Friday, August 28, 2020
Tokyo transparent toilet's walls go opaque when door closed August 28, 2020 at 07:26PM
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- मैं चाहता हूं कि इवांका देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनें, कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद के काबिल नहीं August 28, 2020 at 07:24PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को एक और चौंकाने वाला बयान दिया। न्यू हैम्पशायर में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा- मुझे नहीं लगता कि कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने के काबिल हैं। मुझे ये भी लगता है कि मेरी बेटी और एडवाइजर इवांका ट्रम्प को अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनना चाहिए।
ट्रम्प तुलना तो वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट्स की कर रहे थे, लेकिन सीधे राष्ट्रपति पर आ गए। उन्होंने कहा- डेमोक्रेटिक पार्टी सिर्फ अमेरिकी लोगों को सपने दिखा सकती है, ये कभी पूरे नहीं हो सकते।
कमला पर फिर निशाना
ट्रम्प ने कमला हैरिस की काबिलियत पर सीधे सवाल उठाए। कहा- वे तो राष्ट्रपति बनने की रेस में शामिल थीं। लेकिन, अब उपराष्ट्रपति बनने की कोशिश कर रही हैं। मुझे लगता है कि मेरी बेटी और एडवाइजर इवांका इस पद के लिए ज्यादा बेहतर उम्मीदवार हैं। मैं ये भी कहूंगा कि इवांका ही अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनें। इस रोल के लिए वे सबसे ज्यादा बेहतर उम्मीदवार हैं। अब तो लोग भी कहने लगे हैं कि वो इवांका को इन महत्वपूर्ण पदों पर देखना चाहते हैं। इसमें कमला की कोई गलती नहीं है।
डेमोक्रेट्स दबाव में
रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन में भी ट्रम्प ने जो बिडेन पर निशाना साधा था। इसके बाद उन्होंने कमला हैरिस पर भी तंज कसा था। रिपब्लिकन पार्टी का आरोप है कि हैरिस अमेरिका में नस्लवाद को बढ़ावा दे रही हैं और डेमोक्रेट्स उनका साथ दे रहे हैं। वो एशियाई और अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के बीच भी दूरिया बढ़ा रहे हैं। ट्रम्प का आरोप है कि अमेरिकी मीडिया का एक हिस्सा जानबूझकर उन्हें निशाना बनाता है क्योंकि वे सही बात कहते हैं।
जीत का भरोसा
न्यू हैम्पशायर की रैली में ट्रम्प ने कहा- मैं वादा करता हूं कि हम ये चुनाव जीतेंगे और अमेरिका को पहले से ज्यादा सुरक्षित और मजबूत बनाएंगे। हमारी नीतियों पर सवाल उठाने वाले अब तक शायद इन्हें समझ ही नहीं पाए। अमेरिका अपने हितों को कभी किसी को खुश करने के लिए पीछे नहीं छोड़ सकता। हमने पहले भी देश को बहुत मजबूती से आगे बढ़ाया है और आगे भी ऐसा ही करते रहेंगे। अमेरिका झुकने को तैयार नहीं है।
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पाकिस्तान का यूट्यूब को आदेश- आपत्तिजनक वीडियो फौरन हटाए, देश की संस्कृतिक को नुकसान नहीं होने देंगे August 28, 2020 at 05:36PM
पाकिस्तान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने को कहा है। इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को विस्तार से एक लेटर लिखा गया है। इसमें बताया गया है कि सरकार द्वारा तय गाइडलाइन्स का पालन करना जरूरी होगा। देश के कुछ संगठन कई हफ्तों से आरोप लगा रहे हैं कि यूट्यूब पर कई वीडियो ऐसे हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ कंटेंट ऐसा है जिसकी वजह से इस्लामी राष्ट्र के तौर पर पाकिस्तान की इमेज को नुकसान होता है।
नियमों का पालन जरूरी
पाकिस्तान टेलिकम्युनिकेशन अथॉरिटी (पीटीए) के मुताबिक, यूट्यूब और दूसरे चैनलों के लिए पहले से गाइडलाइन्स तय हैं। अगर इनका पालन नहीं किया गया तो कार्रवाई की जाएगी। लेटर में कुछ उदाहरण देते हुए कहा गया है कि एक इस्लामी राष्ट्र के तौर पर पाकिस्तान की इमेज को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि कुछ वीडियोज इस लिहाज से संवेदनशील हैं।
हेट स्पीच पर लगाम जरूरी
पीटीए ने मीडिया को जारी बयान में कहा- अश्लील, अनैतिक और संवेदनशील वीडियोज हटाने होंगे। इससे समाज पर बुरा असर होता है। हम चाहते हैं कि यूट्यूब पाकिस्तान में भी जिम्मेदारी का परिचय दे। फिलहाल, यूट्यूब की तरफ से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि, दो महीने पहले इसके एक अफसर ने कहा था कि पाकिस्तान में उस पर पाबंदियां बढ़ाई जा रही हैं और यह उसके हिसाब से सही नहीं है।
टिकटॉक पर भी नजर
जुलाई में चीनी ऐप टिकटॉक को लेकर भी पाकिस्तान में बवाल हुआ था। तब कहा गया था कि इसके जरिए अश्लील कंटेंट तैयार किया जाता है और इससे युवाओं पर गलत असर पड़ रहा है। इसके बाद बीगो ऐप पर बैन लगाया गया था। हालांकि, बाद में चीन के दबाव में यह बैन हटा दिया गया था। पाकिस्तान सरकार और यूट्यूब के बीच टकराव पहले भी हुआ। 2016 में यूट्यूब पर यहां बैन लगा दिया गया था। तब अमेरिकी सरकार के दखल के बाद 2 महीने बाद इसे हटाया गया था।
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अमेरिका में ट्रेड सीक्रेट चुराने के आरोप में चीनी नागरिक गिरफ्तार, चीन जाने वाली फ्लाइट में बैठने वाला था; गैरकानूनी तरीके से सॉफ्टवेयर कोड बनाए थे August 28, 2020 at 05:17PM
अमेरिका में शुक्रवार देर रात एक चीनी नागरिक को ट्रेड सीक्रेट चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। जस्टिस डिपार्टमेंट ने एक बयान में यह जानकारी दी। बयान के मुताबिक, आरोपी का नाम हेझाऊ हू है। 34 साल का हू कंप्यूटर एक्सपर्ट है और वर्क वीजा पर अमेरिका के कई शहरों में काम कर चुका है।
माना जा रहा है कि इस गिरफ्तारी के बाद अमेरिका और चीन के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। दोनों देश एक दूसरे के कई लोगों को पिछले दिनों से देश छोड़ने का आदेश दे चुके हैं।
बिना मंजूरी के जानकारी हासिल की
बयान के मुताबिक, हू को जिस वक्त गिरफ्तार किया गया तब वह चीन जाने वाली एक फ्लाइट में बैठने की तैयारी कर रहा था। उसका बोर्डिंग पास भी तैयार हो चुका था। हालांकि, पुलिस ने यह जानकारी नहीं दी कि हू के साथ और कौन था अब तक यह भी सामने नहीं आया है कि वो किन कंपनियों के लिए काम कर रहा था। जस्टिस डिपार्टमेंट ने कहा- हू ने उन कंप्यूटर्स से जानकारी निकाली जिन तक उसकी पहुंच नहीं थी। न ही उसे इस तरह की जानकारी निकालने की मंजूरी थी।
रिसर्चर के तौर पर अमेरिका आया था
जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक, हू दो साल पहले पहली बार अमेरिका आया था। उसे बायोटेक का रिसर्चर बताया गया है। लेकिन, उसने गैर कानूनी तरीके से सॉफ्टवेयर कोड तैयार किए और इनके जरिए ट्रेड सीक्रेट चुराने की कोशिश की। उसके पास से कुछ संदिग्ध सामान भी बरामद हुआ है। आरोपी कई बार वर्जीनिया यूनिवर्सिटी भी जा चुका है।
फिर बढ़ेगा तनाव
पिछले महीने अमेरिका ने चीन से ह्यूस्टन कॉन्स्युलेट खाली करने को कहा था। इसके बाद चीन ने चेंग्दू में अमेरिकी कॉन्स्युलेट खाली करवा लिया था। अमेरिका ने आरोप लगाया था कि चीन अपनी एम्बेसीज का इस्तेमाल अमेरिका की जासूसी के लिए कर रहा था। इसके कुछ दिन बाद एक चीनी महिला को गिरफ्तार किया गया था। उसने माना था कि वो जासूसी नेटवर्क तैयार कर रही थी।
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फ्रांस में एक दिन में 7 हजार से ज्यादा केस, मॉस्को में मौतों का आंकड़ा बढ़ा; दुनिया में 2.48 करोड़ केस August 28, 2020 at 04:32PM
दुनिया में कोरोनावायरस के अब तक 2 करोड़ 48 लाख 98 हजार 959 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 72 लाख 90 हजार 592 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 40 हजार 661 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस में संक्रमण की दूसरी लहर का असर साफ देखा जा रहा है। यहां गुरुवार को सात हजार से ज्यादा मरीज सामने आए। रूस के मॉस्को में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा है। सरकार एक और मेकशिफ्ट हॉस्पिटल बनाने जा रही है।
मॉस्को: मौतों का आंकड़ा बढ़ा
मॉस्को को छोड़कर रूस के बाकी हिस्सों में काफी हद तक संक्रमण पर काबू पाया जा चुका है। हालांकि, मॉस्को में हालात बहुत सुधरते नजर नहीं आते। मॉस्को में गुरुवार को 12 संक्रमितों की मौत हुई। इतना ही नहीं करीब पांच हजार नए मामले सामने आए। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा कि मॉस्को के उपनगरीय इलाकों में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए यहां एक और मेकशिफ्ट हॉस्पिटल तैयार किया जा रहा है। इसकी क्षमता पांच हजार होगी।
यूएई : फिर नए केस सामने आए
आईपीएल 2020 यूएई में 19 सितंबर से शुरू होना है। लेकिन, इसके पहले देश में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। शुक्रवार को यहां 390 मामले सामने आए। इसके साथ ही मरीजों का आंकड़ा अब 68 हजार 901 हो गया। सरकार ने शनिवार को एक अहम बैठक बुलाई है। इसमें हेल्थ डिपार्टमेंट की तमाम आला अफसर शामिल होंगे। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सरकार कुछ क्षेत्रों में लॉकडाउन जैसा सख्त फैसला ले सकती है।
फ्रांस: लॉकडाउन हटाना महंगा पड़ा
यूरोपीय देशों में अगर किसी देश में संक्रमण की दूसरी लहर का असर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है तो वो फ्रांस है। शुक्रवार को एक बार फिर तेजी से मरीज बढ़े। 7 हजार 379 मामले सामने आए। इसके साथ ही इस हफ्ते मरीजों की संख्या करीब 22 हजार ज्यादा हो गई। फ्रांस सरकार ने संक्रमण की रफ्तार रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की तरफ इशारा किया है। माना जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में मरीज ज्यादा मिल रहे हैं, वहां फिर लॉकडाउन लगाया जा सकता है। हालांकि, चिंता इस बात की है कि नए क्लस्टर ज्यादा दिखाई दे रहे हैं।
कनाडा : ट्रैवल बैन बढ़ाया
कनाडा ने दूसरे देशों में जाने वाले और वहां से आने वाल लोगों के लिए नया ट्रैवल प्लान तैयार किया है। इसके तहत यूएस से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध 30 सितंबर तक बढ़ा दया है। पहले यह 21 सितंबर तक था। सरकार का कहना है कि अगर यह प्रतिबंध हटाए जाते हैं तो देश में संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ने की आशंका है। यहां आज हेल्थ मिनिस्ट्री संक्रमण के नए मामलों की समीक्षा करेगी इसके साथ ही वैक्सीन रिसर्च पर भी बात होगी।
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ट्रम्प बोले- बिडेन का एजेंडा मेड इन चाइना, मेरा मेड इन अमेरिका; उन्हें चुना तो अमेरिकन ड्रीम टूट जाएगा August 28, 2020 at 03:07PM
अमेरिका के व्हाइट हाउस से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संदेश दिया कि वो अकेले समाजवाद, अराजकता और अतिवाद जैसी ताकतों के खिलाफ दीवार बनकर खड़े हैं। ट्रम्प ने कहा कि अगर जो बिडेन राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो अमेरिकन ड्रीम तबाह हो जाएगा। रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में दूसरी बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी स्वीकार करने के बाद ट्रम्प ने कहा- बिडेन का एजेंडा ‘मेड इन चाइना’ और मेरा ‘मेड इन अमेरिका’ है।
इस चुनाव से तय होगा कि हम अमेरिकन ड्रीम को बचाते हैं या एक समाजवादी एजेंडे को मेहनत से बनाई तकदीर तबाह करने की अनुमति देते हैं। संबोधन में ट्रम्प ने कहा कि हमें तय करना होगा कि कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों की रक्षा करेंगे, या उन्हें धमकाने वाले हिंसक, अराजक आंदोलनकारियों को खुली छूट देंगे।
ट्रम्प बोले-
- इसी साल सुरक्षित, प्रभावी वैक्सीन लाएंगे। 3 वैक्सीन फाइनल ट्रायल पर हैं। एडवांस में उनका उत्पादन कर रहे हैं।
- हम अमेरिकी महत्वाकांक्षा के नए युग का आगाज करेंगे। अमेरिका चांद पर पहली महिला को उतारेगा।
कोरोना, नस्लवाद जैसे मुद्दों के बजाय बिडेन पर हमले और अपनी उपलब्धियां बताते रहे ट्रम्प
झूठ हावी: 25 मुद्दों पर बोले; 5 ही सच्चे , 4 झूठे, 9 पर गुमराह किया, 7 बढ़ाकर बताए
70 मिनट के संबोधन में ट्रम्प ने 25 मुद्दों पर अपनी बात रखी। न्यूयॉर्क टाइम्स के विश्लेषण के मुताबिक इनमें 5 ही सच थे। 4 पूरी तरह झूठे निकले, 7 को उन्होंने बढ़ा-चढ़ाकर बताया, वहीं 9 मुद्दों पर लोगों को गुमराह किया। ट्रम्प यह बताने की कोशिश करते रहे कि कोराना पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया गया है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। ट्रम्प का संबोधन कोरोना के बजाय बिडेन और खुद की उपलब्धियों के बखान पर केंद्रित रहा।
अतीत भूले: 36 साल पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले नहीं दिखे, ऐसा पहली बार हुआ
1980 से 2016 तक रिपब्लिकन पार्टी का नेतृत्व करने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उप राष्ट्रपति सम्मेलन से गायब रहे। यानी बुश, चेनी और बेकर्स मेें से कोई नहीं दिखा। कोडोंलिजा राइस भी नहीं थीं। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प ने उनसे पूरी तरह किनारा कर लिया। सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैक्कॉनेल, अल्पसंख्यक नेता कैविन मैक्केर्थी को भी मंच पर जगह नहीं दी गई। कन्वेंशन के दौरान 10 घंटे के अलग-अलग भाषण में ट्रम्प ने सिर्फ बुश और रीगन का नाम लिया।
डेमोक्रेट कन्वेंशन को ज्यादा लोगों ने देखा: सर्वे
रिपब्लिकन कन्वेंशन को पहले दिन 1.7 करोड़ और दूसरे दिन 1.8 करोड़ लोगों ने टीवी पर देखा। जबकि 2016 के चुनाव में शुरुआती दो दिनों में दर्शक 1.9 करोड़ से ज्यादा थे।वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की कन्वेंशन को चारों दिन अमेरिका में औसत 22 करोड़ लोगों ने रोज देखा। नीलसन ने यह सर्वे किया है।
टूटी परंपरा: राजनीतिक फायदे के लिए ट्रम्प ने व्हाइट हाउस का इस्तेमाल किया
ट्रम्प का भाषण व्हाइट हाउस का लॉन में हुआ। विशुद्ध रूप से राजनीतिक घटनाओं के लिए व्हाइट हाउस का इस्तेमाल नहीं होने की परंपरा और नियमों को ताक पर रख दिया गया। मेहमानों में डिस्टेंसिंग नहीं दिखी और ना ही मास्क लगाना जरूरी समझा गया। अमेरिका में नस्लीय हिंसा चरम पर है और चुनाव में बड़ा मुद्दा भी। पर ट्रम्प ने इस मामले में अफ्रीकन-अमेरिकन समुदाय से वादा किया कि सर्वश्रेष्ठ स्थिति का आना अभी बाकी है।
विपक्ष का हमला: बिडेन का ट्वीट: खुद से पूछिए- ट्रम्प के अमेरिका में कितने सुरक्षित
ट्रम्प ने भाषण में कहा कि बिडेन के अमेरिका में कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। इस पर बिडेन ने ट्वीट किया- जब ट्रम्प ने कहा कि आप बिडेन के अमेरिका में सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो आसपास देखिए और खुद से पूछिए- ट्रम्प के अमेरिका में कितना सुरक्षित महसूस करते हैं? वहीं उप राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी कमला हैरिस ने भी ट्रम्प पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि ट्रंप अमेरिकियों को कोरोना से बचा नहीं पाए। चीनी सरकार पर जब अमेरिका को सख्त होने की जरूरत थी तो तब उस समय वह छुपकर बैठ गए थे।
अमेरिका के अहम मुद्दे: ट्रम्प VS बिडेन
डोनाल्ड ट्रम्प
- दावा करते हैं कि कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में, कई देशों से अच्छी स्थिति। जबकि 60 लाख मरीज हैं। 1.84 लाख मौतें हो चुकी हैं।
- ओबामाकेयर के सख्त विरोधी, इसे कमजोर बनाने में जुटे हैं। पर अब तक इसका कोई किफायती विकल्प नहीं दे सके।
- व्हाइट हाउस में बहुत कम अश्वेत सलाहकार। अश्वेतों की बढ़ती बेरोजगारी पर बात नहीं करते। सजा घटाने के पक्ष में।
- पेरोल पर टैक्स कट का वादा, महामारी के दौर से पहले की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। नौकरियां, निर्माण देश में वापस लाएंगे।
- इमिग्रेशन कम करेंगे। मैक्सिको सीमा पर दीवार बनवा रहे। वीसा लॉटरी, चेन माइग्रेशन खत्म कर मेरिट आधारित एंट्री कर देंगे।
बाइडेन
- नेशनल ट्रेसिंग प्रोग्राम का प्रस्ताव, मुफ्त टेस्टिंग हो, 1 लाख लोगों को काम में लगाएं। हर राज्य में 10 सेंटर रखने के पक्ष में।
- ओबामाकेयर को आगे बढ़ाएंगे, 10 साल में 5.5 लाख करोड़ रु. खर्च का प्रस्ताव। 97% अमेरिकियों को दायरे में लाएंगे।
- कैबिनेट में देश की विविधता दिखाने का वादा। अल्पसंख्यकों के लिए 1500 करोड़ रुपए का अनुदान फंड बनाएंगे।
- कॉर्पोरेट्स को ज्यादा छूट देने के खिलाफ। न्यूतनत आय बढ़ाने की वकालत। टैक्स कट के खिलाफ, कर्ज माफी रोक देंगे।
- इमिग्रेशन बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि इनसे रोजगार पैदा होते हैं। राष्ट्रपति बने तो पहले 100 दिन में ट्रम्प की नीतियां पलट देंगे।
मां-बेटी की मुलाकात चर्चा में
डोनाल्ड ट्रम्प की पत्नी मेलानिया और बेटी इवांका की मुलाकात चर्चा में रही। मेलानिया सौतेली बेटी से मिलते ही पहले मुस्कुराईं। फिर आंखें टेढ़ी कर खड़ी हो गईं।
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असीम सलीम बाजवा ने सेना में रहते 99 कंपनियां और 133 रेस्टोरेंट बनाए; चार देशों में फैलाया 382 करोड़ का कारोबार August 28, 2020 at 02:42PM
आर्थिक स्थिति से जूझ रहे पाकिस्तान में एक वेबसाइट ने पाकिस्तानी सेना के पूर्व जनरल असीम सलीम बाजवा को लेकर बड़ा खुलासा किया है। वेबसाइट फैक्ट फोकस के मुताबिक, बाजवा ने सेना में रहने के दौरान से अब तक 99 कंपनियां और 133 रेस्टोरेंट बना लिए हैं। उनका अरबों का कारोबार है, जो पाकिस्तान, अमेरिका, यूएई और कनाडा में फैला है।
बाजवा के इस काम में उनका परिवार भी शामिल था। बाजवा पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता थे। बाद में रिटायर होने पर चीन से करीबी देखते हुए उन्हें चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का चेयरमैन बना दिया गया। असीम बाजवा 6 भाई और तीन बहनें हैं।
कोरोनाकाल में इस खुलासे के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर जनरल असीम बाजवा को हटाने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर वेबसाइट फैक्ट फोकस ने जब यह खुलासा किया तो कुछ देर के लिए उनकी वेबसाइट ही हैक हो गई। हालांकि बाद में उसे ठीक कर लिया गया।
कद के साथ कारोबार भी बढ़ता गया
रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे सेना में असीम बाजवा का कद बढ़ता गया, वैसे उनका और उनके परिवार का कारोबार भी बढ़ता गया। जनरल असीम ने अपनी शपथ में कहा था कि उनकी पत्नी का पाकिस्तान के बाहर को कोई बिजनेस नहीं है। लेकिन, असलियत ठीक इसके उलट निकली।
बाजवा इस समय सीपीईसी के चेयरमैन हैं, जिसके तहत चीन अरबों डॉलर का निवेश पाकिस्तान में कर रहा है। यही नहीं जनरल असीम पाक पीएम इमरान खान के विशेष सहायक हैं। असीम बाजवा के छोटे भाइयों ने 2002 में पहली बार पापा जॉन पिज्जा रेस्तरां खोला था। इसी साल जनरल असीम तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के पास लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में तैनात थे।
असीम के भाई ने रेस्तरां में डिलिवरी ड्राइवर के रूप में कॅरियर शुरू की
असीम बाजवा के भाई नदीम बाजवा ने पिज्जा रेस्तरां में डिलिवरी ड्राइवर के रूप में करिअर की शुरुआत की थी। वर्तमान में उनके भाई और असीम बाजवा की पत्नी 99 कंपनियों के मालिक हैं। इनके पास पिज्जा कंपनी के 133 रेस्तरां हैं, जिनकी कीमत करीब 4 करोड़ डॉलर (करीब 292 करोड़ रुपए) है। इन 99 कंपनियों में 66 मुख्य कंपनियां हैं और 33 ब्रांच कंपनी। बाजवा के परिवार ने 5 करोड़ 22 लाख डॉलर (करीब 382 करोड़ रुपए) अपने बिजनेस को विकसित करने में खर्च किया। साथ ही एक करोड़ 45 लाख डॉलर अमेरिका में संपत्ति खरीदने में खर्च की।
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चीनी पैसे और दर्शकों के सहारे चल रही हैं हॉलीवुड की फिल्में, दुनिया का सबसे बड़ा सिनेमा बाजार बन सकता है August 28, 2020 at 02:42PM
हॉलीवुड पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में ज्यादातर सिनेमाघर बंद हैं, लेकिन चीन में मूवी थिएटर खुल चुके हैं। संभव है कि चीन इस साल फिल्मों से टिकट खिड़की पर आमदनी के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ दे। वह इस तरह दुनिया का सबसे बड़ा सिनेमा बाजार बन जाएगा।
इसके साथ चीनी मीडिया कंपनियां अमेरिकी फिल्मों में काफी पैसा लगा रही हैं। इसका नतीजा है कि मुलान, पैसिफिक रिम और कुंग फू पंडा से लेकर कई हॉलीवुड फिल्में चीन के बाजार को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं।
चीन में इस सप्ताह युद्ध पर आधारित अमेरिकी फिल्म- ‘द ऐट हंड्रेड’ लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए देखी है। अगले सप्ताह डिज्नी अपनी फिल्म मुलान को पश्चिमी देशों में स्ट्रीमिंग के माध्यम से रिलीज करेगी। उधर, चीनी दर्शक थिएटरों में फिल्म देख सकेंगे। चीनी दर्शकों और पैसे के कारण अमेरिकी फिल्में चीनी सेंसर के हिसाब से बनाई गई हैं।
कई बार फिल्म का चीनी संस्करण चीनियों को खुश रखने के हिसाब से बदला जाता है। वैश्विक दर्शकों के लिए दूसरी फिल्म पेश की जाती है। अमेरिका के अटॉर्नी जनरल ने फिल्म इंडस्ट्री पर चीन की नीतियों का पालन करने का आरोप लगाया है। अमेरिकी सीनेटर टेड क्रुज ने चीनी सेंसरों के हिसाब से फिल्म को संपादित करने वाले हॉलीवुड स्टूडियो और फिल्म कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
कई बार नक्शे और झंडे बदलवाए गए
चीनी सेंसरशिप को लेकर आशंकाओं के बादल हैं। कुछ चीनी अधिकारी बेतुकी मांग करते हैं जैसे कि मिशन: इम्पॉसिबल 3 में शंघाई में दिखाई गई गंदगी को हटाया जाए। कई बार नक्शे और झंडे बदलवाए गए हैं। चीन में फिल्म रिलीज करने के लिए थ्येनऑनमन, ताईवान और तिब्बत का जिक्र नहीं होना चाहिए। किसी समय अमेरिकी एक्टर दलाईलामा के साथ तस्वीर खिंचवाना पसंद करते थे। अब वे जानते हैं कि ऐसी सेल्फी चीन में उनकी फिल्म को ब्लैक लिस्ट में डाल सकती है।
चीन में बॉक्स ऑफिस से 73 हजार करोड़ रु. की कमाई
पहले हॉलीवुड में चीन की कद्र नहीं थी। उसने 2005 में वहां बॉक्सऑफिस से दो हजार करोड़ रुपए कमाए थे। पिछले साल यह आंकड़ा लगभग 73 हजार करोड़ रुपए हो गया। चीन में यूरोप और अमेरिका के बराबर सिनेमा स्क्रीन हैं। इसलिए सौ साल तक अमेरिकी कथानक पर केंद्रित फिल्मों के स्थान पर अब ऐसे सुपरहीरो और राजकुमारियों को जगह मिल रही है, जो पश्चिमी नहीं हैं।
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किसी एक वैक्सीन के हमेशा प्रभावी रहने पर संदेह है इसलिए प्रोटीन, मृत वायरस और नाक से स्प्रे वाली वैक्सीन भी बना रहे वैज्ञानिक August 28, 2020 at 02:42PM
कोरोनावायरस संकट के बीच 30 से ज्यादा वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल चल रहा है। वे वैज्ञानिक परीक्षणों के कठिन चरणों से गुजर रही हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स को मिली जानकारी के मुताबिक, 88 वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इनमें से 67 वैक्सीन 2021 के अंत तक क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर आने की उम्मीद है।
दूसरी तरफ वैज्ञानिकों को वैक्सीन के प्रभाव को लेकर भी चिंता है। ब्राजील के साओ पाउलो में वैक्सीन शोधकर्ता लुसियाना लेइट कहते हैं, ‘हमें अभी भी पता नहीं है कि सुरक्षा के लिए किस तरह की इम्युनिटी महत्वपूर्ण होगी।’
जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में इम्युनोलॉजी के डायरेक्टर टेड रॉस कहते हैं- ‘चिंता इस बात की है कि पहली वैक्सीन बाद में भी उतनी ही प्रभावी रहेगी या नहीं। ऐसे में अलग-अलग रणनीति पर काम करने की जरूरत है।’ कई कंपनियां आश्चर्यजनक रूप से कुछ ऐसी वैक्सीन पर दांव लगा रही है, जो उम्मीद जगाती हैं।
अमेरिका में एक ऐसी वैक्सीन पर काम हो रहा है, जो शरीर को संक्रमण रोकने के लिए तैयार करेगी। इसमें स्पाइक नाम का प्रोटीन डेवलप होगा, जो कोरोनावायरस को कवर कर रोक देगा। यह एंटीबॉडी भी बनाएगी। वहीं, एपिविक्स कोरोनोवायरस के कई हिस्सों से बने टीकों का परीक्षण कर रही है, जिससे पता लगा सके कि उसे कैसे रोक सकते हैं।
नैनोपार्टिकल वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए वॉलंटियर भर्ती
एपिविक्स के सीईओ एनी डी ग्रोट कहते हैं- ‘यह सुरक्षा की दूसरी लेयर है, जो एंटीबॉडी से बेहतर काम कर सकती है।’ डॉ. वेस्लर के सहयोगी नील किंग की स्टार्ट-अप आइकोसेवैक्स इस साल नैनोपार्टिकल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल करेगी। इनके अलावा अमेरिका के वॉल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता भी नैनोपार्टिकल वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए वॉलंटियर भर्ती कर रहे हैं। इस साल के अंत तक इसका ट्रायल होगा।'
नाक से स्प्रे वाली वैक्सीन
न्यूयॉर्क की कोडाजेनिक्स नाक से स्प्रे वाली वैक्सीन बना रही है। इसके शोधकर्ता कोरोनावायरस के सिंथेटिक संस्करण पर प्रयोग कर रहे हैं। इसका पहला ट्रायल सितंबर में होगा। उनके मुताबिक यह इन्फ्लूएंजा के फ्लुविस्ट की तरह प्रभावी हो सकती है, क्योंकि वायरस सांस के जरिए ही शरीर में जाता है।
चीनः ट्रायल पूरा होने से पहले 2 वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी
चीन में कोरोनावैक वैक्सीन के इमरजेंसी में इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका अभी तक ट्रायल भी पूरा नहीं हुआ है। इसका इस्तेमाल एक कार्यक्रम के भाग के रूप में किया जा रहा है। यह ज्यादा जोखिम वाले समूह जैसे मेडिकल, नर्सिंग स्टाफ और उन लोगों को लगाई जाएगी, जिन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा है।
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रूस और बेलारूस की जनता तानाशाह शासकों से ऊब रही, विपक्षी नेता को जहर देने के मामले में पुतिन पर सवाल August 28, 2020 at 02:42PM
पूर्व सोवियत संघ के दो प्रमुख देशों रूस और बेलारूस में वर्षों से सत्ता में जमे तानाशाहों के खिलाफ असंतोष उबल रहा है। बेलारूस में हजारों लोगों ने सड़कों पर आकर चुनावी धांधली के खिलाफ आवाज उठाई है। बेलारूस की स्थिति ने 1989 की बगावत की याद दिलाई है। रूसी शहर खबरोवस्क में कई सप्ताह से हजारों लोग स्थानीय गर्वनर की गिरफ्तारी और केंद्र सरकार की मनमानी का विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भयभीत लगते हैं। उनके सबसे लोकप्रिय प्रतिद्वंद्वी अलेक्सी नावाल्नी बर्लिन, जर्मनी के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। उन्हें जहर दिया गया है।
अपने समर्थकों को संरक्षण देकर टिके हुए हैं
पुतिन और मिंस्क, बेलारूस में एलेक्जेंडर लुकाशेंको प्रोपेगंडा, दमन और अपने समर्थकों को संरक्षण देकर टिके हुए हैं। पुतिन के सभी हथकंडे पुराने पड़ चुके हैं। दोनों नेता सोवियत संघ के पतन से पैदा हुई अराजकता से राहत दिलाने का वादा कर सत्ता में आए हैं। लुकाशेंको ने सोवियत संघ जैसी स्थिति जारी रहने की बात कही थी। पुतिन के सत्ता संभालने के बाद किस्मत से तेल के मूल्य बढ़ गए। सामान्य लोगों को फायदा तो हुआ, लेकिन उनके समर्थकों की चांदी रही।
अर्थव्यवस्था को आगे नहीं ले जा सके पुतिन, लुकाशेंको
दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर नजर डालिए। बेलारूस पूर्व सोवियत संघ की तर्ज पर चल रहा है। अधिकतर निर्यात पोटाश और रूस से रिफाइन किए गए पेट्रोलियम पदार्थों का होता है। वहीं रूस की अर्थव्यवस्था में अधिक खुलापन है। लेकिन, इंडस्ट्री और फाइनेंस सेक्टर पर पुतिन के भरोसेमंद पूंजीपतियों का कब्जा है। इस कारण प्रतिस्पर्धा और गतिशीलता का अभाव है। पुतिन पेट्रो पदार्थों से अलग हटकर कुछ नहीं कर पाए हैं। इसलिए तेल की कीमतों में गिरावट और कोरोना वायरस के प्रकोप की दोहरी मार ने अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। तंगी के दौर में उनके पास राष्ट्रवाद और पुराने दिनों की याद दिलाने का झुनझुना भर है।
पुतिन ने पुराने गौरव का काल्पनिक ढोल पीट रखा है
पिछले दो दशक से पुतिन ने जारशाही और सोवियत संघ के पुराने गौरव का काल्पनिक ढोल पीट रखा है। उनका शासन गलत सूचनाएं फैलाने में माहिर है। उसने इंटरनेट पर ट्रोलर्स की फैक्ट्री खोल रखी है। एक टिप्पणीकार का कहना है, पुतिन ने मीडिया में ऐसा माहौल रचा है, जहां कुछ भी सच नहीं है और सब कुछ संभव है। फिर भी, पुतिन नावाल्नी के सामने थके हुए लगते हैं। नावाल्नी के लोकप्रिय यूट्यूब वीडियो लोगों के बीच हताशा की झलक दिखाते हैं। उनमें पुतिन सरकार के भ्रष्टाचार का चित्रण गहरी रिसर्च के साथ किया गया है।
दोनों नेताओं के उत्तराधिकारी भी नापसंद
आर्थिक और सांस्कृतिक पुनर्जीवन में नाकाम पुतिन और लुकाशेंको अपनी सरकार को नया स्वरूप नहीं दे पाए हैं। उनका कोई स्वीकार्य उत्तराधिकारी नहीं है। लुकाशेंको ने अभी हाल में अपने 15 साल के बेटे को फौजी पोशाक में पेश किया है। पुतिन आसानी से अपना उत्तराधिकारी तैयार नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इससे उनके गुट में अंसतोष पैदा होगा।
उन्होंने इस साल 2036 तक स्वयं सत्ता में रहने के लिए संविधान में बदलाव किया है। उस समय उनकी आयु 84 वर्ष हो जाएगी। दूसरी ओर नावाल्नी 13 सितंबर को होने वाले क्षेत्रीय चुनावों के लिए विपक्षी मतों को एकजुट करने की कोशिश में लगे थे। नावाल्नी को जहर देने की घटना से साफ है कि तानाशाहों के पास जब कोई नया हथकंडा नहीं होता तो वे हिंसा पर उतारू हो जाते हैं।
पुतिन ने रूस में माफिया जैसा साम्राज्य कायम कर रखा है
रूस में व्लीदीमीर पुतिन ने माफिया जैसे शासन का निर्माण किया है। सरकार नावाल्नी को जर्मनी भेजने में आनाकानी करती रही। उन्हें जहर देने की जांच कराने से भी इनकार कर दिया है। पुतिन ने नावाल्नी काे अदालतों के माध्यम से कई बार कैद रखा है। उन्हें चुनाव में हिस्सा नहीं लेने दिया गया। दोनों नेताओं ने मीडिया को पालतू बनाकर अपनी छवि उजली रखी है। लुकाशेंको पुराने जमाने के तानाशाह जैसा बर्ताव करते हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह एक हेलीकॉप्टर में घूमते और एके-47 गन दिखाते हुए अपना वीडियो जारी करवाया है।
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75 साल पहले अमेरिका ने किया था पहला टेस्ट, उसके पास 1030 न्यूक्लियर वेपन्स; इजराइल ने कोई टेस्ट नहीं किया, फिर भी 80 एटमी हथियार August 28, 2020 at 02:34PM
दो महीने पहले नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने कहा था, “एटमी हथियार देश की सुरक्षा की गारंटी होते हैं।” एक तानाशाह का यह बयान हैरान करने वाला नहीं है। शायद कई देशों की सोच यही हो सकती है। लेकिन, ये भी उतना ही सच है कि एटमी हथियारों ने दुनिया को तबाही के मुहाने पर ला खड़ा किया।
घोषित तौर पर दुनिया के 9 देशों के पास एटमी ताकत है। कुछ देश ऐसे हैं, जिन्होंने ये हथियार या तो हासिल कर लिए हैं या फिर इन्हें पाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। एटमी रुतबा हासिल करने के लिए टेस्ट करने होते हैं। दिसंबर 2009 में यूएन के सभी सदस्य देशों ने 29 अगस्त को ‘इंटरनेशनल डे अंगेस्ट न्यूक्लियर टेस्ट’ के तौर पर मनाने का फैसला किया।
पहली कोशिश नाकाम रही
1996 में भी न्यूक्लियर टेस्ट्स पर रोक लगाने की कोशिश की। या यूं कहें कि एटमी हथियारों की रेस खत्म करने की कोशिश हुई। इसके लिए न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी)
का मसौदा तैयार हुआ। हालांकि, यह कोशिश कामयाब नहीं हुई। कई देश इसके पक्ष में नहीं थे। ज्यादातर का तर्क यह था कि एटमी हथियारों से लैस देश दूसरों को यह ताकत हासिल नहीं करने देना चाहते।
इन देशों ने छोड़ दी कोशिश
कुछ देश एटमी ताकत पाने के काफी करीब पहुंचे। लेकिन, इन्होंने इरादा बदल दिया। 1993 में साउथ अफ्रीका ने एटमी हथियार प्रोग्राम को अलविदा कहा। सोवियत संघ से अलग होकर अलग देश बने यूक्रेन, कजाखस्तान और बेलारूस ने भी यही किया। हालांकि, ईरान अब भी परमाणु शक्ति बनने के लिए मशक्कत कर रहा है।
एटमी हथियारों से बचने की मुहिम
इसकी शुरुआत यूएन की अगुआई में 1962 में ही शुरू हो गई थी, एक कमीशन भी बना। 1970 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का खाका तैयार हुआ। इसमें कहा गया- मौजूदा पांच एटमी ताकतों के अलावा कोई देश न्यूक्लियर पावर हासिल करने की कोशिश नहीं करेगा। 93 देश इस पर दस्तखत कर चुके हैं। भारत ने कभी सिग्नेचर नहीं किए। हालांकि, इसे अपवाद के तौर पर भी देखा जा सकता है। क्योंकि, एनपीटी पर साइन करने वालों की लगभग सभी सुविधाएं भारत को बिना दस्तखत किए मिलती हैं।
जिसने दर्द दिया, उसने दवा देने की भी कोशिश की
जापान ने परमाणु हमले का दर्द और दंश झेला। इसके बावजूद उसके संविधान में आर्टिकल 9 ऐसा है, जो उसे एटमी ताकत बनने से रोकता है। खास बात यह है कि यह आर्टिकल अमेरिका की ही सलाह पर संविधान में जोड़ा गया था। बहरहाल, बदली हुई दुनिया में शक्ति संतुलन के लिहाज से जापान के पीएम शिंजो आबे अब यह ताकत पाने की मंशा जाहिर कर रहे हैं। कुछ लोगों को यह जानकार शायद हैरानी होगी कि 1946 से जापान की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका ने अपने ऊपर ली है। जापान पर हमले को अमेरिका पर हमला माना जाएगा।
हथियारों का इस्तेमाल नहीं, फिर भी मौतें
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1945 से अब तक करीब 2056 न्यूक्लियर टेस्ट हुए। लाखों लोग विस्थापित किए गए। पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ। रेडिएशन की वजह से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हुईं और हजारों लोग सिर्फ टेस्ट्स की वजह से ही मारे गए।
यूक्रेन के चेरनोबिल (1986), सुनामी के बाद फुकुशिमा (2011) हादसे हुए। माना जा रहा है कि अब भी यहां रेडिएशन बना हुआ है।
देश का नाम | कुल एटमी हथियार | कुल टेस्ट | पहला टेस्ट | आखिरी टेस्ट |
नॉर्थ कोरिया | 10 से 20 | 06 | अक्टूबर 206 | सितंबर 2017 |
इजराइल | 80 | कन्फर्म नहीं | कन्फर्म नहीं | कन्फर्म नहीं |
भारत | 120 से 130 | 03 | मई 1974 | मई 1998 |
पाकिस्तान | 130 से 140 | 02 | मई 1998 | मई 1998 |
ब्रिटेन | 215 | 45 | अक्टूबर 1952 | नवंबर 1991 |
चीन | 270 | 45 | अक्टूबर 1964 | जुलाई 1996 |
फ्रांस | 300 | 210 | फरवरी 1960 | जनवरी 1996 |
अमेरिका | 6,550 | 1030 | जुलाई 1945 | सितंबर 1992 |
रूस | 6,800 | 715 | अगस्त 1949 | अक्टूबर 1990 |
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Eager to meet Rajnath Singh next week: Russian defence minister August 28, 2020 at 04:56AM
Hospital: Russia's Navalny still in coma but improving August 28, 2020 at 04:11AM
इमरान खान ने कहा- पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ को देश छोड़ने देना मेरी सरकार की गलती, अब हमें शर्मिंदगी महसूस होती है August 28, 2020 at 04:49AM
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि भ्रष्टाचार के मामले में सजा पाए पूर्व पीएम नवाज शरीफ को देश छोड़ने देना उनकी गलती थी। उनकी सरकार को अपने फैसले पर अफसोस है। उन्होंने कहा, "हम शर्मिंदगी महसूस करते हैं। अब वह (नवाज शरीफ) वहां से राजनीति करने लगे हैं। जब आप उन्हें देखते हैं वह ठीक नजर आते हैं। ऐसा लगता है उन्हें कुछ नहीं हुआ है।"
मेडिकल रिपोर्ट में गंभीर बताई गई थी तबीयत
गुरुवार रात एआरवाई न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में इमरान ने कहा कि उनकी सरकार के सामने जो रिपोर्ट पेश की गई थी, उसमें बताया गया था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सुप्रीमो नवाज की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है। डॉन की खबर के मुताबिक, कैबिनेट ने इस बात पर लंबी बहस की थी कि क्या मानवीय आधार पर शरीफ को इलाज के लिए विदेश जाने देना चाहिए?
सरकार पर दबाव का भी संकेत दिया
इस दौरान इमरान खान ने संकेत दिया कि उन पर शरीफ को इलाज के लिए विदेश भेजने का दबाव डाला गया था। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने साफ किया था कि अगर शरीफ को कुछ होता है तो सरकार की जिम्मेदारी होगी। इमरान ने यह भी बताया कि नवाज के भाई और पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने नवाज के लौटने का वादा किया है। उन्होंने 7 अरब रुपए के क्षतिपूर्ति बॉन्ड भी भरे हैं।
16 नवंबर को विदेश जाने की अनुमति मिली थी
29 अक्टूबर 2019 को लाहौर हाईकोर्ट ने नवाज शरीफ को इलाज कराने के लिए आठ हफ्ते की जमानत दी थी। 16 नवंबर को उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की चार हफ्ते की अनुमति मिली थी। इसके बाद शरीफ इलाज के लिए लंदन गए थे।
इसी साल मई में शरीफ की अपने परिवार के साथ लंदन कैफे में चाय पीते एक फोटो आई थी, जिसके बाद उनकी तबीयत पर बहस शुरू हो गई थी। पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सदस्य लगातार शरीफ को पाकिस्तान वापस लाकर भ्रष्टाचार के मामले चलाने की मांग कर रहे हैं।
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Allowing Nawaz Sharif to leave Pakistan was a mistake: Imran Khan August 28, 2020 at 02:16AM
इवांका ट्रम्प से मिलते ही मुस्कुराईं फर्स्ट लेडी मेलानिया, जाते ही बड़ी-बड़ी आंखें फैलाईं; सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल August 28, 2020 at 02:16AM
अमेरिका की फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प और उनकी सौतेली बेटी इवांका के बीच तनाव की अफवाह सच होती दिख रही है। रिपब्लिकन पार्टी के नेशनल कन्वेंशन की आखिरी रात दोनों आमने-सामने आईं। इस दौरान मेलानिया मुस्कुराकर इवांका से मिलीं, लेकिन उनके जाते ही इस तरह रिएक्शन दिया जो इस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
मिलने के दौरान...
मिलने के बाद...
नेशनल कन्वेंशन में हुई मुलाकात
कन्वेंशन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पार्टी मेंबरों को संबोधित किया। उन्होंने अपनी उम्मीदवारी स्वीकार करने की स्पीच भी दी। इस दौरान ट्रम्प की पत्नी मेलानिया ट्रम्प और उनकी सौतेली बेटी इवांका ट्रम्प भी मौजूद थीं। इवांका, ट्रम्प की पहली पत्नी इवाना की बेटी हैं। वह व्हाइट हाउस की सलाहकार के रूप में भी काम करती हैं। कन्वेंशन में उन्होंने भी भाषण दिया। इसके बाद वापस आने के दौरान उनकी मुलाकात मेलानिया से हो गई। दोनों मुस्कराकर मिलीं, लेकिन जैसे ही इवांका आगे बढ़ीं मेलानिया ने अजीब अंदाज में अपनी आंखें घुमाईं। आप भी वीडियो देखिए...
मेलानिया का एक वीडियो और वायरल हुआ था, जब 2017 में उन्होंने इजराइल के दौरे पर पर प्लेन से उतरते वक्त ट्रम्प का हाथ झटक दिया था।
'मेलानिया एंड मी' में सामने आएंगे चौंकाने वाले किस्से
पीपुल मैग्जीन के अनुसार मेलानिया ट्रम्प की मित्र और पूर्व एडवाइजर स्टेफिन विन्सटन वॉकऑफ 'मेलानिया एंड मी' किताब रिलीज करने वाली हैं। इसमें मेलानिया और उनकी बेटी के बीच प्रतिद्वंदिता के चौंकाने वाले किस्से होंगे।
अपनी किताब में विन्सटन यह भी बताएंगी कि किस तरह से 2016 में ट्रम्प के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मेलानिया, इवांका को अच्छी फोटोशूट के दौरान दूर रखना चाहती थीं। सीएनएन के मुताबिक उन्होंने अपनी किताब में इवांका और उनके पति जेरेड कुशनर द्वारा मेलानिया के प्रभाव को कम करने की कोशिशों के बारे में बताया है।
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साउथ अफ्रीका में शेरनियों ने अपने मालिक की जान ले ली; रोज 4 घंटे साथ में खेलते थे, शेरनियां जब शावक थीं, तभी घर ले आए थे August 28, 2020 at 01:30AM
साउथ अफ्रीका में शेरों के संरक्षण के काम से जुड़े एक व्यक्ति को उन्हीं शेरनियों ने मार डाला, जिनको उन्होंने पाला था। यह घटना लिम्पोपो प्रांत में हुई। 69 साल के वेस्ट मैथ्यूसन सफेद शेरनियों के साथ टहल रहे थे। इसी दौरान उनमें से एक ने उन पर हमला कर मार दिया।
साथ टहलने के दौरान हमला
वेस्ट मैथ्यूसन को ‘अंकल वेस्ट’ के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने इन शेरनियों को तब से पाला था, जब वे शावक थीं। मैथ्यूसन 'लॉयन ट्री टॉप लॉज' नाम से एक सफारी लॉज चलाते थे। जिस समय शेरनी ने हमला किया, तब मैथ्यूसन की पत्नी गिल कार में वहीं मौजूद थीं।
पहले शेरनियां आपस में लड़ीं, इसके बाद उनमें से एक ने मैथ्यूसन पर हमला कर दिया। गिल ने कार से ही शेरनियों को डराकर हटाने की कोशिश की। उन्होंने तुरंत मैथ्यूसन को वहां से उठाया और अस्पताल लेकर गईं, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद तुरंत बाद शेरनियों को बेहोश कर दूसरे लॉज शिफ्ट किया गया। मैथ्यूसन के परिवार ने कहा कि उनके लिए जो माहौल सबसे ठीक होगा, उसमें छोड़ा जाएगा।
शेरनियों ने 2017 में भी एक व्यक्ति को मारा था
2017 में भी ये दोनों सफेद शेरनियां लॉज से भाग निकली थीं और पड़ोस में काम कर रहे एक व्यक्ति को मार दिया था। तब मैथ्यूसन ने कहा था कि शेरनियां आक्रामक नहीं हैं। वे रोज तीन से चार घंटे उनके साथ टहलती हैं। मैथ्यूसन शेरों को 'कैन्ड हंटिंग' से बचाने के लिए जाना जाता है। कैन्ड हंटिंग में शेर या दूसरे जंगली जानवारों को तार या बाड़ा बनाकर एक निश्चित दायरे में रखा जाता है, इसके बाद उनका शिकार किया जाता है।
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Singapore reports 94 new Covid-19 cases, including 10 from overseas August 28, 2020 at 12:38AM
Israel lists first commercial passenger flight to UAE August 28, 2020 at 12:17AM
नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग ने तूफान प्रभावित इलाकों का दौरा किया, कहा- इससे मामूली नुकसान हुआ August 28, 2020 at 12:36AM
कोमा में होने के दावे के बीच नॉर्थ कोरिया का तानाशाह किम जोंग-उन गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर नजर आया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, उसने देश में बावी तूफान से प्रभावित ह्वांगहे राज्य का दौरा किया। किम ने इसके बाद कहा- तूफान का असर उम्मीद से कम हुआ है। मुझे इसे लेकर काफी चिंता थी, लेकिन अच्छी ये बात है कि इससे मामूली नुकसान हुआ। इससे पहले किम ने अफसरों को आदेश दिया था कि तूफान से फसलों और संपत्तियों को होने वाले नुकसान रोकने के लिए कदम उठाए जाएं।
किम जोंग ने ज्यादा नुकसान होने से रोकने के लिए अफसरों की तारीफ की। किम के दौरे से पहले नॉर्थ कोरिया के के सरकारी चैनल ने तूफान से जुड़ी खबरें दिखाई थी। इसमें बताया गया कि इस तूफान की वजह से किसी की जान नहीं गई है। हालांकि, कुछ संपत्तियों को नुकसान हुआ है।
किम जोंग के कोमा में होने की खबरें आईं थीं
साउथ कोरिया के पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर चांग सोंग मिन ने 24 अगस्त को दावा कि था कि किम जोंग उन कोमा में हैं। वह काफी बीमार है लेकिन, अब तक जिंदा हैं। फिलहाल, नॉर्थ कोरिया की कमान किम की छोटी बहन किम यो जोंग संभाल रही हैं। मिन देश के पूर्व राष्ट्रपति किम देई जुंग के स्पेशल असिस्टेंट रह चुके हैं। एक महीने पहले भी किम के गंभीर रूप से बीमार होने की खबरें आईं थीं। लेकिन, तब भी उन्होंने अचानक सामने आकर इन कयासों पर विराम लगा दिया था।
किम इस साल पहली बार अपने दादा के समारोह में शामिल नहीं हुए थे
किम इस साल 15 अप्रैल को अपने दादा किम इल सुंग के एक कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए थे। ऐसा पहली बार हुआ था। इसके बाद से कई कयास लगने शुरू हो गए थे। कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि वे यह साबित करना चाहते हैं कि उनकी अहमियत विरासत से ज्यादा है। साथ ही वे पारंपरिक कार्यक्रमों में हिस्सा न लेकर खुद को मॉडर्न भी साबित करना चाहते हैं। किम दिखाना चाहते हैं कि वे अपने पूर्वजों की तरह नहीं हैं। वहीं, उनकी मौत होने और रिजॉर्ट पर घूमने की बातें भी सामने आई थी।
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