Saturday, November 7, 2020
Trump considers how to keep up fight, find a graceful exit November 07, 2020 at 08:08PM
कमला हैरिस ने इतिहास रचा; वे अश्वेत और भारतीय मूल की पहली महिला उप राष्ट्रपति होंगी November 07, 2020 at 07:29PM
कमला हैरिस अमेरिका की नई उप राष्ट्रपति होंगी। 56 साल की कमला के पिता जमैकन जबकि मां भारतीय थीं। इसके पहले कोई अमेरिकी महिला इस ऊंचाई तक नहीं पहुंची। बचपन में हैरिस को लगता था कि रंगभेद और नस्लीय भेदभाव की लड़ाई बहुत लंबी और मुश्किल है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने पैरेंट्स और अधिकारों की लड़ाई का कई बार जिक्र किया।
अश्वेतों में लोकप्रिय
एक चुनावी रैली में अश्वेत महिला से उन्होंने कहा- कई बार हम खुद को अकेला महसूस करते हैं। लेकिन, अब कई हमसफर मिल चुके हैं। अश्वेतों के बीच उनकी लोकप्रियता काफी है। अमेरिका विविधता का प्रतीक है। कमला अश्वेत हैं। एशियाई मूल की हैं, भारत की हैं। और अब वे अमेरिका की पहली महिला उप राष्ट्रपति होंगी। उनके साथ राष्ट्रपति होंगे श्वेत और 77 साल के जो बाइडेन।
पहली लेकिन अंतिम बिल्कुल नहीं
शनिवार को विक्ट्री स्पीच में कमला ने कहा- मैं अमेरिका की पहली महिला वाइस प्रेसिडेंट बनूंगी। लेकिन, हमको यह भी तय करना है कि ये आखिरी बार न हो। हर छोटी बच्ची आज जो देख रही है। उसके मन में यह भावना जरूर आनी चाहिए कि अमेरिका संभावनाओं और उम्मीदों का देश है। कमला सैनफ्रांसिस्को में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रहीं। वे पहली अश्वेत महिला हैं जो कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनीं। 2016 में जब वे सांसद बनीं तो यह सम्मान पाने वाली सिर्फ दूसरी अश्वेत महिला थीं। सीनेट में कई बार उन्होंने रंगभेद और नस्लवाद पर भाषण दिए। देश इस मुद्दे पर सोचने के लिए मजबूर हुआ।
हर कदम संघर्ष
हैरिस ने मॉन्ट्रियल में कई साल बिताए। अश्वेतों की यूनिवर्सिटी हॉवर्ड में भी रहीं। डोमेस्टिक और चाइल्ड वॉयलेंस पर काम किया। 2009 में मां की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हुई। पति यहूदी थे। उनके बच्चे उन्हें मोमाला कहते हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी से उनका नॉमिनेशन आसान नहीं था। लेकिन, कमला का कद बहुत बड़ा रहा। कितनी बड़ी बात है कि जो बाइडेन की वे कट्टर विरोधी रहीं और उन्होंने ही कमला को वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट नॉमिनेट है। यह उनके कद और ज्ञान का सम्मान था। उसको तवज्जो दी गई।
नीतियां सही हों
जुलाई 2019 में हैरिस ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था- नीतियां लोगों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। ये मेरा सिद्धांत है। बाइडेन से उनके कुछ मुद्दों पर विचार अलग रहे। दोनों एक ही मंच और एक ही पार्टी में थे। लेकिन, बाइडेन उनकी प्रतिभा पहचानते हैं। इसलिए अपने सहयोगी के तौर पर उन्होंने कमला को ही चुना। लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए उन्होंने भावुक भाषण दिए। खासतौर पर अश्वेतों के बीच। ट्रम्प तो उनका नाम भी ठीक से नहीं ले पाए। कमला पर ट्रम्प ने कई जुबानी हमले किए। लेकिन, वे शालीनता से पेश आईं। सियासत में उनको भले ही कुछ भी कहा जाता रहा हो लेकिन, उनके दोस्त जानते हैं कि हैरिस कितनी काबिल हैं।
सहयोगी मुरीद
डेमोक्रेट सीनेटर कोरी बुकर कहते हैं- काम करने की जो लगन और भावना उनमें है, वो कम लोगों में होती है। वे काम के जरिए ही लोगों का दिल जीतती आई हैं। कैलिफोर्निया की सांसद बारबरा ली कहती हैं- वे व्हाइट हाउस के दरवाजे तक पहुंच चुकी हैं। कई बार इस पर यकीन करना मुश्किल होता है। उम्मीद है कि व्हाइट हाउस में वे नंबर एक बनेंगी। आपको अगले चुनाव का इंतजार करना होगा। भारतीय मूल के सांसद प्रमिला जयपाल भी यही मानती हैं।
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Kamala wears 'suffragette' white during 1st speech as VP-elect November 07, 2020 at 05:41PM
ब्रिटेन में एक दिन में 413 संक्रमितों की मौत, अमेरिका में 24 घंटे में 1.26 लाख केस November 07, 2020 at 05:04PM
दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.96 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 52 लाख 34 हजार 120 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 1.55 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका और यूरोप में संक्रमण खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है। ब्रिटेन में शनिवार को 413 संक्रमितों की इलाज के दौरान मौत हो गई। अमेरिका में लगातार आठवें दिन एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए।
ब्रिटेन के अस्पतालों पर भारी दबाव
ब्रिटेन में संक्रमण दूसरे यूरोपीय देशों की तरह संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सरकार ने देश के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगाया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है। शनिवार को यहां 25 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि यहां इसी दौरान 413 संक्रमितों की मौत हो गई। सरकार ने साफ कर दिया है कि तमाम विरोध के बावजूद लॉकडाउन खत्म किए जाने का कोई प्लान नहीं है। ब्रिटेन में अब तक करीब 50 हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। बोरिस जॉनसन पर दबाव है कि वे देश के स्कूलों और कारोबार को खोलें। लेकिन, मौतों और संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने इससे इनकार कर दिया है।
अमेरिका के चार राज्यों में हालात खराब
अमेरिका में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। शुक्रवार को रिकॉर्ड 1 लाख 28 हजार मामले सामने आए थे। शनिवार को यह आंकड़ा कुछ कम होकर एक लाख 26 हजार पर आ गया। मरने वालों का आंकड़ा भी एक हजार बढ़ गया। लगातार चौथे दिन इतनी मौतें हुईं। अब अमेरिका में ही एक करोड़ से ज्यादा मामले हो चुके हैं। अमेरिकी हेल्थ डिपार्टमेंट की फिक्र ये है कि लगातार छठवें दिन एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए। मरने वालों के आंकड़ा 2 लाख 35 हजार से ज्यादा हो गया है। मायने, आयोवा, कोलोरोडो और मिनेसोटा में संक्रमण सबसे तेजी से फैल रहा है।
इटली में नाइट कर्फ्यू
इटली में शुक्रवार को 38 हजार मामले सामने आए। इस बीच सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। लोगों से कहा गया है कि अगर वे इसका पालन नहीं करेंगे तो जुर्माने के साथ जेल भी जाना पड़ सकता है। खास बात यह है कि इटली में हर दिन मामले बढ़ रहे हैं। हर दिन ये आंकड़ा 2 से 3 हजार तक बढ़ रहा है। मार्च-अप्रैल में संक्रमण का केंद्र रहे लोम्बार्डी में 9934 मामले सामने आए।
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'This isn't over!': Trump supporters refuse to accept defeat November 07, 2020 at 04:10PM
दौड़ते हुए मंच तक आए प्रेसिडेंट इलेक्ट, बोले- देश को बांटने के बजाए एकजुट करूंगा November 07, 2020 at 04:38PM
अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन (77) ने शनिवार रात जीत के बाद देश को संबोधित किया। वे दौड़ते हुए मंच तक आए। चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन पर उम्रदराज होने के आरोप लगाए थे। बाइडेन ने कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर इस देश को बांटने के बजाए एकजुट करूंगा। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति होंगे।
पत्नी और परिवार का शुक्रिया
बाइडेन 48 साल पहले पहली बार सीनेटर चुने गए थे। देश के नाम संबोधन में उन्होंने कहा- आप लोगों ने स्पष्ट जनादेश दिया है। 7.4 लोगों ने रिकॉर्ड वोट दिए। अमेरिका की यह नैतिक जीत है। मार्टिन लूथर किंग ने भी यही कहा था। गौर से सुनिए। आज अमेरिका बोल रहा है। मैं राष्ट्रपति के तौर पर इस देश को बांटने के बजाए एकजुट करूंगा। परिवार और पत्नी का इस संघर्ष में साथ देने के लिए शुक्रिया।
नफरत खत्म कीजिए, आगे बढ़िए
ट्रम्प और उनके समर्थकों से बाइडेन ने कहा- मैं जानता हूं कि जिन लोगों ने ट्रम्प को वोट दिया है, वे आज निराश होंगे। मैं भी कई बार हारा हूं, यही लोकतंत्र की खूबसूरती है कि इसमें सबको मौका मिलता है। चलिए, नफरत खत्म कीजिए। एक-दूसरे की बात सुनिए और आगे बढ़िए। विरोधियों को दुश्मन समझना बंद कीजिए, क्योंकि हम सब अमेरिकी हैं। बाइबल हमें सिखाती है कि हर चीज का एक वक्त होता है। अब जख्मों का भरने का वक्त है। सबसे पहले कोविड-19 को कंट्रोल करना होगा, फिर इकोनॉमी और देश को रास्ते पर लाना होगा।
हर वर्ग का साथ मिला
बाइडेन ने अमेरिका की अनेकता में एकता का जिक्र किया। कहा- मुझे गर्व है कि हमने दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में विविधता देखी। उसके बल पर जीते। सबको साथ लाए। डेमोक्रेट्स, रिपब्लिकंस, निर्दलीय, प्रोग्रेसिव, रूढ़िवादी, युवा, बुजुर्ग, ग्रामीण, शहरी, समलैंगिक, ट्रांसजेंडर, लैटिन, श्वेत, अश्वेत और एशियन। हमें सभी का समर्थन मिला। कैम्पेन बहुत मुश्किल रहा। कई बार निचले स्तर पर भी गया। अफ्रीकी-अमेरिकी कम्युनिटी हमारे साथ खड़ी रही।
कमला हैरिस ने भी संबोधित किया
डेमोक्रेसी के लिए बलिदान देने पड़ते हैं
पहली वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस ने कहा- डेमोक्रेसी की कोई गारंटी नहीं होती। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे बनाए रखने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं। इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए। इसलिए इसे हल्के में मत लीजिए। इसके लिए बलिदान देना पड़ता है। इसके बाद ही खुशी मिलती है। हम भी यही कर रहे हैं। इस बार के मतदान में लोकतंत्र भी दांव पर था। आपने अमेरिका को एक नई सुबह दिखाई है। चार साल तक आप बराबरी और इंसाफ के लिए जंग करते रहे। इसके बाद मतदान का मौका आया। आपने अब एकता, सभ्यता, विज्ञान और सच को चुना।
हमारे पास हिम्मत और जज्बा है
हम सबने मिलकर इस देश को खूबसूरत बनाया। अब आपकी आवाज सुनी जाएगी। मैं बिल्कुल मानती हूं कि इस वक्त कई चुनौतियां हमारे सामने हैं। खासतौर पर पिछले कुछ महीने मुश्किल भरे रहे। हमने काफी दुख और दर्द झेला, लेकिन हमारे पास हिम्मत और जज्बा है। आपने जो बाइडेन और मुझे चुना। कमला अमेरिका की पहली अश्वेत महिला उपराष्ट्रपति हैं। वे भारतीय मूल की हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सरकारी अफसर ही कर रहे फर्जी वोटिंग? जानें वीडियो का सच November 07, 2020 at 02:30PM
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में इलेक्शन ड्यूटी कर रहे सरकारी अफसर ही फर्जी वोटिंग करते दिख रहे हैं। वीडियो अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव का बताकर शेयर किया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि ये फर्जी वोटिंग ट्रंप के विरोध में की गई है।
और सच क्या है?
- इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई विश्वसनीय खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फर्जी वोटिंग से जुड़ा कोई वीडियो सामने आया है।
- वीडियो के स्क्रीनशॉट को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से न्यूज एजेंसी AFP के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर भी हमें यही वीडियो मिला। AFP के चैनल पर वीडियो 18 मार्च, 2018 को अपलोड किया गया है। जाहिर है इसका साल 2020 में हो रहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
- कैप्शन से पता चलता है कि वीडियो रूस का है। 2 साल पहले रूस में हुए चुनाव में वोटिंग करा रहे सरकारी स्टाफ के कुछ लोग ही फर्जी वोटिंग करते देखे गए थे। उसी वीडियो को अमेरिकी चुनाव का बताकर शेयर किया जा रहा है।
- वॉशिंगटन पोस्ट वेबसाइट पर 19 मार्च, 2018 की खबर में भी फेक वोटिंग के इस वीडियो को रूस का ही बताया गया है।
- इन सबसे साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो अमेरिका नहीं रूस का है। 2 साल पुराने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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अब साथ रह सकेंगे अविवाहित जाेड़े, ‘ऑनर किलिंग’ कानूनन अपराध हाेगा; शराब प्रतिबंध में ढील November 07, 2020 at 02:11PM
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने शनिवार को देश के मुस्लिम पर्सनल लाॅ में सुधार के लिए बड़े बदलाव की घोषणा की है। अब देश में अविवाहित जोड़ों काे साथ रहने की आजादी हाेगी। यूएई में यह लंबे समय से अपराध था। शराब पर प्रतिबंध में ढील दी गई है, जाे मुस्लिम देशाें में हराम माना जाता है। इसके साथ ही ‘ऑनर किलिंग’ को अब कानूनन अपराध बनाया गया है।
यूएई ने मुस्लिम पर्सनल लाॅ में इस बदलाव से व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दायरा बढ़ा दिया है। यूएई ने इस्लामी कानून के बावजूद पर्यटकों, विदेशी काराेबारियाें और उद्याेगाें काे आकर्षित करने के लिए पश्चिमी संस्कृति काे जगह दी है। यह नए यूएई की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। यूएई की सरकारी न्यूज एजेंसी ने नए शाही फरमानाें की जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि इन सुधाराें का मकसद देश की आर्थिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्राेत्साहित करना है और दुनिया काे यह संदेश देना है कि वह सहिष्णुता के सिद्धांतों को मजबूत कर रहा है।
यह कदम यूएई और इजरायल के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अमेरिका से हुए ऐतिहासिक डील की दिशा में उठाया गया है। इससे इजरायल से पर्यटकों और निवेश आने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह घाेषणा ऐसे समय की गई है, जब दुबई वर्ल्ड एक्सपो की मेजबानी के लिए तैयार हो रही है। इस वर्ल्ड एक्सपाे में दुनियाभर से काराेबारियाें, उद्यमियाें के सहित 2.5 कराेड़ पर्यटकाें के आने का अनुमान है।
यह एक्सपाे अक्टूबर में ही हाेना था, लेकिन काेराेना महामारी के कारण इसे अगले साल आयाेजित किया जाएगा। अखबार ‘द नेशनल’ ने कहा कि ये बदलाव तुरंत प्रभाव डालेंगे, जो अमीरात के सुल्तान के शाही महल में तेजी से बदलते समाज के साथ तालमेल बनाए रखने के प्रयासों को भी दर्शाता है।
फिल्म निर्माता ने कहा- नए कानून से कुछ लोग खुश नहीं हैं
संयुक्त अरब अमीरात के शाह ने भले ही उदारवादी और सुधार की दिशा में इस्लामिक लाॅ में सुधार की बात कर रहे हाें। लेकिन इससे यूएई के सभी लाेग बहुत खुश नहीं हैं। यूएई के फिल्म निर्माता अब्दुल्लाह अल काबी ने कहा- ‘मैं इन नए कानूनों से खुश नहीं हो सकता, जो प्रगतिशील और सक्रिय हैं।’ समलैंगिक प्रेम और लिंग पहचान जैसे वर्जित विषयों पर फिल्म बना चुके काबी ने कहा- ‘यूएई के लिए 2020 एक कठिन और परिवर्तनकारी वर्ष रहा है।’
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वुहान की छवि सुधारने के लिए प्रोपेगेंडा में जुटा चीन, टीवी सीरीज से लेकर ओपेरा शो के जरिए हो रहा प्रचार November 07, 2020 at 02:11PM
कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत चीन के शहर वुहान से हुई। संदेह है कि यह वायरस वहां के मीट मार्केट से फैला। कुछ विशेषज्ञ यह आरोप भी लगाते रहे हैं कि वायरस को वुहान के लैब में तैयार किया गया। इन सब खबरों से वुहान की छवि दुनियाभर में कमजोर हुई। साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की साख पर भी बट्टा लगा।
चीन अब वुहान की निगेटिव छवि को बदलने में लग गया है। इसके लिए वहां की सरकार टीवी, अखबार और इंटरनेट की मदद ले रही है। साथ ही कई बिजनेस इवेंट के जरिए भी वुहान को बेहतर बताने की कोशिश हो रही है। चीनी सरकार ने 20 एपिसोड की एक टीवी सीरीज बनवाई है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे वुहान की जनता ने इस महामारी का सामना किया। कैसे वहां के डॉक्टरों और सरकारी मशीनरी ने कोरोनो को मात दी। टीवी सीरीज को विश्वसनीय बनाने के लिए इसमें चीन के कई बड़े सितारों से काम लिया गया है। इसके अलावा सरकारी नियंत्रण वाले अधिकांश मीडिया हाउस ने भी वुहान के गुणगान वाले कार्यक्रम बीते कुछ समय में प्रसारित किए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कोई शक नहीं कि वुहान के लोगों ने गजब की संघर्ष क्षमता दिखाई। लेकिन, यह भी उतनी ही बड़ी सच्चाई है कि चीन की सरकार ने कई गलतियां की। इसमें बीमारी का देर से खुलासा करने और लॉकडाउन के दौरान अमानवीय नियम-कानून बनाना भी शामिल हैं। लोग उन गलतियों को लेकर सवाल न उठाएं इसलिए वहां की सरकार लोगों का ब्रेन वॉश करने की कोशिश कर रही है।
चीन का दावा पर्यटकों के स्वागत के लिए फिर तैयार है वुहान
चीनी के कल्चर एंड टूरिज्म डिपार्टमेंट ने डॉक्टरों की तारीफ करने वाले एक ओपेरा शो को स्पॉन्सर किया है। साथ ही कई ऐसी खबरें पुश की गई हैं जिसमें यह बताया गया है कि वुहान पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार है। शहर के कुछ अस्पतालों ने अपनी सुविधाओं का बखान करने के लिए विदेशी एक्जिक्यूटिव्स को आमंत्रित करना शुरू किया है।
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हारने पर व्हाइट हाउस नहीं छोड़ रहे थे अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति, कर्मचारियों ने आदेश मानना ही बंद कर दिया November 07, 2020 at 11:28AM
बात अमेरिका में साल 1800 में हुए राष्ट्रपति चुनाव की है। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एडम्स साल को इस चुनाव में हार मिली थी। वह अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उप राष्ट्रपति थे। उनके प्रतिद्वंदी थॉमस जेफ्फरसन ने जीत हासिल की। इसके बावजूद जॉन ने थॉमस को कार्यभार सौंपने से इनकार कर दिया। फिर वो हुआ जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
20 जनवरी को थॉमस के शपथ ग्रहण समारोह में भी जॉन शामिल नहीं हुए। व्हाइट हाउस के कर्मचारी भी समारोह में नहीं गए। यही कारण है कि 20 जनवरी का मिड डे रूल्स नहीं लिखा जा सका। ये वही दिन होता है, जब अमेरिका का राष्ट्रपति नए इलेक्टेड प्रेसीडेंट को कार्यभार सौंपता है।
जिद के बावजूद व्हाइट हाउस छोड़ना पड़ा था
जॉन जिद पर अड़ गए थे। वह न तो व्हाइट हाउस छोड़ रहे थे और न ही अपना कार्यभार थॉमस को सौंप रहे थे। ऐसी स्थिति में उनके कर्मचारियों ने ही उनकी बातें सुनना बंद कर दिया। सारी सिक्योरिटी हट गई। ऑफिशियल कम्युनिकेशन कट कर दिया गया। प्रेसिडेंशियल स्टाफ ने उनसे आदेश लेना बंद कर दिया और प्रेसिडेंट ऑफिस भी हटा दिया गया।
विभागों ने भी नजरअंदाज करना शुरू कर दिया
हार के बावजूद व्हाइट हाउस में जमे जॉन को मिलिट्री, CIA,FBI और व्हाइट हाउस स्टाफ ने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। खुद को अपमानित होता देख आखिरकार जॉन ने हार स्वीकार की। आधिकारिक तौर पर उन्होंने 4 मार्च 1801 को कार्यभार थॉमस को सौंप दिया।
ट्रम्प भी अगर व्हाइट हाउस नहीं छोड़ते हैं तो क्या होगा?
- सीक्रेट सर्विसेज अपना फोकस ट्रम्प के साथ बाइडेन पर भी कर सकती हैं।
- CIA ट्रम्प और बाइडेन दोनों को ब्रीफिंग शुरू कर सकती है। (इसमें टॉप सीक्रेट इंटेलीजेंस की रिपोर्ट समेत अन्य खुफिया इनपुट्स भी शामिल होंगे। आमतौर पर ये कमांडर इन चीफ को ब्रीफ किया जाता है।)
- CIA की काउंटर इंटेलिजेंस टीमें जो CIA के लिए जासूसी करती हैं, वो दोनों को ब्रीफिंग देना शुरू कर सकती हैं।
- व्हाइट हाउस के कर्मचारी अपने नए राष्ट्रपति के हिसाब से काम करना शुरू कर सकते हैं।
- 20 जनवरी के मिड डे व्हाइट हाउस का स्टाफ पुराने राष्ट्रपति के सामानों को बाहर करके नए राष्ट्रपति का सामान बिना किसी अनुमति के अंदर लेकर आ सकते हैं।
- जनवरी से ट्रम्प की सैलरी से व्हाइट हाउस का रेंट कटना बंद हो जाएगा।
- जनवरी से ही बाइडेन की प्रेसिडेंशियल सैलरी शुरू हो जाएगी और व्हाइट हाउस का रेंट उनकी सैलरी से कटने लगेगा।
- 20 जनवरी मिड डे से मेलानिया ट्रम्प व्हाइट हाउस की बॉस नहीं रह जाएंगी। उनकी जगह स्टाफ डॉ. जिल बाइडेन को अपना बॉस मान सकता है।
- 20 जनवरी मिड डे से राष्ट्रपति के सारे ऑफिशियल कम्युनिकेशन ट्रम्प के पास से हटा लिए जाएंगे।
- पेंटागन, CIA, FBI, अटॉर्नी जनरल, सीक्रेट सर्विसेज के अफसर पुराने राष्ट्रपति को गार्ड देने से पहले तक संवाद जारी रखेंगे।
- बिस्ट और एयरफोर्स वन ट्रम्प को सैल्यूट करेंगे और अपना फोकस बाइडेन की तरफ कर लेंगे।
- बिस्ट बिना किसी के इजाजत के बाइडेन का ब्लड सैंपल लेगी। ऐसा 200 साल से चला आ रहा है।
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अमेरिका में पहली महिला उपराष्ट्रपति बनेंगी कमला हैरिस, एक साथ 3 रिकॉर्ड बनाए November 07, 2020 at 08:31AM
डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत से तय हो गया है कि अमेरिका में अब जो बाइडेन राष्ट्रपति और कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं हैं। हमारे लिए कमला हैरिस का नाम इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि वे भारतवंशी हैं। यह चुनाव जीतने के बाद उन्होंने एक नहीं बल्कि 3 नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी। इस पद पर काबिज होने वाली वे पहली साउथ एशियन और अश्वेत हैं।
ट्विटर पर बायो बदला
मां भारतीय थीं, पिता जमैका मूल के थे
1964 में हैरिस का जन्म ऑकलैंड (कैलिफोर्निया) में हुआ था। उनकी मां भारतीय और पिता जमैका के रहने वाले थे। मां का नाम श्यामला गोपालन हैरिस था। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस थे। डोनाल्ड हैरिस ब्रेस्ट कैंसर वैज्ञानिक थे। बताया जाता है कि कमला हैरिस की मां कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका पहुंची थीं। वहां उनकी मुलाकात डोनाल्ड हैरिस से हुई।
जीत के बाद बाइडेन से कहा- We did it Joe
कैंपेन में खुद की कहानी बताई थी
- 12 साल की उम्र में कमला अपनी बहन माया और मां के साथ ऑकलैंड से व्हाइट मॉन्ट्रियल चले गए। इस बीच सभी लगातार भारत भी आते रहे।
- 1972 में कमला के माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद कमला और उनकी बहन की देखभाल मां ने की।
- व्हाइट मॉन्ट्रियल जाने के बाद कमला की मां ने मैकगिल यूनिवर्सिटी में टीचिंग की जॉब शुरू की। इसके साथ वह ज्वैश जनरल हॉस्पिटल में रिसर्च भी करती थीं।
- वह अपनी मां के बेहद करीब थी। कमला हैरिस ने कैंपेन में बताया था कि उनकी मां बेहद सख्त थीं।
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से कमला ने 1986 में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1989 में कैलिफोर्निया से लॉ की पढ़ाई पूरी की।
2003 में सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी चुनी गई थीं
55 साल की कमला हैरिस ने 1998 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। 2003 में उन्हें सिटी और सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनकर इतिहास रचा था। वह पहली अश्वेत महिला थीं, जिन्होंने यह पद हासिल किया था। 2016 में वह दूसरी अश्वेत महिला के तौर पर यूएस सीनेटर चुनी गईं थीं।
अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर करता है
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कमला अब लाखों-करोड़ों अमेरिकन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी। कमला की जीत का यह भी मायना निकाला जा रहा है कि अमेरिका में लोग रंग आधार पर भेदभाव बंद करना चाहते हैं। चुनाव में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का मुद्दा हावी था। लोगों ने ''ब्लैक लाइव मैटर्स'' कैंपेन चलाया था। डोनाल्ड ट्रम्प पर शुरू से अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा।
मैं यहां हूं, इसके पीछे कई लोगों का संघर्ष है
अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हैरिस ने ट्रम्प का जोरदार विरोध शुरू किया। यहीं से उन्हें डेमोक्रेट्स समर्थकों के बीच पसंद किया जाने लगा। उन्होंने समलैंगिक विवाह का भी समर्थन किया। हैरिस ने अगस्त में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में भाषण देते हुए बेकर मोटले, फैनी लू हैमर और शिरीष चिशोल्म जैसी अमेरिकन महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि मैं यहां तक पहुंच सकी हूं उसके पीछे इन महान हस्तियों का संघर्ष है। महिलाओं और पुरुषों में समानता, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय होना चाहिए।
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Nawaz Sharif a 'jackal' trying to create 'rebellion' in Pakistan army: PM Imran Khan November 06, 2020 at 11:00PM
124 साल पुरानी परंपरा तोड़ सकते हैं ट्रम्प, मीडिया को आशंका- बाइडेन को बधाई नहीं देंगे राष्ट्रपति November 06, 2020 at 10:32PM
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद नतीजों की तस्वीर करीब-करीब साफ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हार रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी कैंडिडेट जो बाइडेन की जीत तय नजर आ रही है। एक सदी से ज्यादा वक्त से अमेरिका में परंपरा है कि हारने वाला प्रत्याशी जीतने वाले को बधाई देता है। इसे कन्सेशन (concession) या फेयरवेल स्पीच कहा जाता है।
इस चुनाव में दोनों कैंडिडेट्स के बीच कड़वाहट और बदजुबानी सारी हदें पार कर गई। पारिवारिक और व्यक्तिगत छींटाकशी हुई। ट्रम्प ने ये ज्यादा किया। अमेरिकी मीडिया में चर्चा है कि इस बार कन्सेशन या फेयरवेल स्पीच की परंपरा टूट जाएगी। ट्रम्प शायद बाइडेन को जीत की बधाई न दें।
1896 की मिसाल
कन्सेशन या फेयरवेल स्पीच अकसर दो बार होती है। कई बार एक ही बार हुई, लेकिन 1896 से यह परंपरा है। तब विलियम्स जेनिंग्स ब्रायन और विलियम मैकिन्ले का मुकाबला था। काफी छींटाकशी हुई। ब्रायन हारे, लेकिन हार के बाद मैकिन्ले को एक टेलीग्राम के जरिए भावुक लहजे में बधाई दी। हो सकता है कि ये इसके पहले भी होता रहा हो, लेकिन इसके सबूत मौजूद हैं। बहरहाल, यह परंपरा शुरू हुई तो इसका पालन पिछले यानी 2016 के चुनाव तक तो किया गया। हिलेरी क्लिंटन पॉपुलर वोट में जीतीं। इलेक्टोरल वोट्स से हार गईं। लेकिन, उन्होंने ट्रम्प को जीत की बधाई दी।
परंपरा टूटने का डर क्यों?
दो ताजा उदाहरण देखते हैं। ट्रम्प और बाइडेन ने कैम्पेन के दौरान किस हद तक एक-दूसरे पर जुबानी तीर चलाए। ट्रम्प ने कहा था- बाइडेन दिमागी तौर पर बीमार और नींद में रहने वाले शख्स हैं। वे खुद और पूरा परिवार भ्रष्टाचारी है। वे अमेरिका को चीन के हाथों में बेचने का सौदा कर चुके हैं। बाइडेन अब भले ही शांत और अनुशासित नजर आ रहे हों, लेकिन कैम्पेन के दौरान ऐसा नहीं था। बाइडेन ने कहा था- ट्रम्प राष्ट्रपति बनने लायक ही नहीं थे। वे बिजनेसमैन हैं, कोरोना पर भी बिजनेस ही कर रहे हैं। डिबेट में उनका चेहरा देखना अच्छा अनुभव नहीं था।
मैक्केन की ‘गोल्ड कन्सेशन स्पीच’
12 साल पहले बराक ओबामा ने रिपब्लिकन जॉन मैक्केन को हराया। पहले अफ्रीकी-अमेरिकी राष्ट्रपति बने। मैक्केन ने कन्सेशन स्पीच में कहा- अमेरिकी लोगों की आवाज सुनिए। ये आपके लिए है। सीनेटर ओबामा अब हमारे राष्ट्रपति होंगे। हम दोनों इस देश से प्यार करते हैं। काश, ओबामा की दादी इतिहास बनते देख पातीं। हमारे मतभेद थे और रहेंगे। मैं देश के लोगों की आवाज बनकर आपको बधाई देता हूं। हर मुश्किल, हर खुशी और हर गम में हम आपके साथ खड़े हैं। आगे बढ़िए और आगे बढ़ाइए।
तीन मिसालें
2016
हिलेरी क्लिंटन : फैसला कबूल करें और भविष्य बनाएं। हम खुले दिल और दिमाग से उन्हें अपना राष्ट्रपति मानते हैं।
2012
मिट रोमनी : हम खुद को बांटकर नहीं देख सकते। रिपब्लिकन या डेमोक्रेट नहीं, हम अमेरिकी हैं। ओबामा इस देश को आगे ले जाएंगे।
2004
जॉन कैरी: अमेरिकी चुनाव में किसी की जीत-हार नहीं होती। अगली सुबह हम फिर सिर्फ अमेरिकी होते हैं। गुस्से या विरोध की भावना खत्म।
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