Monday, May 4, 2020
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वायरस वुहान से पैदा होने के अमेरिका के दावे का कोई सबूत नहीं, हमारे हिसाब से यह केवल कल्पना May 04, 2020 at 06:51PM
विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के वुहान के लैब से फैलने के अमेरिकी सरकार के दावे पर सवाल किए हैं। डब्ल्यूएचओ के इमर्जेंसी डायरेक्टर माइकल रैयान ने सोमवार को कहा हमें सरकार से वायरस के वुहान के लैब में बनने से जुड़ा कोई सबूतया डेटा नहीं मिला है। हमारे हिसाब से यह केवल एक कल्पना है। डब्ल्यूएचओ इससे पहले भी संक्रमण से निपटने के लिए चीन की तारीफ कर चुका है।ट्रम्प प्रशासन ने हाल के दिनों में संक्रमण को लेकर चीन पर हमला तेज कर दिया है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बाद विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी दावा वायरस वुहान के लैब में तैयार होने का दावा किया है। अमेरिकी गृह विभाग की खुफिया रिपोर्ट में भी चीन के वायरस से जुड़ी जानकारी छिपाने की बात सामने आई है। ट्रम्प और पोम्पियो कई विशेषज्ञों के आंकलन के आधार पर
वायरस पर अमेरिका और चीन आमने-सामने
- दुनिया में कोरोना से अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित है। देश में अब तक संक्रमण के आंकड़े 12 लाख से ज्यादा हो चुके हैं और 69 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं। यही वजह है कि अमेरिका पर भारी दबाव है। अमेरिका ने पहले चीन के उस दावे को नकारा था, जिसमें कहा गया था कि कोरोना चीन के वाइल्डलाइफ मार्केट से निकला।
- बाद में चीन का आरोप था कि यूएस मिलिट्री ने चीन तक इस वायरस को पहुंचाया था। उधर, कुछ दिन पहले ट्रम्प ने कहा था कि हम दुनिया के सामने कोरोना का सच लेकर आएंगे।
- अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से भी नाराजगी जताई थी। कहा था कि डब्ल्यूएचओ ने चीन का फेवर किया और दुनिया को सही जानकारियां नहीं दीं।
ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ की फंडिंग पर रोग लगाई थी
अमेरिका डब्ल्यूएचओ पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया है । ट्रम्प ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ को खुद के लिएशर्मिंदा होना चाहिए, क्योंकि उसने चीन के लिए एक जनसंपर्क एजेंसी की तरह काम किया है। दरअसल, ट्रम्प प्रशासन ने कोरोना को लेकर डब्ल्यूएचओकी भूमिका की जांच शुरू की है। साथ ही उसकी फंडिंग भीअस्थायी तौर पर रोक दी है।
कोरोना पर अमेरिका में ही विरोधाभास
यूएस इंटेलीजेंस कम्युनिटी ने इस सप्ताहकहा थाकि कोरोनावायरस मानव निर्मित नहीं है। कम्युनिटी ने बताया थाकिमौजूदासबूतों और वैज्ञानिक सहमतियों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किसी लैब में जेनेटिक मॉडिफिकेशन से भी यह नहीं बनाया गया है। इसे न इंसानों ने बनाया है और न इसे डिजाइन किया गया है। फिर भी हम लगातार बारीकी से जांच कर रहे हैं और हर एंगल को देख रहे हैं।
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World leaders pledge $8 billion to fight Covid-19 but US steers clear May 04, 2020 at 06:13PM
Elon Musk and girlfriend welcome first child together May 04, 2020 at 05:56PM
China reports 1 new virus case, no deaths May 04, 2020 at 05:15PM
अब तक 36.45 संक्रमित और 2.52 लाख मौतें: अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था ने कहा- अगस्त तक यहां 1.30 लाख से ज्यादा जान जाएगी May 04, 2020 at 05:08PM
दुनिया में करोनावायरस से अब तक दो लाख 52 हजार 390 लोगों की मौत हो चुकी है। 36 लाख 45 हजार 194 संक्रमित हैं। 11 लाख 94 हजार 872 ठीक हो चुके हैं। अमेरिका के सिएटल स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन ने कहा कि अगस्त में देश में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा मौतें होंगी। यह अभी के आंकड़ों से दोगुना होगा। यहां अब तक करीब 70 हजार जान जा चुकी है।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 12,12,835 | 69,921 | 1,88,027 |
स्पेन | 2,48,301 | 25,428 | 1,51,633 |
इटली | 2,11,938 | 29,079 | 82,879 |
ब्रिटेन | 1,90,584 | 28,734 | उपलब्ध नहीं |
फ्रांस | 1,69,462 | 25,201 | 50,784 |
जर्मनी | 1,66,152 | 6,993 | 1,32,700 |
रूस | 1,45,268 | 1,356 | 18,095 |
तुर्की | 1,27,659 | 3,461 | 68,166 |
ब्राजील | 1,08,620 | 7,367 | 45,815 |
ईरान | 98,647 | 6,277 | 79,379 |
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अमेरिका: 24 घंटे में 1050 मौतें
अमेरिका में 24 घंटे में 1050 लोगों की मौत हुई है, जबकि 24 हजार से ज्यादा नए केस मिले हैं। देश में अब तक संक्रमण के आंकड़े 12 लाख से ज्यादा हो चुके हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के एक अंदरुनी मेमो में बताया गया है कि देश में एकजून तक रोजाना मरने वालों की संख्या तीन हजारहो सकती है। वहीं, मई के अंत तक रोजाना दो लाख नए केस मिलने की संभावना है। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट को विवादास्पद बताया है।
फ्रांस: 11 मई से प्रतिबंधों में राहत
फ्रांस में 11 मई से कई प्रतिबंधों में छूट दी जाएगी। इसके बाद संक्रमण की स्थिति को देखते हुए आगे का फैसला लिया जाएगा। हालांकि, धार्मिक कार्यक्रमों पर 2 जून तक प्रतिबंध रहेगा। यहां अब तक 25 हजार 201 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक लाख 69 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।
कनाडा: 3854 मौतें
कनाडा में संक्रमण के मामले 60 हजार से ज्यादा हो गए हैं। मरने वालों की संख्या 3854 हो गई। क्यूबेक प्रांत महामारी से सबसे ज्यादा प्रभवित है। यहां संक्रमितों की संख्या 32,623 है। वहीं, 2280 की मौत हो चुकी है। क्यूबेक प्रांत में मंगलवार से अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों को खोलना शुरू कर दिया गया है।
तुर्की: मंगलवार से पाबंदियों में छूट
तुर्की में 15 मई तक कई प्रतिबंधों में छूट दी जाएगी। हेयर सैलून, कुछ दुकानें और मार्केटिंग सेंटर 11 मई तक खोले जाएंगे। हालांकि, यूनिवर्सिटी 15 मई तक बंद रहेंगे। 10 मई के बाद 65 साल साल के बुजुर्ग टहलने बाहर जा सकेंगे। राष्ट्रपति रेजेप तैयप एर्दोआन ने पिछले महीने करीब 31 शहरों में कर्फ्यू लगाया था।
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अमेरिका के अस्पतालों में स्टाफ की कमी; स्वास्थ्यकर्मियों का काम कर रहे कुक, गार्ड और सफाईकर्मी May 04, 2020 at 02:34PM
अमेरिका कोरोनामहामारी की चपेट में है और न्यूयॉर्क इसका बड़ा सेंटर है। यहां के अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी की कमी हो गई है। हालात ये हैं कि शहर के ज्यादातर अस्पतालों में अब मरीजों के इलाज में नॉन-मेडिकल स्टाफ की मदद लेनी पड़ रही है।
इनमें कुक, रिसेप्शनिस्ट, सफाईकर्मी और सिक्योरिटी गार्ड प्रमुख हैं जिन्हें मरीजों के बेड चेक करने से साथ उनका मेडिकल रिकॉर्ड रखने की जिम्मेदारी दी गई है। वे मरीजों के इलाज में भी मदद कर रहे हैं। यही कर्मचारी मरीज के रिश्तेदारों के हॉस्पिटल में आने वाले फोन भी रिसीव कर रहे हैं। इनमें से कई संक्रमण के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं।
‘आप हर शाम 7 बजे लोगों को बाहर निकलकर तालियां बजाते देखते होंगे लेकिन ये सिर्फ डॉक्टरों और नर्सों के लिए है, न कि उनके लिए जो सफेद कपड़े नहीं पहनते लेकिन फिर भी हॉस्पिटल में काम कर रहे हैं।’ यह कहना है कि एनिडा बिकोट का, जिनके पति एडवर्ड बिकोट की संक्रमण के चलते बीते महीने मौत हो गई। वे ब्रुकलिन हॉस्पिटल सेंटर में स्ट्रेचर और व्हीलचेयर से मरीजों को लाने-ले जाने का काम करते थे। एडवर्ड उन 32 हॉस्पिटल कर्मचारियों में से एक थे जो न्यूयार्क में संक्रमित होने के चलते मारे गए।
इमरजेंसी रूम में काम करने नर्सों को एन-95 मास्क दिए: रिपोर्ट
आंकड़ों के मुताबिक, न्यूयार्क के हॉस्पिटलों में काम करने वाला 79% नॉन मेडिकल स्टाफ डॉक्टरों और नर्सों की मदद में लगा है। इमरजेंसी रूम में काम करने नर्सों को एन-95 मास्क दिए गए हैं, लेकिन नॉन मेडिकल स्टाफ के लिए वो भी उपलब्ध नहीं है। हॉस्पिटल कर्मचारी यूनियन के मुताबिक, हमारे पास सुरक्षा के लिए मास्क या ग्लव्स जैसे साधन नहीं है, क्योंकि यह डॉक्टरों और नर्सों को पहले दिए जा रहे हैं। यूनियन के अध्यक्ष कार्मेन चार्ल्स बताते हैं कि न्यूयार्क के अस्पतालों में 8500 नॉन-मेडिकल स्टाफ काम करता है जो खतरे में है।
कार्मेन के मुताबिक, ये सही है कि इस वक्त हमारी जरूरत है लेकिन किस कीमत पर? हमारी जान बचाने वाले मास्क, ग्लव्स कहां है? नॉन मेडिकल स्टाफ के विरोध को देखते हुए कुछ अस्पतालों में सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए हैं, लेकिन अभी भी इनकी संख्या न के बराबर है।
ट्रम्प फिर पलटे, अब कहा- 1 लाख मौतों की आशंका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले महीने कोरोना से 60 हजार मौतें होने की आशंका जताई थी लेकिन अब इस बयान से पलट गए हैं। रविवार को फॉक्स न्यूज के साथ हुई टाउन हॉल मीटिंग में उन्होंने कहा कि ‘महामारी से हम 75, 80 हजार से 1 लाख लोगों को खोने वाले हैं। ये डरावना है लेकिन हम एक भी जान नहीं खोने देना चाहते।’ इसके साथ ही उन्होंने खुद का बचाव करते हुए कहा- ‘अगर हम समय पर कदम नहीं उठाते तो ये आंकड़ा 10 लाख पार हो सकता था। शायद 20 लाख लोग मारे जाते।’
ट्रम्प का नया चुनावी वादा- वैक्सीन लाएंगे, सुरक्षित भविष्य देंगे
इधर, ट्रम्प ने महामारी को देखते हुए अपने चुनावी अभियान में कोरोना वैक्सीन को भी शामिल कर लिया है। फॉक्स न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा- हम अगले साल तक कोरोना वैक्सीन तैयार कर लेंगे और हर अमेरिकी को वायरस से सुरक्षित करेंगे ताकि सभी को एक बेहतर भविष्य दे सकें। ट्रम्प के इन बयानों को अमेरिकी मीडिया में नए चुनावी वादे के तौर पर देखा जा रहा है।
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ब्रिटेन में छात्र और किरायेदार रेंट स्ट्राइक पर, कहा- लॉकडाउन में किराया कैसे चुकाएं, हमारे लिए संघर्ष जीवन बचाने का है May 04, 2020 at 02:34PM
लंदन के टर्नपाइक लेन स्टेशन के बाहर लिखा है- अब से किराए की हड़ताल। लंदन की ज्यादातर सड़कों के किनारे ऐसे ही संदेश लिखे हैं। यह हड़ताल उन छात्रों की है, जिनके लिए जीवन यापन का संघर्ष बना हुआ है और वे किराया चुका पाने की स्थिति में नहीं हैं। छात्रों के विरोध में अब सामान्य किराएदार भी शामिल हो गए हैं।
किराया न चुका पाने से जूझ रहे कुछ छात्र अपने दूसरे साथियों के साथ शिफ्ट हो गए हैं, जहां मकान मालिक अब दोगुना किराया मांग रहे हैं। इसके चलते लंदन में रेंट स्ट्राइक या किराए की हड़ताल शुरू हो गई है, जिसमें हजारों लोग शामिल हो चुके हैं। जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है कि लॉकडाउन खत्म होने तक उन्हें किराए से छूट मिले।
छात्रों ने कहा- हमने मकान मालिकों से बातचीत शुरू की है
छात्रों के मुताबिक, हमारे लिए यह समय जीवन बचाने का है। इन्होंने अपने मकान मालिकों के साथ किराया कम करने या बिल्कुल न लेने के लिए बातचीत भी शुरू की है।24 साल के एक कनाडाई छात्र ने कहा, ‘हम उन छात्रों के लिए लड़ रहे हैं, जो यूनिवर्सिटी से निकाले गए हैं और बाहर किराए पर रह रहे हैं। उनके लिए भी लड़ रहे हैं, जिनकी नौकरियां चली गई हैं और उनके लिए भी जिन्हें अपने परिवार को बचाने के लिए सेल्फ आइसोलेट होना पड़ा है।’
निजी मकान मालिकों ने किराया माफ करने से इनकार कर दिया
हालांकि, ज्यादातर यूनिवर्सिटी में अंतिम वर्ष के छात्रों का किराया माफ कर दिया है, लेकिन निजी मकान मालिकों ने किराया माफ करने से इनकार कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 19 प्रतिशत छात्र ही यूनिवर्सिटी कैंपस में इस वक्त रह रहे हैं। वहीं, हाउसिंग एसोसिएशन सेंचुरी के प्रवक्ता का कहना है कि हमें पता है कि छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी है, लेकिन हम सिर्फ छात्रों को छूट नहीं दे सकते।
बाहरी छात्रों पर ज्यादा असर
सबसे ज्यादा दिक्कत उन छात्रों को हैं, जिन्होंने स्टूडेंट लोन लिए हैं। मेंटेनेंस लोन लेने वाले भी पीड़ित हैं, क्योंकि उसमें मकान किराया शामिल नहीं होता। विदेशी छात्र, जो पार्ट टाइम काम कर खर्चे पूरे करते थे, उनके लिए मकान किराया चुका पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि उनकी आय बंद हो गई है। कनाडा से आई छात्रा टामा नाईट कहती हैं, हमें यूनिर्वसिटी, मकान मालिकों और सरकार ने अकेला छोड़ दिया है, ऐसे में हम कैसे इन हालातों से निपटें।
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कोरोना ने दुनियाभर में सभी वायरस, बड़ी बीमारियों को पछाड़ा; अप्रैल के एक हफ्ते में सबसे ज्यादा 50 हजार मौतें May 04, 2020 at 02:33PM
चीनी शहर वुहान में 9 जनवरी को कोविड-19 से पहली मौत हुई थी। तब से इससे करीब ढाई लाख लोगों की मौत हो चुकी है। काेराेना ने सार्स, निपाह, मर्स और इबोला महामारी से हुई कुल मौतों के कुल आंकड़े को तो पहले ही पार कर लिया है। अब इसने अन्य प्रचलित बीमारियों से होने वाली मौतों को भी पीछे छोड़ दिया है।
एक रिसर्च में पता चला है कि वैश्विक स्तर पर लगभग किसी भी चीज की तुलना में कोरोना से ही सबसे ज्यादा लोग मर रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार हर हफ्ते डायबिटीज से 20 हजार, सड़क दुर्घटनाओं में 25 हजार, फेफड़े और श्वसन नली के कैंसर से 36 हजार, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन जैसे निमोनिया और ब्रोंकाइटिस से 49 हजार औसत मौतें होती हैं।
कोरोनासे हफ्तेभर में 50 हजार से ज्यादा मौतें
अप्रैल के एक हफ्ते में कोरोनावायरस से दुनिया में 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। ग्लोबल बर्डन और डिसीज स्टडी रिपोर्ट हर साल 195 देशों और 282 बीमारियों के आंकड़ों को शामिल करके तैयार की जाती है।
मानसिक सेहत पर भी असर पड़ रहा
इस बीमारी का असर लोगों की मानसिक सेहत पर भी पड़ रहा है। जैसे रूस में मार्च के अंतिम सप्ताह में वोदका की बिक्री 31% बढ़ गई। अमेरिका में मार्च में बंदूक की बिक्री 85% तक बढ़ गई थी। अधिक शराब और हथियार का उपयोग आत्महत्याओं में भी हो सकता है।
29 अप्रैल को खत्म सप्ताह में 40 हजार से कम मौतें हुईं
हालांकि, बीते कुछ सप्ताह में साप्ताहिक काेराेना से मौतों का आंकड़ा गिर रहा है। 29 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 40,000 से कम मौतें हुईं। अमीर देशों में बीमारी का सबसे बुरा दौर संभवत: अब जा चुका है। लेकिन चिंता इस बात की है कि गरीब देश इससे कैसे निपटेंगे और वहां इसका क्या असर रहेगा।
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दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में बदहाल देशों से 13 गुना ज्यादा कोरोना का असर, यूरोप में अफ्रीका महाद्वीप से 81 गुना ज्यादा मौतें May 04, 2020 at 02:28PM
रिसर्च डेस्क. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बीमारियां पिछड़े और गरीब इलाकों को ज्यादा प्रभावित करती हैं। लेकिन कोरोनावायरस के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं है। पिछले 4 महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि कोरोना ने बदहाल व पिछड़ेदेशों की तुलना में खुशहाल व अमीर देशों में 13 गुना से ज्यादा कहर बरपाया है। कुछ ऐसी ही स्थिति महाद्वीपों की भी है। यूरोप में अफ्रीका महाद्वीप से 81 गुना ज्यादा मौतें हुई हैं।
तीन सबसे खुशहाल देशों में अब तक कोरोना से905 लोगों की जान गई है
हैप्पीनेस इंडेक्स- 2019 में दुनिया के टॉप-3 खुशहाल देश फिनलैंड, डेनमार्क और नार्वे हैं। इन तीनों में अब तक कोरोना से 905 लोगों की मौत हुई है। हैप्पीनेस इंडेक्स के मुताबिक दुनिया के तीन सबसे बदहाल और पिछड़े देश दक्षिणी सूडान, सेंट्रल रिपब्लिकन अफ्रीका और अफगानिस्तान हैं। यहां अब तक कोरोना से कुल 72 मौतें हुई हैं। यानी जिन देशों में स्वास्थ्य सुविधाएं, रहन-सहन, जीवन स्तर उच्च श्रेणी का है, वहां पर कोरोना महामारी का असर ज्यादा हुआ है, जबकि जहां पर भुखमरी, स्वास्थ्य सेवाएं, गंदगी और जीवन निम्न स्तर का है, वहां पर कोरोना का असर कम है। कोरोना से टॉप-3 खुशहाल देशों में टॉप-3 बदहाल देशों से करीब 13 गुना ज्यादा मौतें हुई हैं। जबकि 9 गुना ज्यादा केस आए हैं।
यूरोप में अफ्रीका महाद्वीप से 33 गुना ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं
इसी तरह वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स-2019 के मुताबिक सबसे खुशहाल महाद्वीप यूरोप है, तो सबसे बदहाल और पिछड़ा महाद्वीप अफ्रीका है। बात यदि सबसे खुशहाल महाद्वीप यूरोप की करें तो यहां पर 3 मई तक कोरोना से 1.39 लाख मौतें हो चुकी हैं। 14 लाख लोग संक्रमित हुए हैं। जबिक सबसे बदहाल महाद्वीप अफ्रीका में सिर्फ 1723 मौतें हुईं हैं। 42,771 लोग संक्रमित हुए हैं। यूरोप में अफ्रीका महाद्वीप से 33 गुना ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं।
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद कवरेज के लिए कश्मीर के तीन फोटोग्राफरों ने फीचर फोटोग्राफी अवॉर्ड मिला May 04, 2020 at 11:30AM
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में महीनों तक कर्फ्यू और लॉकडाउन की स्थिति रही। ऐसे हालात में कश्मीर के तीन फोटोग्राफर ने कैमरे के जरिए लोगों को प्रदेश का माहौल दिखाया। ये तीनों फोटोग्राफर यासीन डार, मुख्तार खान और चन्नी आनंद न्यूज एजेंसी एपी के लिए काम करते हैं। अब इन्हें कश्मीर कवरेज के लिए पत्रकारिता का प्रतिष्ठित पुलित्जर फीचर फोटोग्राफी अवॉर्ड दिया गया है।
घाटी में विपरीत परिस्थितियों के बाद भी इन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी अंजाम दिया। कई बार तो प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए सब्जी की टोकरियों में कैमरे छिपाए। तीनों फोटोग्राफर ने प्रदर्शन, पुलिस-अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई और लोगों की जिंदगी की तस्वीरें एजेंसी के दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाईं।
'काम से किसी के सामने चुप न रहने की प्रेरणा मिली'
श्रीनगर में रहने वाले यासीन डारने ईमेल के जरिए बताया कि यह काम बिल्कुल चूहे और बिल्ली की लुकाछिपी की तरह था। इंटरनेट बंद रहने से फोटो दिल्ली तक पहुंचाने में काफी मुश्किल होती थी। हम मेमोरी कार्ड से फोटो दिल्ली भेजने के लिए एयरपोर्ट पर दिल्ली जाने वाले किसी यात्री को मनाते थे। हमारे काम से यह प्रेरणा मिली है कि कभी किसी के सामने चुप्पी नहीं साधनी है। वहीं, जम्मू में रहने वाले चन्नीआनंद बतातेहैं कि 20 साल एपी के साथ काम करने के बाद यह पुरस्कार मिला। इसकीखुशी जाहिर करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
न्यूज एजेंसी के सीईओ गेरी प्रयूट ने कहा कि यह सम्मान हमारे लिए संस्थान की महान कार्यशैली का हिस्सा है। कश्मीर में काम करने वाली हमारी पूरी टीम इसके लिए बधाई की पात्र है। इस अवॉर्ड के लिए न्यूज एजेंसी के फोटोग्राफर दिऊ नलियो चेरी और रेबेका ब्लैकवेल भी फाइनलिस्ट में थे। उन्होंने हैती में हिंसा के दौरान कवरेज किया था। तब चेरी को गोली भी लगी थी, लेकिनवह अपना काम करते रहे। इन पांचों फोटोग्राफर ने संस्थान के लिए बेहतर काम किया।
5 अगस्त के बाद कश्मीर में महीनों तक इंटरनेट बंद रहा
5 अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। इसके बाद सरकार ने प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इससे पहले ही कश्मीर के प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। यहां महीनों तक कर्फ्यू लगा रहा और टेलीफोन के साथ-साथ इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगी रही थी। ऐसे में कश्मीर के पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया था कि इंटरनेट बंद रहने से उनका काम प्रभावित हो रहा है।
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अमेरिका: भारतीय दवाओं के लिए परेशान, वीजा एक्सटेंशन को लेकर भी बढ़ रही दिक्कतें May 04, 2020 at 09:47AM
कोरोनावायरस ने दुनियाभर में कोहराम मचा रखा है। शायद ही कोई देश है जो इस महामारी से अछूता बचा है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली जैसे देशों को भी इस वायरस से जूझना पड़ रहा है। इस बीच, लाखों भारतीय हैं जो विदेशों में फंसे हुए हैं। हालांकि, सोमवार को भारत सरकार ने 7 मई से विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने की घोषणा की है। बावजूद इसके अभी भी ऐसे लाखों भारतीय हैं जिन्हें स्वदेस लौटने का इंतजार है। कारण कि विदेश में उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि भारत से जो लोग यहां छुट्टियां बिताने के हिसाब से आए थे, वेकोरोना महामारी के चलते यही फंस गए हैं।ऐसे में उन्हेंदवाएं और वीजा एक्सटेंशन जैसी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।
'विदेश सचिव को पत्र लिखकर दिक्कतों से अवगत कराया'
भंडारी ने बताया कि कुछ हफ्ते पहले मैंने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला और सिविल एविएशन के सचिव प्रदीप सिंह खरौला को पत्र लिखा था। पत्र के माध्यम से मैंने उन्हें बताया था कि मनीला में फंसे भारतीय छात्रों को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका में बुजुर्गों को दवाओं के लिए परेशानी उठाना पड़ रही है।
'वेलफेयर फंड से छात्रों की मदद हो'
भंडारी ने कहा, ''कोरोना के चलते कोई बाहर नहीं निकल पा रहा है और यहां डॉक्टर बिना देखे दवा नहीं लिखता। ऐसे में बाहर के लोगों को दवाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है। वहीं, अमेरिका में 2 लाख से ज्यादा छात्र फंसे हैं। ज्यादातर की नौकरी जा चुकी है। पैसे खत्म हो चुके हैं। ऐसे में उन्हें रहने-खाने को लेकर भी परेशान होना पड़ रहा है। हमने मांग की है किइंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड से इन छात्रों की मदद हो।'''
स्वदेस लौटने के लिए भारतीय रजिस्ट्रेशन करवाएं'
भंडारी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि यहां मौजूद भारतीय कम्युनिटी ने छात्रों की मदद नहीं की। यहां के लोगों ने 6 हजार कमरों की व्यवस्था की है। मगर 2 लाख बड़ी संख्या है। ऐसे में दिक्कत तो हो रही है। यह अच्छा है कि मोदी सरकार ने अब भारतीयों को स्वदेस लाने का फैसला लिया है। इसके बाद लोगों में एक उम्मीद बंधी है। दूतावास ने भारतीयों से कहा है कि फॉर्म भरकर रजिस्ट्रेशन करवाएं ताकि लौट सकें।
'भारतीय दूतावास ने संपर्क किया मगर बात नहीं बन पाई'
भंडारी के मुताबिक, एक भारतीय लड़की मनीला में फंसी हुई है। उसके पिता अमेरिका में हैं और मां जयपुर में हैं। दिक्कत यह है कि लड़की को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है। उसके पिता ने हमसे मदद मांगी है। हमने इस संदर्भ में भारतीय दूतावास को बताया है। उन्होंने संपर्क तो किया है मगर अभी तक बात नहीं पाई है।
'वीजा एक्सटेंशन भी एक तरह की चुनौती'
भंडारी ने बताया कि मैंने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को पत्र लिखकर वीजा एक्सटेंशन की फीस माफ करने की अपील की है। कारण कि यहां जो भारतीय फंस गए हैं। उनके सामने दो तरह की समस्याएं हैं। पहली फ्लाइट कब शुरू होंगी, पता नहीं। दूसरा वीजा एक्सटेंशन के लिए लगने वाली 455 डॉलर की फीस जो भारतीय रुपयों में करीब 34 हजार होती है। लोगों को पैसों की कमी से भी जूझना पड़ रहा है।
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बेल्जियम के कानून मंत्री का मास्क न पहन पाने पर मजाक उड़ा, हैरी पॉटर की लेखिका जेके रॉलिंग ने बचाव किया May 03, 2020 at 11:05PM
बेल्जियम के प्रधानमंत्री कोयन गिंस का मास्क पहनने की कोशिश करते एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वे कोरोना से बचने के लिए मास्क पहने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।वीडियो मेंगिंस मास्क कभी सिर पर तो कभी आंखों के ऊपर पहन रहे हैं। दो-तीन बार कोशिश के बाद भी वे सफल नहीं हो पाए। इसका सोशल मीडिया पर यूजर्स ने खूब मजाक उड़ाया। हालांकि, हैरी पोर्टर की लेखिका जेके रोलिंग ने उनका बचाव किया है।
फिलहाल, गिंस को कानून मंत्री के साथ ही मास्क समेत सुरक्षात्मक उपकरणों की देश भर में आपूर्ति की निगरानी का काम दिया गया है। इसी को लेकर 30 अप्रैल को वे एक वर्कशॉप गए थे, जहां मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरण तैयार किए जाते हैं। यहीं वे मास्क पहनने की कोशिश करते नजर आए थे।
सोशल मीडिया परएक यूजर्स ने लिखा- बेल्जियम कोरोनावायरस से ऐसेनिपट रहा है।
ब्रि़टेन की पूर्व विशेष सलाहकार लॉरा राउंड ने ट्वीट किया- इस बीच बेल्जियम में उनके उप प्रधानमंत्री को ऐसी स्थिति से जूझना पड़ा।
##जेके रॉलिंग ने मंत्री का बचाव करते हुए ट्वीट किया- मैं उनका मजाक नहीं उड़ा सकती। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा मेरे साथ होता है। खासकर जब फिल्म की शूटिंग हो रही हो। वहीं, गिंस ने समर्थन के लिए रॉलिंग को धन्यवाद भी दिया।
##करीब 50 हजार संक्रमण के मामले
बेल्जियम में संक्रमण के अब तक 49 हजार 906 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 7844 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में लॉकडाउन तीन मई को खत्म हो गया। सोमवार से यहां प्रतिबंधों को हटाया जाएगा। कुछ दिनों पहले बेल्जियम के प्रधानमंत्री सोफी विल्मेस ने कहा था कि देश इस हफ्ते के बाद सेलॉकडाउन से बाहर निकलने के पहले चरण की शुरुआत करेगा।
द.अफ्रीका के राष्ट्रपति का भी वीडियो वायरल हुआ था
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामफोसा का भी मास्क पहनने की असफल कोशिश करते एक वीडियो वायरल हुआा था। इसमें वे बार-बार कोशिशके बावजूदमास्क पहनने में कामयाब नहीं हो सके। दरअसल, कुछ दिनों पहले रामफोसा नेअपने भाषण मेंलोगों कोघर में रहने और बाहर निकलने पर मास्क पहनने की सलाह दी। भाषण के आखिर मेंवे लोगों कोमास्क पहनकर दिखाना चाहते थे,लेकिनसाइज छोटा होने के कारण वहउनके कानों से बार-बार निकल रहा था। रामफोसा ने इसे मुंह की जगह आंखों पर रखकर बांधने की कोशिश भी की, लेकिन नाकामयाब रहे।
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