Tuesday, April 28, 2020
CIA had issued 12 warnings to Trump about Covid-19 April 28, 2020 at 08:12PM
Biden wins Ohio's mail-in primary delayed by coronavirus April 28, 2020 at 07:23PM
आज दोपहर पृथ्वी के करीब से गुजरेगा एवरेस्ट जितना बड़ा उल्कापिंड; पहले इसके धरती से टकराने की आशंका थी April 28, 2020 at 07:36PM
बुधवार दोपहर अंतरिक्ष में एक बड़ी घटना होने वाली है। पृथ्वी के बगल से एवरेस्ट जितना बड़ा एक उल्कापिंड गुजरने वाला है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने करीब डेढ़ महीने पहले इस बात की जानकारी दी थी। नासा ने इस उल्कापिंड को एस्टेरायड 1998 ओआर2नाम दियाहै। यह 31 हजार 319 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तारसे पृथ्वी के पास से गुजरेगा।
हालांकि, इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहपृथ्वी से 39 लाख मील (63 लाख किलोमीटर) के फासले से गुजरेगा। यानी पृथ्वी से चांद की दूरी (3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर) के लगभग 16 गुना दूर। हालांकि, अंतरिक्ष विज्ञानमें यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती। पहले इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका थी, लेकिनअब वैज्ञानिकों ने साफ कर दिया है कि ऐसी कोई घटना नहीं होने वाली है।
नासा ने इसे सबसे पहले 1998 में देखा था
इस उल्कापिंड की चौड़ाई 1.5 मील (2.4 किलोमीटर) है। नासा ने इसे सबसे पहले 1998 में देखा था। यह 29 अप्रैल को भारतीय समयानुसार दोपहर बाद 3:25 बजे धरती के सबसे करीब होगा।
घबराने की जरूरत नहीं
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के मैनेजर पाउल कोडास ने कहा कि अभी ऐसे किसी भी आकार केकोई भी उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने की आशंका नहीं है। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के आसपास से गुजरने वाले एक किलोमीटर तक आकार के 90% से अधिक उल्कापिंडाेंको ढूंढ निकाला है और उन्हें ट्रैक भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उल्कापिंड का धरती की तरफ अगला चक्कर 18 मई 2031 के आसपास हो सकता है। तब यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकलेगा।
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भारत में लॉकडाउन के एक महीने में कोरोना के सिर्फ 22 हजार केस आए, चीन में 75 हजार और इटली में 1.26 लाख नए मामले आए थे April 28, 2020 at 07:25PM
भारत में लॉकडाउन के एक महीने पूरे हो गए हैं। देश में 25 मार्च को जब लॉकडाउन घोषित गया था तो उस दिन तक कोरोनावायरस से 657 लोग संक्रमित थे। 23 अप्रैल को लॉकडाउन के 30 दिन पूरे हुए तो यह संख्या बढ़कर 23 हजार 39 तक पहुंच गई। इस तरह पाबंदियों के पहले एक महीने में भारत में कोरोना के कुल 22 हजार मामले सामने आए। देश में 30 दिनों में संक्रमण के 35 गुना मामले बढ़े, जबकि ग्रोथ रेट 3406 फीसदी रही। हालांकि भारत में एक महीने की पाबंदी केसों की संख्या और मौतों की आंकड़ों के लिहाज चीन और इटली जैसे देशों के लॉकडाउन (पहला एक महीना) की तुलना में ज्यादा कामयाब रही है।
- चीन: कोरोना संक्रमितों की ग्रोथ रेट 9091 फीसदी रही
चीन में 23 जनवरी को लॉकडाउन लगाया गया था। इस दिन तक यहां कोरोना के 830 मरीज थे। 21 फरवरी को जब लॉकडाउन के एक महीने पूरे हुए तो यहां 76 हजार 288 मामले थे। इस तरह लाॅकडाउन के एक महीने में चीन में 75 हजार 458 केस आए, यानी तकरीबन 92 गुना केस बढ़ गए। कोरोना मामलों की ग्रोथ रेट 9091 फीसदी रही। हालांकि चीन ने शुरुआत में सिर्फ हुबेई प्रांत और वुहान शहर में ही लॉकडाउन लगाया था। लेकिन पाबंदियां देशभर में बढ़ा दी थीं।
- इटली: कोरोना संक्रमितों की ग्रोथ रेट 1371 फीसदी रही
इटली में लॉकडाउन 9 मार्च को शुरू हुआ था। इस दिन तक यहां 9 हजार 172 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके थे। 7 अप्रैल को यहां लॉकडाउन के एक महीने पूरे हुए। इस दिन तक इटली में कोरोना के 1.35 लाख से ज्यादा मामले आ चुके थे। इटली में लॉकडाउन के एक महीने में 1.26 लाख नए केस आए यानी संक्रमितों की संख्या में 15 गुना का इजाफा हुआ। इस दौरान कोरोना संक्रमितों की ग्रोथ रेट 1371 फीसदी रही।
- लॉकडाउन में मौतोंका आंकड़ा
भारत में लॉकडाउन के पहले 30 दिन में कोरोना से मरने वालों की ग्रोथ रेट 5908%, चीन में 9280% और इटली में 3599% रही
- भारत में लॉकडाउन के पहले दिन यानी 25 मार्च तक कोरोना से 12 लोगों की मौत हुई थी। 23 अप्रैल को यह संख्या बढ़कर 721 हो गई। इस तरह 30 दिन में 709 लोगों की जान गई। एक महीने में मौतों की संख्या में 60 गुना का इजाफा हुआ। मौतों की ग्रोथ रेट 5908% रही।
- चीन में लॉकडाउन के पहले दिन 23 जनवरी तक कोरोना से 25 लोगों की जान गई थी। 21 फरवरी को यह संख्या बढ़कर 2345 हो गई। यहां लॉकडाउन के 30 दिनों में 2320 लोगों की जान गई। एक महीने में मौतों की संख्या में 93 गुना का इजाफा हुआ। मौतों की ग्रोथ रेट 9280% रही।
- इटली में लॉकडाउन के पहले दिन 9 मार्च तक 463 लोगों की जान गई थी। 7 अप्रैल को यह संख्या बढ़कर 17 हजार 127 हो गई। इस तरह 30 दिन में यहां 16 हजार 664 लोगों की मौत हुई। एक महीने में मरने वालों की संख्या 37 गुना तक बढ़ गई। मौतों की ग्रोथ रेट 3599% रही।
- रोजाना के औसतन कोरोना केस
भारत में रोज 733 केस आए, चीन में रोज 2515 और इटली में रोज 4200 केस आए
भारत में लॉकडाउन के एक महीने में रोजाना कोरोनावायरस के औसतन 733 केस आए हैं। जबकि रोजाना औसतन 23 लोगों की जान गई है। चीन और इटली में यह आंकड़ा भारत से एकदम उलटा है। चीन में लॉकडाउन के दौरान पहले एक महीने में रोजाना औसतन 2515 कोरोना केस आए हैं। जबकि रोजाना औसतन 77 लोगों की जान गई। वहीं, इटली में लॉकडाउन के पहले एक महीने में रोजाना कोरोना के औसतन 4200 मामले आए, जबकि रोज औसतन 555 लोगों की जान गई।
- लॉकडाउन लगानेमें कौन आगे रहा
भारत में कोरोना का पहला केस आने के 55वें दिन, चीन में 25वें दिन और इटली में 38वें दिन लॉकडाउन लगाया गया
भारत में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को केरल में आया था। देश में लॉकडाउन 25 मार्च को लगाया गया। इस तरह भारत में कोरोना का पहला केस आने के 55वें दिन लॉकडाउन लगाया गया। वहीं, चीन में कोरोना का पहला केस 30 दिसंबर 2019 को आया था। चीन ने 23 जनवरी को लॉकडाउन लागू किया। इस तरह चीन ने कोरोना केस आने के 25वें दिन ही लॉकडाउन लगा दिया। इटली में कोरोना का पहला मामला भारत के अगले दिन यानी 31 जनवरी को रोम में आया था। यहां लॉकडाउन 9 मार्च को लागू किया गया। इस तरह इटली में पहला कोरोना केस आने के 38वें दिन लॉकडाउन लगा दिया गया था।
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ट्रम्प ने कहा- हम कोरोना पर चीन के खिलाफ गंभीरता से जांच कर रहे, बड़ा हर्जाना वसूलेंगे April 28, 2020 at 11:05AM
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोनावायरस के फैलने को लेकर चीन पर एक बार और निशाना साधा है। ट्रम्प ने मीडिया से कहा कि अमेरिका कोरोनावायरस वैश्विक महामारी को लेकर चीन के खिलाफ बेहद गंभीरता से जांच कर रहा है। हम चीन से इस मामले में बड़ा हर्जाना मांगेंगे। ट्रम्प ने इस बात के भी संकेत दिए कि यह मुआवजा जर्मनी की ओर से चीन से मांगे गए मुआवजे से भी ज्यादा होगा।
दरअसल, मीडिया ने ट्रम्प से पूछा था कि क्या अमेरिका भी जर्मनी की तरह ही नुकसान के लिए चीन से 10.67 लाख करोड़ रुपए हर्जाना मांगा सकता है। इस पर ट्रम्प ने कहाथा कि जर्मनी कुछ विचार कर रहा है। हम भी कुछ देख रहे हैं। जर्मनी जितने मुआवजे की बात कर रहा है, हम उससे कहीं बड़ी रकम की बात कर रहे हैं। हमने अभी अंतिम रकम निर्धारित नहीं की है, लेकिन यह काफी बड़ी राशि होने वाली है। दरअसल, जर्मनी के एक अखबार ने कहा था कि चीन से मुआवजा मिलना चाहिए।
ट्रम्प ने कहा- दुनियाभर में व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ
ट्रम्प ने कहा कि इस वायरस की वजह से अमेरिका में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ है। चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराने के कई रास्ते हैं। अमेरिका भी चीन से खुश नहीं है। हाल के सप्ताह में चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराने की बात को काफी समर्थन मिला है।
अमेरिका के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपीय देश हैं
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के नेता लगातार कह रहे हैं कि अगर चीन शुरुआती चरण में ही कोरोनावायरस के संबंध में जानकारी देने में पारदर्शिता रखता, तो बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं होती और वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान नहीं पहुंचता। अमेरिका के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपीय देश हैं। कई देश चीन से मुआवजा वसूलने की बात करना शुरू कर चुके हैं। उधर, ब्रिटेन ने अपनी सरकारी ब्रीफिंग से चीन के आंकड़ों को हटा दिया है।
चीन पर शुुरुआती लापरवाही, आंकड़े छिपाने के आरोप
चीन के वुहान में भले ही कोरोना का अभी कोई मामला नहीं हो, लेकिन यहां बसे भारतीय अब भी आशंकित हैं। उनका कहना है कि वुहान में कोरोना का दूसरा दौर लौट सकता है। 76 दिनों के लॉकडाउन के बाद कई लोग काम पर लौट गए हैं। दूसरी ओर बिना लक्षण वाले मामले बढ़ रहे हैं। हुबेई प्रांत में ऐसे 599 मरीज हैं। एक भारतीय शोधकर्ता ने कहा कि वुहान में लॉकडाउन 20 दिन पहले हटाया गया था। ज्यादातर लोग बिना लक्षण वाले मामलों के डर से घरों में रुके हुए हैं। एक अन्य भारतीय ने कहा कि डर इसलिए भी है कि हम कार्यस्थल में या अन्य शहरों में जिनसे मिल रहे हैं, उनकी वास्तविक स्थिति नहीं मालूम है।
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No. of coronavirus cases in US crosses 1 million, fatalities 58,000 April 28, 2020 at 05:50PM
Pentagon releases 'UFO' videos taken by US Navy pilots April 28, 2020 at 05:07PM
अब तक 2.17 लाख मौतें: अमेरिका में 24 घंटे में 2208 लोगों ने दम तोड़ा और 25 हजार से ज्यादा संक्रमित April 28, 2020 at 04:04PM
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 31 लाख 38 हजार 97 लोग संक्रमित हैं। दो लाख 17 हजार 968 की मौत हो चुकी है, जबकि नौ लाख 55 हजार 695 ठीक हो चुके हैं। अमेरिका में 24 घंटे में 2208 लोगों की मौत हुई है, जबकि 25 हजार 409 केस सामने आए हैं। देश में अब तक 59 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 10,35,765 | 59,266 | 1,42,238 |
स्पेन | 2,32,128 | 23,822 | 1,23,903 |
इटली | 2,01,505 | 27,359 | 68,941 |
फ्रांस | 1,65,911 | 23,239 | 45,513 |
ब्रिटेन | 161,145 | 21,678 | उपलब्ध नहीं |
जर्मनी | 1,59,912 | 6,314 | 1,17,400 |
तुर्की | 1,14,653 | 2,992 | 38,809 |
रूस | 93,558 | 867 | 8,456 |
ईरान | 92,584 | 5,877 | 72,439 |
चीन | 82,858 | 4,633 | 77,555 |
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अमेरिका: 10 लाख से ज्यादा केस
अमेरिका में संक्रमण के मामले 10 लाख से ज्यादा हो गए हैं। न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी बुरी तरह प्रभावित है। अकेले न्यूयॉर्क में संक्रमण के तीन लाख से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 22 हजार की मौत हो चुकी है। न्यूजर्सी में भी संक्रमण के एक लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। यहां छह हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। मैसाचुसेट्स, इलिनॉयस, कैलिफोर्निया और पेंसिल्वेनिया ऐसे राज्य हैं जहां अब तक 40 हजार से ज्यादा केस हो चुक हैं।
इटली: 27,359 मौतें
इटली में मरने वालों की संख्या 27,359 हो गई है। संक्रमितों की संख्या भी दो लाख एक हजार 505 हो गया है। पूरे दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा मौतें इटली में ही हुई हैं। इटली के नागरिक सुरक्षा विभाग के प्रमुख एंजेलो बोरेली ने मंगलवार को बताया कि 24 घंटे के दौरान 382 लोगों की मौत हुई है। सोमवार की तुलना में मंगलवार को मृतकों की संख्या में थोड़ा इजाफा हुआ है। एक दिन पहले 333 की मौत हुई थी। देश में 10 मार्च से लॉकडाउन लगा है, जिसे तीन मई तक बढ़ा दिया गया है। यहां 21 फरवरी को पहला मामला सामने आया था। सरकार चार मई से लॉकडाउन में ढील देने की योजना बना रही है।
इजरायल: 15,728 केस
इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 24 घंटे में संक्रमण के 173 नए केस मिले हैं। संक्रमितों की संख्या बढ़कर 15,728 हो गई है। यहां एक दिन में छह लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही कुल आंकड़ा 210 हो गया है। इजरायल में मंगलवार को पूर्ण रूप से लॉकडाउन लागू किया गया, जो बुधवार तक जारी रहेगा। इजरायल बुधवार को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। इस बीच, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तीन मई से चरणबद्ध तरीके स्कूल खोलने का फैसला किया है।
तुर्की: 2392 नए मामले
पश्चिम एशिया के देश तुर्की में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश की राष्ट्रीय विमान सेवा कंपनी तुर्किश एयरलाइंस ने 28 मई तक के लिए अपनी सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को स्थगित करने की घोषणा की है। स्वास्थ्य मंत्री फाहरेतिन कोजा ने मंगलवार को बताया कि 24 घंटे के दौरान देश में संक्रमण के 2392 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 92 की मौत हुई है। कोका ने ट्वीट किया- तुर्की में संक्रमितों की संख्या बढ़कर एक लाख 14 हजार 653 हो गई है, जबकि 2992 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां संक्रमण का पहला मामला 11 मार्च को सामने आया था।
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ट्रम्प ने 51 दिन में 2.60 लाख शब्द बोले; 600 बार खुद की तारीफ, 360 बार दूसरों का श्रेय लिया, 110 बार आरोप लगाए April 28, 2020 at 01:57PM
(जेरेमी डब्ल्यू पीटर्स, एलैना प्लॉट, मैगी हैबरमैन)अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं। वे कोरोना को लेकर व्हाइट हाउस में ब्रीफिंग करते हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स के तीन पत्रकारों ने उनके हर शब्द का विश्लेषण किया है। 9 मार्च से लेकर अब तक वे 2.60 लाख शब्द बोल चुके हैं। इनमें सबसे 600 से ज्यादा बार उन्होंने कोरोना संकट पर अतिश्योक्ति और झूठे वादे करते हुए खुद की तारीफ की और बधाई दी। इनके अलावा दूसरों पर आरोप लगाने, दूसरों का श्रेय लेने जैसी बातें भी कीं।
13 घंटे के भाषण में 2 घंटे आरोप, 45 मिनट खुद की तारीफ, पीड़ितों को सिर्फ 4 मिनट
पिछले तीन हफ्तों में ट्रम्प ने करीब 13 घंटे का भाषण दिया। इस दौरान सबसे ज्यादा 2 घंटे दूसरों पर आरोप लगाने में बर्बाद हुए। इसके बाद सबसे ज्यादा 45 मिनट खुद की तारीफ में लगाए। आधा घंटा डेमोक्रेट्स को घेरने में लगाया, 25 मिनट मीडिया की बुराई की, 21 मिनट चीन पर हमले किए और करीब 22 मिनट गवर्नर्स की तारीफ और आलोचना को लेकर बात की। सबसे बड़ी और दुखद बात यह कि जिस कोरोनावायरस पर ट्रम्प ने ब्रीफिंग की, उसके पीड़ितों के बारे में सिर्फ साढ़े चार मिनट बात की।
जितनी सहानुभूति, उसकी चार गुना खुद की तारीफ
ट्रम्प ने खुद को कोरोना के महानायक के रूप में पेश किया। उन्होंने जितना पीड़ितों का जिक्र किया, उससे चार गुना ज्यादा खुद की तारीफ कर दी।
- 600 से ज्यादा बार झूठे दावे करते हुए खुद को बधाई दी।
- 400 बार गवर्नर्स का जिक्र किया।
- 360 बार दूसरे का श्रेय ले लिया।
- 160 बार सहानुभूति जताई, उसमें भी अपनी और स्टाफ की तारीफ।
- 110 बार दूसरों पर आरोप लगाए।
- 30 बार पूर्व सरकारों को अमेरिका की स्थिति बिगाड़ने का दोषी बताया।
ऐसे बयान देते रहे ट्रम्प
- यूएसएफडीए कमिश्नर के लिए कहा- उन्होंने हर किसी से ज्यादा मेहनत की। फिर कहा- जैसे मैंने।
- ये झूठ भी कहा कि इमरजेंसी में देश में कहीं भी वेंटिलेटर नहीं थे।
- 27 मार्च को कहा- किसी ने ऐसा कुछ नहीं किया है जैसा हमने किया।
- 13 अप्रैल: गवर्नर मेरे काम से इतने संतुष्ट हैं कि किसी ने यह नहीं कहा कि मुझे क्या करना चाहिए।
- मीडिया के लिए कहा कि वे कभी श्रेय नहीं देते, जिसका मैं हकदार हूं।
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किम जोंग उन के गायब होने पर 5 कयास, सोशल डिस्टेंसिंग में रहने और सेना की मॉक ड्रिल में जख्मी होने की भी खबरें April 27, 2020 at 11:59PM
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (36) को लेकर 13 दिन पहले शुरू हुएकयास थमने का नाम नहीं ले रहे। किम 15 अप्रैल को अपने दादा किम इल सुंग की याद में होने वाले सालाना कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। ऐसा पहली बार हुआ था। ऐसे में उनके बार में कई तरह की अटकलें लगाईं जाने लगी। इंटरनेट पर उनके बारे में सर्चिंग बढ़ गई। दुनिया भर में किम की चर्चा तेज हो गई। अब यह एक रहस्य बन गया है कि आखिर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले किम कहां हैं? इस बीच कई तरह की अपुष्ट जानकारियां भी सामने आ रही हैं।
15 अप्रैल से ही किम से जुड़ी कई सेटेलाइट तस्वीरें और रिपोर्टस सामने आ चुकी हैं। इनमें उनकी मौत होने से लेकर उनकी कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी होने तक का दावा किया जा चुका है। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि उन्हें किम की सेहत के बारे में सब कुछ पता है,लेकिन फिलहाल वे इस पर कुछ नहीं कहेंगे। बीते दिनों में किम जोंग के बारे में सामने आईं 5 थ्योरी..
1. सर्जरी के बाद ठीक हो रहे किम
बीते 13 दिन में किम के बारे में पहली जानकारी उत्तर कोरिया के मामलों पर नजर रखने वाले दक्षिण कोरियाईअखबार डेली एनके ने 20 अप्रैल को दी। इसके मुताबिक, 12 अप्रैल को किम की कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, किम काफी सिगरेट पीते हैं। उन्हें मोटापे की समस्या है और वे ज्यादा काम करते हैं। उनका हायंगसन काउंटी स्थित विला में इलाज हुआ। इसके बाद उनकी स्थिति में सुधार की खबरें आईं। उनके इलाज में लगी मेडिकल टीम के ज्यादातर सदस्य 19 अप्रैल को राजधानी प्योंगयांग लौट आए। कुछ सदस्य उनकी देखभाल करने के लिए वहीं रुके रहे।
2. किम जोंग की जिंदगी खतरे में
डेली एनके की रिपोर्ट के कुछ घंटे बाद ही सीएनएन ने किम के स्वास्थ्य को लेकर जानकारी दी। इसमें बताया गया कि सर्जरी के बाद उनकी जिंदगी खतरे में है। रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी किम की सेहत पर नजर रख रहीहैं। वहीं, ब्लूमबर्ग न्यूज ने खबर दी कि अमेरिकी अधिकारियों को किम के गंभीर स्थिति के बारे में बताया गया। हालांकि, उनके स्वास्थ्य के ताजा हालात के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया। उधर, चीन ने भी किम के स्वास्थ्य को लेकर इंटरनेशनल मीडिया में कई तरह की अटकलों के बीच डॉक्टरों की एक टीम उत्तर कोरिया भेजने की बात कही।
3. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे
किम के बारे में ऐसा भी कहा जा रहा है कि वे कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। उत्तर कोरिया की ओर से अभी तक देश में संक्रमण की जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, चीन की मेडिकल टीम और दक्षिण कोरिया का दावा है कि यहां संक्रमण पहुंच गया है। इस बीच दक्षिण कोरिया के सियोल आधारित अखबार जूंगांग डेली ने दावा किया कि किम का एक बॉडीगार्डसंक्रमित है। इसके बाद वे सेल्फ क्वारैंटाइन हो गए हैं। अखबार ने चीन के एक अज्ञात व्यक्ति के हवाले से यह दावा किया है। हैंकूक इल्बो अखबार के मुताबिक 11 अप्रैल को वहां सोशल डिस्टेंसिंग का आदेश भी जारी किया गया था। इसमें तीन लोगों के एक साथ कहीं जुटने पर पाबंदी लगाई गई थी।
4. सेना के मॉक ड्रिल में घायल हुए किम
सेना कीमॉक ड्रिल मेंकिम के घायल होने की बात भी सामने आई है। किम की तलाश शुरू होने के बाद से ही वोन्सान रिजॉर्ट चर्चा में है। वोन्सान में किम परिवार का एक परिसर है, जहां पर मिसाइलें टेस्ट की जाती है। इस बीच एक सैटेलाइट तस्वीर भी सामने आई है, जिसमेंकिम की ट्रेन वोन्सान के रेलवे स्टेशन में खड़ी दिख रही है। 38 नार्थ वेबसाइट की ओर से जारी यह तस्वीर पिछले हफ्ते की बताई जा रही है। अमेरिका में रह रहे उत्तर कोरिया के एक सैनिक ने डूंगा डेली को बताया कि 14 अप्रैल को वोन्सान में सेना की मॉक ड्रिल हुई थी। किम इसमें घायल हो गए। यही वजह रही कि एक दिन बाद वे अपने दादा के कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके।
5. यह महज किम का ध्यान आकर्षित करने का पैंतरा
दक्षिण कोरियाके सांसद यून सांग-ह्युन के मुताबिक- हो सकता है कि किम खुद लापता होकर अपने शासन की ओर ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहे हो। ऐसे में अगले दो हफ्ते के अंदर वे सामने आ सकते हैं, क्योंकिसत्ता परउनकी पकड़ ढीली होने और उनके उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू हो गई है।यून ने डोंगा डेली से कहा है कि अगर किम कुछ हफ्ते में सामने नहीं आए तो यह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता कभी भी किम के इस तरह गायब होने की वजह सामने ही नहीं आए। इससे पहले भी 2014 में वे 6 हफ्तेतक नजर नहीं आए थे। इसकी वजहआज तक सामने नहीं आई।
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डॉक्टरों ने पीपीई किट की मांग को लेकर बिना कपड़ों के प्रदर्शन किया, कहा- नग्नता इस बात का प्रतीक है कि हम बिना सुरक्षा के कितने कमजोर हैं April 27, 2020 at 11:53PM
कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में पूरी दुनिया के डॉक्टर्स जुटे हुए हैं। उधर, जर्मनी के डॉक्टरों के एक ग्रुप ने पीपीई किट की कमी पर ध्यान खिंचने के लिए बिना कपड़ों के प्रदर्शन किया। डॉक्टर्स ने इस प्रोटेस्ट को‘ब्लैंकेबेडेनकेन’ नाम दिया है। ग्रुप के सदस्योंका कहना है कि बिना सुरक्षा किट के महामारी में उन्हेंखतरा महसूस होता है।
उन्होंने कहा कि पहले भी कई बार सरकार को पीपीई किट की कमी को लेकर सूचित किया जा चुका है। लेकिन अभी तक इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रुप से जुड़े रुबेन बरनाउ ने कहा कि उनकी टीम के पास पर्याप्त सुरक्षा किट नहीं हैं। नग्नता इस बात का प्रतीक है कि हम बिना सुरक्षा के कितने कमजोर हैं।
यह प्रदर्शन फ्रांस के डॉक्टर से प्रेरित
डॉक्टर्स तस्वीरों में टायलेट रोल, फाइलों और मेडिकल उपकरण के पीछे बिना कपड़ों में नजर आ रहे हैं। इसमें शामिल डॉ. क्रिस्चियन रेक्टेनवल्ड ने कहा कि हमारा ग्रुप एक फ्रांसीसी डॉक्टर एलेन कोसेमी (61) से प्रेरित था। उन्होंने भी नग्न होकर प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट की कमी को लेकर प्रदर्शन किया था। उनकी तस्वीरें 22 मार्च को सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं।
जर्मन कंपनियां मांग पूरा करने में असमर्थ
जर्मनी के डॉक्टर जनवरी से ही और पीपीई किट के लिए मांग कर रहे हैं। सुरक्षा किट बनाने वाली जर्मन फर्मों ने अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया है। इसके बावजूद वे मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं। कंपनियों का कहना है कि क्लीनिकों, केयर होम्स से लगातार मास्क, चश्मे, गलव्स और एप्रन की मांग की जा रही है। उनकी जरूरतों को ही मुश्किल से पूरा किया जा रहा है।
जर्मनी में 6 हजार से ज्यादा मौतें
मेडिकल स्टाफ ने अस्पतालों से डिसिन्फेक्टेंट (रोगाणुनाशक) और मास्क की चोरी की भी रिपोर्ट की है। इसके लिए पुलिस ने कुछ आपराधिक गिरोह को दोषी ठहराया है। कई अस्पतालों ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है। देश में अब तक एक लाख 58 हजार 758 लोग संक्रमित हैं, जबकि 6126 की मौत हो चुकी है।
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पेंटागन ने रिलीज किए यूएफओ के तीन वीडियो, नेवी पायलटों ने 2004 और 2015 में रिकॉर्ड किया था April 27, 2020 at 11:27PM
पृथ्वी के बाहर की दुनिया और वहां रहने वाले एलियन को लेकर दुनिया में समय-समय पर चर्चाहोती रही है। कई बार उड़न तश्तरी यानी यूएफओ (अनआइडेंटीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) के देखे जाने का भी दावा किया गया है। हालांकि, अभी तक इसकी सच्चाई का नहीं पता चल सका है। अमेरिका रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने सोमवार को यूएफओ के तीन वीडियो जारी किए हैं। नेवादा के पूर्व सीनेट डेमोक्रेटिक नेता हैरी रीड ने भी इन्हें ट्वीट किया है।
इन वीडियों में एक को 2004 में और दो 2015 में अमेरिकी नेवी पायलटों ने रिकॉर्ड किया था। हालांकि, ये वीडियो पहले ही लीक हो चुके हैं। कुछ मीडिया संस्थान भी इनके बारे में रिपोर्ट कर चुके हैं। पेंटागन की वेबसाइट के मुताबिक, ये वीडियो लोगों के बीच किसी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए जारी किए गए हैं।
पेंटागन की प्रवक्ता सू गॉग ने लोगों के बीच इस बात को साफ करने के लिए ये वीडियो जारी किए गए हैं कि क्या वीडियो सही हैं या नहीं और क्या इनके पीछे कुछ और भी है? डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने कहा है कि जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिसके लिए मिलिट्री एयर स्पेस में कोई खतरा पता चले। हालांकि, पेंटागन की ओर से अभी भी इन वीडियो को लेकर कोई साफ राय नहीं दी गई है।
प्रशांत ओशियन में हुई थी 2004 की घटना
यूएफओ देखे जाने की पहली घटना 2004 में पैसिफिक ओशियन में हुई थी। नेवी के पायलट ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि करीब 40 फीट लंबा ऑब्जेक्ट पहले पानी पर मंडराता रहा और फिर तेजी से निकल गया। यूएफओ के दो और वीडियो 2015 में आए। यहां पायलट कह रहा है कि यूएफओ की पूरी फ्लीट मौजूद है। ये चखरी की तरह घूम रहे हैं।
अभी नहीं खुलेगा राज
यूएफओ देखेन जाने की तहकीकात करने के लिए एक एडवांस्ड एयरोस्पेस थ्रेट आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम भी शुरु किया गया था। हालांकि, बाद में कुछ नहीं मिलने पर उसे बंद कर दिया गया। इस प्रोग्राम के हेड रहे लूई एलिजोंडो के मुताबिक इन वीडियो की अभी और जांच की जानी चाहिए।
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दुनिया की अग्रणी संस्थाओं में से एक इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए कोरोना पर जनहानि की बड़ी चेतावनी दी है। ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव डेविड मिलिबैंड की अध्यक्षता वाली इस एजेंसी के मुताबिक दुनिया के 34 सर्वाधिक गरीब देशों में कोविड-19 वायरस का विनाशकारी प्रभाव होगा। इसके कारण करीब एक अरब लोगों में संक्रमण और 30 लाख लोगों की मौत हो सकती है।
इन देशों में भारत का नाम नहीं है लेकिन हमारे 7 पड़ोसी देशों में से तीन- पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमारशामिल हैं। इसके अलावाअफगानिस्तान, सीरिया और यमन जैसे देश शामिल हैं जहां इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी सेवाएं दे रही हैं।
ब्रिटेन की स्कॉय न्यूज से बातचीत में डेविड मिलिबैंड ने कहा कि, कोरोना को लेकर अब तक बड़े कमतर अनुमान लगाए गए हैं, लेकिन वास्तविक जनहानि इससे कहीं अधिक होगी। इस महामारी से मुकाबले के लिए गरीब देशों को बहुत ही कम समय मिला है और इसी वजह से वहां बहुत व्यापक स्तर पर विनाश हो सकता है।
कौन से हैं 34 गरीब देश
आईआरसी ने जिन 34 देशों की स्थितियों का आकलन करके रिपोर्ट बनाई है उनमें ज्यादातर युद्धग्रस्त और शरणार्थियों से प्रभावित देश हैं। इनमें अधिकतम अफ्रीकी और एशियाई देश हैं। ये हैं -अफगानिस्तान, पाकिस्तान,बांग्लादेश, बुरुंडी, बुर्किना फासो, कैमरून, कार, चाड, कोलम्बिया, कोट डी आइवर, डीआरसी, अल सल्वाडोर, इथियोपिया, ग्रीस, इराक, जॉर्डन, केन्या, लेबनान, लाइबेरिया, लीबिया, माली, म्यांमार, नाइजर, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, वेनेजुएला और यमन।
इस रिपोर्ट की बड़ी बातें:
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