पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद के मुताबिक, मुल्क पर बढ़ते कर्ज की वजह से उसके एटमी हथियार खतरे में हैं। जावेद ने कहा- अगर हमने आईएमएफ जैसे संगठनों का कर्ज नहीं चुकाया तो वो हमारा एटम बम ले जाएंगे। इतना ही नहीं, मियांदाद ने इन कर्जों को चुकाने के लिए एक बैंक अकाउंट भी खोल लिया है और उसमें लोगों से पैसा जमा करने की अपील की। इस पूर्व बल्लेबाज ने कहा- मैं लोगों से मुल्क की खातिर भीख मांग रहा हूं।
लूटने वाले अब मुल्क बचाएं
मियांदाद ने शनिवार रात ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया। कहा, “मैंने नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान में एक अकाउंट खुलवाया है। मैं आप लोगों से भीख मांगता हूं कि इसमें पैसा जमा करें ताकि हमारा एटम बम बचाया जा सके। अगर हमने आईएमएफ जैसे संगठनों का कर्ज नहीं लौटाया तो वो इस बम को ले जाएंगे। मैं जानता हूं कि इस देश के लोगों ने अपने ही मुल्क को खूब लूटा है। अब वक्त है जब वो मुझे भीख देकर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं। विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी भी अब फर्ज निभाएं।”
इंटरनेशनल बैंक अकाउंट
मियांदाद भारत के मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम के समधी हैं। वीडियो में वो आगे कहते हैं, “मेरा नया अकाउंट इंटरनेशनल है और इसका इस्तेमाल सिर्फ मैं करूंगा। हम आईएमएफ का कर्ज चुकाएंगे। लोग हर महीने इसमें पैसा डिपॉजिट करें। हमारे ऊपर पहले ही बहुत कर्ज है। अगर अब हम आईएमएफ से कर्ज लेने जाएंगे तो वो सबसे पहले हमारे एटमी हथियार यानी हमारा बम मांगेंगे। इसे बचाना है तो उनका पैसा वापस करना होगा। इसके लिए मैं आपसे भीख मांग रहा हूं।”
इमरान से करीबी और दूरी
कश्मीर मुद्दे पर मियांदाद ने प्रधानमंत्री इमरान खान का साथ दिया था। सड़कों पर मार्च भी निकाला। हालांकि, मैदान पर दोनों के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे। आरोप है कि इमरान के इशारे पर वकार यूनिस और वसीम अकरम ने जावेद के खिलाफ टीम में गुटबाजी की थी। इसके बाद मियांदाद को कप्तानी छोड़नी पड़ी थी। जावेद 1992 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद पैसों के बंटवारे को लेकर भी इमरान पर आरोप लगा चुके हैं। इमरान उस टीम के कप्तान थे।
The number of coronavirus cases worldwide topped four million as some of the hardest-hit countries readied Sunday to lift lockdown restrictions, despite concerns about a second wave of infections. Governments around the world are trying to stop the spread of the disease while scrambling for ways to relieve pressure on their economies, which are facing a historic downturn with millions pushed into unemployment.
अमेरिका के न्यूयॉर्क में तीन बच्चों की दुर्लभ बीमारी से मौत हो गई। इसकी जानकारी गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने शनिवार को दी। उन्होंने कहा कि शनिवार तक न्यूयॉर्क में 73 से ज्यादा बच्चे दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मिले हैं। इसके लक्षण कावासाकी बीमारी और टॉक्सिक शॉक से मिलते-जुलते हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में इस बीमारी की पहचान की गई थी।
गवर्नर ने कहा कि राज्य न्यूयॉर्क जीनोम सेंटर और रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इस पर काम कर रहा है, ताकि यह पता चल सके कि बीमारी का कारण क्या है। क्यूमो ने कहा कि बच्चों में हो रहीइस बीमारी और कोरोनावायरस के बीच कोई संबंध है या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन, इसने हमारी चिंता बढ़ा दी है।
अपने बच्चों में बीमारी के लक्षण को लेकरमाता-पिता सतर्क रहे: क्यूमो
क्यूमो ने माता-पिता को अपने बच्चों में लंबे समय तक बुखार, पेट दर्द, त्वचा के रंग में बदलाव, सीने में दर्द जैसी शिकायतोंको लेकर सतर्क रहने के लिए कहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, गंभीर मामलों में दिल की धमनियों में इन्फ्लेशन होने लगता है। गवर्नरने कहा कि इन बच्चों का कोरोना या एंटीबॉडी टेस्ट पॉजिटिव था, लेकिन अस्पताल ले जाने पर इनमें सिंड्रोम के लक्षण नहीं दिखे।
क्या है कावासाकी बीमारी?
6 महीने से लेकर 6 साल तक के बच्चोंपर असर करने वाली कावासाकी डिजीज को अमेरिका में दुर्लभ माना जाता है। इसकी शुरुआत बुखार और चकत्तों से होती है, लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह गंभीर हृदय समस्या बन सकती है।
शॉक, कावासाकी बीमारी की एक असामान्य परेशानी है। डॉक्टर कर्नी ने बताया कि हाल ही में आए कोरोनावायरस के मामलों के बाद कई बच्चे लो ब्ल्ड प्रेशर के साथ शॉक में हैं। उनके खून में शरीर के दूसरे हिस्सों तक ऑक्सीजन और पोषण पहुंचाने में असमर्थता देखी जा रही है।
शुरुआती रिसर्च बताती है कि बड़ों के मुकाबले बच्चों में कोविड 19 से गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना बेहद कम है। सिटी डाटा के मुताबिक न्यूयॉर्क सिटी में अब कोविड से हुईं 13724 मौत में 17 से कम उम्र के केवल 6 लोग शामिल थे।
हालांकि डॉक्टर्स का कहना है कि, यह सच है स्वस्थ्य बच्चे इस नए सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं, लेकिन अभी भी व्यस्कों की तुलना में बच्चे कोविड 19 के खतरे से दूर हैं।
एनवाईयू लैंगोन मेडिकल सेंटर में डॉक्टर जेनिफर लाइटर बताती हैं कि यह बहुत ज्यादा दुर्लभ और काफी हद तक बच्चे बेहतर कर रहे हैं। डॉक्टर लाइटर नए सिंड्रोम से जूझ रहे एक मरीज का इलाज कर चुकी हैं। मेरा मरीज घर पर है और ठीक है।
ब्रॉन्क्स की डॉक्टर नदीन शोआइटर के मुताबिक मैं कहूंगा कि अब तक हमने 13 मरीजों को देखा है। फिर भी डॉक्टर यह पता लगाने में संकोच कर रहे हैं कि यह शहर में कितना फैल चुकी है।
Former president Barack Obama has launched a scathing attack on Donald Trump's handling of the coronavirus pandemic, calling it an "absolute chaotic disaster."
अमेरिका में भारतीय राजदूत टीएस संधू ने रविवार को कहा कि कोरोनावायरस संकट ने अमेरिका को दिखाया कि ऐसे समय में दुनिया में भारत से बड़ा साझेदार कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी दोनों देश कम से कम तीन वैक्सीन पर साथ काम कर रहे हैं।
संधू ने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और अमेरिका की सीडीसी और एनआईएच कई सालों से मिलकर काम कर रहे हैं। 2-3 साल पहले दोनों देशों ने रोटावायरस नाम के अन्य वायरस का वैक्सीन भी विकसित किया था। इससे न केवल भारत और अमेरिका, बल्कि कई अन्य देशों को मदद मिली।
भारत ने अमरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भेजी थी
भारतीय राजनयिक ने कहा कि भारत और अमेरिका सप्लाई चैन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत ने पिछले महीने ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आग्रह के बाद मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप भेजी थी।
Worldwide, the virus is confirmed to have infected nearly 4 million people and killed more than 276,000, according to a tally by Johns Hopkins University based on data reported by governments.
दुनिया में संक्रमितों की संख्या 41 लाख से ज्यादा हो गई है। 2 लाख 80 हजार 431 की मौत हुई है। इसी दौरान 14 लाख 41 लाख हजार 429 स्वस्थ भी हुए। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में पिछले दिनों लॉकडाउन में बड़ी ढील दी गई। आम लोगों के लिए कुछ शर्तों के साथ नाइट क्लब, होटल, बार और डिस्को खुल गए थे। अब यहां फिर संक्रमण के मामले सामने आए। लिहाजा, सरकार ने ये सभी जगहें फिर बंद कर दी हैं।
पाकिस्तान में संक्रमितों की तादाद 28 हजार से ज्यादा हो गई है। मौत का आंकड़ा भी 700 से ज्यादा हो गया। लेकिन, इमरान सरकार ने कथित लॉकडाउन में ढील दे दी। देश के डॉक्टर्स इसका विरोध कर रहे हैं।
साउथ कोरिया : सियोल फिर बंद
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में पिछले दिनों लॉकडाउन में ढील दी गई थी। नाइट क्लब, होटल, बार और डिस्को खुल गए थे। अब यहां संक्रमण के नए मामलों का पता लगा है। इसके फौरन बाद सरकार ने इन सभी जगहों को अगले आदेश तक के लिए फिर बंद कर दिया है। एक अधिकारी ने माना कि कुछ लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया। इसकी वजह से सभी को परेशानी होगी।
ब्रिटेन : सरकार की पहल
बोरिस जॉनसन सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए एक नई पहल की है। सरकार यहां साइकल से चलने के लिए जागरुकता अभियान चलाएगी। इसके लिए 2.48 करोड़ डॉलर का बजट मंजूर किया गया है। परिवहन मंत्री ग्रांट शेप्स ने कहा- इससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मदद मिलेगी। वहां भीड़ कम होगी और लोग शारीरिक तौर पर ज्यादा मजबूत होंगे।
अमेरिका : दो अफसर क्वारैंटाइन
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना से निपटने के लिए टास्क फोर्स बनाई थी। इसके दो अफसर अब क्वारैंटाइन हो गए हैं। डॉक्टर रॉबर्ट रेडपील्ड सीडीएस के डायरेक्टर हैं। वो दो हफ्ते घर से काम करेंगे। वो एक संक्रमित के संपर्क में आए थे। इनके अलावा एफडीए कमिश्नर स्टीफन हान भी दो हफ्ते के लिए क्वारैंटाइन हो गए हैं। हालांकि, उनकी पहली टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है।
पाकिस्तान : संक्रमण बढ़ा, लेकिन लॉकडाउन में ढील
यहां 27 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। 700 की मौत हो चुकी है। लेकिन, सरकार ने लॉकडाउन में ढील देना शुरू कर दी है। शनिवार से देश के ज्यादातर हिस्सों में दुकानें और फैक्ट्रियां खुल गईं। हालांकि, लॉकडाउन का असर पहले भी नहीं था। मस्जिदों में सामूहिक नमाज पर लगी रोक पहले ही हटा ली गई थी। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार को चेताया भी था। लेकिन, उनकी सलाह और मांग पर प्रधानमंत्री इमरान ने कोई ध्यान नहीं दिया।
कोरोनावायरस की वजह से अमेरिका दुनिया का सबसे प्रभावित देश है।पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने महामारी की वजह से देश के बुरे हालात के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने इसे पूर्ण अराजक आपदा करारा दिया।
ओबामा के पूर्व कर्मचारियों के साथ बातचीत का वीडियो कॉल लीक
अल जजीरा के मुताबिक, ओबामा प्रशासन के साथ शुक्रवार को हुए बातचीत का वेब कॉल लीक हो गया। इसका वीडियो सबसे पहले याहू न्यूज को मिला, जिसमें उन्होंने अपने पूर्व कर्मचारियों से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन का साथ देने का आग्रह किया।
हमारी लड़ाई कई चीजों के खिलाफ है: ओबामा
ओबामा ने कहा कि हम जिन चीजों के खिलाफ लड़ रहे हैं, वह है स्वार्थी होना, पिछड़ा होना, विभाजित होना और एक-दूसरे को दुश्मन के रूप में देखना। यह सब अमेरिकी जीवन में एक गहरा आवेग बन गया है।
‘संकट से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदम दागदार’
उन्होंने कहा कि इसी वजह से वैश्विक संकट के लिए उठाए जा रहे कदम अनैतिक और दागदार है। यह अच्छी सरकारों के साथ भी बुरा होता। यह पूरी तरह से एक अराजक आपदा रही है।
अमेरिका में महामारी से अब तक 80 हजार से ज्यादा जान जा चुकी है, जबकि 13 लाख 47 हजार संक्रमित हैं। कोरोना से निपटने में नाकाम रहने पर ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की जा रही है। कहा जा रहा है कि राज्यों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
केन्या की सरकार को कोरोनावायरस के संकट से निपटने की चुनौती के बीच अब क्वारैंटाइन में लोगों से हो रहे व्यवहार को लेकर विरोध और आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, नैरोबी में क्वारैंटाइन किए गए कई लोगों को 14 दिन की सीमा पूरी होने के बावजूद बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा। उन्हें वहां से निकलने के बदले पैसे मांग जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि यह उन पर हुए खर्च की वसूली है, लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसा ही एक मामला वेलेंटाइन ओचोगो का है। वे बताती हैं,"जब मैं दुबई में नौकरी से निकाले जाने के बाद केन्या पहुंची, तो एक यूनिवर्सिटी के छात्रावास में अन्य यात्रियों के साथ क्वारैंटाइन में रखा गया था। लेकिन, 14 दिन क्वारैंटाइन और तीन टेस्ट निगेटिव आने के बावजूद बाहर नहीं निकलने दिया गया। मुझे बताया गया कि जब तक करीब 31 हजार रुपए नहीं चुका देती, जाने नहीं दिया जाएगा। आखिरकार चार हजार रुपए में बात तय हुई। मैं 32 दिन बाद वहां से निकल पाई। लेकिन, कई लोग वहां फंसे हैं।''
लोगों को पकड़कर थानों के बजाए क्वारैंटाइन में भेजा जा रहा
केन्या में कर्फ्यू का उल्लंघन करने या मास्क न पहनने के कारण पकड़े गए लोगों को पुलिस थानों में न भेजकर क्वारैंटाइन में भेजा जा रहा है। उन्हें कई बार तो संक्रमितों के साथ ही रख दिया जाता है। हाल ही में 7 और लोग वहां से बाहर निकले हैं। उन्होंने बताया कि बेहद गंदी जगहों पर रखा गया था। वहां न भोजन था, न पानी और न ही टेस्ट के नतीजे बताए जाते थे।
दूसरी तरफ क्वारैंटाइन में लोगों के साथ दुर्व्यवहार की बातें बाहर आने के बाद लोग सरकार के विरोध में उतर आए हैं। मोई यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. लुकोए एटवोली कहते हैं,"जबरदस्ती करने के बजाय लोगों को सहयोग करने के लिए राजी करने की जरूरत है, खासकर यदि आप उनकी भलाई करने का तर्क दे रहे हो।''
हालात पता चलने पर लोग टेस्ट करवाने आगे नहीं आ रहे
केन्या में एक महीने में 50 लोग क्वारैंटाइन से भाग चुके हैं। इसके अलावा क्वारैंटाइन सेंटर में दुर्व्यवहार और पैसे मांगे जाने की खबरों के बाद अब लोग कोरोना के लक्षण दिखने के बावजूद टेस्ट करवाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार हरकत में आई है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई दी है कि व्यवस्था सुधारी जा रही है, शुल्क पर रोक लगाएंगे।
भारत में कोरोना का पहला मामला केरल में मिला था। इसे 100 दिन पूरे हो गए हैं। तब से अब तक हालात सुधर चुके हैं। कोरोना से निपटने की केरल की कहानी वैसी ही है, जैसी वहां की मलयालम फिल्मों की होती हैं- एक्शन, स्टाइल, थ्रिलर...। वैसी ही स्टोरी केरल की कोरोना से निपटने की है। 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई तो देश का हर पांचवां कोरोना संक्रमित केरल से था और सबसे ज्यादा मामले भी थे। महज 6 हफ्तों बाद वह भारत में कोरोना संक्रमण के मामले में 16वें स्थान पर है।
केरल ने कर्फ्यू, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और संक्रमण के लक्षणों वाले हजारों लोगों को क्वारैंटाइन कर दिया। संक्रमण रोकने और मरीजों की पहचान के लिए ट्रेसिंग, प्लानिंग और ट्रेनिंग पर तेजी से काम किया। यही फॉर्मूला निपाह और इबोला वायरस के मामले में भी अपनाया था। निपाह के समय से ही केरल के पास मजबूत, तेज और कुशल हेल्थ सिस्टम तैयार हो गया था। 2018 में निपाह ने भी ऐसी ही तबाही मचाई थी, निपाह पर एक महीने में ही काबू पा लिया था।
9.5 करोड़ आबादी वाले वियतनाम ने आश्चर्यजनक परिणाम दिए
केरल के जैसी ही स्क्रिप्ट उससे तीन गुना ज्यादा 9.5 करोड़ आबादी वाले वियतनाम की भी है, लेकिन उसने ज्यादा आश्चर्यजनक परिणाम दिए। वह भी केरल की तरह ही वायरस के संपर्क में जल्दी आ गया और संक्रमण भी तेजी से बढ़ा। इसने समान आकार वाले ताइवान और न्यूजीलैंड की तरह एक भी मौत नहीं होने दी। जबकि लगभग इनके बराबर जनसंख्या वाले फिलीपींस में 10 हजार मामले और 650 मौतें हो चुकी हैं। जैसे केरल में निपाह था, वैसे ही वियतनाम भी 2003 में सार्स और 2009 में स्वाइन फ्लू के घातक प्रकोप से जूझ चुका है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों स्थानों पर सिद्ध तरीकों का इस्तेमाल हुआ
वियतनाम में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ टॉड पोलक कहते हैं,''इनकी सफलता के कारण सामान्य हैं। इन्होंने शुरुआत में ही तेजी से और आक्रामक कार्रवाई की और सिद्ध तरीकों का इस्तेमाल करते हुए संक्रमण का दायरा सीमित कर दिया। इससे यह असर हुआ कि यह घातक स्तर पर नहीं पहुंच सका।''
केरल और वियतनाम, दोनों ही के पास सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा और विशेष रूप से शहर के वार्डों से लेकर दूरदराज के गांवों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, पर्याप्त संख्या में कुशल स्वास्थ्य कर्मचारी, केंद्रीकृत प्रबंधन की व्यवस्था के रूप में प्राथमिक देखभाल की मजबूत और लंबी विरासत है। इसी का फायदा उन्हें महामारियों से निपटने में भी मिला है।
इन तरीकों को अपनाकर संक्रमण फैलने से रोका
केरल ने एक लाख लोग क्वारैंटाइन किए। मॉनिटरिंग के लिए 16000 टीम बनाई। हैंड वॉशिंग स्टेशन बनाए। दवा, भोजन और देखभाल सुनिश्चित की। अधिकारी लगातार लोगों के संपर्क में रहे। लाखों लोगों को मुफ्त भोजन, पहुंचाया। वियतनाम ने यात्रा पर रोक लगाई। लॉकडाउन किया। हेल्थ स्टाफ के साथ सेना को भी ड्यूटी पर लगाया। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किए। अकेले हनोई में करीब 5,000 लोगों का टेस्ट और ट्रेस किया।
भले लाॅकडाउन खुलने की स्थितियां बन रही हैं औरबच्चे कई गतिविधियाें की प्लानिंग कर रहे हैं मगर परिजन को तो उन्हें समझाना ही पड़ रहा है कि अब वे बहुत ज्यादा शौक पूरे नहीं कर पाएंगे। परिजन किराए और भोजन के लिए पर्याप्त पैसे होने की बात कहकर उम्मीद बंधा सकते हैं, लेकिन बच्चों केआंख-कान तेज होते हैं। ऐसी स्थिति में जानिए कि अगर नौकरी चली जाए तो बच्चों के सवालों और नजरों का सामना कैसे करेंः
अपनी चिंता पर गाैर करें
ग्राहक केंद्रित अर्थव्यवस्था औरसेल्फ ब्रांडिंग के दाैर में अपने बजट काे बढ़ाना और‘क्या जरूरी है’ काे ‘हम क्या चाहते हैं’ से अलग करना मुश्किल है। तय करें कि इस खराब माहाैल में भी आप सतर्क परिजन बने रहेंगे। बच्चाें काे आश्वस्त करें किबदतर स्थिति में भी आपकेपास इतने पैसे रहेंगे कि बिल चुका सकते हैं और भोजन खरीद सकते हैं।
यदि कुछ नया करने जा रहे हैं, या बेराेजगारी लाभ प्राप्त कर रहे हैं ताे वह भी बताएं। इससे उन्हें आपके संसाधनाें और याेजनाओं के बारे में जानकारी मिलेगी। उनके सवाल गाैर से सुनें। कड़वा सच बताएं कि नहीं
बच्चाें से बात करते समय यह तय करें कि उन्हें कितना बताना है। यह इस पर निर्भर करता है कि बच्चे की उम्र क्या है, नकारात्मक खबर सुनने की क्षमता कैसी है। बच्चाें काे नए आर्थिक परिदृश्य में सामंजस्य बैठाने के बारे में बताकर भी सच से अवगत करा सकते हैं। छाेटे बच्चे यह साेच सकते हैं कि बड़ाें के साथ बुरा हाे गया है ताे हमारे साथ भी ऐसा होगा। बुरे सपने आसकते हैं।
किशाेर यह जानने के लिए उत्सुक हाेंगे कि हम अब भी डिनर पर जा सकेंगे?, मैं पहले वाले स्कूल ही जाऊंगा?, हम बेघर हाे जाएंगे? उन्हें बताएं कि क्या वैसा ही रहेगा औरक्या बदल सकता है। हर बदलाव से अवगत कराएं। आगे की साेचें
बच्चाें काे समझाएं कि अर्थव्यवस्था दाैड़ते ही, परिस्थिति भी बदलेगी। नई नाैकरी मिल सकती है। आपकी परिस्थितियां बदल सकती हैं। नए दाैर में पूरे परिवार काे छाेटी टीम मानकर चलें।
रिर्सच डेस्क. कोरोना महामारी को फैले 130 दिन हो चुके हैं। इस दौरान पूरी दुनिया में 40 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। 2.7 लाख लोगों की जान जा चुकी है। कोरोना की रोकथाम के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता पहली सफलता के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।
कोरोना, जिसे मेडिकल भाषा में SARS-CoV-2 भी कहा जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, इस महामारी की रोकथाम के लिए फिलहाल दुनिया की 102 संस्थाएं वैक्सीन खोजने में जुटी हुई हैं। 120 संभावित टीकों पर परीक्षण भी चल रहा है। इस काम में 80 से ज्यादा देशों की मेडिकल संस्थाएं सयुंक्त रूप से भी शोध में लगी हुई हैं।
भारत, जर्मनी, अमेरिका की स्वास्थ्य संस्थाएं एक साथ मिलकर रिसर्च कर रही हैं। चीन ने सबसे पहले 4 मार्च, अमेरिका ने 24 मार्च, ब्रिटेन ने 21 अप्रैल, इजराइल ने 5 मई, इटली ने 6 मई और नीदरलैंड्स ने 7 मई को वैक्सीन या एंटीबॉडी बनाने का दावा किया। दुनिया की मीडिया में भी कोरोना की एंटीबॉडी, वैक्सीन बनाने की और इलाज की औसतन हर दूसरे दिन एक नई खबर आ रही है।
चीन- मिलिट्री मेडिकल साइंस अकादमी ने किया सबसे पहले वैक्सीन बनाने का दावा
4 मार्च को चीन से खबर आई कि 53 साल की शेन वेई के नेतृत्व वाली टीम ने मिलिट्री मेडिकल साइंस अकादमी में कोरोना से बचने की वैक्सीन बनाने में कामयाबी पाई है। यह चीन की प्रतिष्ठित अकादमी है, जिसमें 26 विशेषज्ञ, 50 से ज्यादा वैज्ञानिक और 500 से ज्यादा अनुभवी लोग काम करते हैं। इसके अलावा चीन की तीन अन्य कंपनियों कैनसिनो बायोलॉजिक्स, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स, सिनोवेक बायोटेक ने भी दावा किया कि वे वैक्सीन के ट्रॉयल के प्रथम चरण में हैं। सिनोवेक बायोटेक तो मनुष्यों पर ट्रॉयल करने का दावा भी कर रही है।
अमेरिका- फार्मास्युटिकल कंपनी मॉडर्ना ने कहा- 2020 के अंत तक बनने लगेगी वैक्सीन
अमेरिका की फार्मास्युटिकल कंपनी मॉडर्ना कोविड-19 के टीके की टेस्टिंग पर काम कर रही है। कंपनी ने 24 मार्च को ऐलान किया कि वो 2020 के अंत तक टीके बनाने लगेगी। फाइजर, जाॅनसन एंड जाॅनसन भी वैक्सीन पर शोध कर रही हैं। इसके अलावा गिलियड साइंसेज कंपनी ने रेमडेसिवर नामक दवा बनाई है, जिसे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के बाद कोरोना से बचने की अब तक की सबसे कारगर दवा मानी जा रही है। 6 मई को जापान ने भी इसे मान्यता भी दे दी।
ब्रिटेन- 23 अप्रैल से वैक्सीन का ट्रायल शुरू हुआ, वैज्ञानिकों को 80 फीसदी सफलता की उम्मीद
लंदन में कोरोना वैक्सीन पर काम कर रहे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 23 अप्रैल को टीके के परीक्षण का दावा किया। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दवा खोजने की कोशिश में हर संभव प्रयास कर रहा है। इसके लिए शोधकर्ताओं को 2 करोड़ पाउंड की राशि उपलब्ध कराई गई है। वहीं, टीका बनाने वाले वैज्ञानिकों ने 80 फीसदी सफलता की उम्मीद जताई।
इजरायल- आईआईबीआर ने मोनोक्लोन तरीके से वायरस पर हमला करने वाली एंटीबॉडी विकसित की
5 मई को तेल अवीव से खबर आई कि इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बॉयोलॉजिकल रिसर्च (आईआईबीआर) ने एक ऐसी एंटीबॉडी बनाने में कामयाबी हासिल की, जो मोनोक्लोन तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है। इजराइल के रक्षा मंत्री नैफ्टली बेनेट के मुताबिक, एंटीबॉडी मोनोक्लोनल तरीके यानी यह व्यक्ति के शरीर के अंदर ही वायरस को मारने में सक्षम है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर हुआ है या नहीं।
इटली- टैकिज बॉयोटेक ने दावा किया उसकी वैक्सीन सबसे एडवांस स्टेज पर हैं
6 मई को रोम से खबर आई कि टैकिज बॉयोटेक ने एक ऐसे टीके का विकास किया है, जो टेस्टिंग के सबसे एडवांस स्टेज पर है। टैकिज के सीईओ लुईगी ऑरिसिचियो ने इटैलियन न्यूज एजेंसी एएनएसए को बताया कि इस वैक्सीन का जल्द ही ह्यूमन टेस्ट किया जाएगा। इस वैक्सीन से चूहों में एंटीबॉडी विकसित किए गए हैं। विकसित एंटीबॉडी वायरस को कोशिकाओं पर हमला करने से रोकती है। दावा किया गया कि यह इंसान की कोशिकाओं पर भी काम करती है।
नीदरलैंड : 47D11 नामक एंटीबॉडी कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को ब्लॉक करने में सक्षम
नीदरलैंड्स में यूट्रेच्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 47D11 नामक एक ऐसी एंटीबॉडी की खोज की है, जो कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को जकड़कर ब्लॉक कर देती है, क्योंकि कोरोना शरीर में संक्रमण फैलाने के लिए इसी स्पाइक प्रोटीन से कोशिकाओं को जकड़ता है। शोधकर्ताओं ने लैब में अलग-अलग कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को चूहे की कोशिकाओं में इंजेक्ट किया। इसमें SARS-CoV2, सार्स और मर्स के वायरस भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कोरोना को हराने वाली चूहे की 51 एंटीबॉडीज अलग की। इनमें से सिर्फ 47D11 नाम की एंटीबॉडी ऐसी थी जो संक्रमण को रोकने में सफल थी।
भारत: सीएसआईआर समेत कुछ संस्थान फिलहाल टीके के परीक्षण में जुटे हैं
भारत में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) covid-19 के टीके का परीक्षण कर रही हैं, इसके अलावा अहमदाबाद की दवा कंपनी हेस्टर बायोसाइंसेज ने 22 अप्रैल को घोषणा की थी कि वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के साथ मिलकर कोरोना का टीका विकसित करेगी। गौरतलब है कि इससे पहले पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने दावा किया था कि वह सितंबर-अक्टूबर तक कोरोना का टीका लेकर आएगी, जिसकी कीमत करीब 1000 रुपए होगी।
दो तरीकों की खूब हो रही चर्चा-
प्लाजमा थेरेपी- चिकित्सकों के अनुसार, जिस व्यक्ति को एक बार कोरोना होता है, यदि वह ठीक हो जाता है तो उसके रक्त में एंटीबॉडीज विकसित हो जाती हैं। ऐसे लोगों के ब्लड से प्लाज्मा निकालकर अन्य कोरोना मरीज को दिया जाता है तो उसके ठीक होने की उम्मीद रहती है। इस ट्रीटमेंट स्ट्रेटजी पर अमेरिका के साथ-साथ भारत में भी काम हो रहा है।
एंटीबॉडी-ये प्रोटीन से बनीं खास तरह की इम्यून कोशिकाएं होती हैं, जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं। जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती है तो ये अलर्ट हो जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस को निष्प्रभावित करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं। इस तरह ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती हैं, जिससे हर तरह के रोगाणुओं का असर बेअसर हो जाता है।
दो दवाएं, जिन्होंने बटोरी सबसे ज्यादा सुर्खियां-
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन- यहसबसे चर्चित दवा है। इसे कोरोना के इलाज के इस्तेमाल किया जा रहा है। यह दवा मलेरिया बुखार में मरीज को दी जाती है। गत दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्पने भारत से इस दवा की मांग की थी, जिसके बाद कोरोना से निपटने के लिए 45 देशों ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग की। भारत ने 30 देशों को इस दवा की सप्लाई के लिए स्वीकृति भी दी।
रेमडेसिवीर- यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना के इलाज के दौरान 125 लोगों को रेमडेसिवीर दवा दी गई, जिसके बाद उनकी सेहत में तेजी से सुधार देखा गया। हालांकि अभी अमेरिका की बायो टेक्नोलॉजी कंपनी गिलेंड साइंसइसकेक्लीनिकल परीक्षण में लगी है। नतीजे आने तक इसे ट्रायल दवाके तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल इबोला के इलाज के लिए भीकिया गया है।
कोरोना महामारी के दौर में भी पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहा है। हंदवाड़ा में हुए हमले में भी पाकिस्तान का हाथ था। पाकिस्तान में बैठे हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन ने इस हमले की जिम्मेदारी है। इस हमले में कर्नल आशुतोष शर्मा समेत पांच जवान शहीद हो गए थे। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें सैयद सलाहुद्दीन हमले की जिम्मेदारी लेता दिख रहा है। उसने हिजबुल कमांडर रियाज नायकू के मारे जाने पर शोक सभा का आयोजन किया था।
अमेरिका की संसद में कई सांसदों ने 40 हजार विदेशी डॉक्टरों और नर्सों को अनयूज्ड ग्रीन कार्ड देने के लिए एक बिल पेश किया है। बिल में कहा गया है अमेरिका को डॉक्टरों और नर्सों की तत्काल जरूरत है,ऐसे में हमें ग्रीन कार्ड जारी करने चाहिए। इन 40 हजार मेडिकल वर्करों में25 हजार नर्सें और 15 हजार डॉक्टर शामिल हैं।
अगर यह बिल पास होकर कानून में बदलता है तो बड़ी संख्या में उन भारतीय डॉक्टरों औरनर्सों को फायदा मिलेगा, जिनके पास एच-1बी या जे2 वीजा हैं। जानकारों के अनुसार, 'द हेल्थकेयर वर्कफोर्स रेसिलिएंस एक्ट' के तहत उन ग्रीन कार्ड को जारी किया जा सकेगा, जिन्हें पिछले कुछ सालों में संसद ने मंजूरी तो किया था,लेकिन उन्हें किसी को दिया नहीं गया था।
इन सांसदों ने पेश किया बिल
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में सांसद एबी फिनकेनॉर, ब्रैड साइडर, टॉम कॉले और डॉन बैकन ने इस बिल को पेश किया है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन, द हेल्थकेयर लीडरशिप काउंसिल, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, द अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल हेल्थकेयर रिक्रूटमेंट, द अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन, अमेरिकन ऑर्गनाइजेशन फॉर नर्सिंग लीडरशिप जैसे कई संगठनों ने इस बिल का समर्थन किया है।
भारतीयों में बहुत प्रचलित है एच-1 बी वीजा
एच-1बी एक नॉन इमिग्रेंट वीजा है, जिसके जरिए अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों से टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स को हायर करती है। सरकार के आदेशानुसार, यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज हर साल कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए 65 हजार एच-1बी वीजा जारी करती है। वहीं, अन्य 20 हजार वीजा एप्लीकेशन्स में वो लोग शामिल होते हैं, जिन्होंने अमेरिकी संस्था से मास्टर्स या कोई बड़ी डिग्री ली हो। एच-1बी वीजा धारकों में सबसे ज्यादा कर्मचारी भारत और चीन से होते हैं।
ग्रीन कार्ड को समझिए
अमेरिका की स्थायी नागरिकता पाने के लिए अमेरिका की अनुमति लेनी जरूरी है। इस अनुमति को ही ग्रीन कार्ड कहा जाता है | ग्रीन कार्ड को परमानेंट रेजीडेंट कार्ड माना जाता है। यह कार्ड इस बात का सुबूत है कि व्यक्ति को स्थायी रूप से निवास करने का अधिकार मिला हुआ है। अमेरिका हर साल 1 लाख 40 हजार ग्रीन कार्ड जारी करता है, इसमें एक देश को सात फीसद से अधिक ग्रीन कार्ड जारी नहीं किए जाते हैं। भारत को एक वित्त वर्ष में केवल 9800 ग्रीन कार्ड ही मिल सकते हैं।
पाकिस्तान ने भारत पर नया आरोप लगाया है। उसनेकहा है कि चिनाब नदी में पानी का प्रवाह बहुत कम हो गया है। भारत ने पाकिस्तान के इन आरोपोंको आधारहीन बताया है।
इंडस वाटर ट्रीटी के लिए नियुक्त पाकिस्तानी कमिश्नर सैयद मोहम्मद मेहर अली शाह ने बुधवार को भारतीयकमिश्नर प्रदीप कुमार सक्सेना को लेटर भेजा था। उन्होंने लिखाथा कि चिनाब पर बने माराला हेडवर्क्स में पानी का प्रवाह 31,853 क्यूसेक से अचानकघटकर 18,700 क्यूसेक रह गया है। उन्होंने स्थिति को देखने और बताने की भी मांग की थी।
सक्सेना ने पाकिस्तान के दावे को एक अधारहीन कहानी बताया है। उन्होंने पीटीआई से बातचीत में बताया कि चिनाब और तवी नदियों पर अखनूर और सिधरामें बने गेज पर बहाव सामान्य है। हमें जांच के दौरान कुछ नहीं मिला है। उन्होंने पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह खुद अपने यहां मामले की जांच करे।
इंडस कमीशन को जानिए
इंडस वाटर ट्रीटी (सिंधु जल संधि) के तहत बने परमानेंट इंडस कमीशन पर 1960 में भारत और पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए गए थे। इस कमीशन के तहत दोनों देशों में कमिश्नर नियुक्त किए गए थे। वेसरकारों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं। इस ट्रीटी के चलते दोनों देशों के कमिश्नरों को साल में एक बार मिलना होता है। उनकी बैठक एक साल भारत और एक साल पाकिस्तान में होती है।
दोनों देशों में इस तरह पानी का बटवारा है
इस ट्रीटी में कहा गया है कि पूर्व की तीन नदियों रावी, ब्यास और सतलज का पानी भारत को विशेष रूप से बांटा गया है। इन नदियों के कुल 16.8 करोड़ एकड़-फीट में भारत का हिस्सा 3.3 करोड़ एकड़-फीट है, जो लगभग 20 प्रतिशत है। वहीं, पश्चिम की नदियां सिंधु (इंडस), चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। हालांकि, भारत को अधिकार है कि वह इन नदियों के पानी को कृषि, घरेलू काम में इस्तेमाल कर सकता है। इसके साथ ही भारत निश्चित मापदंडों के भीतर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट भी बना सकता है।
31 मार्च को होती है दोनों देशों की बैठक
इंडस वॉटर ट्रीटी के अनुसार हर साल 31 मार्च को दोनों देशों के कमिश्नरों की बैठक होती है। हालांकि, कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए इस साल इस बैठक कोटाल दिया गया था।
एनआईए ने पंजाब और हरियाणा पुलिस की मदद से हिज्बुल मुजाहिदीन के टेरर फंडिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कुछ आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान से सेंधा नमक की आड़ में ड्रग्स भारत भेजे जाते थे। इनकी बिक्री से मिलने वाला पैसा आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन तक पहुंचता था।
एनआईए ने 25 अप्रैल को कश्मीर के रहने वाले हिलाल अहमद वागे को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के बाद इस रैकेट की जानकारी मिली।
पाकिस्तान से आते थे ड्रग्स
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान सेंधा नमक भारत को निर्यात करता है। इसके साथ छिपाकर ड्रग्स भी भेजे जाते थे। एनआईए को खुफिया सूत्रों से इसकी जानकारी मिल चुकी थी। उसने पंजाब और हरियाणा पुलिस की मदद ली। रंजीत सिंह उर्फ राणा और चीता को गिरफ्तार किया गया। उसके पिता हरभजन और भाई गगनदीप को भी गिरफ्तार किया गया।
हिलाल का करीबी है रंजीत
नौगाम कश्मीर का रहने वाला हिलाल अहमद वागे हिज्बुल के लिए पैसा जुटाता था। उसे 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। कब्जे से 29 लाख रुपए बरामद हुए थे। पूछताछ के बाद जांच आगे बढ़ी। अमृतसर के बिक्रम सिंह उर्फ विकी को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि विकी ही हिलाल तक पैसा पहुंचाता था। उसके भाई मनिंदर को 5 मई को ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
नार्को-टेरर फंडिंग
सूत्रों के मुताबिक, टेरर फंडिंग और ड्रग्स का यह खेल लंबे वक्त से चल रहा था। पिछले साल अटारी बॉर्डर पर 532 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई थी। मुख्य आरोपी इकबाल सिंह शेरा और रंजीत फरार हो गए थे। एनआईए इस मामले की जांच कर रही है। पांच में से चार खेप भारत पहुंच गईं थीं। जबकि, आखिरी पकड़ी गई।
कई लोग शामिल
एक अफसर के मुताबिक, “ड्रग्स स्मगलिंग और टेरर फंडिंग के इस धंधे में इम्पोर्ट करने वाले, ग्राहक, हाउस एजेंट्स और ट्रांसपोर्टर शामिल हैं। हवाला के लिए जरिए पैसे का लेनदेन होता था। इसमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ लोग शामिल हैं।” तरन तारन जिले का रंजीत सिंह और उसके भाई इस मामले में मुख्य आरोपी हैं।
कोरोनावायरस के नए-नए लक्षण निकलकर सामने आ रहे हैं। सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के एक नए शोध में पता चला है कि संक्रमित मरीजों की तीन दिन बाद सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती है। यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता ने बताया कि कई मरीजों की स्वाद पहचानने की क्षमता पर भी असर पड़ा है। शोधमें युवा और महिला मरीजों में ऐसी दिक्कत खास तौर पर देखने को मिलीं। स्वीट्जरलैंड के कैंटोंसपिट औरो हॉस्पिटल में कोरोना के 103 मरीजों पर छह हफ्ते तक अध्ययन करने के बाद ये तथ्य सामने आए। इन संक्रमितों से पूछा गया कि उनमें कितने दिनों से लक्षण हैं। लक्षणों की टाइमिंग और गंभीरता से जुड़े सवाल किए गए।
इससे पहले अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) भी कोरोना से स्वाद और सूंघने की क्षमता खत्म होने की बात कह चुका है। सीडीसी ने इन लक्षणों को अपनी आधिकारिक सूची में भी जोड़ा है।
सूंघने की क्षमता खत्म होने का अन्य लक्षणों से सीधा संबंध
सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के यूसी कॉलेज ऑफ मेडिसिन डिपार्टमेंट के ओटोलरीन्गोलॉजी सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर अहमद सेदाघाट के मुताबिक संक्रमण से एनोस्मिया (सूघंने की क्षमता में कमी) होना बहुत खतरनाक है। इसका सीधा संबंध मरीज में सामने आ रहे दूसरे लक्षणों से हैं। अगर एस्नोमिया के लक्षण ज्यादा हैं तो मरीज में खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बुखार जैसी समस्या भी ज्यादा होगी।
नए लक्षण का पता चलना कोरोना के इलाज में अहम
सेदाघाट के मुताबिक शोध मेंकरीब 61% मरीजों ने सूंघने की क्षमता खत्म होने की बात मानी। इनमें यह क्षमता खत्म होने का औसत समय 3 दिन 4 घंटे पाया गया।शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह लक्षण पता चलना अहम है। अब किसी में कोरोना संक्रमण के साथ सूंघने की क्षमता कम है तो यह जाना जा सकता है कि वह संक्रमण के पहले हफ्ते में है। ऐसे में अगले एक या दो हफ्ते उसके इलाज के लिए बचे रहेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि यह बीमारी का संकेत भर देता है, इसे पूरा कारण नहीं माना जाना चाहिए।
पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत के दक्षिण में शुक्रवार को एक लैंडमाइन विस्फोट में पाकिस्तानी सेना के मेजर समेत छह जवान मारे गए। हमलापाकिस्तान-ईरान सीमा से 14 किलोमीटर अंदर हुआ। बताया कि विस्फोट एक रिमोट कंट्रोल डिवाइस के जरिए किया गया था।
पाकिस्तानी मिलिट्री के प्रवक्ता ने बताया कि फ्रंटियर कार्प्स साउथ बलूचिस्तान के जवान केछ जिले के बुलेदा से लौट रहे थे। इसी दौरान उन पर हमला किया गया। सेना ने अपने बयान में कहा कि जवान मेक्रान के पहाड़ी इलाके में आतंकवादियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले रास्तों की जांच करने गए थे। मरने वाले मेजर की पहचान नदीम अब्बास भट्टी के रूप में हुई है। वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हफिजाबाद के रहने वाले थे।
बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली जिम्मदारी
स्थानीय मीडिया द बलूचिस्तान पोस्ट ने कहा है कि बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए लड़ रही ‘बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए)’ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। वहीं, एक अन्य वेबसाइट में बताया गया कि ‘बलूच राजी अजोई संगर’ समूह ने भी हमले की जिम्मेदारी ली है।
वहीं, बीएलए ने हमले में मारे गए मेजर पर केच क्षेत्र में आपराधिक गैंग बनाने का आरोप लगाया है। कहा कि पाक सेना यहां ऐसे दस्ते का गठन कर रही है जो बलूच लोगों को मार रहे हैं। मेजर पर ड्रग डीलरों की मदद करने का भी आरोप लगाया गया है। बीएलए के प्रवक्ता को कोट करते हुए बलूचिस्तान पोस्ट ने लिखा, ‘‘पाकिस्तानी सेना ने पिछले कई दिनों से तिगरान और तुर्बत के इलाकों में अभियान चलाकर बलूच नागरिकों को निशाना बनाया है। इसके साथ ही महिलाओं और बच्चों का उत्पीड़न भी किया गया है।’’
The coronavirus pandemic forced carmakers to close virtually every auto plant in North America, sending production plummeting to a level last seen at the end of World War II.