इस्लामाबाद. पाकिस्तान की संसद ने शुक्रवार को बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न करने वालों को सार्वजनिक रूप से फांसी देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इस प्रस्ताव को संसदीय राज्य कार्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने पेश किया था। सांसदों ने इसे बहुमत के साथ पास किया। हालांकि, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने कहा कि सजा की कठोरता बढ़ाने से अपराध में कभी कमी नहीं आती। हमें सार्वजनिक रूप से फांसी देने को चलन में नहीं लाना चाहिए, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के कानूनों का उल्लंघन है।
संसद में इस प्रस्ताव को काफी समर्थन मिला। हालांकि, इसके विरोध में बोलने वाले सिर्फ परवेज अशरफ अकेले नहीं थे। उनके अलावा इमरान सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने भी बिल की कड़ी निंदा की। उन्होंने ट्विटर पर कहा, “यह एक सभ्यता की सदियों से चली आ रही क्रूर प्रथा की तरह ही है। समाज हमेशा एक संतुलित तरीके से काम करता है। नृशंसता अपराधों का जवाब नहीं हो सकती। यह कट्टरता की अभिव्यक्ति की तरह है।”
मानवाधिकार मंत्री ने क्रूर फैसले को सही बताया
दूसरी तरफ सरकार में मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने साफ किया कि यह प्रस्ताव सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं था, बल्कि एक व्यक्ति द्वारा पेश किया गया था। पाकिस्तान में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं काफी सामान्य हैं। बाल अधिकार संगठन ‘साहिल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जनवरी से जून तक बाल यौन उत्पीड़न के 1304 मामले सामने आए थे। यानी हर दिन सात बच्चों का यौन उत्पीड़न हो रहा था।
इतने मामलों के सामने आने के बाद से ही पाकिस्तान में इमरान सरकार की आलोचना हो रही थी। सरकार पर आरोप था कि वह ऐसे मामलों की जांच में कमियों को दूर करने के लिए पुख्ता कदम नहीं उठा रही और न ही जरूरी कानूनों को लागू करा पा रही है।
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