Tuesday, November 24, 2020
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Pak PM Imran Khan approves chemical castration of rapists: Report November 24, 2020 at 07:38PM
54 देशों में दूसरी लहर; सितंबर तक हर दिन 3 लाख केस थे और अब रोज 6 लाख से ज्यादा मरीज मिल रहे November 24, 2020 at 07:43PM
दुनियाभर में कोरोना मरीजों का आंकड़ा बुधवार को 6 करोड़ के पार हो गया। मरने वालों की संख्या भी 14 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इस बीच, कोरोना की रफ्तार एक बार फिर से तेज हो गई है। सितंबर तक दुनियाभर में रोजाना औसतन 3 लाख मरीज बढ़ रहे थे। अब रोज 6 लाख से ज्यादा मरीज आ रहे हैं।
अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, रूस समेत 54 देशों में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। सबसे ज्यादा असर उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों में दिख रहा है। भारत में भी दूसरी लहर की आहट दिखने लगी है। पिछले हफ्ते 3 दिन ऐसे थे, जब भारत में ठीक होने वालों से ज्यादा नए मरीज आए। मतलब इन 3 दिनों में एक्टिव केस की संख्या में इजाफा हुआ है। इसके पहले लगातार 41 दिन एक्टिव केस घट रहे थे।
दुनियाभर में ऐसे फैला कोरोना
- 17 नवंबर 2019 को चीन के वुहान शहर में 55 साल के व्यक्ति में संक्रमण की पहले पुष्टि हुई थी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इसका दावा किया था।
- 17 नवंबर से 31 दिसंबर 2019 तक चीन कम से कम 566 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके थे।
- 2020 की शुरुआत में दुनिया के कई अन्य देशों में भी संक्रमण फैलता चला गया।
- 23 जनवरी को चीन ने वुहान शहर को पूरी तरह से बंद कर दिया। यहां रहने वाले सभी लोगों को आइसोलेट कर दिया गया।
- 21 जनवरी को अमेरिका, 24 जनवरी को फ्रांस, 30 जनवरी को भारत और 31 जनवरी को इटली में पहला केस कन्फर्म हुआ।
- 30 जनवरी को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी WHO ने कोरोनावायरस को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया।
- जर्मनी, वियतनाम, यूएस, जापान ने ऐसे मरीजों की पुष्टि की जो खुद चीन नहीं गए थे, लेकिन चीन के वुहान शहर से आने वाले लोगों के संपर्क में आए थे।
- 11 मार्च को WHO ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया।
केवल 18 दिन में एक करोड़ मरीज मिले
17 नवंबर 2019 को चीन के वुहान में पहला केस सामने आने के 223 दिन बाद यानी 27 जून को यह संख्या एक करोड़ हो गई। इसके बाद संक्रमण ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि महज 43 दिन में ही ये आंकड़ा 1 करोड़ से बढ़कर 2 करोड़ हो गया। इसके अगले 38 दिन में संक्रमितों की संख्या 2 से 3 करोड़ और फिर 32 दिन में 3 से 4 करोड़ हो गई। 4 से 5 करोड़ केस होने में 21 दिन लगे। वहीं, 5 से 6 करोड़ केस महज 18 दिन में ही हो गए। अगर संक्रमितों के बढ़ने की यही रफ्तार रही तो दिसंबर तक दुनियाभर में 8 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके होंगे।
कोरोना की दूसरी लहर कितनी भयावह?
- मामले: WHO ने 17 नवंबर को वीकली रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया है कि 9 से 15 नवंबर के बीच दुनियाभर में 40 लाख से ज्यादा मरीज बढ़े। पिछले हफ्ते के मुकाबले यह 22% ज्यादा है।
- मौतें: इसी दौरान 60 हजार मौतें हुईं, जो पिछले हफ्ते से 11% ज्यादा है। जान गंवाने वाले इन 60 हजार लोगों में 81% मरीज यूरोप और अमेरिका से हैं।
- वॉर्निंग: WHO ने कहा है कि सर्दियों में जिस तरह से मामले बढ़ रहे हैं, इससे साफ लग रहा है कि मध्य पूर्व देशों में कोरोना का संक्रमण अपने खतरनाक स्तर पर जाएगा। ये पहली लहर से भी ज्यादा नुकसानदेह होगा।
इन 54 देशों में दूसरी लहर
- दूसरी लहर वाले 54 देशों में यूरोप के 25 देश हैं। इनमें पोलैंड, रूस, इटली, यूक्रेन, जर्मनी, यूके, स्पेन जैसे देश शामिल हैं।
- एशिया के 11 देश हैं। इनमें ईरान, तुर्की, जॉर्डन, इंडोनेशिया, जॉर्जिया जैसे देश शामिल हैं।
- भारत में अभी दूसरी लहर नहीं आई है, लेकिन एशिया में सबसे ज्यादा केस यहीं मिल रहे।
- नॉर्थ अमेरिका के 7 देश हैं। इनमें यूएस, मैक्सिको, कनाडा शामिल है।
- अफ्रीका के 6 देश हैं। इनमें मोरक्को, साउथ अफ्रीका शामिल हैं।
- साउथ अमेरिका के 5 देश हैं। इनमें ब्राजील, कोलंबिया, अर्जेंटीना शामिल हैं।
जहां दूसरी लहर आई, वहां हालात पहली लहर के मुकाबले बदतर
- अमेरिका में कोरोना की पहली लहर का पीक 24 जुलाई को था। तब एक दिन में 79 हजार 440 नए मामले मिले थे। इस बार 20 नवंबर को एक दिन में ही 2 लाख 40 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित मिले।
- ब्राजील में पहली लहर के पीक में 70 हजार 896 केस एक दिन में मिले थे। इसके बाद हर दिन मिलने वाला ये आंकड़ा घटकर महज 8 हजार पर पहुंच गया था। अब इसमें फिर तेजी आई है। अब रोज 30 से 40 हजार नए मरीज मिल रहे हैं।
- रूस में पहली लहर के पीक में सबसे ज्यादा 11 हजार मरीज मिले थे। अब दूसरी लहर में एक दिन के अंदर 25 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं।
- फ्रांस में पहली लहर के पीक में सबसे ज्यादा 5 हजार मरीज मिले थे। अब दूसरी लहर में एक दिन के अंदर 88 हजार से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं।
वैक्सीन तो अगले ही साल मिलेगी
दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें 5 प्रमुख वैक्सीन हैं। इन वैक्सीन के निर्माताओं ने दावा किया है कि ट्रायल के नतीजे भी अच्छे आए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के लिए सबसे बेहतर वैक्सीन ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोवीशील्ड) साबित हो सकती है। दो दिन पहले ही ऑक्सफोर्ड ने दावा किया है कि इस वैक्सीन को ट्रायल में 90% असरदार पाया गया है।
भारत सरकार के साथ मिलकर वैक्सीन प्रोडक्शन पर काम करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला ने कहा कि फरवरी के आखिरी हफ्ते तक इस वैक्सीन के 10 करोड़ डोज तैयार हो जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी अगले साल यानी 2021 के पहले तीन महीनों में वैक्सीन के आने की उम्मीद जताई है।
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डायबिटीज की वजह से अगर आंखों की समस्या है तो कोरोना के कारण गंभीर बीमारी का खतरा 5 गुना ज्यादा November 24, 2020 at 02:59PM
कोरोना संक्रमण किस व्यक्ति में कितना खतरनाक होगा यह अभी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, कुछ खास तरह की बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए यह संक्रमण जानलेवा हो सकता है। अब एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि जिन लोगों में डायबिटीज की वजह से आंखों की बीमारी हुई है उनमें कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार पड़ने का खतरा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में पांच गुना ज्यादा होता है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी और कोरोना के खतरों के बीच सीधा संबंध
किंग्स कॉलेज लंदन की डायबिटीज रिसर्च एंड क्लीनिकल प्रैक्टिस पेपर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह पहला मौका है जब डायबिटिक रेटिनोपैथी और कोरोना के खतरों के बीच कोई सीधा संबंध दिख रहा है। आंखों में खराबी आना डायबिटीज के प्रमुख कॉम्प्लीकेशंस में से एक है। आंखों में स्मॉल ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचने के कारण ऐसा होता है। 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त 54.6 फीसदी लोगों में आंखों की समस्या आ जाती है। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त 30 फीसदी लोगों में आंखों की समस्या होती है।
26% को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा
रिपोर्ट के मुताबिक सेंट थॉमस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट में 12 मार्च से 7 अप्रैल के बीच जितने डायबिटिक रोगी गंभीर रूप से बीमार हुए उनमें से 67% को आंखों की समस्या थी। इनमें से 26% को वेंटिलेटर पर रखा गया। रिसर्चर डॉ. एंतोनेला कॉर्सिलो ने कहा कि डायबिटीज के जिन रोगियों की आंखें खराब होती हैं उनके ब्लड वेसेल्स को बहुत अधिक नुकसान पहुंच गया होता है।
यही नुकसान कोरोना होने पर मरीज को गंभीर रूप से बीमार करने में भूमिका निभाता है। यह देखा गया है कि जो कोरोना संक्रमित गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं उनके लंग्स के ब्लड वेसेल्स को गंभीर नुकसान पहुंचता है। इसलिए डायबिटिक संक्रमित वैस्कुलर कॉम्पलीकेशन का शिकार ज्यादा होते हैं।
आइसोलेशन की फीलिंग भूख लगने जैसी
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रिसर्चरों ने दावा किया है कि जो लोग आइसोलेशन में रहते उनकी फीलिंग बिल्कुल वैसी ही होती है जैसी भूख लगने पर होती है। भूख लगने पर लोगों को खाने की जरूरत महसूस होती है। इसी तरह आइसोलेशन में अन्य लोगों की कमी खलती है। दोनों ही स्थितियों में दिमाग न्यूरोलॉजिकल नजरिए से एक जैसी अवस्था में होता है। इस रिसर्च के लिए आंकड़े कोरोना महामारी की शुरुआत से पहले जुटाए गए थे।
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रूसी वैक्सीन भी 95% असरदार; रूस के लोगों के लिए फ्री, बाकि देशों को 700 रुपये से कम में मिलेगी November 24, 2020 at 01:56AM
रूस में बनी वैक्सीन स्पुतनिक वी ट्रायल के दौरान कोरोना से लड़ने में 95% असरदार साबित हुई है। क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे अंतरिम एनालिसिस के डेटा में यह बात सामने आई है। पहला डोज देने के 28 दिन बाद इस वैक्सीन ने 91.4% इफेक्टिवनेस दिखाई थी। पहले डोज के 42 दिन बाद यह बढ़कर 95% हो गई।
वैक्सीन को बनाने वाले गैमेलिया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबॉयोलॉजी ने यह दावा किया है। वैक्सीन के दो डोज 39 संक्रमितों के अलावा 18,794 दूसरे मरीजों को दिए गए थे। भारत में इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज कर रही है।
मंगलवार को इस वैक्सीन की कीमत भी सामने आ गई है। रूस के लोगों को यह फ्री में मिलेगी। दुनिया के दूसरे देशों के लिए इसकी कीमत 700 रुपये से कम होगी। विदेश में वैक्सीन के प्रोडक्शन और प्रमोशन का काम देख रहे रशियन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के हेड किरिल दिमित्रिएव ने बताया कि स्पुतनिक वी की संभावित कीमत दूसरी वैक्सीन के मुकाबले काफी कम है।
दूसरी वैक्सीन के मुकाबले काफी सस्ती
RDIF की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इंटरनेशनल मार्केट के लिए स्पुतनिक वी वैक्सीन के एक डोज की कीमत 10 डॉलर (740 रुपये) से कम होगी। वैक्सीन के दो डोज लेने होंगे। mRNA तकनीक से बनी दूसरी वैक्सीन के मुकाबले यह कीमत दो से तीन गुना कम है। RDIF ने दूसरे देशों के पार्टनर्स के साथ 2021 में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए वैक्सीन बनाने का करार किया है।
2 से 8 डिग्री सेल्सियस में स्टोरेज मुमकिन
RDIF और उसके पार्टनर्स वैक्सीन का सूखा डोज तैयार कर रहे हैं। यह वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सुरक्षित रहेगी। इस वजह से इंटरनेशनल मार्केट में इसके डिस्ट्रीब्यूशन में काफी आसानी हो जाएगी। साथ ही इसे दूरदराज वाली जगहों पर पहुंचाना भी आसान होगा। इनमें गर्म तापमान वाले देश भी शामिल हैं।
जनवरी में पहली डिलिवरी होगी
इस वैक्सीन की पहली डिलिवरी अगले साल जनवरी में हो जाएगी। वहीं, जिन दूसरे देशों ने इसके लिए गुजारिश की है कि उन्हें इसका पहला बैच मार्च 2021 की शुरुआत से मिलने लगेगा।
अब तक कोई साइड इफेक्ट नहीं
वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल में 40 हजार वॉलंटियर हिस्सा ले रहे हैं। 22 हजार वॉलंटियर्स को पहला डोज दिया गया। 19 हजार से ज्यादा लोगों को पहला और दूसरा दोनों डोज दिए गए। उनमें अब तक खतरे वाली कोई बात सामने नहीं आई है। वॉलंटियर्स की मॉनिटरिंग अब भी जारी है।
ये वैक्सीन 90% से ज्यादा कारगर
- ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका का दावा है कि उसकी वैक्सीन कोवीशील्ड 90% तक इफेक्टिव रह सकती है। यह वैक्सीन बड़े स्तर पर हुए ह्यूमन ट्रायल्स में 70% इफेक्टिव रही है।
- अमेरिकी की दवा कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना ने भी अपने वैक्सीन के 90 प्रतिशत से ज्यादा कारगर रहने का दावा किया था।
इतनी होगी कीमत
- फाइजर के मुताबिक, उसकी वैक्सीन के एक डोज की कीमत 19.50 डॉलर (1446 रुपये) होगी।
- मॉडर्ना की कीमत 25 से 37 डॉलर (1854-2744 रुपये) रखी गई है।
- इनके दो डोज की कीमत 39 डॉलर (2892 रुपये) और 50 से 74 डॉलर (3708-5488 रुपये) बैठेगी।
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