Sunday, December 15, 2019
वित्त मंत्री ने भारत से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की लिस्ट मांगी, कहा- हमारे रिश्ते शानदार December 15, 2019 at 07:15PM
ढाका. बांग्लादेश ने भारत से अपील की है कि वह देश में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों की लिस्ट साझा करे। वित्त मंत्री अब्दुल मोमेन ने रविवार को कहा कि सरकार भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को लौटने की अनुमति देगी। भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्तो में काफी मिठास है और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप (एनआरसी) की वजह से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मोमेन के मुताबिक, भारत पहले ही एनआरसी को अंदरूनी मुद्दा बता चुका है। ऐसे में बांग्लादेश का इस पर कोई असर नहीं होगा।
बांग्लादेशी वित्त मंत्री ने उन रिपोर्ट्स को भी झुठलाया, जिनमें भारत की तरफ से जबरदस्ती लोगों को बांग्लादेश भेजने की बात कही गई। मोमेन ने कहा कि अगर बांग्लादेशियों के अलावा कोई और बांग्लादेश में घुसने की कोशिश करेगा, तो हम उन्हें वापस भेज देंगे। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली से मांग की गई है कि वह देश में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों की लिस्ट साझा करे। हम उन्हें लौटने का मौका देंगे।
मीडिया से बातचीत के दौरान मोमेन से पूछा गया कि उन्होंने भारत दौरा क्यों रद्द किया। इस पर मंत्री ने कहा कि उनका दौरा और बांग्लादेश का विजयी दिवस साथ-साथ ही पड़ रहा था। इसके अलावा विदेश राज्य मंत्री शहरयार आलम भी देश में मौजूद नहीं थे, जिसके चलते उन्हें दौरा टालना पड़ा।
नागरिकता संशोधन कानून माना जा रहा था मंत्रियों का दौरा रद्द होने की वजह
इससे पहले कहा जा रहा था कि बांग्लादेश के वित्त और गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने भारत के नागरिकता संशोधन कानून की वजह से भारत दौरा रद्द किया है। हालांकि, इस पर बांग्लादेश की तरफ से कोई बयान नहीं आया था।
बांग्लादेश ने असम में एनआरसी पर भी नाराजगी जताई थी
असम में एनआरसी लिस्ट बनाने के भारत सरकार के फैसले पर भी बांग्लादेश की तरफ से नाराजगी जताई गई थी। हालांकि, तब कहा गया था कि यह भारत का अंदरूनी मसला है। एनआरसी में करीब 3.3 करोड़ आवेदक थे। इनमें से 19 लाख लोगों को आखिरी एनआरसी लिस्ट से बाहर कर दिया गया था। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस मुद्दे को न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में भी उठाया था।
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84 साल के धावक सबसे उम्रदराज अंटार्कटिक मैराथनर बने, 5 महाद्वीपों में 50 मैराथन दौड़ चुके December 15, 2019 at 07:12PM
एडमोंटन. कनाडा के अल्बर्टा प्रांत की राजधानी एडमोंटन के रहने वाले 84 साल रॉय स्वेनिंगसेन अंटार्कटिक आइस मैराथन में भाग लेने सबसे बुजुर्ग धावक बन गए हैं। शुक्रवार को रॉय ने मैराथन की फिनिश लाइन पार पर यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने दौड़ को 11 घंटे, 41 मिनट और 58 सेकंड में पूरा किया।
अंटार्कटिक आइस मैराथन के निदेशक रिचर्ड डोनोवन ने रॉय की तारीफ करते हुए कहा, ‘यह बहुत शानदार है, आने वाले एथलीट्स को आप हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।’ रॉय ने सबसे पहले 1964 में कैलगेरी मैराथन में भाग लिया था। तब से अब तक वह 5 महाद्वीपों की 50 से अधिक मैराथन में दौड़ चुके हैं। उनकी सबसे तेज मैराथन फिनलैंडकी राजधानी हेलसिंकी की थी, जो उन्होंने 2 मिनट 38 सेकंड में पूरी की।
इस साल की अंटार्कटिक आइस मैराथन में 15 महिलाएं और 41 पुरुष प्रतिभागी शामिल हुए। सभी प्रतिभागियों को निजी विमान की मदद से मैराथन साइट पर लाया गया था।
ये रहे मैराथन विनर
अंटार्कटिक मैराथन में बोस्टन के विलियम हैफर्टी ने पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने दौड़ को 3 घंटे, 34 मिनट और 12 सेकंड में पूरा किया। दूसरे नंबर पर चेक रिपब्लिक के लेंका फ्राइकोवा रहे। इन्होंने 4 घंटे, 40 मिनट और 38 सेकंड में फिनिश लाइन पार की। वहीं, महिला वर्ग में पहला स्थान कैम्ब्रिज की सुसान रेगन ने हासिल किया। 69 साल की रेगन ने 7 घंटे, 38 मिनट और 32 सेकंड में दौड़ पूरी की। रेगन बोस्टन मैराथन को 20 बार दौड़ चुकी हैं, उनका सबसे बेहतर प्रदर्शन 2008 में 58 साल की उम्र में रहा।
यह मैराथन - 20 डिग्री सेल्सियस पर होती है
दुनिया में अंटार्कटिका आइस मैराथन दक्षिणायन क्षेत्रकी सबसे प्रमुख दौड़ है। यह पृथ्वी के 80°अक्षांश पर - 20 डिग्री सेल्सियसतापमान में होती है। मैराथन अंटार्कटिका महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वतमाला की एल्स्वर्थ की पहाड़ियां पर आयोजित की जाती है, यहां से दक्षिणी ध्रुव की दूरी कुछ ही मील रह जाती है। यह मैराथन दुनिया की दो प्रमुख आधिकारिक मैराथन में से एक है, जो दक्षिण ध्रुव के भूभाग अंटार्कटिक सर्किल में होती है। इस क्षेत्र में दूसरा बड़ा आयोजन फरवरी में होने वाला अंटार्कटिक अंतरराष्ट्रीय मैराथन है।
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लंबे समय तक चली जलवायु वार्ता कार्बन मार्केट पर बिना समझौते के खत्म, महासचिव गुटेरेस निराश December 15, 2019 at 06:10PM
मैड्रिड. जलवायु को लेकर सबसे लंबे समय तक चली वार्ता रविवार को कार्बन मार्केट पर बिना किसी समझौते के खत्म हो गई। करीब 200 देशों के प्रतिनिधी 2015 के पेरिस समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए ग्रीनहाउस गैसों में कटौती के लक्ष्य पर आम सहमति बनाने में विफल रहे। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा-मैं सीओपी25 के रिजल्ट से बेहद दुखी हूं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय जलवायु संकट से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर खो दिया।
यह वार्ता करीब दो सप्ताह तक चली। 2015 के पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत देशों ने ग्लोबल कार्बन मार्केट सिस्टम बनाने पर सहमति जताई थी, जिससे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को कम लागत पर बेहतर की जा सके। हालांकि, कई देशों ने इस सिस्टम को मानने की कोशिश की और असफल रहे। 25 वार्षिक सम्मेलनों में सबसे ज्यादा लंबे समय तक चली चर्चा के बावजूद सबसे अहम मुद्दे को अगले साल ग्लासगो में होने वाले सम्मेलन के लिए छोड़ दिया गया।
‘विश्व स्तर पर ज्यादा से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन में कटौती की जरूरत’
कई पर्यावरण समूहों और कार्यकर्ताओं ने विश्व के अमीर देशों पर जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे के प्रति प्रतिबद्धता नहीं दिखाने का आरोप लगाया। गुटेरेस ने कहा, ‘‘हमें हार नहीं माननी चाहिए और मैं हार नहीं मानूंगा।’’पेरिस समझौते तक पहुंचने के लिए कुछ देश इस साल बातचीत के लिए साथ आए हैं। यूरोपीय संघ ने भी 2050 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचने के अपने दीर्घकालिक लक्ष्य पर सहमति जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पेरिस समझौते के लिए विश्व स्तर पर ज्यादा से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन में कटौती की जरूरत है।
‘दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश ही समझौते से गायब’
पेरिस समझौते के अनुसार, अमेरिका और अन्य देशों को बढ़ते वैश्विक तापमान को 2° सेल्सियस तक कम करना था। मैड्रिड में बेहतर नतीजे न आने के लिए पर्यवेक्षकों ने जी-20 देशों को दोषी ठहराया।
वैज्ञानिक संघ के नीति निदेशक एल्डन मेयर ने कहा कि लगभग 70 देशों में से अधिकांश ने जलवायु के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए पेरिस समझौतों को पूराकरने के लिए आगे आए हैं। लेकिन, दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश ही इससे गायब हैं। साथ ही समझौते काविरोध भी कर रहे हैं।
2015 का पेरिस जलवायु समझौता
समझौते के मुताबिक ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री स्तर में बढ़ोतरी होने के लिए जिम्मेदार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गरीब और अमीर देशों को कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके तहत कार्बन और ग्रीन हाउस गैसों का ज्यादा उत्सर्जन करने वाले देशों को अपने उत्सर्जन पर लगाम लगानी थी। साथ ही विकासशील देशों को शुरुआत से ही कम कार्बन उत्सर्जक बनने लायक आर्थिक सहायता और मूलभूत ढांचा मुहैया कराना था। पेरिस समझौते को दिसंबर 2015 में दुनिया के 195 देशों ने स्वीकार किया था।
अमेरिका 4 नवंबर 2020 तक समझौते से अलग होजाएगा
अमेरिका ने इस साल 4 नवंबर को यूएन महासचिव को पेरिस समझौते से हटने की आधिकारिक सूचना दे दी। सूचना देने के एक साल के बाद यह प्रभाव में आएगा। यह समझौता 12 दिसंबर 2015 को हुआ था, जिस पर अमेरिका ने 2016 में हस्ताक्षर किए थे।
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राष्ट्रपति अर्दोआन की चेतावनी- ट्रम्प प्रशासन ने प्रतिबंध बढ़ाए, तो देश में मौजूद अमेरिकी बेस बंद होंगे December 15, 2019 at 05:58PM
अंकारा. अमेरिका की तरफ से लगाए गए कड़े प्रतिबंधों पर तुर्की ने नाराजगी जताई है। राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने रविवार को कहा कि अब अगर अमेरिका तुर्की पर और प्रतिबंध लगाता है, तो वे देश में मौजूद अमेरिका के इनसर्लिक एयरबेस को बंद कर सकते हैं। अर्दोआन ने धमकी दी कि उनके पास इनसर्लिक के अलावा मलाक्या प्रांत के अदाना में मौजूद कुरेसिच रडार स्टेशन को भी बंद कर देंगे। कुरेसिच बेस में अमेरिकी सेना के अहम रडार लगे हैं। यह रडार अमेरिका और नाटो संगठन के देशों को मिसाइल लॉन्च की जानकारी देते हैं।
अमेरिकी सीनेट ने बुधवार को ही तुर्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। तुर्की ने पिछले साल रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का समझौता किया था। अमेरिका इसी से नाराज है। ट्रम्प प्रशासन पहले ही तुर्की से एफ-35 फाइटर जेट की डील रद्द कर चुका है। उसके अलावा नाटो देशों ने भी एस-400 की खरीद को लेकर तुर्की से दूरी बनाई है।
अमेरिकी संसद में अर्मेनिया नरसंहार पर बिल पास, इसको लेकर भी तुर्की नाराज
अमेरिकी संसद के उच्च सदन (सीनेट) ने हाल ही में 100 साल पहले हुए अर्मेनियन नरसंहार पर प्रस्ताव पारित कर इसकी निंदा की थी। अर्मेनियन नरसंहार 24 अप्रैल 1915 से शुरू हुआ, जब ऑटोमान (मौजूदा तुर्की) सरकार ने यहां करीब 15 लाख अल्पसंख्यकों की क्रूर हत्याएं करवाईं। इसे जर्मनी में नाजियों की हत्या के बाद दुनिया का सबसे दूसरा सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है। अमेरिकी सीनेट ने इसे नरसंहार के बजाय अर्मेनियाई नागरिकों का सामूहिक हत्याकांड बताया है। तुर्की ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि इससे दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ सकते हैं। अमेरिका इतिहास को अलग तरह से पेश करने की कोशिश कर रहा है।
राष्ट्रपति ट्रम्प कई बार तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुके हैं
दो महीने पहले जब तुर्की ने सीरिया में कुर्द विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन का ऐलान किया, तो ट्रम्प ने धमकी दी थी कि वे तुर्की की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देंगे। कुर्दों ने अमेरिका के साथ इस्लामिक आतंकी संगठन आईएस को हराने में अहम भूमिका निभाई थी। ट्रम्प ने अर्दोआन सरकार पर प्रतिबंधों का भी ऐलान किया। हालांकि, बाद में तुर्की ने कुर्दों के खिलाफ ऑपरेशन बंद कर दिए। ट्रम्प ने उनसे सीरिया को लेकर समझौते की अपील की थी।इसके अलावा रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए भी तुर्की पर काट्सा कानून के तहत कुछ प्रतिबंध लग चुके हैं।
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4 साल में 100 भाषाएं बोलने वाला रोबोट बनाया, यह फुटबॉल को किक लगा सकता है December 15, 2019 at 04:56PM
तेहरान. ईरान के तेहरान विश्वविद्यालय ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो 100 भाषाओं को बोल सकता है। इतना ही भाषाओं को समझकर यह अनुवाद कर सकता है। यह चेहरों को पहचान सकता है और फुटबॉल को किक लगा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग ने चार साल में इस रोबोट को तैयार किया है।
इसका नाम 'सुरेना' रखा गया है। यह चीजों को उठा सकता है। 100 अलग-अलग वस्तुओं को पहचान सकता है। इसे चेहरों को पहचाने में भी 'महारत' हासिल है। यह हाथ मिलाकर लोगों का अभिवादन भी कर सकता है।
सेल्फ बैलेंस्ड है
रोबोट सुरेना 170 सेंटीमीटर लंबा और 70 किलोग्राम वजनी है। एक घंटे में 700 मीटर चलने में सक्षम है। उबड़-खाबड़ जमीन पर यह आगे-पीछे और दाएं-बाएं मुड़कर संतुलन बनाए रख सकता है। इसके अलावा भी इसमें मनुष्यों के समान कई गुण हैं।
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राष्ट्रपति बोल्सोनारो के बेटे का इजराइल से वादा- येरुशलम में जल्द खुलेगा दूतावास, नेतन्याहू बोले- शुक्रिया December 15, 2019 at 04:55PM
येरुशलम. ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के बेटे एडुअर्डो बोल्सोनारो ने ऐलान किया है कि जल्द ही उनके पिता इजराइल के तेल अवीव में मौजूद दूतावास को येरुशलम ले जाएंगे। एडुअर्डो ने कहा कि यह कोई बहुत बड़ा फैसला नहीं है। यह एक सामान्य चीज है। एडुअर्डो ने कहा कि मेरे पिता ने इस साल चुनाव से पहले वादा किया था कि ब्राजील अपना दूतावास येरुशलम में खोलेगा। वह अब यह वादा पूरा करना चाहते हैं।
एडुअर्डो ने रविवार को इजराइल के येरुशलम में ब्राजीली व्यापार दफ्तर का उद्घाटन किया। इस दौरान इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू उनके साथ ही मौजूद थे। एडुअर्डो के ऐलान पर नेतन्याहू ने कहा कि हमारे पास ब्राजील से अच्छा कोई दोस्त नहीं हो सकता। आपका शुक्रिया।
यहूदी समुदायर के समर्थक हैं बोल्सोनारो
जायर बोल्सोनारो यहूदी समुदाय के बड़े समर्थक माने जाते हैं।चुनाव जीतने के बाद वेमार्च में इजराइल पहुंचे थे। यहां उन्होंने ऐलान किया था कि वे येरुशलम में पहले एक व्यापार दफ्तर खोलेंगे। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरह ही वे अपने दूतावास को भी तेल अवीव से येरुशलम ले जाएंगे।
अभी सिर्फ दो देशों के दूतावास ही येरुशलम में
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले साल मई में ही अपने नए दूतावास का येरुशलम में उद्घाटन किया था। उन्होंने अमेरिका के इस कदम को दोनों देशों की दोस्ती का नतीजा बताया था। उसके इस फैसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी। दिसंबर 2017 में संयुक्तर राष्ट्र के सदस्य देशों ने भी अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ वोट किया था। हालांकि, इसके बावजूद अमेरिका ने साल की शुरुआत में येरुशलम में अपने दूतावास का उद्घाटन कर दिया।
अमेरिका के अलावा अभी सिर्फ ग्वाटेमाला का दूतावास ही येरुशलम में है। रूस और ऑस्ट्रेलिया पश्चिमी येरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देते हैं। लेकिन दोनों के ही दूतावास तेल अवीव में हैं।
क्या है इजरायल-फिलिस्तीन के बीच विवाद?
येरुशलम इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से येरुशलम को लेकर विवाद है। दरअसल, इजरायल पूरे येरुशलम को अपनी प्राचीन और अविभाज्य राजधानी मानता है। वहीं फिलिस्तीन येरुशलम के पूर्वी हिस्से पर अपना दावा करता है। इस हिस्से पर इजरायल ने 1967 की मिडिल-ईस्ट वॉर में कब्जा कर लिया था।
येरुशलम पर इजरायल की स्वायत्ता को अब तक अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल पाई है। 1993 में हुए एक शांति समझौते के मुताबिक, येरुशलम की स्थिति को लेकर दोनों देशों के बीच शांति वार्ता होनी हैं। हालांकि, 1967 के बाद से ही इजरायल ने यहां कई निर्माण कर लिए हैं। अभी पूर्वी येरुशलम में करीब 2 लाख यहूदियों के घर हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक यह गलत है, लेकिन इजरायल इसे नहीं मानता।
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22 साल बाद फिर शुरू हुई लाहौर-वाघा शटल ट्रेन सेवा, रोजाना तीन फेरे लगाएगी December 15, 2019 at 06:20AM
इस्लामाबाद. पाकिस्तान ने 22 साल बाद फिर से लाहौर-वाघा शटल ट्रेन सेवा शुरू कर दी है। रेलमंत्री शेख रशीद ने इस ट्रेन का शनिवार कोऔपचारिक उद्घाटन किया। इस ट्रेन के दोबारा शुरू होने के बाद अब लाहौर से वाघा बार्डर तक जाने वाले यात्रियों को कमसमय लगेगा। यह शटल सेवा रोजाना तीन चक्कर लगाएगी। इसमें एक हजार यात्री वाघा तक जा सकेंगे। इसके लिए यात्रियों को प्रति व्यक्ति 30 रुपए किराया देना होगा।
वाघा बार्डर पर रोजाना होने वाली सैनिकों की परेड को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। शटल सेवा बंद होने की वजह से लोगों को बस से वहां तक जाना पड़ता था। ऐसे में समय अधिक लगता था। अब ट्रेन सेवा शुरू हो जाने से लोगों का वक्त बचेगा। 1997 तक यह ट्रेन सेवा चालू रही। लेकिन फिर संचालन और सुरक्षा कारणों के चलते इसे बंद कर दिया गया था।
रेल मंत्री ने कहा- 15 दिन के भीतर लाहौर-रायविंड के बीच ट्रेन शुरू होगी
शेख रशीद का कहना है कि वो रेल रूट के जरिए देश के उपनगरों के साथ लाहौर को जोड़ना चाहते हैं। लाहौर-वाघा शटल सेवा इसमें पहला कदम है। इसके बाद अगले 15 दिनों के भीतर लाहौर से रायविंड के लिए एक और ट्रेन शुरू होगी। वहीं जनवरी में लाहौर से गुजरांवाला के बीच ट्रेन सेवा शुरू होगी। इसे प्रधानमंत्री इमरान खान हरी झंडी दिखाएंगे।
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