Wednesday, November 11, 2020
Biden will priorities defence and security partnership with India: Official November 11, 2020 at 07:06PM
रॉ और आर्मी चीफ के बाद अब विदेश सचिव काठमांडू जाएंगे, यात्रा का ऐलान आज संभव November 11, 2020 at 07:38PM
भारत और नेपाल के बीच रिश्ते फिर सामान्य होने लगे हैं। पिछले महीने रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल नेपाल गए थे। इसके बाद इसी महीने आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने काठमांडू की यात्रा की थी। अब खबर है कि विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रिंगला नेपाल जाएंगे। श्रिंगला इस महीने के आखिर में नेपाल जा सकते हैं। इस विजिट का ऐलान आज किया जा सकता है। हालांकि, एजेंडे की जानकारी शायद नहीं दी जाए।
20 दिन में तीसरा अहम दौरा
23 अक्टूबर को रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल काठमांडू गए थे। उनकी इस यात्रा पर नेपाली मीडिया के एक हिस्से में काफी सवाल उठाए गए थे। कहा गया था कि भारत ने किसी डिप्लोमैट की जगह इंटेलिजेंस एजेंसी के चीफ को क्यों भेजा। ये भी कहा गया कि नेपाल में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। हालांकि, भारत या नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इसे अनौपचारिक मुलाकात कहा। इसके बाद भारत के आर्मी चीफ जनरल नरवणे नेपाल गए। गोयल और नरवणे दोनों ने नेपाल के आर्मी चीफ जनरल थापा और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से भी मुलाकात की थी। अब भारतीय विदेश मंत्रालय के सबसे बड़े अफसर यानी विदेश सचिव काठमांडू जा रहे हैं।
सीमा विवाद और कूटनीति
भारत और नेपाल के बीच विवाद पिछले साल लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को लेकर शुरू हुआ। भारत ने इस हिस्से को अपना बताते हुए यहां मॉडर्न हाईवे बनाया। नेपाल ने इसे अपना इलाका बताया। नेपाल की तरफ से काफी बयानबाजी हुई। भारत ने जवाब नहीं दिया। बाद में जनरल नरवणे ने कहा- नेपाल किसी और (चीन की तरफ इशारा) के कहने पर यह हरकत कर रहा है। नेपाल में नरवणे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देखने मिली।
अब कूटनीतिक रास्ता
नेपाल की तरफ से बयानबाजी अचानक बंद हो गई। प्रधानमंत्री ओली ने नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर उन्हें फोन किया और बधाई दी। इसके बाद रिश्तों में तनाव कम होना शुरू हुआ। रॉ और आर्मी चीफ नेपाल गए। अब विदेश सचिव जा रहे हैं। हालांकि, दोनों ही देशों ने अब तक इस यात्रा के एजेंडे पर कुछ नहीं कहा है। लेकिन, नेपाली मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि श्रिंगला की यात्रा के दौरान सीमा विवाद पर चर्चा होना तय है और उनकी यात्रा का भी यही मकसद है।
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Pak's economy controlled by a ruthless conglomerate - The army November 11, 2020 at 06:09PM
Moderna expecting to announce results of Covid vaccine by end of month November 11, 2020 at 05:46PM
बाइडेन ने रॉन क्लेन को व्हाइट हाउस का चीफ ऑफ स्टाफ बनाया, 31 साल पुराना है दोनों का रिश्ता November 11, 2020 at 05:25PM
20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे जो बाइडेन ने रॉन क्लेन को चीफ ऑफ व्हाइट हाउस बनाया है। 59 साल के क्लेन को कट्टर डेमोक्रेट और सख्त एडमिनिस्ट्रेटर माना जाता है। बाइडेन और क्लेन का रिश्ता 31 साल पुराना है। क्लेन और बाइडेन के बीच दोस्ताना संबंध भी हैं। बाइडेन और वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस इन दिनों डेलावेयर के कैम्प ऑफिस में अपनी टीम तैयार कर रहे हैं। इसमें दोनों के एडवाइजर्स भी शामिल हैं।
वकील हैं क्लेन
रॉन क्लेन को अमेरिका की नामी वकीलों में से एक माना जाता है। वे बराक ओबामा की टीम में भी शामिल रहे। उस दौर में बाइडेन उप राष्ट्रपति थे और बाद में क्लेन उनके स्पेशल असिस्टेंट बनाए गए थे। इसलिए, क्लेन के लिए व्हाइट हाउस नई जगह नहीं है। डोनाल्ड ट्रम्प को कई बार क्लेन ने ट्विटर पर घेरा था। माना जाता है कि कोरोनावायरस के मुद्दे पर ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन को घेरने की रणनीति क्लेन ने ही तैयार की थी। ओबामा के दौर में इबोला वायरस से निपटने की रणनीति तैयार करने में भी उनकी अहम भूमिका थी।
बेशकीमती सहयोगी
क्लेन की व्हाइट हाउस चीफ ऑफ स्टाफ के तौर पर घोषणा करते हुए बाइडेन ने कहा- रॉन मेरे लिए बेशकीमती सहयोगी हैं। 2009 के इकोनॉमिक क्राइसिस और 2014 में इबोला वायरस से निपटने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। वे सभी राजनीतिक दलों के करीब रहे हैं और उन्हें मालूम है कि मुश्किल वक्त में काम कैसे किया जाना चाहिए।
ग्रेजुएट होने के बाद बाइडेन के साथ
1989 में बाइडेन डेलावेयर से सीनेटर थे। तब क्लेन ने हॉवर्ड लॉ स्कूल से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद वे बाइडेन से जुड़े और तब से अब तक दोनों साथ हैं। अमेरिका के सियासी हलकों में उन्हें काफी सम्मान हासिल है। माना जा रहा है कि अब बाइडेन, कमला हैरिस और रॉन मिलकर व्हाइट हाउस की दूसरी टीम तैयार करेंगे। यह काम काफी जल्दी किया जाएगा क्योंकि कोरोना टास्क फोर्स की मीटिंग और समीक्षा शुरू की जानी हैं।
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अमेरिका में एक दिन में रिकॉर्ड 1.36 लाख नए केस, न्यूयॉर्क में फिर प्रतिबंध लागू; चीन में 15 नए मामले November 11, 2020 at 03:48PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा मंगलवार को 5.24 करोड़ के पार हो गया। 3 करोड़ 66 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 12 लाख 88 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में संक्रमण बेहद तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार को यहां नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। एक दिन में एक लाख 36 हजार मामले सामने आए। चीन में कुछ दिनों की राहत के बाद गुरुवार को फिर 15 नए मामले सामने आए।
न्यूयॉर्क में प्रतिबंध
अमेरिका में एक दिन में एक लाख 36 हजार नए मामले सामने आए। कुल मरीजों की संख्या कुछ दिन पहले ही एक करोड़ पार कर चुकी है। खास बात ये है कि 10 दिन से लगातार यहां हर रोज एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच, न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रू कूमो ने राज्य में नए प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया। कूमो ने कहा- ऐसा किए बिना हम संक्रमण को कम नहीं कर सकते। अब यहां प्राईवेट पार्टियां नहीं की जा सकेंगी। बिजनेस को लेकर भी आज नई गाइडलाइन्स जारी की जा सकती हैं। अकेले न्यूयॉर्क में गुरुवार को 1628 मामले सामने आए। 21 लोगों की मौत हुई।
इटली में भी राहत नहीं
इटली दुनिया का 10वां देश बन गया है जहां 10 लाख से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। यहां अब तक 42 हजार 953 लोगों की मौत हो चुकी हैं। यहां सरकार की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अस्पताल लगातार फुल हो रहे हैं और यही हालात रहे तो नए मरीजों को जल्द ही पड़ोसी देशों के अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ेगा। इस बारे में यूरोपीय देश पिछले महीने समझौता कर चुके हैं। यूरोपीय देशों में इटली पहला ऐसा देश है, जहां संक्रमण सबसे पहले पहुंचा। डॉक्टरों ने कहा है कि अगर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो मरने वालों का आंकड़ा एक महीने में 10 हजार तक बढ़ सकता है।
चीन में नए केस
चीन में कुछ दिन की राहत के बाद एक बार फिर नए मामले सामने आने लगे हैं। बुधवार को यहां 15 नए मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी मंगलवार को 17 केस सामने आए थे। सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ इलाकों की पहचान कर ली गई है, जहां से संक्रमण के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। यहां प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। हालांकि, इसके पहले टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है। चीन में अब तक 86 हजार 299 केस सामने आ चुके हैं।
रूस ने कहा- हमारी दवा 92% से ज्यादा असरदार
कोरोना वैक्सीन को लेकर अमेरिका के बाद रूस से गुड न्यूज है। वैक्सीन ''स्पूतनिक वी'' तैयार करने वाले नेशनल रिसर्च सेंटर RDIF ने दावा किया कि उनकी वैक्सीन मरीजों पर 92% से ज्यादा असरदार है। सेंटर ने फेज-3 का ट्रायल पूरा कर लिया है। इसके पहले अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भी दावा किया था कि उनकी वैक्सीन 90% से ज्यादा असरदार है। रूसी वैक्सीन के ट्रायल में 40 हजार वॉलंटियर को शामिल किया गया था। इनमें से 16 हजार को वैक्सीन लगाई गई। इसके बाद 21 दिन तक उसका असर देखा गया। 20 कन्फर्म केस में वैक्सीन के दूसरे डोज ने 92% तक असर दिखाया। यह ट्रायल बेलारूस, यूएई, वेनेजुएला के अलावा भारत में दूसरे और तीसरे फेज में चल रहा है।
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पूर्व सुरक्षा अफसरों की चिंता, ट्रम्प गुप्त सूचनाएं सार्वजनिक कर सकते हैं; बेच भी सकते हैं November 11, 2020 at 02:15PM
अमेरिका में जो बाइडेन ने भले ही निर्वाचित राष्ट्रपति के तौर पर देश को संबोधित भी कर लिया हो, लेकिन सत्ता का सस्पेंस आगे और बढ़ने वाला है। चुनाव में पिछड़ने के बावजूद ट्रम्प ने अब तक व्हाइट हाउस नहीं छोड़ा है। बल्कि, कुछ घटनाक्रम ऐसे शुरू हो गए हैं, जिनसे अमेरिका के पूर्व सुरक्षा अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। उन्हें डर है कि व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले ट्रम्प गोपनीय सुरक्षा सूचनाएं सार्वजनिक न कर दें या कहीं वे उन्हें अपने व्यापार में फायदे के लिए बेच न दें।
ट्रम्प के पास बतौर राष्ट्रपति कई बेहद गोपनीय सूचनाएं हैं। इनमें परमाणु हथियारों की लॉन्चिंग, खुफिया सूचनाएं जुटाने की क्षमताएं, दूसरे देशों में अमेरिकी सामरिक ठिकानों से जुड़ी तमाम जानकारियां, अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के विकास की स्थिति आदि शामिल है। पूर्व अधिकारियों की मानें तो इन सूचनाओं के प्रति ट्रम्प का रवैया अब तक काफी गैरजिम्मेदार रहा है।
खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अफसर डेविड प्रिएस ने बताया- ‘कोई भी (राष्ट्रपति) जो नाराज, असंतुष्ट या व्यथित हो, उसके साथ इस तरह का जोखिम रहता है कि वह गोपनीय सूचनाएं सार्वजनिक कर सकता है। ट्रम्प के ऊपर करोड़ों डॉलर का कर्ज चढ़ चुका है, जिसकी वजह से वे काफी दबाव में हंै। इससे भी उनका असंतोष बढ़ रहा है।’
पूर्व खुफिया अधिकारी लैरी फाइफर और सीआईए महानिदेशक के स्टाफ में रह चुके माइकल वी हैडेन कहते हैं- ‘सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों के लिए वे लोग (राष्ट्रपति या उनके साथ शीर्ष पद पर बैठे अन्य लोग) हमेशा चिंता का विषय रहते हैं, जिन पर कर्ज ज्यादा होता है।’
इसके अलावा सिलसिलेवार घटनाएं भी हैं, जो चिंताजनक संकेत दे रही हैं। मसलन- ये आम मान्यता है कि चुनाव हारने के व्हाइट हाउस में बैठे राष्ट्रपति की व्यस्तता स्वाभाविक तौर पर कम हो जाती है। लेकिन, ट्रम्प पहले से अधिक व्यस्त हैं।
वे व्हाइट हाउस छोड़ने काे राजी नहीं है। बल्कि, उन्होंने एक सप्ताह में अमेरिकी सैन्य मुख्यालय पेंटागन से कई बड़े अफसरों को हटाकर उनकी जगह वफादारों को बिठाया है। यहां तक कि रक्षा मंत्री को भी बदल दिया है। इस तरह वे प्रशासन पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
वे व्हाइट हाउस से बाहर कहीं किसी कार्यक्रम में या सैर-सपाटे के लिए भी नहीं निकले हैं। दूसरी तरफ उनकी टीम धन जुटाने के अभियान में भी लगी है। संकेत साफ है कि आने वाले दिनों में सत्ता का एक नया संघर्ष शुरू होगा। इस बीच ट्रम्प को पेन्सिलवेनिया से एक झटका भी लगा है।
वहां डाक विभाग के एक कर्मचारी हॉपकिंस ने स्वीकार किया है कि उसने मेल-इन वोट (ईमेल के जरिए डाले गए वोट) के बारे में मनगढ़ंत आरोप लगाए थे। हॉपकिंस ने इसे पहले शपथ पत्र देकर मेल-इन वोटिंग में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।
ट्रम्प और उनकी टीम ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। इन वोटों को अवैध मानते हुए ही ट्रम्प अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं। हालांकि हॉपकिंस ने मामले की जांच के दौरान सोमवार को अपने आरोपों को गलत बता दिया। इससे ट्रम्प और उनका दावा कमजोर हुआ है।
अमेरिका में कोई भी व्यक्ति दो बार राष्ट्रपति बन सकता है। वह चाहे लगातार हो या आगे-पीछे कभी। सूत्रों की मानें तो ट्रम्प इस संभावना पर भी काम कर हैं कि राष्ट्रपति पद से अगर वे हटते हैं तो उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही न हो। उन्हें अच्छी तरह पता है कि उनकी बढ़ी हुई संपत्ति, कर चोरी, महिलाओं से अवैध संबंध, चुनाव प्रचार में वित्तीय कानूनों के उल्लंघन आदि के तमाम आरोप हैं।
भविष्य में इनकी जांच की जा सकती है। राष्ट्रपति पद से हटने के बाद वे संवैधानिक रूप से मिला कानूनी संरक्षण भी खो चुके होंगे। ऐसे में खुद को बचाने के लिए भी उन्हें पैसों की जरूरत पड़ सकती है। इसीलिए उनसे जुड़ी आशंकाएं पूरी तरह निराधार भी नहीं मानी जा रही हैं।
विदेश मंत्री पोम्पियो बोले- ट्रम्प दूसरे कार्यकाल की ओर बढ़ रहे
ट्रम्प ने फिर दावा किया, ‘जीतेंगे तो हम ही। हम बड़ी बढ़त पर हैं। लेकिन वे (बाइडेन) चुनाव छीनने की कोशिश कर रहे हैं। हम उन्हें ऐसा करने नहीं देंगे।’ दूसरी ओर, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी ट्रम्प का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘सत्ता हस्तांतरण आसानी से हो जाएगा। लेकिन, राष्ट्रपति ट्रम्प दूसरे कार्यकाल की ओर बढ़ रहे हैं।’
सर्वे: 79% अमेरिकी चाहते हैं- ट्रम्प अब हार स्वीकार कर लें
अमेरिकी जनता मानने लगी है कि ट्रम्प को हार मान लेनी चाहिए। रॉयटर्स/इस्पसॉस के एक सर्वे में 79% लोगों ने कहा कि ट्रम्प को व्हाइट हाउस छोड़ देना चाहिए जबकि, 13% लोगों का कहना है कि अभी चुनाव में जीत-हार तय नहीं हुई है। 3% लोग ही यह मानते हैं कि जीत असल में ट्रम्प की हुई है। 5% लोगों ने कोई राय नहीं दी।
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मुस्लिमों का 45 हजार ईसाइयों को संदेश- वापस आओ, मोसुल तुम्हारे बिना अधूरा है... November 11, 2020 at 02:14PM
आंतक का गढ़ रहे इराक के मोसुल शहर की हवा बदलने लगी है। 2017 में IS के खात्मे के बाद यहां के मुस्लिम युवाओं ने 200 साल पुराने सेंट थॉमस चर्च को संवार दिया है। ताकि क्रिसमस मनाने के लिए 45 हजार ईसाइयों को वापस बुलाया जा सके।
रिपोर्ट के मुताबिक, मोसुल की आबादी करीब 6.70 लाख है। कभी यहां 45 हजार ईसाई रहते थे। लेकिन आतंकियों ने 2014 में हमला कर यहां का ऐतिहासिक चर्च तबाह कर दिया और ईसाइयों के साथ लूटपाट की। इसके बाद सभी ईसाई पलायन कर गए। वहीं अब जाकर मुस्लिम युवाओं ने चर्च को सजा दिया है। युवा एक पहल चला रहे हैं। इसका नाम है- ‘वापस आओ, मोसुल तुम्हारे बिना पूरा नहीं होता।’ युवाओं की इस पहल से प्रेरित होकर 50 ईसाई परिवार वापस मोसुल पहुंच गए हैं।
चर्च को संवारने वाले युवा मोहम्मद ईसम ने बताया कि आतंकियों के हमले से चर्च तबाह हो चुका था। चर्च का आंगन, फर्श और हॉल मलबे से पटे थे। यह आईएस के कब्जे की याद दिलाता था। हम चर्च को बना तो नहीं सकते थे, लेकिन उसे संवारने की ठानी। इस बीच एक ग्रुप बनाया और पूरे चर्च की साफ-सफाई कर डाली।
मोसुल की धारणा बदलने की पहल ... और बदल दी सूरत
ईसम ने बताया कि हमारी यह पहल दुनिया में मोसुल के प्रति धारणा बदलने की है। शुरूआत में सिर्फ पांच लोग थे। देखा-देखी कुछ और लोग मदद को आगे आए। देखते ही देखते हमें फंडिंग भी मिलने लगी। कुछ लोगों ने श्रमदान भी किया। करीब एक महीने तक चली प्रक्रिया के बाद चर्च आबाद हो उठा। फिर हमने ईसाई परिवारों से यहां आकर क्रिसमस मनाने की अपील की। वापस लौटे कुछ परिवार यहां प्रेयर के लिए आने लगे हैं।
1800 के दशक में बना था मोसुल का सेंट थॉमस चर्च
फादर राएड एडल ने बताया कि सेंट थॉमस चर्च की स्थापना 1800 के दशक में की गई थी। यह मोसुल का पहला चर्च है। तब यहां ज्यादा ईसाई परिवार नहीं रहते थे। हालांकि चर्च बनने के कुछ समय बाद यहां ईसाइयों की संख्या बढ़ गई। लेकिन 2014 में आतंकियों ने सब तबाह कर दिया। वहीं अब मुस्लिम युवाओं की पहल काम कर रही है। ईसाई परिवार यहां आने लगे हैं। उन्हें वापस बुलाने के लिए उनसे संपर्क किया जा रहा है।
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हर सेकंड बुक हुए 5.83 लाख ऑर्डर, आधे घंटे में 4.18 लाख करोड़ रु. की बिक्री November 11, 2020 at 02:13PM
चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा का शॉपिंग फेस्टिवल ‘सिंगल-डे’ बुधवार (11 नवंबर) से शुरू हो गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा शॉपिंग फेस्टिवल है, जो 24 घंटे तक चलेगा। इसमें ग्राहकों को भारी छूट दी जाती है। कंपनी की सेल शुरू होते ही लोगों ने हर सेकंड 5.83 लाख ऑर्डर किए। सेल ने शुरुआती 30 मिनट में 4.18 करोड़ रुपए की ब्रिकी कर 2019 के 24 घंटे का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
पिछले साल कंपनी ने बंपर सेल में 24 घंटे में कुल 38 बिलियन डॉलर (करीब 2.82 लाख करोड़ रु.) की बिक्री की थी। इस इवेंट के लाइव न्यूज कवरेज के मुताबिक, दुनिया के टॉप-10 देश चीन से खरीदारी कर रहे हैं। इसमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, मलेशिया, सिंगापुर, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया और कनाडा शामिल हैं। पहले यह उम्मीद थी कि अमेरिका, चीन को पसंद नहीं कर रहा। लेकिन अमेरिका के लोग चीन से सामानों की खरीदारी करना पसंद कर रहे हैं।
जानकार मानते हैं कि इससे चीन की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के कारण चीन में ग्राहकों ने ऑनलाइन खरीदारी को तवज्जो दिया। देश के ऑनलाइन रिटेल खरीदारी में ग्राहकों ने पहले ही लगभग 30% खरीदारी कर ली है। इससे अलीबाबा को भी फायदा मिला है। क्योंकि ई-कॉमर्स सेगमेंट में पहले की तुलना में अब अधिक खरीदार उपस्थित हैं। वहीं, भारी सेल में ग्राहकों के भारी खर्च से देश की इकोनॉमी भी मजबूत होगी।
11 साल पहले शुरू हुआ इवेंट अमेरिकी बाजार पर भारी
2009 से शुरू हुआ सिंगल-डे सेल इवेंट खरीदारी के लिहाज से हर साल नए रिकॉर्ड स्थापित करता रहा है। इस साल भी कंपनी ने शुरुआती मिनटों में शानदार रिकॉर्ड बनाया। अलीबाबा का यह सिंगल डे सेल इवेंट अमेरिका के ब्लैक फ्राइडे और साइबर मनडे से कहीं ज्यादा मशहूर है।
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China says Australia 'should know' how to improve ties November 11, 2020 at 02:12AM
चुनाव के एक हफ्ते बाद एरिक ट्रम्प ने ट्वीट किया- बाहर निकलें और वोट करें; लोगों ने उड़ाया मजाक November 11, 2020 at 12:32AM
डोनाल्ड ट्रम्प के बेटे एरिक ट्रम्प के एक ट्वीट की वजह से उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। दरअसल, एरिक ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव खत्म होने के एक हफ्ते बाद ट्वीट कर लोगों से वोट डालने की अपील कर डाली।
मंगलवार को एरिक के ट्विटर हैंडल से किए ट्वीट में मिनेसोटा राज्य के लोगों से बाहर निकलने और वोट देने की गुजारिश की गई। इस पोस्ट को कुछ मिनट बाद ही हटा दिया गया, लेकिन इतने वक्त में सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में ट्विटर पर एरिक के ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया।
चुनाव के दिन भी एरिक ट्रम्प ने कई ट्वीट कर लोगों से वोट देने की अपील की थी। इससे कयास लगाए गए कि मिनेसोटा वाला ट्वीट शायद शेड्यूलिंग एरर था। फिर भी ट्विटर पर एरिक ट्रम्प तुरंत ट्रोलर्स का शिकार बन गए। बॉलीवुड मूवी बूम में काम कर चुकी सुपरमॉडल पद्मा लक्ष्मी ने भी उनके ट्वीट का मजाक उड़ाया।
##ट्रम्प के छोटे बेटे ने ट्वीट किया था कश्मीर का विवादित नक्शा
डोनाल्ड ट्रम्प के एक और बेटे डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने चुनाव के दौरान कश्मीर का विवादित नक्शा ट्वीट किया था। उन्होंने दुनिया के नक्शे में ट्रम्प का समर्थन करने वाले देशों को लाल और बाइडेन समर्थक देशों को नीले रंग से दिखाया गया था। इस फोटो में भारत के नक्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। साथ ही भारत को बाइडेन समर्थक और पाकिस्तान, रूस, ईरान को ट्रम्प का समर्थक बताया गया था।
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भारत और चीन 3 दिन तक रोज 30% सैनिक वापस बुलाएंगे, पैंगॉन्ग से तीन फेज में होगी सेना की वापसी November 10, 2020 at 11:34PM
LAC पर कई महीनों से जारी तनातनी खत्म करने के लिए भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है। दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग लेक एरिया से सेना पीछे हटाने पर राजी हो गए हैं। समझौते के तहत दोनों देशों के सैनिक इस साल अप्रैल-मई में तैनाती वाली पोजिशन पर लौट जाएंगे। गलवान घाटी में 15 जून को सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों ने अपने हजारों जवान आमने-सामने तैनात कर दिए थे। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
6 नवंबर को चुशूल में कमांडर लेवल की बातचीत में डिसइंगेजमेंट पर बातचीत हुई थी। भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव और डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन ब्रिगेडियर घई बातचीत में शामिल हुए थे।
पहले टैंक, फिर सैनिक पीछे हटेंगे
- सूत्रों के मुताबिक, एक सप्ताह तक चली बातचीत के बाद तय हुआ कि यह मूवमेंट तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। इसके मुताबिक, पहले चरण में टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और सैनिकों को सीमा से एक तय दूरी पर वापस ले जाना है। बातचीत में बनी सहमति के मुताबिक, टैंक और सैनिक एक दिन के अंदर हटाए जाने थे।
- दूसरे स्टेप में पैंगॉन्ग लेक के नॉर्दर्न बैंक के पास से दोनों पक्षों को 3 दिन तक हर दिन लगभग 30 फीसदी सैनिकों को वापस बुलाना था। इसके बाद भारतीय सैनिक अपने एडमिनिस्ट्रेटिव धन सिंह थापा पोस्ट के करीब आ जाएंगे। वहीं, चीन ने फिंगर 8 की अपनी पहले वाली स्थिति में वापस जाने पर सहमति जताई थी।
- तीसरे और अंतिम चरण में दोनों पक्ष पैंगॉन्ग झील एरिया के दक्षिणी तट पर साथ चुशूल और रेजांग ला के आसपास ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी तैनाती वाली जगहें खाली करनी थीं।
वापसी की मॉनीटरिंग करेंगे दोनों देश
दोनों पक्ष इस कवायद की मॉनिटरिंग के लिए एक साझा मैकेनिज्म बनाने के लिए भी राजी हुए हैं। इसमें आपसी बातचीत के साथ ही निगरानी के लिए अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) का इस्तेमाल भी शामिल है।
समझौते के बावजूद भारत सतर्क
गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा है। इस घटना के बाद चीन के साथ भरोसे में कमी आई है। यही वजह रही कि भारत ने इस एरिया में 60 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए थे। साथ सर्दियों के मौसम में लंबी तैनाती की तैयारी भी कर ली थी।
ऐसे हुई थी विवाद की शुरुआत
- 5 मई को पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के 200 सैनिक आमने-सामने आ गए थे ।
- 9 मई को उत्तरी सिक्किम में 150 सैनिकों के बीच भिड़ंत हुई थी।
- 9 मई को लद्दाख में चीन ने एलएसी पर हेलिकॉप्टर भेजे।
- भारत-चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान में झड़प हुई।
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