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वॉशिंगटन. गूगल और एपल ने अपने एप स्टोर से अमीरात के मैसेजिंग एप टो-टोक को हटा दिया है। जानकारी के मुताबिक, ऐसी खबरे आ रही थीं कि इस ऐप का इस्तेमाल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के लिए जासूस करने में किया जा रहा था। यह मामला न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद सामने आया है। यूएई में लाखों लोग इसका इस्तेमाल किया जाता है।
न्यूयॉर्क टाइम्सके मुताबिक, यह ऐप यूजर्स की गतिविधियों को ट्रैक करता है और इसे यूएई सरकार के साथ साझा करता है। अनाडोलू न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गूगल ने आरोप लगाया है कि ऐप उसकी नीतियों का उल्लंघन कर रहा था। वहीं, एपल जासूसी के दावे की जांच कर रहा है।
मैसेजिंग कंपनी और अबू धाबी की हैकिंग कंपनी के बीच अच्छे संबंध
अपने रिपोर्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया कि मैसेजिंग ऐप के ऑनर और अबू धाबी की हैकिंग कंपनी डार्क मैटर के बीच अच्छे संबंध हैं। एफबीआई हैंकिंग कंपनी की जांच में लगी है।रिपोर्ट के मुताबिक यूएई में लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप टोटोक वास्तव में एक सरकारी जासूसी उपकरण है। इसे यूएई के खुफिया अधिकारियों के लाभ के लिए बनाया गया है। इसका इस्तेमाल यूजर्स की बातचीत और आंदोलनों (मूवमेंट्स) को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
पिछले हफ्ते अमेरिका में सहसे ज्यादा डाउनलोड किया गया
टोटक इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया था। यूएईऐसा देश है जहां व्हाट्सएप और स्काइप जैसे पश्चिमी मैसेजिंग ऐप आंशिक रूप से प्रतिबंधितहैं। इस ऐप ने मध्य पूर्व और अन्य देशों के यूजर्स को भी आकर्षित किया है। यहां तक कि पिछले हफ्ते अमेरिका में सबसे अधिक डाउनलोड किए गए सोशल ऐप में से एक बन गया।
वॉशिंगटन. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पेलोसी सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई में देरी कर रही हैं। वह पूरी कोशिश कर रही हैं कि सुनवाई से रिपब्लिकन दूर रहें। इससे पहले पेलोसी ने कहा था कि हम सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पर निष्पक्ष सुनवाई चाहते हैं।हाउस हमारे महाभियोग प्रबंधकों को तब तक नहीं चुन सकता, जब तक हमें यह पता नहीं चल जाता कि सीनेट किस तरह की सुनवाई करेगी।
फ्लोरिडा में छुट्टी मना रहे ट्रम्प ने ट्वीट किया- अमेरिकी कांग्रेस के इतिहास में पेलोसी द्वारा महाभियोग प्रस्ताव लाना अब तक सबसे अनुचित कार्रवाई थी। अब वह सीनेट में सुनवाई को लेकर देरी कर रही हैं। ऐसा कर वह नियमों को तोड़ रही हैं। सुनवाई में देरी का पेलोसी को क्या अधिकार है। उनका यह फैसला बेहद अनुचित और नाकारात्मक है। महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई में देरी नहीं होनी चाहिए।
पेलोसी ने कहा- ट्रम्प अबनया बहाना बना रहे
कैलिफोर्निया से सांसद पेलोसी ने ट्वीट किया- राष्ट्रपति ट्रम्प ने सदन की प्रक्रिया में दखल देकर अमेरिका के लोगों और सदन के अपने सभी गवाहों और दस्तावेजों को पहले ही खत्म कर दिया है। अब वह क्या बहाना बना रहे?
‘सीनेट में पेपर भेजने के बाद ही सुनवाई होगी’
इससे पहले सोमवार को सीनेट केनेता मिश मैककोनेल ने कहा कि वह अभी भी ट्रम्प के महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई शुरू करने के लिए सीनेट को जरूरी दस्तावेज भेजने के लिए पेलोसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम कुछ भी नहीं कर सकते जब तक कि स्पीकर कागजात नहीं भेजती हैं। उम्मीद है कि इस मामले पर अगले साल सुनवाई शुरू होगी।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में महाभियोग प्रस्ताव पारित
ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (निचला सदन) में 18 दिसंबर को वोटिंग हुई। ट्रम्प देश के इतिहास में तीसरे ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन पर संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में महाभियोग की कार्रवाई की गई। ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग के लिए सदन में दो प्रस्ताव पेश किए गए थे। पहले प्रस्ताव में ट्रम्प पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप था। दूसरे प्रस्ताव में उनके खिलाफ महाभियोग सुनवाई के दौरान संसद के काम में अड़चन डालने का आरोप लगाया गया। दोनों ही प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान डेमोक्रेट्स ने ट्रम्प के खिलाफ और रिपब्लिकन ने ट्रम्प के पक्ष में वोटिंग की।
टोक्यो. जापान में बहुत सारे बच्चे स्कूल जाने से मना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह छात्रों नहीं स्कूल सिस्टम की खामी है। फुटोको उन बच्चोंको कहा जाता है जो डर के कारण स्कूल जाने से मना कर देते हैं। जापान के शिक्षा मंत्रालय के अनुसार जो बच्चे स्वास्थ्य या वित्त संबंधीकारणों से 30 दिनों से ज्यादा समय तक स्कूल नहीं जाते हैं, उन्हें फुटोको कहते हैं। इस शब्द को कई रूपों में परिभाषित किया गया है। जैसे अनुपस्थिति, गैरहाजिरी, स्कूल फोबिया या स्कूल जाने से मना करना।
दस साल के युटा इटो भी उन्हीं (फुटोको) में से एक हैं। वह भी अब स्कूल नहीं जाना चाहता। हमेशा उसकी अपने क्लास में पढ़ने वाले अन्य छात्रों से लड़ाई होती रहती है। युटा के इस फैसले के बाद उसके माता-पिता के पास तीन विकल्प थे। युटा को स्कूल की काउंसलिंग में ले जाना। उसे होम-स्कूलिंग देना। या उसे फ्री स्कूल भेजना। उन्होंने आखिरी विकल्प चुना। फ्री स्कूल जाने के बाद से युटा बेहद खुश है। अब वह जो चाहताहै, वह करताहै।
1997 में फुटोको शब्द सामने आया
फुटोको की प्रवृत्ति पिछले कुछ दशकों में काफी बदली है। 1992 तक स्कूल जाने से मना करने को टोकोक्योशी कहा जाता था, जिसका मतलब प्रतिरोध था। इसे एक प्रकार की मानसिक बीमारी माना जाता था। लेकिन, 1997 में शब्दावली बदली और यह फुटोको हुआ, जिसका अर्थ गैर-उपस्थिति है। 17 अक्टूबर को सरकार ने घोषणा की कि प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल के छात्रों के बीच अनुपस्थिति रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज की गई। इसमें 2017 में 1,44,031 बच्चे जबकि 2018 के दौरान 30 दिनों या उससे ज्यादा दिनों तक 1,64,528 बच्चे अनुपस्थित रहे।
1992 के फ्री स्कूलों में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी
फुटोको के बढ़ते मामलों को देखते हुए जापान में 1980 के दशक में फ्री स्कूल मूवमेंट की शुरुआत हुई।फ्री स्कूलों में माहौल बहुत ही अनौपचारिक होता है। वहां बच्चे एक परिवार की तरह रहते हैं।एक फ्री स्कूल की प्रमुख ताकाशी योशिकावा का कहना है कि इस स्कूल का उद्देश्य लोगों के सामाजिक कौशल को विकसित करना है। ये होम-स्कूलिंग के साथ-साथ अनिवार्य शिक्षा का भी एक स्वीकृत विकल्प हैं। लेकिन, ये किसी भी तरह की कोई औपचारिक डिग्री नहीं देते हैं।1992 में जहां 7,424 बच्चे वैकल्पिक स्कूलों में जाते थे, वहीं 2017 में 20,346 बच्चे जाते हैं।
2018 मेंस्कूलआत्महत्या के 332 मामले दर्ज
स्कूल से बाहर निकलने के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं। इसका एक बड़ा खतरा यह है कि युवा समाज से पूरी तरह कट सकते हैं और खुद को अपने कमरों में बंद कर सकते हैं। इस तरह की घटनाओं को हिकिकोमोरी कहा जाता है। 30 साल में 2018 में सबसे ज्यादा 332 स्कूलों में आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। 2016 में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती संख्या ने जापान सरकार को स्कूलों के लिए विशेष सिफारिशों के साथ आत्महत्या रोकथाम कानून पारित करने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा मंत्रालय के सर्वे के मुताबिक पारिवारिक परिस्थितियां, दोस्तों के साथ व्यक्तिगत मुद्दे और डराना-धमकाना इनके मुख्य कारण है। कुछ ड्रॉपआउट्स छात्रों ने बताया कि उन्हें अन्य छात्रों या शिक्षकों का साथ नहीं मिला।1970 और 1980 के दशक में हिंसा और बदमाशी के जवाब में स्कूलों में कड़े नियम लागू किए गए।इन नियमों को ‘ब्लैक स्कूल नियम’ के रूप में जाना जाता है।जापान के कई स्कूल अपने छात्रों की उपस्थिति के हर पहलू को नियंत्रित करते हैं। छात्रों को अपने भूरे बालों को काला करने के लिए मजबूर किया जाता है। ठंड के मौसम में भी विद्यार्थियों को कोट पहनने की अनुमति नहीं देते। कुछ मामलों में वे विद्यार्थियों के अंडरवियर के रंग पर भी फैसले करते हैं।
इस्लामाबाद/मास्को. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सोमवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे पर कभी समझौता नहीं किया जाएगा। हम अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए किसी भी दुस्साहस या आक्रामकता को विफल करने में सक्षम हैं और पूरी तरह से तैयार हैं।उधर, रूस ने कहा है किइस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
बाजवा नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के सैन्य अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे को लेकर हम शांति चाहते हैं, लेकिन इसे हमारी कमजोरी न समझें।
कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़े
भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गए हैं। भारत के इस कदम से बौखलाए पाकिस्तान ने अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था और भारतीय उच्चायुक्त को वापस भेज दिया था।
चीन यूएन में कश्मीर मुद्दे पर बैठक करने का प्रस्ताव दिया था
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रूस केउप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने सोमवार को कहा कि इस मामले को लेकर रूस की स्थिति बेहद स्पष्ट है। शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी मुद्दे को द्विपक्षीय आधार पर हल किया जाना चाहिए। चीन ने हाल ही में कश्मीर मुद्दे को लेकर यूएन में एक बैठक करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकिअमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ने बैठक बुलाने के चीन के प्रयास को नाकार दिया।
मेलबर्न.ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लगने के कारण सीजन में दूसरी बार आपातकाल लगाया गया है। जंगल से फैली आग शहरों की तरफ बढ़ रही है। उसे बुझाने के लिए 2000 से ज्यादा दमकलकर्मी दिन-रात आग बुझाने में लगे हैं। ऐसे में मेलबर्न में रह रहे सिख समुदाय भी मदद को आगे आया है। इन लोगों ने रात में 700 किमी तक गाड़ी चलाकर ब्रेडवुड इलाके में आग बुझा रहे दमकल कर्मियों 350 पैकेट खाना पहुंचाया।
दरअसल, यहां के बुशफायर इलाके में आग फैल चुकी है। लोगों को सिडनी भेजा रहा है। दमकलकर्मी दिन-रात आग बुझा रहे हैं। सिख समुदाय के सेक्रेटरी गुरजीत सिंह ने बताया कि जब हम अॉस्ट्रेलिया आए थे, तब हमारे पास सिर्फ दो बैग थे। आज हमारे पास बहुत कुछ है। इस देश ने हमें बहुत कुछ दिया है। हम लोगों की मदद कर पाने में सक्षम हैं। इस गंभीर स्थिति में हम हमेशा अॉस्ट्रेलिया के साथ खड़े हैं और हमेशा खड़े रहेंगे। हम आग बुझाने की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं, ताकि आपात स्थितियों में मदद कर सकें।
विलियम्सबर्ग.अमेरिकी राज्य वर्जीनिया में राजमार्ग पर एक साथ 70 से ज्यादा वाहनों के टकराने से 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। वर्जीनिया पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक 25 लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। इनमें पांच की हालत गंभीर बताई जा रही है।
यह दुर्घटना रविवार को विलियम्सबर्ग के पास क्वीन क्रिक्स ब्रिज के इंटर स्टेट हाईवे- 64 पर हुई। पुलिस के मुताबिक भारी बर्फबारी और कोहरे की वजह से यह हादसा हुआ। टकराने के बाद गाड़ियां एक-दूसरे में इस तरह घुस गईं थी कि राहत और बचाव दल को दुर्घटनाग्रस्त लोगों को निकालने और रास्ता बनाने में मुश्किलें पेश आईं। 6 घंटे बाद ट्रैफिक व्यवस्था बहाल हो सकी। इससे पहले 19 दिसंबर को हैरिसबर्ग में भी ऐसा ही हादसा हुआ था। इसमें 44 घायल हुए थे, दो की मौत हो गई थी।
अमेरिका में इस साल 1.2 लाख रिकॉर्ड टूटे: अमेरिकी नेशनल क्लाइमेटिक डेटा सेंटर के मुताबिक इस साल पूरे अमेरिका में खराब मौसम और बर्फबारी के कारण 1.2 लाख रिकॉर्ड टूटे हैं। इसमें बर्फबारी, गरमी और बारिश के दैनिक रिकॉर्ड शामिल हैं।
न्यूयाॅर्क.जब दुनिया के अधिकतर देश क्रिसमस मना रहे होंगे, तब पेरिस के एफिल टावर से दोगुना बड़ा एस्टेराॅयड (क्षुद्रग्रह) पृथ्वी के नजदीक से 44,172 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर जाएगा। यह एस्टेराॅयड इसी सप्ताह 26 दिसंबर यानी बाॅक्सिंग-डे के दिन सुबह 7.52 बजे गुजरेगा।
नासा का आकलन है कि इस अंतरिक्षीय चट्टान का व्यास करीब 2,034 फीट (620 मीटर) है। ऐसे एस्टेराॅयड पृथ्वी के नजदीक से गुजरते रहते हैं और समय-समय पर नासा इन्हें लेकर अलर्ट जारी करता रहता है। कई बार एक ही दिन में बहुत से एस्टेराॅयड पृथ्वी के नजदीक से गुजर जाते हैं अाैर धरती पर लाेगाें काे इसका अाभास भी नहीं हाेता। ताजा एस्टेराॅयड 2000 में खाेजा गया था। इसलिए इसे 2000 सीएच-59 नाम िदया गया है।
नासा का अनुमान है कि इसका अाकार 919 फीट अाैर 2,034 फीट के बीच हाे सकता है। एेसे में इसे एफिल टाॅवर (1,063 फीट) अाैर एंपायर एस्टेट िबल्डिंग (1,453 फीट) से भी बड़ा बताया जा रहा है। नासा की गणना के मुताबिक यह 44,172 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अागे बढ़ रहा है अाैर यह पृथ्वी से 7,291,400 किमी दूरी से गुजरेगा। यानी यह पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी से 19 गुना दूरी से गुजरेगा। हालांकि खगाेलीय भाषा में यह पृथ्वी के बहुत नजदीक से गुजर रहा है। यह दूरी पृथ्वी अाैर सूर्य के बीच की दूरी के 12वें हिस्से के बराबर है।
वाशिंगटन. विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने सोमवार को अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डेनिस मिलेनबर्ग की सेवाएं समाप्त कर दी। बोइंग के मुताबिक, मिलेनबर्ग के स्थान पर इस साल अक्टूबर से चेयरमैन की भूमिका निभा रहेडेविल कैल्हॉन यह पद संभालेंगे। फिलहाल अंतरिम सीईओ की जिम्मेदारी कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफीसर ग्रेग स्मिथ निभाएंगे।
मिलेनबर्ग को हटाने की मुख्य वजहेंपिछले सालअक्टूबर और इस सालमार्च में दो बोइंग मैक्स विमानों के क्रैश हो जाने को माना जा रहा है। इसके बाद से ही कंपनी दबाव में थी। इनदुर्घटनाओं को लेकरअमेरिका की फेडरल एविएशन एजेंसी (एफएए)ने 12 दिसंबर को बोइंग को फटकार लगाई थी। बैठक में एविएशन अधिकारियों और दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनने मिलेनबर्ग से इस्तीफे की मांग की थी।
फेडरल एविएशन एजेंसी पर सिस्टम नहीं समझने के आरोप लगे
फेडरल एविएशन एजेंसी पर बोइंग-737 मैक्स विमानों की तकनीकी खामियों को नजरअंदाज करने केआरोप लगे थे। रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी के इंजीनियरों ने बोइंग के ऑटोमैटिक सिस्टम को पूरी तरह नहीं समझा। इस वजह से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए, इसमें 346 यात्री मारे गए। बोइंग कर्मचारियों का कहना था कि मैक्स को व्यवसायिक उड़ानों की मंजूरी देने के लिए रेगुलेटरी प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया।
रियाद. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी की कोर्ट ने 8 लोगों को दोषी करार दिया है। इनमें से5 को मौत की सजा सुनाई गई। तीन अन्य लोगों को कुल 24 साल जेल की सजा दी गई है।सऊदी सरकार के अभियोजन पक्ष की तरफ से बताया गया था कि खशोगी की हत्या सऊदी के ही कुछ लोगों ने की थी। इस मामले में 11लोगों पर मामला चलाया गयाथा। हालांकि, इनके नाम का खुलासा नहीं किया गया था।
तुर्की स्थित सऊदी दूतावास में हुई थी खशोगी कीहत्या
खशोगी अमेरिकी समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट के कॉलमिस्टथे। उन्हें आखिरी बार 2 अक्टूबर को इस्तांबुल के सऊदी अरब के दूतावास के बाहर देखा गया था। वह वहां अपनी शादी के लिए जरूरी कागजात लेने गए थे। तुर्की के सबा अखबार ने दावा किया था कि सऊदी अरब से एक हिट टीम जमाल खशोगी को रियाद ले जाने का बहाना किया। लेकिन जब खशोगी नहीं माने तो दूतावास में ही उनका चेहरा ढककर दम घोंट दिया गया।
तुर्की सरकार ने उनके शव को खोजने के लिए दूतावास की भी जांच की। हालांकि, आज तक खशोगी की लाश बरामद नहीं की जा सकी है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि खशोगी को मारने के बाद हिट टीम के सदस्यों ने उनकी लाश को नष्ट करने के लिए उसे तेजाब में डाल दिया था।
सऊदी प्रिंस पर लगे थे खशोगी की हत्या से जुड़े होने के आरोप
इससे पहले सऊदी अधिकारी खाशोगी की हत्या में हाथ होने से इनकार करते रहे हैं। हालांकि, तुर्की के अखबार इस मामले में खुलासा करते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की हत्याकांड से जुड़ी एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट एग्नेस कैलामार्ड ने कहा था कि खशोगी की हत्या से जुड़े सबूतों के आधार पर कहा जा सकता है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और उनके उच्चाधिकारी हत्या से जुड़े हुए थे। उन्होंने मामले में प्रिंस सलमान की जांच की बात कही थी। हालांकि, क्राउन प्रिंस अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते रहे हैं।
प्रिंस सलमान ने ली थी हत्या की नैतिक जिम्मेदारी
हाल ही में अमेरिका की पब्लिक ब्रॉडकास्टर सर्विस ने खशोगी की हत्या पर बनी डॉक्यूमेंट्री रिलीज की थी। इसमें एक मौके पर प्रिंस सलमान कहते हैं कि खशोगी की हत्या के लिए वे नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं, क्योंकि यह उन्हीं की निगरानी में हुई। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना था कि प्रिंस सलमान का यह बयान आपराधिक जिम्मेदारी नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी है। वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी छवि बनाए रखना चाहते हैं।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज पार्टी की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज को सरकार ने लंदन जाने की अनुमति नहीं दी है। मरियम नेलंदन में इलाज करा रहे अपने पिता के पास जाने की अनुमति मांगी थी। इस संबंध में उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। 46 वर्षीय मरियम को भ्रष्टाचार मामले को लेकर अगस्त 2018 में नो-फ्लाई सूची में रखा गया था। सरकार ने कहा किकिसी भी आर्थिक अपराध और संस्थागत धोखाधड़ी में शामिल लोगों को देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
समाचारपत्र डॉन के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार और वरिष्ठ वकील डॉ. बाबर अवान ने रविवार को इस मामले पर कहा, “मरियम का नाम एक्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) में शामिल है। इसकी वजह से सरकार के पास उनके विदेश जाने के आवेदन को खारिज करने का अधिकार है।”
उन्होंने कहा, “ईसीएल में व्यक्तियों के नाम डालने से संबंधित नियम सरकार को उनका नाम ‘नो फ्लाई (विदेश जाने को लेकर) सूची से हटाने की अनुमति नहीं देते हैं। कानून मंत्री फरगोह नसीम की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की उपसमिति ने मरियम के आवेदन को खारिज कर दिया है।”
सरकार के फैसले से कोई हैरानी नहीं:पीएमएल-एन
प्रधानमंत्री की सूचना मामलों केविशेष सलाहकार फिरदौस आशिक अवान ने भी कहा था कि सरकार मरियम के अनुरोध को स्वीकार नहीं करेगी। इसके जवाब में पीएमएल-एन की सूचना सचिव मरियम औरंगजेब ने कहा था कि सरकार के फैसले से कोई हैरानी नहीं हुई है। इमरान की सरकार हमेशा पीएमएल-एन नेतृत्व को प्रताड़ित करने के अवसरों की तलाश में रहता है।