Monday, July 6, 2020
अमेरिका में टिक टॉक समेत सभी चाइनीज ऐप बैन हो सकते हैं, विदेश मंत्री पोम्पियो ने कहा- इस पर गंभीरता से सोच रहे July 06, 2020 at 07:34PM
भारत के बाद अब अमेरिका में भी चाइनीज ऐप बैन हो सकते हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा कि टिकटॉक समेत चीन के सभी सोशल मीडिया ऐप को बैन करने के बारे मेंगंभीरता से सोच रहे हैं। अमेरिका का ये बयान चाइनीज ऐप पर भारत में हुई कार्रवाईके 6 दिन बाद आया है।
लद्दाख में तनाव के बीच भारत ने 29 जून को टिकटॉक समेत 59 चाइनीज ऐप पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कहा कि इन ऐप्स के जरिए यूजर की जानकारियां हासिल की जा रही हैं, ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस फैसले को चीन पर डिजिटल स्ट्राइक बताया था। भारत के इस फैसले को पोम्पियो ने सही बताया था।
चीन के बाहर अमेरिका टिकटॉक का दूसरा बड़ा बाजार है। वहां टिकटॉक के 4.54 करोड़ यूजर हैं। भारत में करीब 20 करोड़ यूजर थे और चीन के बाहर सबसे बड़ा मार्केट था।
टिकटॉक हॉन्गकॉन्ग से भी निकलेगा
चीन के वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक ने कहा है कि वह कुछ ही दिनों में हॉन्गकॉन्ग के कारोबार से बाहर हो जाएगा। टिकटॉक ने यह फैसला चीन की ओर से हॉन्गकॉन्ग के लिए नया कानून लागू करने के बाद लिया गया है।
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नीलम और झेलम नदी पर चीनी कंपनी बांध बना रही, इसके विरोध में मुजफ्फराबाद में लोगों ने रैली निकाली July 06, 2020 at 07:16PM
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबादमें चीन का विरोध तेज हो गया है। यहां के लोगों ने सोमवार को नीलम और झेलम नदी पर गैरकानूनी ढंग से हाइड्रोपावर प्लांट बनाने के खिलाफ रैली निकाली। लोगों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ नारे लगाए।स्थानीय लोगों का कहना है कि बांध बनाने से पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा। इस मुद्दे को दुनिया तक पहुंचाने के लिए ट्वीटर पर #SaveRiversSaveAJK कैंपेन शुरू किया गया है।
यह पावर प्लांट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के तहत बनाया जा रहा है। इसे चीन की थ्री गोर्जेस कॉरपोरेशन कंपनी की सब्सिडियरी कोहाला हाइड्रोपावर कंपनीलिमिटेड तैयार कर रही है।
लोगों ने कहा- यह संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के खिलाफ
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब यह क्षेत्र विवादित है तो फिर यहां चीन-पाकिस्तान किस कानून के तहत बांध बना रहे हैं।हम विरोध मेंकोहाला प्रोजेक्ट तक रैली निकालेंगे। प्लांटके लिए नदियों पर कब्जा किया जा रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएएसी) के प्रस्ताव का उल्लंघन है।
प्लांट की अनुमानित लागत करीब 18 हजार करोड़
चीन-पाकिस्तान के बीच इस प्रोजेक्ट के लिए इसी साल करार हुआ है। इस पावर प्लांट से 1124 मेगावाॅट बिजली तैयार की जाएगी। प्लांट की अनुमानित लागतकरीब 18 हजार करोड़ रुपए है। प्रोजेक्ट के तहत 20 किमी लंबी नहर बनाई जाएगी, जो मुजफ्फराबाद से होकर गुजरेगी। दिसंबर 2018 में भी मुजफ्फराबाद के लोगों ने नहर के डिजाइन को लेकर विरोध किया था।
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Exiled Uyghurs approach International Criminal Court seeking justice against China July 06, 2020 at 05:57PM
प्रधानमंत्री ओली और मुख्य विरोधी प्रचंड लगातार चौथे दिन बातचीत करेंगे; चीन नहीं चाहता कि ओली सरकार गिरे July 06, 2020 at 06:16PM
नेपाल में प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे पर सस्पेंस जारी है। उनकी ही पार्टी के नेता प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं। शनिवार, रविवार के बाद सोमवार को भी ओली ने अपने मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से बातचीत की। उन्हें मनाने की कोशिश की। लेकिन, नतीजा नहीं निकला। ओली को सिर्फ इतनी कामयाबी मिली कि प्रचंड मंगलवार को भी बातचीत के लिए तैयार हो गए।
ओली सरकार बचाने के लिए चीन भी एक्टिव है। नेपाल में चीन की एम्बेसेडर होउ यांगकी लगातार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं से बातचीत कर रही हैं।
आज की मीटिंग पर नजर
ओली और प्रचंड के बीच बातचीत दोपहर में शुरू होगी। सोमवार को बातचीत हुई लेकिन इसकी जानकारी मीडिया को नहीं दी गई। सिर्फ इतना बताया गया कि दोनों नेता मंगलवार को बातचीत जारी रखने पर सहमत हो गए हैं। लिहाजा, आज होने वाली बातचीत पर भी नजरें रहेंगी। सूत्रों के मुताबिक, प्रचंड ने ओली से साफ कह दिया है कि उनको इस्तीफा देना होगा। हालांकि, एक धड़ा ऐसा भी है जो चाहता है कि सरकार बच जाए। इसलिए समझौता कराने की कोशिशें भी जारी हैं।
कल स्टैंडिंग कमेटी की अहम मीटिंग
अगर आज ओली और प्रचंड के बीच मीटिंग में कोई फैसला नहीं होता तो यह माना जा सकता कि कल यानी बुधवार को होने वाली स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग अहम होगी। इस कमेटी में 40 मेंबर हैं। 30 से 33 ओली का इस्तीफा मांग रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं एनसीपी की तीन कमेटियों में से किसी में भी ओली को समर्थन हासिल नहीं है। लिहाजा, ज्यादा संभावना यही है कि अगर ओली और प्रचंड के बीच समझौता नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना ही पड़ेगा।
पार्टी टूट भी सकती है
माना जा रहा कि अगर ओली ने इस्तीफे से इनकार किया तो पार्टी टूट जाएगी। एक गुट ओली और दूसरा प्रचंड के साथ चला जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, रविवार को प्रचंड ने ओली से पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने को कहा ताकि सरकार बचाई जा सके।
ओली से इसलिए नाराजगी
पार्टी नेता कई मुद्दों पर ओली से नाराज हैं। प्रधानमंत्री कोविड-19 से निपटने में नाकाम साबित हुए। भष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई नहीं की। एक बेहद अहम मुद्दा भारत से जुड़ा है। पार्टी नेता मानते हैं कि सीमा विवाद पर उन्होंने भारत से बातचीत नहीं की। वैसे भी ओली पार्टी के तीनों प्लेफॉर्म्स पर कमजोर हैं। सेक्रेटेरिएट, स्टैंडिंग कमेटी और सेंट्रल कमेटी में उनको समर्थन नहीं हैं। पार्टी के नियमों के मुताबिक, अगर इन तीन प्लेटफॉर्म पर नेता कमजोर होता है तो उसका जाना तय है।
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अमेरिका ने कहा- जिन छात्रों की सभी क्लासेस ऑनलाइन, उन्हें देश छोड़ना होगा; यूएस में 10 लाख विदेशी छात्र, इनमें करीब 2 लाख भारतीय July 06, 2020 at 05:04PM
अमेरिका में रहने वाले विदेशी छात्र ट्रम्प प्रशासन के एक फैसले से प्रभावित होने जा रहे हैं। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि जिन स्टूडेंट्स की सभी क्लासेस ऑनलाइन शिफ्ट हो गईं हैं, उन्हें देश लौटना होगा। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले से कुल 10 लाख स्टूडेंट्स पर असर पड़ेगा। इनमें 2 लाख से ज्यादा भारतीय हैं। यहां सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स चीन से आते हैं। इसके बाद भारतीयों का नंबर है।ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन वाले स्टूडेंट्स के लिए एफ-1 और एम-1 कैटेगरी के वीजा जारी किए जाते हैं।
इमीग्रेशन डिपार्टमेंट का फैसला
यूएस इमीग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने यह फैसला लिया है। डिपार्टमेंट के मुताबिक, कोरोनावायरस के बाद पैदा हुए हालात की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ा है। डिपार्टमेंट ने बयान में कहा, “ऐसे स्टूडेंट्स जिनकी क्लासेस पूरी तरह ऑनलाइन हो गईं हैं। वो फिलहाल अमेरिका में नहीं रह सकेंगे। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”
नए वीसा भी जारी नहीं होंगे
बयान में साफ किया गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग उन छात्रों को अब नए वीसा जारी नहीं करेगा जिनकी सभी क्लासेस ऑनलाइन चल रही हैं। कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन परमिट भी इन स्टूडेंट्स के लिए जारी नहीं किया जाएगा। एफ-1 स्टूडेंट्स एकेडमिक कोर्स वर्क जबकि एम-1 वोकेशनल कोर्स वर्क वाली क्लासेस अटैंड करते हैं।
यूनिवर्सिटीज ने नहीं जारी किया प्लान
महामारी की वजह से अब तक अमेरिकी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज ने सेमिस्टर प्लान जारी नहीं किया है। हालांकि, पढ़ाई के लिए वो अलग-अलग तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी सभी क्लासेस ऑनलाइन कर दी हैं। यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा- 40% अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स को कैम्पस में आने की मंजूरी दी जाएगी। लेकिन, इसके लिए भी ऑनलाइन इंस्ट्रक्शन जारी की जाएंगी।
कितने विदेशी छात्र
2018-19 के लिए अमेरिका में कुल 10 लाख विदेशी छात्रों ने वीसा लिए हैं। यह अमेरिका में हायर स्टडीज करने वालों का 5.5% है। 2018 में अमेरिका को विदेशी छात्रों से 44.7 करोड़ डॉलर की कमाई हुई थी। सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स चीन के हैं। इसके बाद भारत, साऊथ कोरिया, सऊदी अरब और कनाडा का नंबर है। 2018-19 में भारत से दो लाख से ज्यादा छात्र अमेरिका गए। चीन से 3 लाख 69 हजार 548 छात्र अमेरिका आए।
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US coronavirus death toll passes 130,000: Johns Hopkins July 06, 2020 at 04:44PM
ऑस्ट्रेलिया दो राज्यों के बीच बॉर्डर सील करेगा, ग्रीस ने सर्बिया के लोगों के आने पर रोक लगाई; दुनिया में अब तक 1.17 करोड़ संक्रमित July 06, 2020 at 04:45PM
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 1 करोड़ 17 लाख 39 हजार 167 संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 66 लाख 41 हजार 864 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, 5 लाख 40 हजार 660 की जान जा चुकी है। ऑस्ट्रेलिया ने अपने दो राज्यों विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) के बीच बॉर्डर सील करेगा। बीते दो हफ्तों में यहां देश के 95% संक्रमण केमामले सामने आए हैं। विक्टोरिया के प्रिमियर डैनियल एंड्र्यूज ने कहा कि प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और एनएसडब्ल्यू के प्रिमियर ग्लैडिज बेरेजिक्लियन ने साथ मिलकर यह फैसला किया। दोनों राज्यों के बीच सिर्फ परमिट के आधार पर लोग आ-जा सकेंगे।
ग्रीस ने महामारी को देखते हुए सर्बिया से आने वाले लोगों पर 15 जुलाई तक रोक लगा दी है। सर्बिया में संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद यह फैसला किया गया। हालांकि ग्रीस सरकार नेब्रिटेन से आने वालीइंटरनेशनल फ्लाइट्स को अपने सभी एयरपोर्ट पर उतरने की इजाजत दे दी है। ग्रीस सरकार के प्रवक्ता स्टेलियोस पेटसास ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश |
कितने संक्रमित | कितनी मौतें | कितने ठीक हुए |
अमेरिका | 30,40,833 | 1,32,979 | 13,24,947 |
ब्राजील | 16,26,071 | 65,556 | 9,78,615 |
भारत | 7,20,346 | 20,174 | 4,40,150 |
रूस | 6,87,862 | 10,296 | 4,54,329 |
पेरू | 3,05,703 | 10,772 | 1,97,619 |
स्पेन | 2,98,869 | 28,388 | उपलब्ध नहीं |
चिली | 2,98,557 | 6,384 | 2,64,371 |
ब्रिटेन | 2,85,768 | 44,236 | उपलब्ध नहीं |
मैक्सिको | 2,61,750 | 31,119 | 1,59,657 |
इटली | 2,41,819 | 34,869 | 1,92,241 |
पाकिस्तान: 50% लोगों की या तौ नौकरी गई या वेतन कटा
महामारी की वजह से पाकिस्तान में 50% से ज्यादा लाेगों की या तो नौकरी गई या वेतन कटौती का सामना करना पड़ा है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डी एंड बी) पाकिस्तान और गैलअप पाकिस्तान की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। सर्वे में 1,200 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें से करीब 18% लोगों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें नौकरी से निकाला गया। वहीं, 59% लोगों ने आशंका जाहिर कि यही स्थिति रही तो उनकी नौकरी जा सकती है। अध्ययन में पाया गया कि कम कमाई वाले लोगों की नौकरी पर इसका ज्यादा असर हुआ है।
ब्राजील: राष्ट्रपति बोल्सोनारो में कोरोना के लक्षण
ब्राजील के राष्ट्रपतिजायर बोल्सोनारो में कोरोना के लक्षण मिले हैं। बोल्सोनारो ने सीएनएनचैनल को दिए गएइंटरव्यू में यह बात कही। 65 साल के बोल्सोनारो के शरीर का टेम्परेचर 38° सेऔर खून में ऑक्सिजन का लेवल 96% पाया गया। उन्होंने अपनी सारी मीटिंग कैंसिल कर दी है और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ले रहे हैं। उन्होंने एक दिन पहले ही अपना कोरोना टेस्ट कराया था। इसके बाद अपने स्वस्थ होने का दावा भी किया था।
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राष्ट्रपति जिनपिंग के आलोचक प्रो. झंगरुन गिरफ्तार, उन्होंने कहा था- वन मैन सत्ता से देशभर में कोरोना फैला July 06, 2020 at 03:05PM
चीन की राजधानी बीजिंग में पुलिस ने सोमवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कड़े आलोचक जू झंगरुन को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। जू शिघुआ यूनिवर्सिटी में कानून के प्रोफसर हैं। उनकी मित्र गेंग जियाओनान ने कहा कि पिछले महीने जू की एक किताब न्यूयॉर्क में प्रकाशित हुई थी। इसमें जिनपिंग और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की तीखी आलोचना की गई है।
किताब में 10 राजनीतिक निबंध हैं। इस किताब के कारण ही जू को गिरफ्तार किया गया। इससे पहले स्थानीय मीडिया में रिपोर्ट आई थी कि जू को घर में नजरबंद किया गया है क्योंकि उन्होंने अपने एक निबंध में लिखा था कि चीन में जिनपिंग की वन मैन सत्ता के कारण कोरोना बढ़ा।
एक अन्य निबंध में कहा था कि चीन माओत्से तुंग के अधिनायकवादी शासन की ओर जा रहा है। कई मुद्दों पर चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। चीनी जनता के लिए लोकतंत्र चुनने का यही सही समय है।
जनवरी से ही अपने आलोचकों को गिरफ्तार करवा रहे जिनपिंग
चीन में कोरोना संकट से मुकाबले को लेकर जिनपिंग की आलोचना करने वालों की जनवरी से गिरफ्तारी की जा रही है। इनमें जू बड़ा नाम हैं। अप्रैल में एक बिजनसमैन रेन झिकियांग ने अपने लेख में जिनपिंग को बिना कपड़ों का क्लोन बताया था।
पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। यही नहीं, कई लोग कोरोना को लेकर जिनपिंग के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उधर, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि उन्हें जू की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।
दैनिक भास्कर से ब्लूमबर्ग के विशेष अनुबंध के तहत
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28 साल के नाथन ग्रेजुएट भी नहीं, पर अर्थशास्त्र पर सबसे ज्यादा पढ़े जाते हैं, फेडरल रिजर्व भी सुझाव मानता है July 06, 2020 at 03:05PM
नाम- नाथन टैंक्स। उम्र- 28 साल। पढ़ाई- ग्रेजुएट भी नहीं। प्रभाव- अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (फेड) भी इनके लिखने के बाद एक्शन लेता है। ख्याति- अमेरिका में अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखक।
ब्लूमबर्ग, न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे संस्थान के पत्रकार, इकोनॉमिक थिंक टैंक, वाॅल स्ट्रीट इकोनॉमिस्ट, इन्वेस्टमेंट बैंकर ट्विटर पर इन्हें फॉलो करते हैं। इनके फॉलोअर्स में पीटर ओरजैंग भी हैं, जो ओबामा प्रशासन में फाइनेंशियल एडवाइजरी के सीईओ थे। रिपब्लिकन पार्टी के सीनियर अर्थशास्त्री एलन कोल भी इनकी सलाह लेने से हिचकते नहीं हैं।
नाथन आर्थिक तंगी की वजह से बैचलर डिग्री पूरी नहीं कर पाए। लगन, मेहनत और स्वाध्याय से उन्होंने इकोनॉमिक्स और फाइनेंस में इतना नॉलेज हासिल कर लिया है कि आज वह फेडरल रिजर्व पर लिखने वालों में सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले टिप्पणीकार बन गए हैं। इस साल उन्होंने एक न्यूजलेटर जारी किया। इसे अमेरिका की तकरीकबन सभी बड़ी अर्थव्यवस्था से जुड़ी संस्था फाॅलो कर रही है।
2015 से ऑनलाइन फॉलोअर्स बना रहे हैं
टैंक्स 2015 से ऑनलाइन फॉलोअर्स बना रहे हैं, लेकिन पिछले साल से वे अपने फाॅलोअर्स को मॉनेटरी मैकेनिक्स की गहराई समझा रहे हैं। सितंबर में उन्होंने सुरक्षित कर्ज बाजार की समस्या और उसके समाधान पर लिखा। इससे फेडरल रिजर्व फिर से बड़े पैमाने पर ट्रेजरी बॉन्ड्स खरीदने के लिए मजबूर हुआ। इस साल टैंकस ने नोट्स ऑन क्राइसिस नाम से एक विस्तृत सीरीज लिखी है, जो फेड द्वारा कोरोना से लड़ाई के लिए उठाए गए इमरजेंसी एक्शन को समझाता है।
जॉर्ज मैसोन यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ शोधकर्ता डेविड बैकवर्थ कहते हैं- ‘नाथन के पास वास्तव में हमारे मॉनेटरी सिस्टम को समझने और उसकी कमियों को दुरुस्त करने के लिए अच्छा नॉलेज है। वह स्मार्ट और तथ्यों भरा जवाब देता है।’ इंटरनेट पर चल रही इकोनॉमिक और फाइनेंस की बहस में टैंकस का जवाब सबसे रोचक है। टैंक्स ने इंटरनेट पर गेटकीपर्स की कमी का पूरा फायदा उठाया है। इंटरनेट पर पॉलिसी या लोगों से जुड़े मुद्दे पर लिखी तीखी और तर्कों के साथ टिप्पणी किसी इकोनॉमिक्स के जनरल में छपे लेख से ज्यादा असरकारी होती हैं।
टैंक्स अपने न्यूजलेटर के सब्सक्रिप्शन से सालाना 35 लाख रुपए कमा लेते हैं। साथ ही उन्हें स्पीच और पत्र-पत्रिकाओं में लेख से 15 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है। नाथन कहते हैं कि अब यही मेरा करिअर है और मैं इसी क्षेत्र में आगे बढूंगा।
लाॅ करना चाहता हूं ताकि ‘पैसे की उत्पत्ति’ का मामला सेटल कर सकूं
टैंक्स यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ मैन्चेस्टर से लॉ में पीएचडी करना चाहते हैं। इसका कारण बताते हुए वे कहते हैं कि पैसे की उत्पत्ति (ओरिजीन ऑफ मनी) विषय पर बहस में एक निश्चित बिंदु पर मुझे लगता है कि इकोनॉमिक्स इसे सेटल नहीं कर सकता। यह एक लीगल और ऐतिहासिक सवाल है। इसी को जानने के लिए मैं लॉ करना चाहता हूं।
दैनिक भास्कर से ब्लूमबर्ग के विशेष अनुबंध के तहत
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वैक्सीन जल्द आ सके, इसलिए 140 देशों के 30 हजार लोगों ने खुद पर ट्रायल की इच्छा जताई July 06, 2020 at 02:56PM
कोरोनावायरस की बढ़ती त्रासदी को देखते हुए दुनियाभर में वैक्सीन पर तेजी से काम किया जा रहा है। इस काम में मदद के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं। ऐसे में अमेरिका की एक संस्था ने अभियान शुरू किया है, जिसके तहत ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है जो वैक्सीन ट्रायल के लिए खुद कोरोना संक्रमित होने के लिए तैयार हैं। वन डे सूनर संस्था के इस अभियान से 140 देशों के 30 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। ऐसे वॉलंटियर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर वैज्ञानिक ट्रायल के दौरान स्वस्थ लोगों को वैक्सीन की खुराक देते हैं और फिर उन्हें समाज में रहने के लिए छोड़ देते हैं। इसके बाद इंतजार किया जाता है कि वो अपने आप संक्रमित हों। इससे उस इंसान के शरीर की प्रतिक्रिया का पता चल सके। इस पूरी प्रक्रिया में लंबा वक्त लगता है। ऐसे में वैक्सीन को बाजार में आने में देरी हो सकती है।
संस्थान का विचार वैज्ञानिकों से अलग है। उन्होंने कहा कि संस्था ह्यूमन चैलेंज ट्रायल पर जोर देती है। जो लोग ट्रायल के लिए तैयार हैं, उन्हें वैक्सीन दी जाए। ऐसे में वैक्सीन के नतीजे जल्द पता चल पाएंगे। संस्था ने वॉलेंटियर्स के लिए कई शर्तें रखी हैं। इसके तहत सिर्फ युवा और स्वस्थ लोग ही रजिस्टर कर सकते हैं। वहीं वॉलेंटियर्स का कहना है कि वे समाज की भलाई के लिए ऐसा कदम उठा रहे हैं,वे चाहते हैं कि वैक्सीन जल्द आए और लाखों लोगों की जान बचे।
मलेरिया, हैजा वैक्सीन के लिए भी हुए थे ऐसे ट्रायल
रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक किसी देश ने वैक्सीन ट्रायल के लिए लोगों को जानबूझकर संक्रमित करने की अनुमति नहीं दी है। क्योंकि ये प्रयोग कई लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है। ऐसे ट्रायल के लिए अमेरिकी एफडीए से मंजूरी लेनी होगी। इससे पहले मलेरिया और हैजा की वैक्सीन तैयार करने के दौरान ह्यूमन चैलेंज ट्रायल किए गए थे। ट्रायल के रजिस्टर्ड हुईं 29 साल की एप्रिल सिंपकिंस कहती हैं कि वह सोच रहीं थी, इस मुश्किल दौर में मदद कैसे करें, पर इस अभियान से जुड़कर लग रहा है कि हम भी कुछ योगदान दे सकेगंे।
चीन में कोरोना, हंता के बाद ब्यूबोनिक प्लेग फैला
उत्तरी चीन के बयन्नुर शहर में ब्यूबोनिक प्लेग के दो मामले सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। बयन्नुर में स्तर-3 की चेतावनी जारी की गई है। चीन के सरकारी अखबार पीपल्स डेली ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक चेतावनी का यह स्तर इस साल के अंत तक जारी रह सकता है। संक्रमित व्यक्ति को अलग रखा गया है, उसकी हालत स्थिर है। ब्यूबोनिक प्लेग बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होता है और यह जानलेवा हो सकता है। हालांकि इसके लिए एंटीबॉयोटिक मौजूद हैं। कोरोनावायरस, हंता के बाद यह तीसरी बड़ी बीमारी है, जिसकी शुरुआत चीन से हुई है।
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सैकड़ों सालों से दोनों देशों में सेनकाकु को लेकर दुश्मनी, स्ट्रैटिजकली अहम इस द्वीप पर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस का भंडार July 06, 2020 at 02:34PM
चीन और जापान की दुश्मनी बहुत पुरानी है। वर्ल्ड वॉर-2 के समय यह दुश्मनी और ज्यादा बढ़ी। मौजूदा समय में भी दोनों देशों के बीच तनाव है। तनाव एक आईलैंड को लेकर है। यह है प्रशांत महासागर में जापान के दक्षिण में स्थित सेनकाकु आईलैंड। जापान इसे सेनकाकू तो चीन इसे दियाआयू नाम देता है। अभी ये आईलैंड जापान के पास है, लेकिन चीन इस पर अपना हक जताता है।
अभी चर्चा में क्यों है सेनकाकु आईलैंड?
घटना बहुत सामान्य है। तीन जुलाई को चीन के दो कोस्ट गार्ड शिप यहां से गुजरे और जापान की मछली पकड़ने वाली नाव को डुबाने की कोशिश की। जापान के पेट्रोलिंग जहाजों ने चीनी शिप्स की कोशिश को नाकाम कर दिया। जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशिदी सुगा ने इस चीन को चेतावनी भी दी। यहां चीनी घुसपैठ की कोशिश की एक और वजह है कि 22 जून को एक बिल के जरिए जापान ने इस सेनकाकू आईलैंड के प्रशासनिक व्यवस्था भी बदली है।
दोनों देशों में इस आईलैंड को लेकर सबसे ज्यादा तनाव तब बढ़ा था, जब जापान ने एक प्राइवेट ऑनर से इसके तीन द्वीप खरीद लिए थे।
दोनों देशों के लिए क्या अहमियत रखता है सेनकाकु?
यह आईलैंड ताइवान के उत्तर-पूर्व और जापान के दक्षिण में पड़ता है। इसमें आठ अलग-अलग आईलैंड हैं। कुल इलाका करीब सात वर्ग किलोमीटर का है। यहां आबादी नहीं रहती, लेकिन स्ट्रैटिजकली और बिजनेस के लिहाज से यह बहुत अहम है। यह दुनिया के उन इलाकों में हैं, जहां बड़ी तादाद पर मछलियां पाई जाती हैं। साथ ही यहां मौजूद कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार भी है।
आईलैंड पर दोनों देशों का दावा
आईलैंड पर जापानी दावे के तीन आधार
- जापान इसे अपने ओकिनावा प्रांत का हिस्सा बताता है। इसके मुताबिक उसने 19 वीं सदी में 10 सालों तक इस आईलैंड का सर्वे किया और 1895 में इसको अपने देश में शामिल किया।
- 1945 में वर्ल्ड वॉर-2 में जापान की हार के बाद 1951 में हुई एक संधि से ओकिनावा पर अमेरिका का कब्जा हो गया।
- 1971 में अमेरिका ने जापान को ओकिनावा लौटाया, तब सेनकाकुस भी वापस जापान के पास आ गया, तब से ही इस पर जापान का अधिकार है।
चीन के दावे के तीन आधार
- चीन के मुताबिक बहुत पुराने समय से यह आईलैंड उसके ताइवान प्रांत का हिस्सा है।
- 1895 में जापान ने चीन को हराकर ताइवान को अपने कब्जे में ले लिया।
- वर्ल्ड वॉर-2 के बाद 1951 में एक संधि के तहत चीन को ताइवान वापस मिल गया, ऐसे में सेनकाकु भी उसका हो गया।
2012 से विवाद ज्यादा बढ़ा
2012 में जापान की सरकार ने प्राइवेट ऑनर से सेनकाकु आईलैंड के तीन आईलैंड खरीद लिए। इन कारोबारियों ने ये आईलैंड 1932 में खरीदे थे। इसको लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। इस पर चीन ने पूर्व चीन सागर में सेनकाकू आईलैंड के ऊपर आकाश में अपना एक हवाई जोन बना दिया। इस जोन से गुजरने वाले विमानों को चीन की परमीशन लेनी पढ़ती है। इस पर जापान ने विरोध भी जताया है।
हर जगह की तरह यहां भी अमेरिका शामिल
अमेरिका और जापान में 1960 में एक सिक्युरिटी एग्रीमेंट हुआ था, जिसके तहत अमेरिका ने जापान के कई ठिकानों पर अपने मिलिट्री बेस बनाए हैं। बदले में जापान की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है। इसी एग्रीमेंट के तहत अमेरिका भी चीन को धमकी देता है कि अगर युद्ध किया तो अमेरिका, जापान का साथ देगा।
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2.चीन के 93% हैकर ग्रुप्स को वहां की आर्मी फंडिंग करती है, चीन ने 7 साल पहले कहा था- साइबर स्पेस अब जंग का नया मैदान
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होउ यांगकी की पहुंच नेपाल के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ से लेकर राष्ट्रपति तक, भारत-नेपाल सीमा विवाद में भी उनका रोल है July 06, 2020 at 03:37AM
चाइनीज डिप्लोमैट होउ यांगकी को नेपाल में सबसे ताकतवर विदेशी डिप्लोमैट कहा जा रहा है। नेपाल की टॉप लीडरशिप ही नहीं, आर्मी तक उनकी सीधी पहुंच है। नेपाल के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ पूर्णचंद्र थापा उनके करीबी माने जाते हैं। 13 मई को चीन की एम्बेसी में एक डिनर हुआ था। इसमें थापा चीफ गेस्ट थे। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, टूरिज्म मिनिस्टर योगेश भट्टराई भी यांगकी भी उनसे मिलत रहे हैं। कोविड-19 से निपटने के लिए चीन ने जो कन्साइमेंट नेपाल को सौंपा था। उसे जनरल थापा ने ही रिसीव किया था।
भारत-नेपाल सीमा विवाद में भी यांगकी की भूमिका
नेपाल के नए नक्शे और भारत-नेपाल सीमा विवाद में भीयांगकी की भूमिका अहम मानी जा रही है। नक्शा विवाद के अलावा अब यांगकी ओली सरकार की मुसीबतें कम करने में लगी हुईं हैं। शुक्रवार को उन्होंने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की थी। भंडारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की नेता रह चुकी हैं। रविवार को यांगकी पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से मिलने उनके घर पहुंचीं थीं।
नेपाल और चीन के लिए बिचौलिएका काम कर रहीं यांगकी
अप्रैल के शुरुआत में जब नेपाल में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे, तब चाइनीज डिप्लोमैट ने ही टेलीफोन पर नेपाल की राष्ट्रपति और चाइनीज प्रसीडेंट शी जिनिपंग की बात करवाई थी। यहीं नहीं 27 अप्रैल को चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर नेपाल की जनता को भरोसा दिलाया था कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए चीन हर कदम पर नेपाली नागरिकों की मदद करेगा।
भारतीय मीडिया के विरोध के बाद दी थी सफाई
पिछले हफ्ते जब भारतीय मीडिया ने होउ को नक्शा विवाद में शामिल होने का आरोप लगाते हुए खबरें की थीं, तो होउ ने नेपाल के प्रमुख डायरीज द रायजिंग नेपाल और गोरखपत्र को 1 जुलाई को एक लंबा चौड़ा इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कालापानी सीमा विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि कुछ मीडिया समूह लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। कालापानी नेपाल और भारत के बीच का मुद्दा है। उन्होंने इसमें चीनी दखल होने से साफ इनकार कर दिया था।
मई में बचाई थी ओली सरकार
मई के पहले हफ्ते में भी ओली की कुर्सी जाने वाली थी। तब भी होउ यांगकी एक्टिव हुईं थीं। उन्होंने ओली के मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की थी। कई और नेताओं से भी मिलीं। किसी तरह ओली की सरकार तब बच गई थी। इस बार परेशानी ज्यादा है। इसकी वजह ये है कि स्टैंडिंग कमेटी के 40 में 30 मेंबर प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
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Chinese law professor who criticised leadership is detained, friends say July 05, 2020 at 11:54PM
चीन की एम्बेसेडर होउ यांगकी नेपाल के राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री से मिलीं; मई में यांगकी ने ही बचाई थी पीएम ओली की कुर्सी July 05, 2020 at 11:06PM
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और सरकार संकट में है। ओली को चीन का करीबी माना जाता रहा है। यह एक बार फिर साबित भी हो गया है। ओली सरकार को बचाने में बीजिंग अपनी काठमांडू एम्बेसी के जरिए काफी एक्टिव नजर आ रहा है। यहां होउ यांगकी चीनी एम्बेसेडर हैं। रविवार को उन्होंने पूरा दिन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। शुक्रवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मिली थीं।
मई में भी ओली सरकार गिरने का खतरा था। तब भी होउ यांगकी ने विरोधी गुट के नेताओं से मुलाकात कर सरकार बचाने में अहम रोल अदा किया था।
दो बड़े नेताओं से मुलाकात
ऐसे वक्त में जबकि चीन और भारत के बीच तनाव जारी है। चीन के लिए नेपाल में अपनी पसंदीदा सरकार होना काफी मायने रखता है। यही वजह है कि होउ यांगकी बहुत एक्टिव नजर आ रही हैं। शुक्रवार को उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की थी। भंडारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की नेता रह चुकी हैं। रविवार को यांगकी पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से मिलने उनके घर पहुंचीं।
माधव और भंडारी इसलिए खास
विद्या देवी भंडारी भले ही राष्ट्रपति हों लेकिन पार्टी में उनकी राय को तवज्जो दी जाती है। वहीं, माधव कुमार प्रधानमंत्री ओली के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। यांगकी इन दोनों नेताओं को मनाकर ओली की कुर्सी बचाना चाहती हैं। नेपाल की सियासत में चीन के दखल का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यांगकी से इन नेताओं की बातचीत को छिपाया नहीं गया। सीनियर लीडर्स ने माना कि नेपाल मामले को हल करने की कोशिश कर रहा है। माधव कुमार ओली सरकार के विदेश मामलों को भी देखते हैं।
मई में भी बचाई थी ओली सरकार
मई के पहले हफ्ते में भी ओली की कुर्सी जाने वाली थी। तब भी होउ यांगकी एक्टिव हुईं। उन्होंने ओली के मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की थी। कई और नेताओं से भी मिलीं। किसी तरह ओली की सरकार तब बच गई थी। इस बार परेशानी ज्यादा है। इसकी वजह ये है कि स्टैंडिंग कमेटी के 40 में 30 मेंबर प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
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