Wednesday, April 8, 2020
Scores of detained Rohingya freed in Myanmar as coronavirusvirus fears mount April 08, 2020 at 08:17PM
No objection to Europe sending medical supplies to Iran: Donald Trump April 08, 2020 at 08:01PM
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन से प्रतिबंध हटाने पर ट्रम्प ने भारत को धन्यवाद दिया, मोदी ने कहा- मानवता की मदद के लिए हम जो संभव होगा करेंगे April 08, 2020 at 07:26PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प केट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि मुश्किल समय दोस्तों को करीब लाते हैं। मैंआपसे पूरी तरह सहमत हूं प्रेसिडेंट ट्रम्प। भारत-अमेरिका का संबंध पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है। भारत कोरोना से लड़ाई में मानवता की मदद के लिए जो भी संभव हो करेगा। हम इसे एक साथ मिलकर जीतेंगे।’’ इससे पहलेट्रम्प ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विनसे प्रतिबंध हटाने के लिए भारत को धन्यवाद दिया था।
ट्रम्प ने बुधवार को ट्वीटकिया था कि मुश्किल समय में दोस्तों के बीच और ज्यादा मजबूत संबंधजरूरी होता है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन पर फैसला लेने के लिए भारत और वहां के लोगों को धन्यवाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस लड़ाई में सिर्फ भारत नहीं बल्कि मानवता की मदद के लिए मजबूती से नेतृत्व करने के लिए आपको धन्यवाद।
ट्रम्प नेमोदी की तारीफ की थी
ट्रम्प ने बुधवार कोहाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की दवा को लेकरभारत के प्रति अपना रुख बदलते हुए मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने फॉक्स न्यूज से टेलीफोनिक बातचीत में कहा था, ‘‘मैंने लाखों (मिलियन)डोज खरीदी हैं। इस दवा की करीब 2.9करोड़ (29 मिलियन) से ज्यादा डोज खरीदी गई हैं। मैंनेमोदी से भी बात की। इनमें से सबसे ज्यादा (डोज) इंडिया से आएगी। मैंनेपहले उनसे पूछा था कि क्या वो दवाएं (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन) देंगे। उन्होंने हमें दवाएं दीं। वेमहान और बहुत अच्छे हैं। आप जानते हैं उन्होंने ये दवाएं रोक रखी थीं, क्योंकि वे इसे भारत के लिए चाहते थे। मोदी के इस निर्णय से चीजें बेहतर हुई हैं।’’
इससे पहले 7 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रम्प ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत उनके व्यक्तिगत आग्रह के बावजूद दवा नहीं भेजता है तो कार्रवाई की जाएगी। इसके 6 घंटे बाद भारत ने अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह दवा दूसरे देशों को भेजने की घोषणा की थी।शनिवार को ट्रम्प ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था।
भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यातपर रोक लगाई थी
सरकार ने25 मार्च को घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा की थी।सरकार नेदेश में कोरोना के संक्रमण के कारण स्थिति बिगड़ने की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगाई थी, ताकि देश में जरूरी दवाओं की कमी नहीं हो।मंगलवार को विदेश विभाग के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था किमानवीयता के आधार पर सरकार ने फैसला लिया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल को पड़ोस के उन देशों को भी भेजा जाएगा, जिन्हें हमसे मदद की आस है।
क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन?
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन भारत में मलेरिया के इलाज की पुरानी और सस्ती दवा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच यह दवा एंटी-वायरल के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है।हालांकि, इसके पुख्ता प्रमाण नहीं है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में कारगर है।चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी की रिपोर्टके मुताबिक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन लेने वालाव्यक्तिकोरोना से ज्यादा समय तक लड़ सकता है।
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Coronavirus claims record dead but Donald Trump sees light at end of tunnel April 08, 2020 at 06:54PM
कोरोनावायरस से संक्रमित 11 भारतीयों की मौत, इनमें ज्यादातर न्यूयॉर्क के रहने वाले; अन्य 16 की रिपोर्ट भी पॉजिटिव April 08, 2020 at 07:24PM
अमेरिका में अब तक कोरोनावायरस से संक्रमित 11 भारतीयों की मौत हो चुकी है। जबकि अन्य 16 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव है।देश में अब तक 14 हजार 795 लोग जान गंवा चुके हैं। वहीं, चार लाख 35 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में संक्रमण के कारण मरने वाले सभी पुरुष हैं। इनमें से ज्यादातर लोगन्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के रहने वाले हैं। न्यूयॉर्क अमेरिका में कोरोना का एपिसेंटर बना हुआ है। यहां अब तक छह हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं और एक लाख 51हजार से ज्यादा केस की पुष्टि हो चुकी है।
16 संक्रमितों में 4 महिलाएं
फ्लोरिडा में भी एक भारतीय की मौत होने की पुष्टि हुई है। कैलिफोर्निया और टेक्सास में और संक्रमित भारतीय लोगों का पता लगाया जा रहा है।16 संक्रमितों में चार महिलाएं हैं। सभी सेल्फ क्वारैंटाइन हो गए हैं। इनमें आठ न्यूयॉर्क, तीन न्यूजर्सी से और बाकि कैलिफोर्निया और टेक्सास से हैं। ये लोग भारत के उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश राज्य से हैं।
भारतीय दूतावास स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे
भारतीय दूतावास औरवाणिज्य दूतावास स्थानीय अधिकारियों और भारतीय-अमेरिकी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।ताकि कोरोनो से प्रभावित भारतीयों को जरूरी सहायता प्रदान की जा सके। इससे पहले भारतीय मूल के एक पत्रकार ब्रह्म कंचीबोतला (66) की भी न्यूयॉर्क में मौत हो गई थी।
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भारत के बाद पाकिस्तान में भी तब्लीगी जमात ने संक्रमण फैलाया, सरकार के विरोध के बावजूद वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया था April 08, 2020 at 06:19PM
भारत और मलेशिया के बाद पाकिस्तान में भी तब्लीगी जमात के सदस्यों की कोरोना फैलाने के लिए आलोचना की जा रही है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब सरकार ने इसका कड़ा विरोध के बावजूद जमात ने 10 मार्च को सालाना सम्मेलन किया था। इसका आयोजन पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित राइविंड मरकज में हुआ था। इसमें शामिल 404 लोग जांच के बाद संक्रमित मिले हैं। पूरे पाकिस्तान मेंअब तक यहां539 जमाती संक्रमित पाए गए हैं। इससे पहले भारत में भी जमात ने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में ऐसा ही आयोजन किया था। इसके बाद 2000 से ज्यादाजमाती अब तक संक्रमित मिल चुके हैं।
आयोजन में करीब 3 हजार लोग 40 देशों से पहुंचे थे। पाकिस्तान सरकार के संक्रमण रोकने के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ाने रोकने के बाद यह अपने देश नहीं लौट सके। माना जा रहा है कि इन्हीं लोगों के कारण संक्रमण बड़े पैमाने पर फैला। पंजाब प्रांत की विशेष शाखा के मुताबिक, इसमें करीब 70 से 80 हजार लोग शामिल हुए थे। हालांकि जमात प्रबंधन इसमें 2 लाख 50 हजार लोगों के शामिल होने का दावा कर रहा है।
पाकिस्तान में 4 हजार से ज्यादा संक्रमित
अबतक पाकिस्तान में 4196 संक्रमित मिले हैं और 60 लोगों की मौत हो चुकी है। जमात के सैंकड़ों सदस्यों के पॉजिटिव मिलने के बाद राइविंड शहर को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया। पंजाब प्रांत के 36 जिलों में 10 हजार 263 लोगोंको क्वारैंटाइन किया गया है। जमात के आयोजन में शामिल हुए लोगों को ट्रेेस किया जा रहा है।
शीर्ष अधिकारियों को देना पड़ा दखल
सरकार के निर्देश के बाद भी जब जमात ने कार्यक्रम रद्द नहीं किया तो शीर्ष अधिकारियों को दखल देना पड़ा। लाहौर के पुलिस अधिकारी जुल्फीकार हमीद ने जमात के पदाधिकारियों से बात की। लाहौर डिविजन के कमिश्नर और डीआईजी ने मरकज का दौरा किया और वहां के अधिकारियों से बात की। इसके बाद 6 दिनों के इस आयोजन को घटाकर तीन दिन का कर दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग ने जमात के रवैये की आलोचना की
स्वास्थ्य विभागके अधिकारियों ने जमात को संक्रमण के मामले बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। विभाग की अधिकारी यास्मीन राशिद ने कहा कि जमात के सदस्यों ने विभाग के निर्देशों को नहीं माना और सहयोग नहीं किया। इस वजह से संक्रमितों की संख्या अचानक बढ़ गई। अब तक जमात के जिन सदस्यों को क्वारैंटाइन किया गया है, उनकी जांच की जा रही है। ऐसी आशंका है कि इनमें से 35 से 40 प्रतिशत संक्रमित हो सकते हैं।
दिल्ली में 1 से 15 मार्च तक हुआ था जमात का कार्यक्रम
दिल्ली के निजामुद्दीनमरकज में 1 से 15 मार्च के बीच हुए कार्यक्रम में देश-विदेश के 5 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। लेकिन, इसके बाद भी करीब 2000 से ज्यादा लोग यहां रुके रहे, जबकि ज्यादातर लॉकडाउन से पहले अपने घरों को लौट गए। यहां से संक्रमण का कनेक्शन भारत के दिल्ली समेत 22 राज्यों से जुड़ा था। इनमें तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, पुडुचेरी, कर्नाटक, अंडमान निकोबार, आंध्रप्रदेश, श्रीनगर, दिल्ली, ओडिशा, प.बंगाल, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात, मेघालय, मणिपुर, बिहार, केरल और छत्तीसगढ़ शामिल है। अब लगातार इन राज्यों से इनके संक्रमण से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं।
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Denmark dishes out salaries to virus-hit companies April 08, 2020 at 06:41PM
Finland discovers masks bought from China not hospital-safe April 08, 2020 at 06:30PM
पहले कोरोना पर हो रही राजनीति को क्वारैंटाइन करो, महामारी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप आग से खेलने जैसा: डब्ल्यूएचओ प्रमुख April 08, 2020 at 06:38PM
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनियाभर में फैल रहे कोरोनावायरस के संक्रमण के खिलाफ सभी देशों से एकजुट रहने की अपील की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प डब्ल्यूएचओ पर चीन को केंद्र में रखकर काम करने का आरोप लगा चुके हैं। बुधवार को उन्होंने फिर कहा कि डब्ल्यूएचओ को सही वक्त पर महामारी को लेकर चेतावनी जारी करनी चाहिए थी। ट्रम्प संगठन को अमेरिकी फंडिंग रोकने की धमकी दे चुके हैं। इस पर डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस गेब्रेयेसिएस ने कहा कि महामारी के राजनीतिकरण से मतभेद बढ़ेंगे। यह नया वायरस है और 100 दिन में ही इसने दुनिया को बदल दिया। कृपया कोरोना पर हो रही राजनीति को क्वारैंटाइन करो, अगर जीतना चाहते हो तो एक-दूसरे पर आरोप लगाने में वक्त बर्बाद मत करो। यह आग से खेलने जैसा है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने बुधवार को फिर से डब्ल्यूएचओ पर चीन को केंद्र में रखकर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ की फंडिंग खत्म करेगा। उसने महामारी को गलत तरीके से लिया। संगठन को ठीक ढंग से अपनी प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए थीं। हम जांच कराएंगे कि क्या डब्ल्यूएचओ को फंड दिया जाए। सभी के लिए समान रवैया रखा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला।
'अगर ज्यादा मौतें देखना चाहते हैं, तो राजनीति करिए'
डब्ल्यूएचओ प्रमुख गेब्रेयेसिएस ने राष्ट्रपति ट्रम्प के आरोपों का जवाब दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि कोरोना का राजनीतिकरण मत कीजिए। ऐसा करने से मतभेद बढ़ते हैं। इस समय हमें एक दूसरे की कमी निकालने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अगर आप और ज्यादा मौतें देखना चाहते हैं, तो ही ऐसा करिए। कोरोना से हर मिनट लोग मर रहे हैं। अगर हम जल्दी एकजुट नहीं हुए तो स्थिति और खराब हो सकती है। कोरोना के बारे में अब भी बहुत कुछ हमें पता नहीं है। यह एक नया वायरस है। हमें पता नहीं कि आगे जाकर यह कैसे व्यवहार करेगा। इसलिए हमारा एकजुट होना पहले से कहीं अधिक जरूरी है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुखको जान से मारने की धमकी मिली
गेब्रेयेसिएस ने बताया कि कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई के दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी मिली। एक सवाल पर उन्होंने कहा, ''मैं व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाए जाने की परवाह नहीं करता हूं। पिछले तीन महीने में मुझे कई तरह के अपशब्द कहे गए। मुझे नीग्रो और अश्वेत कहा गया। यहां तक कि जान से मारने की धमकी भी दी गई। मैंने कोई जबाव नहीं दिया। यह धमकी ताइवान से किसी ने दी थी। कार्रवाई करने की बजाय ताइवान के अधिकारी मेरी ही आलोचना करने लगे। मुझे अश्वेत होने पर गर्व है।''
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11 Indians die of coronavirus in US April 08, 2020 at 06:18PM
ब्रिटेन में लोग 5 जी तकनीक को कोरोना के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे, कैबिनेट मंत्री ने इसे मूर्खतापूर्ण बताया April 08, 2020 at 04:30PM
ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण रोकने में लगे अधिकारियों को एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोग संक्रमण फैलने के लिए 5 जी कनेक्टिविटी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कुछ नागरिक तो मोबाइल इंजीनियरों को धमकी दे रहे हैं और 5 जी मास्ट जला रहे हैं। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है कि इस तकनीक का संक्रमण से कोई संबंध है। मोबाइल कनेक्टिविटी की अहम सुविधाओं को नुकसान पहुंचाने से अब यहां के कम्युनिकेशन नेटवर्क पर खतरा पैदा हो रहा है। कैबिनेट मंत्री माइकल गोव ने इन बातों का खंडन किया है। उन्होंने इसे मूर्खतापूर्ण और खतरनाक बताया है।
सोशल मीडिया पर कोरोना को 5 जी को कोरोना से जोड़ने की साजिश की बात कहने वाली पोस्ट्स की भरमार है। तथाकथित कोरोना विशेषज्ञ इस पर अपने लेख के जरिए तर्क दे रहे हैं। इसे देखते हुए अब गूगल कंपनी ने इस मामले में दखल देने का फैसला किया है।
एनएचएस के डायरेक्टर ने मोबाइल नेटवर्क को जरूरी बताया
ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस(एनएचएस) के मेडिकल डॉयरेक्टर स्टीफन पोविस ने का कि यह पूरी तरह से गलत है। यह एक घटिया तरह का फेक न्यूज। हकीकत यह है कि मोबाइल फोन नेटवर्कमौजूदा समय में हम सभी के लिए जरूरी है। इसे नुकसान पहुंचाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
गूगल अफवाह बढ़ाने वाले वीडियो हटाएगी
गूगल ने कहा है कि वह इस अफवाह को बढ़ावा देने वाले सभी वीडियो को इंटरनेट से हटाएगी। यू ट्यृब के एक प्रवक्ता ने गार्डियन से बताया कि हमारे पास ऐसी नीति है जिससे हम कोरोना से बचने के लिए इलाज के बदले दूसरी तरीक अपनाने की बात कहने वाले वीडियो को हटा सकते हैं। हमने जानकारी मिलने के बाद इस दिशा में कदम उठाया है। ऐसे सभी वीडियो हटाए जा रहे हैं जिसमें यूजर्स को 5 जी और कोरोना के बारे में गलत जानकारी दी गई है।
दो जगहों पर टेलीकॉम कर्मचारियों से बदसलूकी हुई
कई जगहों पर मोबाइल फोन टावर्स को क्षतिग्रस्त किया गया है। बीते दिनों बिर्मिंघम और मर्सीसाइड में टेलीकॉम कर्मचारियों से बदसलूकी की गई। ब्रिटेन की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बीटी के एक मोबाइल टावर में आग लगा दी गई। इससे हजारों लोगों को 2जी, 3जी, 4जी और इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा दी जा रही थी। इस टावर से 5 जी कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं दी जा रही थी।
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अब तक 88 हजार मौतें: अमेरिका में 11 भारतीय की मौत, अन्य 16 पॉजिटिव; यहां 24 घंटे में 1,973 लोगों ने दम तोड़ा April 08, 2020 at 04:10PM
दुनियाभर में कोरोनावायरस से अब तक 88 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। 15 लाख 17 हजार संक्रमित हैं, जबकि तीन लाख 30 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अमेरिका में कोरोना से लगभग 11 भारतीयों की मौत हो गई है। अन्य 16 लोगों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। वहीं, अमेरिका में 24 घंटे में 1,973 लोगों ने दम तोड़ा है। इसके साथ ही देश में अब तक 14 हजार 787 लोगों की जान जा चुकी है. जबकि चार लाख 34 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक को जान से मारने की धमकी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहोनम गेब्रेयेसिएस ने बुधवार को खुलासा किया कि कोरोना से लड़ाई अभियान के दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन के दौरान अमेरिका और चीन समेत सभी देशों को कोरोना पर राजनीति नहीं करने की सलाह दी। इसके बाद एक सवाल के जवाब में कहा कि वे व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाए जाने की परवाह नहीं करते। पिछले तीन महीने में मुझे कई तरह के अपशब्द कहे गए। मुझे नीग्रो और अश्वेत कहा गया। यहां तक कि जान से मारने की धमकी भी दी गई। मैंने कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया। उन्होंने बताया कि जान से मारने की धमकी ताइवान से किसी ने दी। कार्रवाई करने की बजाय ताइवान के अधिकारी उनकी ही आलोचना करने लगे। उन्होंने कहा कि हां वह नीग्रो और अश्वेत हैं और उन्हें इस बात का गर्व है।
- गेब्रेयेसिएस ने कहा- कोरोना से हर मिनट लोग मर रहे हैं। यदि हम जल्दी एकजुट नहीं हुए तो स्थिति और खराब हो सकती है। कोरोना के बारे में अब भी बहुत कुछ हमें पता नहीं है। यह एक नया वायरस है। हमें पता नहीं कि आगे जाकर यह कैसे व्यवहार करेगा। इसलिए हमारा एकजुट होना पहले से कहीं अधिक जरूरी है।
- इससे पहले गेब्रेयेसिएस ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ द्वारा कोरोना को एक अज्ञात वायरस के रूप में अधिसूचित किए हुए गुरुवार को 100 दिन रे हो रहे हैं। इन 100 दिनों में इस वायरस ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है। यह नया वायरस है इसलिए हमें और आश्चर्यों का सामना करना पड़ेगा।
रूस: विदेश में फंसे अपने 1200 नागरिकों को वापस लाया
रूस ने विदेश में फंसे अपने 1,211 नागरिकों को पिछले दो दिनों में वापस लाने के लिए आठ उड़ानें भरीं। देश के परिवहन मंत्रालय ने बुधवार को कहा, “पहले उप परिवहन मंत्री अलेक्जेंडर नेराडको ने सात और आठ अप्रैल को रूसी नागरिकों को वापस लाने वाली उड़ानों के बारे में जानकारी दी। इन दो दिनों में कुल 8 उड़ानों से 1211 नागरिकों को वापस लाया गया है। ” बयान में कहा गया कि रूस में 20 मार्च से अब तक एक लाख 64 हजार 600 नागरिक घर आ चुके हैं। देश में अब तक आठ हजार 672 संक्रमित हैं, जबकि 63 लोगों की मौत हो चुकी है।
द. अफ्रीका: लॉकडाउन नियम तोड़ने पर मंत्री 2 महीने के लिए सस्पेंड
दक्षिण अफ्रीका की संचार मंत्री स्टेला अंदाबेन को लॉकडाउन नियम तोड़ने पर दो महीने के लिए निलंबित कर दिया गया। उन पर आरोप है कि वे कुछ लोगों के साथ लंच पर गईं थीं। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरलहुई थीं। इसमें वे अपने कुछ दोस्तों के साथ लंच कर रही थीं। तस्वीरों में पांच लोग नजर आ रहे थे। इसके बाद अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने बुधवार को उन्हें दो महीने की छुट्टी भेजदिया।
पेरू: 26 अप्रैल तक आपातकाल बढ़ा
पेरू प्रशासन ने कोरोनावायरस के मद्देनजर देश में 26 अप्रैल तक आपातकाल बढ़ा दी है। राष्ट्रपति मार्टिन विजकारा ने कहा, “आपातकालीन स्थिति को अगले दो हफ्ते यानी 26 अप्रैल तक बढ़ाना जरूरी है। कोरोना के खिलाफ सबसे कठिन समय सामने आ रहा है ऐसे में हम उससे लड़ने के अपने प्रयासों को कम नहीं कर सकते।” पेरू में 16 मार्च को 15 दिनों के लिए आपातकाल लगाया गया था, लेकिन फिर इसे 12 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था। पेरू में कोरोना से संक्रमित 4342 मामलों की पुष्टि हुई है जबकि 121 लोगों की मौत हो चुकी है।
सर्बिया: राष्ट्रपति एलेक्जेंडर वुसिक ने बेटे के संक्रमित होने की घोषणा की
सर्बिया के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर वुसिक ने बुधवार को अपने बेटे डेनिलो के कोरोनावायरस से संक्रमित होने की घोषणा की। वुसिक ने ट्वीट किया, “जब यह सब शुरू हुआ, तो मेरे बेटे डानिलो ने कहा कि हार मानना कोई विकल्प नहीं है। मेरा पहला बच्चा कोरोना से संक्रमित था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बेटे, तुम यह भी जीतोगे। तुम्हारे पिता तुमसे प्यार करते हैं और हर कोई तुमसे प्यार करता है।” सर्बिया में अब तक 2,666 मामलों की पुष्टि हुई है जबकि 65 लोगों की मौत हो चुकी है।
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Covid-19: Who chief calls for end to 'politicization' of virus crisis April 08, 2020 at 04:08PM
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोनावायरस के मामलों पर स्टडी की, इसमें दावा- अमेरिका में जहां प्रदूषण ज्यादा, वहां मौतें अधिक April 08, 2020 at 01:58PM
(लीजा फ्रीडमैन)दुनियाभर से खबरें और तस्वीरें आ रही हैं कि कोरोनावायरस के फैलते संक्रमण से बचने के प्रयासों के बीचवायु प्रदूषण में कमी आई है। लेकिन,इससे जुड़ा एक और तथ्य सामनेआया है, जिसके मुताबिक जिन इलाकों मेंप्रदूषण ज्यादा था, वहां पर कोरोना से मौतें भी ज्यादा हुईं। जहां प्रदूषण कम मात्रा में था, वहां पर संक्रमण भी कम फैला और मौतों का आंकड़ा भी कम रहा। यह दावा अमेरिका की देशव्यापी स्टडी में किया गया है।हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने स्टडी के दौरान अमेरिका की 3080 काउंटी का विश्लेषण किया।
यूनिवर्सिटी के टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक,जिन इलाकों में प्रदूषित कणों (पीएम 2.5) का स्तर ज्यादा था, वहां मृत्यु दर भी ज्यादा रही। इस तरह की स्टडीदेश में पहली बार हुई। शोधकर्ताओं ने सांख्यिकीय गणना के आधार पर यह माना है कि प्रदूषण कणों की संख्या ज्यादा होने का असर कोरोना और अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों पर पड़ा है। स्टडी के अनुसार,अगर मैनहट्टन अपने औसत प्रदूषण कणों को पिछले 20 साल में एक माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर भी कम कर देता तो शायद हमें 248 मौतें कम देखने को मिलती। इस शोध सेहेल्थ अफसरों को यह तय करने में मदद मिल सकती है कि मरीजों को वेंटिलेटर्स और रेस्पिरेटर्स जैसे संसाधन कैसे देने हैं।
लंबी अवधि में प्रदूषण की मात्रा बढ़ना, कोरोना केखतरे को भी बढ़ाएगा
हार्वर्ड डेटा साइंस इनिशिएटिव के डायरेक्टर और स्टडी के लेखक फ्रांसेस्का डोमिनिकी के मुताबिक,कई काउंटी में पीएम 2.5 का स्तर 1 क्यूबिक मीटर में 13 माइक्रोग्राम है। यह अमेरिकी औसत 8.4 से बहुत अधिक है। स्टडी के नतीजों से स्पष्ट होता है कि लंबी अवधि में प्रदूषण की मात्रा बढ़ना, कोरोना संबधी खतरे को भी बढ़ाएगा। उदाहरण के लिए कोई शख्स 15-20 साल तक ज्यादा प्रदूषण झेलता रहा है तो कम प्रदूषित जगह पर रहने वाले की तुलना में उसकी कोरोना से मौत की संभावना 15% ज्यादा रहेगी।
यूरोप के सबसे प्रदूषित सौ शहरों में से 24 शहर इटली
इटली में कोरोना से ज्यादा मौतों को भी प्रदूषण से जोड़कर देखा जा रहा है। स्विस एयर मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म आईक्यूएयर के मुताबिक, यूरोप के सबसे प्रदूषित सौ शहरों में से 24 शहर इटली के हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि ऐसे में वायरस संक्रमण और मृत्यु दर बढ़ने की वजह प्रदूषित हवा भी हो सकती है।
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इटली के रास्ते पर भारत, मौत और केस की रफ्तार एक जैसी, समय में बस एक महीने पीछे April 08, 2020 at 01:58PM
नई दिल्ली. भारत में कोरोनावायरस के केस और मौतें लगातार बढ़ रही हैं। इससे देश में वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ गया है, इसी को कोरोना का थर्ड फेज भी कहा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत अब थर्ड फेज की दहलीज पर खड़ा है। इसकी असल तस्वीर लॉकडाउन खत्म होने यानी 14 अप्रैल से पहले साफ हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि भारत में कोरोना का ग्राफ इटली जैसा ही दिख रहा है। अंतर बस समय का है।
कोरोनावायरस के मामलों और मौतों के लिहाज से देखें तो भारत तकरीबन इटली के रास्ते पर ही बढ़ रहा है। बस हम समय में उससे एक महीने पीछे हैं। वर्ल्ड मीटर के आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल तक भारत में कोरोना के 1998 केस आए थे और 58 मौतें हुई थीं। एक महीने पीछे यानी एक मार्च के इटली के आंकड़े देखें तो वहां इस तारीख तक कोरोना के 1577 केस आए थे, जबकि मौतें 41 हुई थीं। सोमवार यानी छह अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस के 4778 केस सामने आ चुके हैं, जबकि 136 मौतें हुई हैं। अब इससे एक महीने पीछे चलें, यानी इटली में 6 मार्च तक का कोरोना ग्राफ देखें तो वहां 4636 केस आए थे, जबकि 197 मौतें हुई थीं।
रोजाना की स्थिति: भारत में अब रोज उतने ही केस आ रहे, जितने एक महीने पहले रोज इटली में आ रहे थे
भारत और इटली में रोजाना के केस और मौतों की संख्या भी लगभग एक जैसी ही है। यहां भी बस अंतर समय का है। एक महीने पहले इटली में रोजाना भारत जितने ही केस आ रहे थे और मौतें भी लगभग बराबर हो रही थीं। इटली में एक मार्च को 573 केस आए थे और 12 मौतें हुई थीं। एक महीने बाद भारत में एक अप्रैल को 601 केस आए और 23 मौतें हुईं।
रोजाना की मृत्युदर: भारत में कोरोना से रोज की औसत मृत्युदर भी एक महीने पहले के इटली जैसे ही है
कोरोनावायरस से भारत और इटली में रोजाना की मृत्युदर भी लगभग एक जैसी है। दोनों देशों के बीच अंतर सिर्फ समय का है। आंकड़ों पर गौर पर करें तो पता चलता है कि एक महीने पहले इटली में कोरोना से रोजाना की औसत मृत्युदर तकरीबन भारत के मौजूदा हालात जैसे ही थे। 1 मार्च को इटली में कोरोना से मृत्युदर 33.01 फीसदी थी। एक महीने बाद 1 अप्रैल को भारत में कोरोना से मृत्यदर 28.16 फीसदी थी।
भारत में अब तक कोरोनावायरस के केस कम होने के पीछे की बड़ी वजहें
1- कम टेस्टिंग होना: भारत में अभी तक सिर्फ 85 हजार लोगों का ही कोरोनावायरस टेस्ट हुआ है, यानी एक लाख की आबादी पर सिर्फ 6.5 लोगों का ही टेस्ट हो रहा है
- 130 करोड़ आबादी वाले देश में जिस तरह कोरोना वायरस के लिए स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं, वो नाकाफी हैं। भारत में अब तक करीब 85 हजार टेस्ट हो पाए हैं। कुछ राज्यों में अबभी रोजाना-250 से 500 तक टेस्ट ही किया जा रहा है। इसमें एक व्यक्ति के कई टेस्ट होते हैं। इसलिए भी भारत में कोरोना के केस कम आए हैं।भारत में अभी एक लाख की आबादी पर महज 6.5 लोगों की ही टेस्ट हो सका है।
- वहीं, दुनिया के अन्य देशों इसकी स्थिति भारत से उलट है। दक्षिण कोरिया की आबादी महज 5.1 करोड़ है। वहां अब तक 2.5 लाख से अधिक लोगों का टेस्ट किया जा चुका है। एक अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक हर एक लाख की आबादी पर बहरीन ने 20,075 लोगों का, दक्षिण कोरिया ने 8,222 का, इटली ने 8,385 का, ऑस्ट्रिया ने 6,203 का, ब्रिटेन ने 2,109 का, अमेरिका ने 447 का, जापान ने 257 लोगों का कोरोना टेस्ट किया है। चीन ने मार्च के अंत तक कुल 3.20 लाख लोगों का टेस्ट किया था।
2- लॉकडाउन जल्द लागू होना: इस वजह से कोरोनावायरस एक महीने से दूसरे स्टेज में ही बना हुआ है, इसीलिए अभी रोजाना औसतन 500 केस ही सामने आ रहे हैं
- डब्ल्यूएएचओ काकहना है कि भारत सरकार ने सही समय पर लॉकडाउन लागू किया।इसीलिए देश में कोरोना के केस कम आ रहे हैं। भारत में कोरोनावायरस की रफ्तार चीन, अमेरिका ओर यूरोपीय देशों के तुलना में काफी धीमी है।
- 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन तक देश में 374 केस थे। उसके बाद 8 दिनों में करीब 820 केस सामने आए हैं। यानी एक दिन में औसतन 100 केस ही सामने आए। 31 मार्च को 1635 केस थे। 6 अप्रैल को यह संख्या बढ़कर 4778 हो गई। यानी 6 दिन में 3145 केस आएहैं। देश में अब औसतन एक दिन में 500 से ज्यादा कोरोना केस आ रहे हैं।
- एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि भारत में कोरोनावायरस एक महीने से दूसरे स्टेज में ही बना हुआ है, अभी यह तीसरे स्टेज में नहीं पहुंच पाया है। जिसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन का फेज भी कहा जाता है। जबकि अमेरिका में 10 दिन में ही कोरोनावायरस के केस एक हजार से 20 हजार तक पहुंच गए थे।
3- बीसीजी का टीका लगना: भारत समेत दुनिया के जिन देशों में लंबे समय से बीसीजी का टीका लग रहा, वहां लोगों में कोरोनावायरस का खतरा कम है
- भारत में कोरोनावायरस की रफ्तार कम होने के पीछे बीसीजी टीके को भी खास बताया जा रहा है। दरअसल, भारत में 72 साल से बीसीजी के जिस टीके का इस्तेमाल हो रहा है, उसे दुनिया अब कोरोना से लड़ने में मददगार मान रही है।
- न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की स्टडी के मुताबिक, अमेरिका और इटली जैसे जिन देशों में बीसीजी वैक्सीनेशन की पॉलिसी नहीं है, वहां कोरोना के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं और मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। वहीं, जापान और ब्राजील जैसे देशों में इटली और अमेरिका के मुकाबले मौतें फिलहाल कम हैं।
- बीसीजी का पूरा नाम है, बेसिलस कामेट गुएरिन। यह टीबी और सांस से जुड़ी बीमारियों को राेकने वाला टीका है। बीसीजी को जन्म के बाद से छह महीने के बीच लगाया जाता है। मेडिकल साइंस की नजर में बीसीजी का वैक्सीन बैक्टीरिया से मुकाबले के लिए रोग प्रतिरोधक शक्ति देता है। इससे शरीर को इम्यूनिटी मिलती है, जिससे वह रोगाणुओं का हमला झेल पाता है। हालांकि, कोरोना एक वायरस है, न कि बैक्टीरिया।
जो थ्योरी फेल हो गई-
गर्म मौसम की वजह से: ठंडे मौसम वाले देशों में कोरोना ज्यादा फैला, इसलिए लोग खुद ही सोचने लगे कि गर्मी में यह वायरस नहीं फैलता, एक्सपर्ट्स अभी किसी नतीजे पर नहीं
- कोरोनावायरस अभी तक सबसे ज्यादा ठंडे मौसम वाले देशों में फैला है और इन्हीं देशों में सबसे ज्यादा मौतें भी हुईं। इसलिए लोग खुद-ब-खुद मानने लगे कि कोरोना गर्म जलवायु वाले देशों में कम फैलता है। सोशल मीडिया पर ऐसे संदेश भी बहुत शेयर किए गए। जबकि यह थ्योरी फेल हो चुकी है, क्योेंकि ब्राजील और खाड़ी के कुछ देशों में अब कोरोना तेजी से फैल रहा है। वो भी गर्मी के बावजूद।
- इसके अलावा टाइफाइड गर्मी के मौसम में चरम पर होता है। खसरे के केस गर्म इलाकों में गर्मीके मौसम में कम हो जाते हैं, वहीं ट्रॉपिकल(गर्म) इलाकों में शुष्क मौसम में खसरे के केस चरम पर होते हैं। शायद इसलिए ही कहा जा रहा था कि कोविड-19 पर भी गर्म मौसम का असर होगा। भारत में गर्मी में कोरोना खत्म हो जाएगा। लेकिन अभी तक इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। इसको लेकर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक भी अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच हैं।
- इसके बारे में ब्रिटिश डॉक्टर सारा जार्विस कहती हैं कि 2002 के नवंबर में सार्स महामारी शुरू हुई थी, जो जुलाई में खत्म हो गई थी। लेकिन ये तापमान बदलने की वजह से हुआ या किसी और अन्य वजह से ये बताना मुश्किल है।
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इटली के रास्ते पर भारत, मौत और केस की रफ्तार एक जैसी, समय में बस एक महीने पीछे April 07, 2020 at 09:29PM
नई दिल्ली. भारत में कोरोनावायरस के केस और मौतें लगातार बढ़ रही हैं। इससे देश में वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ गया है, इसी को कोरोना का थर्ड फेज भी कहा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो भारत अब थर्ड फेज की दहलीज पर खड़ा है। इसकी असल तस्वीर लॉकडाउन खत्म होने यानी 14 अप्रैल से पहले साफ हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि भारत में कोरोना का ग्राफ इटली जैसा ही दिख रहा है। अंतर बस समय का है।
कोरोनावायरस के मामलों और मौतों के लिहाज से देखें तो भारत तकरीबन-तकरीबन इटली के रास्ते पर ही आगे बढ़ रहा है। बस हम समय में उससे एक महीने पीछे हैं। वर्ल्ड मीटर के आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल तक भारत में कोरोना के 1998 केस आए थे और 58 मौतें हुई थीं। एक महीने पीछे यानी एक मार्च के इटली के आंकड़े देखें तो वहां इस तारीख तक कोरोना के 1577 केस आए थे, जबकि मौतें 41 हुई थीं। सोमवार यानी छह अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस के 4778 केस सामने आ चुके हैं, जबकि 136 मौतें हुई हैं। अब इससे एक महीने पीछे चलें, यानी इटली में 6 मार्च तक का कोरोना ग्राफ देखें तो वहां 4636 केस आए थे, जबकि 197 मौतें हुई थीं।
रोजाना की स्थिति: भारत में अब रोज उतने ही केस आ रहे, जितने एक महीने पहले रोज इटली में आ रहे थे
भारत और इटली में रोजाना के केस और मौतों की संख्या भी लगभग एक जैसी ही है। यहा भी बस अंतर समय का है। एक महीने पहले इटली में रोजाना भारत जितने ही केस आ रहे थे और मौतें भी लगभग बराबर हो रही थीं। इटली में एक मार्च को 573 केस आए थे और 12 मौतें हुई थीं। एक महीने बाद भारत में एक अप्रैल को 601 केस आए और 23 मौतें हुईं।
रोजाना की मृत्युदर: भारत में कोरोना से रोज की औसत मृत्युदर भी एक महीने पहले के इटली जैसे ही है
कोरोनावायरस से भारत और इटली में रोजाना की मृत्युदर भी लगभग एक जैसी है। दोनों देशों के बीच अंतर सिर्फ समय का है। आंकड़ों पर गौर पर करें तो पता चलता है कि एक महीने पहले इटली में कोरोना से रोजाना की औसत मृत्युदर तकरीबन भारत के मौजूदा हालात जैसे ही थे। 1 मार्च को इटली में कोरोना से मृत्युदर 33.01 फीसदी थी। एक महीने बाद 1 अप्रैल को भारत में कोरोना से मृत्यदर 28.16 फीसदी थी।
भारत में अब तक कोरोनावायरस के केस कम होने के पीछे की बड़ी वजहें
कम टेस्टिंग होने से: भारत में अभी तक सिर्फ 85 हजार लोगों का ही कोरोनावायरस टेस्ट हुआ है, यानी एक लाख की आबादी पर सिर्फ 6.5 लोगों का ही टेस्ट हो रहा है
- दुनिया के अन्य देशों में जिस तरह कोरोना के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, उस लिहाज से भारत में अब तक कोरोना मरीजों की संख्या बहुत कम है। आखिर इसकी वजह क्या है? विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस टेस्ट को लेकर भारत में अभी और गंभीरता लाने की जरूरत है।
- 130 करोड़ आबादी वाले देश में जिस तरह कोरोना वायरस के लिए स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं, वो नाकाफी हैं। भारत में अब तक करीब 85 हजार टेस्ट हो पाए हैं। कुछ राज्यों में अभी भी रोजाना-250 से 500 तक टेस्ट ही किया जा रहा है। इसमें एक व्यक्ति के कई टेस्ट होते हैं। इसलिए भी भारत में अभी कोरोना के केस कम आए हैं।
- वहीं, दुनिया के अन्य देशों इसकी स्थिति भारत से उलट है। दक्षिण कोरिया की आबादी महज 5.1 करोड़ है। वहां अब तक 2.5 लाख से अधिक लोगों का टेस्ट किया जा चुका है। एक अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक हर एक लाख की आबादी पर बहरीन ने 20,075 लोगों का, दक्षिण कोरिया ने 8,222 का, इटली ने 8,385 का, ऑस्ट्रिया ने 6,203 का, ब्रिटेन ने 2,109 का, अमेरिका ने 447 का, जापान ने 257 लोगों का कोरोना टेस्ट किया है।
- चीन ने मार्च के अंत तक कुल 3.20 लाख लोगों का टेस्ट किया था। भारत में अभी एक लाख की आबादी पर महज 6.5 लोगों की ही टेस्ट हो सका है।
लॉकडाउन जल्द लागू करने से: इस वजह से कोरोनावायरस एक महीने से दूसरे स्टेज में ही बना हुआ है, इसीलिए अभी रोजाना औसतन 500 केस ही सामने आ रहे हैं
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत सरकार ने सही समय पर लॉकडाउन लागू कर दिया, इसीलिए देश में कोरोना के केस कम आ रहे हैं। भारत में कोरोनावायरस की रफ्तार चीन, अमेरिका ओर यूरोपीय देशों के तुलना में काफी धीमी है।
- 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन तक देश में 374 केस थे। उसके बाद 8 दिनों में करीब 820 केस सामने आए हैं। यानी एक दिन में औसतन 100 केस ही सामने आए। 31 मार्च को 1635 केस थे। 6 अप्रैल को यह संख्या बढ़कर 4778 हो गई। यानी 6 दिन में 3145 केस आएहैं। देश में अब औसतन एक दिन में 500 से ज्यादा कोरोना केस आ रहे हैं।
- एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि भारत में कोरोनावायरस एक महीने से दूसरे स्टेज में ही बना हुआ है, अभी यह तीसरे स्टेज में नहीं पहुंच पाया है। जिसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन का फेज भी कहा जाता है। जबकि अमेरिका में 10 दिन में ही कोरोनावायरस के केस एक हजार से 20 हजार तक पहुंच गए थे।
बीसीजी का टीका लगने से: भारत समेत दुनिया के जिन देशों में लंबे समय से बीसीजी का टीका लग रहा, वहां लोगों में कोरोनावायरस का खतरा कम है
- भारत में कोरोनावायरस की रफ्तार कम होने के पीछे बीसीजी टीके को भी खास बताया जा रहा है। दरअसल, भारत में 72 साल से बीसीजी के जिस टीके का इस्तेमाल हो रहा है, उसे दुनिया अब कोरोना से लड़ने में मददगार मान रही है।
- न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की स्टडी के मुताबिक, अमेरिका और इटली जैसे जिन देशों में बीसीजी वैक्सीनेशन की पॉलिसी नहीं है, वहां कोरोना के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं और मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। वहीं, जापान और ब्राजील जैसे देशों में इटली और अमेरिका के मुकाबले मौतें फिलहाल कम हैं।
- बीसीजी का पूरा नाम है, बेसिलस कामेट गुएरिन। यह टीबी और सांस से जुड़ी बीमारियों को राेकने वाला टीका है। बीसीजी को जन्म के बाद से छह महीने के बीच लगाया जाता है। मेडिकल साइंस की नजर में बीसीजी का वैक्सीन बैक्टीरिया से मुकाबले के लिए रोग प्रतिरोधक शक्ति देता है। इससे शरीर को इम्यूनिटी मिलती है, जिससे वह रोगाणुओं का हमला झेल पाता है। हालांकि, कोरोना एक वायरस है, न कि बैक्टीरिया।
गर्म मौसम की वजह से: ठंडे मौसम वाले देशों में कोरोना ज्यादा फैला, इसलिए लोग खुद ही सोचने लगे कि गर्मी में यह वायरस नहीं फैलता, एक्सपर्ट्स अभी किसी नतीजे पर नहीं
- कोरोनावायरस अभी तक सबसे ज्यादा ठंडे मौसम वाले देशों में फैला है और इन्हीं देशों में सबसे ज्यादा मौतें भी हुईं। इसलिए लोग खुद-ब-खुद मानने लगे कि कोरोना गर्म जलवायु वाले देशों में कम फैलता है। सोशल मीडिया पर ऐसे संदेश भी बहुत शेयर किए गए। जबकि यह थ्योरी फेल हो चुकी है, क्योेंकि ब्राजील और खाड़ी के कुछ देशों में अब कोरोना तेजी से फैल रहा है। वो भी गर्मी के बावजूद।
- इसके अलावा टाइफाइड गर्मी के मौसम में चरम पर होता है। खसरे के केस गर्म इलाकों में गरर्मी के मौसम में कम हो जाते हैं, वहीं ट्रॉपिकल(गर्म) इलाकों में शुष्क मौसम में खसरे के केस चरम पर होते हैं। शायद इसलिए ही कहा जा रहा था कि कोविड-19 पर भी गर्म मौसम का असर होगा। भारत में गर्मी में कोरोना खत्म हो जाएगा। लेकिन अभी तक इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। इसको लेकर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक भी अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच हैं।
- इसके बारे में ब्रिटिश डॉक्टर सारा जार्विस कहती हैं कि 2002 के नवंबर में सार्स महामारी शुरू हुई थी, जो जुलाई में खत्म हो गई थी। लेकिन ये तापमान बदलने की वजह से हुआ या किसी और अन्य वजह से ये बताना मुश्किल है।
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ट्रम्प ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मिलने पर कहा- मोदी ने हमें दवाएं दीं, वे बहुत अच्छे और महान April 07, 2020 at 10:55PM
ट्रम्प ने बुधवार कोहाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवा को लेकरभारत के प्रति अपना रुख बदलते हुए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज से टेलीफोनिक बातचीत में कहा, ‘‘मैंनेंमिलियन में डोज खरीदी हैं। 29 मिलियन (2.9 करोड़) से ज्यादा। मैंनेप्रधानमंत्री मोदी से भी बात की है। इनमें से सबसे ज्यादा (डोज) इंडिया से आएंगी। मैंनेंपहले उनसे पूछा था कि क्या वो दवाएं (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन) देंगे। उन्होंने हमें दवाएं दीं। वह महान हैं। वह बहुत अच्छे हैं। आप जानते हैं उन्होंने ये दवाएं रोक रखी थीं क्योंकि वे इसे भारत के लिए चाहते थे। मोदी के इस निर्णय से बहुत सारी अच्छी चीजें हुई हैं।’’
एक दिन पहले मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत उनके व्यक्तिगत आग्रह के बावजूद दवा नहीं भेजता है तो उसका जवाब दिया जाएगा। इसके 6 घंटे बाद भारत ने अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह दवा दूसरे देशों को भेजने की घोषणा की थी।
विदेश मंत्रालय ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति पर रोक लगाई थी
सरकार ने घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर 25 मार्च को रोक लगाने की घोषणा की थी। पिछले शनिवार को ट्रम्प ने भारत से हाइड्रक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था। इसके बावजूद भारत सरकार ने दवा के निर्यात पर पाबंदी और सख्त कर दी थी।विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की इकाइयों को भी रोक के दायरे में शामिल कर दिया गया था। भारत सरकार नेदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण स्थिति बिगड़ने की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगाई थी, ताकि देश में जरूरी दवाओं की कमी नहीं हो। हालांकि, बुधवार को इसके निर्यात पर लगी पाबंदियों में बदलाव किया गया। बुधवार को विदेश विभाग के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था किमानवीयता के आधार पर सरकार ने फैसला लिया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल को पड़ोस के उन देशों को भी भेजा जाएगा, जिन्हें हमसे मदद की आस है।
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस के प्रेस कॉन्फेंस में भारत के फैसले पर हैरानी जताई थी
मंगलवार तड़के व्हाइट हाउस में हुए प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ट्रम्पसे सवाल पूछा गया, ‘‘क्या आपको चिंता है कि आपकी तरफ से अमेरिका के उत्पाद के एक्सपोर्ट में पाबंदी लगाने की प्रतक्रिया आएगी, जैसे की भारतीय पीएम मोदी ने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन न देने का डिसीजन लिया है।’’ जवाब देते हुए ट्रम्प ने कहा,‘‘मुझे यह डिसीजन पसंद नहीं आया। मैंने नहीं सुना कि यह उनका डिसीजन है। हां मैनें यह सुना है कि उन्होंने कुछ देशों के लिए पाबंदी लगाई है। मैंने कल उनसे बात की थी। हमारी अच्छी बात हुई। मैं बहुत आश्चर्यचकित होऊंगा अगर वे दवा पर पाबंदी लगाते हैं। क्योंकि भारत कई सालों से अमेरिका से व्यापार में लाभ ले रहा है।मैंने रविवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि अगर वह हमारी (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की) सप्लाई को अनुमति देते हैं तो हम उनकी सराहना करेंगे। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो इसका जवाब दिया जाएगा, आखिर क्यों नहीं दिया जाए?’’
क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन?
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन भारत में मलेरिया के इलाज की पुरानी और सस्ती दवा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच यह दवा एंटी-वायरल के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है।हालांकि, फिलहाल इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना जैसी महामारी को पूरी तरह से खत्म कर देता है क्योंकि चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी द्वारा पब्लिश किए गए जर्नल के मुताबिक, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाला संक्रमित व्यक्ति से तुलना की जाए जिन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन न लेने वाला पीड़ित व्यक्तिकोरोना से ज्यादा समय तक लड़ सकता है।
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सिगरेट खरीदने के लिए पहाड़ी के रास्ते फ्रांस से स्पेन जा रहा शख्स झरने में गिरा, हेलिकॉप्टर से बचाया गया; 11 हजार रु. का जुर्माना लगा April 07, 2020 at 08:39PM
कोरोना से खौफ के बीच दुनियाभर के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है लेकिन इसे तोड़ने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। हालिया घटना फ्रांसकी है। फ्रांस का एक व्यक्ति शनिवार को दक्षिण फ्रांस के पेर्पिग्नन शहर से स्पेन के ला जोन्केरा शहर सस्ती सिगरेट लेने के लिए पैदल जा रहा था। पहाड़ियों सेगुजरते वक्त उसका पैर फिसला और झरने में गिर गया। वह अपना होश खो बैठा और बाद में पुलिस ने हेलिकॉप्टर की मदद से बचाया।
दो देशों को बांटने वाली पहाड़ी का रास्ता चुना
स्थानीय पुलिस के मुताबिक, लॉकडाउन तोड़ने वाला शख्स पहले कार से स्पेन के ला जोन्केरा शहर के बॉर्डर पर पहुंचा लेकिन उसे रोक दिया गया। इसके बाद उसनेदो देशों की सीमाओं को बांटने वाले पहाड़ी रास्ते को चुना। यहां वह झाड़ियों के बीच से गुजरते हुए एक झरने में गिर गया। कुछ समय बाद पाइनेरीज इलाके कीपुलिस के हाथ लगा।
ठंड के कारण होश खो बैठा, फोन तक नहीं कर सका
पुलिस का कहना है कि शख्स को इतनी ठंड लग गई थी कि वह अपने होश खो बैठा। वह किसी को फोन तक नहीं कर सका। पुलिस ने हेलिकॉप्टर कीमदद से शख्स को बचाया।शख्स पर पर एंटी-कोरोनावायरस नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया गया। हालांकि अब तक उसके नाम का खुलासानहीं किया गया है। व्यक्ति जब होश में आया तो उसपर 120 यूरो यानि लगभग 11,000 रुपएका जुर्माना लगाया गया। इसके बाद पुलिस ने उसे घर पर रहने की हिदायत देकर छोड़ दिया।
फ्रांस महंगा, स्पेन सस्ता
दुनियाभर में कोरोनावायरस के कारण ज्यादातर देशों ने अपनी सीमाएं सील कर लॉकडाउन घोषित किया है। फ्रांस और स्पेन में भी लॉकडाउन है, लेकिन यहां जरूरीचीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बावजूद इसके फ्रांस के लोग स्पेन में सिगरेट, शराब, खाने की चीजें और ईंधन खरीदने आते हैं, क्योंकि फ्रांस के मुकाबले स्पेनमें चीजें सस्ती मिलती हैं।
अब तक आठ हजार लोगों की मौत
कोरोना वायरस महामारी से फ्रांस बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां 16,000 से अधिक लोग वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और 8,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। लोगों को वर्कआउट, खरीदारी या काम करने के लिए यात्रा की अनुमति दी गई है। लेकिन सही दस्तावेज के बिना पकड़े गए लोगों ने कुल 50 मिलियन यूरो से अधिक जुर्माना दिया है।
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