चीनी शहर वुहान में 9 जनवरी को कोविड-19 से पहली मौत हुई थी। तब से इससे करीब ढाई लाख लोगों की मौत हो चुकी है। काेराेना ने सार्स, निपाह, मर्स और इबोला महामारी से हुई कुल मौतों के कुल आंकड़े को तो पहले ही पार कर लिया है। अब इसने अन्य प्रचलित बीमारियों से होने वाली मौतों को भी पीछे छोड़ दिया है।
एक रिसर्च में पता चला है कि वैश्विक स्तर पर लगभग किसी भी चीज की तुलना में कोरोना से ही सबसे ज्यादा लोग मर रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार हर हफ्ते डायबिटीज से 20 हजार, सड़क दुर्घटनाओं में 25 हजार, फेफड़े और श्वसन नली के कैंसर से 36 हजार, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन जैसे निमोनिया और ब्रोंकाइटिस से 49 हजार औसत मौतें होती हैं।
कोरोनासे हफ्तेभर में 50 हजार से ज्यादा मौतें
अप्रैल के एक हफ्ते में कोरोनावायरस से दुनिया में 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई। ग्लोबल बर्डन और डिसीज स्टडी रिपोर्ट हर साल 195 देशों और 282 बीमारियों के आंकड़ों को शामिल करके तैयार की जाती है।
मानसिक सेहत पर भी असर पड़ रहा
इस बीमारी का असर लोगों की मानसिक सेहत पर भी पड़ रहा है। जैसे रूस में मार्च के अंतिम सप्ताह में वोदका की बिक्री 31% बढ़ गई। अमेरिका में मार्च में बंदूक की बिक्री 85% तक बढ़ गई थी। अधिक शराब और हथियार का उपयोग आत्महत्याओं में भी हो सकता है।
29 अप्रैल को खत्म सप्ताह में 40 हजार से कम मौतें हुईं
हालांकि, बीते कुछ सप्ताह में साप्ताहिक काेराेना से मौतों का आंकड़ा गिर रहा है। 29 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 40,000 से कम मौतें हुईं। अमीर देशों में बीमारी का सबसे बुरा दौर संभवत: अब जा चुका है। लेकिन चिंता इस बात की है कि गरीब देश इससे कैसे निपटेंगे और वहां इसका क्या असर रहेगा।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment