हैं।
ट्रेंड: वर्क फ्रॉम होम की नौकरी तलाशने वाले60% तक बढ़े
जॉब पोर्टल मॉन्स्टरके मुताबिक, वर्क फ्रॉम होम जॉब्स तलाशने वालों की संख्या में पिछले कुछ समय में 60% तक का इजाफा हुआ है। वहीं गूगल ट्रेंड्स भी बताता है कि लॉकडाउन के दौरानवर्क फ्रॉम होम से जुड़ी सर्च में इजाफा हुआ है। जनवरी की तुलना में इसे मार्च में 82% तक ज्यादा सर्च किया गया। रिसर्च फर्म गार्टनर के मुताबिक, दुनिया में 2030 तक घर से काम करना 30% बढ़ जाएगा, क्योंकि जनरेशन-जेड वर्कफोर्स में आ जाएगी।
64% पेशेवर मानते हैं कि वे कहीं से भी काम कर सकते हैं
आज के 64 फीसदी पेशेवर मानते हैं कि वे कहीं से काम कर सकते हैं। गार्टनर के ही कंपनियों के सीएफओज के सर्वे में सामने आया कि 74 फीसदी अधिकारी मानते हैं कि उनकी कंपनी में कुछ कर्मचारी महामारी के खत्म होने के बाद भी वर्क फ्रॉम होम जारी रखेंगे।
आईटी सेक्टर वर्क फ्रॉम होम पर फोकस बढ़ा सकती हैं
मनीकंट्रोल को दिए गए एक इंटरव्यू में इंफोसिस के को-फाउंडर और एक्जीलर वेंचर्स के चेयरमैन गोपालकृष्णन ने कहा, ‘आईटी सेक्टर की कंपनियां कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर फोकस बढ़ा सकती है। हो सकता है कि आने वाले समय में आईटी सेक्टर में 20% स्टाफ वर्क फ्रॉम होम हो।’
भविष्य: यह ट्रेंड सिर्फ आईटी कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एचसीएल जैसी कई आईटी कंपनियां 20 अप्रैल के बाद 15 से 20% स्टाफ को ही ऑफिस बुलाएंगी, जबकि सरकार ने 50% तक की अनुमति दी है। कई सर्वे बताते हैं कि ग्लोबल वर्कफोर्स अब स्थायी तौर पर घर से काम करने को तैयार है।यह ट्रेंड सिर्फ आईटी कंपनियों तक ही सीमित नहीं है। कई ब्रोकिंग कंपनियां कुछ डिपार्टमेंट्स को अब तीन से चार दिन घर से काम करने की अनुमति देने के बारे में विचार कर रही हैं।
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चीन ने वुहान की लैब में पैदा किया था कोरोना वायरस, ताकि बता सके कि उसके वैज्ञानिक अमेरिकियों से कहीं आगे April 16, 2020 at 02:36PM
अमेरिकी टीवी चैनल फॉक्स न्यूज ने गुरुवार को दावा किया कि चीन ने एक विशेष उद्देश्य से इस वायरस को वुहान की लैब में पैदा किया ताकि वह बता सके कि उसके वैज्ञानिक अमेरिकी वैज्ञानिकों से कहीं आगे हैं। चीन ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह कोरोना जैसे खतरनाक वायरस की अमेरिका की तरह या उससे ज्यादा अच्छे से पहचान कर सकता है और उससे पूरी ताकत के साथ निपट सकता है। यह उसका अब तक का सबसे महंगा और गुप्त कार्यक्रम था।
चीन ने वेट मार्केट की थ्योरी भी जानबूझकर फैलाई
चैनल ने सूत्र के हवाले से कहा कि डॉक्टरों के प्रयासों और इस वायरस को शुरू में लैब में रोकने से जुड़े कई दस्तावेजों के अध्ययन से यह पता चलता है कि वुहान में जिस वेट मार्केट की पहचान कोरोना फैलने के रूप में की गई थी, वहां चमगादड़ बिकते ही नहीं थे। चीन ने वेट मार्केट की थ्योरी को भी जानबूझकर फैलाया ताकि लैब पर लगने वाले आरोप दब जाएं। चीन चाहता था किइसके जरिए वह अमेरिका और इटली को निशाना बनाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को ही कहा था कि वुहान कीलैब से कोरोनावायरस दुर्घटनावश लोगों में फैला या जानबूझकर, इसका पता हम लगाकर ही रहेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पहले ही कह चुके हैं कि चीन को बताना होगा कि वायरस कैसे फैला?
तनाव बढ़ेगा: अमेरिका का चीन पर न्यूक्लियर टेस्ट का संदेह
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवारको कहा कि हो सकता है किचीन ने सीटीबीटीसंधि का पालन करने के दावे के बावजूद गुप्त रूप से कम क्षमता का परमाणु परीक्षण विस्फोट किया हो। इस दावे के बाद दोनों देशों के बीच कोरोनावायरस के चलते पहले से ही तल्ख संबंध और ज्यादा तनाव बढ़ा सकते हैं। दरअसल, चीन के परमाणु परीक्षण स्थल लाेप नूर पर पिछले साल काफी हलचल देखी गई थी, जिसके चलते अमेरिका के मन में ये संदेह उठ रहा है कि उसने परमाणु परीक्षण किया होगा।
डब्ल्यूएचओ तस्दीक कर चुका है कि वायरस वुहान की लैब में नहीं बना: चीन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आरोप के बाद गुरुवार को चीन ने अपनी सफाई दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि अब तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी इस बात की तस्दीक कर चुका है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैंकि दुनियाभर में 20 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित करने वाले कोरोनोवायरस को वुहान की लैब में बनाया गया था।
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सरकार का पूरा ध्यान ओलिंपिक के आयोजन पर था, इसीलिए कोरोना संकट पर इमरजेंसी लगाने में देरी की April 16, 2020 at 02:36PM
(जूलियन रयाल) जापान में कोरोनावायरस पर सरकार के देर से जागने पर लोगों में गुस्सा है। यहां 9000 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, वहीं 178 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले टोक्यो में ही 2600 मरीज मिल चुके हैं। देश में पहला केस 16 जनवरी को सामने आया था।27 फरवरी को प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने देश के सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए। फरवरी में ही डायमंड प्रिसेंस क्रूज पर 700 से ज्यादा कोरोना के मामले मिले। पहला केस आने के 83 दिन बाद इमरजेंसी की घोषणा की गई।
नौ प्रांतों के अस्पतालों में आपातकालीन बेड खत्म
राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता एनएचके के मुताबिक देश के नौ प्रांतों के अस्पतालों में कोरोना के लिए रखे गए आपातकालीन बेड खत्म होने को हैं। टोक्यो, क्योडो, ह्योगो, फुकुओका जैसे बड़े प्रांतों में यह स्थिति है।जापान के दूसरे बड़े शहर ओसाका के स्थानीय प्रशासन ने लोगों से वाटरप्रूफ कोट और रेनकोट दान करने के लिए कहा है, क्योंकि स्वास्थ्यकर्मियों के पास सुरक्षा किट नहीं है। ओसाका के महापौर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के दूसरे शहरों में डॉक्टर और नर्सों को बीन बैग पहनकर इलाज करना पड़ रहा है।
पूरा ध्यान ओलिंपिक आयोजन पर ही रहा
क्योटो की दोशिशा यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर नॉरिको हामा कहती हैं कि इससेपता चलता है कि सरकार खतरे को लेकर कितनी गंभीर है। उसे पता ही नहीं है कि क्या करना है। गलती के डर से उन्होंने कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की। आम लोग आर्थिक तंगी में जी रहे हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है। छोटे कारोबारियों का भी यही हाल है। लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि सरकार का पूरा ध्यान ओलिंपिक खेलों केआयोजन पर ही रहा। सरकारजुलाई तक भी गेम्स कराने के लिए तैयार थी। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी द्वारा समर गेम्स और पैरालिंपिक रद्द करने के भी काफी दिनों बाद इमरजेंसी का ऐलान किया गया।
सरकार ने रियायतोंकी घोषणा नहीं की
कारोबार में भी सिर्फ उन्हीं लोगों को मदद दी जा रही है, जो सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करते हैं। हामा कहती हैं कि इस पर लोग रोष नहीं दिखाएंगे तो और क्या करेंगे। टोक्यो यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 20 साल के इसेइ इजावा ने कहा कि मेरे जैसे कई छात्र परेशान हैं। इस महीनेके अंत में फीस जमा करनी है। लेकिन, अभी तक सरकार ने इसमें रियायत देने की घोषणा नहीं की।हमें कोई मदद नहीं मिली। परिवार से भी हम समस्या साझा नहीं कर सकते। वो पहले से ही परेशान हैं।
सरकार ओलिंपिक की मेजबानी खतरे में डालने के लिए राजी नहीं थी
डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व नेता और टोक्यो के वेसेडा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मीको नकाबयाशी कहती हैं कि देश में नेतृत्व की साफ कमजोरी दिख रही है। सरकार ओलिंपिक की मेजबानी को खतरे में डालने के लिए राजी नहीं थी। क्योंकि उनकी और कई बिजनेस की प्रतिष्ठा दांव पर थी। इसी को बचाने के लिए देश की जनता को नजरअंदाज कर दिया गया। अर्थव्यवस्था से जरूरी जिंदगी बचाना है। सरकार को इसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए था।
पूरे देश में लग सकती है इमरजेंसी, 4 लाख खतरे में: रिपोर्ट
कोरोना पर जापान की होक्काइदो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ने शिंजो आबे सरकार की नींद उड़ा दी है। इसमें कहा गया है कि अगर सरकार ने सख्ती नहीं की, तो 4 लाख लोगों की मौत हो सकती है। कहा जा रहा है कि आबे पूरे देश में इमरजेंसी घोषित कर सकते हैं। देश में सिर्फ उन्हीं की जांच हो रही है, जिनमें लक्षण हैं। इसलिए समस्या बढ़ गई। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक देश में 8.5 लाख वेंटिलेटर की जरूरत भी है।
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किम जोंग उन अपने दादा की जयंती पर पहली बार नहीं पहुंचे, विशेषज्ञ बोले- वे खुद को मॉडर्न नेता साबित करने की कोशिश में April 16, 2020 at 12:04AM
उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के दादा किम इल सुंग की जयंती बुधवार कोमनाई गई,हालांकि, पहली बारकिम जोंग उन इस समारोह में शामिल नहीं हुए। दुनियाभर में किम के इस कदम को लेकर कईअनुमान लगाएजा रहेहैं।विशेषज्ञोंकहना है कि वे यह साबित करना चाहते हैं कि उनका महत्वविरासत से ज्यादा है। साथ ही वे पारंपरिक कार्यक्रमों में हिस्सा न लेकर खुद को मॉडर्न भी साबित करना चाहते हैं। किमदिखना चाहते हैं कि वे अपने पूर्वजों की तरह नहीं हैं।
15 अप्रैल को उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग की जयंती मनाई जाती है। यहउत्तर कोरिया का सबसे महत्वपूर्ण समारोह है। इस दिन को ‘डे ऑफ सन’ के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर कोरिया के लोगों को जन्म से ही किम इल सुंग और उनके बेटे किम जोंग इल का सम्मान करना सिखाया जाता है। न्यूज एजेंसी केसीएन ने गुरुवार को कुमसुसन पैलेस में किम इल सुंग को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों की लिस्ट में किम जोंग उन का नाम न होने की जानकारी दी।उत्तर कोरिया के अखबार में ‘रोडोंग सिनमुन’ में समारोह से जुड़ी तस्वीरें छापी गई हैं। इसमें भी किम की समारोह में मौजूदगी की तस्वीर नहीं दिखीहै। हालांकि, वहां पर किम के नाम का फूलों का गुलदस्ता मौजूद था। 2011 में सत्ता में आने के बाद किम हमेशा से इस मौके पर श्रद्धांजलिअर्पित करने जाते रहे हैं।
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा- किम नया ढोंग कर रहे
अमेरिकी सरकार के पूर्व उत्तर कोरिया विशेषज्ञ रचेल ली ने कहा, ‘‘किम जोंग उन एक नया ढोंग रच रहे हैं कि वह अपने दादा और पिता की विरासत से दूरी बनाकर चल रहे हैं। इसके जरिये वह अपनी उपलब्धियों को अधिक महत्वदेना चाहतेहैं।’’सियोल में रह रहे उत्तरकोरिया से भागकर आए एन चन-इल ने बताया, ‘‘किम जोंग उन पारंपरिक कार्यक्रमों और अतीत के दोनों नेताओं से खुद कोअलग साबित करना चाहते हैं। वे दिखाना चाहते हैं कि किम जोंग इल और किम इल सुंग का समय चला गया । वे उत्तर कोरिया को एक सामान्य देश के रूप में दिखाना चाहते हैं, इसलिएअपने दिवंगत नेताओं को कम महत्व दे रहे हैं।’’
दादा कीछवि दिखाने का दिखावाहोता रहा है
हालांकि, इससे पहले उत्तर कोरिया में सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से यह दिखावा किया जाता रहा है कि किम बिल्कुल अपने महान दादा किम इलसुंग की तरह हैं। वह दिखने में, व्यवहार से बिल्कुल उन जैसे हैं। यहां तक की उनकी हैंड राइटिंगभी अपने दादा से बिल्कुल मिलतीहै।
किम के कार्यकाल में चार परमाणु परीक्षण हुए
उत्तर कोरिया में अभी तक छह परमाणु परीक्षण हुए हैं, इसमें चार किम जोंग उन के कार्यकाल में ही हुए हैं। इसके साथ ही उत्तर कोरिया में ऐसी मिसाइलें विकसित की जा रही हैं, जिनकी पहुंच पूरे अमेरिका तक है। इसके चलते यूएन की सिक्युरिटी काउंसिल की ओर से उत्तर कोरिया पर कई प्रतिबंध भी लगाएगए हैं। इसके साथ ही उत्तर कोरिया और अमेरिका से रिश्तों में नरमी लाने के लिए2018 से किमडोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के साथ कई बैठकें भी कर चुके हैं।
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दक्षिण कोरिया में 62.6% वोटिंग, 28 साल का रिकॉर्ड टूटा; राष्ट्रपति मून जे इन की पार्टी जीती April 15, 2020 at 09:38PM
कोरोनावायरस के साए में दक्षिण कोरिया में बुधवार को संसदीय चुनाव हुए। इसमें रिकॉर्ड 62.6 फीसदी वोट पड़े, जो 28 साल में सर्वाधिक है। शुरुआती रुझानों के मुताबिक, सत्ताधारी डेमोक्रेटिक गठबंधन को 300 सीट में से 155-178 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, विपक्ष यूएफसी गठबंधन को 107 से 130 सीट मिलने की संभावना है।
इन चुनावों को राष्ट्रपति मून जे इन के आधे कार्यकाल और कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा था। देशभर में बनाए गए करीब 14 हजार मतदान केंद्रों पर वोटरों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं। कतार में 1-1 मीटर की दूरी पर खड़े होने के लिए निशान बनाए गए थे। सैनिटाइजर के साथ मास्क और गलव्स भी दिए गए।
वोटरों के तापमान की जांच की गई
कतार में खड़े होने से पहले वोटरों के तापमान की जांच की गई। 99.5° से ज्यादा होने पर उनसे अलग कक्ष में वोटिंग कराई गई। साथ ही कोरोना टेस्ट भी लिया गया। दक्षिण कोरिया में अब तक 10 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं और 229 लोगों की मौत हो चुकी है।
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