Saturday, April 18, 2020
'Foreign workers' dormitories could see more Corona cases' April 18, 2020 at 07:54PM
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- चीन कोरोनावायरस फैलने का जिम्मेदार निकलता है तो उसे परिणाम भुगतने होंगे April 18, 2020 at 05:40PM
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वॉशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कोरोना महामारी को लेकर चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। ट्रम्प ने कहा कि हमें पता चला कि यह देश वायरस के जिम्मेदार है तो उसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि वायरस को चीन में शुरू होने से पहले रोका जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब पूरी दुनिया इसकी वजह से पीड़ित है। अब तक दुनिया में एक लाख 60 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। जैसा कहा जा रहा है कि वे (चीन का नाम नहीं लेते हुए) जानबूझकर जिम्मेदार थे, निश्चित रूप से यह गलती थी और गलती एक गलती ही होती है। इसके लिए उन्हें परिणाम भुगतने पड़ेंगे। अमेरिका में अब तक 39 हजार से ज्यादा जान जा चुकी हैं।सात लाख 38 हजार संक्रमित हैं। यहां शनिवार कोएक दिन में 1,867 मौतें हुई हैं, जबकि संक्रमण के 29 हजार 57 केस मिले हैं।
'वे जानते थे कि कुछ गलत हुआ है? '
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने पूछा कि क्या यह एक गलती थी, जो नियंत्रण से बाहर हो गई या इसे जानबूझकर किया गया था? मेरे हिसाब से इन दोनों के बीच एक बड़ा अंतर है। मुझे लगता है कि वे जानते थे कि यह कुछ बुरा था और वे शर्मिंदा थे। हम ही नहीं। दुनिया महसूस कर रही है कि इसमें कुछ सच्चाई तो नजर आती है।
- ट्रम्प ने कहा है कि अमेरिका उन खबरों पर ध्यान दे रहा है, जिनमें कोरोना वायरस के चीनी शहर वुहान की प्रयोगशाला से पैदा होने का दावा किया गया है। चीन कहता है कि हम इसकी जांच कर रहे हैं। देखते हैं कि उनकी जांच में क्या सामने आता है, लेकिन हम भी इसकी पड़ताल कर रहे हैं।
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गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा- संकट का समय लोगों को इनोवेशन के लिए तैयार करेगा, आगे का रास्ता बनाएगा April 18, 2020 at 04:49PM
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(नेंसी गिब्स)दुनियाभर में फैली कोविड-19 महामारी ने टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है। इस समय सरकारों और नागरिकों ने गूगल से मदद मांगी है। टाइम मैग्जीन ने गूगल, यूट्यूब की मूल कंपनी अल्फाबेट के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचई से लंबी बातचीत की है। पिचई महामारियों के संबंध में भविष्य की स्थितियों को लेकर आशान्वित हैं। वे मानते हैं हर संकट लोगों में क्रिएटिविटी बढ़ाता है। स्थितियों से निपटने के नए तरीके खोजे जाते हैं। पिचई से हुई बातचीत के अंश।
सवाल-कई इनोवेटर और आपका कहना है कि संकट से इनोवेशन बढ़ता है। मौजूदा दौर में क्या स्थिति है?
जवाब- डॉट कॉम कंपनियों के ढहने से ठीक पहले गूगल की शुरुआत हुई थी। उसका निर्माण अभावों के दौर में हुआ है। इससे हमें समस्याओं को सुलझाने और बाधाओं का सामना करने की प्रेरणा मिली। चाहे वह डिस्टेंस लर्निंग हो या डिलीवरी हो- हमने कठिनाइयों को हल किया है। मैं सोचता हूं यह समय लोगों को क्रिएटिव तरीके से सोचने और आगे का रास्ता निकालने के लिए तैयार करेगा।
सवाल- ऐसा लगता है, इस समय अल्फाबेट और अन्य टेक कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। दूसरी परिस्थितियों में इन कंपनियों के बीच होड़ रहती है?
जवाब- जब मैं दूसरी कंपनियों के प्रमुखों से बात करता हूं तो साफ समझ में आता है कि यह स्थिति हम सबसे बहुत विराट है। हम पहले ही एक साथ काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए बच्चों के शोषण पर हमारे बीच तालमेल है। इसलिए हम कोरोना वायरस के मामले में भी उस रास्ते पर चल रहे हैं।
सवाल- आपने स्मार्टफोन पर कांटेक्ट ट्रेसिंग सॉफ्टवेयर के लिए एपल से भागीदारी का एलान किया है। यह कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति की जानकारी देगा। इस टेक्नोलॉजी से भविष्य में बीमारी का फैलाव रुक सकता है। लेकिन, प्राइवेसी भी जुड़ी है। इसका क्या होगा?
जवाब- प्राइवेसी की बात है तो यूजर को उपयोग करने से पहले मंजूरी देनी पड़ेगी। यह पारदर्शी है। लोग इसका उपयोग करने या ना करने का निर्णय ले सकते हैं। एपल और गूगल के पास कोई व्यक्तिगत जानकारी या लोकेशन का डेटा नहीं आएगा।
सवाल- हम गलत सूचनाओं के समय में रह रहे हैं। इनका अधिकतर प्रसार ऑनलाइन है। कोविड-19 के बारे में ऐसी जानकारियों की प्रतिस्पर्धा वास्तविक और सही खबरों से है। इससे कैसे लड़ेंगे?
जवाब- मेरे लिए विश्वसनीय संस्थाओं और स्रोतों का समर्थन करना हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। वैसे, इस समय यह आसान है क्योंकि लोग समझते हैं कि सही क्या है। वैज्ञानिकों, संबंधित अधिकारियों से सही तथ्यों तक पहुंचने में मदद मिलती है।
सवाल-गूगल, यूट्यूब सहित प्रमुख प्लेटफार्म को कंटेंट की निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है। इस वक्त मानवीय एनालिस्ट घर से काम कर रहे हैं। क्या इससे गलत जानकारी का आगे निकलना आसान नहीं हुआ है?
जवाब- यह जोखिम तो है। हम पहले गूगल, यूट्यूब पर स्वास्थ्य संस्थाओं, समाचार माध्यमों जैसे अधिकृत स्रोतों से खबरों को प्राथमिकता देते रहे। हमने कुछ समय तक कोरोना वायरस पर विज्ञापनों की अनुमति नहीं दी क्योंकि हम कंटेंट को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता के प्रति आश्वस्त नहीं थे। लेकिन अब हम घर से बेहतर तरीके से काम करने की प्रक्रिया को शुरू कर चुके हैं, इसलिए अब हम लोगों की बात सुनते हैं। आपको जनता को बोलने का अवसर देना पड़ेगा।
सवाल-इस महामारी ने स्थानीय समाचार माध्यमों को प्रभावित किया है। उनकी मदद का क्या तरीका हो सकता है?
जवाब- हम उनकी मदद के लिए कुछ कार्यक्रमों पर काम कर रहे हैं। दरअसल, स्थानीय स्तर पर स्वस्थ और निष्पक्ष पत्रकारिता को सहारा देने की जरूरत है।
सवाल-अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की थी कि गूगल लोगों को टेस्टिंग साइट जानने में मदद के लिए सिस्टम बना रहा है। फिर खबरें आई कि गूगल को ऐसी किसी योजना की जानकारी नहीं है। क्या हुआ था?
जवाब- हम कोविड-19 से संबंध में स्क्रीनिंग, टेस्टिंग सहित बहुत जानकारी दे रहे हैं। इसलिए हमने इसे अच्छे तरीके से जुड़ने के मौके के बतौर लिया है।
सवाल-क्या यह चिंता का विषय नहीं है कि व्यवसाय जगत से एेसी भूमिकाएं निभाने के लिए कहा जा रहा है जो पहले सरकारों के दायरे में आती थीं?
जवाब- कोविड-19 से निपटने में टेक्नोलॉजी और टेक कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकती हैं। हम यह काम करना भी चाहते हैं। मैं इसेबहुत बड़ी बात नहीं मानता हूं। सबकीभूमिकाएं बहुत स्पष्ट हैं। संकट में नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सरकारों और सरकारी स्वास्थ्यसंगठनों की है।
सवाल-गैलप-नाइट के ताजा सर्वे के अनुसार 77% अमेरिकी यकीन करते हैं कि अल्फाबेट जैसी टेक कंपनियां बहुत अधिक ताकतवर हो गई हैं। आप क्या सोचते हैं?
जवाब- पिछले कुछ वर्षों में बड़ी कंपनियों की बहुत ज्यादा तरक्की हुई है। लिहाजा, यह समय इसकी जांच-परख करने का है। जहां तक मैं सोचता हूं, एक कंपनी के रूप में हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम समाज के लिए क्या अच्छा कर रहे हैं। क्या हम कंपनियों की, स्कूलों की और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाओं की सहायता करते हैं। हमें इस परीक्षा से बार-बार गुजरना होगा।
सवाल-कोविड-19 से शारीरिक खतरे की बहुत बात चल रही है। क्या मानसिक स्वास्थ्य का भी संकट है। खासतौर से आपके कर्मचारियों के बीच क्या ऐसा है?
जवाब- जब मैं बैठकें करता हूं या मुझे कर्मचारियों के ई-मेल मिलते हैं तब देखता हूं कि लोग अलग-थलग और अकेले हैं। वे परिवार के कुछ सदस्यों के प्रभावित होने और उनसे मुलाकात नहीं कर पाने के कारण परेशान हैं। हम कहते हैं कि वायरस ने समूची मानवता को प्रभावित किया है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उसने कुछ लोगों पर अधिक प्रभाव डाला है। खासकर अमेरिका में अफ्रीकियों पर। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का मामला तो इससे जुड़ा है। हमें इस पर ध्यान देना पड़ेगा।
सवाल-यह संकट हमारे काम करने के तरीकों को कितना बदलेगा? क्या बहुत लोग दूर बैठकर काम करेंगे?
जवाब- घर से अच्छे तरीके से काम करना इसलिए संभव हो सका है क्योंकि हम पहले आमने-सामने काम कर चुके हैं। हमने बुनियाद तैयार कर ली है।हमें इस बुनियाद को आगे भी तैयार करने की जरूरत पड़ेगी। यह मानव स्वभाव का हिस्साहै। हम चीजों को अधिक लचीलेपन से करसकेंगे। लोगों को आने-जाने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसका परिवार परभी विपरीत असर पड़ता है। हमें इसका बेहतर हल खोजना होगा।
सवाल-हर किसी के पास घर पर टेक्नोलॉजी और इंटरनेट नहीं है। इससे कुछ कामगारों और छात्रों को नुकसान है। हम इस अंतर को कैसे दूर कर सकते हैं?
जवाब- हम इस संबंध में कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। जहां तक अमेरिका का सवाल है तो हमें ग्रामीण इलाकों और गरीबों तक इंटरनेट और दूरसंचार सेवा मुहैया कराना चाहिए।
सवाल-संकट के इस समय में कौन सी बात उम्मीद पैदा करती है?
जवाब- हमारे पास सबसे शक्तिशाली संसाधन सामूहिक कार्रवाई है। यह वाकई काम कर रही है। कुछ कसर तो है पर पहले से अधिक तालमेल बढ़ा है। हम भावी महामारियों को कैसे रोक सकते हैं? हम जलवायु परिवर्तन का हल कैसे निकाल सकते हैं? हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर कैसे काबू पा सकते हैं? ये सब मुद्दे हमें किसी तरह एक-दूसरे से जोड़ेंगे। इससे मुझे अगली पीढ़ी के लिए उम्मीद बंधती है।
(टाइम और टाइम लोगो रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क हैं। इनका उपयोग अनुबंध के तहत किया गया है।)
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Social distancing rules should be same for Ramzan, Easter: Trump April 18, 2020 at 04:46PM
अब तक 1 लाख 60 हजार मौतें: कनाडा-अमेरिका सीमा 30 दिन के लिए दोबारा बंद; ट्रम्प ने कहा- मृत्यु दर में हम नहीं, चीन आगे April 18, 2020 at 04:36PM
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दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 23 लाख 30 हजार 937 लोग संक्रमित हैं। एक लाख 60 हजार 755 की मौत हो चुकी है। वहीं, पांच लाख 96 हजार 537 ठीक भी हुए हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शनिवार को घोषणा की कि कनाडा और अमेरिका की सीमा 30 दिनों के लिए फिर से बंद रहेगी। इस दौरान दोनों देशओं के बीच किसी भी गैर-जरूरी यात्रा पर प्रतिबंध रहेगा। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि मृत्यु दर में हम नंबर वन नहीं है, बल्कि चीन हमसे आगे है। उन्होंने दुनिया को जो आंकड़ा बताया है, वह गलत है।
कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश
देश | कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 7 लाख 38 हजार 830 | 39 हजार 014 | 68 हजार 285 |
स्पेन | 1 लाख 94 हजार 416 | 20 हजार 639 | 74 हजार 797 |
इटली | 1 लाख 75 हजार 925 | 23 हजार 227 | 44 हजार 927 |
फ्रांस | 1 लाख 51 हजार 793 | 19 हजार 323 | 35 हजार 983 |
जर्मनी | 1 लाख 43 हजार 724 | 4 हजार 538 | 85 हजार 400 |
ब्रिटेन | 1 लाख 14 हजार 217 | 15 हजार 464 | उपलब्ध नहीं |
चीन | 82 हजार 735 | 4 हजार 632 | 77 हजार 029 |
तुर्की | 82 हजार 329 | 1 हजार 890 | 10 हजार 453 |
ईरान |
80 हजार 868 |
5 हजार 031 | 55 हजार 987 |
बेल्जियम | 37 हजार 183 | 5 हजार 453 | 8 हजार 348 |
अमेरिका: 24 घंटे में 1,867 मौतें
अमेरिका में अब तक 39 हजार से ज्यादा जान जा चुकी है। जबकि सात लाख 38 हजार संक्रमित हैं। यहां एक दिन में 1,867 मौतें हुई हैं, जबकि संक्रमण के 29 हजार 57 केस मिले हैं। व्हाइट हाउस में मीडिया ब्रीफिंग में ट्रम्प ने शनिवार को कहा कि अगर महामारी फैलाने के लिए चीन जिम्मेवार हुआ तो उसे इसके लिए गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
कनाडा: कुल मौतें 1500 के करीब
कनाडा में 24 घंटे में 160 लोगों की जान गई, जबकि 1,456 मरीज मिले। इसके साथ ही यहां मौतों का कुल आंकड़ा 1,470 हो गया है। वहीं, संक्रमण के मामले 33 हजार 383 हो गए हैं। सरकार ने 21 मार्च से ही अमेरिका के साथ सीमा बंद की हुई थी। यह पाबंदी मंगलवार को खत्म होने वाली थी। ट्रूडो ने कहा- दोनों देशों के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। केवल माल ढुलाई और स्वास्थ्य तथा आपातकालीन स्थिति के लिए ही सीमा से प्रवेश और निकासी की जा सकती है। देश के पूर्वी प्रांत क्यूबेक और ओंटारियो में कोरोना के दस हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
ब्राजील: कोरोना के मामलों में वृद्धि
ब्राजील में मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। देश में अब तक 2,340 लोगों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि अब तक 36 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। पिछले 24 घंटे में 2,917 नए मामले मिले हैं। यहां अब कुल केस 36,599 हो गई है। वहीं 2,347 लोगों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार तक के आंकड़ों के अनुसार ब्राजील के साओ पौलो शहर में सबसे ज्यादा 13,894 मामले दर्ज किए गए हैं।
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अब खिलाड़ियों का वर्चुअल तरीके से हो रहा डोप टेस्ट, अमेरिका की एंटी डोपिंग एजेंसी ऑनलाइन सैम्पल ले रही April 18, 2020 at 02:58PM
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मैथ्यू फटरमेन.अमेरिकी एंटी डोपिंग एजेंसी (यूएसएडीए) दो हफ्ते से अपने खिलाड़ियोंका डोप टेस्ट कर रही है और वो भी ऑनलाइन। कोरोनावायरसके कारण एंटी डोपिंग अधिकारी खिलाड़ियों से मिलकर यूरिन और ब्लड सैंपल नहीं ले पा रहे। इसलिए यूएसएडीए ने ऑनलाइन डोप टेस्ट करने का यह प्रयोग शुरू किया है। डोपिंग कंट्रोल अधिकारी फोन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना काम कर रहे हैं।
यूएसएडीए के चीफ एग्जीक्यूटिव ट्रेविस टायगार्ट ने कहा-अभी तक ओलिंपिक चैंपियन कैटी लेडेकी, वर्ल्ड चैंपियन नोआह लाएल्स, एलिसन फेलिक्स, एमा कोबर्न सहित दर्जन भर खिलाड़ियों का ऑनलाइन सैंपल लिया जा चुका है। इसमें वे खिलाड़ी भी शामिल हैं, जो टोक्यो ओलिंपिक में मेडल की उम्मीद हैं।
सैम्पल कलेक्शन के लिए वीडियो लिंक भेजी जाती है
सैंपल कलेक्शन के लिए खिलाड़ी को वीडियो लिंक भेजी जाती है। इसके बाद पूरी कागजी कार्रवाई और शपथ वीडियो पर ली जाती है। फिर खिलाड़ी को टेस्टिंग किट मिलती है। खिलाड़ी के सैंपल देने के बाद डोपिंग एजेंसी एक्सप्रेस मेल प्रतिनिधि (पोस्टमैन) के जरिए खिलाड़ी के घर से सैंपल कलेक्ट कर लेती है। उन्होंने कहा-हमने जर्मनी और नॉर्वे की एंटी डोपिंग एजेंसी को भी इसी तरह के प्रोग्राम बनाने की सलाह दी है।
इस प्रक्रिया से हो रहा खिलाड़ियों का टेस्ट
1. खिलाड़ी को ब्लड और यूरिन सैंपल देने के लिए टेस्टिंग किट मिलेगी।
2. खिलाड़ी को परीक्षक की ओर से वीडियो कॉल आएगा।
3. खिलाड़ी द्वारा भरे और साइन किए गए वेरिफिकेशन फॉर्म को दिखाया जाएगा।
4. परीक्षक वीडियो से खिलाड़ी का बाथरूम चेक करेगा।
5. ऑफ कैमरा खिलाड़ी एक छाेटे से कंटेनर में यूरिन सैंपल देगा।
6. ऑन कैमरा खिलाड़ी एक टेंपरेचर स्ट्रिप से चेक कराएगा कि सैंपल फ्रेश है।
7. कंटेनर को टेंपर प्रूफ ढक्कन से बंद कर दिया जाएगा।
8. खिलाड़ी बाइसेप्स के पास एक छोटी डिवाइस लगाकर उसमें ब्लड सैंपल लेगा।
9. इस सैंपल को ऑन कैमरा कंटेनर में बंद किया जाएगा।
10. यूरिन और ब्लड दोनों सैंपल को यूएसएडीए भेज दिया जाएगा।
ऑनलाइन सैंपल लेने के लाभ, धोखाधड़ी भी नहीं होगी
- एजेंसी के अधिकारियों को सैंपल लेने के लिए पूरी दुनिया में नहीं घूमना पड़ेगा। पैसे की बचत होगी और ज्यादा से ज्यादा सैंपल लिए जा सकेंगे।
- अगर वो यूरिन सैंपल पुराना देगा तो लैब टेस्ट में पता चल जाएगा। पुराने यूरिन की बदबू बहुत खराब होती है।
- अगर किसी दूसरे का सैंपल दे देगा तो उसकी कुछ विशेषताएं खिलाड़ी के ब्लड सैंपल से मेल नहीं खाएंगी।
खिलाड़ी पक्ष में भी और विरोध भी कर रहे
- केटी लेडेकी, 5 बार की ओलिंपिक चैंपियन स्विमरहैं।सैंपल देने में दिक्कत नहीं हुई। मैं काफी सहज थी। जब मार्च में डोप कंट्रोल ऑफिसर ने अपार्टमेंट में आकर सैंपल लिया था, ताे अपार्टमेंट सेनेटाइज करना पड़ा था।
- नोआह लाएल्स, दो बार के वर्ल्ड चैंपियन एथलीट हैं। 5 साल से टेस्ट दे रहा हूं। पहली बार सब मुझे करना पड़ा। मुझे सामान्य टेस्टिंग मैथड ही पसंद है। सैंपल देते समय कोई वहां रहे, यह मुझे ज्यादा जवाबदेह बनाता है।
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पीपीई किट और खास मास्क पहनकर उतरे जवान, रायफल की जगह डिसइन्फेक्शन गियर लिए दिखे April 18, 2020 at 02:56PM
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आमतौर पर आर्मी डे पर मिसाइल, सबमरीन और हथियारबंद वाहनों की परेड होती है। फ्लाई पास्ट भी कराया जाता है। लेकिन, ईरान ने कोरोना संकट के बीच शनिवार को अपना 42वांसेना दिवस मनाया। इस मौके पर मिसाइलों और हथियारों की जगह डिसइन्फेंक्शन वाहन, मोबाइल एंबुलेंस और मेडिकल उपकरण की परेड निकाली गई।
जवानों के हाथ में राइफलों की जगह कोरोना के संक्रमण से बचाने वाले डिसइन्फेक्शन गियर नजर आए। उन्होंने पीपीई किट पहनी हुई थी। साथ ही कुछ जवान खास तरह से बने मास्क पहने हुए नजर आए। वहीं, इससे पहले शुक्रवार को डिफेंडर्स ऑफ द होमलैंड, हेल्पर्स ऑफ हेल्थ आर्मी की परेड निकाली गई थी। इसमें आर्मी कमांडर ने कोरोना से लड़ने में मिलिट्री की भूमिका को रेखांकित किया।
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राष्ट्रपति बोले- डॉक्टर्स और नर्स युद्ध के मैदान में सबसे आगे
रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान में अब तक करीब 81 हजार लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। 5031 लोगों की मौत हो चुकी है। उधर, राष्ट्रपति हसन रूहानी ने जवानों के नाम जारी संदेश में कहा,‘अभी हालात सामान्य नहीं हैं। हमारे दुश्मन छुपे हुए हैं। डॉक्टर और नर्स युद्ध के मैदान में सबसे आगे हैंइसलिए सामान्य तरीके की परेड आयोजित नहीं हो सकती है।’ उन्होंने मिलिट्री के 11,000 मेडिकल स्टाफ का आभार जताया, जो कोरोना संकट में देशभर के अस्पतालों में मुस्तैद हैं।
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पहले मरीज का इलाज करने वाली डॉक्टर ने कहा- परिवार के तीन सदस्यों में एक जैसे लक्षण थे, यहीं से पता चला; संक्रमण फैल रहा है April 18, 2020 at 02:44PM
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वुहान के हुबेई प्रोविंशियल हॉस्पिटल में श्वास संबंधी और गंभीर रोग विशेषज्ञ डॉ झांग जिंग्सियान ने पहली बार चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ से बात की है। उन्होंने उस परिवार के बारे में बताया जिनमें सबसे पहलेकोरोना के संक्रमण का पता चला था। इनमेंपति-पत्नी और उनका बेटा था।
डॉ झांग के मुताबिक, '26 दिसंबर को दो बुजुर्ग और उनका बेटा मेरे पास आए थे। महिला को बुखार, कफ और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके साथ उसका पति और बेटा भी था। पति को थकान थी, लेकिन बुखार नहीं था। जब हमने टेस्ट किया तो पता चला कि बेटे को भी फेफड़े में तकलीफ है। लेकिन वह बीमार नहीं था। आमतौर पर देखने से इस परिवार में मुझे फ्लू या निमोनिया के लक्षण लग रहे थे, लेकिन सीटी स्कैन से पता चला कि उनके फेफड़े को भी काफी नुकसान पहुंचा है। उनके बेटे के फेफड़े की हालत ज्यादा खराब थी।'
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तीनों के फेफड़ों में वही असामान्यता नजर आई- डॉ. झांग
डॉ. झांग ने कहा,'इसके बावजूद उनके बेटे ने टेस्ट कराने से इनकार कर दिया। उसे कोई लक्षण या परेशानी नहीं थी, इसलिए उसे लगा कि हम उससे पैसे ऐंठने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दबाव डालने पर उसने टेस्ट करा लिया। रिपोर्ट से दूसरा सबूत हमारे सामने आया। उनके बेटे के फेफड़ों में भी वही असामान्यता नजर आ रही थी, जो उसके माता-पिता में थी। मैं इस बात से परेशान थी कि एक ही परिवार के तीन सदस्यों को एक ही समय में एक ही बीमारी कैसे हो सकती है, जब तक वह संक्रामक रोग न हो।'
अगले दिन एक और मरीज ऐसे ही लक्षण के साथ मिला- डॉ. झांग
डॉ. झांग ने बताया,'अगले दिन 27 दिसंबर को अस्पताल में एक और मरीज आया और उसमें भी वही लक्षण थे। चारों के ब्लड टेस्ट से वायरस संक्रमण का पता चला। हमने पहले इन्फ्लुएंजा संबंधी कई परीक्षण कराए लेकिन नतीजे में कुछ नहीं निकला। हालांकि, यह स्पष्ट हो चुका था कि महिला ही पेशेंट-1 है। तब मैंने सीनियर साथियोंसे बात कर रिपोर्ट तैयार की, जिसमें मैंने लिखा,‘हमने एक संक्रमण का पता लगाया है और संभवत: वह संक्रामक है। इसी तरह के कुछ और मामले में सामने आए हैं। अगले ही दिन इसकी रिपोर्ट पर जांच शुरू हो गई। 30 दिसंबर को वुहान के सभी मेडिकल संस्थानों को अलर्ट जारी कर दिया गया कि शहर में एक अज्ञात संक्रमण तेजी से फैल रहा है।’
31 दिसंबर को हेल्थ कमीशन की टीम वुहान भेजी गई- डॉ. झांग
डॉ. झांग ने कहा,'31 दिसंबर को चाइना नेशनल हेल्थ कमीशन के एक्सपर्ट्स की एक टीम वुहान भेजी गई। साथ ही सरकारी तौर पर सभी लोगों से मास्क पहनने और भीड़ भरे इलाकों में जाने से बचने के लिए कह दिया गया। तब तक संक्रमण के 27 मामले आ चुके थे। 31 दिसंबर को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस संक्रमण को लेकर अलर्ट जारी कर दिया। मुझे नहीं पता था कि मेरी पहली रिपोर्ट इस महामारी की उन रिपोर्ट्स में शामिल होगी, जो चीन की स्थापना के बाद बहुत तेजी से फैली और उस पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा।’
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ट्रम्प का आरोप- डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को महामारी घोषित करने में 72 दिन लिए, तब तक 114 देशों में संक्रमण फैल गया April 18, 2020 at 02:44PM
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(द इकोनॉमिस्ट सेविशेष अनुबंध के तहत सिर्फ दैनिक भास्कर में)विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और उसके लीडर डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियेससइस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर हैं। कोरोनावायरसको लेकर ट्रंप ने उन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं।ट्रम्प ने कहा किडब्ल्यूएचओ ने कोरोना को महामारी घोषित करने में 72 दिन का समय लिया। तब तक वायरस 114 देशों में पहुंच चुका था।
ट्रम्प जैसे कई आलाेचक यह मानते हैं कि चीन को लेकर डब्ल्यूएचओ का रवैया उदासीनता भरा रहा है। उन्होंने अमेरिका द्वारा डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाले फंडिंग रोकने की बात कही है। डब्ल्यूएचओ का वार्षिक बजट 4.5 बिलियन डॉलर है। इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 15 प्रतिशतहै। जाहिर है इससे उसके कामकाज पर गंभीर असर पड़ेगा।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख चीनी राष्ट्रपति की तारीफ कर चुके हैं
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉ. टेडरोस अधानोमएक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं और इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री रहे चुके हैं।वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उनके "राजनीतिक नेतृत्व' के लिए प्रशंसा कर चुके हैं। हालांकि, उन्होंने ट्रम्प की भी उनके "अच्छे कामों' के लिए प्रशंसा की है। ये परिस्थितियां एक तरह से सवाल खड़ा करती हैं कि क्या डब्ल्यूएचओ केवल अपने सदस्य देशों के सहारे ही प्रतिदिन के काम, जिनमें डेटा प्राप्त करना, परखना और दुनिया भर के देशों को उनके आधार पर सुझाव देना शामिल है, कर सकता है।
डब्ल्यूएचओ दुनियाभर में गंभीर रोगों से बचाव में मदद करता है
डब्ल्यूएचओ के काम पर उठने वाले सवालकेवलकोरोना महामारी तक सीमित नहीं है,बल्कि प्रतिदिन हजारों लोगों की जान लेने वाली खसरा, मलेरिया, एचआईवी, टीबी, पोलियो, दस्त, कुपोषण, कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों पर भी लागू होतेहैं।महामारी के संदर्भ में मेंबर स्टेट्स किस तरह कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकें, कौन से उपाय प्रभावी हैं और कौन से नहीं, डॉक्टर किस तरह मरीजों के उपचार करें आदि से जुड़ा डेटा उपलब्ध कराना भी उसके काम में शामिल है।
टेस्टिंग का डाटा जुटानेऔर टीका विकसित करने में भी मददगार
डब्ल्यूएचओ कोरोनोवायरस की जांच के लिए सहायता भी प्रदान करता है। इसके साथ ही किस तरह के टेस्ट का उपयोग किया जाए, उन्हें कैसे एग्जिक्यूट किया जाए आदि से जुड़े सुझाव भी देता है। यही नहीं जांच कितनी असरदार है, इसके परीक्षण के तरीके विकसित करने में भी यह संगठन मदद करता है। डब्ल्यूएचओ कोरोना से संबंधित रिसर्च, दवाओं और टीके पर हो रहे काम में भी मदद कर रहा है।
संस्था के कामकाज में खूबियों के साथ कुछ बड़ी खामियां भी हैं
इस संगठन में कुछ खामियां भी हैं, जिनकी वजह से इसके काम करने के तरीके पर सवाल खड़े होते रहे हैं।
- जब कांगो में इबोला का प्रकोप बढ़ा, तो डब्ल्यूएचओ इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने में हिचकिचाता रहा। 2013 में पश्चिम अफ्रीका में इबोला के प्रकोप के दौरान और उसके बाद डब्ल्यूएचओ कि प्रतिक्रिया को लेकिर भी इसकी आलोचनाएं हुईं। हालांकि यह डॉ. टेडरोस के समय से पहले की बात है।
- ब्रिटेन की शीर्ष विज्ञान एकेडमी रॉयल सोसाइटी द्वारा 2017 में इस मामले में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि "इबोला के प्रकोप के दौरान डब्ल्यूएचओ ने अपने मानक के अनुसार नेतृत्व दिखाया, लेकिन यह प्रभावी असर नहीं दिखा पाया। हालांकि, आलोचना के बाद एक उचित बात यह भी कही गई कि अपने सदस्यों के समर्थन के बिना डब्ल्यूएचओ ऐसा नहीं कर सकता है।
हालांकिडॉ. टेडरोस संगठन के रिफार्म की कोशिश कर रहे हैं , लेकिन यह कठिन है। क्योंकि इसे प्राप्त होने वाला अधिकांश पैसा सदस्य देशों की निश्चित परियोजनाओं से जुड़ा होता है। इसके पास अन्य मामलों के लिए बहुत कम राशि होती है।
अमेरिका v/s डब्ल्यूएचओ
1. यह विवाद क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का आरोप है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना के मामले में चीन को लेकर गंभीर नहीं था। इसी वजह से कोरोना संक्रमणदुनियाभर में फैल गया। ट्रम्प ने दावा किया कि डब्ल्यूएचओ अपने काम में विफल रहा है। उसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ को फंडिंग रोकने की बात कही है।
2. डब्ल्यूएचओ को आखिर फंड मिलता कितना है?
- अब तक15%फंड अकेले अमेरिका देता था।
- यूएस ने डब्ल्यूएचओ को 2019 में 553मिलियन डॉलर दिए थे।
- ब्रिटेन08% फंडदेता है।
- अकेले बिल एंड मेलिंडा गेट्स 10% फंडदेते हैं।
3. डब्ल्यूएचओ इस फंडिंग को खर्च कहां करता है?
- टीकाकरण अभियान चलाने, हेल्थ इमरजेंसी और प्राथमिक इलाज मेंदुनियाभर के देशों की मदद करने में फंड खर्च होता है।
- 2018-19 में डब्ल्यूएचओ ने फंड का 19.36% हिस्सा यानी लगभग 1 बिलियन डॉलर पोलियो उन्मूलन पर खर्च किया।
- अफ्रीकी देशों में चल रहे डब्ल्यूएचओ के प्रोजेक्ट्स के लिए 1.6 बिलियन डॉलर खर्च किए गए।
4. क्या डब्ल्यूएचओ महानिदेशक और चीन के बीच कोई कनेक्शन है
जुलाई 2017 में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का पद संभालने वाले डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस इथोपिया के नागरिक हैं। उन्हें चीन के प्रयासों की वजह से ये पद मिलने के आरोप लगते रहे हैं। वे इस संस्थान के पहले अफ्रीकी मूल के डायरेक्टर जनरल हैं। आरोप है कि चीन ने टेडरोस के कैंपेन को ना सिर्फ सपोर्ट किया बल्कि अपने मत के अलावा अपने सहयोगी देशों के भी मत दिलवाए। अमेरिका और चीन दोनों ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी सदस्य हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को देने वाले फंड में बढ़ोतरी की है।
5. डब्ल्यूएचओ की लापरवाही कहां हो सकती है?
चीन में जनवरी में इमरजेंसी
31 दिसंबर को चीन ने कोरोना वायरस के प्रकोप की घोषणा की और एक महीने बाद ही यानी 30 जनवरी 2020 को उसने देश में जन स्वास्थ्य आपातकाल लागू कर दिया।
डब्ल्यूएचओ का ट्वीट
14 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया कि चीन की शुरुआती जांच में इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है। इसके बाद संगठन पर आरोप लगा कि वह आंख मूंदकर चीन की बातों पर भरोसा कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ बयान से यूं पलटा
22 जनवरी को एक ट्वीट में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वुहान में कोरोना वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने के मामले सामने आए हैं। इससे पहले उसने इससे इनकार किया था।
72 दिन बाद महामारी घोषित
30 जनवरी की रात डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया। 11 मार्च को चीन द्वारा वायरस की सूचना दिए जाने के 72 दिन बाद डब्ल्यूएचओ ने महामारी घोषित किया। तब तक 114 देशों के 1.18 लाख लोगसंक्रमित हो चुके थे।
6. क्या अमेरिका द्वारा फंडिंग रोकने का असर क्या होगा?
डब्ल्यूएचओ के पास पहले से ही फंड की कमी है। मार्च में ही डब्ल्यूएचओ ने बयान जारी कर कहा था कि कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने के लिए 67.5 करोड़ डॉलर की जरूरत है। केवल कोराेनावायरस ही नहीं, पोलियो और टीबी जैसी बीमारियों को खत्म करने के लिए दुनियाभर में चलाए जा रहे उसके अभियान को धक्का लग सकता है। पाकिस्तान जैसे एशियाई देश और कई अफ्रीकी देश इन बीमारियों से प्रभावित हैं। संभावना है कि अमेरिका द्वारा फंडिंग रोकने के बाद डब्ल्यूएचओ एकअरब डॉलर जुटाने की अपील कर सकता है।
- अमेरिका द्वारा फंडिंग रोकने से डब्ल्यूएचओ के कई हेल्थ प्राेग्राम रुक सकते हैं। जैसे-डब्ल्यूएचओ के पोलियो उन्मूलन के कार्यक्रम को पिछले दो साल में अमेरिका से 158 मिलियन डॉलर की मदद मिली थी। इसी तरह डब्ल्यूएचओ के दस से ज्यादा ऐसे प्रोग्राम हैं, जिन्हें सर्वाधिक अमेरिका से ही पैसा मिला है।
- डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली फंडिंग में सबसे ज्यादा हिस्सा सदस्य देशों का होता है। उनसे इसे करीब 35 फीसदी मदद मिलती है। जो इसके स्वास्थ्य कार्यक्रमों को चलाने में मददगार होता है।
- 7000से ज्यादा हेल्थ वर्कर हैं डब्ल्यूएचओ के दुनियाभर में।
- डब्ल्यूएचओ यूनाइटेड नेशंस का हिस्सा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसकी स्थापना की गई थी। दुनियाभर में इसके 150 ऑफिस हैं।
अमेरिका-डब्ल्यूएचओ विवाद पर बिल गेट्स सहित दुनिया के नेताओं ने दी प्रतिक्रिया
बिल गेट्स
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने एक ट्वीट में कहा, "वैश्विक महामारी के इस मुश्किल दौर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकना बेहद डरावना है'।
तारो असो
ट्रंप के अलावा जापान के उपप्रधानमंत्री तारो असो भी डब्ल्यूएचओ पर लापरवाही का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने जापानी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था किवर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का नाम बदलकर चाइनीज हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन रखदेना चाहिए।
जोसेफ बोरेल
यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेफ बोरेल ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ को अब पहले से अधिक फंड की आवश्यकता है। ऐसी महामारी जिसकी कोई सीमा नहीं है, उसका मुकाबला हम केवल साथ आकर ही कर सकते हैं।
पैट्रिस हैरिस
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष पैट्रिस हैरिस ने इसे गलत दिशा में उठाया गया एक खतरनाक कदम बताया। उन्होने कहा कि इस तरह कोविड-19 को हराना आसान नहीं होगा। हैरिस नेराष्ट्रपति से पुनर्विचार का आग्रह किया।
एंटोनियो गुटेरस
यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरस ने कहा, यह वह समय नहीं है जब डब्ल्यूएचओ के संसाधनों में कटौती की जाए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस समय साथ आकर काम करना चाहिए। जिससे वायरस के संक्रमण पर रोक लगाई जा सके।
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अमेरिकी न्यूज चैनल का दावा- वुहान लैब में इंटर्न की गलती से लीक हुआ वायरस, राष्ट्रपति ट्रंप ने जांच कराने को कहा April 18, 2020 at 02:44PM
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दुनिया भर में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुके कोरोनावायरस को लेकर एक नया दावा सामने आया है। अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज ने दावा किया है कि कोरोनावायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम करने वाली एक इंटर्न से गलती से लीक हुआथा। चैनल ने इस पर स्पेशल रिपोर्ट भी दिखाई। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दावों और इससे जुड़े मामलों की जांच कराने की बात कही है।
चैनल के रिपोर्टर ने कहा- "कई सूत्र हमें बता रहे हैं कि भले ही कोरोनावायरस प्राकृतिक है, लेकिन यह वुहान की वायरोलॉजी लैब से निकला है। वहां सुरक्षा नियमों का पालन न करने के कारण एक इंटर्न संक्रमित हो गई थी। उसके संपर्क में आकर उसका बॉयफ्रेंड संक्रमित हुआ और बाद में यह वायरस वेट मार्केट पहुंचा।"शुरुआत में यह वायरस चमगादड़ से इंसानों में आया और इसका पहला शिकार लैब में काम करने वाली इंटर्न बनी। वहवायरस के बाहर फैलने के कारण सबसे पहले खुद संक्रमित हुई।
वेट मार्केट में चमगादड़ बेचे ही नहीं गए: अमेरिकी चैनल
पहले वुहान केवेट मार्केट को वायरस के शुरू होने की जगह बताई गई थी, लेकिन चैनल का कहना है कि इस मार्केट में कभी चमगादड़ बेचे ही नहीं गए। लैब से वायरस निकलने की बात छिपाने के लिए चीन इस मार्केट को कसूरवार ठहरा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी दुनिया की प्रमुख पी-4 लेवल की लैब है। यह वायरस संक्रमण स्ट्रेन रखने, रिसर्च, परीक्षण की वैश्विक प्रयोगशाला है।
दोसाल पहले सुरक्षा इंतजाम को लेकरचेतावनी दी थी
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, वुहान वायरोलॉजी लैब में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने पर चीन में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने दो साल पहले चिंता जताई थी। गृह विभाग ने भी लैब में पर्याप्त संख्या मेंप्रशिक्षित टेक्निशियन न होनेके बारे में चेतावनी दी थी।
यह कहीं से भी आया हो, सजा 184 देश भुगत रहे हैंः ट्रम्प
अमेरिका उन दावों की विस्तृत जांच कर रहा है कि वायरस कहां से लीक हुआ है। खुफिया एजेंसी भी इस लैब और वायरस के शुरुआती प्रकोप के बारे में जानकारी जुटा रही है। ट्रम्प ने कहा- "हम ऐसी कई स्टोरी सुन रहे हैं। जो भी खतरनाक घटना हुई,हम उसकी विस्तृत जांच कर रहे हैं। कई लोग इस पर गौर कर रहे हैं। लगता है इसमें कुछ सच्चाई है। मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह कहीं से भी आया हो, चीन से जिस भी रूप में आया हो, इसकी सजा अब 184 देश भुगत रहे हैं।"ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका वुहान में चतुर्थ स्तर की लैब को मदद देनाबंद करेगा। कई सांसदों ने पहले भी सीनेट को पत्र लिखकर लैब को मदद रोकने का अनुरोध किया था।
लैब को मदद करने वाला फ्रांस बोला- कोई सबूत नहीं
फ्रांस ने कहा है कि वुहान में कोविड-19 और और पी-4 रिसर्च लैब के बीच संबंध का अब तक कोई तथ्यात्मक सबूत नहीं मिला है। राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के दफ्तर के एक अधिकारी ने कहा- हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वुहान लैब और कोरोना को लेकर अमेरिका में आ रही रिपोर्ट से जुड़े आज तक कोई तथ्यात्मक सबूत नहीं मिले हैं।फ्रांस ने 2004 में वुहान में जैवसक्रियता स्तर-4 से जुड़े संक्रामक रोगों पर एक रिसर्च लैब स्थापित करने के लिए चीन के साथ एक समझौता किया था। इस पर फ्रांस ने तत्कालीन विदेश मंत्री मिशेल बार्नियर ने हस्ताक्षर किए थे।
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सुपर पावर अमेरिका से लेकर सबसे गरीब देश कांगो तक बस कोरोना पर काबू पाने की जद्दोजहद; कहीं कब्रें खोदी जा रहीं, तो कहीं हेल्थ वर्कर्स के लिए तालियां बज रहीं April 18, 2020 at 02:36PM
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नई दिल्ली. कोरोनावायरस, कोविड़-19, लॉकडाउन, क्वरैंटाइन, आइसोलेशन, हॉट स्पॉट। ये चंद शब्द, चंद दिनों पहले ही चर्चा में आए और देखते ही देखते हर एक जुबान पर छागए। आजदुनिया का हर एक इंसान इन शब्दों को या तो सुन चुका है या फिर इनसे वाकिफ हो चुका है। या यूं कहें हमारी पूरी दुनिया ही इन शब्दों के ईर्द-गिर्द सिमट गई है। कोरोनावायरस की चपेट में दुनिया के 185 देश हैं। 4 अरब से अधिक आबादी लॉकडाउन है। तकरीबन 1 करोड़ से ज्यादा लोग होम क्वरैंटाइन हैं। 22 लाख से ज्यादा आबादी आइसोलेशन में है। 1000 से ज्यादा छोटे-बड़े शहर हॉट स्पॉट बन चुके हैं।
दुनिया की सुपर पावर अमेरिका से लेकर सबसे गरीब देश डीआर कांगो और मोजांबिक तक हर कोई बस कोरोना पर काबू पाने के जद्दोजहद में जुटा है। कोरोना को आए 118 दिन से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। लेकिन डर का वायरस अभी भीआसमान पर छाया हुआ है। यह गरज भी रहा है और बरस भी रहा है। इस कोरोनासूनामी के बीचकहींमृतकों को दफनाने के लिए कब्रें खोदी जा रही हैं, तो कहीं हेल्थ वर्कर्स का हौंसलाअफजाई के लिए तालियांबज रही हैं, तो कहीं खाने के लिए रोटी भीतलाशी जा रही है। इस सबके बीच जिंदगी के तौर-तरीकों में बदलावों की बयार भीबह रही है।
तो आइए कुछ चुनिंदा तस्वीरों के जरिए देखते हैं कि पिछले 15 दिनों में दुनिया के रंग-ढ़ंग कैसे रहे हैं, लॉकडाउन के बीच दुनिया कैसे दिख रही और क्या कर रही है-
1- अमेरिका: दुनिया केसबसे शक्तिशाली देश में सबसे बुरे हालात
अमेरिका में अब तक कोरोना के 7 लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं। 37 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। 2 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो चुकेहैं। युवा, बुजुर्गों से ज्यादा चिंतित हैं। अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं है।कब्रिस्तानों में मृतकों को दफनाने के लिए जगह नहीं है। इस सबके बीच कुछ बची है तो वो हैउम्मीदें।
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काम के साथ इमोशन भी-तस्वीर मैनहट्टन के एनवाईयू लैंगोन मेडिकल सेंटर के बाहर की है। मेडिकल वर्कर काम और गम के बीचआंसू पोंछ रही है। दरअसल,यहां रोजाना शाम 7 बजे पुलिस और अन्य सरकारी विभाग के कुछ कर्मचारीहेल्थ वर्कर को चीयर करने आते हैं। ताकि उनका दर्द कुछ हल्का हो सके।
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जलवायु परिवर्तन भी जारी-तस्वीर वॉशिंगटन की है। यहां कोरोनावायरस के साथ लोग जलवायु परिवर्तन का भी सामना कर रहे हैं।समुद्र के बढ़ते जलस्तर के चलते लोगघर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। यहां आसपास के गांवों में पानी भर गया है। इन गांवों में जनजातियां रहती हैं, जो अब घर छोड़कर ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
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महामारी के साथ आपदा भी- तस्वीर अमेरिकी प्रांत लुइसियाना की है। यहां ईस्टर के अगले दिन आए तूफान में बड़ी संख्या में लोगों के घर उजड़ गए हैं। ऐसे में लोगों को कोरोना के साथ प्राकृतिक आपदासे भी लड़ना पड़ रहा है।
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प्यार और सेफ्टी- न्यूयॉर्क की रहने वालेहासिम हेल्थ वर्कर हैं। वह न्यूयॉर्क के ही एक अस्पताल में इन दिनों तैनात हैं, ऐसे में कभी-कभी बेटी से मिलने घरआते हैं। सोशल डिस्टेंशिंग मेनटेन करने के लिए वो बेटी कोकांच की खिड़की के बाहर से ही हाय करते हैं और फिर अस्पताल लौट जाते हैं।
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सोशल डिस्टेंसिंग, इमोशनलनहीं- तस्वीर न्यूयॉर्क शहर की है। यहां लोग कोरोरावायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंशिंग को किस तरह मेनटेन कर रहे, इसका उदाहरण इस तस्वीर से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है। यहां फेलिक्स और उसकी मां नाओमी हसब्रोबेक ने अपनी बहन के बच्चे को पहलीबार एक ग्लास दरवाजे के जरिए देखा। बहन घर के बाहर से ही वापस चली गई।
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भूख और लाचारी सब पर भारी- 50 साल की जूआना गोमेज लॉस एंजेलेस की रहने वाली हैं। वह यहां एक फूड बैंक के सामने खाने का पैकेट लेने के लिए लाइन में लगी हैं। कहती हैं कि मेरे पति की जॉब चली गई है, मेरे छह बच्चे हैं, उन्हें अब खाना खिला पाना भी मेरे लिए मुश्किल हो रहा है।
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इंतकाम की जगह-न्यूयॉर्क सिटी में प्रशासन ने हार्ट आईलैंड में कब्र खोदने के लिए मजदूरों को हायर किया हुआ है। न्यूयॉर्क में रोजाना कोरोना से मरने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। यहां अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
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योद्धाओं को सलाम- वॉशिंगटन स्थित हार्बरव्यू मेडिकल सेंटरने कोरोनावायरस के इलाज में तैनात हेल्थ वर्कर्स केपोट्रेट फोटो का एक कोलॉज जारी किया। इसमें सभी मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसा दुनिया के कई और हॉस्पिटल भी कर रहे हैं, ताकि लोग इन वर्कर्स को सैल्यूट कर सकें।
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जद्दोजहद-तस्वीर लॉस एंजेलेस की है, यहां एक नाविक मरीज को इलाज के लिए जहाज से उतार रहा है। इसके बाद उसे हॉस्पिटल ले जाया गया।
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बर्थ-डे वाली खुशी-लॉस एंजेलेस की रहने वाली लिली हायनेस ने इस बारघर के बालकनी में अपना 16वां जन्मदिन मनाया। उनके दोस्त घर के बाहर खड़े होकर ताली बजा रहे थे और गुब्बारे उड़ा रहे थे। बगल में मां मोबाइल से फोटो ले रही थीं।
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फैशन का जलवा कायम- तस्वीरसैन फ्रांसिस्को स्थित गोल्डन गेट ब्रिज के सामने की है। यहां सूपर मून नाइट में मॉडल इमिली रिनाल्डोने फोटोशूट करवाया।
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जिंदगी खूबसूरत है- लॉस एंजेलेस में डांस इंस्ट्रक्टर मोरेगन जेनकिंस ने वॉल पेंटिंग के सामने वीडियो बनाया। लॉकडाउन के बावजूद जिंदगी कितनी खूबसूरत है,जेनकिंस इसे लेकर इन दिनों अलग-अलग जगहों परवीडियो शूट कर रहे हैं।
2- चीन: कोरोना का लॉकडाउन हट गया, लेकिन इकोनॉमी पर लॉक लग गया
कोरोनावायरस केउत्पादक देश चीन के भी बुरे हाल हैं। यहीं के वुहान शहर से 31 दिसंबर 2019 की रात में कोरोना का पहला केस आया था। उस वक्त दुनिया नए साल के वेलकम में जुटी थी और चीन कोरोना को संभालने में जुटा था। आज 2020सदी का सबसे यादगार साल बन गया है। खैर, अब चीन ने कोरोना पर लगभग काबू पा लिया है। वह दुनिया को कोरोना से बचाने के लिए जरूरी उपकरण और सामान बेंच रहा है। वहां लॉकडाउन भी हट गया है। इस सबके बीच उसकी इकोनॉमी 40 साल की सबसे बड़ी गिरावट भी दर्ज की गई है। ऐसे में वह इकोनॉमी के साथ कोरोना मृतकों के आंकड़ों का गियर भी शिफ्ट करने में जुटा है।
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शादियों का मौसम शुरू:तस्वीर वुहान की है। जहां से कोरोनावायरस दुनिया में फैलना शुरू हुआ। वहां 76 दिनों बाद लॉकडाउन खत्म हो चुका है। ऐसे में शादियों का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। लोग सड़कों पर भी फोटो शूट करवा रहे हैं।
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बचपन वाली खुशी- लॉकडाउन हटने के बाद चीन में पार्क भी खुल गए हैं। ऐसे मेंबच्चे दोबारा पार्कों में जाना शुरू हो गए है। तस्वीर वुहान की है, यहां छोटी बच्ची काफी दिनों बादसाइकिल चलाने घर से बाहर निकली है। लेकिन मास्क पहनना नहीं भूली।
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लेट नाइट वाली जिंदगी- तस्वीर वुहान शहर की है। यहां 76 दिन बाद लॉकडाउन खुला तो शहर में नाइट लाइफ फिर से जिंदा हो उठी। लोग अब रात में भीशहर में घूमने के लिए बाहर निकल रहे हैं।
3- ब्राजील: नया हॉट स्पॉट,रोजाना एक हजार से ज्यादा केस आ रहे
ब्राजील में कोरोना देर से पहुंचा, लेकिन अब आफत बनकर बरस रहा है। रोजाना तकरीबन एक हजार नए केस आ रहे हैं। ब्राजील में अब तक 34 हजार से ज्यादा कोरोना केस आ चुके हैं। जबकि दो हजार से ज्यादा लोगों की जान चुकी है।
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जनाजे की जमीन-यह तस्वीर ब्राजील के साओपाउलो शहर की है। यहां कोरोना मृतकों को दफनाने के लिए सबसे बड़ा कब्रिस्तान बनाया जा रहा है। एक साथ हजारों कब्रें खोदी जा रही हैं। कब्र खोदने वाले मजदूरों को प्रोटेक्टिव कपड़े भीदिए गए हैं।
4- ईरान: एशिया में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें यहीं हुई हैं
कोरोना चीन के बाद जिन देशों में सबसे पहले पहुंचा, उनमें ईरान भी है। चीन के हालत तो काफी सुधर गए, मगर ईरान में अभी भी बर्बादी का आलमहै। यहां अब तक 80 हजार कोरोना केस आ चुके हैं। 4900 से ज्यादा लोगों की जान गई है। हालांकि सरकार ने लॉकडाउन में कुछ शर्तों के साथ ढील भी दी है। आधे से ज्यादा सरकारी कर्मचारी काम पर वापस आ गए हैं। शनिवार को तेहरान से लॉकडाउन हटा लिया गया।
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सुकून की तलाश में -तस्वीर ईरान की राजधानी तेहरान की है। यहां 28 साल की म्यूजिशियन मोजगान हुसैनी एक महीने से ज्यादा वक्त से घर में कैद हैं। ऐसे में वह अपने स्ट्रेस को कम करने और प्रैक्टिस को बनाए रखने के लिए रोजाना शाम को घर की छत क्वानुन बजाती हैं। यह प्राचीनकाल का ईरानीवाद्य यंत्र है। हुसैनी और अन्य ईरानी म्यूजिशियन को उम्मीद है कि वेजल्दफिर से परफार्मेंस कर पाएंगे।
5- मैक्सिको: मजदूरों के सामने कोरोना के साथ खाने का संकट खड़ा
देश में 6 हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं। 550 से ज्यादा लोगों की जान चुकी है। कारखानों में काम बंद हो चुका है, माइग्रेंट मजदूरों के सामने कोरोना और खाने दोनों का संकट खड़ा है।
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रोजी-रोटी के साथ स्क्रीनिंग भी जरूरी-तस्वीर मैक्सिको के मैटामोरोस की है। यहां ग्लोबल रिस्पांस मैनेजमेंट का मेडिकल स्टॉफ माइग्रेंट लोगों की स्क्रीनिंग कर रहाहै। ताकि कोरोना मरीजों का पता चल सके। यहां अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर पर करीब 2000 माइग्रेंट्स रह रहे हैं।
6- इजरायल: सरकार कोरोना से और लोग सरकार से जूझ रहे
इजरायल में अब तक कोरोना के 12,982 केस आए हैं। 191 लोगों की जान भी जा चुकी है। सरकार कोरोना से जूझ रही है, तो लोग सरकार से जूझ रहे हैं। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्नयाहू के विरोध में देश भर में सड़कों पर प्रदर्शन चल रहा है।
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बागों में बहार है-दक्षिणी इजरायल के किब्बुत्ज निर यीतझाक में बगीचे से फूल तोड़ती महिला। यह इलाका फिलिस्तीन के गाजा पट्टी से सटा हुआ है। यहां हमास के लड़ाके अक्सर हथगोले फेंकते रहते हैं।
7- रूस: कोरोना के खतरे से शुरू में बेपरहाव रहा रूस अब पूरी तरह से लॉक
रूस में भी अब तेजी के साथ कोरोनावायरस फैल रहा है। रोजाना 2000 से ज्यादा केस आ रहे हैं। अब तक 32 हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित मॉस्को है, शायद इसीलिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सुरक्षित पनाह ढूंढ़ते हुए शहर से बाहर अपने दूसरे घर पर चले गए हैं। रूस शुरू में कोरोना के खतरे से बेपरहाव रहा था। लेकिन अब देश में लॉकडाउन लगा दिया गया है।
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विक्ट्री के लिए-तस्वीर रूस के येकातेरिनबर्ग की है। एक रूसी सैनिक मास्क पहनकर मिलेट्री वाहन से बाहर निकल रहा है। दरअसल, सैनिक विक्ट्री डे परेड की रिहर्सल कर रहे।
8- ब्रिटेन: जनता कोरोना से सिर्फडरी, पर प्रधानमंत्री बोरिस और प्रिंस चार्ल्स के कोरोना पॉजिटिव होने से सदमे में पहुंच गई
ब्रिटेन में कोरोना के अब तक 1 लाख से ज्यादा केस आ चुकेहैं, 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन तो वेंटिलेटर तक पहुंच गए। प्रिंस चार्ल्स भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ऐसे मेंकोरोना से डरने वाला आम आदमी अबसदमे में पहुंच चुका है। देश मेंकोरोना का फैलाव अभी जारी है।
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इत्मिनान में जिंदगी- तस्वीर लंदन की है, यहां एक महिला घर के बाहर बैठकर कुछ पढ़ रही है। ब्रिटेन में कोरोनावायरस के केस लगातार बढ़ रहे हैं। देश मेंअब तक एक लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं। जबकि 14 हजार ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
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चांदनी रात-पिंक सुपरमून लंदन में कुछ इस तरह दिखा। यह 2020 का सबसे बड़ा सूपरमून था।
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बदलावों के दौर में जिंदगी-लंदन में घरों की बालकनी में लोग एक साथ वर्कआउटकर रहे हैं।
9- कनाडा: 32 हजार केस आ चुके हैं, 1300 की जान जा चुकी है
देश में कोरोना के अब तक 32 हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं। 1300 से ज्यादा लोगोंकी मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पत्नी भी कोरोना संक्रमित हो चुकी हैं।
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धुंधली उम्मीदें-तस्वीर कनाडा के क्यूबेक की है। हेरॉन में घर के बाहर किसी को जाते हुए देखकर महिला हाथ हिला रही है।यहां काफी सख्त लॉकडाउन लागू है, क्योंकि 31 मार्च के बाद से 31 लोगों की जान जा चुकी है।
10- स्पेन: दुनिया में सबसे ज्यादा 15 हजार हेल्थ वर्कर्स यहीं पर कोरोना से संक्रमित हुए हैं
अमेरिका के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश स्पेन है। यहां अब तक 1.90 लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं। 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा हेल्थ वर्कर्स स्पेन में ही संक्रमित हुए हैं। इनकी संख्या 15 हजार से ज्यादा है। यह कुल संक्रमितों का 14 फीसदी है। येसभी हेल्थ वर्कर्ससेल्फ आइसोलेशलन में हैं।
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साथी के साथ छोड़ने का गम-तस्वीर स्पेन के लेगेंस स्थित सेवेरो ओचोआ अस्पताल के बाहर की है। यहां तैनात हेल्थ वर्कर एस्टेबन की कोरोना से मौत हो गई। उसे श्रद्धांजलि देने के लिए साथी हेल्थ वर्कर्स ने शोकसभा की। इस दौरान साथी उसकी याद मेंरोते भी दिखाई दिए।
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हौंसला बढ़ाने की बारी-तस्वीर स्पेन के मैड्रिड शहर की है। यहां लोग रोजाना शाम को घरों की बालकनियों में निकलकर हेल्थ वर्कर्स के लिए ताली बजाते हैं।
11- जर्मनी: कोरोना के साये में बसंत का मौसम आ गया है
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लव इन कोरोना टाइम-जर्मनी में कोरोनावायरस के साये के बीच बसंत का मौसम आ गया है। बगीचों में फूल खिल गए हैं, लेकिन सड़कों और बाजारों में छिपे हुए वायरस की दहशत कायम है।ऐसे में कुछ लोग कोरोना के बावजूद खुद घर से बाहर निकलने से नहीं रोक पा रहे हैं। यह तस्वीर बर्लिन के ट्रेपटो जिले की है। कपल मास्क पहनकर फूलों के बगीचे में पहुंचा हुआ है। जर्मनी में कोरोना के अब तक 1.41 लाख केस आ चुके हैं। चार हजार तीन सौ से ज्यादा लोगोंकी मौत हो चुकी है।
12- इटली- तबाही का आलम जारी, 500 से ज्यादा मौतें अभी भी रोज हो रही हैं
चीन के बाद इटली दुनिया में कोरोनावायरस का सबसे बड़ा हॉट स्पॉट बना। उत्तरी इटली इस वायरस से पूरी तरह तबाह हो चुका है। अब तक यहां 1.72 हजार केस आ चुके हैं, 22 हजार मौतें हो चुकी हैं। अभी रोजाना तकरीबन 500 से ज्यादा मौतें हो रहीं।
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काम के बीच आराम के पल- तस्वरी इटली के तुरिन की है। यहां रेडक्रास सोसाइटी के वॉलिंटियर भी कोरोना से बचाव में इटली के हेल्थ वर्कर्स की मदद कर रहे हैं।तस्वीर में आराम करता हुआ व्यक्ति रेडक्रास कावॉलिंटियर है।
13- बेलारूस: यहां लोगों ने ईस्टर चर्च के बजाय मैदानों में सेलिब्रेट किया
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त्योहारों का तरीका भी बदला- दुनिया भर में इस बार ईस्टर का त्योहार सादगी के साथ मनाया गया। ऐसी ही एक तस्वीर बेलारूस में देखने को मिली, यहां लोगों ने चर्च की बजाय खुले मैदान में ईस्टर मनाया। कैथोलिक पादरी ने लोगों को अंडे, केक और पवित्र जल दिए। यहां 4,779 से ज्यादा कोरोना केस अब तक आए हैं। 42 लोगों की मौत हुई है।
14- आयरलैंड: लोगहेल्थ वर्कर्स के लिए बालकनी में खड़े होकर रोज ताली और थाली बजाते हैं
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हौंसलाअफजाई-तस्वीर उत्तरी आयरलैंड के बेलापास्ट की है। यहां एनएचएस के हेल्थ वर्कर्स की तारीफ में लोग रोजघरों की बालकनी में खड़े होकर ताली और बर्तन बजाते हैं। देश में अब तक13 हजार से ज्यादा केस आए हैं। 500 लोगों की मौत हो चुकी है।
15- इंडोनेशिया: हेल्थ वर्कर्स को शुक्रिया बोलने के लिए होटल नेलाइटिंग से कमरों में दिल बनाया
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दिल से शुक्रिया-तस्वीर इंडोनेशिया की है। यहां बोगोर स्थित 101 नाम के होटल ने अपने कमरों में लाइटिंग के जरिए दिल बनाकर हेल्थ वर्कर्स को शुक्रिया बोला। देश में 6 हजार से ज्यादा केस आए हैं, 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
16- ग्रीस: एथेंस की सड़कों पर बस परिंदे ही उड़ रहे
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परिंदों वालाचौक-तस्वीर ग्रीस के एथेंस स्थित कोत्जिआ स्कॉवयर की है। लॉकडाउन के चलते यहां आजकल सिर्फ परिंदे ही उड़ रहे हैं। देश में अब तकदो हजार से ज्यादा केस आए हैं। 40 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
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