Tuesday, September 15, 2020
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- तीन साल पहले ही सीरिया के राष्ट्रपति को खत्म कर देना चाहता था, रक्षा मंत्री ने रोक दिया था September 15, 2020 at 05:45PM
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बड़ा खुलासा किया है। यह खुलासा सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के बारे में है। मंगलवार को ट्रम्प ने कहा- मैं तीन साल पहले यानी 2017 में सीरियाई लीडर बशर अल असद को खत्म कर देना चाहता था। इसके लिए प्लान भी तैयार था। लेकिन, जिम मैटिस (तब के अमेरिकी रक्षा मंत्री) ने मुझे असद को खत्म करने से रोक दिया था।
मंगलवार को अमेरिका की मध्यस्थता के बाद इजराइल ने बहरीन और यूएई के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने का समझौता किया था। ट्रम्प ने इसे अपनी बड़ी कामयाबी भी करार दिया।
क्या कहा ट्रम्प ने
एक टीवी शो के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने पहली बार सीरियाई नेता को लेकर इतने तल्ख तेवर दिखाए। कहा- मैं उन्हें बाहर निकाल देना चाहता हूं। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली थी। मैं उन्हें खत्म कर देना चाहता था। 2017 में इसके लिए पूरा ऑपरेशन प्लान किया जा चुका था। लेकिन, मैटिस इसके लिए तैयार नहीं थे। मैटिस को बहुत ज्यादा तवज्जो दी जाती थी। मैंने उन्हें भी हटा दिया था।
मैटिस से दूरियां
मैटिस को लेकर ट्रम्प की नाराजगी पहली बार सामने नहीं आई। दो साल पहले भी उन्होंने इस अमेरिकी जनरल के रवैये पर नाराजगी जताई थी। खास बात यह है कि ट्रम्प ही मैटिस को पेंटागन में लेकर आए थे। लेकिन, सीरिया और कुछ दूसरे मुद्दों पर ट्रम्प मैटिस से सहमत नहीं थे। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार मैटिस को महान जनरल भी कहा था। बहरहाल, दोनों करीब एक साल ही साथ काम कर सके। 2018 के आखिर में मैटिस ने इस्तीफा दे दिया था।
अमेरिकी कमांडो तैयार थे
सीरियाई लीडर असद पर आरोप है कि उन्होंने अप्रैल 2017 में नागरिकों पर कैमिकल अटैक कराया था। इसके कुछ फोटोग्राफ भी सामने आए थे। ये वे नागरिक थे, जो असद के विरोधी माने जाते थे। कैमिकल अटैक की कभी पुष्टि नहीं हो सकी। लेकिन, ट्रम्प ने उसी वक्त वादा किया था कि असद को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प ने 2017 के आखिर में अमेरिकी फौज और कमांडो दस्ते को आदेश दिया था कि वो असद को खत्म कर दे। लेकिन, मैटिस की वजह से यह मुमकिन नहीं हो पाया। ट्रम्प ने कहा- असद अच्छे आदमी तो बिल्कुल नहीं हैं।
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इजराइल, यूएई और बहरीन के बीच कूटनीतिक संबंध शुरू करने का समझौता; ट्रम्प ने कहा- पांच या छह अरब देश और जुड़ेंगे September 15, 2020 at 05:01PM
इजराइल ने दो खाड़ी देशों यूएई और बहरीन के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मौजूदगी में इस पर दस्तखत किए गए। व्हाइट हाउस में यह कार्यक्रम हुआ। दोनों अरब देशों के साथ अब इजराइल के औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते शुरू होंगे। अमेरिका ने इस समझौते में सबसे अहम भूमिका निभाई है।
समझौते के बाद ट्रम्प ने कहा- यह एक नई और बेहतरीन शुरुआत है। बहुत जल्द पांच या छह अरब देश भी इसी तरह के समझौते करेंगे। माना जा रहा है कि ट्रम्प का इशारा सऊदी अरब और ओमान की तरफ था।
मिडल-ईस्ट में नई शुरुआत
अरब देशों और इजराइल के संबंध कई दशकों तक बेहद खराब रहे। दोनों पक्ष एक दूसरे को खतरा मानते रहे। कूटनीतिक तौर पर भी दुश्मन देश का दर्जा दिया गया। अब ट्रम्प की कोशिशें रंग लाईं हैं। पिछले महीने इजराइल और यूएई के बीच शांति समझौता हुआ था। अब इसमें बहरीन भी जुड़ गया है। मंगलवार को हुए समझौते का सबसे खास पहलू है, तीनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक मिशन की शुरुआत। आसान भाषा में कहें तो बहरीन और यूएई अब इजराइल के साथ कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत करेंगे।
समझौते के क्या मायने
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगले महीने तक एक फ्रेमवर्क तैयार होगा। इसके साथ ही तीनों देश एम्बेसेडर और बाकी स्टाफ का नाम तय कर लेंगे। फिर यह लिस्ट एक दूसरे को भेजी जाएगी। विदेश मंत्रालय की मंजूरी के बाद कामकाज शुरू होगा। दो चीजों को लेकर अरब देश बेहद उत्साहित हैं। पहला- कारोबार और दूसरा- डिफेंस। अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका में होगा। तीनों देश एक दूसरे के यहां कारोबार कर सकेंगे। इजराइल को बाजार की जरूरत है और मिडिल ईस्ट के इन दो देशों को तकनीक की। यानी सौदा दोनों के लिए फायदे का ही होगा।
ट्रम्प का इशारा
समझौते के बाद ट्रम्प ने एक बड़ा संकेत दिया। डिप्लोमैटिक वर्ल्ड में इसके खास मायने हैं। ट्रम्प ने कहा- इंतजार कीजिए। जल्द ही पांच या छह अरब देश और इजराइल के साथ इस तरह के करार करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका अब सऊदी अरब और ओमान के संपर्क में है। जल्द ही ये दोनों देश भी इजराइल के साथ कूटनीतिक रिश्ते शुरू कर सकते हैं। ऐसे में मुस्लिम देश दो हिस्सों में बंट सकते हैं। तुर्की और पाकिस्तान इस समझौते के खिलाफ हैं।
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इजराइल और दो खाड़ी देशों के बीच के शांति समझौते को ट्रम्प ने अपनी जीत बताया, खुद को पीसमेकर के तौर पर प्रोजेक्ट किया September 15, 2020 at 04:57PM
इजराइल के प्रधानमंत्री बेजामिन नेतन्याहू राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पुराने कर्जदार हैं। जब-जब नेतन्याहू राजनीतिक संकटों में घिरे, ट्रम्प ने कूटनीतिक तरीके से उनकी मदद की। खाड़ी देशों के नेता भी ट्रम्प के आभारी हैं, क्योंकि ट्रम्प ने उनके कट्टर दुश्मन ईरान पर हमेशा सख्ती की है। इन देशों को अमेरिका में आलोचना झेलने से बचाया। यही वजह है कि नेतन्याहू की तरह खाड़ी देश के नेता भी चाहते हैं कि ट्रम्प को नवंबर में दोबारा जीत हासिल हो।
व्हाइट हाउस में मंगलवार ( स्थानीय समयानुसार) को इजराइल और दो खाड़ी देशों संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन के बीच नए समझौते पर हस्ताक्षर हुए। ट्रम्प इस समझौते को ऐतिहासिक बताकर प्रमोट कर रहे हैं। इसमें नेतन्याहू और खाड़ी देशों के चुनिंदा अफसर शामिल हुए। सभी ने ट्रम्प के लिए अपना समर्थन दिखाया।
समझौते से पूरी तरह शांति कायम नहीं होगी
वास्तविकता यह है कि समझौते से पूरी तरह शांति कायम नहीं होगी, जैसा कि ट्रम्प दावा करते हैं। इससे सिर्फ इजराइल और उन देशों ( बहरीन और यूएई) के बीच संबंध सामान्य होंगे। इन देशों के बीच लोग यात्रा कर सकेंगे और डिप्लोमैटिक संपर्क बढ़ेंगे। ये ऐसे देश हैं जिन्होंने कई सालों से एक दूसरे से लड़ाई नहीं लड़ी है। वास्तव में ये पहले ही एक दूसरे के साथी रहे हैं खासतौर पर ईरान के खिलाफ एकजुट रहे हैं।
समझौते को लेकर ट्रम्प के दावे
ट्रम्प कैंपेन के नए विज्ञापनों में दावा किया जा रहा है कि विदेश नीति पर राष्ट्रपति ट्रम्प के संदेशों से वे इस समझौते के लिए तैयार हुए हैं। ट्रम्प इनके बीच की सभी आपसी कड़वाहट और अनिश्चितताओं को दूर करके अस्त-व्यस्त मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया) में सौहार्द बना रहे हैं।
ट्रम्प कैंपेन के फेसबुक विज्ञापन में पिछले हफ्ते बताया गया कि ट्रम्प ने मिडिल ईस्ट में शांति बनाने में उपलब्धि हासिल की है। इसके लिए उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है। इसमें भी नोबेल की स्पेलिंग गलत ही लिखी थी। हजारों लोग इसके लिए एंट्री भेजते हैं और कोई भी इसके लिए नॉमिनेट हो सकता है। नॉर्वे के दो राइट विंग के नेताओं ने इसके लिए ट्रम्प को नॉमिनेट किया था।
यह ट्रम्प का राजनीतिक एजेंडा:विशेषज्ञ
जेविश डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ अमेरिका की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेली सोफी ने कहा- इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि यह सबकुछ चुनाव से बस 48 दिन पहले हो रहा है। इजराइल में हुए पिछले तीन चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प ने वहां के पीएम नेतन्याहू को मदद करने की कोशिश की। अब नेतन्याहू अपने देश में राजनीतिक संकट होने के बावजूद वॉशिंगटन आ रहे है। मिडिल ईस्ट में शांति वार्ता हाथ की सफाई की तरह है। यह मानना होगा कि यह ट्रम्प का राजनीतिक एजेंडा है। ट्रम्प की दिलचस्पी चुनाव में फायदे के लिए इसे इस्तेमाल करने की है।
‘खाड़ी देशों को बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से डर’
तेल अवीव के इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के सीनियर फैलो और इजराइल नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पूर्व प्रमुख योल गुजांस्की भी कमोबेश यही मानते हैं। योल ने कहा- वे देश चाहते हैं कि ट्रम्प सत्ता में बने रहें। वे बाइडेन के राष्ट्रपति बनने को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि बाइडेन मानवाधिकार जैसे मुद्दों को लेकर उनपर सख्त और ईरान पर नरम हो सकते हैं। अगर बाइडेन आए तो ट्रम्प उन हथियारों की बिक्री पर भी रोक लगा सकते हैं जिन पर ट्रम्प को घमंड है।
ट्रम्प के ऑफिसर्स का क्या मानना है
इन सबके बीच ट्रम्प प्रशासन के ऑफिसर्स समझौते को चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल की बात का खंडन करते हैं। वे कहते हैं कि आलोचक इजराइल और खाड़ी देशों को आपस में जोड़ने के लिए ट्रम्प को उनकी कड़ी डिप्लोमैटिक मेहनत का श्रेय नहीं देना चाहते। हालांकि ये ऑफिसर अब तक इस बात को लेकर निश्चित नहीं है कि अरब वर्ल्ड लंबे समय तक दुश्मन बताए गए इजराइल को पार्टनर के तौर पर अपनाने के लिए तैयार है या नहीं।
ऐस मौका कभी कभी मिलता है: कुशनर
समझौते में अहम भूमिका निभाने वाले ट्रम्प के दामाद और एडवाइजर जैरेड कुशनर ने कहा- इजराइल और बहरीन या इजराइल या यूएई के बीच कई बार बात हुई। ये बातचीत कई स्तरों पर हुईं। हमने दोनों पक्षों के बीच भरोसा बनाने की कोशिश की। इजराइल के साथ दो खाड़ी देशों के बीच समझौते पर उन्होंने कहा कि किसी शांति समझौते को देखना का मौका कभी-कभी ही होता है। इससे भी मुश्किल एक ही दिन में दो शांति समझौतों का अनुभव करना है।
ये है खाड़ी देशों के समझौते करने की वजहें
ट्रम्प के मिडिल ईस्ट के पार्टनर्स के लिए यह समझौते करने की वजहें हैं। उन्हें व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में उन्हें 200 दूसरे मेहमानों के साथ इसमें शामिल होने का मौका मिलेगा। सऊदी अरब और यूएई यमन के सिविल वार में सैन्य दखल देने की वजह से अमेरिका छवि बिगड़ी है, इससे उसे सुधारने में मदद मिलेगी। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 2018 में जर्नलिस्ट जमाल खशोगी की हत्या के बाद अलग थलग पड़ गए हैं। यह उनके लिए भी मददगार होगा। ऐसा माना जा रहा है कि मोहम्मद बिन सलमान को निजी तौर पर समर्थन दे रहे हैं।
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डब्ल्यूएचओ ने कहा- 20 साल से कम उम्र वाले सिर्फ 10 फीसदी लोग संक्रमित हुए; दुनिया में अब तक 2.97 करोड़ केस September 15, 2020 at 03:51PM
दुनिया में अब संक्रमितों का आंकड़ा 2 करोड़ 97 लाख 15 हजार 706 हो चुका है। अच्छी खबर ये है कि ठीक होने वालों की संख्या भी अब 2 करोड़ 15 लाख से ज्यादा हो चुकी है। वहीं, महामारी में मरने वालों की संख्या 9 लाख 38 हजार से ज्यादा हो गई है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अब बात करते हैं दुनियाभर में कोरोनावायरस से जुड़ी कुछ अहम खबरों की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो 20 साल से कम उम्र के लोगों पर महामारी का खतरा काफी कम है। इसकी एक वजह उनकी ज्यादा बेहतर इम्युनिटी है।
डब्ल्यूएचओ : युवाओं को खतरा कम
दुनियाभर में अब तक कोविड-19 के जितने मामले सामने आए हैं, उनमें 20 साल से कम उम्र वाले मरीजों की संख्या 10 फीसदी से भी कम है। इस उम्र वाले सिर्फ 0.2 फीसदी लोगों की मौत हुई। यह आंकड़े मंगलवार रात डब्ल्यूएचओ ने जारी किए। संगठन ने हालांकि, यह भी कहा कि इस बारे में अभी और रिसर्च की जरूरत है क्योंकि बच्चों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। संगठन ने कहा- हम जानते हैं कि बच्चों के लिए भी यह वायरस जानलेवा है। उनमें भी हल्के लक्षण देखे गए हैं। लेकिन, यह भी सही है कि उनमें डेथ रेट काफी कम है।
न्यूजीलैंड : वायरस पर काबू
न्यूजीलैंड ने एक बार फिर सख्त उपायों के जरिए वायरस पर काबू पाने में सफलता हासिल की है। यहां मंगलवार को लगातार दूसरे दिन कोई नया मामला सामने नहीं आया। हालांकि, इसके बावजूद हेल्थ मिनिस्ट्री काफी सावधानी बरत रही है। उन इलाकों पर खासतौर पर नजर रखी जा रही है, जहां पहले और दूसरे दौर में मरीज सामने आए थे। सरकार ने आईसोलेशन और क्वारैंटीन फेसेलिटीज को नए सिरे से गाइडलाइन जारी की हैं। न्यूजीलैंड में अब तक कोरोनावायरस से 25 लोगों की मौत हो चुकी है।
प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने मंगलवार को कहा- हम हालात को लेकर कतई लापरवाह नहीं हो सकते। कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा कभी भी घातक हो सकता है। प्रतिबंध सोमवार तक जारी रहेंगे।
यूनिसेफ: दुनिया के आधे बच्चे स्कूल नहीं जा रहे
महामारी ने बच्चों को काफी हद तक प्रभावित किया है। यूनिसेफ की एग्जीक्युटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोरे ने कहा- 192 देशों में आधे से ज्यादा बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। महामारी ने इन पर गंभीर असर डाला है। करीब 16 करोड़ स्कूली बच्चे इन दिनों घर में हैं। फोरे ने कहा- यह सुकून की बात है कि दूर-दराज में रहने वाले लाखों बच्चे टीवी, इंटरनेट या ऐसे ही दूसरे किसी माध्यम के जरिए शिक्षा हासिल कर पा रहे हैं।
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Japan's PM Shinzo Abe resigns, clearing way for successor September 15, 2020 at 03:11PM
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स भारत के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन का 200 करोड़ डोज तैयार करेगी September 15, 2020 at 09:03AM
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर साल में कोरोना वैक्सीन का 200 करोड़ खुराक तैयार करेगी। अगस्त में नोवावैक्स ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ डील साइन की थी। समझौते के मुताबिक, कम और मध्यम आय वाले देशों और भारत के लिए कम के कम 100 करोड़ खुराक का उत्पादन किया जाएगा।
कंपनी अब विस्तारित समझौते के तहत वैक्सीन के एंटी जन कंपोनेंट का भी निर्माण करेगी, जिसे NVX‑CoV2373 कहा जाता है। नोवावैक्स ने कहा कि 2021 के मध्य तक मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ाकर 200 करोड़ खुराक से ज्यादा का उत्पादन किया जाएगा। नोवावैक्स की वैक्सीन फिलहाल मिड-स्टेज ट्रायल में है।
ब्रिटेन में 6 करोड़ खुराक की आपूर्ति करेगा
शुरुआती स्टेज से पता चला है कि यह कोरोनावायरस के खिलाफ हाई-लेवल एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करता है। पिछले महीने नोवावैक्स ने कहा था कि वह ब्रिटेन में 2021 की पहली तिमाही की शुरुआत में 6 करोड़ खुराक की आपूर्ति करेगा।
अमेरिका और नोवावैक्स के बीच टीके के लिए 12 हजार करोड़ रु की डील
कंपनी जनवरी तक अमेरिका में 10 करोड़ खुराक देने की तैयारी कर रही है। टीका के लिए अमेरिका के साथ कंपनी की 1.6 बिलियन डॉलर (करीब 12 हजार करोड़ रु.) की डील हुई है। इसके साथ ही कनाडा और जापान के साथ भी टीके की आपूर्ति के लिए समझौते किए गए हैं।
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प्रचार वीडियो में बिल्डिंग्स और पुलिस की कारें जलाते नजर आ रहे अश्वेत; रंगों के आधार पर भेदभाव की बात कही गई September 15, 2020 at 04:07AM
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में नस्लभेद का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। एक अश्वेत चर्च के लीडर्स ने ट्रम्प कैंपेन की ओर से जारी हुए वीडियो को ‘व्हाइट टेररिज्म’ बढ़ाने वाला बताया है। इसमें लोगों से रंगों के आधार पर भेदभाव करने और चर्च जाने वालों को ठग कहे जाने की बात कही गई है।
साथ ही आशंका जाहिर की है कि इस वीडियो को देखने के बाद लोगों की भावनाएं भड़क सकती हैं। ऐसे में अश्वेतों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। ट्रम्प कैंपेन से वीडियो को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से हटाने की मांग भी की गई है। वीडियो को ‘मीट जो बाइडेन सपोटर्स’ के नाम से जारी किया गया है। फिलहाल यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। इसमें देश में हुए अश्वेत प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के कई शॉट्स भी हैं।
वीडियो में क्या है?
1 मिनट 9 सेकंड के इस वीडियो में अश्वेत बिल्डिंग्स और पुलिस की कारें जलाते नजर आ रहे हैं। इसके बाद डेमोक्रेट्स के राष्ट्रपति पद के कैंडिडेट जो बाइडेन को विलमिंग्टन में बैथेल अफ्रीकन मेथेडिस्ट एपिस्कोपल (एएमई) चर्च के बाहर घुटने के बल बैठे नजर आ रहे हैं। बाइडेन के साथ चर्च के कई अश्वेत क्लर्गी मेम्बर्स (चर्च में धार्मिक काम करने वाले लोग) भी खड़े दिख रहे हैं। इस बीच बैकग्राउंड में उपराष्ट्रपति माइक पेंस की आवाज सुनाई देती है- आप जो बिडेन के अमेरिका में सुरक्षित नहीं हैं। वीडियो के अंत में लिखा है- जो बाइडेन और उसके दंगाइयों को रोकें।
‘वीडियो के लिए माफी मांगे ट्रम्प कैंपेन’
बैथेल पैस्टर सिल्वेस्टर बीमैन ने कहा- यह प्रचार कैंपेन अपमानजनक है। व्हाइट सुपरमैसी के खिलाफ न झुकने वाले अश्वेतों के खिलाफ है। इसके लिए ट्रम्प कैंपेन को तुरंत एएमई चर्च से माफी मांगनी चाहिए। कानून और होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट को इसकी जांच करनी चाहिए। पता लगाना चाहिए कि फोटो और वीडियो को इस तरह गलत ढंग से पेश करना कानूनन सही है या नहीं। उन्होंने कहा कि चुनाव को देखते हुए कुछ राजनीतिक पार्टियां व्हाइट सुपरमैसी को बढ़ावा दे रही हैं। वे अश्वेतों के खिलाफ नफरत फैला रही हैं।
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डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बोलीं- जब बाइडेन ने चुनाव लड़ने को कहा तो सबसे पहले मां का खयाल आया, लगा वो ऊपर से देख रही हैं September 15, 2020 at 03:37AM
डेमोक्रेट्स की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कमल हैरिस भारतवंशियों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहीं। उन्होंने सोमवार को एक फंड रेजर प्रोग्राम में एक बार फिर से अपनी भारतीय मां का जिक्र किया। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा- जब जो बाइडेन ने मुझे साथ में चुनाव लड़ने और उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनाने की पेशकश की तो सबसे पहले मां का ख्याल आया। मुझे लगा वो मुझे ऊपर से देख रही होंगी और मेरे बारे में ही सोच रही होंगी।
कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1957 में ग्रेजुएशन करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका पहुंची थीं। उन्होंने बाद में अमेरिका के नामी कैंसर विशेषज्ञ के तौर पर पर पहचान बनाई। हैरिस पहले भी कई बार अपने भाषणों में अपनी मां के बारे में कह चुकी हैं। उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनने के बाद वे कई बार अपने नाना-नानी की यादों को भी शेयर कर चुकी हैं।
‘पति सुन रहे थे चुनाव में टिकट मिलने से जुड़ी बातचीत’
हैरिस ने बताया- मुझे और मेरी टीम को फोन कर बताया गया कि बाइडेन बात करना चाहते हैं। कुछ देर बाद ही यह फोन आया कि वे जूम कॉल करना चाहते हैं। इसके बाद मैं अपने छोटे से ऑफिस में जाकर उनसे कनेक्ट हुई। बातचीत शुरू करते ही उन्होंने मुझे टिकट देने की पेशकश कर दी। जब हमारी कॉल शुरू हुई तो मेरे पति डग एमहॉफ दरवाजे पर कान लगाकर सुनने की कोशिश कर रहे थे। बाद में बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन और मेरे पति एमहॉफ भी इस कॉल से जुड़े।
सत्ता में आई तो महामारी बोर्ड का गठन करेंगे: हैरिस
हैरिस ने सत्ता में आने के बाद अगले सौ दिन में किए जाने वाले कामों पर पूछे जाने पर कहा- सबसे पहले हम एक महामारी बोर्ड का गठन करेंगे। इसका काम देश में कोरोना टेस्टिंग से जुड़े कामों को देखना होगा। यह तय किया जाएगा कि टेस्ट सही ढंग से और ज्यादा हो। इसके साथ ही एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए आर्थिक सुधार किए जाएंगे। टैक्स पेयर्स के पैसे से अमेरिकी सप्लाई चेन और उत्पादों को मदद करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। हम नाटो के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश करेंगे।
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1. कमला हैरिस भारतीय मां और जमैकन पिता की बेटी हैं, लेकिन खुद को अमेरिकी कहलवाना ज्यादा पसंद
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मीटिंग में पाकिस्तान ने जानबूझकर विवादित नक्शा रखा, विरोध में भारत के NSA डोभाल ने मीटिंग छोड़ी September 15, 2020 at 03:25AM
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के सदस्य देशों के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरों की बैठक में पाकिस्तान ने भारत विरोधी हरकत की। पाकिस्तान के एनएसए ने इस बैठक में वो नक्शा जानबूझकर प्रोजेक्ट किया, जिसे हाल ही में उनकी सरकार ने मंजूरी दी है।
भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने इस हरकत का विरोध जताते हुए बैठक का बायकॉट कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मॉस्को में रूस की मेजबानी में हो रही इस बैठक में पाकिस्तान ने जो किया, वह साफतौर पर बैठक के नियमों का उल्लंघन है। भारत ने मेजबान के साथ इस पर विचार-विमर्श के बाद बैठक छोड़ दी। हालांकि, पाकिस्तान इसके बाद भी बैठक का गलत नजरिया पेश करता रहा।
5 अगस्त से पहले पाकिस्तान ने जारी किया था नक्शा
पाकिस्तान ने अगस्त में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए एक नक्शा जारी किया था। इसमें गुजरात के जूनागढ़ और सर क्रीक को भी पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया था। इस नक्शे का इस्तेमाल पूरे देश के पाठ्यक्रम में किया जाएगा। पाकिस्तान ने यह कदम 5 अगस्त से ठीक एक दिन पहले उठाया था। पिछले साल इसी दिन भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था।
इमरान कैबिनेट ने दी थी नक्शे को मंजूरी
प्रधानमंत्री इमरान खान ने कैबिनेट बैठक में पहली बार जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को अपना हिस्सा बताते हुए पाकिस्तान के नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दी थी। इमरान ने कहा कि नए नक्शे को सभी राजनीतिक दलों और पाकिस्तान के लोगों का समर्थन है।
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Putin opponent Navalny posts photo from hospital, plans to return to Russia September 15, 2020 at 02:53AM
जंगलों की आग पर ट्रम्प ने विज्ञान को नकारा; जो बाइडेन बोले- ट्रम्प जलवायु में आग लगाने वाले September 15, 2020 at 12:17AM
पश्चिमी अमेरिका के जंगलों में लगी आग ने काफी नुकसान पहुंचाया है। इसके लिए जलवायु परिवर्तन यानी क्लाइमेट चेंज भी एक कारण बताया जा रहा है। लेकिन, राष्ट्रपति पद को दो उम्मीदवार इस मसले पर बयानबाजी में उलझ गए हैं। डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को जलवायु में आग लगाने वाले शख्स करार दिया। वहीं, ट्रम्प ने कहा- जंगलों में आग क्यों लगी? मुझे नहीं लगता इसका जवाब साइंस भी दे पाएगा।
दोनों के बीच अहम मुद्दे पर मतभेद साफ नजर आते हैं। राष्ट्रपति क्लाइमेट चेंज को गंभीरता से ही नहीं लेते। इसके लिए बनाए गए नियमों को ही चुनौती देते हैं। दूसरी तरफ, बाइडेन हैं। वे ग्रीनहाउस गैसेज को मौसम में भारी बदलाव की वजह मानते हैं।
हफ्तों बाद जागे ट्रम्प
कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग पर कई हफ्ते चुप रहने वाले ट्रम्प आखिरकार कैलिफोर्निया पहुंचे। आग से हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा। धुएं से आसमान का रंग बदल गया। और 27 लोगों की मौत हुई। हैरानी की बात है कि यहां ट्रम्प ने कमजोर फॉरेस्ट मैनेजमेंट को दोषी ठहराया, क्लाइमेट चेंज को नहीं। बाइडेन ने इसका जवाब विलमिंगटन में दिया। कहा- मध्य और पश्चिमी अमेरिका में बाढ़, तूफान जैसी आपदाएं आईं। ट्रम्प अगर दूसरे टर्म यानी कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं तो देश के उपनगरीय इलाकों को खतरा पैदा हो जाएगा।
बाइडेन के सवाल
बाइडेन ने कहा- अगर हम ट्रम्प को चार साल और देते हैं तो क्लाइमेट के मुद्दे को वे ऐसे ही नकारते रहेंगे। कितने जंगल और खाक होंगे? कितने शहर और बाढ़ में बहेंगे? तूफान में कितने शहर और उजड़ेंगे। अगर आप जलवायु को आग के हवाले करने वाले को चुनेंगे तो यह अमेरिका को आग में झोंकने जैसा होगा। सोमवार हवा की रफ्तार तेज थी। आग भड़की। दोपहर में अमेरिका के ज्यादातर हिस्से, यहां तक कि न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन के आसमान में धूल और धुएं का गुबार देखा गया।
इसकी वजह से कुछ फायरफाइटिंग एयरक्राफ्ट उड़ान नहीं भर पाए। इदाहो, ओरेगन और कैलिफोर्निया के नए इलाकों तक आग फैली। ओरेगन में 10 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। 22 लापता हैं। राज्य के चीफ फॉरेस्ट ऑफिसर डद ग्रेफे ने कहा- हमें कुछ कामयाबी मिली है। बुधवार और गुरुवार को बारिश से कुछ मिलती, लेकिन बिजली गिरने से खतरा बढ़ भी सकता है।
ट्रम्प को भी नजर आया धुआं
सोमवार को ट्रम्प सेक्रामेंटो पहुंचे। इसके पहले उन्होंने वाइल्ड फायर का जिक्र तक नहीं किया था। यहां करीब 3 लाख 63 हजार एकड़ में जंगल खाक हो चुका है। यहां ज्यादातर हिस्से में आग पर काबू पाया जा चुका है। मैक्लान एयरपोर्ट पर उन्हें प्लेन से निकलते ही धुआं नजर आया। यहां वे इस आपदा पर बोले। राष्ट्रपति ने कहा- जब पेड़ गिरकर सूख जाते हैं तो वो माचिस की तीली की तरह हो जाते हैं। सूखी पत्तियां भी होती हैं। ये आग में घी का काम करती हैं। इसलिए मामला फॉरेस्ट मैनेजमेंट से जुड़ा है, क्लाइमेंट चेंज से नहीं।
कैलिफोर्निया के गवर्नर ने कहा- यहां के कुल जंगलों का महज 3 फीसदी राज्य के पास है। 57 फीसदी तो केंद्र सरकार के पास है। जाहिर है, ट्रम्प ने फॉरेस्ट मैनेजमेंट का मुद्दा तो उठाया, लेकिन गवर्नर ने उन्हें तथ्य बताकर लाजवाब कर दिया।
राष्ट्रपति से तल्ख सवाल
कैलिफोर्निया के नैचुरल रिर्सोसेज सेक्रेटरी ने ट्रम्प से कहा- अगर समस्या को साइंस के नजरिए से नहीं देखा जाएगा तो कैलिफोर्निया के लाखों लोगों को बचाना मुश्किल हो जाएगा। ट्रम्प ने इसे हल्के में लिया। कहा- मुझे लगता है कि साइंस के पास इन बातों का जवाब है। मेयर डेरेल स्टिनबर्ग ने कहा- क्लाइमेट इमरजेंसी के मुद्दे पर हमें नेशनल लीडरशिप चाहिए। पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रम्प ने जो कहा है वो गलत नहीं है, लेकिन इसके वैज्ञानिक पक्ष को भी खारिज नहीं करना चाहिए। ट्रम्प के समर्थकों ने उनके तर्कों की सराहना की।
बाइडेन का क्लीन एनर्जी पर फोकस
बाइडेन क्लाइमेट चेंज को चुनौती मानते हैं। उन्होंने वादा किया कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो चार साल में दो अरब डॉलर क्लीन एनर्जी पर खर्च किए जाएंगे। तेल, गैस और कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाएगा। पांच लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन्स बनाए जाएंगे। 15 लाख एनर्जी एफिशिएंट घर बनाए जाएंगे। 2035 तक पावर सेक्टर से कार्बन उत्सर्जन बंद किया जाएगा।
ट्रम्प के रुख से रिपब्लिकन पार्टी के पॉलिटिकल कन्सल्टेंट विट आयरेश भी नाखुश हैं। उन्होंने कहा- क्लाइमेट चेंज और साइंस को नकारना राष्ट्रपति के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगा।
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यूएन में महिलाओं की अहम कमेटी का सदस्य बना भारत; 54 सदस्यों की वोटिंग में चीन तो आधे वोट भी नहीं मिले September 14, 2020 at 09:14PM
संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली। भारत को कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ वुमन (सीएसडब्लू) का सदस्य चुन लिया गया है। यह कमेटी यूएन की ही इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल (ईसीओएसओसी) का हिस्सा है। भारत का कार्यकाल 2021 से 2025 तक रहेगा। कमेटी में चुनाव के लिए 54 मेंबर्स ने वोटिंग की। भारत को सबसे ज्यादा वोट मिले। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीन को कुल वोटों के आधे भी नहीं मिल सके।
तिरूमूर्ति ने दी जानकारी
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इस बारे में जानकारी देने के लिए ट्वीट किया। कहा, “भारत ने यूएन की एक अहम काउंसिल ईसीओएसओसी की सीएसडब्लू कमेटी में जगह बनाई है। यह बताता है कि लैंगिग समानता और महिला सशक्तिकरण को लेकर हम कितने गंभीर प्रयास कर रहे हैं। समर्थन देने वाले देशों के हम शुक्रगुजार हैं।” ट्वीट में भारतीय विदेश मंत्रालय को भी टैग किया गया है।
तीन देश दौड़ में थे
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सीएसडब्लू का मेंबर बनने के लिए भारत, चीन और अफगानिस्तान दौड़ में थे। 54 देशों की वोटिंग में भारत और अफगानिस्तान को जीत मिली। चीन को भारत के मुकाबले आधे वोट भी नहीं मिल पाए। सीएसडब्लू जेंडर इक्वेलिटी यानी लैंगिग समानता के क्षेत्र में काम करती है। 1946 में यह कमेटी बनाई गई थी। ईसीओएसओसी में एक वक्त में 45 सदस्य होते हैं। 11 सदस्य एशिया से चुने जाते हैं। इनके अलावा 9 लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों से, 8 पश्चिमी यूरोप और चार पूर्वी यूरोप से होते हैं।
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