गुजरात के पास पाकिस्तानी आर्मी का एक ट्रेनी विमान सोमवार को क्रैश हो गया है। पाकिस्तान मीडिया के मुताबिक, हादसे में दो पायलट के मरने की पुष्टि हुई है। इस विमान ने आर्मी की रुटीन ट्रेनिंग के दौरान उड़ान भरी थी। पाकिस्तान के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) के मेजर उमर ने बताया हादसे में इंस्ट्रक्टर पायलट मेजी उमर और ट्रेनी पायलट लेफ्टिनेंट फैजान की मौत हो गई। मेजर उमर पाकिस्तान के गुजरात और फैजान चकवाल के कलार कहर के रहने वाले थे।
पिछली महीनों की अवधि में यह पांचवापीएएफ प्रशिक्षण विमान हादसा है। पूर्व में हुई दुर्घटनाओं में दो पायलटों की मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि बीते वर्ष जून में एक हेलीकॉप्टर के दर्घटनाग्रस्त होने से चार सैन्यकर्मी भी मारे गए थे।
8 मार्च को इस्लामाबाद के पास क्रैश हुआ था पीएएफ का विमान
पाकिस्तान वायुसेना (पीएएफ) का फाइटर जेट एफ-16 प्लेन 8 मार्चको गणतंत्र दिवसकी परेड की रिहर्सल के दौरान क्रैश हो गया। हादसे में विमान उड़ा रहे विंग कमांडर नौमान अकरम की मौत हो गई। प्लेन क्रैश होने से पहले विंग कमांडर नौमान इजेक्ट करने में सफल रहे थे। हालांकि, वे बाद में आग से झुलस गए, जिससे उनकी मौत हो गई। विमान का मलबा इस्लामाबाद के पास शकरपारियां के जंगल में मिला।
फरवरी में पांच दिन के अंदर दो विमान क्रैश हुए थे
7 फरवरी को पाकिस्तानी वायुसेना का मिराज विमान लाहौर मुल्तान मोटरवे पर क्रैश हुआ था। हालांकि इसमें सवार पायलट समय से इजेक्ट करने के कारण बच गए थे। इसके महज पांच दिन बाद ही 12 फरवरी को रूटीन ट्रेनिंग मिशन के दौरान ट्रेनर विमान खैबर पख्तूनख्वा में तख्त भाेई के पास क्रैश हुआ था। इससे पहले जनवरी में भी ट्रेनिंग मिशन के दौरान मियांवाली के पास एफटी-7 ट्रेनिंग विमान क्रैश हुआ था, जिसमें दोनों पायलटों की मौत हो गई थी।
New York City, the epicenter of the COVID19 pandemic in the US, now alone has over 100,000 novel coronavirus cases, more than the confirmed cases in China and the UK, according to the official data. An increase of at least 5,695 cases on Sunday put New York City's total number of coronavirus infections at over 104,410 as of April 12 and 27,676 hospitalisations.
Some European nations have started tentative moves to ease their shutdowns. Hard-hit Spain, which on Sunday reported its lowest daily growth in infections in three weeks, will allow workers in some nonessential industries to return to factories and construction sites Monday.
In Serbia and a handful of other friendly countries, China is providing on-the-ground guidance to help battle the coronavirus that has swept around the world. That methodology is based on the aggressive and comprehensive approach China took to combat the virus, including the lockdown of Wuhan.
पश्चिमी देशों के आतंकवाद रोधी विशेषज्ञों का दावा है कि पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और दूसरे आतंकी समूह कोरोनावायरस महामारी के समय का लाभ उठा सकते हैं। वे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जिहादियों की नई भर्ती करेंगे। महामारी के दौरान आए आर्थिक संकट में ये आतंकी समूह लोगों को बरगलाएंगे। उन्हें रुपयों का लालच देकर जिहादी बनाएंगे। ब्रुसेल्स के थिंक-टैंक और साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के रिसर्च निदेशक डॉ सिगफ्रीड वोल्फ ने दावा किया है कि हिजबुल मुजाहिदीन समेत दूसरे आतंकी समूहों ने आर्थिक संकट के समय का लाभ उठाकरजिहादियों की टुकड़ियों को तैयार किया है।
आतंकी समूह काफी दिनों से ऐसे किसी मौके की तलाश में थे। जिसमें वे युवाओं कोबरगला कर अपना प्रोपेगेंडा चला सकें। कोरोनावायरस के दौरान लॉकडाउन के कारण काम बंद होने से हजारों युवाओं का रोजगार छिन गया है। बड़े पैमाने पर आर्थिक परेशानियों खड़ी हो गई हैं। ऐसे में बेरोजगार युवाओं को जो भी खाना और रुपया देगा वह उसके लिए काम करना शुरू कर देंगे।
आतंकियों ने लोगों को भड़काया तो सरकार को संभालना मुश्किल होगा
वोल्फ के मुताबिक, कोरोना के कारण लोग पहले से मुश्किलों को सामने कर रहे हैं। महामारी ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में उथल-पुथल ला दी है। आतंकी समूह इसी बात का फायदा उठाना चाहते हैं। वे आतंकी गतिविधियों को बढ़ाकर इलाके में ज्यादा से ज्यादा आतंक फैलाना चाहेंगे। वे लोगों को सरकार द्वारा सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन जैसे तरीकों को मानने के खिलाफभड़का सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान सरकार लोगों को संभालने में पूरी तरह नाकाम होगी, जो कि देश के लिए किसी दुर्भाग्य से कम नहीं होगा। क्योंकि वहां पहले से ही जिहादियों को धार्मिक प्रचार प्रसार का हिस्सा माना जाता है और उनकी मदद की जाती है।
लोगों की असुरक्षा का फायदा उठा सकते हैं आतंकी
पाकिस्तान इस्लामिक जिहादी संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी नेटवर्क, तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद जैसों समूहोंका घर है। फ्रांस में निर्वासित होकर रहने वाले पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दीकी के मुताबिक, "इस महामारी के दौरान दक्षिणपंथी समूह और इस्लामिक चरमपंथी अपनी नापाक हरकतों को पूरा करने के लिए एक हो सकते हैं।’’ कोरोनावायरस के कारणहालात बत्तर हो गए हैं। दुनियाभर के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कोरोना के इलाज और रोजगार के संकट काकोई समाधान नहीं दिख रहा है। ऐसे में आतंकी समूहोंके लिए लोगों की असुरक्षाओं का फायदा उठाकर उन्हें कट्टरपंथी बनाना आसान हो जाएगा।
सुरक्षा एजेंसी और सोशल मीडिया एक होकर इसे रोके
पत्रकार ताहा ने बताया, ‘"जहां तक दक्षिण पंथियों की बात है, वे कोरोनोवायरस को लेकर भ्रामक सूचनाएं और लोगों को खुदा का खौप कहकर बरगला रहे हैं। अपने हिंसक उद्देश्यों के लिए वे लोगों को इस्लाम के नाम पर अपनी धार्मिक गतिविधियों को कायम रखने के लिए कह रहे हैं। ऐसे वक्त में सुरक्षा एजेंसियों और सोशल मीडिया नेटवर्क को इन आतंकी समूहों को बेनकाब करने और रोकने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। पहले से ही दुनिया में वायरस के कारण अराजकता फैली है। इसे आगे और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।’’
यह सुनने में भयावह लगता है
साउथ एशियन स्टडीज के विशेषज्ञ और एम्स्टर्डम स्थित यूरोपीय फाउंडेशन के निदेशक जुनैद कुरैशी के मुताबिक, ‘‘यह सुनने में भयावह लगता है कि जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस महामारी से लड़ रही है तब आतंकवादी समूह इस उथल-पुथल का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वे इस अशांत समय का लाभ आतंकियों को तैयार करने के लिए कर रहे हैं। हालांकि यह नई बात क्योंकि आतंकी समूह अपने इलाके में पहले भी ऐसा करते रहे हैं। दुनिया महामारी से जूझ रही है लेकिन वे अब भी धर्म, अशिक्षा, गरीबी, जाति, रंग और इलाके की राजनीतिक अस्थिरता के नाम पर लोगों का शोषण करते हैं।’’
Virus-stricken British Prime Minister Boris Johnson thanked medics for saving his life after leaving hospital on Easter Sunday, as hundreds of millions of Christians observed the holiday under lockdown due to the coronavirus pandemic.
दुनियाभर में कोरोनावायरस से 18 लाख 52 हजार 652 लोग संक्रमित हैं। एक लाख 14 हजार 208 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें चार लाख 23 हजार 400 ठीक हुए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका और यहां के न्यूयॉर्क स्टेट में एक दिन में होने वाली मौतों में कमी आई है। यहां 24 घंटे में 1,528 की जान गई है। इनमें न्यूयॉर्क में केवल 758 की मौत हुई। एक दिन पहले देश में 1,920 और राज्य में 783 लोगों ने दम तोड़ा था।
इटली: 19 मार्च के बाद सबस कम मौत
इटली में रविवार को 431 लोगों की मौत हुई। 19 मार्च के बाद मौतों का यह सबसे कम आंकड़ा है। शनिवर को यहां 619 की जान गई थी। यहा अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा 19 हजार 899 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक लाख 56 हजार 363 लोग संक्रमित हैं।
फ्रांस: एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात 1900 सैनिक आइसोलेट
फ्रांस के परमाणु शक्ति संपन्न एयरक्राफ्ट कैरियर चार्ल्स-डे-गुल्ले के 50 नौसैनिकों के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद जहाज पर तैनात 1900 सैनिकों को आइसोलेट किया जाएगा। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि उन्हें जहाज से निकालने के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। स दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आगे संक्रमण का खतरा न हो। फ्रांस में भी मौतों की संख्या में कमी आई है। एक दिन में यहां 315 लोगों की जान गई। वहीं, एक दिन पहले 345 लग मारे गए थे। यहां अब तक 14 हजार 393 जान जा चुकी है, जबकि एक लाख 32 हजार 591 संक्रमित हैं।
चीन: 108 नएमामले
चीन के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को बताया कि देश में कोरोना के 108 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 98 मामले विदेशों से आए हुए लोगों के हैं। वहीं 10 स्थानीय लोग भी इसकी चपेट में आए हैं। इसमें हेइलोंगजियां प्रांत में सात और गुआंडोंग प्रांत में तीन मामले शामिल हैं। हुबेई प्रांत में दो और लोगों की मौत हुई है, जबकि छह नए केस दर्ज किए गए। यहां अब तक82 हजार 160 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 3,341 की मौत हो चुकी है।
North Korean leader Kim Jong Un has carried out a major reshuffle of his State Affairs Commission(SAC), replacing more than a third of its members. The new SAC members include Ri Son Gwon, a former senior army officer named as foreign minister earlier this year, while his predecessor, career diplomat Ri Yong Ho, was removed.
दुनिया में कोरोनावारयस कहां से आया? इस सवाल का जवाब पाना कठिन तो है, लेकिन कोरोना पीड़ितों कीउंगलियांचीन और वहां के 64 साल पुराने प्रतिष्ठित संस्थानइंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजीकी ओर उठी हुई है और अब इसमें अमेरिकी एंगल भी जुड़ने लगा है। दरअसल,11 अप्रैल को द मेल ऑन संडे ने एक बड़ी खबर का खुलासा करते हुए कहा कि अमेरिका ने वुहान स्थित उस लैब को प्रयोग करने के लिए फंडिंग की थी, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहीं से कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला।
लैब-जानवर और संक्रमण की कड़ियों को जोड़ती 9 बड़ी बातें:
1.फंड अमेरिका का, काम चीन का
इस खबर को ब्रिटेन के ही डेली मेल ने 'REVEALED' शीर्षक के साथ सनसनीखेज खबर के रूप में प्रकाशित किया है और तमाम कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की है। डेली मेल के मुताबिक वुहान की इस चीनी लैब को अमेरिकी सरकार ने 3.7 मिलियन डॉलर (करीब 28 करोड़ रुपए) की आर्थिक मदद दी है, ताकि वो जानवरों पर अपनी रिसर्च जारी रख सके। बताया गया है कि यह फंडिंग पिछले 10 साल से चल रही थी, यानी ओबामा से लेकर ट्रम्प के कार्यकाल तक यह जारी रही।
2. पहली बार शक चमगादड़ पर
दरअसल, जनवरी के पहले हफ्ते में पुख्ता जानकारियां सामने आईं थी कि इंसानों में कोरोना का वायरस चमगादड़ से आया। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा था कि ऐसे सबूत बता रहे हैं चमगादड़ इसका वाहक है। अब आरोप यह है कि वुहान की इसी लैब से कोरोनावायरस लीक हुआ और चीन से होता हुआ पूरी दुनिया में फैल गया। इसके बाद अमेरिका ने चीन ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए, पर अब दोनों ही देश बाकी दुनिया के सामने कटघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
3. चीन की गुफा केचमगादड़
चीन के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने ने वुहान से करीब 1600 किलोमीटर दूर यून्नान प्रांत की एक अंधेरी गुफा से इन चमगादड़ों को पकड़ा था। वैज्ञानिक इन पर सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी और उनके जीनोम को लेकर कई तरह के प्रयोग कर रहे थे। दरअसल, वायरोलॉजी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें प्रोटीन के खोल वाले सबमाइक्रोस्कोपिक, पैरासाइट और वायरसों कणों पर रिसर्च की जाती है।
4. वुहान की झींगे वाली पेशेंट जीरो
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यहां के वेट मार्केट (जहां पर जंगली जीवों का व्यापार होता है) से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है और इसी मार्केट में एक महिला के जरिये पहली बार ये कोरोना ने इंसानों में प्रवेश किया। 53 साल की ये महिला वहां झींगे बेचती थी और संक्रमित हो गई थी। हालांकि करीब एक महीने चले इलाज के बाद ये महिला जनवरी में स्वस्थ हो गई थी, लेकिन तब तक वायरस वुहान में फैल चुका था।
5. चमगादड़-पेंगोलिन थ्योरी
जब कोरोनावायरस पहली बार नवंबर में वुहान में सामने आया तो इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया कि इसका कैरियर कोई जानवर भी हो सकता है। बाद में खुद चीनी वैज्ञानिकों ने शंका जाहिर करते हुए कहा कि ये वायरस चमगादड़ से पेंगोलिन में पेंगोलिन से इंसान में फैला है। इसकी पुष्टि बाद में कोरोना वायरस के जीनोम पर रिसर्च से ही जो युन्नान प्रांत के गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ में मौजूद वायरस से मेल खाता है।
6. जीनोम सिक्वेंस के सबूत
चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ के मुताबिक, वायरस पैंगोलिन से चमगादड़ और इससे इंसान में पहुंचा। इसे समझने के लिए 1 हजार जंगली जानवरों के सेंपल लिए। मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोनोरावायरस और पैंगोलिन का जीनोम सिक्वेंस 99 फीसदी तक एक जैसा है।
7. चमगादड़ ही क्यों पसंद
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के अनुसार चमगादड़ और कोरोना के कनेक्शन पर वैज्ञानिकों का कहना है कि ये वायरस ऐसा होस्ट यानी वाहक पकड़ता है जो इसे तेजी से फैला सके। चूंकि चमगादड़ एकमात्र स्तनधारी उड़ने वाला जीव है और कॉलोनी बड़ी संख्या में एक साथ रहता है। तो ऐसे में इस वायरस के लिए यह सबसे उपयुक्त वाहक है। रेबीज, मर्स और निपाह वायरस के वाहक के रूप में चमगादड़ की भूमिका पहले से संदिग्ध रही है।
8. अमेरिकी संस्थान की भूमिका
चीन की लैब को अमेरिका की जिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) से फंडिंग मिल रही थी वह यहां की बॉयोमेडिकल और पब्लिक हेल्थ रिसर्च को करने वाला सरकारी स्वामित्व वाला संस्थान है। वुहान के लैब की वेबसाइट पर NIH का नाम पार्टनर कंपनी के तौर पर दर्ज है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये फंडिंग बीते 10 साल से जारी थी।
9. अब दोनों सरकार खुद कटघरे में
इस मामले के सामने आने के बाद अमेरिका की ट्रम्प सरकार वहां के ही सांसदों और स्वतंत्र प्रेशर ग्रुप्स के निशाने पर हैं। इस तरह के प्रयोगों में अमेरिकी फंड खर्च होने की कड़ी आलोचना की जा रही है। अमेरिकी सांसद मैट गेट्ज ने कहा है कि अफसोसजनक है कि हम इतने वर्षों से से वुहान की उस लैब को फंड कर रहे हैं, जहां जानवरों पर खतरनाक और क्रूरता से भरे प्रयोग हो रहे थे। हालांकि अब तक चीन और अमेरिका दोनों ही देशों की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। चीन पर इस पूरे मामले को दबाने के आरोप खुद अमेरिका ने लगाए थे, पर अब लग रहा है कि फंडिंग के कारण और कोरोना से अपने देश में हो रही तबाही से खुद भी सवालों के घेरेमें आ गया है।
दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में कोरोना का कहर जारी है। जिस तेजी से यह फैला, इससे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए देशों को तत्काल और सख्त फैसले लेने की जरूरत थी। चीन के हुबेई में लॉकडाउन हो या अमेरिका में विदेश से आने वाले लोगों पर पूरी तरह प्रतिबंध। न्यूजीलैंड में सख्त लॉकडाउन से मौतों का आंकड़ा सिर्फ 4 पर रोक देना। कुछ ऐसे फैसले थे, जिन्होंने इन विश्व नेताओं की मजबूत छवि पेश की। अपने देश की जनता में ये लोग नायक की तरह स्थापित हो गए। उधर ताइवान जैसा देश चीन का हिस्सा होते हुए भी, तीन महीने बाद संक्रमण के आंकड़े को 400 पर रोके रखने में सफल रहा। वहीं, कुछ राष्ट्र नेता तुरंत और दूरगामी फैसले नहीं ले पाइए, जिससे उनके देश बुरी स्थिति में पहुंच गए। पढ़िए विस्तार से...
शी जिनपिंग: चीन में फिर भरोसेमंद नेता बनकर उभरे
कोरोना की शुरुआत चीन से ही हुई, पर दुनिया से बात छिपाई गई।
इसके बाद वुहान जैसे शहरों में लाखों लोगों को लॉकडाउन किया।
इससे देश के बाकी हिस्सों में तक फैलने से रोकने में मदद मिली।
कई देश चीन की आलोचना कर रहे, पर शी को चीन में श्रेय मिला।
डोनाल्ड ट्रम्प: 50% मानते हैं कि स्थिति संभाल ली
अमेरिका में 50% लोग मानते हैं कि ट्रम्प ने स्थिति को संभाल लिया।
विपक्ष का आरोप- वे महत्वपूर्ण 6 हफ्तों में इसे लेकर गंभीर नहीं थे।
सहयोगी मानते हैं कि चीन-यूरोप पर जल्दी बैन लगाया, यह जरूरी था।
न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस में मेडिकल शिप भेजना भी बड़ा फैसला था।
जे.बोल्सोनारो: क्वारैंटाइन उपायों को कमजोर किया
ब्राजील के राष्ट्रपति बारिश में घूमकर फोटो खिंचवाते रहे।
उन्होंने आइसोलेशन भी जल्द खत्म करने की बात कही।
हर समय चिकित्सा अधिकारियों की सलाह अनसुनी करते रहे।
ब्राजील के अखबार ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय खलनायक बताया।
जसिंदा अर्डर्न: दूरदर्शिता दिखाई, नुकसान रोक लिया
देश में असहमति के बावजूद, 25 मार्च से लॉकडाउन किया।
इसी रात लोगों से फेसबुक पर बात की, ट्रैक सूट पहने हुए थीं।
इन्हीं कोशिशों के कारण देश में कोरोना से सिर्फ 4 मौतें हुईं।
आंतकी हमले से लेकर अब तक उनकी भूमिका निर्णायक की रही।
साई इंग वेन: दिसंबर से ही स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी
सार्स से सबक: दिसंबर अंत से चीनी लोगों की स्क्रीनिंग शुरू की।
कोरोना का इंसानों में फैलाव बताया, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
अमेरिका, स्पेन और इटली को 1 करोड़ मास्क की मदद दे चुकी हैं।
अर्थव्यवस्था सामान्य है। देश में स्कूल-कॉलेज सामान्य चल रहे हैं।
(एरिक लिप्टन, डेविड सेंगर, मैगी हैबरमैन, माइकेल शीयर, मार्क मजेटी, जूलियन बार्न्स) कोरोनावायरस की महामारी से निपटने में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की लापरवाही के सबूत लगातार सामने आ रहे हैं। संक्रमण का पहला मामला पता लगने से पहले पूर्व सैनिक विभाग के वरिष्ठ मेडिकल सलाहकार डॉ. कार्टर मेचर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कड़े कदम उठाने का आग्रह कर रहे थे। उन्होंने 28 जनवरी को सरकार और विश्वविद्यालयों के स्वास्थ्य विशेषज्ञों को एक ई-मेल में लिखा था, बीमारी के विस्तार और नतीजों पर विश्वास करना मुश्किल लग रहा है। राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने 29 जनवरी को वायरस से 5 लाख से अधिक मौतों की आशंका जताई थी। लेकिन, सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य जरूरी फैसले मार्च के मध्य में लिए गए।
ट्रम्प ने वायरस की गंभीरता को नजरअंदाज किया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नेजनवरी में बार-बार वायरस की गंभीरता को नजरअंदाज किया। उनका फोकस अन्य मामलों पर था। व्हाइट हाउस के उच्च सलाहकारों, विभिन्न विभागों और खुफिया एजेंसियों ने खतरे के संबंध में चेतावनी भी दी। आक्रामक कार्रवाई की सिफारिश की। लेकिन, ट्रम्प खतरे के संदेशों पर पानी डालते रहे। उन्हें अर्थव्यवस्था की अधिक चिंता थी।
ट्रम्प नेजनवरी के अंत में चीन से आवाजाही को सीमित करने का पहला ठोस कदम उठाया था। कांग्रेस से जरूरी मेडिकल सामान, टेस्टिंग के लिए पैसे की मंजूरी लेने के फैसले में ढील दी गई। संसद में महाभियोग की कार्रवाई के कारण ट्रम्प सरकार में बैठे लोगों पर संदेह कर रहे थे।
ठंडे बस्ते में डाला गया वायरस के निपटने का मामला
चीन से निपटने के सवाल पर भी ट्रम्प प्रशासन में गहरे मतभेद रहे। व्यापार वार्ता के दौरान चीन को अस्त-व्यस्त न करने के कारण वायरस का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने दर्जनों पूर्व और वर्तमान अधिकारियों से बातचीत, ई-मेल और अन्य दस्तावेजों की समीक्षा से जानलेवा वायरस से निपटने में देर की प्रक्रिया का पता लगाया है।
11 करोड़ लोगों के संक्रमित होने का अनुमान लगाया था
फरवरी के अंतिम सप्ताह में डा. कैडलेक की अगुआई में एक टास्क फोर्स ने 11 करोड़ लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने, 77 लाख लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और पांच लाख 86 हजार मौतों का अनुमान लगाया था। टास्क फोर्स के सदस्य राष्ट्रपति से तत्काल मिलना चाहते थे लेकिन राष्ट्रपति भारत यात्रा पर निकल गए। 25 फरवरी को जब ट्रम्प एयरफोर्स वन विमान से भारत से लौट रहे थे तब नेशनल इम्युनाइजेशन, रेस्पिरेटरी डिसीज सेंटर की डायरेक्टर डॉ. नेंसी मेसोनियर ने तबाही की सार्वजनिक चेतावनी जारी कर दी। इसके साथ ही शेयर मार्केट ढह गया।
बेवजह दहशत फैलाने पर ट्रम्प ने स्वास्थ्य सेक्रेटरी पर नाराजगी जताई
26 जनवरी को भारत लौटने पर ट्रम्प ने स्वास्थ्य सेक्रेटरी एलेक्स एजार से इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा-डा. मेसोनियर ने बेवजह दहशत फैला दी है। सोशल डिस्टेंसिंग टाल दी गई। फरवरी और मार्च की शुरुआत तक ट्रम्प सरकार ने मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों के लिए ऑर्डर जारी नहीं किए थे। 16 मार्च को सोशल डिस्टेंसिंग के आदेश जारी करने के बाद भी राष्ट्रपति कहते रहे कि वे अस्थायी प्रतिबंधों को भी हटाना चाहते हैं।
देर से लिए गए सभी जरूरी फैसले
नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल को जनवरी की शुरुआत में वायरस फैलने की कई खुफिया रिपोर्ट मिली थी।
कौंसिल ने कुछ समय बाद शिकागो जैसे शहरों में लॉकडाउन और अमेरिकियों के घर से काम करने के विकल्प सामने रखे थे।
16 मार्च को देशभर में सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने का निर्णय लिया गया। राष्ट्रपति कहते रहे कि अप्रैल में गर्मी बढ़ने पर वायरस गायब हो जाएगा।
स्वास्थ्य एवं मानव सेवाओं के सेक्रेटरी एलेक्स अजार 30 जनवरी तक ट्रम्प को महामारी फैलने की चेतावनी तीन बार दे चुके थे।
राष्ट्रपति के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने 29 जनवरी को एक मेमो में महामारी से लगभग 5 लाख मौतों और खरबों डॉलर के आर्थिक नुकसान का जिक्र किया था।
कोरोनावायरस से अमेरिका में 5 लाख 30 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं और 21 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। दुनिया में कोरोनावायरस की वजह से अमेरिका के लोग सबसे ज्यादा चिंतित हैं। अमेरिकी संस्था वंडरमैन थॉम्पसन डेटा के एक सर्वे में भी इसी बात का खुलासा हुआ है। इस संस्था ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश के युवाओं के बीच मार्च में एक सर्वे कराया था। इसमें युवाओं से कोरोना, इससे बचाव और महामारी खत्म होने के बाद की स्थिति के बारे में सवाल किए गए। सर्वे के आधार पर पता चला कि अमेरिका में बुजुर्गों की तुलना में 18 से 24 साल के युवा कोरोना को लेकर पांच गुना चिंतित हैं। 77% लोग हर दो घंटे में हाथ धो रहे हैं। 52% ने नाइट क्लब और 66% ने बार और रेस्त्रां जाना छोड़ दिया है। 68% ने तो हाथ मिलाना भी बंद कर दिया है। पढ़िए सर्वे की कुछ अहम बातें...
अमेरिकी लोग एक समय में एक ही चीज के बारे में चिंतित होते हैं
सर्वे करने वाली संस्था वंडरमैन थॉम्पसन डेटा के मुख्य रिसर्चर मार्क ट्रस के अनुसार, अमेरिकी आमतौर पर एक समय में केवल एक विषय के बारे में चिंतित होते हैं। लेकिन कोरोनावायरस ने लोगों को तीन-तीन मोर्चे पर परेशान होने को मजबूर कर दिया है। इसमें सेहत, नौकरी और इकोनॉमी शामिल है। यह संस्था इससे पहले 2003 में इराक युद्ध, 2008 की वैश्विक मंदी और 2009 में एच1एन1 महामारी के दौरान सर्वे कर चुकी है। इराक युद्ध के दौरान 37%, वित्तीय संकट के दौरान 27%, एच1एन1 महामारी के दौरान केवल एक प्रतिशत लोगों ने चिंता जताई थी। मार्क कहते हैं, ‘कोराना से जुड़े सर्वे में अभी जो रिस्पॉन्स मिले हैं, उसके हिसाब से चिंता का स्तर 36% ही है। लेकिन इराक युद्ध और कोरोना में फर्क है। अभी संक्रमण और मृत्युदर लगातार बढ़ रही है। युवाओं का चिंतित होना स्वाभाविक है।’
न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, वॉशिंगटन और मिशिगन में लोगों को नौकरी की चिंता
सर्वे के अनुसार न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, वॉशिंगटन और मिशिगन राज्य के लोग ज्यादा चिंतित दिखे। हालात यदि जल्द नहीं सुधरे तो आने वाले हफ्तों और महीनों में चिंता का स्तर और बढ़ेगा। सर्वे में हिस्सा लेने वाले इन राज्यों के लोग खाने की चीजों की उपलब्धता, धीमी इंटरनेट बैंडविड्थ और अशांति जैसे मुद्दे की बजाय लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट और नौकरी खोने जैसे विषयों पर ज्यादा चिंतित दिखे। एक और बात सामने आई कि पुरानी सोच रखने वालों की तुलना में उदार नजरिया रखने वालों में कोरोना काे लेकर फिक्र ज्यादा है।
कोरोनावायरस पर सर्वे में अमेरिकियों से पूछे गए सवाल और उनके जवाब
क्या आप लगातार हाथ धो रहे हैं?
77% ने स्वीकारा, हर दो घंटे में।
आप घर से कब-कब बाहर निकल रहे हैं?
71% ने कहा- बहुत कम, शायद हफ्ते में एक बार।
नाइट क्लब जाते हैं?
52% ने कहा- वे नाइट क्लब जाना बंद कर चुके हैं
दोस्तों और रिश्तेदारों से मुलाकात होने पर गले मिलते हैं या फिर गाल चूमते हैं?
61% ने कहा- वे न तो गले मिल रहे हैं और न किस कर रहे हैं।
हाथ मिलाते हैं?
68% ने स्वीकारा- हाथ मिलाने से कतरा रहे।
क्या आप मॉल से खरीददारी कर रहे हैं?
68% ने कहा- नहीं, वे मॉल जाने से बच रहे हैं।
क्या आप सैनिटाइजर का प्रयोग करते हैं?
59% ने कहा- हां, बार-बार।
संभव हो तो क्या आप घर से काम करना पसंद करेंगे?
63% ने कहा- नहीं, वे घर से काम नहीं कर सकते।
बार या रेस्त्रां जाते हैं?
66% ने कहा- वे बार और रेस्त्रां जाना छोड़ चुके हैं।
पब्लिक ट्रांसर्पोटेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं?
56% ने कहा- नहीं। वे इससे बचते हैं।
सलीम वलजी. 33 साल के मायरोन रोले अमेरिका की नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) में टेनेसी टाइटंस की ओर से खेलते थे। 2013 में उन्होंने खेलना छोड़ दिया और फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन में दाखिला लिया। 2017 में वे ग्रेजुएट हुए। अब मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से न्यूरोसर्जरी की पढ़ाई कर रहे। यहां वे कोविड-19 के मरीजों को भी ट्रीटमेंट दे रहे हैं। वे इमरजेंसी रूम के डॉक्टरों वाली टीम में हैं। वे और उनके साथी 24-24 घंटे सेवा दे रहे हैं।
रोले कहते हैं, ‘हमें सुबह 4-5 बजे से काम शुरू करना पड़ता है। सभी मरीजों को देखने के बाद उनकी पूरी डिटेल लेकर उसे हमारी जगह आने वाले डॉक्टर को बताने का काम भी जुड़ गया है। ऐसे में 24 घंटे काम करना पड़ रहा है। बीच में एक-दो घंटे की नींद ले पाएं तो खुद को खुशकिस्मत समझते हैं।’ रोले कहते हैं, ‘यहां मुझे परेशानी नहीं आती क्योंकि फुटबॉल ने मुझे अनुशासन, फोकस, कड़ी मेहनत, निष्ठा, टीमवर्क और प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरना सिखाया है।’
चार बार की ओलिंपिक चैंपियन हेले मेडिकल उपकरण जुटा रही
कनाडा की हेले विकेनहेसर चार बार की ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट हैं। पूर्व आइस हॉकी खिलाड़ी हेले अब यूनिवर्सिटी ऑफ केलगेरी से मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं। वे बताती हैं, ‘जब वे 10 साल की थीं, तब उन्होंने दो सपने देखे थे। एक तो प्राेफेशनल हॉकी खेलना और दूसरा डॉक्टर बनना। मेरा एक सपना तो पूरा हो गया है। अब दूसरा सपना पूरा कर रही हूं।’ 41 साल की हेले ने 2017 में आइस हॉकी से संन्यास ले लिया था। दो हफ्ते पहले तक वे टोरंटो में इमरजेंसी रूम में रोटेशन पर थीं। लेकिन जब देश में कोरोनावायरस से स्थिति खराब होने लगी, तब सभी मेडिकल स्टूडेंट और ट्रेनी को उससे निपटने के काम में लगा दिया गया। हेले ने कहा, ‘मेडिकल स्टूडेंट को कोविड-19 के मरीज के इलाज की अनुमति नहीं है। इसलिए हमें पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) जुटाने के काम में लगा दिया गया। इसके अलावा हम उन मरीजों को भी ट्रेस कर रहे हैं, जो संक्रमित हैं।’ हेले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के ऑफिस से लगातार संपर्क में हैं औरकनाडा में सोशल डिस्टेंसिंग एडवाइजरी को प्रमोट करने में भी मदद कर रही हैं।
(एडम सेटारिआनो और डेवी अल्बा)जानलेवा कोरोना वायरस फैलाव के बीच सोशल मीडिया पर 5 जी टेक्नोलॉजी के खिलाफ जमकर अभियान चल रहा है। फेसबुक ग्रुप, व्हाट्सएप संदेशों और यूट्यूब पर यह गलत प्रचार हो रहा है कि 5 जी टेक्नोलॉजी की रेडियो तरंगों से लोगों के शरीर में परिवर्तन होते हैं इसलिए वह वायरस का शिकार हो जाता है। ब्रिटिश अधिकारियों ने बताया कि देश में इस माह वायरलैस टॉवर जलाने की 30 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। टेलीकॉम टेक्नीशियन को परेशान करने की 80 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। ब्रिटेन के बर्मिंघम, लिवरपूल सहित कई स्थानों और उत्तर आयरलैंड के बेलफास्ट में ऐसी घटनाएं हुई हैं।
5जी उपकरणों की खास सुरक्षा के आदेश दिए
23 मार्च को ब्रिटिश सरकार ने 5जी उपकरणों की खास सुरक्षा के आदेश जारी कर दिए हैं। इन घटनाओं से पता लगता है कि वास्तविक दुनिया में कोरोना वायरस साजिश का कैसा अंधा प्रचार किया जा रहा है। गलत प्रचार अभियान पर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञों का कहना है, कोरोना वायरस से पहले कभी ऐसे अभियान ने इतनी जल्दी बहुत नुकसान नहीं पहुंचाया है। ब्रूसेल्स स्थित यूरोपियन यूनियन डिसइंफो लैब के डायरेक्टर अलेक्सांड्रे अलाफिलिपे कहते हैं, साजिश रचने वाले ऐसे अधिकतर अभियान ऑनलाइन सीमित रहते हैं लेकिन यह वास्तविक दुनिया में पहुंच गया है। उन्होेंने इसे नई समस्या बताया है। 58 लाख बार देखे गए प्रचार वाले वीडियो
5जी कोरोना वायरस प्रचार के 10 सबसे लोकप्रिय वीडियो को यूट्यूब पर 58 लाख बार देखा गया। स्विटजरलैंड, उरुग्वे, जापान सहित 30 देशों में फेसबुक पर यह अभियान देखा जा सकता है। कोरोना वायरस से संबंधित ऑनलाइन गलत सूचनाओं की जांच करने वाली समिति की सदस्य ब्रिटिश सांसद जूलियन नाइट का कहना है, फेसबुक, यूट्यूब को स्थिति पर नियंत्रण पाने की कोशिश करनी चाहिए। यूट्यूब अब ऐसे वीडियोकम करेगा
इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप की मालिक फेसबुक का कहना है, उसने कोविड-19 फैलाने में 5 जी टेक्नोलॉजी की भूमिका होने के दावों को हटाना शुरू कर दिया है। यूट्यूब ने कहा है, वह ऐसे वीडियो कम करेगा। टि्वटर का कहना है, उसने बीमारी के बारे में भ्रामक और नुकसानदेह कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई की है। 5 जी टेक्नोलॉजी के खिलाफ राजनीतिक स्तर पर चले अभियान को इंटरनेट ट्रोल्स ने पकड़ लिया है। चीन में वायरस बढ़ने के साथ 5जी ट्रोल होना शुरु हुआ
जनवरी में वुहान, चीन में वायरस का प्रकोप बढ़ने के साथ 5जी विरोधी ट्रोल शुरू हो गए थे। 19 जनवरी को टि्वटर पर एक पोस्ट में बीमारी को 5जी से जोड़ने की अटकल लगाई गई। मीडिया इनसाइट कंपनी जिगनल लैब्स के अनुसार इस साल 7 अप्रैल तक ऐसा प्रचार छह लाख 99 हजार बार किया गया। ट्वीट में कहा गया, वुहान में पांच हजार से अधिक 5जी बेस स्टेशन हैं। 2021 तक 50 हजार हो जाएंगे। यह बीमारी है या 5जी। बेल्जियम न्यूज वेबसाइट पर एक डॉक्टर के हवाले से बताया गया कि 5जी जनता की सेहत को नुकसान पहुंचाता है।
Israel's president on Sunday rejected parliament speaker Benny Gantz's request for more time to form a government, as talks persist on a possible alliance with Prime Minister Benjamin Netanyahu.
People in Hong Kong thronged beaches, ferries and outlying islands on Sunday, many of them violating a ban on gatherings of more than four people aimed at containing the spread of the new coronavirus.
More than 75,000 people have died from the coronavirus in Europe, with 80 per cent of the fatalities occurring in Italy, Spain, France and Britain, according to an AFP tally at 0945 GMT on Sunday compiled from official sources.
The Taliban said it would on Sunday release the first prisoners in a delayed exchange deal with the Afghan government -- a potential breakthrough after the insurgents walked out of talks with Kabul last week. The announcement comes as fears rose that an avenue for fragile peace talks between the two sides was being undercut by mounting disagreements over the prisoner swap.
Sub-Saharan Africa has not been as badly hit by the coronavirus pandemic as some other parts of the world, but the economy is being pummelled. For the first time in 25 years sub-Saharan Africa is about to go into recession, according to World Bank estimates.
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के अंतरिक्ष यात्रियों ने कहा है कि पृथ्वी हमेशा की तरह शानदार दिख रही है, पर अभी वहां से जो खबरें आ रही हैं, उन पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। आईएसएस पर तीन अंतरिक्ष यात्री लगभग एक साल से हैं, ये सभी 17 अप्रैल को पृथ्वी पर लौटेंगे। अमेरिका के एंड्रयू मार्गन, जेसिका मीर और रूस के ओलेग स्क्रिपोचका आईएसएस पर हैं।
एंड्रयू मॉर्गन ने आईएसएस से ही हुई एक कांफ्रेंस में बताया कि आईएसएस के क्रू को कोरोनोवायरस महामारी के संबंध में कुछ जानकारी है, लेकिन अभी वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर वास्तव में चल क्या रहा है। अगले शुक्रवार को उनका नौ महीने का मिशन समाप्त होगा। आर्मी में इमरजेंसी फिजीशियन रह चुके मोर्गन ने बताया कि वह इस मेडिकल क्राइसिस में अपनी वापसी को लेकर वह खुद को दोषी भी महसूस कर रहे हैं। पर वे अभी भी पूरी तरह से स्थिति को समझ नहीं पा रहे हैं।
दोस्तों और परिवार को गले नहीं लगा सकूंगी- जेसिका मीर
पिछले साल ऑल फीमेल वॉक में हिस्सा लेकर इतिहास बनाने वाली अंतरिक्षयात्री जेसिका मीर ने कहा- बहुत मुश्किल होगा जब मैं सात महीने बाद लौटूंगी। तब मैं परिवार और दोस्तों को गले नहीं लगा सकूंगी। अंतरिक्ष से ज्यादा मैं पृथ्वी पर आईसोलेट महसूस करूंगी। हम पृथ्वी पर आकर ही देखेंगे कि कैसे एडजस्ट करते हैं। लेकिन फिर भी अपनी फैमिली और दोस्तों को देखना ही बहुत शानदार होगा। कम से कम कुछ दूर से देखकर बात तो कर सकेंगे।
एंड्रयू मॉर्गन और जेसिका मीररूस के अंतरिक्षयात्री ओलेग इवानोविच स्क्रिपोचका के साथ सोयुज कैप्सूल से कजाकिस्तान में लैंड करेंगे। इसके बाद आईएसएस पर तीन अंतरिक्षयात्री बचेंगे जो हाल ही में गए हैं। ये तीनोंअंतरिक्ष यात्री जिस तारीख को पृथ्वी पर अएंगे उसी दिन अपोलो-13 मिशन के 50 साल पूरे हो जाएंगे।13 अप्रैल 1970 को मिशन मून के दौरान ओपोलो सर्विस मॉड्यूल का ऑक्सीजन टैंक फट गया था। नासा ने एक रेस्क्यू मिशन बनाकर अपने चालक दल को सुरक्षित बचा लिया था।
ब्राजील के ओसवाल्डो क्रूज फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने शोध किया।उन्होंने पावरफुल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से पहली बार वायरस के स्वस्थ कोशिकाओं को संक्रमित करने की तस्वीरें लीं। ये माइक्रोस्कोप से 20 लाख गुना बड़ी दिखी। इन तस्वीरों को कोरोनोवायरस के संक्रमण, उसके फैलने के तरीकों और अपने जैसे वायरस को उत्पन्न करने वाले अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है।
Abortion rights advocates on Saturday called on the US Supreme Court to urgently intervene to force Texas to reinstate the right to abortion, which has been suspended in the state since the start of the novel coronavirus pandemic.