Wednesday, February 26, 2020
ट्रम्प कैंपेन ने न्यूयॉर्क टाइम्स पर केस किया, राष्ट्रपति चुनाव में रूस से करार करने की झूठी खबर छापने का आरोप February 26, 2020 at 08:36PM
वॉशिंगटन. ट्रम्प कैंपेन ने बुधवार को अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स पर बुधवार कोकेस किया। उनका आरोप है कि अखबार ने 2016 के चुनाव में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर रूस के साथ समझौता करने की झूठी खबर छापी थी। अखबार ने लिखा था कि 2016 में राष्ट्रपति की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को हराने के लिए ट्रम्प ने रूस के साथ सहयोग की विदेश नीति के तहत समझौता किया था। अखबार में यह रिपोर्ट मार्च 2019 में ओपिनियन सेक्शन में ‘द रियल ट्रम्प-रशिया क्युड प्रो क्यू’ हेडलाइन से प्रकाशित की गई थी।
इस आर्टिकल को न्यूयॉर्क टाइम्स के ही पूर्व कार्यकारी संपादक मैक्स फ्रैंकेल ने लिखी थी। इसमें उन्होंने ट्रम्प के कुछ गुप्त अधिकारियों और रूसी दूतों के बीच हुई बातचीत के बारे में लिखा था। इसमें उन्होंने निष्कर्ष लिखा था कि ट्रम्प कैंपेन और रूसी अधिकारियों ने हिलेरी क्लिंटन को हराने के लिए एक सौदा किया था।
एनवाईटी में प्रकाशित यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत: ट्रम्प कैंपेन
ट्रम्प के सीनियर कानूनी सलाहकार जेना इलिस ने कहा कि यह आर्टिकल बिना किसी सबूत के प्रकाशित की गई थी। ट्रम्प कैंपेन ने न्यूयॉर्क स्टेट सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया है। मुकदमे का उद्देश्य ट्रम्प के अभियान के खिलाफ जानबूझकर गलत रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए समाचार संगठन को जवाबदेह ठहराना है। ट्रम्प के मुकदमे में तर्क दिया गया है कि यह ओपिनियन पूरी तरह से गलत है। टाइम्स ने यह आर्टिकलयह जानते हुए प्रकाशित की कि वह इससे अपने खुद के रिडर्स को भी भ्रमित करेगा।
सार्वजनिक मुद्दों पर हम खुलकर अपनी राय रख सकते हैं: एनवाईटी प्रवक्ता
न्यूयॉर्क टाइम्स ने बुधवार को जवाब दिया कि वह इस मुकदमे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगा। अखबार के प्रवक्ता एलीन मर्फी ने एक बयान में कहा कि ट्रम्प कैंपेन ने ओपिनियन राइटर को अपने विचार के लिए सजा दिलाने की कोशिश करने के लिए अदालतों का रुख किया है। हालांकि, हमारे देश का कानून अमेरिकियों के अपने अधिकारों और निष्कर्षों को व्यक्त करने के अधिकारों की रक्षा करता है। खासतौर पर सार्वजनिक घटनाओं पर हम खुलकर अपनी राय रख सकते हैं।
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विस्कॉन्सिन में गोलीबारी में 5 लोगों की मौत, हमलावर ने भी खुदकुशी की February 26, 2020 at 06:06PM
वॉशिंगटन. अमेरिका के विस्कॉन्सिन प्रांत में बुधवार को गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक, हमलावर खुद की ही गोली से घायल हो गया, उसकी भी मौत हो गई।विस्कॉन्सिन के मिल्वॉकी शहर में मोल्सन कूर्स बीयर कंपनी के कैंपस में यह घटना हुई।
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, इलाके को लॉकडाउन कर दिया गया। हमलावर की पहचान 51 साल के मिल्वॉकी निवासी के रूप में हुई है। गोलीबारी करने के पीछे की उसकी मंशा का पता नहीं चल पाया है। घटना बुधवार दोपहर की है। उस समय सैकड़ों कर्मचारी ऑफिस में थे।मिल्वॉकी पुलिस प्रमुख अलफॉन्सो मोरालेस ने कहा कि मरने वालोंमें पांच कंपनी के कर्मचारी थे। घटना के बाद आसपास के स्कूलों और ऑफिसों को बंद कर दिया गया है।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने हमलावर को दुष्ट हत्यारा बताया
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घटना में मारे गए पीड़ितों और परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने हमलावर को ‘दुष्ट हत्यारा’ बताया। विस्कॉन्सिन के सांसद माइक गल्लाघेर ने भी घटना की निंदा की। उन्होंने कहा- इस तरह की घटनाओं की हमारे समाज में कोई जगह नहीं है। हालांकि, कंपनी की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है।
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जापानी शिप से 119 भारतीयों और 5 विदेशी नागरिकों को एयर इंडिया के विमान से लाया गया, 76 भारतीय वुहान से निकाले गए February 26, 2020 at 04:24PM
नई दिल्ली. जापानी शिप से 119 भारतीयों और 5 विदेशी नागरिकों और चीन के सबसे ज्यादा प्रभावित वुहान शहर से 112 भारतीय नागरिकों समेत 36 विदेशियों को नई दिल्ली लाया गया। जापान से लाए गएपांच विदेशियोंमें श्रीलंका, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और पेरू के नागरिक शामिल हैं। भारत सरकार ने लोगों को वहां से निकालने में मदद करने के लिए जापान सरकार का धन्यवाद किया है। 5 फरवरी से ही डायमंड प्रिंसेजशिप को जापान के योकोहामा पोर्ट पर रोका गया था। इसमें 138 भारतीय फंसे हुए थे। इनमें 16 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हैं।
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अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए 70 लाख नागरिकों को 92 हजार रुपए नकद देगी सरकार February 26, 2020 at 01:02PM
हांगकांग.हांगकांग सरकार ने मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 70 लाख स्थानीय निवासियों को नकद सहायता देने की घोषणा की है। लोकतंत्र समर्थकों के आंदोलन और प्रदर्शनों के कारण हांगकांग की अर्थव्यवस्था पहले से मंदी से जूझ रही है और अब कोरोनावायरस की वजह से समस्या और बढ़ गई है।लोग खर्च कर सकें और उन पर बोझ कम पड़े, इसलिए हांगकांग सरकार ने बुधवार को प्रत्येक स्थायी नागरिक को 10,000 हांगकांग डॉलर (91977 रु.) की मदद देने की घोषणा की। हांगकांग के वित्त मंत्री पॉल चान ने वार्षिक बजट में लोगों को दी जाने वाली नकद सहायता का ऐलान किया।
हांगकांग पर 65,299 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा
चान ने कहा कि हांगकांग को अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से उबारने के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस नकद सहायता से हांगकांग पर 65,299 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि उपभोक्ता इसमें से ज्यादातर पैसा दोबारा स्थानीय कारोबार में लगाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद मिलेगी।
चीन की अर्थव्यवस्था ठहरी
चीन में वायरस फैलने के बाद दुनियाभर के लिए स्मार्टफोन, खिलौने और अन्य सामान बनाने वाले कारखाने फिर से परिचालन में आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था ठहर गई है। हालांकि, चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने मदद का भरोसा दिलाया है, पर कंपनियों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि उत्पादन को सामान्य करने में अभी महीनों का वक्त लगेगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बड़ी समस्या सप्लाई चेन की है। वाहन कलपुर्जे से लेकर जिपर और माइक्रोचिप उपलब्ध कराने वाली हजारों कंपनियां प्रभावित हैं। इनके पास कच्चे माल और कामगारों की कमी की समस्या आ रही है। कारखाने बंद हैं, शहरों तक पहुंच बंद है और यात्रा पर प्रतिबंध है। सरकार के उपाय नाकाफी हैं।
स्मार्टफोन उद्योग हैंडसेट की असेंबलिंग के लिए चीन पर निर्भर
रिसर्च कंपनी कैनालाइज के निकोल पेंग ने कहा कि स्मार्टफोन उद्योग हैंडसेट की असेंबलिंग के लिए चीन पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि कुछ पार्ट्स सप्लायर्स का कहना है कि उत्पादन सामान्य की तुलना में अभी सिर्फ 10% है। पेंग ने कहा कि बुरी खबर यह है कि इसका असर बढ़ भी सकता है।
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भीड़ ने पुलिस के सामने मुस्लिमों पर हमला किया, हिंसा की वजह सीएए के खिलाफ आंदोलन February 26, 2020 at 02:59AM
भास्कर न्यूज|नई दिल्ली. देश के दिल में जारी हिंसा को वर्ल्ड मीडिया काफी प्राथमिकता के साथ कवर कर रही है। ज्यादातर विदेशी मीडिया हिंसा के पीछे भाजपा का हाथ बता रहा है और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। ज्यादातर मीडिया ने लिखा है कि दिल्ली पुलिस हिंसा रोकने में नाकाम रही फिर भी कह रही कि स्थिति नियंत्रण में है। पढ़ें दिल्ली हिंसा पर दुनिया के चार बड़े अखबारों की रिपोर्ट के मुख्य अंश...
न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिका: जब ट्रम्प और मोदी बातचीत कर रहे थे, तब हजारों लोग हिंसा का सामना कर रहे थे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दिल्ली में मौजूदगी के दौरान ही वहां की सड़कों पर दंगा शुरू हो गया। भारत की राजधानी के कई इलाकों में हिंदू और मुस्लिमों की बीच हुई हिंसा में दर्जन भर से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जब ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी आपस में बातचीत कर रहे थे, उस वक्त हजारों लोग हिंसा का सामना कर रहे थे। सड़कों पर पेट्रोल बम और गोली चल रही थी, भीड़ वाहनों पर हमले कर रही थी। बड़ी संख्या में पत्रकार और पुलिस के जवान अस्पताल में भर्ती हैं। इस हिंसा के पीछे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहा आंदोलन है।
सीएनएन, अमेरिका: भीड़ दुकानों में आग लगा रही थी, पुलिस असहाय होकर देख रही थी
भारत में सीएए समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह हिंसा सोमवार को शुरू हुई थी, उसी दिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत पहुंचे थे। पुलिस आंसू गैस छोड़ रही थी, इसके बावजूद दो समुदाय एक-दूसरे पर पथराव कर रहे थे। भीड़ दुकानों और पेट्रोल पंप में आग लगा रही थी। पुलिस असहाय होकर सिर्फ देख रही थी। राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि पुलिस स्थिति पर नियंत्रण करने में नाकामयाब है, इसलिए सेना को बुलाया जाना चाहिए।
गार्डियन, ब्रिटेन: भारत की राजधानी में दशक की सबसे बड़ी धार्मिक हिंसा, डर से कई बेघर हुए
भारत की राजधानी दिल्ली में दशक की सबसे बड़ी धार्मिक हिंसा भड़की है। इसमें अब तक 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हिंदूओं की भीड़ ने मुस्लिमों के घरों और कई मस्जिदों पर हमला किया। यह हिंसा रविवार को उस वक्त भड़की, जब हिंदू और मुस्लिम समूह एक-दूसरे के सामने आ गए। हिंसा के तीन दिन हो गए हैं। बुधवार की रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ मुस्लिमों के घरों में लूटपाट भी हुई है। हिंसा के डर से कई लोग बेघर हो गए हैं। 200 से ज्यादा लोग गोलीबारी में घायल हुए हैं।
बीबीसी, ब्रिटेन: हिंदू और मुस्लिमों की बीच हिंसा से दिल्ली में स्थिति तनावपूर्ण
दिल्ली में हिंदू और मुस्लिमों के बीच हुई हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। लगातार तीसरे दिन रात में भीड़ ने मुस्लिम लोगों के घरों और दुकानों को निशाना बनाया। अब तक 23 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। यह राजधानी में इस दशक की सबसे बड़ी हिंसा है। यह हिंसा रविवार शाम को उस वक्त शुरू हुई, जब सीएए समर्थक और विरोधी एक-दूसरे से भीड़ गए। कई तस्वीरों में हिंदू और मुस्लिम एक-दूसरे पर हमला करते दिखाई दे रहे हैं।
अलजजीरा, खाड़ी देश: पुलिस ने हिंदू भीड़ को मुस्लिमों पर हमले करने में मदद की
भारत की राजधानी दिल्ली में दशक की सबसे बड़ी हिंसा हुई है। एक मस्जिद को आग के हवाले कर दिया गया है। पुलिस पर आरोप है कि वह हिंदू भीड़ को मुस्लिमों और उनकी संपत्ति पर हमले में मदद कर रही थी। भीड़ जय श्री राम के नारे लगा रही थी। कई मुस्लिम इलाकों में तीन दिन से हिंसा चल रही है। यह हिंसा तब भड़की, जब कुछ नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ धरने पर बैठ गए।
डॉन, पाकिस्तान: भाजपा नेता पुलिस के सामने ही मुस्लिमों पर हमला करते रहे
दिल्ली में तीन दिन से हिंसा जारी है। इस हिंसा के पीछे पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है, क्योंकि एक साथ दिल्ली में कई जगहों पर हुई हिंसा पुलिस की मिलीभगत के बिना संभव नहीं थी। गृह मंत्रालय भी अंधा बना रहा। हिंदू भीड़ मुस्लिम इलाकों में पुलिस के सामने ही हिंसा करती रही। सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेता भी इस भीड़ में शामिल थे। भाजपा के बड़े नेता भी पूरी हिंसा पर मौन रहे। सवाल पैदा हो रहे हैं कि यदि पुलिस हिंदू भीड़ को नियंत्रित करने में नकाम थी, तो शांति करने के लिए आर्मी की मदद क्यों नहीं मांगी। इसके बावजूद दिल्ली पुलिस कहती रही, स्थिति नियंत्रण में है।
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