Thursday, January 16, 2020
आतंक रोधि कोर्ट ने 87 लोगों को 4785 साल की सजा सुनाई, आरोपियों की चल-अचल संपत्ति जब्त करने का आदेश January 16, 2020 at 09:21PM
इस्लामाबाद.पाकिस्तान के आतंक रोधि कोर्ट (एटीसी) ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान(टीएलपी) पार्टी पर बड़ी कार्रवाई की है। कोर्ट ने टीएलपी प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी के भाई और भतीजे समेत पार्टी के 87 कार्यकर्ताओं को कुल मिलाकर 4738 साल की सजा और 11 करोड़ 74 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।रावलपिंडी एटीसी कोर्ट के जज शौकत कमाल डार ने गुरुवार देर रात यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने सभी आरोपियों की चल-अचल संपत्ति जब्त करने का भी निर्देश दिया।
पुलिस ने 18 नवम्बर 2018 को टीएलपी प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी, उनके भाई आमीर हुसैन रिजवी और भतीजे मोहम्मद अली समेत 87 अन्य धार्मिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। ये सभी अशांति फैलाने के आरोप में हिरासत में लिए गए थे।
सभी आरोपीपर 1लाख 35 हजार रुपए का जुर्माना लगाया
एटीसी कोर्ट ने सभी आरोपियों को 55 साल की सजा सुनाई। हर एक पर 1 लाख 35 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं भरने पर इन सभी की सजा 146 साल बढ़ जाएगी। सजा सुनाते वक्त रावलपिंडी एटीसी कोर्ट में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पुलिस, एलिट फोर्ट और विशेष शाखा के अधिकारियों को तैनात किया गया था। कोर्ट की कार्यवाही समाप्त होने के बाद आरोपियों को तीन बसों में भरकर अटोक जेल ले जाया गया।
टीएलपी ने नवम्बर 2018 में पाकिस्तान भर में प्रदर्शन किया था
टीएलपी ने नवम्बर 2018 में अन्य पार्टियों के साथ मिलकर पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में धरना दिया था। ये प्रदर्शन ईशनिंदा के झूठे आरोप में 8 साल जेल में काटने वाली इसाई महिला आसिया बीवी को रिहा करने करने के निर्णय के विरोध में हुए थे। इस दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था और रिक्शा, कॉर और ट्रकों में आग लगाई थी। सरकार और धार्मिक पार्टियों के बीच 4 बिंदुओं पर समझौता होने के बाद विरोध समाप्त हुआ था।
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पॉकेटमारी के आरोप में दो भारतीय समेत 7 गिरफ्तार, पुलिस ने पकड़ने के लिए चलाया था ऑपरेशन गेलफोर्स January 16, 2020 at 08:18PM
मेलबर्न.ऑस्ट्रेलिया पुलिस ने दो भारतीय समेत 7 लोगों को पॉकेटमारी के आरोप में गिरफ्तार किया है। गुरुवार को पकड़े गए चार पुरुष और तीन महिलाओं वाले इस गिरोह के पांच सदस्य श्रीलंकाई नागरिक है। दो गिरफ्तार भारतीय नागरिकों में एक महिला है। यह पिछले दो महीने से मेलबर्न के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में ट्रेन, बस और ट्राम नेटवर्क से सफर करने वाले लोगों को निशाना बना रहे थे। कई मामले सामने आने के बाद पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए ‘ऑपरेशन गेलफोर्स’ चलाया था।
विक्टोरिया पुलिस की प्रवक्ता मेलिसा सीच ने कहा गिरोह के सभी सदस्यों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया गया। ऑस्ट्रेलियन बोर्डर पुलिस विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट करने पर विचार कर सकती है। इन सभी पर चोरी का मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने टीम बनाकर प्रमुख स्थानों पर नजर रखी
सार्जेंट क्रिस ओ ब्रीन ने कहा कि हमने शहर में हो रही चोरी और पॉकेटमारी की जांच की। आरोपी मौके के हिसाब से एक साथ मिलकर वारदातों को अंजाम दिया करते थे। विक्टोरिया पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया। पुलिस ने कई टीमें बनाकर प्रमुख स्थानों पर नजर रखी और आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की।
क्या है ऑपरेशन गेलफोर्स
सार्जेंट ब्रीन के मुताबिक, ऑपरेशन गेलफोर्स पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में हो रही पॉकेटमारी का पता लगाने के लिए दिसंबर 2019 में शुरू किया गया था। इसे ट्रांजिट सेफ्टी डिविजन और मेलबर्न टास्किंग यूनिट (एमटीयू) ने साथ मिलकर चलाया गया। 8 जनवरी को इसके तहत एल्बिओन इलाके के एक घर पर छापेमारी कर नकदी और चोरी के सामान बरामद किए गए थे। गुरुवार को सभी आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी हुआ। अब इन्हें14 अप्रैल को मेलबर्न मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने पेश होंगे।
आस्ट्रेलिया में जेब काटने की क्या सजा है:
आस्ट्रेलिया में जेब काटने पर चोरी का मामला दर्ज होता है। ऐसे मामलों में 10 साल तक की जेल का प्रावधान है। हालांकि 12 साल से कम उम्र के बच्चे या 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग के साथ यह अपराध करने पर सजा की अवधि 15 साल तक बढ़ाई जा सकती है। चोरी के माल की कीमत 50 लाख से कम होने पर ऐसे मामलों मे काउंटी कोर्ट या मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई होती है।
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ट्रम्प के खिलाफ मंगलवार को सुनवाई शुरू होगी, चीफ जस्टिस ने सीनेट सांसदों को शपथ दिलाई January 16, 2020 at 07:45PM
वॉशिंगटन. अमेरिकी संसद के उच्च सदन- सीनेट में मंगलवार से ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई होगी। इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने सांसदों को ‘निष्पक्ष न्याय’ करने की शपथ दिलाई। इसके बाद सीनेट में रिपब्लिकन नेता मिच मैक्कॉनेल ने सुनवाई की तारीखों का ऐलान किया।
ट्रम्प पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने दो डेमोक्रेट्स और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने पक्ष में यूक्रेन से विदेशी मदद मांगी थी। जांच कमेटी के सदस्यों ने कहा था कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को कमजोर किया। उन्होंने अपने पद की शपथ का भी उल्लंघन किया।
ट्रम्प ने राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज किया, चुनावी प्रक्रिया को खतरे में डाला: पेलोसी
इससे पहले संसद का निचले सदन- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में बुधवार को स्पीकर नैंसी पेलोसी ने सीनेट को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग के दो दस्तावेज सौंप दिए। उन्होंने इन दस्तावेजों पर खुद दस्तखत करने के बाद वहां मौजूद सांसदों को पेन बांटे। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए दुखद है कि राष्ट्रपति ने अपने पद की गोपनीयता का उल्लंघन किया और राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज कर चुनावी प्रक्रिया को खतरे में डाला।
दिसंबर 2019 को सदन में प्रस्ताव पास हुए थे
पेलोसी ने पहली बार सितंबर 2019 में ट्रम्प पर देश को धोखा देने का आरोप लगाया था। 19 दिसंबर 2019 को उनके खिलाफ महाभियोग के लिए सदन में दो प्रस्ताव पेश किए गए थे। प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान डेमोक्रेट्स ने ट्रम्प के खिलाफ और रिपब्लिकन ने ट्रम्प के पक्ष में वोटिंग की। दोनों प्रस्ताव के पक्ष में 230 और विपक्ष में 197 वोट पड़े थे।उन्होंने दो डेमोक्रेट्स और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने पक्ष में यूक्रेन से विदेशी मदद मांगी थी।
अमेरिका में राष्ट्रपति के खिलाफ अभियोग के मामले:
- 1868 मेंअमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयूजॉनसन के खिलाफ अपराध और दुराचार के आरोपों पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग प्रस्ताव पास हुआ। उनके खिलाफ संसद में आरोपों के 11 आर्टिकल्स पेश किए गए। हालांकि, सीनेट में वोटिंग के दौरान जॉनसन के पक्ष में वोटिंग हुई और वे राष्ट्रपति पद से हटने से बच गए।
- 1998 मेंबिल क्लिंटन के खिलाफ भी महाभियोग लाया गया था। उन पर व्हाइट हाउस में इंटर्न रही मोनिका लेवेंस्की ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उन्हें पद से हटाने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन सीनेट में बहुमत नहीं मिल पाया।
- वॉटरगेट स्कैंडल में पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (1969-74) के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई होने वाली थी, लेकिन उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया। उन पर अपने एक विरोधी की जासूसी का आरोप लगा था।
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पॉकेटमारी के आरोप में दो भारतीय समेत 7 गिरफ्तार, पुलिस ने पकड़ने के लिए चलाया था ऑपरेशन गेलफोर्स January 16, 2020 at 05:45PM
मेलबर्न.ऑस्ट्रेलिया पुलिस ने दो भारतीय समेत 7 लोगों को पॉकेटमारी के आरोप में गिरफ्तार किया है। गुरुवार को पकड़े गए चार पुरुष और तीन महिलाओं वाले इस गिरोह के पांच सदस्य श्रीलंकाई नागरिक है। दो गिरफ्तार भारतीय नागरिकों में एक महिला है। यह पिछले दो महीने से मेलबर्न के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में ट्रेन, बस और ट्राम नेटवर्क से सफर करने वाले लोगों को निशाना बना रहे थे। कई मामले सामने आने के बाद पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए ‘ऑपरेशन गेलफोर्स’ चलाया था।
विक्टोरिया पुलिस की प्रवक्ता मेलिसा सीच ने कहा गिरोह के सभी सदस्यों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया गया। ऑस्ट्रेलियन बोर्डर पुलिस विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट करने पर विचार कर सकती है। इन सभी पर चोरी का मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने टीम बनाकर प्रमुख स्थानों पर नजर रखी
सार्जेंट क्रिस ओ ब्रीन ने कहा कि हमने शहर में हो रही चोरी और पॉकेटमारी की जांच की। आरोपी मौके के हिसाब से एक साथ मिलकर वारदातों को अंजाम दिया करते थे। विक्टोरिया पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया कई टीमें बनाकर प्रमुख स्थानों पर नजर रखी और आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की।
क्या है ऑपरेशन गेलफोर्स
सार्जेंट ब्रीन के मुताबिक, ऑपरेशन गेलफोर्स पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में हो रही पॉकेटमारी का पता लगाने के लिए दिसंबर 2019 में शुरू किया गया था। इसे ट्रांजिट सेफ्टी डिविजन और मेलबर्न टास्किंग यूनिट (एमटीयू) ने साथ मिलकर चलाया। 8 जनवरी को इसके तहत एल्बिओन इलाके के एक घर पर छापेमारी कर नकदी और चोरी के सामान बरामद किए गए थे। गुरुवार को सभी आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी हुआ।अब इन्हें14 अप्रैल को मेलबर्न मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने पेश होंगे।
आस्ट्रेलिया में जेब काटने की क्या सजा है:
आस्ट्रेलिया में जेब काटने पर चोरी का मामला दर्ज होता है। ऐसे मामलों में 10 साल तक की जेल का प्रावधान है। हालांकि 12 साल से कम उम्र के बच्चे या 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग के साथ यह अपराध करने पर सजा की अवधि 15 साल तक बढ़ाई जा सकती है। अगर चोरी के माल की कीमत 50 लाख से कम होने पर ऐसे मामलो मे काउंटी कोर्ट या मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई होती है।
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प्रधानमंत्री मेदवेदेव के इस्तीफे के एक दिन बाद संसद ने पुतिन के खास मिखाइल मिशुस्तिन को नया पीएम चुना January 16, 2020 at 06:26PM
मॉस्को. रूस की संसद ने मिखाइल वी. मिशुस्तिन को देश का नया प्रधानमंत्री चुना है। टैक्स विभाग के प्रमुख पद पर रह चुके मिशुस्तिन अब तक रूस की राजनीति में अनजाना चेहरा थे। हालांकि, बुधवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था।
पुतिन ने बुधवार को ही रूस के संविधान में बदलाव का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश में ऐलान किया था कि देश में राजनीतिक ताकतों का बंटवारा ज्यादा बेहतर तरीके से किया जाएगा। यह शक्तियां राष्ट्रपति से लेकर संसद, राज्य परिषद और अन्य सरकारी संस्थानों को भी दी जाएंगी।
गैर-राजनीतिक उम्मीदवार के पक्ष में एकतरफा वोटिंग हुई
मिशुत्सिन रूस की फेडरल टैक्स सर्विस के प्रमुख रह चुके हैं। उन्हें अर्थव्यवस्था मामलों में काफी अनुभवी माना जाता है। रूस की संसद डुमा में गुरुवार को मिशुत्सिन को प्रधानमंत्री चुनने के लिए वोटिंग हुई। इसमें उनके पक्ष में 424 में से 383 वोट पड़े। कम्युनिस्ट पार्टी के 41 सांसद वोटिंग के दौरान गैरमौजूद रहे। पुतिन ने बाद में औपचारिक तौर पर मिशुत्सिन को प्रधानमंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
पुतिन के ऐलान के बाद पुराने साथी मेदवेदव ने प्रधानमंत्री पद छोड़ा था
पुतिन के इस ऐलान के बाद उनके करीबी साथी दिमित्री मेदवेदेव और उनकी पूरी कैबिनेट ने सरकार से इस्तीफा दे दिया था। मेदवेदेव पुतिन के काफी भरोसेमंद साथी रहे हैं। 2008 में पुतिन को संवैधानिक वजहों से राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा था (रूस में तब कोई व्यक्ति अधिकतम 2 बार राष्ट्रपति रह सकता था)। तब मेदवेदेव ने पुतिन के लिए प्रधानमंत्री पद छोड़ा और उन्हीं के कहने पर राष्ट्रपति बने। 2012 में मेदवेदेव सरकार ने कानून बदल कर राष्ट्रपति बनने की सीमा को खत्म कर दिया। इसी के साथ पुतिन राष्ट्रपति पद पर वापस लौटे थे।
विशेषज्ञ क्या मानते हैं?
रूस की राजनीति की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि पुतिन 2024 में राष्ट्रपति पद का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी सत्ता पर अपनी पकड़ बरकरार रखना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने संविधान में कुछ अहम बदलाव का फैसला किया। अभी यह साफ नहीं है कि वो किस तरह के बदलाव करने वाले हैं। खास बात यह है कि मेदवेदेव के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद पुतिन ने उन्हें रूस सुरक्षा परिषद का डिप्टी चेयरमैन नियुक्त कर दिया। मेदवेदेव आने वाले समय में पुतिन के सलाहकार के तौर पर उनके साथ जुड़े रहेंगे।
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जिस आग से 50 लाख एकड़ क्षेत्र का जंगल जल गया, वहां दमकलकर्मियों ने 200 विलुप्तप्राय पेड़ बचाए January 16, 2020 at 03:44AM
सिडनी. ऑस्ट्रेलिया में आग से पर्यावरण और जैव विवधता को हुए भारी नुकसान के बीच एक अच्छी खबरहै। जहां आग से 50 लाख एकड़ में फैला जंगल जल गया, वहीं दमकलकर्मियों ने 200 विलुप्तप्राय पेड़ बचा लिए। वोलेमी पाइन प्रजाति वाले इन पेड़ों को स्थानीय लोग ‘डायनासौर ट्रीज’ के नाम से भी बुलाते हैं। माना जाता है कि येपेड़ प्री-हिस्टोरिक(प्रागैतिहासिक काल- 33 लाख से 6 हजार साल पहले) के हैं। दमकलकर्मी हेलिकॉप्टर से जंगलों के बीच इन पेड़ों तक पहुंचे और इन्हें सुरक्षित रखा।
न्यू साउथ वेल्स के पर्यावरण मंत्री मैट केन के मुताबिक, वोलेमी पाइन्स पेड़ दुनिया में केवल ब्लूमाउंटेन्स के जंगली इलाके में ही पाए जाते हैं। ऐसे केवल 200 पेड़ ही बचे हैं। इनकी वास्तविक लोकेशन क्या है, यह गोपनीय रखा गया है।
कुछ इस तरह चलाया गया पेड़ों को बचाने का ऑपरेशन
केन ने कहा कि आग लगते ही हम समझ गए थे कि इन्हें बचाने के लिए हमें एक ऑपरेशन करनाहोगा। आग लगातार इन पेड़ों के पास पहुंच रही थी।दमकलकर्मियों ने पहले वॉटर बॉम्बिंग जेट की मदद से पेड़ों के आसपास पानी और आग बुझाने वाले झाग का छिड़काव किया। आग कम होने पर दमकलकर्मी जंगल में उतरे। डायनासौर ट्रीज के पास जेनरेटर से चलने वालाएक ईरीगेशन सिस्टम लगाया गया, जिससे पेड़ों पर गर्मी का प्रभाव न हो।
26 साल पहले इन पेड़ों के बचे होने की बात सामने आई
केन के मुताबिक, पहले वोलेमी पाइन पेड़ों को विलुप्त समझ लिया गया था। 1994 में न्यू साउथ वेल्सनेशनल पार्क के रेंजर डेविड नोबल ने इन्हें ढूंढा और इनके बचे होने की बात सामने आई। इससे पहले तक इस पेड़ के सिर्फ जीवाश्म ही देखे गए। वोलेमीपाइन को जंगल में अवैध ढंग से जाने वाले लोगों और पेड़ों को होने वाली बीमारी से खतरा है। पहली बार इन्हें जंगल की आग से बचाने के लिए अभियान चलाया गया है, जो भविष्य में ऐसी स्थिति आने पर हमारे लिए मददगार होगा।
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Chorus is growing for gay rights in Asia January 16, 2020 at 05:14PM
भारत के सबसे ताकतवर संचार उपग्रह जीसैट-30 का प्रक्षेपण सफल; अब जहां नेटवर्क नहीं, वहां भी सिग्नल मिलेगा January 16, 2020 at 04:45PM
पेरिस. इसरो का संचार उपग्रह जीसैट-30 सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हो गया है। इसे शुक्रवार तड़के 2:35 बजे फ्रेंच गुआना के कौरू स्थित स्पेस सेंटर यूरोपियन रॉकेट एरियन 5-वीटी 252 से लॉन्च किया गया। लॉन्च के करीब 38 मिनट 25 सेकंड बाद सैटेलाइट कक्षा में स्थापित हो गया। 3357 किलोग्राम वजनी यह सैटेलाइट देश की संचार प्रौद्योगिकी में बदलाव लाएगा। इसरो के मुताबिक, 3357 किलो वजनी सैटेलाइट 15 साल तक काम करेगा।
इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक पी कुन्हीकृष्णन ने इस मौके पर कहा, “2020 की शुरुआत एक शानदार लॉन्च के साथ हुई है। इसरो ने 2020 का मिशन कैलेंडर जीसैट-30 के सफल प्रक्षेपण के साथ किया है। खास बात यह है कि इसे जिस एरियन 5 रॉकेट से लॉन्च किया गया, उसका पहली बार 2019 में इस्तेमाल किया गया, तब भी रॉकेट का इस्तेमाल भारतीय सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए हुआ।
इंटरनेट स्पीड तेज होगी, डीटीएच सेवाओं में सुधार होगा
इसके लॉन्च होने के बाद देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। इससे इंटरनेट की स्पीड बढ़ेगी। साथ ही देश में जहां नेटवर्क नहीं है, वहां मोबाइल नेटवर्क का विस्तार हाेगा। इसके अलावा डीटीएच सेवाओं में भी सुधार होगा।यह एक दूरसंचार उपग्रह है, जो इनसैट सैटेलाइट की जगह काम करेगा। इसमें दो सोलर पैनल और बैटरी लगी है, जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी।
इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
पुराने संचार उपग्रह इनसैट सैटेलाइट की उम्र पूरी हो रही है। देश में इंटरनेट की नई तकनीक आ रही है। 5जी पर काम चल रहा है। ऐसे में ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। जीसैट-30 उपग्रह इन्हीं जरूरतों को पूरा करेगा।
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मोदी की योजनाओं का आलोचक रहा है वॉशिंगटन पोस्ट, दूसरी बार सत्ता में आने पर कहा था- वे कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा सकते हैं January 16, 2020 at 03:10AM
वॉशिंगटन. भारत दौरे पर आए अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिल पाएं।मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी वजह यह बताई जा रही है कि बेजोस का अखबार वॉशिंगटन पोस्ट कई मौकों पर मोदी और उनकी सरकार कीआलोचना करता रहा है। जब मोदी दूसरी बार भारी बहुमत से सत्ता में आए थे, तब भी अखबार ने दावा किया था कि वे अब अपने कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा सकते हैं।
अमेरिकी अखबार में पिछले साल 23 मई को रिपोर्ट आई थी कि मोदी को दूसरी बार भारी बहुमत मिला। उन्हें वोट करने वाले मतदाताओं में कट्टर हिंदुओं की संख्या ज्यादा थी। इसलिए वे पॉपुलिज्म की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं। उनकी नीतियों में भी हिंदुत्व की झलक देखने को मिल सकती है। मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में हर साल एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया, लेकिन असलीयत इसके बिल्कुल उलटी है। 45 सालों में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा बढ़ी। यह भी आरोप लगाया गया था कि उनके पिछले कार्यकाल में विकास दर सुस्त पड़ गई।
‘गैर-उदारवाद के एजेंडे को आगे बढ़ाया’
अखबार के मुताबिक, मोदी ने गैर-उदारवाद के एजेंडे को आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी ने औपचारिक तौर पर एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया। उन पर सबसे बड़ा आरोप यह लगा कि उन्होंने अपनी आलोचना करने वाले पत्रकारों पर हमेशा दबाव बनाए रखा। उन्होंने और उनकी पार्टी ने देश के 18 करोड़ मुसलमानों की चिंता नहीं की। राम मंदिर का निर्माण हमेशा से उनकी पार्टी के एजेंडे में रहा। अखबार ने यह भी लिखा कि उनके दूसरे कार्यकाल में उनकी पार्टी में एक ऐसी सांसद (साध्वी प्रज्ञा) चुनी गईं, जिस पर आतंकी घटना को अंजाम देने का आरोप है। घटना में कई बेगुनाह मुसलमान मारे गए थे।
‘धर्मनिरपेक्ष देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने का प्रयास कर रहे’
नागरिकता कानून को लेकर भी अखबार ने मोदी की आलोचना की थी। वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा था कि भारत ने मुस्लिम शरणार्थियों को अलग रखते हुए विवादित नागरिकता बिल को पारित कर दिया है। मोदी ने इस कानून से भारत के मुसलमानों को सावधान किया है। भारत के 130 करोड़ वाली जनसंख्या में करीब 18 करोड़ मुसलमान हैं। उन्हें डर है कि मोदी धर्मनिरपेक्ष भारत को एक हिंदू राष्ट्र में बदलने का प्रयास कर रहे हैं। देश में अब मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का माना जाएगा।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अखबार ने इसे असंवैधानिक बताया था
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया। 6 अगस्त को वॉशिंगटन पोस्ट ने साउथ एशियन हिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर कंजवाल की एक लेख प्रकाशित की। लेख के मुताबिक, मोदी सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया गया था। इस असंवैधानिक फैसले की वजह से जम्मू-कश्मीर में कोलोनियल प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। क्योंकि अब दूसरे राज्य के लोग कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे और स्थानीय लोगों को वहां से हटा सकेंगे। वहां पहले से ही करीब पांच लाख भारतीय सैनिक तैनात हैं। मोदी सरकार वहां अपने लॉन्ग टर्म प्लान लागू करने की योजना बना रही है। मोदी सरकार वहां भारी संख्या में हिंदुओं की आबादी बढ़ाना चाहती है। सरकार की मंशा वहां की मुस्लिम जनसंख्या को कम करने और हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ाने की है।
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