Saturday, November 28, 2020
German Xmas markets find ways around virus November 28, 2020 at 05:22PM
ब्राजील में 24 घंटे में 52 हजार मामले और 587 मौतें, राष्ट्रपति बोले- वैक्सीन नहीं लगवाउंगा November 28, 2020 at 04:37PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.25 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 31 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 14 लाख 58 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर मौजूद ब्राजील में इसका कहर कम नहीं हो रहा। शनिवार को यहां करीब 52 हजार नए मामले सामने आए। यहां राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो अब भी हालात को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन आ भी जाएगी तो वे इसे नहीं लगवाएंगे।
ब्राजील में संक्रमण की रफ्तार फिर तेज
ब्राजील में शनिवार को एक ही दिन में 51 हजार 922 नए मामले सामने आए। हालात कितने बेकाबू होते जा रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसी दौरान 587 लोगों की मौत भी हो गई। ब्राजील में 62 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसी दौरान एक लाख 72 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
बोल्सोनारो गंभीर नहीं
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो अब भी कोरोनावायरस की गंभीरता को समझने तैयार नहीं दिखते। एक बार फिर उन्होंने वायरस का मजाक उड़ाया। इतना ही नहीं मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को भी नकार दिया। साथ ही कहा कि अगर कोरोनावायरस की वैक्सीन आ भी गई तो वे इसे नहीं लगवाएंगे। उन्होंने कहा कि ब्राजील को वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है और वायरस वक्त के साथ खुद ही खत्म हो जाएगा। उन्होंने मास्क लगाने वालों की आलोचना की।
फ्रांस में क्रिसमस की तैयारियां शुरू
फ्रांस सरकार ने शनिवार को साफ कर दिया कि देश में संक्रमण के हालात पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है और जल्द ही लॉकडाउन पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। देश के कुछ हिस्सों में धीरे-धीरे दुकानें खुलने लगी हैं। हालांकि, रेस्टोरेंट और बार-होटल अब भी बंद हैं। पेरिस की सड़कों पर करीब चार हफ्ते बाद रौनक लौटने लगी है। 30 अक्टूबर के बाद पहली बार यहां गैर जरूरी चीजों की दुकानें भी खुलीं। लेकिन, टूरिस्ट्स की मुश्किल बरकरार है। 20 जनवरी तक यहां बार, रेस्टोरेंट्स और होटल बंद ही रहेंगे।
ऑस्ट्रेलिया में राहत
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में सख्त प्रतिबंधों का फायदा साफ तौर पर नजर आने लगा है। विक्टोरिया में लगातार 30 दिन से कोई नया केस सामने नहीं आया। इतना ही नहीं राज्य के किसी अस्पताल में फिलहाल कोई कोरोना पेशेंट एडमिट नहीं है। शनिवार को पूरे राज्य में सिर्फ 6 हजार टेस्ट ही किए गए। न्यू साउथ वेल्स में भी हालात काफी सुधार पर हैं। यहां 22 दिन से कोई नया केस नहीं मिला है। इसके अलावा किसी अस्पताल में कोई कोरोना पेशेंट फिलहाल नहीं है।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 13,610,357 | 272,254 | 8,041,239 |
भारत | 9,390,791 | 136,705 | 8,799,249 |
ब्राजील | 6,290,272 | 172,637 | 5,562,539 |
रूस | 2,242,633 | 39,068 | 1,739,470 |
फ्रांस | 2,208,699 | 52,127 | 161,137 |
स्पेन | 1,646,192 | 44,668 | उपलब्ध नहीं |
यूके | 1,589,301 | 57,551 | उपलब्ध नहीं |
इटली | 1,538,217 | 53,677 | 696,647 |
अर्जेंटीना | 1,407,277 | 38,216 | 1,235,257 |
कोलंबिया | 1,290,510 | 36,214 | 1,189,499 |
आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।
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नारायण मूर्ति की बेटी ब्रिटेन की महारानी से अमीर, संपत्ति छिपाकर निशाने पर आए वित्तमंत्री दामाद November 28, 2020 at 04:21PM
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में शुमार इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक यूके में वित्तमंत्री हैं। अपनी संपत्ति बताने में पारदर्शिता न बरतने को लेकर वे निशाने पर आ गए हैं। दरअसल, मूर्ति की बेटी अक्षता की इन्फोसिस में 0.91% हिस्सेदारी है। इनका मूल्य 4,300 करोड़ रुपए (430 मिलियन पौंड) है। पारिवारिक कंपनियों में हिस्सेदारी के चलते अक्षता ब्रिटेन की अमीर महिलाओं में शुमार हैं। संडे टाइम्स की सूची के अनुसार वे ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से भी अमीर हैं। महारानी के पास 3,500 करोड़ रुपए (350 मिलियन पौंड) की संपत्ति है।
द गार्जियन अखबार ने दावा किया है कि अक्षता कई अन्य कंपनियों में भी डायरेक्टर हैं, लेकिन ऋषि ने सरकारी रजिस्टर में इसका जिक्र नहीं किया है। बताया जाता है कि ऋषि सुनक के पास 2000 करोड़ रुपए (200 मिलियन पौंड) की संपत्ति है। वे ब्रिटेन के सबसे अमीर सांसद भी हैं। दरअसल, ब्रिटेन में हर मंत्री को वे तमाम वित्तीय हित घोषित करना जरूरी है, जिनसे कर्तव्य निभाने के दौरान हितों का टकराव हो सकता हो। सुनक ने पिछले महीने रजिस्टर को दी जानकारी में अक्षता के अलावा किसी का जिक्र नहीं किया है।
उन्होंने सिर्फ यह बताया है कि अक्षता छोटी कंपनी कैटामारान वेंचर्स यूके लि. की मालिक हैं। लेकिन ताजा रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अक्षता और उनके परिवार के अन्य कई वित्तीय हित ब्रिटेन में मौजूद हैं। द गार्जियन ने एक सूची भी प्रकाशित की है। इससे पता चलता है कि अक्षता मूर्ति की संपत्ति अरब-खरब रुपए में है।
मालूम हो, अक्षता और ऋषि की मुलाकात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी। दोनों ने 2009 में शादी की थी। कोरोना काल में ब्रिटेन में राहत पैकेज देकर ऋषि चर्चित रहे हैं। वे प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन के बाद सबसे अधिक चर्चित मंत्री हैं।
मूर्ति परिवार का बिजनेस पोर्टफोलियाे
- इन्फोसिस में संयुक्त हिस्सेदारी : 17 हजार करोड़ रुपए। ब्रिटेन में 10 हजार का स्टाफ, सरकारी कॉन्ट्रैक्ट
- अमेजन के साथ भारत में संयुक्त उपक्रम क्लाउडटेल : 9 हजार करोड़ रुपए सालाना
- ब्रिटेन में जेमी ओलिवर रेस्तरां चेन चलाने वाली फर्म और भारत में बर्गर चेन वेंडीज में हिस्सेदारी
- कोरू किड्स में भी हिस्सेदारी और डिग्मे फिटनेस में डायरेक्टर
- नारायण मूर्ति ब्रिटेन की पांच कंपनियों में हिस्सेदार या डायरेक्टर हैं।
- अक्षता सॉफ्टवेयर कंपनी सोरोको की यूके यूनिट की डायरेक्टर हैं।
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दिसंबर से जनवरी के बीच भारत में तूफान और तेज सर्दी तो चीन में हो सकती है अतिवृष्टि November 28, 2020 at 04:19PM
वर्ष 2020 में अगर अखबारों की सुर्खियों में कोरोना महामारी नहीं छाई होती तो संभवत: मौसम के अतिरेक से जुड़ी घटनाओं को यह जगह मिलती। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जंगलों की आग हो या औसत तापमान लगातार बढ़ने से रशिया के पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना या फिर एशिया और पैसिफिक द्वीपों के कई हिस्सों में अतिवृष्टि, बाढ़ या तूफान...यह सभी मौसम के बिगड़े मिजाज का ही नमूना है। अंतरराष्ट्रीय मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि साल बीतते-बीतते भी दक्षिण-पूर्व एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को अभी और मौसम से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
अभी हिंद महासागर में बन रही ला नीना परिस्थितियों के कारण भारत में तूफान-सर्दी तो चीन में अतिवृष्टि हो सकती है वहीं, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में सूखे जैसी स्थिति भी बन सकती है। टोक्यो बेस्ड वेदर मैप कंपनी में फोरकास्टर व मौसम से जुड़ी आपदाओं के प्रबंधन की विशेषज्ञ मासामी यामादा का मानना है कि आने वाले महीनों में दक्षिण एशिया में ला नीना की वजह से कुछ मुश्किलें आ सकती हैं।
इंडियन नीनो का असर
उन्होंने बताया कि इस वर्ष गर्मियों में हिंद महासागार डाइपोल की घटना हुई थी। इसमें महासागर के पूर्वी व पश्चिमी हिस्से के तापमान में अचानक बदलाव आ जाते हैं। इसे इंडियन नीनो भी कहा जाता है। इसकी वजह से महासागर के पश्चिमी हिस्से में गर्मी से वर्षा तेज हो जाती है और उत्तरी हिस्से में तापमान गिरने से ठंड बढ़ती है। और साथ ही सटे हुए इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखे की स्थिति बन जाती है। इसी वजह से इस साल चीन के यांग्त्जी बेसिन में अतिवृष्टि और बाढ़ की स्थिति बनी। बहुत संभव है कि दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्से में तेज वर्षा हो। मध्य वियतनाम और फिलिपींस में पहले ही तेज वर्षा और समुद्री तूफानों से काफी नुकसान हो चुका है।
अभी पूरे क्षेत्र में कनवेक्टिव एक्टिविटी बढ़ने से रिकॉर्ड बारिश देखने को मिल सकती है। बारिश के साथ ही ला नीना इफेक्ट से तापमान गिरने की भी संभावना बढ़ जाती है। भारतीय उपमहाद्वीप को इन दोनों का सामना करना पड़ सकता है। तमिलनाडु तट से टकराया निवार तूफान भी मौसम के इस मिजाज की तस्दीक करता है।
लॉन्ग टर्म फोरकास्ट
हालांकि लॉन्ग टर्म फोरकास्ट कहता है कि अगले साल की शुरुआत में ला नीना परिस्थितियां धीमी पड़ती जाएंगी और अगले बसंत तक भारत समेत पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में मौसम अपने सामान्य पैटर्न पर लौट आएगा।
हालांकि यामादा कहती हैं कि पूरी दुनिया में मौसम बिगड़ रहा है, यह हमें मानना होगा। चाहे समुद्री तूफान हों, भारी बर्फबारी-बारिश या बहुत ज्यादा गर्मी, यह सभी परिस्थितियां ला नीना या इंडियन ओशन डाइपोल जैसी घटनाओं के कारण हो रही हैं। इन घटनाओं की पुनरावृत्ति तेज हो गई है। ऐसे में मानव जीवन को प्रभावित करने वाली मौसम की परिस्थितियां अभी और नाटकीय मोड़ लेंगी।
50 वर्ष में मौसम से जुड़ी 11000 आपदाएं
वर्ल्ड मीटरोलॉजिकल एजेंसी पिछले 50 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा आपदाओं का संबंध मौसम से रहा है। इन आपदाओं में 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि 3.6 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
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चीन के वैज्ञानिकों का दावा- भारत से दुनिया में फैला कोरोनावायरस, ब्रिटेन के प्रोफेसर बोले- इस दावे में दम नहीं November 28, 2020 at 06:37AM
कोरोनावायरस को लेकर चीन नया पैंतरा आजमा रहा है। कोरोना फैलाने के लिए दुनियाभर में बदनाम होने के बाद चीनी वैज्ञानिक भारत पर आरोप लगा रहे हैं। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोनावायरस भारत में पैदा हुआ था। यहीं से वायरस पूरी दुनिया में फैला।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने चीनी दावे को फर्जी करार दिया है। ब्रिटेन के ग्लासगो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड राबर्ट्सन ने कहा कि चीनी वैज्ञानिकों के इस दावे में कोई दम नहीं है। इस रिपोर्ट में कई तरह की खामियां हैं। इससे कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) से जुड़ी कोई नई बात पता नहीं चलती है।
उधर, वायरस के सोर्स का पता लगाने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के वैज्ञानिक भी जांच कर रहे हैं। वैज्ञानिकों की एक टीम जल्द ही इसके लिए चीन जाने वाली है।
चीनी वैज्ञानिकों ने क्या कहा ?
- फिलोजेनेटिक एनालिसिस (वायरस के म्यूटेट होने का तरीका) से इसके कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार होने का पता चला है।
- रिसर्च में कहा गया कि कोरोनावायरस भारत में पिछले साल की गर्मियों में पैदा हुआ।
- वायरस पहले जानवरों में फैला और गंदे पानी के जरिए इंसानों में प्रवेश कर गया।
- भारत से वायरस चीन के वुहान पहुंचा और यहीं पहली बार इसकी पहचान हुई थी।
- भारत में पानी की कमी से बंदर जैसे जंगली जानवर आपस में लड़ते हैं। हो सकता है कि इससे इंसान और जंगली जानवरों के बीच संपर्क बढ़ा हो।
- SARS-CoV-2 का ट्रांसमिशन बहुत ज्यादा गर्मी के चलते हुआ।
- भारत में खराब हेल्थकेयर सिस्टम और यंग पॉपुलेशन के चलते लोगों में इसके हल्के लक्षण दिखे और कई महीनों तक ये बिना पहचान के ही फैलता रहा।
- चीन में कोरोनावायरस ने यूरोप के रास्ते पहुंचा।
चीन ने इटली, यूएस पर भी लगाए थे आरोप
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने कोरोनावायरस को लेकर दूसरे देशों पर आरोप लगाया है। इसके पहले चीनी वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में दावा किया था कि कोरोना का जन्म इटली और यूएस में हुआ था। वैज्ञानिकों ने कहा कि वुहान में मिला वायरस असली कोरोनावायरस नहीं था। जांच में कोरोनावायरस के बांग्लादेश, अमेरिका, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, भारत, इटली, चेक रिपब्लिक, रूस और सर्बिया में पैदा होने के सबूत मिले हैं।
चीनी वैज्ञानिकों ने तर्क दिया कि भारत और बांग्लादेश में सबसे कम म्यूटेशन वाले सैंपल मिले हैं और दोनों देश चीन के पड़ोसी हैं। इसलिए, संभव है कि वायरस का पहला ट्रांसमिशन यहीं हुआ हो। सैंपल और वायरस के म्यूटेशन में लगने वाले समय को आधार मानते हुए चीनी वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया कि वायरस जुलाई या अगस्त 2019 में पैदा हुआ।
दूसरे देशों ने रिसर्च को बेकार बताया
चीन के इस नए दावे को दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने बेमतलब बताया है। ग्लासगो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राबर्ट्सन ने डेली मेल को बताया कि चीनी रिसर्च में लीस्ट म्यूटेड वायरस की बात की गई है। यह पूरी तरह से बायस्ड लगती है। इसमें कई तरह की खामियां हैं। पहले ही रिसर्च में साफ हो चुका है कि वायरस का जन्म चीन में ही हुआ। वहीं से वायरस पूरी दुनिया में फैला।
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पैंगॉन्ग में अब नेवी के मार्कोस कमांडो तैनात, आर्मी और एयरफोर्स कमांडो पहले से मौजूद November 28, 2020 at 12:46AM
नेवी ने ईस्टर्न लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के पास अपने सबसे खतरनाक मार्कोस कमांडो तैनात कर दिए हैं। मार्कोस को दाढ़ी वाली फोर्स (Beard Force) भी कहा जाता है। इस इलाके में एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो और आर्मी की पैरा स्पेशल फोर्स पहले से ही मौजूद है। हालांकि, भारत ईस्टर्न लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव को खत्म करने के लिए बातचीत कर रहा है। लेकिन, चीन की चालबाजी को देखते हुए यहां ताकत भी बढ़ाई जा रही है।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि लद्दाख में मार्कोस तैनात करने का फैसला इसलिए लिया गया, ताकि तीनों सेनाओं के सबसे बेहतरीन कमांडो लद्दाख के मुश्किल हालात से तालमेल बिठा सकें। इस तैनाती से मार्कोस को बेहद सर्द मौसम में ऑपरेशन को अंजाम देने का अनुभव मिल सकेगा।
चीनी सेना के सामने तैनात हुए मार्कोस कमांडो
सूत्रों के मुताबिक, मार्कोस कमांडो उसी एरिया में तैनात किए गए हैं, जहां भारतीय और चीनी सेना इस साल अप्रैल के बाद से आमने-सामने हैं। नौसेना के कमांडोज को जल्द ही झील में ऑपरेशन के लिए नई बोट भी मिलने वाली हैं।
गरुण कमांडो, पैरा स्पेशल फोर्स पहले से मौजूद
अब तक लद्दाख में आर्मी और एयरफोर्स का मूवमेंट चल रहा था। अब इसमें नेवी भी शामिल हो गई है। सेना के पैरा स्पेशल फोर्स और कैबिनेट सेक्रेटेरिएट की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LaC) पर तैनात हैं। वहीं, हालात बिगड़ने पर सामरिक रूप से अहम चोटियों पर एयरफोर्स के स्पेशल गरूड़ कमांडो तैनात कर दिए गए थे। ये कमांडो IGLA एयर डिफेंस सिस्टम से लैस हैं।
IGLA एक शोल्डर फायर्ड सिस्टम है। इसे कंधे पर रखकर दुश्मन के एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया जा सकता है। इसे ले जाने का मकसद यही था कि चीन के फाइटर जेट या दूसरे एयरक्राफ्ट भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश न करें।
स्पेशल फोर्स ने ही चोटियों पर कब्जा किया था
आर्मी और एयरफोर्स की दोनों लड़ाकू टुकड़ियां 6 महीने से ज्यादा समय से ईस्टर्न लद्दाख में डटी हुई हैं। 29-30 अगस्त को सेना ने स्पेशल फोर्स की मदद से LaC पर कई अहम चोटियों पर कब्जा कर लिया था। उधर, चीन ने भी एलएसी पर अपने स्पेशल ट्रूप्स तैनात किए हैं।
कश्मीर में भी नेवी कमांडो तैनात किए गए
भारतीय नौसेना ने जम्मू-कश्मीर में भी आतंकवाद से निपटने के लिए वूलर लेक एरिया में मार्कोस की तैनात की है। एयरफोर्स ने 2016 के पठानकोट हमले के बाद कश्मीर घाटी में गरुड़ कमांडो की तैनाती शुरू की थी, ताकि उन्हें जमीनी ऑपरेशन का अनुभव मिल सके। यह तब के आर्मी चीफ और अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के प्लान का हिस्सा था।
गरुड़ कमांडो ने आतंकियों के ग्रुप का सफाया किया
कश्मीर में तैनाती के तुरंत बाद गरुड़ की टीम ने अपनी ताकत साबित कर दी थी। उन्होंने आतंकवादियों के एक पूरे ग्रुप को खत्म कर दिया था। आतंकी ग्रुप को मुंबई आतंकी हमले की साजिश में शामिल जहीर उर रहमान लखवी का भतीजा लीड कर रहा था।
आतंकियों के खात्मे के इस ऑपरेशन के लिए गरुड़ फोर्स को एक अशोक चक्र, तीन शौर्य चक्र और कई दूसरे वीरता पुरस्कार मिले। उस ऑपरेशन के बाद, वायु सेना कश्मीर में तैनाती के लिए लगातार गरुड़ टीमें भेज रही है। इधर, आर्मी के पास भी कई स्पेशल बटालियन हैं। इन्हीं फोर्सेस ने 2016 में पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
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