Friday, February 7, 2020
कोर्ट ने नाबालिग ईसाई लड़की के साथ शादी को सही बताया, वजह में कहा- मासिक धर्म तो शुरू हो गया था February 07, 2020 at 09:42PM
कराची. पाकिस्तान की अदालत ने नाबालिगईसाई लड़की की शादी को शरिया के मुताबिक मान्य बताया। कोर्ट ने कहा कि लड़की का मासिक धर्म शुरू हो चुका है। पिछले साल अक्टूबर में सिंध प्रांत में 14 साल की ईसाई लड़की का अपहरण कर लिया गया था। बाद में जबरन उसका धर्म परिवर्तन कर अपहरणकर्ता ने उससे शादी कर ली थी। इसे लेकर पीड़ित के माता-पिता ने निचली अदालत में याचिका डाली थी।
पीड़ित के माता-पिता ने बताया किअपहरणकर्ता अब्दुल जब्बार ने जबरन मुस्लिम धर्म कबूल करवाकर उसकी बेटी से शादी कर ली थी। उनके वकील तबस्सुम यूसुफ ने शुक्रवार को कहा कि वे शरिया कानून के अनुसार सुप्रीम कोर्ट से न्याय की मांग करेंगे। पीड़ित के माता-पिता ने अपनी बेटी को देखने के लिए सिंध हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बादकोर्ट ने 3 फरवरी की सुनवाई में पुलिस को पीड़ित की उम्र की पुष्टि के लिए जांच का आदेश दिया था।
सिंध में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी पर रोक
हालांकि, जस्टिस मुहम्मद इकबाल कलहोरो और जस्टिस इरशाद अली ने कहा कि शरिया कानून के तहत अगर हुमा कम उम्र की है तब भी शादी वैध होगी। तबस्सुम ने कहा कि यह फैसला 2014 में पारित सिंध बाल विवाह निरोधक अधिनियम के अनुसार नहीं था। कानून के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी पर रोक है। मुख्य रूप से हिंदू और ईसाई समुदाय के प्रांत में नाबालिगों की जबरन शादी को रोकने के लिए यह कानून लाया गया था।
पुलिस पर आरोपी के परिवार कामदद काआरोप
पीड़ित केवकील ने कहा-पुलिस जांच अधिकारी अब्दुल जब्बार आरोपी के परिवार का समर्थन कर रहे हैं। उन्हें यह भी डर है कि हुमा की उम्र की जांच का रिजल्ट भी गलत ठहराया जा सकता है और उसे अपने पति के साथ भेजा जा सकता है। हुमा के माता-पिता चाहते हैं कि उसकी उम्र की पुष्टि होने तक उसे महिला शेल्टर होम में रखा जाए। पीड़ित के माता-पिता ने चर्च औरस्कूल के दस्तावेज भी दिखाए थे, जिसमें हुमा की उम्र 14 साल है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील
इंडिपेंडेंट कैथोलिक न्यूज की वेबसाइट पर लड़की की मां ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उनका समर्थन करने की अपील की है। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की जबरन धर्मांतरण का मामला अक्सर सामने आता रहता है। पिछले एक महीने में राज्य में एक हिंदू और सिख लड़की का भी अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन करवाने और शादी करने का मामला सामने आया था।
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अनिल अंबानी ने लंदन की कोर्ट में कहा- दिवालिया हूं; अदालत का आदेश- दावा स्पष्ट नहीं, 700 करोड़ चुकाएं February 07, 2020 at 07:56PM
लंदन. अनिल अंबानी ने चीन के बैंकों के कर्ज से जुड़े विवाद में शुक्रवार को इंग्लैंड हाईकोर्ट में दलील रखी कि उनकी नेटवर्थ जीरो है, वे दिवालिया हैं इसलिए बकाया नहीं चुका सकते। परिवार के लोग भी उनकी मदद नहीं कर पाएंगे। लेकिन, कोर्ट ने अंबानी के वकीलों की दलीलों को खारिज करते हुए 6 हफ्ते में 10 करोड़ डॉलर (714 करोड़ रुपए) जमा करने के आदेश दिए। चीन के तीन बैंकों- इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एग्जिम बैंक ऑफ चाइना ने अंबानी के खिलाफ लंदन की अदालत में केस किया था। इन बैंकों ने अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) को 2012 में 70 करोड़ डॉलर (5,000 करोड़ रुपए) का कर्ज दिया था, लेकिन आरकॉम भुगतान नहीं कर पाई। बैंकों का दावा है कि अनिल अंबानी लोन के गारंटर थे।
जज ने कहा- अंबानी की दलीलों में पारदर्शिता नहीं
अंबानी के वकीलों ने अदालत में कहा कि 2012 में उनके क्लाइंट के निवेश की वैल्यू 700 करोड़ डॉलर (50,000 करोड़ रुपए) थी, लेकिन अब जीरो है। बैंकों के वकील ने इस दावे पर सवाल उठाते हुए अंबानी के खर्चों और लाइफस्टाइल का जिक्र किया। वकील ने अंबानी के पास 11 लग्जरी कारें, एक प्राइवेट जेट, यॉट और दक्षिण मुंबई के सीविंड पेंटहाउस में रेंट-फ्री एक्सेस होने का हवाला दिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जज डेविड वॉक्समैन ने कहा कि वित्तीय स्थिति का हवाला देकर अंबानी की ओर से बचाव की जो दलीलें रखी गई हैं उनमें पारदर्शिता नहीं दिख रही।
बैंकों ने वकील ने कहा- कैसे मान लें कि अंबानी का परिवार उनकी मदद नहीं कर सकता?
बैंकों के वकील ने यह भी कहा कि कई मौकों पर अनिल अंबानी के परिवार के सदस्य उनकी मदद कर चुके हैं। अंबानी के वकीलों ने कहा कि उनके क्लाइंट को मां, पत्नी और बेटों के एसेट्स और शेयरों का एक्सेस नहीं है। लेकिन, बैंकों के वकील ने सवाल उठाया- क्या यह माना जा सकता है कि अनिल अंबानी की मां, पत्नी और बेटे जरूरत के वक्त उनकी मदद नहीं करेंगे? साथ ही कहा कि अनिल के भाई मुकेश अंबानी एशिया में सबसे अमीर हैं।
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सुंदर पिचाई, जुकरबर्ग और जैक डोर्सी का अकाउंट हैक कर चुके ग्रुप ने ट्विटर-इंस्टाग्राम पर फेसबुक का अकाउंट हैक किया February 07, 2020 at 06:54PM
सैन फ्रैंसिस्को. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर शनिवार को फेसबुक का आधिकारिक अकाउंट हैक हो गया। ट्विटर ने खुद बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। इसमें कहा गया कि किसी थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म से फेसबुक के ऑफिशियल अकाउंट को निशाना बनाया गया। इसके पीछे ‘अवरमाइन ग्रुप’ नाम के साइबर क्रिमिनल संगठन का हाथ बताया जा रहा है। यह संगठन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और ट्विटर प्रमुख जैक डोर्सी का अकाउंट हैक कर चुका है।
हैकर्स ने इंस्टाग्राम पर भी इसी तरीके से फेसबुक का अकाउंट हैक किया और उससे ग्रुप की फोटो भी पोस्ट कीं। इसमें लिखा, “हम अवर माइन ग्रुप के हैं। फेसबुक भी हैक किया जा सकता है। लेकिन उनकी सिक्योरिटी ट्विटर से बेहतर है।”
ट्विटर ने यह खुलासा नहीं किया कि किस थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म से फेसबुक का अकाउंट हैक किया गया। हालांकि, माना जा रहा है कि यह खोरोस सोशल मीडिया मैनेजमेंट टूल था। खोरोस का इस्तेमाल डिजिटल मार्केटिंग और पीआर कंपनियां अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को मैनेज करने के लिए करती हैं। ट्विटर के प्रवक्ता ने बताया कि जैसे ही उन्हें मामले का पता चला, वैसे ही अकाउंट को लॉक कर दिया गया। फिलहाल फेसबुक और ट्विटर इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिएसाथ काम कर रहे हैं।
अवर माइन ग्रुप सऊदी के किशोरों का संगठन
अवरमाइन ग्रुप ने हाल ही में नेशनल फुटबॉल लीग से जुड़ी 12 से ज्यादा टीमों का ट्विटर अकाउंट हैक कर दिया था। यह ग्रुप 2016 से एक्टिव है और इसके पीछे सऊदी किशोरों का हाथ माना जाता है। फेसबुक ने भी इस घटना के बाद बयान जारी कर कहा कि हमारे कॉरपोरेट सोशल अकाउंट कुछ देर के लिए हैक हुए थे, लेकिन अब उन्हें सिक्योर कर लिया गया है।
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अहमदाबाद में ट्रम्प के दौरे को लेकर सुरक्षा की तैयारी, 5 महीने पुराने किरायेदारों से पूछताछ की जाएगी February 07, 2020 at 06:01PM
अहमदाबाद. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगामी 24 से 27 फरवरी के दौरान यहां मोटेरा स्टेडियम और गांधी आश्रम आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसलिए मोटेरा, चांदखेडा और साबरमती इलाके की एक-एक सोसाइटी की क्राइम ब्रांच द्वारा जांच की जाएगी। इन तीनों इलाकोंमें पिछले 5 महीने में रहने आएकिरायेदारोंसे भीपूछताछ की जाएगी।
‘कैम छो ट्रंप’ कार्यक्रम सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका केह्यूस्टन में आयोजित‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम की तर्ज पर होगा।
इस दौरे के दौरान सभी स्थलों पर थ्री लेयर में सुरक्षा तैनात की जाएगी। कुल 10 हजार से अधिक पुलिस जवानों को स्टेडियम, एयरपोर्ट, गांधी आश्रम पर सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा। ट्रम्प एयरपोर्ट से मोटेरा स्टेडियम तक हेलिकॉप्टर से पहुंचेंगे या बाय रोड, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन, पुलिस दोनों पहलुओं के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था का आयोजन कर रही है। इस दौरे के दौरान सभी स्थलों के रोड पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे। इसके अलावा जिस रूट से वे गुजरेंगे, उसके दोनों तरफ बम डिस्पोजल स्क्वायड की ओर से एक-एक स्थल की जांच की जाएगी।
यूएस सीक्रेट सर्विस कहेगी उसी तरह होगा सुरक्षा में बदलाव
प्रोटोकॉल के अनुसार एनएसजी और एसपीजी कमांडो तैनात रहेंगे। लेकिन यूएस की सीक्रेट सर्विस कहेगी उसी के अनुसार सुरक्षा में बदलाव किया जाएगा। इसके लिए भी फोर्स स्टैंड बाय रखी गई है।
थ्री लेयर में होगी सुरक्षा
- ट्रम्प के दौरे के आसपास थ्री लेयर में सुरक्षा।
- स्टेडियम, एयरपोर्ट, गांधी आश्रम की सुरक्षा में 10 हजार पुलिसकर्मी रहेंगे।
- सभी स्थलों के रोड पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे।
- जिस-जिस रूट पर वे गुजरेंगे, उसके दोनों तरफ बम डिस्पोजल स्क्वायड होंगे।
- आगामी 5 दिन में एनएसजी अहमदाबाद आएगी।
- यूएस सिक्रेट सर्विस सुरक्षा की देखरेख करेगी।
तैयारी और सुरक्षा का प्लान, ये सवाल पूछे जाएंगे
- कहां से आए, कब आए?
- यहां क्या काम करते हो?
- पहले कहां थे? क्या करते थे?
- परिवार में कौन-कौन है?
- जहां अब काम कर रहे हो उसके कोई दस्तावेज हैं?
- जहां पहले काम करते थे, उसके दस्तावेज हैं?
मोटेरा के अगल-बगल 5 किमी तक सड़क सफाई के लिए 3 टीम तैनात
मोटेरा स्टेडियम की चारों दिशाओं में लगभग 5 किलोमीटर तक 17 नई सड़कों को बनाया जा रहा है। लगभग 22 करोड़ रुपए खर्च से इन सड़कों का काम चल रहा है। जैसे-जैसे सड़क बनती जा रही है तुरंत उसकी सफाई के लिए तीन टीम तैनात की गई है। हरेक टीम में 10 कामगार रखे गए हैं।
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ट्रम्प ने अपने खिलाफ गवाही देने वाले 2 अफसरों को हटाया, इनमें सेना के अफसर और राजदूत शामिल February 07, 2020 at 05:00PM
वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने महाभियोग कार्रवाई में अपने खिलाफ गवाही देने वाले दो अफसरों को व्हाइट हाउस से निकाल दिया है। इनमें यूरोपियन यूनियन में अमेरिकी राजदूत गोर्डन सोंडलैंड और सेना के अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल अलेक्जेंडर विंडमैन शामिल रहे। दोनों ने ही संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में ट्रम्प के खिलाफ गवाही दी थी। इनकी गवाही को ट्रम्प के खिलाफ फैसले में अहम माना जा रहा था।
आर्मी अफसर विंडमैन व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ काम कर रहे थे। राष्ट्रपति ट्रम्प के आदेश के बाद उन्हें व्हाइट हाउस से बाहर कर दिया गया। उनके अलावा उनके भाई लेफ्टिनेंट कर्नल येवगेनी विंडमैन को भी व्हाइट हाउस में ड्यूटी से निकाल दिया गया। विंडमैन के वकील ने कहा कि राष्ट्रपति ने यह कदम बदला लेने के लिए उठाया। खुद ट्रम्प भी सीनेट में सुनवाई पूरी होने के बाद कह चुके थे कि वे दोनों अफसरों (सोंडलैंड और विंडमैन) से खुश नहीं हैं।
विंडमैन के वकील ने कहा- उन्हें सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ी
लेफ्टिनेंट कर्नल विंडमैन के व्हाइट हाउस से बाहर किए जाने के कुछ देर बाद ही उनके वकील डेविड प्रेसमेन ने कहा कि उनके क्लाइंट को सच बोलने के लिए निकाला जा रहा है। एक सच ने आर्मी अफसर से उनकी नौकरी, उनका करियर और उनकी निजता छीन ली है। उन्होंने कहा कि किसी के मन में यह सवाल नहीं है कि एक सैन्य अफसर पर ऐसी कार्रवाई क्यों हुई, सबको यह बात पता है कि क्यों व्हाइट हाउस के पास अब एक सैन्य अफसर कम है। उनके गर्व और सही निर्णय करने की क्षमता ने ताकतवर लोगों को डरा दिया है।
दूसरी तरफ राजदूत सोंडलैंड ने वकील की तरफ से बयान जारी कराया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने मुझे तत्काल प्रभाव से वापस बुला लिया है। मैं इस पद पर सेवा का मौका देने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का शुक्रिया अदा करता हूं। यहां मेरा काम मेरे करियर का मुख्य चरण रहा।
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चीन-हॉन्गकॉन्ग में मरने वालों की संख्या सार्स से भी ज्यादा, अब तक 722 की मौत, 34500 मामलों की पुष्टि February 07, 2020 at 03:28PM
बीजिंग/नई दिल्ली. चीन में कोरोनोवायरस से मरने वालों की संख्या शनिवार को 722 होगई। यह आंकड़ा दो दशक पहले चीन और हॉन्गकॉन्ग में सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) से मरने वालों से भी ज्यादा हो गया है। नोवेल कोरोनावायरस और सार्स एक ही श्रेणी के वायरस हैं। 2002-2003 में चीन और हॉन्गकॉन्ग में सार्स से लगभग 650 लोगों की मौत हुई थी। दुनियाभर में 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
चीन के स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, कोरोनावायरस से शनिवार को 86 लोगों की मौत हो गई। 3399 नए मामले दर्ज किए गए। चीन में 34,500 मामलों की पुष्टि हो गई है। चीन के हुबेई प्रांत में दिसंबर में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। उसके बाद से अब तक चीन के 30 से ज्यादा शहरों को लॉकडाउन किया जा चुका है। हुबेई के वुहान शहर में करीब 5.6 करोड़ लोगों की आवाजाही पर रोक है।
कोरोना का सबसे पहले खुलासा करने वाले डॉक्टर की मौत
सबसे पहले कोरोनावायरस का खुलासा करने वाले 34 साल के वुहान के डॉक्टर की भी इसकी चपेट में आने से मौत हो गई। यह महामारी करीब 27 से ज्यादा देशों में फैल चुकी है। जापान के एक जहाज पर सवार करीब 61 लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। जहाज पर लगभग 3700 यात्री हैं। सभी की जहाज पर ही निगरानी रखी जा रही है।
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कोरोनावायरस के खौफ के बावजूद 64 देशों के 6 हजार जोड़ों ने सामूहिक शादी रचाई, जश्न में 30 हजार लोग पहुंचे February 07, 2020 at 06:54AM
गैप्योंग (दक्षिण कोरिया). दक्षिण कोरिया में महामारी बन चुके करोनावायरस के 24 मामले सामने आए हैं। इसके बावजूद शुक्रवार को यूनिफिकेशन चर्च में सामूहिक समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में 64 देशों के करीब 6,000 जोड़ों ने शादी रचाई। इनमें से कुछ ने चेहरे पर मास्क लगाकर शादी की। हालांकि, चर्च ने 30 हजार लोगों को मास्क बांटे थे, लेकिन उनमें से कुछ ने ही इन्हें पहना।
चर्च में शादी करने सियोल सेआई चोई जी-यंग ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि मैं आज शादी कर रही हूं। यह झूठ होगा अगर मैं कहूं कि संक्रमण को लेकर मैं चिंतित नहीं हूं, पर मुझे लगता है कि मैं आज इस शुभ घड़ी में वायरस से सुरक्षित रहूंगी। यह मेरी जिंदगी का सबसे यादगार क्षण है, मैं इस पल को खौफ में नहीं बिताता चाहती।”
मसीहा की याद में कार्यक्रम
चर्च ने यह समारोह इसलिए आयोजित किया क्योंकि वह संत 'सुन म्योंग मून' की 100वीं जन्मशती का जश्न मना रहा है। दक्षिण कोरिया में सुन म्योंग मून के अनुयायी उन्हें मसीहा बुलाते हैं। चर्च की स्थापना 1954 में मून ने ही की थी। 1961 से 2012 में निधन तक उन्होंने ऐसे कई बड़े आयोजन किए।
30 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे
यूनिफिकेशन चर्च इस इवेंट के लिए 4 साल से तैयारी कर रहा था। इसलिए वह कार्यक्रम रद्द करने के पक्ष में नहीं था। दुनियाभर से 30 हजार से ज्यादा लोगों ने पहुंचकर इस आयोजन को ताकत दी। चर्च अधिकारी जंग यंग-चुल ने कहा- एहतियात के तौर पर चीन के लोगों को आने से मना किया गया है।
अमेरिका में 30 हजार जोड़ियां बनीं थी
दक्षिणकोरिया में यह आयोजन 1961 से शुरू हुआ था। तब कुछ दर्जन जोड़े ही शादी करने आते थे। समय के साथ संख्या बढ़ती गई। 1997 में अमेरिका के वॉशिंगटन में 30 हजार जोड़ों ने शादी की थी। वहीं 1999 में सियोल के ओलिंपिक स्टेडियम में 21 हजार जोड़ों ने ब्याह रचाया था।
संक्रमण रोकने के लिए कार्यक्रम रोके गए
दक्षिण कोरिया में संक्रमण फैलने के खतरे को भांपते हुए उत्सवों, दीक्षांत समारोहों तथा कोरियाई-पॉप आयोजनों को रद्द किया जा रहा है।अधिकारियों ने धार्मिक समूहों से इसे फैलने से रोकने में सहयोग करने को कहा है। वहीं, पड़ोसी देश सिओल ने कोरोनावायरस के चलते वुहान में रहे विदेशियों को देश में आने से रोक दिया है।
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वुहान में संक्रमण रोकने के लिए घरों पर छापे मारे जा रहे, प्रभावित लोगों को आइसोलेशन में भेजा जा रहा February 07, 2020 at 03:46AM
बीजिंग. चीन के वुहान में कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने के लिए प्रशासन ने आक्रामक रवैया अपना लिया है। पुलिस अब लोगों के घर में घुसकर लोगों की जांच कर रही है, ताकि कोरोनावायरस संक्रमितों की पहचान की जा सके। सरकार की ओर से पुलिस को आदेश हैकि वह कोरोनावायरस संक्रमितों को इकट्ठा कर बाकी लोगों से अलग-थलग (क्वारैंटाइन जोन) रखें। हालांकि, इसके बावजूद हर चार दिन में संक्रमितों की संख्या दोगुनी होती जा रही है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार की ऐसी कार्रवाई संक्रमण फैलने से नहीं रोक पा रही है।
हालांकि, इससे उनकी परेशानियों में इजाफा जरूर हुआ है।शुक्रवार तक कोरोनावायरस पीड़ितों की संख्या 31 हजार पार कर गई।
मरीजों को फिलहाल अस्थायी हॉस्पिटल में भर्ती किया जा रहा
अफसर फिलहाल अस्पतालों में कम बेडों की संख्या की वजह से मरीजों को अस्थायीहॉस्पिटल में भर्ती कर रहे हैं। वुहान में स्पोर्ट्स स्टेडियम, एग्जीबिशन सेंटर और बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स में पीड़ित मरीज एक साथ रखे जा रहे हैं। होंगाशान स्टेडियम में जांच के लिए मशीनेंलगाई गईं।सुन के मुताबिक, अगर किसी को इलाज की जरूरत पड़ रही है, तो उन्हें सबसे अलग रखा जा रहा है। हाल ही में स्टेडियम की कुछ फोटो सामने आई हैं, इनमें मरीजों के बेड के बीच सिर्फ एक मेज और कुर्सी देखी जा सकती है। सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि सरकार अब तक उन्हें आधारभूत चिकित्सीय सुविधा दिलाने में भी नाकाम रही है।
बड़ी कंपनियों को नियंत्रित कर रही सरकार
यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग के साथ काम कर रही स्वतंत्र संस्था ‘द चाइना मीडिया प्रोजेक्ट’ के मुताबिक, चीनी प्रशासन ने सोशल मीडिया कंपनियों पर आरोप लगाया है कि वे अवैध तरीके महामारी से जुड़ी खबरें दिखा रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की कुछ बड़ी टेक कंपनियों सिना वीबो, टेनसेंट और बाईडांस को सरकार के नेतृत्व में ही चलाया जाएगा, ताकि इस तरह की खबरें दिखाई जा सकें, जैसे चीन कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में जीत रहा है और संक्रमण को फैलने से रोकने में सफल रहा है।
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Pakistan Parliament passes resolution demanding public hanging of child sexual abusers February 07, 2020 at 01:37AM
बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वालों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जाएगी, प्रस्ताव पर संसद की मुहर February 07, 2020 at 12:59AM
इस्लामाबाद. पाकिस्तान की संसद ने शुक्रवार को बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न करने वालों को सार्वजनिक रूप से फांसी देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इस प्रस्ताव को संसदीय राज्य कार्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने पेश किया था। सांसदों ने इसे बहुमत के साथ पास किया। हालांकि, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने कहा कि सजा की कठोरता बढ़ाने से अपराध में कभी कमी नहीं आती। हमें सार्वजनिक रूप से फांसी देने को चलन में नहीं लाना चाहिए, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के कानूनों का उल्लंघन है।
संसद में इस प्रस्ताव को काफी समर्थन मिला। हालांकि, इसके विरोध में बोलने वाले सिर्फ परवेज अशरफ अकेले नहीं थे। उनके अलावा इमरान सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने भी बिल की कड़ी निंदा की। उन्होंने ट्विटर पर कहा, “यह एक सभ्यता की सदियों से चली आ रही क्रूर प्रथा की तरह ही है। समाज हमेशा एक संतुलित तरीके से काम करता है। नृशंसता अपराधों का जवाब नहीं हो सकती। यह कट्टरता की अभिव्यक्ति की तरह है।”
मानवाधिकार मंत्री ने क्रूर फैसले को सही बताया
दूसरी तरफ सरकार में मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने साफ किया कि यह प्रस्ताव सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं था, बल्कि एक व्यक्ति द्वारा पेश किया गया था। पाकिस्तान में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं काफी सामान्य हैं। बाल अधिकार संगठन ‘साहिल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जनवरी से जून तक बाल यौन उत्पीड़न के 1304 मामले सामने आए थे। यानी हर दिन सात बच्चों का यौन उत्पीड़न हो रहा था।
इतने मामलों के सामने आने के बाद से ही पाकिस्तान में इमरान सरकार की आलोचना हो रही थी। सरकार पर आरोप था कि वह ऐसे मामलों की जांच में कमियों को दूर करने के लिए पुख्ता कदम नहीं उठा रही और न ही जरूरी कानूनों को लागू करा पा रही है।
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